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बहुत ही कामुक गरमागरम और उतेजनातमक अपडेट है आराधना को संजू की बाते उत्तेजित कर रही है वह संजू को रोकना भी चाहती हैं लेकिन उसकी बाते उसे अच्छी भी लगती है वह मां बेटे के रिश्ते में उलझी हुई है ऑफिस में बॉस उसकी जवानी देखकर उत्तेजित हो रहा है पहले संजू की हरकतों से फिर ऑफिस में बॉस की हरकतों से आराधना को घर आकर अपनी चूत को अपने बेटे के लन्ड को याद कर शांत कर लिया देखते हैं आगे क्या करती है आराधना??आराधना ऑफिस में इंटरव्यू देने के लिए घर से निकल गई थी लेकिन रास्ते भर वह रसोई घर वाले बात के बारे में सोचने लगी,,, लाख समझाने के बावजूद भी उसका बेटा उसकी तरफ आकर्षित होने से बाज नहीं आ रहा था,,,, बार-बार उसका यह कहना की ऐसे घर से बाहर मत निकल जाना वरना पूरा मोहल्ला तुम्हारे पीछे-पीछे आएगा यही बात संजू की बार-बार आराधना को याद आ रही थी,,,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा बेझिझक उससे इस तरह की बातें करने लगा था,,, जिस तरह से एक प्रेमी या पति ही बातें करते हैं ,,बेटा नहीं,,,, आराधना परेशान थी कि उसका बेटा आखिर उसे समझ कर क्या रखा है,,,, उसे अपनी मर्यादा में रहना चाहिए बेटा है बेटे की तरह रहना चाहिए पति या प्रेमी बनने की कोशिश नहीं करना चाहिए,,,लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसकी हरकत बेटी लाइफ बिल्कुल भी नहीं थी वह अपने आप को जबरदस्ती उसका प्रेमी या पति साबित करने पर तुला था या सिर्फ आकर्षण भर था जो कि जवानी के इस दौर में अक्सर लड़कों के साथ होता ही रहता है,,,,। आराधना रास्ते पर यही सोचती जा रही थी कि उसका बेटा उसकी जवानी की हर एक कोने को अपनी आंखों से अच्छी तरह से देख कर ना जाने अपने मन में कैसे-कैसे ख्यालात लाता होगा,,, गीले ब्लाउज में सेउसकी नंगी चूचियां दम साफ नजर आ रही थी साथ ही उसकी चॉकलेटी रंग की निप्पल भी यह सब देख कर उसके बेटे पर क्या गुजर रही होगी,,, उसकी तो हालत खराब हो गई थी आराधना अपने मन में यह सोचते कि अपने आप से ही बोल रही थी कि कैसे उसका लंड खड़ा हो गया था जिसे वह चोर नजरों से देख ली थी,,,,आराधना को अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था कि जल्दबाजी में उसने आज ब्रा नहीं पहनी थी फिर अपने मन में सोचने लगी अगर ब्रा पहन भी लेती तो क्या हो जाता,,,उसका बेटा तो हर हाल में उसे प्यासी नजरों से देख कर मजा ही लेने वाला था,,,
इस हालत में आराधना घर से बाहर नहीं निकल सकती थी इसीलिए वहां जाकर अपना ब्लाउज बदलने लगी लेकिन आज शायद उसकी किस्मत ही खराब थी जो उसे डोरी वाली ब्लाउज मिली और वह ठीक से थोड़ी बात भी नहीं पाई जिसे खुद उसका बेटा उसकी मदद करने के लिए बिना बोले ही उसके ब्लाउज की डोरी खोलने लगा था एक पल को तो ऐसे लगा था कि जैसे उसका बेटा अपने हाथों से उसकी ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे नंगी कर रहा है इस बात के एहसास से आराधना की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल सी होने लगी थी,,, उसमें से उसे कामरस बहता हुआ महसूस होने लगा था,,,,आराधना को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका बेटा पहली बार किसी औरत के ब्लाउज की डोरी से बांध रहा है क्योंकि वह एकदम अच्छी तरह से और एकदम सटीक रूप से डोरी को बांधा था और इस टाइप की पट्टी टेढ़ी होने के कारण बाहर को निकल जा रही थी जिसे खुद अपनी उंगली से सही करके वह ब्रा की स्टे्प को ठीक किया था,,,,आराधना अपने मन में सोचने लगी कि उसकी नंगी चिकनी गोरी पीठ पर अपनी उंगलियां फिराकर जरूर उसका बेटा मस्त हो गया होगा,,,,उसकी मतलब जवानी देख कर उसके बेटे का लैंड खड़ा हो गया होगा इस बात को अच्छी तरह से समझ गई थी तभी तो अपनी बहन पर उसके लंड की ठोकर को अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी,,,,।
आराधना रास्ते पर यही सोचती रह गई कि वह अपने बेटे को कैसे रोके लेकिन एक तरफ उसका मन अपनी बेटी को रोकने को भी कर रहा था लेकिन दूसरी तरफ उसकी हरकत का मजा भी ले रही थी और अपने तन बदन में अजीब सी हलचल को उठता देख कर वह उम्र के इस दौर पर भी अपनी मदमस्त कर देने वाली जवानी पर गर्व महसूस कर रही थी,,,।
अपने बेटे के बारे में सोचते हुए पैदल चलते हुए भी कब ऑफिस आ गया उसे इस बात का पता भी नहीं चला वह ऑफिस पहुंच चुकी थी,,,,जो के लिए पहले ही उसकी बड़ी बहन ने अपने पति से कहकर इस ऑफिस में आराधना के लिए जगह फिक्स करा दी थी बस इंटरव्यू देने की औपचारिकता ही बाकी थी,,,,,,,,
आराधना ऑफिस पहुंचकर ऑफिस के मालिक के कमरे में गई,,,, कुर्सी पर बैठा ऑफिस का मालिक आराधना की खूबसूरती को देखता ही रह गया,,,, आज तक उसकी ऑफिस में इतनी खूबसूरत औरत काम करने के लिए नहीं आई थी,,,,,, कंपनी के मालिक को आराधना से क्या पूछना चाहिए था यह सब वह एकदम से भूल गया बस उसकी खूबसूरती में खो गया,,,,वैसे भी आराधना आज थोड़ा बहुत मेकअप करके आई थी इसलिए उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी,,,, आराधना को कंप्यूटर चलाना आता था इसलिए कंपनी के मालिक ने उसे जल्द ही उसे ऑफिस में काम करने के लिए रख लिया,,,, तनख्वाह 12000 जोकि कंपनी के मालिक ने उसकी खूबसूरती को देखते हुए ही तय कर दिया था वरना सिर्फ 10000 ही तनख्वाह थी,,,, 12000 तनख्वाह सुनकर आराधना एकदम खुश हो गई उसके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी,,,,।
