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Incest मजबूरी या जरूरत

Ajju Landwalia

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आराधना की तबीयत नरम की इसलिए वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर पहुंच चुकी थी,,,संजू घर पर लौटा तो घर के बाहर स्कूटी खड़ी देख कर उसे लगा कि आज उसकी मां जल्दी आ गई होगी इसलिए दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर प्रवेश किया तो देखा कि,,, कमरे के बाहर ही दरवाजे पर उसकी मां बैठी हुई थी उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए संजू बोला,,।

क्या हुआ मम्मी आज ऑफिस से जल्दी आ गई,,,

हां बेटा आज थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो जल्दी घर पर आ गई,,,।
(तबीयत खराब होने की सुनते ही संजु एकदम चिंतित हो गयातुरंत अपना बैग रखकर अपनी मां के पास आ गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखने लगा कि क्या हुआ है,,, माथे पर हाथ रखते ही उसे गर्माहट का अहसास हुआ तो वह चिंतित भरे स्वर में बोला,,)

तुम्हें तो बुखार है,,,,


हां थोड़ा बुखार आ गया है लेकिन मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,,


चलो मैं तुम्हें दवाखाने ले चलता हूं,,,,


शाम होने दे तब चलेंगे अभी मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,


रुको मैं तुम्हारा सर दबा देता हूं,,, बाम लगाकर,,,, बम कहां पर है,,,

वही अंदर अलमारी के ड्रोवर में होगा,,,


एक काम करो मम्मी तुम अंदर कमरे में चलो मैं बाम लगाकर मालिश कर देता हूं आराम हो जाएगा,,,

(अपने बेटे को इतना चिंता करते हुए देखकर आराधना को बहुत खुशी हो रही थी कि चलो कोई तो है उसकी सुनने वाला उसकी फिक्र करने वाला जब से आराधना जॉब करने लगी थी तब से अशोक घर पर बहुत कम आने लगा था और इस बात की चिंता आराधना को अब बिल्कुल नहीं थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह कभी नहीं सुधरने वाला,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई संजू भी अपनी मां के कमरे में गया और अलमारी खोलकर ड्रोवर में से बाम निकाल लिया,,,,,, और अपनी मां के करीब आकर उसके सिरहाने बैठ गया,,,, बम का ढक्कन खोलते हुए संजू अपनी मां से बोला,,)

ज्यादा दर्द कर रहा है क्या,,?

हां बहुत दर्द कर रहा हैं,,,


चिंता मत करो 5 मिनट में आराम हो जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा सा दाम अपनी उंगली पर लेकर आना वापस बामको पास में पड़े टेबल पर रखी है और अपनी उंगली से अपनी मां के माथे मैं बाम लगाने लगा,,, संजू हल्के हाथों से अपनी मां के माथे में बाम लगा रहा था कि तभी उसकी नजर अपनी मां की छातीयो पर गई,,, अपनी मां की छातियों को देखकर राजु की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि आराधना की इच्छा होती है उसे उसके साड़ी का पल्लू हट चुका था और उसके ऊपर का एक बटन खुला हुआ था भारी-भरकम मदमस्त कर देने वाली चूचियां ब्लाउज में कैद एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,,,

राजू के दिल की धड़कन पल भर में ही तेज हो गई थी,,,आराधना को इस बारे में बिल्कुल भी आभास नहीं था क्योंकि उसकी तबीयत नरम होने की वजह से और सर दर्द की वजह से उसका सारा ध्यान उसके सर पर ही था,,, संजू की आंखों में पल भर में ही चार बोतलों का नशा छाने लगा,,, वह अपनी मां की कदर आई हुई चूचियों को ब्लाउज में कैद देख रहा था जोकि चुचियों के हिसाब से ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा होने की वजह से चुचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब नजर आ रही थी,, और ऊपर का पहला बटन खुला होने की वजह से संजू को उसकी मां की चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि बेहद मादकता का रूप लिए हुए थी,,, पीठ के बल लेट होने की वजह से आराधना की चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी और उसका आधे से ज्यादा भाग ब्लाउज के बाहर झांक रहा था,,,, संजू का मन बहुत ललच रहा था,,, अपनी मां की चूचियों को छूने के लिए,,, बेहद अद्भुत नजारा बना हुआ था संजू अपनी मां के सर की मालिश कर रहा था और उसकी नजरें मां की चूचियों का टिकी हुई थी,,, इस बात से बेखबर आराधना आंखों को बंद करके लेटी हुई थी,,,, कुछ देर तक इसी तरह से आंखों से ही अपनी मां की मदमस्त जवानी का रसपान करते हुए संजू बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,?


थोड़ा-थोड़ा आराम लग रहा है।(आंखों को बंद किए हुए आराधना बोली,,, संजू अपनी मां से भले उसकी तबीयत के बारे में सोच रहा था लेकिन उसकी नजरें उसकी चूचियों पर ही टिकी हुई थी जो कि सांसो की लय के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, यह नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,,,संजू अपने मन में सोच रहा था कि काश उसे अपनी मां की सूचियों की मालिश करने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ,,, ऐसा नहीं था कि संजू की नजर पहली बार अपनी मां की चूचियों पर गई थी संजू कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था जाने अनजाने में उसके अंगों को छू भी चुका था,,,,, उसकी नंगी चूचीयो के साथ-साथ उसकी रसीली चूत के भी दर्शन कर चुका था,,लेकिन जब आपकी मां की आंखों को देखता था तो उसे पहली बार का ही मजा आता है इसलिए तो इस समय भी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ब्लाउज का पहला पत्र खुला होने की वजह से पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी चूचियां ब्लाउज में से बाहर की तरफ लचक गई थी और यही संजू के तन बदन में आग भी लगा रही थी,,,,वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए उसके सिर की मालिश करने के साथ-साथ अपनी आंखों से उसकी चुचियों का रस भी पी रहा था,,,,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके पापा से बिल्कुल भी खुश नहीं है ना तो,,,,, सामाजिक जीवन में और ना ही शारीरिक,,,।

संजू अपनी मौसी की हालत को अच्छी तरह से समझता था जिस तरह से उसकी मौसी ने उसके साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास बुझाई थी उसे देखते हुए संजू को इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों को भी भूख के साथ-साथ तन की भी खूब लगती है और वह अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मां को भी इसी की जरूरत है उसकी मां को भी तन की भूख जरूर लगती होगी परंतु,,, सामाजिक मर्यादा और अपने संस्कारों की वजह से उसकी मर्यादा की दीवार को लांघ नहीं पा रही है,,,, वरना बरसात वाली रात को ही रिश्तो के बीच की डोरी तार तार हो जाती,,,,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर कोशिश की जाए हालांकि वह पूरी कोशिश कर भी रहा था लेकिन हार नहीं मान रहा था वह जानता था कि एक न एक दिन जरूर उसकी मां अपने तन की प्याज की खातिर उसकी शरण में जरूर आएगी जैसा कि उसकी मौसी,,,, यही सब सोचकर राजू अपनी मां की चूची को स्पर्श करना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें हो नहीं पा रही थी,,,,,,,

इस बात का आभास संजू को अच्छी तरह से था कि जो कुछ भी वह अपनी मां से चाहता है उसकी मां को भली-भांति पता है वह सब कुछ जानती है कि उसका बेटा उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है उसे चोदना चाहता हैं और इसी के चलते वह अपनी मां की चूची को छूकर पकड़ कर देखना चाहता था कि उसकी में क्या कहती हैं,,,, यही सोचकर संजू अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा अपनी मां की चूची को पकड़ने के लिए,,,,,, आराधना की आंखें अभी भी बंद थी संजू एक हाथ से अपने मां के माथे की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ को उसकी चूची की तरफ आगे बढ़ा रहा था कि तभी आराधना की आंख खुल गई और संजू ने तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि आराधना को आराम हो गया था उसके चेहरे की संतुष्टि बता रही थी,,,,। आराधना की आंख खुलते ही संजू बोला।।


अब कैसा लग रहा है मम्मी,,?


अब तो बिल्कुल भी दर्द नहीं कर रहा है,,,, तेरे हाथों में तो जादू है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसका ध्यान अपनी छातियों पर गया तो वह एकदम से सिहर उठीउसे इस बात का आभास हुआ कि साड़ी का पल्लू उसकी छातियों पर से हट गया है और उसकी खुली छातियां एकदम नजर आ रही है और ऊपर से ब्लाउज का ऊपर का बटन भी खुला हुआ है जिसमें से उसकी चूचियों का आधा भाग लचक कर बाहर की तरफ निकला हुआ है यह देखते ही वहतिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ भी देख रहा था और का आभास होते ही उसकी दोनों टांगों के बीच कंपन सा महसूस होने लगा,,, प्रभात तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढक ली,,, अपनी मां की हरकत को देख कर संजू समझ गया था कि उसकी मां को आभास हो गया कि वह उसकी चूचियों को ही देख रहा है इसलिए उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,)

जादू मेरे हाथों में नहीं है बल्कि इस बाम में है,,, इसकी वजह से ही तुम्हारे सर का दर्द ठीक हुआ है,,,


फिर भी बारिश तो तू नहीं किया है ना इसलिए सारा श्रेय तुझे ही जाता है,,,,।
(जिस तरह से संजू आराधना के सिरहाने बैठकर उसके सर की मालिश कर रहा था उस पर बाम लगा रहा था यह देखते हुए आराधना मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसका बेटा उसका बहुत ख्याल रख रहा था इस समय तो उसके पति से भी ज्यादा,,,ना जाने क्यों यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके खूबसूरत बदन की तरफ आकर्षित होकर अपने मन में उसे चोदने की भावना रखता है फिर भी आराधना अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी बस किसी भी तरह से उन दोनों के बीच की मर्यादा की डोर को टूटने नहीं देना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी जिस तरह से उसका बेटा बाम लगाते समय भी उसकी चूचियों को घूर रहा था यह देखकर उसे अंदाजा लग गया था कि उसका बेटा किस कदर उसे चोदने की उसे पाने की भावना रखता है,,,,, संजू सर की मालिश करना बंद कर दिया था क्योंकि उसकी मां को आराम मिल गया था लेकिन अभी भी बुखार बरकरार था और धीरे-धीरे बड़े भी रहा था और बदन में दर्द भी हो रहा था इसलिए आराधना बोली,,,।


सर दर्द तो ठीक हो गया है लेकिन बुखार अभी भी है,,, तो जाकर मेडिकल से बुखार की कोई टेबलेट लेकर आ जा,,,

नहीं नहीं बिना डॉक्टर के दिखाएं इस तरह से दवा नहीं लेनी चाहिए,,,


नहीं-नहीं तू एक टेबलेट ला दे मुझे आराम हो जाएगा,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं चलो मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर चलता हूं,,,



नहीं मैं नहीं जाऊंगी तू जिद मत कर संजु,,,


तुम समझ नहीं रही हो मम्मी गोली खाने से बुखार उतर गया और बाद में फिर चड गया तब क्या करोगी ,,,


