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आराधना और संजू दोनों घर पर आ चुके थे अभी मोहिनी घर पर आई नहीं थी,,, आराधना को थकान सी महसूस हो रही थी इसलिए वह कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस ले रही थी,,, संजू अपनी मां से बोला,,,।
तुम आराम करो मैं चाय बना देता हूं तब दवा पी लेना,,,
नहीं रहने दो संजु तु तकलीफ मत उठा,,,, मैं बना लूंगी,,,
अरे इसमें तकलीफ वाली कौन सी बात है अगर तुम्हारी जगह में बीमार होता तो क्या तुम मेरे लिए इतना नहीं करती आखिर मेरा भी तो कोई फर्ज बनता है,,,,।
(इतना कहने के साथ ही संजू रसोईघर में चला गया,,, लेकिन घर में दूध नहीं था इसलिए दूध लेने के लिए बाहर डेरी पर चला गया संजू के बाहर जाते ही आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर संजू इतना समझदार नहीं होता तो उसका क्या होता,,,,, उसका जीवन एकदम निरर्थक हो जाता,,,आराधना अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा उसका कितना ख्याल रखने लगा है पर इसके पीछे की वजह वह जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके प्रति उसके बेटे की आकर्षण ही उसे इतना समझदार बना रही है,,,, क्योंकि संजू का अगर उसके प्रति मां वाला और अपने प्रति बेटे वाला एहसास होता तो शायद वह उसे पाने की चाह नहीं रखता उसे भोगने की इच्छा कभी नहीं रखता,,, लेकिन संजू के लिए उसकी मां के प्रति आकर्षण मां का नहीं बल्कि एक औरत का था,,,इसलिए आराधना को कभी-कभी चिंता होने लगती थी लेकिन जिस तरह से उसने आज उसके सिर की मालिश किया और उसे क्लीनिक लेकर गया यह एहसास ही आराधना के लिए बहुत मायने रखता था जिस हालात में उसे अपने पति का साथ चाहिए था ऐसे हालात में उसे उसके बेटे का सहारा मिल रहा था,,, पति से तो अब उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,, आराधना को अपने प्रति अपने बेटे का व्यवहार देखकर अच्छा भी लगता था,,,, आराधना अपने मन में अपने बेटे के लिए सब सोच रही थी कि तभी उसे क्लीनिक वाला डॉक्टर याद आ गया कि कैसे वह उसके बेटे की आंखों के सामने ही आला से ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा दबा कर बुखार नाप रहा था,,, और तो और उसके बेटे की आंखों के सामने ही उसके हाथ में सुई लगाने की जगह जानबूझकर उसकी कमर के नीचे उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाया था और वह भी अपने हाथों से साड़ी को नीचे की तरफ खींच कर,,,,आराधना को तो इतना यकीन था कि जिस तरह से जितनी साड़ी को वह कमर से नीचे खींचा था जरूर उसे नितंबों की वह पतली लड़की की ऊपरी सतह जरूर नजर आ गई होगी,,और आराधना यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरतों के नितंबों की ऊपरी वाली लकीर एक औरत की उत्तेजना में कितनी मदद करती है,,, जरूर डॉक्टर के साथ-साथ उसके बेटे ने भी उस लकीर को देखा होगा,,,,
आराधना कुर्सी पर बैठे बैठे गहरी सांस लेते हुए अपने मन में सोचने लगी कि डॉक्टर वाली बात उसके बेटे से पूछा जाए तो उसका बेटा क्या जवाब देता है,, क्या उसके बेटे को डॉक्टर की नीयत का पता चल गया था कि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में या डॉक्टर जानबूझकर कर रहा था यही सब जानने के लिए वह अपने बेटे से पूछना चाहती थी लेकिन उसका बेटा अभी दूध लेने गया हुआ था मोहिनी के आने में अभी थोड़ा वक्त था,,,, ना जाने क्यों आराधना को अपने बेटे से बात करने में अब अजीब सी सुख की अनुभूति होने लगी थी उसे अच्छा लगने लगा था,,,,। बदन में बुखार था लेकिन आराधना राहत महसूस कर रही थी क्योंकि सर दर्द गायब हो चुका था और यही उसकी सारी उलझन की वजह भी थी वरना वह मेडिकल से कोई भी बुखार की टेबलेट लेकर ठीक हो सकती थी,,,लेकिन अपने बेटे की जीत के आगे उसकी एक भी नहीं चली और वहां क्लीनिक जाकर दवा लेकर आई,,,।