नौकरी फिक्स कर लेने के बाद कंपनी का मालिक किसी ना किसी बहाने से आराधना को छूना चाहता था इसलिए अपनी कुर्सी पर से खड़ा होकर आगे हाथ बढ़ाकर से कांग्रेस बधाई देने के लिए कांग्रेचुलेशन बोला,,,जवाब में आराधना भी खड़ी हो गई और तुरंत हाथ बढ़ाकर हाथ मिलाने लगी लेकिन हाथ मिलाते समय उसके कंधे पर से उसके साड़ी का पल्लू नीचे को गिर गया और उसकी भारी-भरकम गोल गोल छातियां एकदम से उजागर हो गई,,,डीप गले का ब्लाउज पहनने की वजह से उसकी आदत से चूचियां बाहर को नजर आने लगी और झुकी होने की वजह से चूचियों के बीच की आपस की रगड़ और बीच की पतली लकीर और भी ज्यादा कह रही हो गई यह देखकर कंपनी का मालिक एकदम मदहोश हो गया वह आंख पाढे आराधना की दोनों जमानियो को देखने लगा जोकि ब्लाउज में से छलक रहे थे,,,, अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू गिर जाने की वजह से और छातिया एकदम से उजागर होने की वजह से आराधना एकदम से असहज महसूस करने लगी और जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि कंपनी का मालिक उसकी चूचियों को प्यासी नजरों से घुर रहा है तो वह एकदम से सिहर उठी,,,,,,, अभी भी उसका कोमल हाथ कंपनी के मालिक के हाथ में था जिसे वह हल्के हल्के अपनी उंगली से सहला भी रहा था,,,,आराधना कम शर्म से पानी-पानी हुए जा रहे थे वही खान से अपनी साड़ी का पल्लू को वापस संभाल कर कंधे पर रखी और अपना हाथ छुड़ाने की गरज से बोली,,,।
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थैंक यू सर में कब से जॉइन कर सकती हूं,,,
कल से आराधना,,,, तुम्हें स्कूटी चलाने तो आती होगी,,,
हां,,,, चला लूंगी,,,
फैंटास्टिक,,,, तो कल ऑफिस आना और कंपनी की स्कूटी घर ले जाना और उसी से आना जाना तो क्या जल्दी से ऑफिस पहुंच सकती हो,,,
बहुत-बहुत शुक्रिया सर,,,,,(अभी भी वह आराधना की कोमल हाथ को अपने हाथ में लिए हुए उसकी मादकता और उसकी गरमी को अपने अंदर महसूस कर रहा था आराधना कीमत मस्त रूप जोगन उसकी मादक काया को देखकर पहले से ही कंपनी के मालिक के पेंट में हलचल सी मच ने लगी थी लेकिन जब उसकी आंखों के सामने आराधना के कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिरा और उसकी भारी-भरकम छातियां उसकी आंखों के सामने एकदम से आ गई तो कंपनी के मालिक का लंड एकदम से खड़ा हो गया,,,,,,, काफी देर से आराधना के हाथ को अपने हाथ में लिए हुए आनंद ले रहा था लेकिन आराधना असहज महसूस कर रही थी इसलिए अपने हाथ को पीछे खींचते हुए वह धीरे से बोली,,,)
सर मेरा हाथ,,,
ओहहहह सॉरी,,,, आराधना तुम कल से ऑफिस आ सकती हो,,,,
बहुत-बहुत शुक्रिया सर आप नहीं जानते इस नौकरी की मुझे कितनी जरूरत थी,,,
तुम्हें नौकरी की जरूरत थी आराधना और हमें तुम्हारे जैसी खूबसूरत एम्पलाई की,,,, जो हमारी कंपनी में मन लगाकर काम करें और कंपनी को आगे बढ़ने में मदद करें,,,
जी सर मैं अपनी पूरी मेहनत और कोशिश करूंगी कि कंपनी और आगे बढ़े,,, अब मैं इजाजत लेती हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही मेज पर रखी गई अपनी क्वालिफिकेशन की फाइल को वह हाथ में ले ली और नमस्ते करके जाने लगी,,,, कंपनी का मालिक कुर्सी पर बैठ के और आराधना को जाते हुए देखते रह गया उसकी नजरें आराधना की गोल-गोल कसी हुई गांड पर टिकी हुई थी जो की कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से आराधना की भारी-भरकम गांड और ज्यादा बाहर की तरफ नजर आ रही थी,,, ऑफिस से बाहर निकलते समय आराधना की मदमस्त गांड आपस में रगड़ खाते हुए ऊपर नीचे हो रही थी,,, जिसे देखकर कंपनी के मालिक का लंड ऊपर नीचे होने लगा था,,, साफ तौर पर कंपनी के मालिक का ईमान आराधना की खूबसूरती पर डोलने लगा था,,,,।
आराधना बहुत खुश थी ऑफिस से निकलने के बाद सबसे पहले वहां अपनी बड़ी बहन साधना को फोन करके जॉब के बारे में खबर देने लगी,,,साधना को भी बहुत खुशी हुई की आराधना की नौकरी करने से थोड़ी बहुत मुश्किले आसान हो जाएंगी,,,, घर लौटते समय वह रास्ते में से मिठाई खरीद ली थी सबका मुंह मीठा करने के लिए,,,,,,,घर पर पहुंचने के बाद सबसे पहले अपने कपड़े बदलने लगी घर पर समय कोई नहीं था इसलिए मुख्य दरवाजा बंद करके वह अपने कमरे में जाकर एक एक करके अपने बदन पर से साड़ी को उतारने लगी,,, और साड़ी को उतारते समय वह कंपनी के मालिक के बारे में सोच रही थी,,,,,, आराधना अपने मन में है उसकी उम्र की कल्पना करने लगी की 45 से कम नहीं होगा,,,,,,कंपनी के मालिक का नाम आराधना जानती नहीं थी लेकिन टेबल प्लेट पर लिखे नाम से वह समझ गई थी कि उसका नाम क्या है,,,, प्रभात सक्सेना,,,,।
धीरे-धीरे करके आराधना अपने बदन से साड़ी को उतारकर पलंग पर रख दी थी और इस समय आईने के सामने वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर उसे वापस याद आ गया जब कंपनी के मालिक ने उसके साड़ी के पल्लू को कंधे से नीचे गिरने वजह से उसकी भारी भरकम चुचियों को प्यासी नजरों से देख कर पागल हुआ जा रहा था,,,, आराधना उस समय एकदम से सिहर उठी थी,,,, अपने ब्लाउज के बटन खोलते समय आराधना अपने मन में सोचने लगी कि,,,क्या वाकई में अभी भी उसके बदन की बनावट इस काबिल है कि किसी भी मर्द को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है,,, आईने में देखने पर वह बहुत खूबसूरत लग रही थी तो अपने आप को देख कर और जिस तरह से उसका बेटा और आज कंपनी का माल है उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था यह देखकर तो उसे अपने आप पर गर्व के साथ साथ आत्म विश्वास भी आने