अरे तू कैसी बातें करता है,,,


नहीं मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं सच कह रहा हूं अब तुम जोब भी करती हो इसलिए तुम्हारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है,,,, ऐसे नहीं चलने वाला है मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर जाकर ही रहूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही आराधना ने कभी सोची नहीं थी और उसका बेटा बिस्तर पर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच और उसके गर्दन के बीच हाथ डालकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,)


अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, अरे रहने दे,,, गिर जाऊंगी,,,,,,,,
(लेकिन संजू कहां मानने वाला था,,, वह अपनी मां को गोद में उठा चुका था बेहद अद्भुत और अवर्णनीय नजारा थाअपनी मां को गोद में उठाने से पहले संजू ने भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को गोद में उठा लेगा,,,, संजू की बाजुओं का दम देखकर आराधना एकदम से हैरान हो चुकी थी,,, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे अपनी गोद में एकदम आराम से उठा लीया है,,, और संजु अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही उसे कमरे से बाहर वाले कमरे तरफ ले जाने लगा था,,,,, आराधना के चेहरे पर आश्चर्य के भाव नजर आ रहे थे इस तरह से तो उसके पति ने भी कभी अपनी गोद में नही उठाया था और ना ही उसे उठाने लायक भी था क्योंकि अशोक शरीर से उतना दमखम वाला नहीं था,,, इसलिए तो अपने बेटे के दम पर उसे नाज हो रहा था,,, संजू तो पहले से ही अपनी मां की सूचियों को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसकी वजह से पहले उसका लंड खड़ा हो गया था और इस समय जानबूझकर अपनी मां को इस तरह से गोद में उठाया हुआ था कि उसका खड़ा लंड जो की पैंट में तंबू बनाया हुआ था,, वह सीधे-सीधे नीचे से आराधना की गांड में चुभ रहा था पहले तो अफरा तफरी में आराधना का ध्यान उस तरफ बिल्कुल भी नहीं गया लेकिन जैसे-जैसे उसे अपनी गांड पर कुछ चुभता हुआमहसूस हुआ तो वैसे ही उसका ध्यान उस ओर गया तो उसे अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर जो कुछ भी चुभ रहा है वह कुछ और नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड है इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, औरआराधना को जिस तरह से संजू ने बिना जानकारी दी उसे अपनी गोद में उठा लिया था उससे आराधना पूरी तरह से सिहर उठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लाश दौड़ने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना काम कर रही थी कि तभी अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते ही उसके सब्र का बांध टूट गया,,, और उसकी बुर से छल छलाकर मदन रस बहने लगा,,, आराधना झड़ने लगी थी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी,,, अपने बेटे के संसर्ग में आकर यह उसका पहला स्खलन था,, जो कि बेहद कामुकता से भरा हुआ था आराधना के जीवन का यह पहला स्खलन था जो कि बिना कुछ किए ही वह झड़ गई थी,,,, आराधना की सांसे बेहद गहरी चल रही थी संजु को तो इस बात का एहसास तक नहीं ताकि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां का पानी निकल गया है वापस जानबूझकर अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड से रगड़ रहा था उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,, संजु अपनी मां को गोद में उठाएखड़ा था क्योंकि उसे भी अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था क्योंकि उसका आनंद सीधे-सीधे उसकी मां की नरम नरम गांड पर चुभ रहा था,,, आराधना झड़ चुकी थी उसके मदन रस्सी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, उसे अपनी चूत पर गुस्सा आ रहा था कि बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और बहने लगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।

अरे मुझे नीचे उतारेगा भी या ईसी तरह से गोद में उठाए हुए ही क्लीनिक लेकर जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही संजू मुस्कुराते अपनी मां को नीचे उतार दिया और उसकी मां बोली,,,)

तू यहीं रुक मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,(इतना कहकर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन बाथरूम में जाते-जाते तिरछी नजर अपने बेटे की पेंट की तरफ डाली तो अपने बेटे के पेंट में अपने तंबू को देखकर एकदम हैरान रह गई,,, बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गई,,,।)


Wah Rohnny Bhai,

Gazak ki kamuk update he........maja aa gaya Bhai..

Keep posting Bhai
 
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Kammy sidhu

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आराधना की तबीयत नरम की इसलिए वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर पहुंच चुकी थी,,,संजू घर पर लौटा तो घर के बाहर स्कूटी खड़ी देख कर उसे लगा कि आज उसकी मां जल्दी आ गई होगी इसलिए दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर प्रवेश किया तो देखा कि,,, कमरे के बाहर ही दरवाजे पर उसकी मां बैठी हुई थी उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए संजू बोला,,।

क्या हुआ मम्मी आज ऑफिस से जल्दी आ गई,,,

हां बेटा आज थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो जल्दी घर पर आ गई,,,।
(तबीयत खराब होने की सुनते ही संजु एकदम चिंतित हो गयातुरंत अपना बैग रखकर अपनी मां के पास आ गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखने लगा कि क्या हुआ है,,, माथे पर हाथ रखते ही उसे गर्माहट का अहसास हुआ तो वह चिंतित भरे स्वर में बोला,,)

तुम्हें तो बुखार है,,,,


हां थोड़ा बुखार आ गया है लेकिन मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,,


चलो मैं तुम्हें दवाखाने ले चलता हूं,,,,


शाम होने दे तब चलेंगे अभी मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,


रुको मैं तुम्हारा सर दबा देता हूं,,, बाम लगाकर,,,, बम कहां पर है,,,

वही अंदर अलमारी के ड्रोवर में होगा,,,


एक काम करो मम्मी तुम अंदर कमरे में चलो मैं बाम लगाकर मालिश कर देता हूं आराम हो जाएगा,,,

(अपने बेटे को इतना चिंता करते हुए देखकर आराधना को बहुत खुशी हो रही थी कि चलो कोई तो है उसकी सुनने वाला उसकी फिक्र करने वाला जब से आराधना जॉब करने लगी थी तब से अशोक घर पर बहुत कम आने लगा था और इस बात की चिंता आराधना को अब बिल्कुल नहीं थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह कभी नहीं सुधरने वाला,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई संजू भी अपनी मां के कमरे में गया और अलमारी खोलकर ड्रोवर में से बाम निकाल लिया,,,,,, और अपनी मां के करीब आकर उसके सिरहाने बैठ गया,,,, बम का ढक्कन खोलते हुए संजू अपनी मां से बोला,,)

ज्यादा दर्द कर रहा है क्या,,?

हां बहुत दर्द कर रहा हैं,,,


चिंता मत करो 5 मिनट में आराम हो जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा सा दाम अपनी उंगली पर लेकर आना वापस बामको पास में पड़े टेबल पर रखी है और अपनी उंगली से अपनी मां के माथे मैं बाम लगाने लगा,,, संजू हल्के हाथों से अपनी मां के माथे में बाम लगा रहा था कि तभी उसकी नजर अपनी मां की छातीयो पर गई,,, अपनी मां की छातियों को देखकर राजु की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि आराधना की इच्छा होती है उसे उसके साड़ी का पल्लू हट चुका था और उसके ऊपर का एक बटन खुला हुआ था भारी-भरकम मदमस्त कर देने वाली चूचियां ब्लाउज में कैद एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,,,

राजू के दिल की धड़कन पल भर में ही तेज हो गई थी,,,आराधना को इस बारे में बिल्कुल भी आभास नहीं था क्योंकि उसकी तबीयत नरम होने की वजह से और सर दर्द की वजह से उसका सारा ध्यान उसके सर पर ही था,,, संजू की आंखों में पल भर में ही चार बोतलों का नशा छाने लगा,,, वह अपनी मां की कदर आई हुई चूचियों को ब्लाउज में कैद देख रहा था जोकि चुचियों के हिसाब से ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा होने की वजह से चुचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब नजर आ रही थी,, और ऊपर का पहला बटन खुला होने की वजह से संजू को उसकी मां की चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि बेहद मादकता का रूप लिए हुए थी,,, पीठ के बल लेट होने की वजह से आराधना की चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी और उसका आधे से ज्यादा भाग ब्लाउज के बाहर झांक रहा था,,,, संजू का मन बहुत ललच रहा था,,, अपनी मां की चूचियों को छूने के लिए,,, बेहद अद्भुत नजारा बना हुआ था संजू अपनी मां के सर की मालिश कर रहा था और उसकी नजरें मां की चूचियों का टिकी हुई थी,,, इस बात से बेखबर आराधना आंखों को बंद करके लेटी हुई थी,,,, कुछ देर तक इसी तरह से आंखों से ही अपनी मां की मदमस्त जवानी का रसपान करते हुए संजू बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,?


थोड़ा-थोड़ा आराम लग रहा है।(आंखों को बंद किए हुए आराधना बोली,,, संजू अपनी मां से भले उसकी तबीयत के बारे में सोच रहा था लेकिन उसकी नजरें उसकी चूचियों पर ही टिकी हुई थी जो कि सांसो की लय के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, यह नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,,,संजू अपने मन में सोच रहा था कि काश उसे अपनी मां की सूचियों की मालिश करने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ,,, ऐसा नहीं था कि संजू की नजर पहली बार अपनी मां की चूचियों पर गई थी संजू कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था जाने अनजाने में उसके अंगों को छू भी चुका था,,,,, उसकी नंगी चूचीयो के साथ-साथ उसकी रसीली चूत के भी दर्शन कर चुका था,,लेकिन जब आपकी मां की आंखों को देखता था तो उसे पहली बार का ही मजा आता है इसलिए तो इस समय भी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ब्लाउज का पहला पत्र खुला होने की वजह से पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी चूचियां ब्लाउज में से बाहर की तरफ लचक गई थी और यही संजू के तन बदन में आग भी लगा रही थी,,,,वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए उसके सिर की मालिश करने के साथ-साथ अपनी आंखों से उसकी चुचियों का रस भी पी रहा था,,,,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके पापा से बिल्कुल भी खुश नहीं है ना तो,,,,, सामाजिक जीवन में और ना ही शारीरिक,,,।

संजू अपनी मौसी की हालत को अच्छी तरह से समझता था जिस तरह से उसकी मौसी ने उसके साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास बुझाई थी उसे देखते हुए संजू को इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों को भी भूख के साथ-साथ तन की भी खूब लगती है और वह अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मां को भी इसी की जरूरत है उसकी मां को भी तन की भूख जरूर लगती होगी परंतु,,, सामाजिक मर्यादा और अपने संस्कारों की वजह से उसकी मर्यादा की दीवार को लांघ नहीं पा रही है,,,, वरना बरसात वाली रात को ही रिश्तो के बीच की डोरी तार तार हो जाती,,,,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर कोशिश की जाए हालांकि वह पूरी कोशिश कर भी रहा था लेकिन हार नहीं मान रहा था वह जानता था कि एक न एक दिन जरूर उसकी मां अपने तन की प्याज की खातिर उसकी शरण में जरूर आएगी जैसा कि उसकी मौसी,,,, यही सब सोचकर राजू अपनी मां की चूची को स्पर्श करना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें हो नहीं पा रही थी,,,,,,,

इस बात का आभास संजू को अच्छी तरह से था कि जो कुछ भी वह अपनी मां से चाहता है उसकी मां को भली-भांति पता है वह सब कुछ जानती है कि उसका बेटा उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है उसे चोदना चाहता हैं और इसी के चलते वह अपनी मां की चूची को छूकर पकड़ कर देखना चाहता था कि उसकी में क्या कहती हैं,,,, यही सोचकर संजू अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा अपनी मां की चूची को पकड़ने के लिए,,,,,, आराधना की आंखें अभी भी बंद थी संजू एक हाथ से अपने मां के माथे की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ को उसकी चूची की तरफ आगे बढ़ा रहा था कि तभी आराधना की आंख खुल गई और संजू ने तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि आराधना को आराम हो गया था उसके चेहरे की संतुष्टि बता रही थी,,,,। आराधना की आंख खुलते ही संजू बोला।।


अब कैसा लग रहा है मम्मी,,?