थोड़ी ही देर में दूध लेकर संजू घर पर वापस आ गया,,, संजू किचन में जाकर स्टोव चालू किया और उस पर कतीरा रखकर उसमें पानी डालने लगा ठीक रसोई घर के सामने कुर्सी पर आराधना बैठी हुई थी जहां पर दोनों एक दूसरे की नजरों के सामने थे,,,।आराधना डॉक्टर वाली बात संजू से करना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था की शुरुआत कैसे करें,,,,। तभी बात की शुरुआत करते हुए आराधना 1 बहाने से संजू से बोली,,,।
संजू एक खुराक अभी खाना है ना,,,
हां मम्मी इसीलिए तो मैं चाय बना रहा हूं ताकि कुछ नाश्ता करके तुम चाय पी लो और उसके बाद दवा खा लो,,,।
ठीक है,,,, मैं तो समझी थी कि रात को खाना है,,,
नहीं नहीं रात को तो दूसरी खुराक खाना है अभी ना खाकर अगर रात को खाओगे तो बुखार बढ़ जाएगा,,,,।
ठीक है अच्छा हुआ तू मेरे साथ था वरना दवा कब खाना है मुझे समझ में ही नहीं आता,,,,(संजू चाय बनाना अच्छी तरह से जानता था इसलिए अपनी मां से बिना पूछे चाय बनाने की रीति को आगे बढ़ा रहा था और आराधना अपनी बात को एक बहाने से आगे बढ़ाते हुए बोली) अच्छा संजू तुझे डॉक्टर कुछ अजीब नहीं लग रहा था,,,,।
मतलब मैं समझा नहीं,,,
अरे मेरा मतलब है कि उसकी हरकतें,,,,
हां मम्मी तुम सच कह रही हो मुझे भी उसकी हरकत कुछ अजीब सी लग रही थी,,,,औरतों को कोई दोपहर इस तरह से चेकअप नहीं करता जिस तरह से वह चेकअप कर रहा था,,,।
हां वही तो,,,।
देखी नहीं कितनी बेशर्मी से आले की नोब को तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था,,,।(चाय पत्ती को उबलते हुए पानी में डालते हुए संजू बोला और उसकी बात सुनकर आराधना एकदम उत्तेजना से सिहर उठी,,, क्योंकि संजु को भी इस बात का अहसास था कि डॉक्टर जिस तरह से उसका बुखार चेक करने के लिए ब्लाउज के ऊपर से अपनी लोग को दबा रहा है वैसा नहीं किया जाता,,, फिर भी संजू की बात का जवाब देते हुए बोली,,,)
हां तो ठीक कह रहा है किसी डॉक्टर ने आज तक मेरे साथ इस तरह की हरकत नहीं किया अगर आला लगाता भी था तोब्लाउज के एकदम ऊपर के साइड पर लगा कर चेक करता था इस डॉक्टर की तरह नहीं एकदम चुचि,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना एकदम से चौक गई और अपने शब्दों को जबान में ही रहने दे लेकिन इतने सही संजू के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि वह अपनी मां के मुंह से चूची शब्द सुन रहा था,,,, संजू जानबूझकर एकदम सहज बना रहा क्योंकि वह किसी भी तरह से अपनी मां को यह नहीं जताना चाहता था का उसके मुंह से चूची शब्द सुनकर उस पर किसी भी प्रकार का असर पड़ा है,,, और आराधना शर्मा कर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) एकदम ब्लाउज के ऊपर से ही बुखार नापने लगो,,,
तुम सच कह रही हो मम्मी उसकी हरकत तो मुझे भी खराब लग रही थी लेकिन क्या करूं डॉक्टर था ना इसलिए कुछ बोल नहीं पाया,,, क्योंकि कोई भी डॉक्टर इस तरह से औरतों का चेकअप नहीं करता है,,,, देख नही रही थी ब्लाउज के ऊपर से भले ही वह आला लगा कर चेक कर रहा था लेकिन उसे दबाना तो नहीं चाहिए था मैं एकदम साफ देख रहा था कि वह तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर आला रखकर उसे दबा रहा था जिससे तुम्हारी चूची,,,,(जानबूझकर हडबडाने का नाटक करते हुए) मेरा मतलब है कि ब्लाउज वाला हिस्सा दब रहा था,,,.