लगा था वह समझ गई थी कि उसकी जवानी अभी भी बरकरार है उसके बदन का कसाव पूरी तरह से अभी भी उसके बदन की शोभा बढ़ा रही थी,, नहीं सब सोचते सोचते वह अपना दोनों हाथ पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी को खोलने लगी जो कि सुबह उसके बेटे ने बड़े कसके वादा था जिसकी वजह से उसकी चूचियों का आकार कुछ और ज्यादा बडा लगने लगा था,,,,,, वैसे तो वाकई में आराधना की चूचियां दशहरी आम की तरह थी लेकिन ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा था उसे संजू ने अपने हाथों से कसकर बांध दिया था इसलिए थोड़ा और ज्यादा उभरकर बाहर निकल गया था,,,, ब्लाउज को निकाल लेने के बाद वह अपनी ब्रा को भी निकाल कर अपनी नंगी चूचियों को आईने में देखने लगी चुचियों का कसाव अभी भी बरकरार था,,,,अपनी चूचियां देखकर आराधना से रहा नहीं गया और अपने दोनों हाथों को अपनी छातियों पर रखकर अपनी गोल गोल चूचियों को हथेली में लेकर हल्के हल्के दबाने लगी,,, अनायास ही उसके जेहन में चूचियों को दबा के समय संजू का ख्याल आ गया जो कि सुबह-सुबह है अपने लंड की ठोकर उसकी गांड पर महसूस कराया था,,,, गांड का ख्याल आते ही आराधना घूमकर आईने में अपनी गांड के उभार को देखने लगी,,, जो की कसी हुई पेटीकोट में बेहद आकर्षक लग रही थी,,,,,,, यही वह चीज थी जिसे देख देख कर उसका बेटा पागल हुआ जा रहा था यह सोचकर वह अपने मन में बोली मैं भी तो देखूं कि क्यों मेरे बेटे को मेरी गान्ड इतना दीवाना बना रही है,,,।
अपने मन में इतना कहते हुए वहां पेटीकोट की डोरी पूछो की साइड में बनी हुई थी उसे एक झटके से अपनी उंगली का सहारा देकर खींच ली और पेटीकोट अपने आप एकदम से ढीली हो गई,,, लेकिन फिर भी दिल्ली होने के बावजूद भी उसकी कमर के घेराव में फंसी हुई थी जिसे आराधना अपने हाथों से ढीला करके उसे कदमों में गिरने पर मजबूर कर दी,,,, अपने ही पल में उसकी पेटीकोट भरभरा कर उसके कदमों में गिर गई,,,, और वह आईने के सामने केवल पेंटी में खड़ी थी,,,, लाल रंग की पैंटी में उसकी गोरी गोरी गांड बेहद आकर्षक लग रही थी,,,जिसे देखकर खुद उसकी हालत खराब हो रही थी वह अपने मन में सोचना चाहिए कि जब अपनी गांड को देख कर वह अपने कान की तरफ आकर्षित हुए जा रही है तो उसके बेटे की क्या हालत होती होगी,,,, अपने मन में इतना सोच कर वह वापस अपने आप से ही बात करते हुए बोली,,,, देखो तो सही बिना पैंटी के कैसे नजर आती है,,, और इतना कहने के साथ ही अपनी उंगलियों का सहारा देकर अपनी पेंटिंग को अपने बदन से उतारने लगी,,, देखते ही देखते वहां अपनी पैंटी को उतार कर कमरे के अंदर आदम कद आईने के सामने एकदम नंगी हो गई,,,, वह आईने की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी मदमस्त कर देने वाली गांड की बनावट को देखने लगी दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी गांड अभी भी एकदम कसी हुई थी,,, जिस पर चर्बी का थर नहीं जमा था,,,,,, आईने में आराधना की कसी हुई गांड बेहद आकर्षक लग रही थी जिसकी खुद आराधना ही कायल होती जा रही थी,,,अपने मन में सोचने लगी कि जब उसका यह हाल है तो उसके बेटे का क्या हाल होता होगा वह तो उसे पूरी तरह से नंगी भी देख चुका है इसीलिए वह दिन रातउसके साथ कुछ ना कुछ करने की सोचता रहता है यह ख्याल मन में आते ही अनायास ही आराधना के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, वह अब सीधी खड़ी हो गईअवनी की तरफ मुंह करके अपनी मदमस्त कर देने वाली दोनों चूचियों को देखते हुए इसके नीचे धीरे-धीरे नीचे की तरफ जा रहा था इतना सपाट पेट के बीच में उसकी शोभा बढ़ा रही गहरी नाभि किसी छोटी सी चूत से कम नहीं लग रही थी,,, आराधना अपनी दोनों हथेलियों को अपने चिकने पेट पर रखकर सहला रही थी,,,,,और जैसे ही नाभि के नीचे उसकी नजर गई तो वह अपनी चूत की बनावट को देखकर दंग दंग रह गई काफी समय बाद वह अपनी चूत की तरफ ईस तरह से गौर से देख रही थी,,, हल्के हल्के बालों का झुरमुट सा उग आया था,,,,,काफी दिन हो गए थे आराधना अपनी चूत को क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी आखिर किसके लिए साफ करती ,,, अशोक उसके में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं देता था जब कभी भी मन करता था तो सिर्फ अपनी प्यास बुझा लेता था,,, इसलिए आराधना भी उसके साथ सफाई करना छोड़ दी थी फिर भी थी तो उसकी ही चैट वह रेशमी बालों के झुरमुट में अपनी उंगली घुमाते हुए अपनी चूत के गुलाबी पत्तियों को हल्के हल्के सहलाने लगी और उसे सहलाने की वजह से अनायास उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,,,उसकी सांसे गहरी होने लगी उसे वह पल याद आने लगा जब सुबह में उसका बेटा अपने हाथों से इसकी ब्लाउज की डोरी को बांधा था और अपने लंड की ठोकर को उसकी गांड पर महसुस कराया था,,,। अपनी कसी हुई गांड पर अपने बेटे के लंड की ठोकर को याद करके पलभर में ही आराधना के तन बदन में आग लगने लगी क्योंकि वह अपने बेटे को याद करके उसके लंड की ठोकर को याद करके अपनी चुच को भी सहला रही थी,,, सांसों में वासना की गर्मी भरने लगी छातियों में अजीब सा कसाव आने लगा सूचियों की रंगत बदलने लगी और देखते ही देखते आराधना अपने बेटे को याद करके अनायास ही अपनी चूत में अपनी बीच वाली उंगली प्रवेश कराने लगी ऐसा करने से उसके तन बदन में अद्भुत सुख अनुभूति हो रही थी जिसमें वह पूरी तरह से खोने लगी थी,,,
