आराधना ऑफिस में इंटरव्यू देने के लिए घर से निकल गई थी लेकिन रास्ते भर वह रसोई घर वाले बात के बारे में सोचने लगी,,, लाख समझाने के बावजूद भी उसका बेटा उसकी तरफ आकर्षित होने से बाज नहीं आ रहा था,,,, बार-बार उसका यह कहना की ऐसे घर से बाहर मत निकल जाना वरना पूरा मोहल्ला तुम्हारे पीछे-पीछे आएगा यही बात संजू की बार-बार आराधना को याद आ रही थी,,,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा बेझिझक उससे इस तरह की बातें करने लगा था,,, जिस तरह से एक प्रेमी या पति ही बातें करते हैं ,,बेटा नहीं,,,, आराधना परेशान थी कि उसका बेटा आखिर उसे समझ कर क्या रखा है,,,, उसे अपनी मर्यादा में रहना चाहिए बेटा है बेटे की तरह रहना चाहिए पति या प्रेमी बनने की कोशिश नहीं करना चाहिए,,,लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसकी हरकत बेटी लाइफ बिल्कुल भी नहीं थी वह अपने आप को जबरदस्ती उसका प्रेमी या पति साबित करने पर तुला था या सिर्फ आकर्षण भर था जो कि जवानी के इस दौर में अक्सर लड़कों के साथ होता ही रहता है,,,,। आराधना रास्ते पर यही सोचती जा रही थी कि उसका बेटा उसकी जवानी की हर एक कोने को अपनी आंखों से अच्छी तरह से देख कर ना जाने अपने मन में कैसे-कैसे ख्यालात लाता होगा,,, गीले ब्लाउज में सेउसकी नंगी चूचियां दम साफ नजर आ रही थी साथ ही उसकी चॉकलेटी रंग की निप्पल भी यह सब देख कर उसके बेटे पर क्या गुजर रही होगी,,, उसकी तो हालत खराब हो गई थी आराधना अपने मन में यह सोचते कि अपने आप से ही बोल रही थी कि कैसे उसका लंड खड़ा हो गया था जिसे वह चोर नजरों से देख ली थी,,,,आराधना को अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था कि जल्दबाजी में उसने आज ब्रा नहीं पहनी थी फिर अपने मन में सोचने लगी अगर ब्रा पहन भी लेती तो क्या हो जाता,,,उसका बेटा तो हर हाल में उसे प्यासी नजरों से देख कर मजा ही लेने वाला था,,,
इस हालत में आराधना घर से बाहर नहीं निकल सकती थी इसीलिए वहां जाकर अपना ब्लाउज बदलने लगी लेकिन आज शायद उसकी किस्मत ही खराब थी जो उसे डोरी वाली ब्लाउज मिली और वह ठीक से थोड़ी बात भी नहीं पाई जिसे खुद उसका बेटा उसकी मदद करने के लिए बिना बोले ही उसके ब्लाउज की डोरी खोलने लगा था एक पल को तो ऐसे लगा था कि जैसे उसका बेटा अपने हाथों से उसकी ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे नंगी कर रहा है इस बात के एहसास से आराधना की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल सी होने लगी थी,,, उसमें से उसे कामरस बहता हुआ महसूस होने लगा था,,,,आराधना को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका बेटा पहली बार किसी औरत के ब्लाउज की डोरी से बांध रहा है क्योंकि वह एकदम अच्छी तरह से और एकदम सटीक रूप से डोरी को बांधा था और इस टाइप की पट्टी टेढ़ी होने के कारण बाहर को निकल जा रही थी जिसे खुद अपनी उंगली से सही करके वह ब्रा की स्टे्प को ठीक किया था,,,,आराधना अपने मन में सोचने लगी कि उसकी नंगी चिकनी गोरी पीठ पर अपनी उंगलियां फिराकर जरूर उसका बेटा मस्त हो गया होगा,,,,उसकी मतलब जवानी देख कर उसके बेटे का लैंड खड़ा हो गया होगा इस बात को अच्छी तरह से समझ गई थी तभी तो अपनी बहन पर उसके लंड की ठोकर को अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी,,,,।
आराधना रास्ते पर यही सोचती रह गई कि वह अपने बेटे को कैसे रोके लेकिन एक तरफ उसका मन अपनी बेटी को रोकने को भी कर रहा था लेकिन दूसरी तरफ उसकी हरकत का मजा भी ले रही थी और अपने तन बदन में अजीब सी हलचल को उठता देख कर वह उम्र के इस दौर पर भी अपनी मदमस्त कर देने वाली जवानी पर गर्व महसूस कर रही थी,,,।