अब तो बिल्कुल भी दर्द नहीं कर रहा है,,,, तेरे हाथों में तो जादू है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसका ध्यान अपनी छातियों पर गया तो वह एकदम से सिहर उठीउसे इस बात का आभास हुआ कि साड़ी का पल्लू उसकी छातियों पर से हट गया है और उसकी खुली छातियां एकदम नजर आ रही है और ऊपर से ब्लाउज का ऊपर का बटन भी खुला हुआ है जिसमें से उसकी चूचियों का आधा भाग लचक कर बाहर की तरफ निकला हुआ है यह देखते ही वहतिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ भी देख रहा था और का आभास होते ही उसकी दोनों टांगों के बीच कंपन सा महसूस होने लगा,,, प्रभात तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढक ली,,, अपनी मां की हरकत को देख कर संजू समझ गया था कि उसकी मां को आभास हो गया कि वह उसकी चूचियों को ही देख रहा है इसलिए उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,)

जादू मेरे हाथों में नहीं है बल्कि इस बाम में है,,, इसकी वजह से ही तुम्हारे सर का दर्द ठीक हुआ है,,,


फिर भी बारिश तो तू नहीं किया है ना इसलिए सारा श्रेय तुझे ही जाता है,,,,।
(जिस तरह से संजू आराधना के सिरहाने बैठकर उसके सर की मालिश कर रहा था उस पर बाम लगा रहा था यह देखते हुए आराधना मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसका बेटा उसका बहुत ख्याल रख रहा था इस समय तो उसके पति से भी ज्यादा,,,ना जाने क्यों यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके खूबसूरत बदन की तरफ आकर्षित होकर अपने मन में उसे चोदने की भावना रखता है फिर भी आराधना अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी बस किसी भी तरह से उन दोनों के बीच की मर्यादा की डोर को टूटने नहीं देना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी जिस तरह से उसका बेटा बाम लगाते समय भी उसकी चूचियों को घूर रहा था यह देखकर उसे अंदाजा लग गया था कि उसका बेटा किस कदर उसे चोदने की उसे पाने की भावना रखता है,,,,, संजू सर की मालिश करना बंद कर दिया था क्योंकि उसकी मां को आराम मिल गया था लेकिन अभी भी बुखार बरकरार था और धीरे-धीरे बड़े भी रहा था और बदन में दर्द भी हो रहा था इसलिए आराधना बोली,,,।


सर दर्द तो ठीक हो गया है लेकिन बुखार अभी भी है,,, तो जाकर मेडिकल से बुखार की कोई टेबलेट लेकर आ जा,,,

नहीं नहीं बिना डॉक्टर के दिखाएं इस तरह से दवा नहीं लेनी चाहिए,,,


नहीं-नहीं तू एक टेबलेट ला दे मुझे आराम हो जाएगा,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं चलो मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर चलता हूं,,,



नहीं मैं नहीं जाऊंगी तू जिद मत कर संजु,,,


तुम समझ नहीं रही हो मम्मी गोली खाने से बुखार उतर गया और बाद में फिर चड गया तब क्या करोगी ,,,


अरे तू कैसी बातें करता है,,,


नहीं मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं सच कह रहा हूं अब तुम जोब भी करती हो इसलिए तुम्हारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है,,,, ऐसे नहीं चलने वाला है मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर जाकर ही रहूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही आराधना ने कभी सोची नहीं थी और उसका बेटा बिस्तर पर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच और उसके गर्दन के बीच हाथ डालकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,)


अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, अरे रहने दे,,, गिर जाऊंगी,,,,,,,,
(लेकिन संजू कहां मानने वाला था,,, वह अपनी मां को गोद में उठा चुका था बेहद अद्भुत और अवर्णनीय नजारा थाअपनी मां को गोद में उठाने से पहले संजू ने भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को गोद में उठा लेगा,,,, संजू की बाजुओं का दम देखकर आराधना एकदम से हैरान हो चुकी थी,,, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे अपनी गोद में एकदम आराम से उठा लीया है,,, और संजु अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही उसे कमरे से बाहर वाले कमरे तरफ ले जाने लगा था,,,,, आराधना के चेहरे पर आश्चर्य के भाव नजर आ रहे थे इस तरह से तो उसके पति ने भी कभी अपनी गोद में नही उठाया था और ना ही उसे उठाने लायक भी था क्योंकि अशोक शरीर से उतना दमखम वाला नहीं था,,, इसलिए तो अपने बेटे के दम पर उसे नाज हो रहा था,,, संजू तो पहले से ही अपनी मां की सूचियों को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसकी वजह से पहले उसका लंड खड़ा हो गया था और इस समय जानबूझकर अपनी मां को इस तरह से गोद में उठाया हुआ था कि उसका खड़ा लंड जो की पैंट में तंबू बनाया हुआ था,, वह सीधे-सीधे नीचे से आराधना की गांड में चुभ रहा था पहले तो अफरा तफरी में आराधना का ध्यान उस तरफ बिल्कुल भी नहीं गया लेकिन जैसे-जैसे उसे अपनी गांड पर कुछ चुभता हुआमहसूस हुआ तो वैसे ही उसका ध्यान उस ओर गया तो उसे अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर जो कुछ भी चुभ रहा है वह कुछ और नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड है इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, औरआराधना को जिस तरह से संजू ने बिना जानकारी दी उसे अपनी गोद में उठा लिया था उससे आराधना पूरी तरह से सिहर उठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लाश दौड़ने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना काम कर रही थी कि तभी अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते ही उसके सब्र का बांध टूट गया,,, और उसकी बुर से छल छलाकर मदन रस बहने लगा,,, आराधना झड़ने लगी थी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी,,, अपने बेटे के संसर्ग में आकर यह उसका पहला स्खलन था,, जो कि बेहद कामुकता से भरा हुआ था आराधना के जीवन का यह पहला स्खलन था जो कि बिना कुछ किए ही वह झड़ गई थी,,,, आराधना की सांसे बेहद गहरी चल रही थी संजु को तो इस बात का एहसास तक नहीं ताकि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां का पानी निकल गया है वापस जानबूझकर अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड से रगड़ रहा था उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,, संजु अपनी मां को गोद में उठाएखड़ा था क्योंकि उसे भी अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था क्योंकि उसका आनंद सीधे-सीधे उसकी मां की नरम नरम गांड पर चुभ रहा था,,, आराधना झड़ चुकी थी उसके मदन रस्सी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, उसे अपनी चूत पर गुस्सा आ रहा था कि बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और बहने लगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।

अरे मुझे नीचे उतारेगा भी या ईसी तरह से गोद में उठाए हुए ही क्लीनिक लेकर जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही संजू मुस्कुराते अपनी मां को नीचे उतार दिया और उसकी मां बोली,,,)

तू यहीं रुक मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,(इतना कहकर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन बाथरूम में जाते-जाते तिरछी नजर अपने बेटे की पेंट की तरफ डाली तो अपने बेटे के पेंट में अपने तंबू को देखकर एकदम हैरान रह गई,,, बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गई,,,।)
Wah bhai maja aa gaya, too much romantic update bro and continue story
 

William

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आराधना की तबीयत नरम की इसलिए वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर पहुंच चुकी थी,,,संजू घर पर लौटा तो घर के बाहर स्कूटी खड़ी देख कर उसे लगा कि आज उसकी मां जल्दी आ गई होगी इसलिए दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर प्रवेश किया तो देखा कि,,, कमरे के बाहर ही दरवाजे पर उसकी मां बैठी हुई थी उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए संजू बोला,,।

क्या हुआ मम्मी आज ऑफिस से जल्दी आ गई,,,

हां बेटा आज थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो जल्दी घर पर आ गई,,,।
(तबीयत खराब होने की सुनते ही संजु एकदम चिंतित हो गयातुरंत अपना बैग रखकर अपनी मां के पास आ गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखने लगा कि क्या हुआ है,,, माथे पर हाथ रखते ही उसे गर्माहट का अहसास हुआ तो वह चिंतित भरे स्वर में बोला,,)

तुम्हें तो बुखार है,,,,


हां थोड़ा बुखार आ गया है लेकिन मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,,


चलो मैं तुम्हें दवाखाने ले चलता हूं,,,,


शाम होने दे तब चलेंगे अभी मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,


रुको मैं तुम्हारा सर दबा देता हूं,,, बाम लगाकर,,,, बम कहां पर है,,,

वही अंदर अलमारी के ड्रोवर में होगा,,,


एक काम करो मम्मी तुम अंदर कमरे में चलो मैं बाम लगाकर मालिश कर देता हूं आराम हो जाएगा,,,



(अपने बेटे को इतना चिंता करते हुए देखकर आराधना को बहुत खुशी हो रही थी कि चलो कोई तो है उसकी सुनने वाला उसकी फिक्र करने वाला जब से आराधना जॉब करने लगी थी तब से अशोक घर पर बहुत कम आने लगा था और इस बात की चिंता आराधना को अब बिल्कुल नहीं थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह कभी नहीं सुधरने वाला,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई संजू भी अपनी मां के कमरे में गया और अलमारी खोलकर ड्रोवर में से बाम निकाल लिया,,,,,, और अपनी मां के करीब आकर उसके सिरहाने बैठ गया,,,, बम का ढक्कन खोलते हुए संजू अपनी मां से बोला,,)

ज्यादा दर्द कर रहा है क्या,,?