(अपने बेटे के मुंह से चूची शब्द सुनकर आराधना भी गनगना गई थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी थी,,,)
हां तो ठीक कह रहा था संजु इतना कोई दबाता नहीं है,,,शरीर के दूसरे भाग पर रखने के बावजूद भी हल्का-हल्का से स्पर्श करता है लेकिन इस डॉक्टर की हरकत कुछ ज्यादा ही खराब थी,,,, देखा नहीं इंजेक्शन लगाने के लिए कैसा किया उसने,,,,।
हां मम्मी मैं भी इतना तो जानता ही हूं कि औरतों को हाथ पर सुई लगाया जाता है लेकिन उस ने तो हद कर दिया,,,,
हां देखा नहीं कैसे साड़ी को नीचे करके इंजेक्शन लगाया,,,
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था मम्मी लेकिन क्या करूं तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं थी ना इसलिए मैं कुछ बोला नहीं,,,,,
डॉक्टर को तुझे बोला तो था कि साड़ी को थोड़ा सा नीचे कर दें लेकिन तू भी नहीं कर पाया उसे अपने हाथ से करना पड़ा,,,, मुझे तो बहुत शर्म आ रही थी,,,,।
अब मैं क्या करता मम्मी तुम साड़ी ईतनी कसके बांधी हुई थी कि मेरे हाथ से नीचे आ नहीं रही थी,,,,
तू कर दिया होता तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन वह अपने हाथों से नीचे किया और कुछ ज्यादा ही नीचे कर दिया था,,,,।
हां मम्मी,,,(चाय एकदम पक चुकी थी चाय में उबाल आने लगी तो वह फक्कड़ से पतीले को पकड़कर नीचे उतारने लगा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मुझे भी ऐसा ही लगा क्योंकि वह साड़ी को इतना खींच दिया था कि,,,, तुम्हारी गां,,,,,,(इतना कहते ही एकदम बात को बदलते ही बोला) नजर आने लगी थी,,,,.
(आराधना समझ गई थी कि उसका बेटा क्या बोलना चाह रहा था उसके मुंह से उसे शब्दों को सुनकर आराधना की हालत खराब होने लगी उसकी फिर से टपकने लगी थी,,, आराधना जानते हुए भी फिर से संजू से बोली)
क्या नजर आने लगी थी,,,
अरे वही साड़ी कुछ ज्यादा ही खींच दीया था उस डॉक्टर ने,,,,
मतलब,,,?
(संजू को लगने लगा था कि उसकी में बातों ही बातों में खुलने लगी है और यही सही मौका है अपनी मा से कुछ अश्लील बातें करने का,,, इसलिए वह इस बार खुलकर बताते हुए बोला,,,)
मतलब की मम्मी मै कैसे बोलूं मुझे तो बताते शर्म आ रही है,,,(इतना कहते हुए वह चाय के दो कप निकालकर उसने चाय गिराने लगा,,,)
ऐसा क्या कर दिया डॉक्टर ने कुछ ज्यादा बदतमीजी किया था क्या,,,?(आराधना जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोली)
तो क्या मम्मी किसे बदतमीजी ही कहेंगे लेकिन पेसेंट लोग कर भी क्या सकते हैं देखी नहीं थी तुम्हारी साड़ी कितना नीचे खींच दिया था यहां तक कि तुम्हारी ,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा रुक कर दोनों कब को अपने हाथ में उठाते हुए) गांड अच्छी खासी नजर आने लगी थी और उत्तर की जो दोनों के बीच की लकीर होती है वह एकदम बिंदु की तरह नजर आ रही थी,,,,,।
(आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से जिस डॉक्टर से साड़ी को नीचे की तरफ खींचा था जरूर उसे ; अच्छा शाखा संभाग नजर आने लगा होगा लेकिन फिर भी यह सब जानते हुए भी एकदम आश्चर्य से खुला का खुला छोड़ते हुए बोली)
बाप रे क्या सच में तू जो कह रहा है ऐसा ही हुआ था,,,
तो क्या मम्मी,,,, तभी तो मुझे गुस्सा आ रहा था डॉक्टर मुझे हरामी लग रहा था,,,,(चाय का कप अपनी मां को थमाते हुए) सही कहु तो वह तुम्हारी देखने के लिए ही ऐसा किया था,,,।
धत्,,,ऐसा थोड़ी है,,,(चाय का कप अपने हाथ में पकड़ते हुए)
हां मम्मी ऐसा ही है तुम नहीं जानते सारे डॉक्टर ने तुम्हारी जैसी खूबसूरत होगा तभी तक नहीं देखा होगा इसके लिए उसने ऐसी हरकत किया,,।(संजू की बातों में एक तरफ डॉक्टर के लिए शिकायत ही तो एक तरफ उसकी मां के लिए उसकी खूबसूरती की तारीफ भी थी इसलिए आराधना अपने मन में खुश हो रही थी कि अगर उसके बेटे की बात सही है तो उसकी जवानी आज भी बरकरार है जिसे देख कर आज भी मर्द पानी पानी हुआ जा रहा है,,,)
