Ajju Landwalia
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आराधना की तबीयत नरम की इसलिए वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर पहुंच चुकी थी,,,संजू घर पर लौटा तो घर के बाहर स्कूटी खड़ी देख कर उसे लगा कि आज उसकी मां जल्दी आ गई होगी इसलिए दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर प्रवेश किया तो देखा कि,,, कमरे के बाहर ही दरवाजे पर उसकी मां बैठी हुई थी उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए संजू बोला,,।
क्या हुआ मम्मी आज ऑफिस से जल्दी आ गई,,,
हां बेटा आज थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो जल्दी घर पर आ गई,,,।
(तबीयत खराब होने की सुनते ही संजु एकदम चिंतित हो गयातुरंत अपना बैग रखकर अपनी मां के पास आ गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखने लगा कि क्या हुआ है,,, माथे पर हाथ रखते ही उसे गर्माहट का अहसास हुआ तो वह चिंतित भरे स्वर में बोला,,)
तुम्हें तो बुखार है,,,,
हां थोड़ा बुखार आ गया है लेकिन मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,,
चलो मैं तुम्हें दवाखाने ले चलता हूं,,,,
शाम होने दे तब चलेंगे अभी मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,
रुको मैं तुम्हारा सर दबा देता हूं,,, बाम लगाकर,,,, बम कहां पर है,,,
वही अंदर अलमारी के ड्रोवर में होगा,,,
एक काम करो मम्मी तुम अंदर कमरे में चलो मैं बाम लगाकर मालिश कर देता हूं आराम हो जाएगा,,,
(अपने बेटे को इतना चिंता करते हुए देखकर आराधना को बहुत खुशी हो रही थी कि चलो कोई तो है उसकी सुनने वाला उसकी फिक्र करने वाला जब से आराधना जॉब करने लगी थी तब से अशोक घर पर बहुत कम आने लगा था और इस बात की चिंता आराधना को अब बिल्कुल नहीं थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह कभी नहीं सुधरने वाला,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई संजू भी अपनी मां के कमरे में गया और अलमारी खोलकर ड्रोवर में से बाम निकाल लिया,,,,,, और अपनी मां के करीब आकर उसके सिरहाने बैठ गया,,,, बम का ढक्कन खोलते हुए संजू अपनी मां से बोला,,)
ज्यादा दर्द कर रहा है क्या,,?
हां बहुत दर्द कर रहा हैं,,,
चिंता मत करो 5 मिनट में आराम हो जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा सा दाम अपनी उंगली पर लेकर आना वापस बामको पास में पड़े टेबल पर रखी है और अपनी उंगली से अपनी मां के माथे मैं बाम लगाने लगा,,, संजू हल्के हाथों से अपनी मां के माथे में बाम लगा रहा था कि तभी उसकी नजर अपनी मां की छातीयो पर गई,,, अपनी मां की छातियों को देखकर राजु की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि आराधना की इच्छा होती है उसे उसके साड़ी का पल्लू हट चुका था और उसके ऊपर का एक बटन खुला हुआ था भारी-भरकम मदमस्त कर देने वाली चूचियां ब्लाउज में कैद एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,,,
राजू के दिल की धड़कन पल भर में ही तेज हो गई थी,,,आराधना को इस बारे में बिल्कुल भी आभास नहीं था क्योंकि उसकी तबीयत नरम होने की वजह से और सर दर्द की वजह से उसका सारा ध्यान उसके सर पर ही था,,, संजू की आंखों में पल भर में ही चार बोतलों का नशा छाने लगा,,, वह अपनी मां की कदर आई हुई चूचियों को ब्लाउज में कैद देख रहा था जोकि चुचियों के हिसाब से ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा होने की वजह से चुचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब नजर आ रही थी,, और ऊपर का पहला बटन खुला होने की वजह से संजू को उसकी मां की चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि बेहद मादकता का रूप लिए हुए थी,,, पीठ के बल लेट होने की वजह से आराधना की चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी और उसका आधे से ज्यादा भाग ब्लाउज के बाहर झांक रहा था,,,, संजू का मन बहुत ललच रहा था,,, अपनी मां की चूचियों को छूने के लिए,,, बेहद अद्भुत नजारा बना हुआ था संजू अपनी मां के सर की मालिश कर रहा था और उसकी नजरें मां की चूचियों का टिकी हुई थी,,, इस बात से बेखबर आराधना आंखों को बंद करके लेटी हुई थी,,,, कुछ देर तक इसी तरह से आंखों से ही अपनी मां की मदमस्त जवानी का रसपान करते हुए संजू बोला,,,।
अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,?