हां बहुत दर्द कर रहा हैं,,,


चिंता मत करो 5 मिनट में आराम हो जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा सा दाम अपनी उंगली पर लेकर आना वापस बामको पास में पड़े टेबल पर रखी है और अपनी उंगली से अपनी मां के माथे मैं बाम लगाने लगा,,, संजू हल्के हाथों से अपनी मां के माथे में बाम लगा रहा था कि तभी उसकी नजर अपनी मां की छातीयो पर गई,,, अपनी मां की छातियों को देखकर राजु की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि आराधना की इच्छा होती है उसे उसके साड़ी का पल्लू हट चुका था और उसके ऊपर का एक बटन खुला हुआ था भारी-भरकम मदमस्त कर देने वाली चूचियां ब्लाउज में कैद एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,,,

राजू के दिल की धड़कन पल भर में ही तेज हो गई थी,,,आराधना को इस बारे में बिल्कुल भी आभास नहीं था क्योंकि उसकी तबीयत नरम होने की वजह से और सर दर्द की वजह से उसका सारा ध्यान उसके सर पर ही था,,, संजू की आंखों में पल भर में ही चार बोतलों का नशा छाने लगा,,, वह अपनी मां की कदर आई हुई चूचियों को ब्लाउज में कैद देख रहा था जोकि चुचियों के हिसाब से ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा होने की वजह से चुचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब नजर आ रही थी,, और ऊपर का पहला बटन खुला होने की वजह से संजू को उसकी मां की चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि बेहद मादकता का रूप लिए हुए थी,,, पीठ के बल लेट होने की वजह से आराधना की चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी और उसका आधे से ज्यादा भाग ब्लाउज के बाहर झांक रहा था,,,, संजू का मन बहुत ललच रहा था,,, अपनी मां की चूचियों को छूने के लिए,,, बेहद अद्भुत नजारा बना हुआ था संजू अपनी मां के सर की मालिश कर रहा था और उसकी नजरें मां की चूचियों का टिकी हुई थी,,, इस बात से बेखबर आराधना आंखों को बंद करके लेटी हुई थी,,,, कुछ देर तक इसी तरह से आंखों से ही अपनी मां की मदमस्त जवानी का रसपान करते हुए संजू बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,?




थोड़ा-थोड़ा आराम लग रहा है।(आंखों को बंद किए हुए आराधना बोली,,, संजू अपनी मां से भले उसकी तबीयत के बारे में सोच रहा था लेकिन उसकी नजरें उसकी चूचियों पर ही टिकी हुई थी जो कि सांसो की लय के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, यह नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,,,संजू अपने मन में सोच रहा था कि काश उसे अपनी मां की सूचियों की मालिश करने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ,,, ऐसा नहीं था कि संजू की नजर पहली बार अपनी मां की चूचियों पर गई थी संजू कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था जाने अनजाने में उसके अंगों को छू भी चुका था,,,,, उसकी नंगी चूचीयो के साथ-साथ उसकी रसीली चूत के भी दर्शन कर चुका था,,लेकिन जब आपकी मां की आंखों को देखता था तो उसे पहली बार का ही मजा आता है इसलिए तो इस समय भी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ब्लाउज का पहला पत्र खुला होने की वजह से पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी चूचियां ब्लाउज में से बाहर की तरफ लचक गई थी और यही संजू के तन बदन में आग भी लगा रही थी,,,,वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए उसके सिर की मालिश करने के साथ-साथ अपनी आंखों से उसकी चुचियों का रस भी पी रहा था,,,,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके पापा से बिल्कुल भी खुश नहीं है ना तो,,,,, सामाजिक जीवन में और ना ही शारीरिक,,,।

संजू अपनी मौसी की हालत को अच्छी तरह से समझता था जिस तरह से उसकी मौसी ने उसके साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास बुझाई थी उसे देखते हुए संजू को इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों को भी भूख के साथ-साथ तन की भी खूब लगती है और वह अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मां को भी इसी की जरूरत है उसकी मां को भी तन की भूख जरूर लगती होगी परंतु,,, सामाजिक मर्यादा और अपने संस्कारों की वजह से उसकी मर्यादा की दीवार को लांघ नहीं पा रही है,,,, वरना बरसात वाली रात को ही रिश्तो के बीच की डोरी तार तार हो जाती,,,,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर कोशिश की जाए हालांकि वह पूरी कोशिश कर भी रहा था लेकिन हार नहीं मान रहा था वह जानता था कि एक न एक दिन जरूर उसकी मां अपने तन की प्याज की खातिर उसकी शरण में जरूर आएगी जैसा कि उसकी मौसी,,,, यही सब सोचकर राजू अपनी मां की चूची को स्पर्श करना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें हो नहीं पा रही थी,,,,,,,

इस बात का आभास संजू को अच्छी तरह से था कि जो कुछ भी वह अपनी मां से चाहता है उसकी मां को भली-भांति पता है वह सब कुछ जानती है कि उसका बेटा उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है उसे चोदना चाहता हैं और इसी के चलते वह अपनी मां की चूची को छूकर पकड़ कर देखना चाहता था कि उसकी में क्या कहती हैं,,,, यही सोचकर संजू अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा अपनी मां की चूची को पकड़ने के लिए,,,,,, आराधना की आंखें अभी भी बंद थी संजू एक हाथ से अपने मां के माथे की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ को उसकी चूची की तरफ आगे बढ़ा रहा था कि तभी आराधना की आंख खुल गई और संजू ने तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि आराधना को आराम हो गया था उसके चेहरे की संतुष्टि बता रही थी,,,,। आराधना की आंख खुलते ही संजू बोला।।


अब कैसा लग रहा है मम्मी,,?


अब तो बिल्कुल भी दर्द नहीं कर रहा है,,,, तेरे हाथों में तो जादू है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसका ध्यान अपनी छातियों पर गया तो वह एकदम से सिहर उठीउसे इस बात का आभास हुआ कि साड़ी का पल्लू उसकी छातियों पर से हट गया है और उसकी खुली छातियां एकदम नजर आ रही है और ऊपर से ब्लाउज का ऊपर का बटन भी खुला हुआ है जिसमें से उसकी चूचियों का आधा भाग लचक कर बाहर की तरफ निकला हुआ है यह देखते ही वहतिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ भी देख रहा था और का आभास होते ही उसकी दोनों टांगों के बीच कंपन सा महसूस होने लगा,,, प्रभात तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढक ली,,, अपनी मां की हरकत को देख कर संजू समझ गया था कि उसकी मां को आभास हो गया कि वह उसकी चूचियों को ही देख रहा है इसलिए उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,)

जादू मेरे हाथों में नहीं है बल्कि इस बाम में है,,, इसकी वजह से ही तुम्हारे सर का दर्द ठीक हुआ है,,,


फिर भी बारिश तो तू नहीं किया है ना इसलिए सारा श्रेय तुझे ही जाता है,,,,।
(जिस तरह से संजू आराधना के सिरहाने बैठकर उसके सर की मालिश कर रहा था उस पर बाम लगा रहा था यह देखते हुए आराधना मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसका बेटा उसका बहुत ख्याल रख रहा था इस समय तो उसके पति से भी ज्यादा,,,ना जाने क्यों यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके खूबसूरत बदन की तरफ आकर्षित होकर अपने मन में उसे चोदने की भावना रखता है फिर भी आराधना अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी बस किसी भी तरह से उन दोनों के बीच की मर्यादा की डोर को टूटने नहीं देना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी जिस तरह से उसका बेटा बाम लगाते समय भी उसकी चूचियों को घूर रहा था यह देखकर उसे अंदाजा लग गया था कि उसका बेटा किस कदर उसे चोदने की उसे पाने की भावना रखता है,,,,, संजू सर की मालिश करना बंद कर दिया था क्योंकि उसकी मां को आराम मिल गया था लेकिन अभी भी बुखार बरकरार था और धीरे-धीरे बड़े भी रहा था और बदन में दर्द भी हो रहा था इसलिए आराधना बोली,,,।


सर दर्द तो ठीक हो गया है लेकिन बुखार अभी भी है,,, तो जाकर मेडिकल से बुखार की कोई टेबलेट लेकर आ जा,,,

नहीं नहीं बिना डॉक्टर के दिखाएं इस तरह से दवा नहीं लेनी चाहिए,,,


नहीं-नहीं तू एक टेबलेट ला दे मुझे आराम हो जाएगा,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं चलो मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर चलता हूं,,,



नहीं मैं नहीं जाऊंगी तू जिद मत कर संजु,,,


तुम समझ नहीं रही हो मम्मी गोली खाने से बुखार उतर गया और बाद में फिर चड गया तब क्या करोगी ,,,


अरे तू कैसी बातें करता है,,,


नहीं मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं सच कह रहा हूं अब तुम जोब भी करती हो इसलिए तुम्हारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है,,,, ऐसे नहीं चलने वाला है मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर जाकर ही रहूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही आराधना ने कभी सोची नहीं थी और उसका बेटा बिस्तर पर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच और उसके गर्दन के बीच हाथ डालकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,)


अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, अरे रहने दे,,, गिर जाऊंगी,,,,,,,,
(लेकिन संजू कहां मानने वाला था,,, वह अपनी मां को गोद में उठा चुका था बेहद अद्भुत और अवर्णनीय नजारा थाअपनी मां को गोद में उठाने से पहले संजू ने भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को गोद में उठा लेगा,,,, संजू की बाजुओं का दम देखकर आराधना एकदम से हैरान हो चुकी थी,,, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे अपनी गोद में एकदम आराम से उठा लीया है,,, और संजु अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही उसे कमरे से बाहर वाले कमरे तरफ ले जाने लगा था,,,,, आराधना के चेहरे पर आश्चर्य के भाव नजर आ रहे थे इस तरह से तो उसके पति ने भी कभी अपनी गोद में नही उठाया था और ना ही उसे उठाने लायक भी था क्योंकि अशोक शरीर से उतना दमखम वाला नहीं था,,, इसलिए तो अपने बेटे के दम पर उसे नाज हो रहा था,,, संजू तो पहले से ही अपनी मां की सूचियों को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसकी वजह से पहले उसका लंड खड़ा हो गया था और इस समय जानबूझकर अपनी मां को इस तरह से गोद में उठाया हुआ था कि उसका खड़ा लंड जो की पैंट में तंबू बनाया हुआ था,, वह सीधे-सीधे नीचे से आराधना की गांड में चुभ रहा था पहले तो अफरा तफरी में आराधना का ध्यान उस तरफ बिल्कुल भी नहीं गया लेकिन जैसे-जैसे उसे अपनी गांड पर कुछ चुभता हुआमहसूस हुआ तो वैसे ही उसका ध्यान उस ओर गया तो उसे अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर जो कुछ भी चुभ रहा है वह कुछ और नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड है इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, औरआराधना को जिस तरह से संजू ने बिना जानकारी दी उसे अपनी गोद में उठा लिया था उससे आराधना पूरी तरह से सिहर उठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लाश दौड़ने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना काम कर रही थी कि तभी अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते ही उसके सब्र का बांध टूट गया,,, और उसकी बुर से छल छलाकर मदन रस बहने लगा,,, आराधना झड़ने लगी थी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी,,, अपने बेटे के संसर्ग में आकर यह उसका पहला स्खलन था,, जो कि बेहद कामुकता से भरा हुआ था आराधना के जीवन का यह पहला स्खलन था जो कि बिना कुछ किए ही वह झड़ गई थी,,,, आराधना की सांसे बेहद गहरी चल रही थी संजु को तो इस बात का एहसास तक नहीं ताकि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां का पानी निकल गया है वापस जानबूझकर अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड से रगड़ रहा था उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,, संजु अपनी मां को गोद में उठाएखड़ा था क्योंकि उसे भी अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था क्योंकि उसका आनंद सीधे-सीधे उसकी मां की नरम नरम गांड पर चुभ रहा था,,, आराधना झड़ चुकी थी उसके मदन रस्सी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, उसे अपनी चूत पर गुस्सा आ रहा था कि बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और बहने लगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।

अरे मुझे नीचे उतारेगा भी या ईसी तरह से गोद में उठाए हुए ही क्लीनिक लेकर जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही संजू मुस्कुराते अपनी मां को नीचे उतार दिया और उसकी मां बोली,,,)