, यह मादकता भरा पल उसे बेहद कमजोर करने लगा था,,,,अपनी आंखों को बंद करके ना जाने क्यों अपने बेटे की कल्पना करने से क्या अपनी चूत में उंगली करते हुए वैसा महसूस कर रही थी कि उसका बेटा अपने हाथों से उसकी टांगों को खोल रहा है उसकी नंगी चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबा रहा है,,, इस तरह की कल्पना उसके तन बदन में और ज्यादा जोश भर दे रहा था उसकी सांसों की गति तेज होने लगी थी चूत में उंगली करने की वजह से उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज निकलने लगी थी,,,, बड़ी तेजी से कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ रहा था कल्पना में संजय उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने मोटे तगड़े लंड का सुपाड़ा को उसकी गुलाबी चूत पर रख कर उसे हल्के हल्के रगड़ रहा था,,,कल्पना का एहसास आराधना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को और ज्यादा भड़का रहा था और इसीलिए कल्पना में आराधना अपने हाथ से अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसे अपनी चूत पर रख कर,, सुपाड़े का दबाव अपनी चूत के गुलाबी छेंद पर बढाने लगी उत्तेजना के मारे चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी इसलिए पनियाऊ चूत पर सुपाड़े का दबाव तुरंत अंदर प्रवेश करने पर मजबूर कर दिया और देखते ही देखते अपने हाथ का सहारा लेकर आराधना अपने ही बेटे के लंड को अपनी चूत में डालने लगी,,,,संजू पूरी तरह सहमत हुआ जा रहा था आराधना की कल्पना में संजू सपनों का राजकुमार बन चुका था जो कि अपनी ही मां की कमर पकड़कर हल्के हल्के अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,आराधना को कल्पना में भी चुराई का अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था वह गहरी गहरी सांस लेते हुए सिसकारी की आवाज छोड़ने लगी थी क्योंकि इस समय कमरे में सुनने वाला उसके सिवा और कोई नहीं था बड़ी तेजी से उसकी उंगली चूत के अंदर बाहर हो रही थी और कल्पना में उसके बेटे का लंड अपना पूरा असर दिखा रहा था,,, नतीजन अगले ही पल पल की आह के साथ आराधना झड़ने लगी,,,,अपने बेटे को याद करके वह पहली बार इस तरह की हिम्मत कर रही थी और अपनी इस हरकत पर पूरी तरह से संतुष्टि का अहसास भी उसके तन बदन में हिचकोले खा रहा था,,,,वह अपनी आंखों को खोल कर अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो काम रस नीचे जमीन पर टपक रहा था वह आईने में अपनी शक्ल देखकर शरमा गई,,, और तुरंत उसी हाल में कमरे से बाहर निकल कर बात कर में घुस गई और नहाने लगी,,,।
Nice start, आराधना अपने कमरे में अपने पति का इंतजार करते हुए सो गई थी,,,, आज उसकी शादी की सालगिरह थी,,,, सुबह से ही वह आज बहुत खुश नजर आ रही थी,,, ऐसा कम ही होता था कि जब वह बहुत खुश होती थी,,,, शादी की सालगिरह की खुशी उसे बिल्कुल भी नहीं थी खुशी तो उसे इस बात की थी कि आज उसका पति रमेश अपनी सालगिरह पर शराब ना पीने का कसम खाकर गया था और आते समय उसके लिए गिफ्ट लाने का वादा करके गया था,,,,,, अपने पति के बर्ताव को देखकर उसके मन में उम्मीद की किरण नजर आने लगी थी कि अब से सही उसका पति सुधर तो जाएगा,,, इसी उम्मीद से वह रात की तैयारी सुबह से ही करना शुरू कर दी थी,,, रात के भोजन के लिए वह पूड़ी सब्जी और खीर बना कर रखी थी ,,,,
संजू आराधना का बड़ा लड़का था और मोहिनी उसकी छोटी लड़की थी दोनों भी अपने मम्मी पापा के इस खुशी में हाथ बताते हुए उसकी मदद कर रहे थे आराधना गौर से अपने बच्चों को देखकर अपने मन में भगवान से यह प्रार्थना करती रहती थी कि हे भगवान अब से उसकी जिंदगी सुधर जाती तो बहुत अच्छा होता,,,,
रात के 9:00 बज गए थे सारी तैयारियां हो गई थी बस इंतजार था रमेश का जो कि अपनी ड्यूटी खत्म करके इस समय तक आ ही जाता था लेकिन धीरे-धीरे 10:00 बज गए संजू और मोहिनी भी अपनी मां के साथ दरवाजे पर खड़े होकर अपने पापा का इंतजार करने लगे,,,, आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे लगने लगा था कि सुबह सुबह सुबह कसम खाकर गया था उसे भी तोड़ दिया होगा तभी तो 10:00 बज गए और उसका पता नहीं था,,,, बाहर का रास्ता देखते देखते आराधना की आंखों में आंसू भर आए थे लेकिन वह अपने बच्चों से अपने आंसुओं को छुपा ले रही थी,,, क्योंकि वह अपने बच्चों की खुशी को दुख में नहीं बदलना चाहती थी इसलिए वह अपने बच्चों को खाना परोस दी और उन्हें खिलाकर उन्हें अपने कमरे में भेज दी जोकि उसके ही कमरे से सटा हुआ था,,,,।
संजू को अपने पापा की आदत के बारे में अच्छी तरह से मालूम था उसे लगने लगा था कि आज भी उसके पापा पीकर ही आएंगे इसलिए वह अपनी बहन मोहिनी को लेकर कमरे में चला गया और सो गया,,, राह देखते देखते 12:00 बज गए तो आराधना भी आंखों में आंसू लिए दरवाजे को बंद कर दी लेकिन उसकी कड़ी नहीं लगाई क्योंकि वह जानती थी कि रात में वह कभी भी आएगा जरूर,,,,। आराधना सुबह से बहुत खुश थी अपने पति को हर तरह से खुश करने के लिए वह एकदम से सज-धज कर तैयार हुई थी एकदम दुल्हन की तरह लग रही थी,,,,। एक औरत होने के नाते वहां अच्छी तरह से जानती थी किसान की राखी रात को उसके पति के लिए और उसके लिए सुहागरात वाली रात होती है इसलिए वह अपनी चूत के बाल को क्रीम लगाकर अच्छे से साफ कि थी क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने पति को खुश करना चाहती थी,,,,,,, बदले में वह यही चाहती थी कि उसका पति सुधर जाए,,,,