थोड़ा-थोड़ा आराम लग रहा है।(आंखों को बंद किए हुए आराधना बोली,,, संजू अपनी मां से भले उसकी तबीयत के बारे में सोच रहा था लेकिन उसकी नजरें उसकी चूचियों पर ही टिकी हुई थी जो कि सांसो की लय के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, यह नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,,,संजू अपने मन में सोच रहा था कि काश उसे अपनी मां की सूचियों की मालिश करने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ,,, ऐसा नहीं था कि संजू की नजर पहली बार अपनी मां की चूचियों पर गई थी संजू कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था जाने अनजाने में उसके अंगों को छू भी चुका था,,,,, उसकी नंगी चूचीयो के साथ-साथ उसकी रसीली चूत के भी दर्शन कर चुका था,,लेकिन जब आपकी मां की आंखों को देखता था तो उसे पहली बार का ही मजा आता है इसलिए तो इस समय भी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ब्लाउज का पहला पत्र खुला होने की वजह से पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी चूचियां ब्लाउज में से बाहर की तरफ लचक गई थी और यही संजू के तन बदन में आग भी लगा रही थी,,,,वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए उसके सिर की मालिश करने के साथ-साथ अपनी आंखों से उसकी चुचियों का रस भी पी रहा था,,,,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके पापा से बिल्कुल भी खुश नहीं है ना तो,,,,, सामाजिक जीवन में और ना ही शारीरिक,,,।
संजू अपनी मौसी की हालत को अच्छी तरह से समझता था जिस तरह से उसकी मौसी ने उसके साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास बुझाई थी उसे देखते हुए संजू को इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों को भी भूख के साथ-साथ तन की भी खूब लगती है और वह अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मां को भी इसी की जरूरत है उसकी मां को भी तन की भूख जरूर लगती होगी परंतु,,, सामाजिक मर्यादा और अपने संस्कारों की वजह से उसकी मर्यादा की दीवार को लांघ नहीं पा रही है,,,, वरना बरसात वाली रात को ही रिश्तो के बीच की डोरी तार तार हो जाती,,,,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर कोशिश की जाए हालांकि वह पूरी कोशिश कर भी रहा था लेकिन हार नहीं मान रहा था वह जानता था कि एक न एक दिन जरूर उसकी मां अपने तन की प्याज की खातिर उसकी शरण में जरूर आएगी जैसा कि उसकी मौसी,,,, यही सब सोचकर राजू अपनी मां की चूची को स्पर्श करना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें हो नहीं पा रही थी,,,,,,,
इस बात का आभास संजू को अच्छी तरह से था कि जो कुछ भी वह अपनी मां से चाहता है उसकी मां को भली-भांति पता है वह सब कुछ जानती है कि उसका बेटा उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है उसे चोदना चाहता हैं और इसी के चलते वह अपनी मां की चूची को छूकर पकड़ कर देखना चाहता था कि उसकी में क्या कहती हैं,,,, यही सोचकर संजू अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा अपनी मां की चूची को पकड़ने के लिए,,,,,, आराधना की आंखें अभी भी बंद थी संजू एक हाथ से अपने मां के माथे की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ को उसकी चूची की तरफ आगे बढ़ा रहा था कि तभी आराधना की आंख खुल गई और संजू ने तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि आराधना को आराम हो गया था उसके चेहरे की संतुष्टि बता रही थी,,,,। आराधना की आंख खुलते ही संजू बोला।।
अब कैसा लग रहा है मम्मी,,?
अब तो बिल्कुल भी दर्द नहीं कर रहा है,,,, तेरे हाथों में तो जादू है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसका ध्यान अपनी छातियों पर गया तो वह एकदम से सिहर उठीउसे इस बात का आभास हुआ कि साड़ी का पल्लू उसकी छातियों पर से हट गया है और उसकी खुली छातियां एकदम नजर आ रही है और ऊपर से ब्लाउज का ऊपर का बटन भी खुला हुआ है जिसमें से उसकी चूचियों का आधा भाग लचक कर बाहर की तरफ निकला हुआ है यह देखते ही वहतिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ भी देख रहा था और का आभास होते ही उसकी दोनों टांगों के बीच कंपन सा महसूस होने लगा,,, प्रभात तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढक ली,,, अपनी मां की हरकत को देख कर संजू समझ गया था कि उसकी मां को आभास हो गया कि वह उसकी चूचियों को ही देख रहा है इसलिए उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,)
जादू मेरे हाथों में नहीं है बल्कि इस बाम में है,,, इसकी वजह से ही तुम्हारे सर का दर्द ठीक हुआ है,,,
फिर भी बारिश तो तू नहीं किया है ना इसलिए सारा श्रेय तुझे ही जाता है,,,,।
(जिस तरह से संजू आराधना के सिरहाने बैठकर उसके सर की मालिश कर रहा था उस पर बाम लगा रहा था यह देखते हुए आराधना मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसका बेटा उसका बहुत ख्याल रख रहा था इस समय तो उसके पति से भी ज्यादा,,,ना जाने क्यों यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके खूबसूरत बदन की तरफ आकर्षित होकर अपने मन में उसे चोदने की भावना रखता है फिर भी आराधना अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी बस किसी भी तरह से उन दोनों के बीच की मर्यादा की डोर को टूटने नहीं देना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी जिस तरह से उसका बेटा बाम लगाते समय भी उसकी चूचियों को घूर रहा था यह देखकर उसे अंदाजा लग गया था कि उसका बेटा किस कदर उसे चोदने की उसे पाने की भावना रखता है,,,,, संजू सर की मालिश करना बंद कर दिया था क्योंकि उसकी मां को आराम मिल गया था लेकिन अभी भी बुखार बरकरार था और धीरे-धीरे बड़े भी रहा था और बदन में दर्द भी हो रहा था इसलिए आराधना बोली,,,।