तू यहीं रुक मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,(इतना कहकर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन बाथरूम में जाते-जाते तिरछी नजर अपने बेटे की पेंट की तरफ डाली तो अपने बेटे के पेंट में अपने तंबू को देखकर एकदम हैरान रह गई,,, बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस
Jabardast update....
 

rohnny4545

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आराधना की हालत पूरी तरह से खराब थी उसने कभी सपने भी नहीं सोची थी कि उसके बेटे की हरकत की वजह से इस कदर उसकी चूत अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाएगी और अपना काम रस छोड़ने लगेगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में ही झड़ गई थी,,, बेहद अद्भुत और आवरणीय अविस्मरणीय वह पल था जब आराधना अपनी बेटे की गोद में अपना काम रस छोड़ते हुए झड़ रही थी,,,, उसकी बेटी को तो इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां ने पानी छोड़ दी है,,, आराधना की गहरी चलती सांसे एक बात का सबूत थी कि संजू के लंड की चुभन साधना अपनी गांड पर बर्दाश्त नहीं कर पाई थी और झड़ गई थी,,,,, पहले तो यह की आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसे इस तरह से अपनी गोद में उठा लिया और उसकी गोद में चाहते ही ना जाने कि उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि इस तरह से उसके पति ने भी कभी उसे अपनी गोद में उठाकर इधर से उधर नहीं ले गया था ,,,। अपने बेटे की ताकत और हरकत देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से सरोबोर हो चुकी थी,,उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी पूछने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में तो मानो भूचाल सा आ गया था,,,
Sanju or uski ma


और बची खुची कसर को संजू के लंड की चुभन ने पूरा कर दिया था,,,जैसे ही संजू को इस बात का अहसास हुआ कि उसकी गोल-गोल कांड पर उसके बेटे का लंड चुभ रहा है इस बात के एहसास से ही उसकी चुत पानी फेंकना शुरू कर दी थी,,,, और वह अद्भुत सुख में अपने पूरे वजूद को पिघलते हुए महसूस कर रही थी,,,, आज तक इस तरह से आराधना का पानी नहीं निकला था इसलिए तो वह हैरान थी उसकी चड्डी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसीलिए वह फ्रेश होने का बहाना करके बाथरूम में घुस गई थी और बाथरूम का दरवाजा बंद करते ही वह अपनी साड़ी उठाकर सबसे पहले अपनी नजरों को अपनी चड्डी पर घुमाने लगी थी आगे का पूरा भाग पूरी तरह से पानी से सरोवर हो चुका था,,, अजीब से चिपचिपाहट महसूस करते हुए आराधना अपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अगले ही पल वह अपनी चड्डी उतार कर उसे अपने हाथों में लेकर चारों तरफ घुमा कर देखने लगी आज उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला था और तन बदन में अजीब सी सनसनी दौड़ गई थी,,,,।



इस अद्भुत मुठभेड़ में जो कुछ भी हुआ था उसी से हैरानी के साथ-साथ आराधना पूरी तरह से संतुष्टि का अहसास भी कर रही थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लग गई थी और वह नीचे बैठ कर के साफ करने लगी थी और उसकी गुलाबी चूत से इतनी तीव्रता से उसका नमकीन रस बाहर निकल रहा था कि उसमें से आ रही सीटी की आवाज बाहर खड़े संजू के कानों में एकदम साफ तौर पर सुनाई दे रही थी जिसे सुनकर संजू पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि बाथरूम में उसकी मां मुत रही है,,,पल भर में ही संजू बाथरूम के अंदर के दृश्य की कल्पना अपने मन मस्तिष्क में करने लगा था वह अपने मन में सोचने लगा था कि कैसे उसकी मां बाथरूम में घुसते ही बाथरूम का दरवाजा बंद कर ली होगी और अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड से चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका कर बैठ गई होगी,,, और अपनी गुलाबी चूत के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार मार रही होगी,,,,इस तरह की कल्पना करते ही संजू उत्तेजना से भर गया था उसे लगने लगा था कि कहीं उसका लावा ना निकल जाए बड़ी मुश्किल से वह संभाले हुए था और अंदर बाथरूम में आराधना पेशाब करते हुए बाथरूम में घुसते घुसते जिस तरह के दृश्य को अपनी आंखों से देखी थी उसके बारे में सोच सोच कर पूरी तरह से हैरान थी संजू के पेंट में अद्भुत तंबू बना हुआ था जिसे देखकर आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे के पेंट में उसका हथियार कमजोर नहीं बल्कि बेहद दमदार है जिसकी जुबान वहां अपनी गांड पर करके झड़ गई थी सिर्फ इतने से ही उसका यह हाल था तो अगर उसका बेटा अपने लंड को उसकी चूत में डालने का तब उसका क्या हाल होगा वह तो पानी पानी हो जाएगी,,,यह ख्याल मन में आते ही शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए क्योंकि अनजाने में ही यह ख्याल उसके मन में आया था कि उसके बेटे का लंड उसकी चूत में जाएगा,,,,।
Sanju or uski ma



आराधना,,, पेशाब कर चुकी थी और जल्दी जल्दी अपनी चड्डी को पानी से धोकर वही रस्सी पर टांग दी थी दूसरी चड्डी बाथरूम में नहीं थी इसलिए वह ऐसे ही अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके बाथरूम से बाहर निकल गई आज वह साड़ी के नीचे चड्डी नहीं पहनी थी,,,, जैसे ही आराधना बाथरूम से बाहर निकले संजू बोला,,,।



अब चले,,,

तू बगैर लिए जाएगा तो नहीं इसलिए जाना ही पड़ेगा चल,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों मां-बेटे घर से बाहर निकल कर दरवाजा बंद करके ताला लगा दी है और संजू स्कूटी चालू करके अपनी मां के पीछे बैठने का इंतजार करने लगा दरवाजे पर ताला लगाकर आराधना अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर स्कूटी पर बैठ गई और बैठने की वजह से आराधना का बदन संजू के बदन से एकदम सट गया,,,, एहसास संजू के साथ-साथ आराधना के भी तन बदन में आग लगाने लगा था,,,,)

बैठ गई हो मम्मी,,,


हां,,(अपना एक हाथ संजू के कंधे पर रखकर) अब चल,,,

(इतना सुनते ही संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया,,, साड़ी पहने होने की वजह से आराधना अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके बैठी थी जिसकी वजह से संजू को उतना मजा नहीं आ रहा था जितना कि अगर वह दोनों टांगों को दोनों तरफ करके बैठती,,, इस तरह से बैठने से संजीव अपनी पीठ पर अपनी मां की चुचियों का दबाव अच्छी तरह से महसूस कर पाता,, लेकिन इस समय ऐसा संभव बिल्कुल भी नहीं था,,, थोड़ी ही देर में दोनों क्लीनिक पहुंच गए,,,दोपहर का समय होने की वजह से क्लीनिक पर बिल्कुल भी भीड़ नहीं थी इसलिए ज्यादा ही नंबर आ गया और दोनों डॉक्टर के केबिन में चले गए,,,, डॉक्टर तकरीबन 40 साल का था,,, उसकी नजर जैसे ही आराधना पर पड़ी वह उसे देखता ही रह गया ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार कोई खूबसूरत औरत उसकी क्लीनिक में आई थी,,,, डॉक्टर की गलती इसमें बिल्कुल भी नहीं थी आराधना के बदन की बनावट और उसका व्यक्तित्व ही ऐसा था कि कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो जाता था लेकिन डॉक्टर को ईस समय आराधना की बड़ी बड़ी चूची आकर्षित कर रही थी,,,,,, डॉक्टर ने दोनों को कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और दोनों मां-बेटे टेबल के सामने कुर्सी पर बैठ गए,,)




क्या तकलीफ है,,,?

जी डॉक्टर साहब मेरी मम्मी को आज बहुत तेज बुखार है सर भी दर्द कर रहा था लेकिन सर अभी दर्द नहीं कर रहा है,,,
(डॉक्टर संजु की बात को सुन रहा था लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतने बड़े लड़के की यह औरत मां है क्योंकि उसके बदन की बनावट,, इस तरह की थी कि लगता ही नहीं था कि उसका इतना बड़ा बेटा भी होगा,,,, डॉक्टर की नजर बार-बार आराधना की छातियों पर चली जा रही थी,,,, संजू की बात सुनकर डॉक्टर अपनी कुर्सी से खड़ा होता हुआ बोला,,,)

चलिए उस टेबल पर लेट जाइए चेकअप करना पड़ेगा,,,,
(आराधना इतना सुनते ही अपनी जगह से खड़ी हुई और चुपचाप जाकर उस टेबल पर लेट गई जो कि पेशेंट के लिए ही रखा गया था जिस पर पेशेंट का चेकअप होता था,,,,, डॉक्टर टेबल के करीब गया आराधना पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी उन्नत छातियां पीठ के बल लेट होने की वजह से विशाल रूप धारण करके पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज में फैल चुकी थी वह तो अच्छा था कि ऊपर साड़ी का पल्लू था वरना ऐसी हालत में देखकर डॉक्टर का पानी निकल गया होता,,, डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी छातियां और से खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए ब्लड प्रेशर नापने वाले कंपास को खोल कर उस पट्टे को आराधना कि बांह पर लपेटने लगा,,, डॉक्टर की किस्मत इसलिए बहुत अच्छी थी कि वह अपने पैसे के अनुसार आराधना को छू सकता था उसकी खूबसूरत बदन को स्पर्श कर सकता,,, इसलिए उसकी बांह पर पट्टा लपेट ते हुए डॉक्टर को उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, पीछे कुर्सी पर बैठकर संजू देख रहा था उसका ध्यान डॉक्टर पर बिल्कुल भी नहीं था कि डॉक्टर उसकी मां को गंदी नजर से देख रहा है,,, ब्लड प्रेशर के पट्टे में हवा भरते हुए एक नजर थर्मामीटर पर डालते हुए,,, बोला,,)



बीपी तो एकदम सही है,,,,(इतना कहते हुए पट्टा को वापस करने लगा,,, और पट्टे को निकालते समय बोला) आपका नाम क्या है,,,


आराधना,,,


जी आराधना जी,,,, अपना बीपी एकदम कंप्लीट है कोई दिक्कत नहीं है,,,, बस थोड़ा सा बुखार लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह आल्हा को अपने कान में लगाकर लेकर उसकी नोब को जानबूझकर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी छातियों पर लगाकर उसका बुखार नापने लगा,,, आराधना शर्मा से सीहरने लगी थी संजू कुर्सी पर बैठकर यह सब देख रहा था लेकिन जो कुछ भी डॉक्टर कर रहा था संजू को अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन वह कर भी क्या सकता था सिर्फ देखने के सिवाय और डॉक्टर था कि लोग को ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों पर दबाकर उसकी गर्मी को नाप रहा था पेंट के अंदर डॉक्टर के लंड में भी हरकत करना शुरू कर दिया था,,, गोल गोल बड़ी सूचियों को डॉक्टर अपने आला के नोब से दबा रहा था और ऐसा करने से डॉक्टर को इस बात का एहसास हुआ कि आराधना की बड़ी-बड़ी चूचियां वास्तव में कितनी नरम गरम है डॉक्टर का मन तो कर रहा था कि अपने हाथों से आराधना के ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु कर दें लेकिन डॉक्टर होने के नाते ऐसा करना मुनासिब बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी चेकअप करने के बहाने डॉक्टर ने उसकी चुचियों कोब्लाउज के ऊपर से ही छूने का सुख प्राप्त कर लिया था,,,,,।