नहीं ऐसा नहीं कह सकते कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए) शायद उसके ऐसे में यह सब आता होगावैसे भी डॉक्टर से शर्म नहीं किया जाता और ना ही डॉक्टर भी शर्म करता है तभी इलाज बराबर होता है,,,)
वह तो ठीक है मम्मी लेकिन तुम नहीं जानती कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूं एकदम पक्के तौर पर कह रहा हूं ऐसे ही हवाबाजी नहीं कर रहा हूं,,,,।
क्यों ऐसा क्या तूने अनुमान लगा दिया कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,
अब जाने दो ना मम्मी मे वह नहीं बता पाऊंगा,,,
अरे ऐसे कैसे नहीं बताएगा ,,,बता तो सही ताकि दोबारा उसकी क्लीनिक पर ना जाऊं,,,,
मैं कैसे बताऊं मुझे शर्म आ रही है,,,,।
(आराधना समझ गई कि जरूर उसके बेटे ने कुछ ऐसी चीज नोटिस की होगी जिसके बारे में वह पक्के तौर पर बोल रहा है)
शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, बता दे मैं कुछ नहीं कहूंगी,,,।
(संजू भी ज्यादा आनाकानी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसे लगने लगा था कि लोहा गर्म हो चुका है और सही मौके पर ही हथौड़े का वार करना चाहिए,,, वरना पत्थर पर सर मारने के बराबर हो जाता है,,,,)
मैं बताना तो नहीं चाहता था लेकिन मैं तुम्हें सच सच बताता हूं ताकि तुम अकेले कभी उसके लिए भी पढ़ना जाओ और ना ही मोहिनी को जाने दो,,,,।
हां हां नहीं जाऊंगी और ना मोहिनी को जाने दूंगी लेकिन बता तो सही,,,।
मम्मी मैंने साफ-साफ देखा था कि वह जानबूझकर तुम्हारी साड़ी को कुछ ज्यादा ही नीचे खींच दिया था ताकि तुम्हारी गांड को वह देख सकें और तुम्हें इंजेक्शन लगाते समय वह वह शायद कुछ ज्यादा ही मजा लेने लगा था क्योंकि मैं साफ-साफ देख पा रहा था कि पेंट में उसका आगे वाला भाग एकदम तंबू बन गया था,,, और सीधी जुबान में बोले तो,, तुम्हारी गांड देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था,,,,।
(संजय जानता था कि अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए था लेकिन दोनों के बीच के हालात बदल गए थे जिस तरह की बातचीत दोनों के बीच हो रही थी संजु को इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना ही थाक्योंकि कहीं ना कहीं उसे भी लगने लगा था कि उसकी बात नहीं सुनना चाहती हो कि वह बोलना चाहता है और अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव करने लगा था लेकिन शर्मा करो अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया था,,,आराधना तो अपने बेटे के मुंह से और गांड जैसे शब्दों को सुनकर पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी उसकी चूत से मदन रस टपकने लगा थावह तो अच्छा था कि वह अपनी पैंटी निकल चुकी थी वरना फिर से उसकी पेंटी गीली हो जाती,,, संजू की बातें सुनकर आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
बाप रे इतना आराम ही था वह डॉक्टर अच्छा हुआ कि तू मेरे साथ था उसके क्लीनिक पर मैं अकेले नहीं गई वरना वरना जाने मुझे अकेला पाकर क्या-क्या हरकत करता,,,
(जिस तरह के शब्दों का प्रयोग करके संजू ने अपनी मां से डॉक्टर वाली बात बताया था और उसकी मां ने बिना एतराज जता है उसकी बात पर विश्वास करके आश्चर्य तारी थी उसे देखते हुए संजू को अपने ऊपर विश्वास हो गया था कि वह कुछ भी कहेगा उसकी मां को बुरा नहीं लगेगा इसलिए वह चुटकी लेते हुए बोला,,,)
अच्छा हुआ मम्मी की डॉक्टर ने ऊपर से साड़ी नीचे खींचा था नीचे से ऊपर नहीं सरकाया था वरना गजब हो जाता,,,
हां तो ठीक कह रहा है संजू मैंने तो आज पेंटी भी नहीं पहनी हूं,,,।