दुल्हन की तरह सज धज कर अपने पति का इंतजार करते हुए रात के 1:00 बज गए वह खाना नहीं खाई थी खाती भी कैसे उसकी खुशियों में ग्रहण जो लग गया था शराब उसके लिए सौतन बन चुकी थी,,,, आखिरकार इंतजार करते करते थक गई और बिना खाए ही सो गई,,,,
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रात के 3:00 बज रहे थे,,, आराधना कोई ऐसा लगा कि कोई उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है और जैसे ही उसकी नींद खुली तो उसका पति एक तरह से उसके ऊपर चढ़कर अपने घुटनों के बल अपने घुटनों को उसकी कमर के इर्द-गिर्द रखकर उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा था,,,, अपने पति को अपने ऊपर देख कर वह पहले तो डर गई,,,, लेकिन शराब की बदबू जैसे ही उसके नाक में पहुंची उसे इस बात का अहसास हुआ कि,,, उसके ऊपर कोई और नहीं बल्कि उसका पति रमेश,,,।
आखिरकार तुमने अपनी कसम तोड़ दी फिर से शराब पीकर आए हो और आज के दिन अपनी शादी की सालगिरह के दिन आज मैं कितनी उम्मीद लगाकर तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,।
तो क्या हुआ मेरी रानी आ तो गया हूं ना,,,(रमेश एकदम लड़खड़ाते स्वर में बोला)
चलो पहले खाना खा लो,,,,(आराधना अपने पति का हाथ उठाते हुए पूरी लेकिन उसका पति माना नहीं है और जबरदस्ती उसके ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोला)
नहीं पहले मुझे चोद लेने दे,,,,,
नहीं अब मेरा मन बिल्कुल भी नहीं,,,(आराधना फिर से उसका हाथ उठाते हुए बोली तो इस बार और गुस्सा दिखाते हैं उसके गाल पर दो-चार तमाचा लगा दिया और बोला)
साली तैयार होकर बैठी है और कहती है मेरा मन नहीं है कोई और से चुदवा कर तो नहीं सोई है,,,,(रमेश अपनी बीवी को गंदा इल्जाम लगाते हुए उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया,,,,और उसकी ब्रा को बिना खोले उसे पकड़ कर उसकी छाती के ऊपर का खींच लिया जिससे उसकी दोनों चूचियां एकदम से आजाद हो गई और वह तुरंत उसे दोनों हाथों में तो दबोचकर दबाने लगा,,,)
तुम्हें शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हो मुझे पता भी है कि आज क्या है अपनी शादी की सालगिरह है कितनी उम्मीद लगाकर में आज तुम्हारा इंतजार कर रहे थे कि आज तुम सुधर गए होगे,,,, लेकिन तुम कभी को सुधारने वाले नहीं हो शराब छोड़ने वाले नहीं हो,,,,
हां मुझ से शराब छूटने वाली नहीं है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे झुक कर अपनी बीवी की चुचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, रमेश एकदम उत्तेजित हो गया था और वह जोर-जोर से अपनी बीवी की चूची को पी रहा था लेकिन इसमें आराधना को जरा भी आनंद की अनुभूति नहीं हो रही थी उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति उसके जज्बातों को कभी नहीं समझ पाएगा,,,,)
तुम्हें सिर्फ मेरे बदन से प्यार है मुझसे नहीं,,,
अब बकवास मत कर मुझे अपना काम करने दे,,,
(और इतना कहते हुए वह साड़ी को बिना उतारे साड़ी को पकड़कर ऊपर की तरफ करने लगा और अगले ही पल अपनी बीवी की साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी लाल रंग की पैंटी को अपने दोनों हाथों से खींचने लगा,,,,आराधना की भारी-भरकम गांड के नीचे उसकी लाल रंग की पैंटी दबी हुई थी जो कि निकल नहीं रही थी यार अब मैं जानती थी क्या करने के लिए कि नहीं तो वह खींचकर उसकी नई पेंटी को जो कि वह 2 महीने पहले ही अपने पैसे बचा कर इसी दिन के लिए खरीद कर रखी थी वह नहीं चाहती थी कि वह फट जाए,,, इसलिए मन ना होने के बावजूद भी वह अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ उठा कर पेंटी निकलवाने में मदद करने लगी,,,,, अपनी बीवी को इस तरह से अपनी गांड उपर उठाते हुए देखकर रमेश हंसते हुए बोली,,,।)
Ramesh apni bibi k sath kuch is tarah se
हाय मेरी रानी तेरा भी बहुत मन कर रहा है ना सिर्फ नखरा कर रही है,,,
(जवाब नहीं आ रहा देना नहीं कुछ नहीं कहीं वह बस दूसरी तरफ मुंह करके सब कुछ सहती रही,,,, रमेश अपनी बीवी की चिकनी चूत देखकर पूरी तरह से बावला हो गया एक तो शराब का नशा उस पर से अपनी बीवी की मदमस्त जवानी का नशा उस पर दोगुना असर करने लगा और वह अकेले ही पर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,,आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर उसका पति एक सही इंसान होता तो शायद इस पल का वह भी भरपूर मजा लेती लेकिन उस के नसीब में शायद यह सब बिल्कुल भी नहीं था,,,, रमेश आराधना की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने खड़े लंड को एक बार में ही उसकी चूत में डाल दिया जो कि उत्तेजना रहित सूखी हुई थी उसमें गीलापन बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि आराधना को बिल्कुल भी आनंद नहीं आ रहा था इसलिए वह दर्द से बिलबिला उठी लेकिन उसके पति कोउसके दर्द की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी लेकिन बगल वाले कमरे में सो रहे संजू की आंख खुल गई और वह जवान हो रहा लड़का था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है,,
Ramesh apni bibi aaradhna k sath
ascendium
, अच्छी तरह से जानता था कि उसका बाप उसकी मां पर अत्याचार करता है उसकी इज्जत नहीं करता उसे खुशियां नहीं देता और बस इस तरह से अपनी मनमानी करता रहता है,,,, रमेश आराधना को चोदना शुरू कर दिया था,,, आखिरकार वह भी एक औरत की लंड के अंदर बाहर होते ही उसकी चूत से पानी निकलना शुरू हो गया था उसे भी आनंद आने लगा था लेकिन जब तक कि वह गर्म होती है उससे पहले ही रमेश हांफने लगा,,,, वह झड़ चुका था अपनी बीवी को भी ना संतुष्ट कि वे खुद संतुष्ट होकर उसके ऊपर से उठकर बगल में पसर गया था खाने की शुध उसे बिल्कुल भी नहीं थी,,,,