डॉक्टर को मजा आ रहा था तो आराधना कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि डॉक्टर जानबूझकर उस लोग को कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा था जिससे ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियां दब जा रही थी इससे पहले भी वह दूसरे क्लीनिक पर जा चुकी थी लेकिन इस तरह से किसी भी डॉक्टर ने उसका चेकअप नहीं किया था जिस तरह से यह डॉक्टर उसका चेकअप कर रहा था इसलिए तो आराधना कि तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, आराधना की कसमसाहटऔर उलझन और ज्यादा बढ़ गई जब डॉक्टर ने उसे गहरी गहरी सांसें लेने के लिए बोला,,,, डॉक्टर जानबूझ कर उसे गहरी सांस लेने के लिए बोल रहा था क्योंकि डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी चुचियों को उठते बैठते हुए अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था ,,, डॉक्टर के कहे अनुसार आराधना गहरी गहरी सांस लेने लगी और ऐसा करने पर उसकी छातियों पर जो तूफान उठने लगा उसे देखकर डॉक्टर के हौसले पस्त होने लगे उसके पेंट में गदर सा मचने लगाऔर देखते ही देखते हैं उसके पैंट के आगे वाले भाग में अच्छा-खासा तंबू बन गया जो कि उस पर अभी किसी की नजर नहीं गई थी,,,, जब जब आराधना गहरी सांस अंदर की तरफ जाती थी तब तक उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर की तरफ फुटबॉल की तरह उठा रही थी जिसे लपक ने के लिए डॉक्टर पूरी तरह से लालायित नजर आ रहा था लेकिन वह आराधना के फुटबॉल नुमा चुचियों को लपक ने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा था,,, क्योंकि ऐसा करना उसके हित में बिल्कुल भी नहीं था उठती बैठती चुचियों पर अपने आला का नॉब लगाकर डॉक्टर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगा था,,,, 30 से 40 सेकंड के काम में डॉक्टर ने पूरा 5 मिनट लगा दिया था वह आराधना की चुचियों से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था,,,, अपने मन को मार कर डॉक्टर आल्हा को अपने काम से हटाकर अपने गले में लगाते हुए आराधना से बोला,,,।)

आराधना जी बुखार थोड़ा ज्यादा है इसलिए आपको टेबलेट तो दे ही रहा हूं लेकिन इंजेक्शन भी लगाना पड़ेगा,,,


नहीं नहीं डॉक्टर साहब इंजेक्शन से मुझे बहुत डर लगता है,,,


देखिए इंजेक्शन तो तुम्हें लगवाना ही पड़ेगा वरना अभी तो तुम्हारा बुखार उतर जाएगा लेकिन दो-तीन दिन बाद फिर से तुम्हें और तेज बुखार चलेगा क्योंकि तुम्हारा बुखार मलेरिया के असर का है,,,पर अगर तुम नहीं चाहती इंजेक्शन लगवाने के लिए तो मैं जिद नहीं करता हूं लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि तुम्हें सही सलाह देना,,,,
(इतना सुनते ही संजू से रहा नहीं गया और वह अपनी जगह से उठकर डॉक्टर से बोला)


कोई बात नहीं डॉक्टर आप इंजेक्शन लगा दीजिए,,,

(संजू की बात सुनते ही डॉक्टर की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था,,,)

नहीं संजू यह क्या कर रहा है तू मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है,,,


मम्मी इंजेक्शन से आराम भी चल जाएगा,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,।

(डॉक्टर सुई लगाने के लिए इंजेक्शन तैयार करने लगा,,, आराधना उठ कर बैठ गई थी वह अपने साड़ी का पल्लू ठीक करके अपनी बांह आगे किए हुए थी डॉक्टर सीरीज में दवा भरकर जैसे ही आराधना के पास आया तो उसे बैठा हुआ देखकर बोला,,,)

हाथ में नहीं लगाना है लेट जाओ,,,
(इतना सुनते ही आराधना संजू की तरफ देखने लगी तो आराधना के मन की बात को समझते हुए डॉक्टर बोला)

देखो यह मलेरिया से संबंधित इंजेक्शन है अगर हाथ में लगा दिया तो हाथ बहुत दर्द करेगा और तुम से हाथ उठाया नहीं जाएगा,,,,


तब तो तकलीफ हो जाएगी डॉक्टर साहब,,, नहीं नहीं आप ऐसा कीजिए कमर पर लगा दीजिए,,,(संजू अपना अभी प्राय देते हुए बोला तो डॉक्टर बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)


कमर में नहीं कुल्हे में,,,,
(इतना सुनते ही आराधना के होश उड़ गए जिस तरह की हरकत डॉक्टर ने ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों के साथ किया था उसे देखते हुए उसे लगने लगा कि डॉक्टर के मन में कुछ और चल रहा है लेकिन क्या करें वह डॉक्टर था और वह पेशेंट थी,,, डॉक्टर जो कहता है उसे मानना ही था,,,। इसलिए संजू बोला,,,)

ठीक है मम्मी तुम लेट जाओ चिंता मत करो मैं हूं ना,,,

(आराधना को इंजेक्शन से बहुत डर लगता था और वहां अपने बेटे की बात मानते हुए पेट के बल लेट गई हालांकि उसे कमर के साइड लेटना था लेकिन घबराहट में वहां पेट के बल लेट चुकी थी जिससे उसकी भारी-भरकम गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी जिसे देखकर डॉक्टर के मुंह में पानी आ रहा था और यही हाल संजू का भी था क्योंकि जिस तरह से टेबल पर उसकी मां पेट के बल लेटी हुई थी उसकी भारी-भरकम गोल-गोल गांड संजू की आंखों के सामने नाच रही थी और साड़ी इतने कस के बाद ही हुई थी कि साड़ी के ऊपर से ही नितंबों का पूरा भूगोल साफ नजर आ रहा था उसके आकार और निखार दोनों उभर कर सामने आ रहे थे,,,,।

आराधना की चिकनी मांसल कमर देख कर डॉक्टर का ईमान पर चलने लगा था उसके बीच की गहरी पतली दरार तो डॉक्टर के होश उड़ा रही थी,,, डॉक्टर का मन अपने दोनों हाथों से आराधना की चिकनी कमर पकड़ने को कर रहा था उसकी बड़ी-बड़ी गण को अपने दोनों हाथ के लिए में भर-भर कर दबाने को कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकना शायद उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था बस वहां आराधना की खूबसूरती को अपनी आंखों से पी सकता था,,,,,,

डॉक्टर सिरिंज में दवा भरकर इंजेक्शन तैयार कर चुका था वह संजू को आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे करने के लिए बोला,,, डॉक्टर का बस चलता तो वह कमर से नहीं बल्कि नीचे से साड़ी को कमर तक उठा देता और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर शायद एकदम मदहोश हो जाता,,,, डॉक्टर की बात सुनते हीसंजू आगे बढ़ा और अपनी मां की कमर पर की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा था कि डॉक्टर अच्छे से उसके कोणों पर इंजेक्शन लगा सके,,, लेकिन साड़ी इतनी कसके बांधी हुई थी कि संजू से ठीक से नीचे खींची नहीं जा रही थी,,, तो डॉक्टर ही आगे बढ़कर आराधना की चिकनी कमर को छूते हुए आराधना की कमर पर की साड़ी को अपनी उंगली को उसकी कमर पर बनी साड़ी के अंदर डालते हुए उसे अच्छे से हथेली से पकड़ लिया,, कमर की गोरी चिकनी नरमाहट को अपनी उंगली पर महसूस करते ही डॉक्टर के तन बदन में आग लगने लगी वह लंबी सांस लेते हुए आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे की तरफ सरकाया तो साड़ी आराम से कमर से नीचे सरक गई और ऐसा करने से,,, डॉक्टर की आंखों के सामने आराधना की नितंबों की दरार के ऊपरी वाला हिस्सा जो की गोल बिंदु के रूप में नजर आ रहा था वह नजर आने लगा उसे देखते ही डॉक्टर एकदम से सुध बुध खो दियाशायद इस तरह से उसने आज तक किसी भी औरत को इंजेक्शन लगाने का प्रयास नहीं किया था आराधना को देखकर उसका ईमान डोलने लगा था और वह इसीलिए हाथ में लगाने की वजाय उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाने जा रहा था,,,,डॉक्टर को आराधना की गांड की दरार एकदम साफ नजर आ रही थी और वह भी ऊपर हिस्से की जहां से गांड की शुरुआत होती है और यह है संजू की देख रहा था संजू की हालत तो खराब होने लगी थी लेकिन जैसे ही संजू की नजर डॉक्टर के पेंट के आगे वाले भाग पर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि उसमे तंबू बना हुआ था जोकी संजू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां की गांड को देखकर डॉक्टर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था संजू को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस बात का गर्व हो रहा था कि उसकी मां की खूबसूरती देखकर डॉक्टर से सहन नहीं हो रहा था उसकी जवानी डॉक्टर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा,,, था,,,।

आराधना पेट के बल अपनी आंखों को बंद किए हुए लेटी थी,, वह चाहती थी जल्द से जल्द डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगा दे ताकि वह इंजेक्शन से होने वाले दर्द से निजात पा सके,,, डॉक्टर अपने हाथ में इंजेक्शन लेकर आराधना को लगाने के लिए तैयार था आराधना की गोरी गोरी बड़ी-बड़ी गांड की चमक डॉक्टर की आंखों में साफ नजर आ रही थी,,, अगर इस समय संजू उसके साथ ना होता तो शायद वह आराधना की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे छूने का और भी ज्यादा सुख प्राप्त कर लेता,,,,।

डॉक्टर अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए आराधना को इंजेक्शन लगाने लगा और जैसे ही सिरिंज को आराधना की गांड में अंदर की तरफ धंसायावैसे ही आराधना के मुंह से आह निकल गई
इस तरह से डॉ आराधना को इंजेक्शन लगाते हुए




और संजू ने तुरंत अपनी मां की टांग को पकड़कर उसे सांत्वना देने लगा कि बस हो गया,,, और देखते ही देखते डॉक्टर ने सीरीज की सारी दवा को आराधना की गांड में प्रवेश करा दिया,,,और धीरे से सुई को बाहर निकाल कर अपने अंगूठे से उस जगह को गोल-गोल दबाकर उसे उसी तरह से छोड़ दिया,,, और सिरिंज को कूड़े में फेंकते हुए बोला,,,।


आप अपनी साड़ी ठीक कर लीजिए,,(और इतना कहने के साथ ही वह वापस अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया और दवा देने लगा,,,, थोड़ी देर में आराधना भी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके टेबल पर से नीचे उतर गई और दोनों मां-बेटे दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल गए और जाते-जाते डॉक्टर आराधना की कसी हुई काम को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को मसलने लगा,,,, दोनों दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल चुके थे और संजू स्कूटी पर बैठा कर अपनी मां को घर पर लेकर आ गया,,,)
 