(इस बात को कह कर आराधना की हालत पूरी तरह से खराब हो गई क्योंकि वह अपने बेटे से खुले शब्दों में बात कर रही थी अपनी पेंटी के ना पहनने वाली बात कह रही थी उसकी चूत फुदकने लगी थी,,,अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर संजू की आदत खराब हो गई थी और जिस तरह से उसने अपनी मां को बताया था कि उसकी गांड देखकर डॉक्टर का गंड खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था वही हाल इस समय संजू का भी था,,,अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करके उसका भी नहीं खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था और वह कुर्सी पर बैठा हुआ था उठना नहीं चाहता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी मां की नजरों में डॉक्टर की तरह उसका भी तंबू नजर आए,,, क्योंकि वह अपनी मम्मी को यह नहीं पता ना चाहता था कि डॉक्टर की तरह उसकी भी नियत खराब है,,,, लेकिन अपनी मां की पेंटिं वाली बात सुनकर वह आश्चर्य जताते हुए बोला,,)
क्या तुम सच में पैंटी नहीं पहनी हो मैं तो मजाक कर रहा था अगर सच में डॉक्टर साड़ी ऊपर की तरफ उठाता तब तुम क्या करती,,, उठाने देती तब तो वह तुम्हारा सब कुछ देख लिया होता और मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा देखने के बाद वह अपने होश हवास में रह पाता,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर आराधना की सांसे भारी हो चली थी क्योंकि बात की गर्माहट के मर्म को अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि उसका बेटा इशारों ही इशारों में डॉक्टर को चूत दिखाने वाली बात कह रहा था और कह भी रहा था कि तुम्हारी चूत देखने के बाद भले ही वह चूत सब जो अपने होठों पर ना लाया हो लेकिन उसका इशारा उसी की तरफ था,,, और यह भी कह रहा था कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने होश हवास खो बैठता तो क्या वह इतनी खूबसूरत है उसकी चूत इतनी रसीली है कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने काबू में नहीं रहता क्या संजू ने उसकी चूत को अपनी आंखों से देखा नहीं अगर देखा ना होता तो वहां यह शब्द कैसे कहता,,, आराधना जानबूझकर एकदम सहज बनते हुए बोली,,,)
ऐसा क्यों,,,?
ऐसा क्यों का क्या मतलब अगर तुम्हारी शादी हो नीचे से ऊपर की तरफ उठा था तब तो छुपाने लायक उसकी आंखों के सामने कुछ भी नहीं रह जाता क्योंकि तुमने तो आज पहनती भी नहीं पहने हो तो वह तुम्हारी सब कुछ देख लेता,,,
तेरा मतलब इससे,,(उंगली के इशारे से अपने दोनों टांगों के बीच वाली जगह को दिखाते हुए ) है,,,!
तो क्या,,,?
मैं उसे अपनी साड़ी उठाने ही नहीं देती भले मुझे बुखार से तड़पना पड़ जाता,,,,,,
(दोनों के बीच की गर्माहट भरी बातों से कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हुआ जा रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी मोहिनी आ चुकी थी,,, दरवाजे पर दस्तक होते हैं दोनों के गर्म इरादों पर मोहिनी के द्वारा ठंडा पानी गिरा दिया गया था,,, ना चाहते हुए भी दरवाजा तो खोल ना ही था,,, संजु दरवाजा खोलने के चक्कर में अभी फोन किया कि डॉक्टर जैसी हालत उसकी खुद की हो चुकी थी उसके पैंट में भी तंबू बन चुका था और कुर्सी से उठते समय जबर दरवाजे की तरफ आगे बढ़ रहा था तभी उसकी मां तिरछी नजरों से संजू के पेंट की तरफ नजर घुमाकर देख ली थी,,, और अपने बेटे की पेंट में अच्छा-खासा तंबू को देखकर अंदर ही अंदर सिहर उठी थी,,, वह समझ गई थी कि जैसी हालत डोक्टर की थी ठीक वैसी हालत उसके बेटे की भी है उसके बेटे का भी लंड खड़ा हो गया है,,,,इस दृश्य को देखकर उसकी चूत से मदन रस की बूंद टपकने लगी,,, संजू दरवाजे तक पहुंच गया और दरवाजा खोल दिया सामने मोहिनी खड़ी थी वह घर में प्रवेश करते हुए,,, चाय के कप को देखकर बोली,,)
ओहहहहह तो यहां टी पार्टी चल रही है,,,