Ramesh aaradhna ki chudai karta hua
थोड़ी देर बाद अपने आंसुओं को पोछते हुएआराधना उठी और अपने कपड़ों को तरसे करके उसे भी खाने के लिए उठाने लगे लेकिन वह शराब के नशे में चूर होकर सो चुका था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी इस तरह से नरक हो जाएगी सुबह परोसी हुई थाली को एक तरफ रख कर वह भी बिस्तर पर लेट गई और कब उसकी आंख लग गई उसे पता भी नहीं चला,,,,,। संजु को इस बात का मलाल था कि,,, इतना बड़ा होने के बावजूद भी वह अपनी मां के लिए कुछ कर नहीं पा रहा है,,,,
आखिरकार वह भी काफी देर तक सोचते-सोचते नींद की आगोश में चला गया,,,।
Superb updateसुबह जब आराधना की नींद खुली तो,, देखी की उसका पति बिस्तर पर नहीं था,,,,वह धीरे से उठी,,, कलाइयों में चूड़ियों की खनक से कमरा गूंजने लगा था एक समय था जब आराधना को अपनी इन्हीं चूड़ियों की खनक मन मोहिनी लगती थी,,,,,, जब उसकी नई नई शादी हुई थी तो,,, वह बड़े शौक से हाथों में ढेर सारी रंगीन चूड़ियां पहना करती थी उसकी खनक उसे बहुत अच्छी लगती थी और उसके पति को भी चुड़ीयों की आवाज मदहोश कर देती थी,,,,,अपनी कलाई में ढेर सारी चूड़ियां पहनना उसे पसंद तो था उससे ज्यादा वह अपने पति को रिझाने के लिए चूड़ियां पहना करती थी क्योंकि शुरुआती दौर पर उसका पति उसे बेहद प्यार करता था,,,, और आराधना थी भी बला की खूबसूरत,,,, उसकी सहेलियां भी उसकी खूबसूरती से ईर्ष्या करती थी,,, एकदम गोरा रंग गोल गोल मुखड़ा तीखे नैन नक्श लाल-लाल होठों की लिपस्टिक ना लगाने के बावजूद भी एकदम लाल रहते हैं जिन्हें देखकर ही मर्दों का मन उसे अपने होठों में भरकर पीने को करता था,,,,, बदन की बनावट ऐसा लगता था कि जैसे भगवान ने खुद अपने हाथों से तराशा हो जैसे किसी मूर्तिकार की कारीगरी का उत्तम नमूना छात्रों की शोभा बढ़ा रही दोनों चूचियां नारंगी के आकार के होने के बावजूद भी बेहद आकर्षक और ऊपर से कठोर लगते थे,,,, पतली कमर हिरनी की तरह मदहोश कर देती थी कमर के नीचे वाला भाग हल्का सा उधार लिए हुए नितंबों की शक्ल में गढा हुआ था जिसे देखकर ही मर्दों की आह निकल जाती थी वैसे तो आराधना संपूर्ण रूप से आकर्षक थी,,, उसे चाहे जिधर से भी देखो वह भगवान की कारीगरी का उत्तम नमूना ही लगती थी जिसे देखकर कभी मन नहीं भरता था लेकिन उसके संपूर्ण बताने में सबसे उत्तेजक केंद्र बिंदु उसके गोलाकार नितंब थे जिनका उभार देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,, चिकनी मांसल जांघें केले के तने के समान बेहद खूबसूरत नजर आते थे कसी हुई सलवार में उसके बदन का हर एक कटाव बड़ी बारीकी से आंखों में बस जाता था,,,,,,
एक तरह से आराधना के बदन का संपूर्ण वजूद मुंह में पानी ला देने वाला था,,,, कॉलेज के समय में बहुत से लड़के उसके पीछे पड़े हुए थे उससे बात करने को तरसते थे उससे दोस्ती करने को मैं चलते रहते थे उसके साथ साल भी सुख भोगने का सपना देखा करते थे और कई लोग तो रोज कॉलेज आने से पहले बाथरूम में उसे याद करके मुठ्ठ भी मारा करते थे,,, लेकिन आराधना थी कि किसी को भी भाव नहीं देती थी वह सिर्फ पढ़ाई में मन लगा दी थी ना कि इधर-उधर की बातों में उसकी सहेलियां भी उससे यही कहा करती थी कि तू कैसी लड़की है इतने सारे लड़के तुझे भाव देते हैं लेकिन तू किसी के भी हाथ नहीं आती अगर हमारे पीछे यह लोग पढ़े होते तो हम कब से इन्हें अपने पर्स में रखकर घुमा दी होती,,, जवाब में बस वो मुस्कुरा देती थी उसकी मुस्कुराहट बेहद खूबसूरत थी,,,,।
जैसे सभी लड़कियों का सपना होता है शादी को लेकर उसी तरह का सपना वह भी देखा करती थी वह भी अपने मन में यही सोचा करती थी कि उसके सपनों का राजकुमार एक दिन आएगा और उसे शादी करके अपने साथ में जाएगा उसकी जिंदगी और खूबसूरत हो जाएगी जहां पर वह खुशी से अपना जीवन गुजारेगी और शुरू शुरू में ऐसा हुआ भी रमेश को उसके मम्मी पापा ने पसंद किया था और अपने मम्मी पापा की पसंद पर वह मुहर लगा चुकी थी,,, रमेश ठीक-ठाक ही था उसके साथ वह शुरू के कुछ वर्षों तक बेहद खुशी से अपना जीवन गुजारने लगी,,, रमेश एक बैंक में काम करता था,,, इसलिए दोनों का गुजारा बड़े अच्छे से हो रहा था रमेश अपनी बीवी हर अदा से बहुत प्यार करता था उसकी हर एक इच्छा पूरी करता था उसे घुमाने ले जाता था सप्ताह में एक बार सिनेमा में पिक्चर दिखाने के लिए जाता था सब कुछ आराधना के सोचने के अनुसार हो रहा था जिसको भी वह अपने पति में जाती थी वह सारी खूबियां रमेश में थी लेकिन धीरे-धीरे दिन बदलने लगा संजू और मोहिनी के जन्म के बाद रमेश का रवैया आराधना के प्रति बदलने लगा,,,दोस्तों की संगत में वह शराब पीना शुरू कर दिया था पहले तो शौक के लिए पीता था लेकिन अब उस की लत बन चुकी थी जो कि उसकी जिंदगी को ओर दुभर बनाई जा रही थी जिसके बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकता था,,,,। आराधना उसे लाख समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना शराब की उसे बुरी लत लग चुकी थी और शराब के नशे में वह अपनी बीवी से बदतमीजी भी करता था उसे मारता भी था,,,,,,आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी की अच्छी खासी चल रही जिंदगी में इस तरह का बदलाव आएगा,,, जिसका जिम्मेदार केवल रमेश ही था,,,।