अपने बेटे के बारे में सोचते हुए पैदल चलते हुए भी कब ऑफिस आ गया उसे इस बात का पता भी नहीं चला वह ऑफिस पहुंच चुकी थी,,,,जो के लिए पहले ही उसकी बड़ी बहन ने अपने पति से कहकर इस ऑफिस में आराधना के लिए जगह फिक्स करा दी थी बस इंटरव्यू देने की औपचारिकता ही बाकी थी,,,,,,,,
आराधना ऑफिस पहुंचकर ऑफिस के मालिक के कमरे में गई,,,, कुर्सी पर बैठा ऑफिस का मालिक आराधना की खूबसूरती को देखता ही रह गया,,,, आज तक उसकी ऑफिस में इतनी खूबसूरत औरत काम करने के लिए नहीं आई थी,,,,,, कंपनी के मालिक को आराधना से क्या पूछना चाहिए था यह सब वह एकदम से भूल गया बस उसकी खूबसूरती में खो गया,,,,वैसे भी आराधना आज थोड़ा बहुत मेकअप करके आई थी इसलिए उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी,,,, आराधना को कंप्यूटर चलाना आता था इसलिए कंपनी के मालिक ने उसे जल्द ही उसे ऑफिस में काम करने के लिए रख लिया,,,, तनख्वाह 12000 जोकि कंपनी के मालिक ने उसकी खूबसूरती को देखते हुए ही तय कर दिया था वरना सिर्फ 10000 ही तनख्वाह थी,,,, 12000 तनख्वाह सुनकर आराधना एकदम खुश हो गई उसके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी,,,,।
नौकरी फिक्स कर लेने के बाद कंपनी का मालिक किसी ना किसी बहाने से आराधना को छूना चाहता था इसलिए अपनी कुर्सी पर से खड़ा होकर आगे हाथ बढ़ाकर से कांग्रेस बधाई देने के लिए कांग्रेचुलेशन बोला,,,जवाब में आराधना भी खड़ी हो गई और तुरंत हाथ बढ़ाकर हाथ मिलाने लगी लेकिन हाथ मिलाते समय उसके कंधे पर से उसके साड़ी का पल्लू नीचे को गिर गया और उसकी भारी-भरकम गोल गोल छातियां एकदम से उजागर हो गई,,,डीप गले का ब्लाउज पहनने की वजह से उसकी आदत से चूचियां बाहर को नजर आने लगी और झुकी होने की वजह से चूचियों के बीच की आपस की रगड़ और बीच की पतली लकीर और भी ज्यादा कह रही हो गई यह देखकर कंपनी का मालिक एकदम मदहोश हो गया वह आंख पाढे आराधना की दोनों जमानियो को देखने लगा जोकि ब्लाउज में से छलक रहे थे,,,, अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू गिर जाने की वजह से और छातिया एकदम से उजागर होने की वजह से आराधना एकदम से असहज महसूस करने लगी और जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि कंपनी का मालिक उसकी चूचियों को प्यासी नजरों से घुर रहा है तो वह एकदम से सिहर उठी,,,,,,, अभी भी उसका कोमल हाथ कंपनी के मालिक के हाथ में था जिसे वह हल्के हल्के अपनी उंगली से सहला भी रहा था,,,,आराधना कम शर्म से पानी-पानी हुए जा रहे थे वही खान से अपनी साड़ी का पल्लू को वापस संभाल कर कंधे पर रखी और अपना हाथ छुड़ाने की गरज से बोली,,,।
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थैंक यू सर में कब से जॉइन कर सकती हूं,,,
कल से आराधना,,,, तुम्हें स्कूटी चलाने तो आती होगी,,,
हां,,,, चला लूंगी,,,
फैंटास्टिक,,,, तो कल ऑफिस आना और कंपनी की स्कूटी घर ले जाना और उसी से आना जाना तो क्या जल्दी से ऑफिस पहुंच सकती हो,,,
बहुत-बहुत शुक्रिया सर,,,,,(अभी भी वह आराधना की कोमल हाथ को अपने हाथ में लिए हुए उसकी मादकता और उसकी गरमी को अपने अंदर महसूस कर रहा था आराधना कीमत मस्त रूप जोगन उसकी मादक काया को देखकर पहले से ही कंपनी के मालिक के पेंट में हलचल सी मच ने लगी थी लेकिन जब उसकी आंखों के सामने आराधना के कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिरा और उसकी भारी-भरकम छातियां उसकी आंखों के सामने एकदम से आ गई तो कंपनी के मालिक का लंड एकदम से खड़ा हो गया,,,,,,, काफी देर से आराधना के हाथ को अपने हाथ में लिए हुए आनंद ले रहा था लेकिन आराधना असहज महसूस कर रही थी इसलिए अपने हाथ को पीछे खींचते हुए वह धीरे से बोली,,,)