सर दर्द तो ठीक हो गया है लेकिन बुखार अभी भी है,,, तो जाकर मेडिकल से बुखार की कोई टेबलेट लेकर आ जा,,,
नहीं नहीं बिना डॉक्टर के दिखाएं इस तरह से दवा नहीं लेनी चाहिए,,,
नहीं-नहीं तू एक टेबलेट ला दे मुझे आराम हो जाएगा,,,
नहीं बिल्कुल भी नहीं चलो मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर चलता हूं,,,
नहीं मैं नहीं जाऊंगी तू जिद मत कर संजु,,,
तुम समझ नहीं रही हो मम्मी गोली खाने से बुखार उतर गया और बाद में फिर चड गया तब क्या करोगी ,,,
अरे तू कैसी बातें करता है,,,
नहीं मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं सच कह रहा हूं अब तुम जोब भी करती हो इसलिए तुम्हारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है,,,, ऐसे नहीं चलने वाला है मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर जाकर ही रहूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही आराधना ने कभी सोची नहीं थी और उसका बेटा बिस्तर पर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच और उसके गर्दन के बीच हाथ डालकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,)
अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, अरे रहने दे,,, गिर जाऊंगी,,,,,,,,
(लेकिन संजू कहां मानने वाला था,,, वह अपनी मां को गोद में उठा चुका था बेहद अद्भुत और अवर्णनीय नजारा थाअपनी मां को गोद में उठाने से पहले संजू ने भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को गोद में उठा लेगा,,,, संजू की बाजुओं का दम देखकर आराधना एकदम से हैरान हो चुकी थी,,, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे अपनी गोद में एकदम आराम से उठा लीया है,,, और संजु अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही उसे कमरे से बाहर वाले कमरे तरफ ले जाने लगा था,,,,, आराधना के चेहरे पर आश्चर्य के भाव नजर आ रहे थे इस तरह से तो उसके पति ने भी कभी अपनी गोद में नही उठाया था और ना ही उसे उठाने लायक भी था क्योंकि अशोक शरीर से उतना दमखम वाला नहीं था,,, इसलिए तो अपने बेटे के दम पर उसे नाज हो रहा था,,, संजू तो पहले से ही अपनी मां की सूचियों को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसकी वजह से पहले उसका लंड खड़ा हो गया था और इस समय जानबूझकर अपनी मां को इस तरह से गोद में उठाया हुआ था कि उसका खड़ा लंड जो की पैंट में तंबू बनाया हुआ था,, वह सीधे-सीधे नीचे से आराधना की गांड में चुभ रहा था पहले तो अफरा तफरी में आराधना का ध्यान उस तरफ बिल्कुल भी नहीं गया लेकिन जैसे-जैसे उसे अपनी गांड पर कुछ चुभता हुआमहसूस हुआ तो वैसे ही उसका ध्यान उस ओर गया तो उसे अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर जो कुछ भी चुभ रहा है वह कुछ और नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड है इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, औरआराधना को जिस तरह से संजू ने बिना जानकारी दी उसे अपनी गोद में उठा लिया था उससे आराधना पूरी तरह से सिहर उठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लाश दौड़ने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना काम कर रही थी कि तभी अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते ही उसके सब्र का बांध टूट गया,,, और उसकी बुर से छल छलाकर मदन रस बहने लगा,,, आराधना झड़ने लगी थी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी,,, अपने बेटे के संसर्ग में आकर यह उसका पहला स्खलन था,, जो कि बेहद कामुकता से भरा हुआ था आराधना के जीवन का यह पहला स्खलन था जो कि बिना कुछ किए ही वह झड़ गई थी,,,, आराधना की सांसे बेहद गहरी चल रही थी संजु को तो इस बात का एहसास तक नहीं ताकि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां का पानी निकल गया है वापस जानबूझकर अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड से रगड़ रहा था उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,, संजु अपनी मां को गोद में उठाएखड़ा था क्योंकि उसे भी अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था क्योंकि उसका आनंद सीधे-सीधे उसकी मां की नरम नरम गांड पर चुभ रहा था,,, आराधना झड़ चुकी थी उसके मदन रस्सी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, उसे अपनी चूत पर गुस्सा आ रहा था कि बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और बहने लगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।
अरे मुझे नीचे उतारेगा भी या ईसी तरह से गोद में उठाए हुए ही क्लीनिक लेकर जाएगा,,,,।
(इतना सुनते ही संजू मुस्कुराते अपनी मां को नीचे उतार दिया और उसकी मां बोली,,,)
तू यहीं रुक मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,(इतना कहकर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन बाथरूम में जाते-जाते तिरछी नजर अपने बेटे की पेंट की तरफ डाली तो अपने बेटे के पेंट में अपने तंबू को देखकर एकदम हैरान रह गई,,, बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गई,,,।)
Wah Rohnny Bhai,
Gazak ki kamuk update he........maja aa gaya Bhai..
Keep posting Bhai