नींद से उठ कर बिस्तर पर बैठकर आराधना यही सब अपनी पिछले दिनों के बारे में सोच रही थी पिछले दिनों से और आपकी जिंदगी में पूरी तरह से बदलाव आ चुका था अब उसकी जिंदगी में केवल दुख ही दुख था और एक बड़ी जिम्मेदारी थी अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए,,, क्योंकि रमेश अपने बच्चों के प्रति भी बेजवाबदार होता जा रहा था,,,,,, अपनी किस्मत को कोसते हुए वह अपने ऊपर एक नजर डाली और मन मसोस कर रह गई क्योंकि वह रात को एक दुल्हन की तरह तैयार हुई थी उसे लगा था कि उसका पति आज के दिन जरूर सुधर जाएगा और अपनी सालगिरह पर खुशी खुशी इस अवसर पर एक पति की तरह पेश आएगा और उसके साथ सुहागरात मनाएगा ,,,, सुहागरात मनाया लेकिन सिर्फ अपने लिए अपनी खुशी के लिए अपनी गर्मी शांत करने के लिए अपनी बीवी की खुशियों का उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी 9:00 बजे से लेकर के 12:00 बजे तक उसका इंतजार करती रह गई खाना परोस कर खुद नहीं खाई वह सोची थी कि अपने पति के साथ ही खाएगी लेकिन उसके पति को उसकी चिंता कहां थी शादी के सालगिरह पर वह उसे बधाई भी नहीं दिया और ना उसे खाना खिला कर खुद खाया बस आया और साड़ी उठाकर चोदना शुरू कर दिया उस पर भी गंदा इल्जाम लगाने लगा कि किसी दूसरे से चुदवाने के लिए तैयार हुई है,,,,। आराधना मजबूर हो चुकी थी,,, वह बिस्तर पर से उठी और घड़ी में देखी सुबह के 5:00 बज रहे थे इसलिए वह सीधा नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई,,, बाथरूम भी छोटा था लेकिन व्यवस्था के लिए ठीक ही था,,,।
बाथरूम में जोकि टॉयलेट और बाथरूम एक नहीं बना हुआ था इसलिए पहले सोच लिया करने के बाद वह धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगी जिस कपड़े को होगा पहनकर एकदम दुल्हन की तरह सजी थी उसे उतारते समय उसे दुख भी हो रहा था और अपनी किस्मत पर उसे रोना भी आ रहा था अपने मन में यही सोच रही थी कि रमेश की जगह अगर कोई और होता तो शायद उसे दुल्हन के रूप में देखकर अपनी सारी गंदी आदतों को छोड़ देता लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था वह धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगी साड़ी को उतारकर वही नीचे रख दी बाथरूम में एक छोटा सा आने लगा था जिसमें उसके जांघों तक का अक्स नजर आता था,,,, वह अपने आपको आईने में निहार रही थी,,,,और अपनी खूबसूरत चेहरे को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी खूबसूरती में ऐसी कौन सी कमी आ गई थी उसका पति उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता और शराब को उसकी सौतन बना दिया है,,,
मर्दों को अपने वश में करने वाली मदहोश कर देने वाली जवानी उसके पास से खूबसूरत अंग था फिर भी वह विवस थी कि उसका पति उसकी तरफ बिल्कुल भी आकर्षित नहीं हो रहा था,,,, ब्लाउज में कैद अपने पंख फड़फड़ा ते हुए कबूतरों को देखकर वह सोचने लगी की इतनी खूबसूरत चूची होने के बावजूद भी इसी पीने की जगह,,,मेरी जवानी का नशा करने की जगह वह शराब का नशा कर रहा है,,, यह सोचते हुए वह धीरे-धीरे अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,, आराधना की चूचियां एकदम गोलघर थोड़ी बड़ी बड़ी थी अब ब्लाउज का आकार चुचियों के माप से थोड़ा छोटा था,,, जिसकी वजह से ब्लाउज के सारे बटन करते हैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए व्याकुल हो जाती थी ऐसा लगता था कि छोटे से ब्लाउज में उसकी चुचियों का दम घुट रहा हो,,, इसी वजह से चूचियों के बीच की पतली गहरी लकीर ज्यादा लंबी नजर आती थी,,,,,,,देखते ही देखते आराधना अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और उसे धीरे से अपनी बाहों में से अलग कर के नीचे गिरा दी उसके बदन पर लाल रंग की ब्रा बेहद खूबसूरत लग रही थी और कबूतरों को कैद करने का यह पिंजरा भी कबूतरों के साइज के हिसाब से छोटा ही था,,,, इसलिए ब्रा रुपी पिंजरे में कैद होने के बादआराधना की चूचियां और ज्यादा आकर्षक लगती थी जिसे देखकर ही मर्दों के मुंह में पानी आ जाता था और उसे दबोचने के लिए हमेशा लालायित रहते थे,,,। गोरे रंग पर लाल रंग की ब्रा आराधना की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा दे रहे थे,,,
अपनी मदमस्त कर देने वाली चुचियों को ब्रा में कैद देखकर लंबी आह भरते हुए आराधना अरे दोनों हाथों को अपने पेटीकोट की डोरी पर रखकर अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा देकर उसे खोलने लगी,,,,। जितने चाव और उम्मीद लगाकर आराधना रात को इन कपड़ों को पहन रही थी उतनी ही मायूस और उदास होकर उन्हें उतार रही थी,,, देखते ही देखते आराधना अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा लेकर थोड़ी सी हरकत करके पेटिकोट की डोरी को खींच दी और अगले ही पर कमर पर नितंबों पर कस के बांधी हुई पेटिकोट ढीली हो गई,,,। जिसे वह रात को बड़े अरमानों से अपने नितंबों पर कसकर बांधी थी ताकि उसकी गांड को ज्यादा बड़ी लगने लगे और उसका पति उत्तेजित होकर उसकी गांड की गहराई में खो जाएं,,,, लेकिन सारे अरमान धरी की धरी रह गए,,,,,,,
पेटिकोट की डोरी को खोलने के बाद में उसी तरह से उसे छोड़ दी और अगले ही पल उसकी पेटीकोट कमर से जुदा होकर नीचे उसके कदमों में जा गिरा,,,,जो पेटीकोट उसके नंगे पन को उठा कर रहे थे वही पेटीकोट उससे अलग होकर उसे नंगी करने में लग गए,,,, आराधना बाथरूम के अंदर संपूर्ण व्यवस्था में नहीं लेकिन अर्धनग्न अवस्था में हो चुकी थी केवल उसके बदन पर लाल रंग की पैंटी और लाल रंग की ब्रा ही थी जिसे वह लाल जोड़े की तरह अपनी शादी की सालगिरह पर पहनी थी ब्रा और पेंटी दोनों नए थे,,,