सर मेरा हाथ,,,
ओहहहह सॉरी,,,, आराधना तुम कल से ऑफिस आ सकती हो,,,,
बहुत-बहुत शुक्रिया सर आप नहीं जानते इस नौकरी की मुझे कितनी जरूरत थी,,,
तुम्हें नौकरी की जरूरत थी आराधना और हमें तुम्हारे जैसी खूबसूरत एम्पलाई की,,,, जो हमारी कंपनी में मन लगाकर काम करें और कंपनी को आगे बढ़ने में मदद करें,,,
जी सर मैं अपनी पूरी मेहनत और कोशिश करूंगी कि कंपनी और आगे बढ़े,,, अब मैं इजाजत लेती हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही मेज पर रखी गई अपनी क्वालिफिकेशन की फाइल को वह हाथ में ले ली और नमस्ते करके जाने लगी,,,, कंपनी का मालिक कुर्सी पर बैठ के और आराधना को जाते हुए देखते रह गया उसकी नजरें आराधना की गोल-गोल कसी हुई गांड पर टिकी हुई थी जो की कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से आराधना की भारी-भरकम गांड और ज्यादा बाहर की तरफ नजर आ रही थी,,, ऑफिस से बाहर निकलते समय आराधना की मदमस्त गांड आपस में रगड़ खाते हुए ऊपर नीचे हो रही थी,,, जिसे देखकर कंपनी के मालिक का लंड ऊपर नीचे होने लगा था,,, साफ तौर पर कंपनी के मालिक का ईमान आराधना की खूबसूरती पर डोलने लगा था,,,,।
आराधना बहुत खुश थी ऑफिस से निकलने के बाद सबसे पहले वहां अपनी बड़ी बहन साधना को फोन करके जॉब के बारे में खबर देने लगी,,,साधना को भी बहुत खुशी हुई की आराधना की नौकरी करने से थोड़ी बहुत मुश्किले आसान हो जाएंगी,,,, घर लौटते समय वह रास्ते में से मिठाई खरीद ली थी सबका मुंह मीठा करने के लिए,,,,,,,घर पर पहुंचने के बाद सबसे पहले अपने कपड़े बदलने लगी घर पर समय कोई नहीं था इसलिए मुख्य दरवाजा बंद करके वह अपने कमरे में जाकर एक एक करके अपने बदन पर से साड़ी को उतारने लगी,,, और साड़ी को उतारते समय वह कंपनी के मालिक के बारे में सोच रही थी,,,,,, आराधना अपने मन में है उसकी उम्र की कल्पना करने लगी की 45 से कम नहीं होगा,,,,,,कंपनी के मालिक का नाम आराधना जानती नहीं थी लेकिन टेबल प्लेट पर लिखे नाम से वह समझ गई थी कि उसका नाम क्या है,,,, प्रभात सक्सेना,,,,।
धीरे-धीरे करके आराधना अपने बदन से साड़ी को उतारकर पलंग पर रख दी थी और इस समय आईने के सामने वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर उसे वापस याद आ गया जब कंपनी के मालिक ने उसके साड़ी के पल्लू को कंधे से नीचे गिरने वजह से उसकी भारी भरकम चुचियों को प्यासी नजरों से देख कर पागल हुआ जा रहा था,,,, आराधना उस समय एकदम से सिहर उठी थी,,,, अपने ब्लाउज के बटन खोलते समय आराधना अपने मन में सोचने लगी कि,,,क्या वाकई में अभी भी उसके बदन की बनावट इस काबिल है कि किसी भी मर्द को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है,,, आईने में देखने पर वह बहुत खूबसूरत लग रही थी तो अपने आप को देख कर और जिस तरह से उसका बेटा और आज कंपनी का माल है उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था यह देखकर तो उसे अपने आप पर गर्व के साथ साथ आत्म विश्वास भी आने लगा था वह समझ गई थी कि उसकी जवानी अभी भी बरकरार है उसके बदन का कसाव पूरी तरह से अभी भी उसके बदन की शोभा बढ़ा रही थी,, नहीं सब सोचते सोचते वह अपना दोनों हाथ पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी को खोलने लगी जो कि सुबह उसके बेटे ने बड़े कसके वादा था जिसकी वजह से उसकी चूचियों का आकार कुछ और ज्यादा बडा लगने लगा था,,,,,, वैसे तो वाकई में आराधना की चूचियां दशहरी आम की तरह थी लेकिन ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा था उसे संजू ने अपने हाथों से कसकर बांध दिया था इसलिए थोड़ा और ज्यादा उभरकर बाहर निकल गया था,,,, ब्लाउज को