टी पार्टी नहीं है बेवकूफ मम्मी की तबीयत खराब है अभी-अभी क्लीनिक से दवा लेकर आए हैं तो मैं चाय बना दिया ताकि मम्मी दवा पी सके,,,।
(इतना सुनते ही मोहिनीअट्टम चिंतित हो गई और तुरंत अपनी मां के पास जाकर उसके माथे पर अपना हाथ रखते हुए बोली,,)
हां मम्मी तुम्हें तो बुखार है अभी तक दवा नहीं खाई,,,
अभी खाने ही जा रही हूं,,,।
ठीक है जल्दी से तुम दवा खा कर आराम करो मैं आज का खाना बना देती हूं तुम्हें आज कुछ भी नहीं करना है,,,
(इतना सुनते ही आराधना के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे क्योंकि वह खुश थी कि उसके दोनों बच्चे उसके बारे में बहुत परवाह करते थे,,,, )
आराधना और संजू
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तुम आराम करो मैं चाय बना देता हूं तब दवा पी लेना,,,
नहीं रहने दो संजु तु तकलीफ मत उठा,,,, मैं बना लूंगी,,,
अरे इसमें तकलीफ वाली कौन सी बात है अगर तुम्हारी जगह में बीमार होता तो क्या तुम मेरे लिए इतना नहीं करती आखिर मेरा भी तो कोई फर्ज बनता है,,,,।
(इतना कहने के साथ ही संजू रसोईघर में चला गया,,, लेकिन घर में दूध नहीं था इसलिए दूध लेने के लिए बाहर डेरी पर चला गया संजू के बाहर जाते ही आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर संजू इतना समझदार नहीं होता तो उसका क्या होता,,,,, उसका जीवन एकदम निरर्थक हो जाता,,,आराधना अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा उसका कितना ख्याल रखने लगा है पर इसके पीछे की वजह वह जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके प्रति उसके बेटे की आकर्षण ही उसे इतना समझदार बना रही है,,,, क्योंकि संजू का अगर उसके प्रति मां वाला और अपने प्रति बेटे वाला एहसास होता तो शायद वह उसे पाने की चाह नहीं रखता उसे भोगने की इच्छा कभी नहीं रखता,,, लेकिन संजू के लिए उसकी मां के प्रति आकर्षण मां का नहीं बल्कि एक औरत का था,,,इसलिए आराधना को कभी-कभी चिंता होने लगती थी लेकिन जिस तरह से उसने आज उसके सिर की मालिश किया और उसे क्लीनिक लेकर गया यह एहसास ही आराधना के लिए बहुत मायने रखता था जिस हालात में उसे अपने पति का साथ चाहिए था ऐसे हालात में उसे उसके बेटे का सहारा मिल रहा था,,, पति से तो अब उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,, आराधना को अपने प्रति अपने बेटे का व्यवहार देखकर अच्छा भी लगता था,,,, आराधना अपने मन में अपने बेटे के लिए सब सोच रही थी कि तभी उसे क्लीनिक वाला डॉक्टर याद आ गया कि कैसे वह उसके बेटे की आंखों के सामने ही आला से ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा दबा कर बुखार नाप रहा था,,, और तो और उसके बेटे की आंखों के सामने ही उसके हाथ में सुई लगाने की जगह जानबूझकर उसकी कमर के नीचे उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाया था और वह भी अपने हाथों से साड़ी को नीचे की तरफ खींच कर,,,,आराधना को तो इतना यकीन था कि जिस तरह से जितनी साड़ी को वह कमर से नीचे खींचा था जरूर उसे नितंबों की वह पतली लड़की की ऊपरी सतह जरूर नजर आ गई होगी,,और आराधना यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरतों के नितंबों की ऊपरी वाली लकीर एक औरत की उत्तेजना में कितनी मदद करती है,,, जरूर डॉक्टर के साथ-साथ उसके बेटे ने भी उस लकीर को देखा होगा,,,,
आराधना कुर्सी पर बैठे बैठे गहरी सांस लेते हुए अपने मन में सोचने लगी कि डॉक्टर वाली बात उसके बेटे से पूछा जाए तो उसका बेटा क्या जवाब देता है,, क्या उसके बेटे को डॉक्टर की नीयत का पता चल गया था कि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में या डॉक्टर जानबूझकर कर रहा था यही सब जानने के लिए वह अपने बेटे से पूछना चाहती थी लेकिन उसका बेटा अभी दूध लेने गया हुआ था मोहिनी के आने में अभी थोड़ा वक्त था,,,, ना जाने क्यों आराधना को अपने बेटे से बात करने में अब अजीब सी सुख की अनुभूति होने लगी थी उसे अच्छा लगने लगा था,,,,। बदन में बुखार था लेकिन आराधना राहत महसूस कर रही थी क्योंकि सर दर्द गायब हो चुका था और यही उसकी सारी उलझन की वजह भी थी वरना वह मेडिकल से कोई भी बुखार की टेबलेट लेकर ठीक हो सकती थी,,,लेकिन अपने बेटे की जीत के आगे उसकी एक भी नहीं चली और वहां क्लीनिक जाकर दवा लेकर आई,,,।