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आराधना की हालत पूरी तरह से खराब थी उसने कभी सपने भी नहीं सोची थी कि उसके बेटे की हरकत की वजह से इस कदर उसकी चूत अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाएगी और अपना काम रस छोड़ने लगेगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में ही झड़ गई थी,,, बेहद अद्भुत और आवरणीय अविस्मरणीय वह पल था जब आराधना अपनी बेटे की गोद में अपना काम रस छोड़ते हुए झड़ रही थी,,,, उसकी बेटी को तो इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां ने पानी छोड़ दी है,,, आराधना की गहरी चलती सांसे एक बात का सबूत थी कि संजू के लंड की चुभन साधना अपनी गांड पर बर्दाश्त नहीं कर पाई थी और झड़ गई थी,,,,, पहले तो यह की आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसे इस तरह से अपनी गोद में उठा लिया और उसकी गोद में चाहते ही ना जाने कि उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि इस तरह से उसके पति ने भी कभी उसे अपनी गोद में उठाकर इधर से उधर नहीं ले गया था ,,,। अपने बेटे की ताकत और हरकत देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से सरोबोर हो चुकी थी,,उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी पूछने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में तो मानो भूचाल सा आ गया था,,, और बची खुची कसर को संजू के लंड की चुभन ने पूरा कर दिया था,,,जैसे ही संजू को इस बात का अहसास हुआ कि उसकी गोल-गोल कांड पर उसके बेटे का लंड चुभ रहा है इस बात के एहसास से ही उसकी चुत पानी फेंकना शुरू कर दी थी,,,, और वह अद्भुत सुख में अपने पूरे वजूद को पिघलते हुए महसूस कर रही थी,,,, आज तक इस तरह से आराधना का पानी नहीं निकला था इसलिए तो वह हैरान थी उसकी चड्डी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसीलिए वह फ्रेश होने का बहाना करके बाथरूम में घुस गई थी और बाथरूम का दरवाजा बंद करते ही वह अपनी साड़ी उठाकर सबसे पहले अपनी नजरों को अपनी चड्डी पर घुमाने लगी थी आगे का पूरा भाग पूरी तरह से पानी से सरोवर हो चुका था,,, अजीब से चिपचिपाहट महसूस करते हुए आराधना अपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अगले ही पल वह अपनी चड्डी उतार कर उसे अपने हाथों में लेकर चारों तरफ घुमा कर देखने लगी आज उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला था और तन बदन में अजीब सी सनसनी दौड़ गई थी,,,,।

इस अद्भुत मुठभेड़ में जो कुछ भी हुआ था उसी से हैरानी के साथ-साथ आराधना पूरी तरह से संतुष्टि का अहसास भी कर रही थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लग गई थी और वह नीचे बैठ कर के साफ करने लगी थी और उसकी गुलाबी चूत से इतनी तीव्रता से उसका नमकीन रस बाहर निकल रहा था कि उसमें से आ रही सीटी की आवाज बाहर खड़े संजू के कानों में एकदम साफ तौर पर सुनाई दे रही थी जिसे सुनकर संजू पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि बाथरूम में उसकी मां मुत रही है,,,पल भर में ही संजू बाथरूम के अंदर के दृश्य की कल्पना अपने मन मस्तिष्क में करने लगा था वह अपने मन में सोचने लगा था कि कैसे उसकी मां बाथरूम में घुसते ही बाथरूम का दरवाजा बंद कर ली होगी और अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड से चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका कर बैठ गई होगी,,, और अपनी गुलाबी चूत के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार मार रही होगी,,,,इस तरह की कल्पना करते ही संजू उत्तेजना से भर गया था उसे लगने लगा था कि कहीं उसका लावा ना निकल जाए बड़ी मुश्किल से वह संभाले हुए था और अंदर बाथरूम में आराधना पेशाब करते हुए बाथरूम में घुसते घुसते जिस तरह के दृश्य को अपनी आंखों से देखी थी उसके बारे में सोच सोच कर पूरी तरह से हैरान थी संजू के पेंट में अद्भुत तंबू बना हुआ था जिसे देखकर आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे के पेंट में उसका हथियार कमजोर नहीं बल्कि बेहद दमदार है जिसकी जुबान वहां अपनी गांड पर करके झड़ गई थी सिर्फ इतने से ही उसका यह हाल था तो अगर उसका बेटा अपने लंड को उसकी चूत में डालने का तब उसका क्या हाल होगा वह तो पानी पानी हो जाएगी,,,यह ख्याल मन में आते ही शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए क्योंकि अनजाने में ही यह ख्याल उसके मन में आया था कि उसके बेटे का लंड उसकी चूत में जाएगा,,,,।

आराधना,,, पेशाब कर चुकी थी और जल्दी जल्दी अपनी चड्डी को पानी से धोकर वही रस्सी पर टांग दी थी दूसरी चड्डी बाथरूम में नहीं थी इसलिए वह ऐसे ही अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके बाथरूम से बाहर निकल गई आज वह साड़ी के नीचे चड्डी नहीं पहनी थी,,,, जैसे ही आराधना बाथरूम से बाहर निकले संजू बोला,,,।

अब चले,,,

तू बगैर लिए जाएगा तो नहीं इसलिए जाना ही पड़ेगा चल,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों मां-बेटे घर से बाहर निकल कर दरवाजा बंद करके ताला लगा दी है और संजू स्कूटी चालू करके अपनी मां के पीछे बैठने का इंतजार करने लगा दरवाजे पर ताला लगाकर आराधना अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर स्कूटी पर बैठ गई और बैठने की वजह से आराधना का बदन संजू के बदन से एकदम सट गया,,,, एहसास संजू के साथ-साथ आराधना के भी तन बदन में आग लगाने लगा था,,,,)

बैठ गई हो मम्मी,,,


हां,,(अपना एक हाथ संजू के कंधे पर रखकर) अब चल,,,

(इतना सुनते ही संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया,,, साड़ी पहने होने की वजह से आराधना अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके बैठी थी जिसकी वजह से संजू को उतना मजा नहीं आ रहा था जितना कि अगर वह दोनों टांगों को दोनों तरफ करके बैठती,,, इस तरह से बैठने से संजीव अपनी पीठ पर अपनी मां की चुचियों का दबाव अच्छी तरह से महसूस कर पाता,, लेकिन इस समय ऐसा संभव बिल्कुल भी नहीं था,,, थोड़ी ही देर में दोनों क्लीनिक पहुंच गए,,,दोपहर का समय होने की वजह से क्लीनिक पर बिल्कुल भी भीड़ नहीं थी इसलिए ज्यादा ही नंबर आ गया और दोनों डॉक्टर के केबिन में चले गए,,,, डॉक्टर तकरीबन 40 साल का था,,, उसकी नजर जैसे ही आराधना पर पड़ी वह उसे देखता ही रह गया ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार कोई खूबसूरत औरत उसकी क्लीनिक में आई थी,,,, डॉक्टर की गलती इसमें बिल्कुल भी नहीं थी आराधना के बदन की बनावट और उसका व्यक्तित्व ही ऐसा था कि कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो जाता था लेकिन डॉक्टर को ईस समय आराधना की बड़ी बड़ी चूची आकर्षित कर रही थी,,,,,, डॉक्टर ने दोनों को कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और दोनों मां-बेटे टेबल के सामने कुर्सी पर बैठ गए,,)


क्या तकलीफ है,,,?

जी डॉक्टर साहब मेरी मम्मी को आज बहुत तेज बुखार है सर भी दर्द कर रहा था लेकिन सर अभी दर्द नहीं कर रहा है,,,
(डॉक्टर संजु की बात को सुन रहा था लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतने बड़े लड़के की यह औरत मां है क्योंकि उसके बदन की बनावट,, इस तरह की थी कि लगता ही नहीं था कि उसका इतना बड़ा बेटा भी होगा,,,, डॉक्टर की नजर बार-बार आराधना की छातियों पर चली जा रही थी,,,, संजू की बात सुनकर डॉक्टर अपनी कुर्सी से खड़ा होता हुआ बोला,,,)

चलिए उस टेबल पर लेट जाइए चेकअप करना पड़ेगा,,,,
(आराधना इतना सुनते ही अपनी जगह से खड़ी हुई और चुपचाप जाकर उस टेबल पर लेट गई जो कि पेशेंट के लिए ही रखा गया था जिस पर पेशेंट का चेकअप होता था,,,,, डॉक्टर टेबल के करीब गया आराधना पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी उन्नत छातियां पीठ के बल लेट होने की वजह से विशाल रूप धारण करके पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज में फैल चुकी थी वह तो अच्छा था कि ऊपर साड़ी का पल्लू था वरना ऐसी हालत में देखकर डॉक्टर का पानी निकल गया होता,,, डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी छातियां और से खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए ब्लड प्रेशर नापने वाले कंपास को खोल कर उस पट्टे को आराधना कि बांह पर लपेटने लगा,,, डॉक्टर की किस्मत इसलिए बहुत अच्छी थी कि वह अपने पैसे के अनुसार आराधना को छू सकता था उसकी खूबसूरत बदन को स्पर्श कर सकता,,, इसलिए उसकी बांह पर पट्टा लपेट ते हुए डॉक्टर को उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, पीछे कुर्सी पर बैठकर संजू देख रहा था उसका ध्यान डॉक्टर पर बिल्कुल भी नहीं था कि डॉक्टर उसकी मां को गंदी नजर से देख रहा है,,, ब्लड प्रेशर के पट्टे में हवा भरते हुए एक नजर थर्मामीटर पर डालते हुए,,, बोला,,)

बीपी तो एकदम सही है,,,,(इतना कहते हुए पट्टा को वापस करने लगा,,, और पट्टे को निकालते समय बोला) आपका नाम क्या है,,,


आराधना,,,


जी आराधना जी,,,, अपना बीपी एकदम कंप्लीट है कोई दिक्कत नहीं है,,,, बस थोड़ा सा बुखार लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह आल्हा को अपने कान में लगाकर लेकर उसकी नोब को जानबूझकर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी छातियों पर लगाकर उसका बुखार नापने लगा,,, आराधना शर्मा से सीहरने लगी थी संजू कुर्सी पर बैठकर यह सब देख रहा था लेकिन जो कुछ भी डॉक्टर कर रहा था संजू को अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन वह कर भी क्या सकता था सिर्फ देखने के सिवाय और डॉक्टर था कि लोग को ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों पर दबाकर उसकी गर्मी को नाप रहा था पेंट के अंदर डॉक्टर के लंड में भी हरकत करना शुरू कर दिया था,,, गोल गोल बड़ी सूचियों को डॉक्टर अपने आला के नोब से दबा रहा था और ऐसा करने से डॉक्टर को इस बात का एहसास हुआ कि आराधना की बड़ी-बड़ी चूचियां वास्तव में कितनी नरम गरम है डॉक्टर का मन तो कर रहा था कि अपने हाथों से आराधना के ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु कर दें लेकिन डॉक्टर होने के नाते ऐसा करना मुनासिब बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी चेकअप करने के बहाने डॉक्टर ने उसकी चुचियों कोब्लाउज के ऊपर से ही छूने का सुख प्राप्त कर लिया था,,,,,।