निकाल लेने के बाद वह अपनी ब्रा को भी निकाल कर अपनी नंगी चूचियों को आईने में देखने लगी चुचियों का कसाव अभी भी बरकरार था,,,,अपनी चूचियां देखकर आराधना से रहा नहीं गया और अपने दोनों हाथों को अपनी छातियों पर रखकर अपनी गोल गोल चूचियों को हथेली में लेकर हल्के हल्के दबाने लगी,,, अनायास ही उसके जेहन में चूचियों को दबा के समय संजू का ख्याल आ गया जो कि सुबह-सुबह है अपने लंड की ठोकर उसकी गांड पर महसूस कराया था,,,, गांड का ख्याल आते ही आराधना घूमकर आईने में अपनी गांड के उभार को देखने लगी,,, जो की कसी हुई पेटीकोट में बेहद आकर्षक लग रही थी,,,,,,, यही वह चीज थी जिसे देख देख कर उसका बेटा पागल हुआ जा रहा था यह सोचकर वह अपने मन में बोली मैं भी तो देखूं कि क्यों मेरे बेटे को मेरी गान्ड इतना दीवाना बना रही है,,,।
अपने मन में इतना कहते हुए वहां पेटीकोट की डोरी पूछो की साइड में बनी हुई थी उसे एक झटके से अपनी उंगली का सहारा देकर खींच ली और पेटीकोट अपने आप एकदम से ढीली हो गई,,, लेकिन फिर भी दिल्ली होने के बावजूद भी उसकी कमर के घेराव में फंसी हुई थी जिसे आराधना अपने हाथों से ढीला करके उसे कदमों में गिरने पर मजबूर कर दी,,,, अपने ही पल में उसकी पेटीकोट भरभरा कर उसके कदमों में गिर गई,,,, और वह आईने के सामने केवल पेंटी में खड़ी थी,,,, लाल रंग की पैंटी में उसकी गोरी गोरी गांड बेहद आकर्षक लग रही थी,,,जिसे देखकर खुद उसकी हालत खराब हो रही थी वह अपने मन में सोचना चाहिए कि जब अपनी गांड को देख कर वह अपने कान की तरफ आकर्षित हुए जा रही है तो उसके बेटे की क्या हालत होती होगी,,,, अपने मन में इतना सोच कर वह वापस अपने आप से ही बात करते हुए बोली,,,, देखो तो सही बिना पैंटी के कैसे नजर आती है,,, और इतना कहने के साथ ही अपनी उंगलियों का सहारा देकर अपनी पेंटिंग को अपने बदन से उतारने लगी,,, देखते ही देखते वहां अपनी पैंटी को उतार कर कमरे के अंदर आदम कद आईने के सामने एकदम नंगी हो गई,,,, वह आईने की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी मदमस्त कर देने वाली गांड की बनावट को देखने लगी दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी गांड अभी भी एकदम कसी हुई थी,,, जिस पर चर्बी का थर नहीं जमा था,,,,,, आईने में आराधना की कसी हुई गांड बेहद आकर्षक लग रही थी जिसकी खुद आराधना ही कायल होती जा रही थी,,,अपने मन में सोचने लगी कि जब उसका यह हाल है तो उसके बेटे का क्या हाल होता होगा वह तो उसे पूरी तरह से नंगी भी देख चुका है इसीलिए वह दिन रातउसके साथ कुछ ना कुछ करने की सोचता रहता है यह ख्याल मन में आते ही अनायास ही आराधना के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, वह अब सीधी खड़ी हो गईअवनी की तरफ मुंह करके अपनी मदमस्त कर देने वाली दोनों चूचियों को देखते हुए इसके नीचे धीरे-धीरे नीचे की तरफ जा रहा था इतना सपाट पेट के बीच में उसकी शोभा बढ़ा रही गहरी नाभि किसी छोटी सी चूत से कम नहीं लग रही थी,,, आराधना अपनी दोनों हथेलियों को अपने चिकने पेट पर रखकर सहला रही थी,,,,,और जैसे ही नाभि के नीचे उसकी नजर गई तो वह अपनी चूत की बनावट को देखकर दंग दंग रह गई काफी समय बाद वह अपनी चूत की तरफ ईस तरह से गौर से देख रही थी,,, हल्के हल्के बालों का झुरमुट सा उग आया था,,,,,काफी दिन हो गए थे आराधना अपनी चूत को क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी आखिर किसके लिए साफ करती ,,, अशोक उसके में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं देता था जब कभी भी मन करता था तो सिर्फ अपनी प्यास बुझा लेता था,,, इसलिए आराधना भी उसके साथ सफाई करना छोड़ दी थी फिर भी थी तो उसकी ही चैट