थोड़ी ही देर में दूध लेकर संजू घर पर वापस आ गया,,, संजू किचन में जाकर स्टोव चालू किया और उस पर कतीरा रखकर उसमें पानी डालने लगा ठीक रसोई घर के सामने कुर्सी पर आराधना बैठी हुई थी जहां पर दोनों एक दूसरे की नजरों के सामने थे,,,।आराधना डॉक्टर वाली बात संजू से करना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था की शुरुआत कैसे करें,,,,। तभी बात की शुरुआत करते हुए आराधना 1 बहाने से संजू से बोली,,,।
संजू एक खुराक अभी खाना है ना,,,
हां मम्मी इसीलिए तो मैं चाय बना रहा हूं ताकि कुछ नाश्ता करके तुम चाय पी लो और उसके बाद दवा खा लो,,,।
ठीक है,,,, मैं तो समझी थी कि रात को खाना है,,,
नहीं नहीं रात को तो दूसरी खुराक खाना है अभी ना खाकर अगर रात को खाओगे तो बुखार बढ़ जाएगा,,,,।
ठीक है अच्छा हुआ तू मेरे साथ था वरना दवा कब खाना है मुझे समझ में ही नहीं आता,,,,(संजू चाय बनाना अच्छी तरह से जानता था इसलिए अपनी मां से बिना पूछे चाय बनाने की रीति को आगे बढ़ा रहा था और आराधना अपनी बात को एक बहाने से आगे बढ़ाते हुए बोली) अच्छा संजू तुझे डॉक्टर कुछ अजीब नहीं लग रहा था,,,,।
मतलब मैं समझा नहीं,,,
अरे मेरा मतलब है कि उसकी हरकतें,,,,
हां मम्मी तुम सच कह रही हो मुझे भी उसकी हरकत कुछ अजीब सी लग रही थी,,,,औरतों को कोई दोपहर इस तरह से चेकअप नहीं करता जिस तरह से वह चेकअप कर रहा था,,,।
हां वही तो,,,।
देखी नहीं कितनी बेशर्मी से आले की नोब को तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था,,,।(चाय पत्ती को उबलते हुए पानी में डालते हुए संजू बोला और उसकी बात सुनकर आराधना एकदम उत्तेजना से सिहर उठी,,, क्योंकि संजु को भी इस बात का अहसास था कि डॉक्टर जिस तरह से उसका बुखार चेक करने के लिए ब्लाउज के ऊपर से अपनी लोग को दबा रहा है वैसा नहीं किया जाता,,, फिर भी संजू की बात का जवाब देते हुए बोली,,,)
हां तो ठीक कह रहा है किसी डॉक्टर ने आज तक मेरे साथ इस तरह की हरकत नहीं किया अगर आला लगाता भी था तोब्लाउज के एकदम ऊपर के साइड पर लगा कर चेक करता था इस डॉक्टर की तरह नहीं एकदम चुचि,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना एकदम से चौक गई और अपने शब्दों को जबान में ही रहने दे लेकिन इतने सही संजू के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि वह अपनी मां के मुंह से चूची शब्द सुन रहा था,,,, संजू जानबूझकर एकदम सहज बना रहा क्योंकि वह किसी भी तरह से अपनी मां को यह नहीं जताना चाहता था का उसके मुंह से चूची शब्द सुनकर उस पर किसी भी प्रकार का असर पड़ा है,,, और आराधना शर्मा कर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) एकदम ब्लाउज के ऊपर से ही बुखार नापने लगो,,,
तुम सच कह रही हो मम्मी उसकी हरकत तो मुझे भी खराब लग रही थी लेकिन क्या करूं डॉक्टर था ना इसलिए कुछ बोल नहीं पाया,,, क्योंकि कोई भी डॉक्टर इस तरह से औरतों का चेकअप नहीं करता है,,,, देख नही रही थी ब्लाउज के ऊपर से भले ही वह आला लगा कर चेक कर रहा था लेकिन उसे दबाना तो नहीं चाहिए था मैं एकदम साफ देख रहा था कि वह तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर आला रखकर उसे दबा रहा था जिससे तुम्हारी चूची,,,,(जानबूझकर हडबडाने का नाटक करते हुए) मेरा मतलब है कि ब्लाउज वाला हिस्सा दब रहा था,,,.