पर नजर पड़ते ही उसे रात वाली घटना याद आने लगी जब उसका पति जबरदस्ती करते हुए उसकी पेंटी को खींचकर निकालने की कोशिश कर रहा था जिसे वह पैसे बचाकर इसी दिन के लिए खरीद कर रखी थी और वह नहीं चाहती थी कि उसका पति अपनी मनमानी करने के चक्कर में उसकी पैंटी को नुकसान पहुंचाए,,, लाल रंग की ब्रा और पैंटी में,, अर्धनग्न अवस्था में भी वह परी लग रही थी,,,, खूबसूरती के मामले में आराधना दो कदम आगे थी,,,।
आईने में लाल रंग की ब्रा और पैंटी में सजे अपने बदन को देख कर दुखी होने के बावजूद भी आराधना को अपने बदन पर गर्व होता था दो-दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी,, उसके शरीर में जरा भी बदलाव नहीं आया था बल्कि उसका बदन और भी ज्यादा खूबसूरत हो गया था छोटी-छोटी नौरंगिया जैसी चूची खरबूजे जैसी हो गई थी,,, गांड के उभार में और आकार में मदहोशी भरा बदलाव आ गया था,,,, जिसे देखकर हर कोई गर्म आहह भरता था,,,।
आईने में अपने आप को देखते हुए आराधना अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी,,, और अगले ही पल ब्रा का हुक खुलते ही खरबूजे जैसी चुचियों पर कसी हुई कटोरी ढीली हो गई और आराधना उसे अपनी बाहों में से अलग करते हुए उसे नीचे नहीं दिलाई बल्कि उसे हैंगर में टांग दी,,, रात को लगाए हुए परफ्यूम की खुशबू अभी भी ब्रा में से आ रही थी,,,अपनी मदमस्त कर देने वाले चूचियों को देखकर खुद उसके मुंह में पानी आ गया था जिसे वह नीचे से अपने दोनों अकेले में भरकर अपनी हथेली को ऊपर की तरफ लाकर हल्का सा उत्तेजना भरा मसाज करते हुए अपनी दोनों चूची की निप्पलो को एक साथ अपनी उंगली और अंगूठे के बीच रखकर हल्का सा दबाते हुए आहहह भर गई,,,,। एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन में फैलने लगा जो कि यह एहसास वह अपने पति द्वारा प्राप्त करना चाहती थी रात को बड़े अरमान थे उसके उसका पति उससे प्यार करें उसके बदन से खेले उसकी दोनों चूचियों को मुंह में भर कर पिए,,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,उसका पति रात को उससे प्यार तो किया था लेकिन केवल अपनी गर्मी शांत करने के लिए,,,,।
Aradhna cream lagakar apni chut saaf ki thi
अफसोस भरी आह भरकर आराधना अपनी लाल रंग की पैंटी को अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों में फंसा कर उसे नीचे की तरफ खींचने ही वाली थी कि,,, उसे अपनी बुर वाली जगह अच्छी खासी फूली हुई दिखाई दी,,,, जिस पर अभी भी चिपचिपाहट महसूस हो रहा था,,,, जो कि रात को उसके पति की गर्मी का रस था,,,, आराधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी चुत की दोनों मोटी मोटी फांक पैंटी के ऊपर उपसी हुई है अगर इस हालात में, कोई उसे देख ले तो उसकी चुत में लंड डाले बिना नहीं रह पाए,,,,
Aradhna ki chikni chut
गरम आहह भरते हुए आराधना अपनी पेंटिं को धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, और जैसे ही वह पेंटी को घुटने तक लाइ उसे उसी स्थिति में छोड़कर,,, वह अपनी चिकनी चूत को देखने लगी जिसे वह क्रीम लगाकर साफ की थी,,, दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूत एक पतली दरार की शक्ल में अभी भी बरकरार थी केवल हल्की सी गुलाबी पत्ती बाहर की तरफ झांक रही थी और हल्की सी मदन रस की बूंद मोती के दाने की तरह उसके ऊपरी मुहाने पर चमक रही थी,,,,,,आराधना अपनी हथेली उसपर रखकर उसे हल्के से सहला कर मानो कि जैसे उसे दुलार कर रही हो,,,,, हथेली की हल्की रगड़ से हीबहुत तेज होने लगी लेकिन अपनी उत्तेजना को अपने अंदर दबाकर वह तुरंत अपनी हथेली को वहां से हटा ली,,,,,
घुटनों में फंसी अपनी लाल रंग की पैंटी को बाहर निकाल कर वह हेंगर पर टांग दी,,, बाथरूम के अंदर का पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,, आईने में अपने नंगे पन को देखकर उसे अपने बदन पर गर्व होता हुआ महसूस हो रहा था,,,। सबसे ज्यादा आकर्षक उसे अपनी चिकनी चूत लग रही थी चिकनी चूत को देख कर उसे ख्याल आया कि कल वह क्रीम यहीं पर भूल गई थी वह नहीं चाहती थी कि वह क्रीम उसकी बेटि यां उसके बेटे के हाथ लगे,,, क्योंकि वह नहीं जानती थी कि उसकी बेटी अभी क्रीम का उपयोग करती है या नहीं,,,, लेकिन वह अपने बच्चों को यह नहीं जताना चाहते थे कि उसकी मां क्रीम लगाकर अपनी चूत को चिकनी करती है,,,, इसलिए वह उस क्रीम को वहां से हटा देना चाहती थी लेकिन अभी नहाना बाकी था इसलिए नहाने लगी,,,, थोड़ी देर में ही वह नहा कर अपने बदन पर टावल लपेट लीऔर बाथरूम से निकलते समय उस क्रीम को साथ में ले ली और उसे लेकर अपने कमरे में आ गई जिसे वह अलमारी में कपड़ों के नीचे छिपा दी,,,, और अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गई,,,।
Taiyar hone k baad aradhna
दीवार में टांगने घड़ी में 5:30 का समय हो रहा था स्कूल जाने के लिए संजू और मोरनी को जगाना जरूरी था इसलिए वहदोनों के कमरे तक पहुंच कर बाहर से ही दोनों को आवाज लगाकर जगा दीऔर नाश्ता बनाने लगी थोड़ी ही देर में उसके दोनों बच्चे भी नहा कर तैयार हो गए थे और स्कूल जाने के लिए रेडी थे,,,, रमेश भी बाहर कर वापस आ चुका था और नहा कर तैयार हो गया था वह आराधना से नज़रें नहीं मिला पा रहा था और ना ही आराधना ही कुछ कहना चाहती थी वह खामोश होकर अपने बच्चों को और रमेश को नाश्ता दीदी और तीनों नाश्ता करके अपने-अपने राह पर चले गए,,,,।