वह रेशमी बालों के झुरमुट में अपनी उंगली घुमाते हुए अपनी चूत के गुलाबी पत्तियों को हल्के हल्के सहलाने लगी और उसे सहलाने की वजह से अनायास उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,,,उसकी सांसे गहरी होने लगी उसे वह पल याद आने लगा जब सुबह में उसका बेटा अपने हाथों से इसकी ब्लाउज की डोरी को बांधा था और अपने लंड की ठोकर को उसकी गांड पर महसुस कराया था,,,। अपनी कसी हुई गांड पर अपने बेटे के लंड की ठोकर को याद करके पलभर में ही आराधना के तन बदन में आग लगने लगी क्योंकि वह अपने बेटे को याद करके उसके लंड की ठोकर को याद करके अपनी चुच को भी सहला रही थी,,, सांसों में वासना की गर्मी भरने लगी छातियों में अजीब सा कसाव आने लगा सूचियों की रंगत बदलने लगी और देखते ही देखते आराधना अपने बेटे को याद करके अनायास ही अपनी चूत में अपनी बीच वाली उंगली प्रवेश कराने लगी ऐसा करने से उसके तन बदन में अद्भुत सुख अनुभूति हो रही थी जिसमें वह पूरी तरह से खोने लगी थी,,,
Aradhna kalpna me
, यह मादकता भरा पल उसे बेहद कमजोर करने लगा था,,,,अपनी आंखों को बंद करके ना जाने क्यों अपने बेटे की कल्पना करने से क्या अपनी चूत में उंगली करते हुए वैसा महसूस कर रही थी कि उसका बेटा अपने हाथों से उसकी टांगों को खोल रहा है उसकी नंगी चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबा रहा है,,, इस तरह की कल्पना उसके तन बदन में और ज्यादा जोश भर दे रहा था उसकी सांसों की गति तेज होने लगी थी चूत में उंगली करने की वजह से उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज निकलने लगी थी,,,, बड़ी तेजी से कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ रहा था कल्पना में संजय उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने मोटे तगड़े लंड का सुपाड़ा को उसकी गुलाबी चूत पर रख कर उसे हल्के हल्के रगड़ रहा
Aradhna
था,,,कल्पना का एहसास आराधना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को और ज्यादा भड़का रहा था और इसीलिए कल्पना में आराधना अपने हाथ से अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसे अपनी चूत पर रख कर,, सुपाड़े का दबाव अपनी चूत के गुलाबी छेंद पर बढाने लगी उत्तेजना के मारे चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी इसलिए पनियाऊ चूत पर सुपाड़े का दबाव तुरंत अंदर प्रवेश करने पर मजबूर कर दिया और देखते ही देखते अपने हाथ का सहारा लेकर आराधना अपने ही बेटे के लंड को अपनी चूत में डालने लगी,,,,संजू पूरी तरह सहमत हुआ जा रहा था आराधना की कल्पना में संजू सपनों का राजकुमार बन चुका था जो कि अपनी ही मां की कमर पकड़कर हल्के हल्के अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,आराधना को कल्पना में भी चुराई का अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था वह गहरी गहरी सांस लेते हुए सिसकारी की आवाज छोड़ने लगी थी क्योंकि इस समय कमरे में सुनने वाला उसके सिवा और कोई नहीं था बड़ी तेजी से उसकी उंगली चूत के अंदर बाहर हो रही थी और कल्पना में उसके बेटे का लंड अपना पूरा असर दिखा रहा था,,, नतीजन अगले ही पल पल की आह के साथ आराधना झड़ने लगी,,,,अपने बेटे को याद करके वह पहली बार इस तरह की हिम्मत कर रही थी और अपनी इस हरकत पर पूरी तरह से संतुष्टि का अहसास भी उसके तन बदन में हिचकोले खा रहा था,,,,वह अपनी आंखों को खोल कर अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो काम रस नीचे जमीन पर टपक रहा था वह आईने में अपनी शक्ल देखकर शरमा गई,,, और तुरंत उसी हाल में कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम में घुस गई और नहाने लगी,,,।