डॉक्टर को मजा आ रहा था तो आराधना कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि डॉक्टर जानबूझकर उस लोग को कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा था जिससे ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियां दब जा रही थी इससे पहले भी वह दूसरे क्लीनिक पर जा चुकी थी लेकिन इस तरह से किसी भी डॉक्टर ने उसका चेकअप नहीं किया था जिस तरह से यह डॉक्टर उसका चेकअप कर रहा था इसलिए तो आराधना कि तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, आराधना की कसमसाहटऔर उलझन और ज्यादा बढ़ गई जब डॉक्टर ने उसे गहरी गहरी सांसें लेने के लिए बोला,,,, डॉक्टर जानबूझ कर उसे गहरी सांस लेने के लिए बोल रहा था क्योंकि डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी चुचियों को उठते बैठते हुए अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था ,,, डॉक्टर के कहे अनुसार आराधना गहरी गहरी सांस लेने लगी और ऐसा करने पर उसकी छातियों पर जो तूफान उठने लगा उसे देखकर डॉक्टर के हौसले पस्त होने लगे उसके पेंट में गदर सा मचने लगाऔर देखते ही देखते हैं उसके पैंट के आगे वाले भाग में अच्छा-खासा तंबू बन गया जो कि उस पर अभी किसी की नजर नहीं गई थी,,,, जब जब आराधना गहरी सांस अंदर की तरफ जाती थी तब तक उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर की तरफ फुटबॉल की तरह उठा रही थी जिसे लपक ने के लिए डॉक्टर पूरी तरह से लालायित नजर आ रहा था लेकिन वह आराधना के फुटबॉल नुमा चुचियों को लपक ने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा था,,, क्योंकि ऐसा करना उसके हित में बिल्कुल भी नहीं था उठती बैठती चुचियों पर अपने आला का नॉब लगाकर डॉक्टर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगा था,,,, 30 से 40 सेकंड के काम में डॉक्टर ने पूरा 5 मिनट लगा दिया था वह आराधना की चुचियों से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था,,,, अपने मन को मार कर डॉक्टर आल्हा को अपने काम से हटाकर अपने गले में लगाते हुए आराधना से बोला,,,।)

आराधना जी बुखार थोड़ा ज्यादा है इसलिए आपको टेबलेट तो दे ही रहा हूं लेकिन इंजेक्शन भी लगाना पड़ेगा,,,


नहीं नहीं डॉक्टर साहब इंजेक्शन से मुझे बहुत डर लगता है,,,


देखिए इंजेक्शन तो तुम्हें लगवाना ही पड़ेगा वरना अभी तो तुम्हारा बुखार उतर जाएगा लेकिन दो-तीन दिन बाद फिर से तुम्हें और तेज बुखार चलेगा क्योंकि तुम्हारा बुखार मलेरिया के असर का है,,,पर अगर तुम नहीं चाहती इंजेक्शन लगवाने के लिए तो मैं जिद नहीं करता हूं लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि तुम्हें सही सलाह देना,,,,
(इतना सुनते ही संजू से रहा नहीं गया और वह अपनी जगह से उठकर डॉक्टर से बोला)


कोई बात नहीं डॉक्टर आप इंजेक्शन लगा दीजिए,,,

(संजू की बात सुनते ही डॉक्टर की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था,,,)

नहीं संजू यह क्या कर रहा है तू मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है,,,


मम्मी इंजेक्शन से आराम भी चल जाएगा,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,।

(डॉक्टर सुई लगाने के लिए इंजेक्शन तैयार करने लगा,,, आराधना उठ कर बैठ गई थी वह अपने साड़ी का पल्लू ठीक करके अपनी बांह आगे किए हुए थी डॉक्टर सीरीज में दवा भरकर जैसे ही आराधना के पास आया तो उसे बैठा हुआ देखकर बोला,,,)

हाथ में नहीं लगाना है लेट जाओ,,,
(इतना सुनते ही आराधना संजू की तरफ देखने लगी तो आराधना के मन की बात को समझते हुए डॉक्टर बोला)

देखो यह मलेरिया से संबंधित इंजेक्शन है अगर हाथ में लगा दिया तो हाथ बहुत दर्द करेगा और तुम से हाथ उठाया नहीं जाएगा,,,,


तब तो तकलीफ हो जाएगी डॉक्टर साहब,,, नहीं नहीं आप ऐसा कीजिए कमर पर लगा दीजिए,,,(संजू अपना अभी प्राय देते हुए बोला तो डॉक्टर बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)


कमर में नहीं कुल्हे में,,,,
(इतना सुनते ही आराधना के होश उड़ गए जिस तरह की हरकत डॉक्टर ने ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों के साथ किया था उसे देखते हुए उसे लगने लगा कि डॉक्टर के मन में कुछ और चल रहा है लेकिन क्या करें वह डॉक्टर था और वह पेशेंट थी,,, डॉक्टर जो कहता है उसे मानना ही था,,,। इसलिए संजू बोला,,,)

ठीक है मम्मी तुम लेट जाओ चिंता मत करो मैं हूं ना,,,

(आराधना को इंजेक्शन से बहुत डर लगता था और वहां अपने बेटे की बात मानते हुए पेट के बल लेट गई हालांकि उसे कमर के साइड लेटना था लेकिन घबराहट में वहां पेट के बल लेट चुकी थी जिससे उसकी भारी-भरकम गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी जिसे देखकर डॉक्टर के मुंह में पानी आ रहा था और यही हाल संजू का भी था क्योंकि जिस तरह से टेबल पर उसकी मां पेट के बल लेटी हुई थी उसकी भारी-भरकम गोल-गोल कार्तिक संजू की आंखों के सामने नाच रही थी और साड़ी इतने कस के बाद ही हुई थी कि साड़ी के ऊपर से ही नितंबों का पूरा भूगोल साफ नजर आ रहा था उसके आकार और निखार दोनों उभर कर सामने आ रहे थे,,,,।

आराधना की चिकनी मांसल कमर देख कर डॉक्टर का ईमान पर चलने लगा था उसके बीच की गहरी पतली दरार तो डॉक्टर के होश उड़ा रही थी,,, डॉक्टर का मन अपने दोनों हाथों से आराधना की चिकनी कमर पकड़ने को कर रहा था उसकी बड़ी-बड़ी गण को अपने दोनों हाथ के लिए में भर-भर कर दबाने को कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकना शायद उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था बस वहां आराधना की खूबसूरती को अपनी आंखों से पी सकता था,,,,,,

डॉक्टर सिरिंज में दवा भरकर इंजेक्शन तैयार कर चुका था वह संजू को आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे करने के लिए बोला,,, डॉक्टर का बस चलता तो वह कमर से नहीं बल्कि नीचे से साड़ी को कमर तक उठा देता और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर शायद एकदम मदहोश हो जाता,,,, डॉक्टर की बात सुनते हीसंजू आगे बढ़ा और अपनी मां की कमर पर की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा था कि डॉक्टर अच्छे से उसके कोणों पर इंजेक्शन लगा सके,,, लेकिन साड़ी इतनी कसके बांधी हुई थी कि संजू से ठीक से नीचे खींची नहीं जा रही थी,,, तो डॉक्टर ही आगे बढ़कर आराधना की चिकनी कमर को छूते हुए आराधना की कमर पर की साड़ी को अपनी उंगली को उसकी कमर पर बनी साड़ी के अंदर डालते हुए उसे अच्छे से हथेली से पकड़ लिया,, कमर की गोरी चिकनी नरमाहट को अपनी उंगली पर महसूस करते ही डॉक्टर के तन बदन में आग लगने लगी वह लंबी सांस लेते हुए आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे की तरफ सरकाया तो साड़ी आराम से कमर से नीचे सरक गई और ऐसा करने से,,, डॉक्टर की आंखों के सामने आराधना की नितंबों की दरार के ऊपरी वाला हिस्सा जो की गोल बिंदु के रूप में नजर आ रहा था वह नजर आने लगा उसे देखते ही डॉक्टर एकदम से सुध बुध खो दियाशायद इस तरह से उसने आज तक किसी भी औरत को इंजेक्शन लगाने का प्रयास नहीं किया था आराधना को देखकर उसका ईमान डोलने लगा था और वह इसीलिए हाथ में लगाने की वजाय उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाने जा रहा था,,,,डॉक्टर को आराधना की गांड की दरार एकदम साफ नजर आ रही थी और वह भी ऊपर हिस्से की जहां से गांड की शुरुआत होती है और यह है संजू की देख रहा था संजू की हालत तो खराब होने लगी थी लेकिन जैसे ही संजू की नजर डॉक्टर के पेंट के आगे वाले भाग पर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि उसमे तंबू बना हुआ था जोकी संजू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां की गांड को देखकर डॉक्टर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था संजू को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस बात का गर्व हो रहा था कि उसकी मां की खूबसूरती देखकर डॉक्टर से सहन नहीं हो रहा था उसकी जवानी डॉक्टर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा,,, था,,,।

आराधना पेट के बल अपनी आंखों को बंद किए हुए लेटी थी,, वह चाहती थी जल्दी से चल डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगा दे ताकि वह इंजेक्शन से होने वाले दर्द से निजात पा सके,,, डॉक्टर अपने हाथ में इंजेक्शन लेकर आराधना को लगाने के लिए तैयार था आराधना की गोरी गोरी बड़ी-बड़ी गांड की चमक डॉक्टर की आंखों में साफ नजर आ रही थी,,, अगर इस समय संजू उसके साथ ना होता तो शायद वह आराधना की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे छूने का और भी ज्यादा सुख प्राप्त कर लेता,,,,।

डॉक्टर अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए आराधना को इंजेक्शन लगाने लगा और जैसे ही सिरिंज को आराधना की गांड में अंदर की तरफ धंसायावैसे ही आराधना के मुंह से आह निकल गई और संजू ने तुरंत अपनी मां की टांग को पकड़कर उसे सांत्वना देने लगा कि बस हो गया,,, और देखते ही देखते डॉक्टर ने सीरीज की सारी दवा को आराधना की गांड में प्रवेश करा दिया,,,और धीरे से सुई को बाहर निकाल कर अपने अंगूठे से उस जगह को गोल-गोल दबाकर उसे उसी तरह से छोड़ दिया,,, और सिरिंज को कूड़े में फेंकते हुए बोला,,,।


आप अपनी साड़ी ठीक कर लीजिए,,(और इतना कहने के साथ ही वह वापस अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया और दवा देने लगा,,,, थोड़ी देर में आराधना भी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके टेबल पर से नीचे उतर गई और दोनों मां-बेटे दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल गए और जाते-जाते डॉक्टर आराधना की कसी हुई काम को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को मसलने लगा,,,, दोनों दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल चुके थे और संजू स्कूटी पर बैठा कर अपनी मां को घर पर लेकर आ गया,,,)
Wah bhai maja aa gaya too much romantic update bro and continue story
 
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