(अपने बेटे के मुंह से चूची शब्द सुनकर आराधना भी गनगना गई थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी थी,,,)
हां तो ठीक कह रहा था संजु इतना कोई दबाता नहीं है,,,शरीर के दूसरे भाग पर रखने के बावजूद भी हल्का-हल्का से स्पर्श करता है लेकिन इस डॉक्टर की हरकत कुछ ज्यादा ही खराब थी,,,, देखा नहीं इंजेक्शन लगाने के लिए कैसा किया उसने,,,,।
हां मम्मी मैं भी इतना तो जानता ही हूं कि औरतों को हाथ पर सुई लगाया जाता है लेकिन उस ने तो हद कर दिया,,,,
हां देखा नहीं कैसे साड़ी को नीचे करके इंजेक्शन लगाया,,,
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था मम्मी लेकिन क्या करूं तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं थी ना इसलिए मैं कुछ बोला नहीं,,,,,
डॉक्टर को तुझे बोला तो था कि साड़ी को थोड़ा सा नीचे कर दें लेकिन तू भी नहीं कर पाया उसे अपने हाथ से करना पड़ा,,,, मुझे तो बहुत शर्म आ रही थी,,,,।
अब मैं क्या करता मम्मी तुम साड़ी ईतनी कसके बांधी हुई थी कि मेरे हाथ से नीचे आ नहीं रही थी,,,,
तू कर दिया होता तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन वह अपने हाथों से नीचे किया और कुछ ज्यादा ही नीचे कर दिया था,,,,।
हां मम्मी,,,(चाय एकदम पक चुकी थी चाय में उबाल आने लगी तो वह फक्कड़ से पतीले को पकड़कर नीचे उतारने लगा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मुझे भी ऐसा ही लगा क्योंकि वह साड़ी को इतना खींच दिया था कि,,,, तुम्हारी गां,,,,,,(इतना कहते ही एकदम बात को बदलते ही बोला) नजर आने लगी थी,,,,.
(आराधना समझ गई थी कि उसका बेटा क्या बोलना चाह रहा था उसके मुंह से उसे शब्दों को सुनकर आराधना की हालत खराब होने लगी उसकी फिर से टपकने लगी थी,,, आराधना जानते हुए भी फिर से संजू से बोली)
क्या नजर आने लगी थी,,,
अरे वही साड़ी कुछ ज्यादा ही खींच दीया था उस डॉक्टर ने,,,,
मतलब,,,?
(संजू को लगने लगा था कि उसकी में बातों ही बातों में खुलने लगी है और यही सही मौका है अपनी मा से कुछ अश्लील बातें करने का,,, इसलिए वह इस बार खुलकर बताते हुए बोला,,,)
मतलब की मम्मी मै कैसे बोलूं मुझे तो बताते शर्म आ रही है,,,(इतना कहते हुए वह चाय के दो कप निकालकर उसने चाय गिराने लगा,,,)
ऐसा क्या कर दिया डॉक्टर ने कुछ ज्यादा बदतमीजी किया था क्या,,,?(आराधना जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोली)
तो क्या मम्मी किसे बदतमीजी ही कहेंगे लेकिन पेसेंट लोग कर भी क्या सकते हैं देखी नहीं थी तुम्हारी साड़ी कितना नीचे खींच दिया था यहां तक कि तुम्हारी ,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा रुक कर दोनों कब को अपने हाथ में उठाते हुए) गांड अच्छी खासी नजर आने लगी थी और उत्तर की जो दोनों के बीच की लकीर होती है वह एकदम बिंदु की तरह नजर आ रही थी,,,,,।
(आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से जिस डॉक्टर से साड़ी को नीचे की तरफ खींचा था जरूर उसे ; अच्छा शाखा संभाग नजर आने लगा होगा लेकिन फिर भी यह सब जानते हुए भी एकदम आश्चर्य से खुला का खुला छोड़ते हुए बोली)
बाप रे क्या सच में तू जो कह रहा है ऐसा ही हुआ था,,,
तो क्या मम्मी,,,, तभी तो मुझे गुस्सा आ रहा था डॉक्टर मुझे हरामी लग रहा था,,,,(चाय का कप अपनी मां को थमाते हुए) सही कहु तो वह तुम्हारी देखने के लिए ही ऐसा किया था,,,।
धत्,,,ऐसा थोड़ी है,,,(चाय का कप अपने हाथ में पकड़ते हुए)
हां मम्मी ऐसा ही है तुम नहीं जानते सारे डॉक्टर ने तुम्हारी जैसी खूबसूरत होगा तभी तक नहीं देखा होगा इसके लिए उसने ऐसी हरकत किया,,।(संजू की बातों में एक तरफ डॉक्टर के लिए शिकायत ही तो एक तरफ उसकी मां के लिए उसकी खूबसूरती की तारीफ भी थी इसलिए आराधना अपने मन में खुश हो रही थी कि अगर उसके बेटे की बात सही है तो उसकी जवानी आज भी बरकरार है जिसे देख कर आज भी मर्द पानी पानी हुआ जा रहा है,,,)
नहीं ऐसा नहीं कह सकते कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए) शायद उसके ऐसे में यह सब आता होगावैसे भी डॉक्टर से शर्म नहीं किया जाता और ना ही डॉक्टर भी शर्म करता है तभी इलाज बराबर होता है,,,)
वह तो ठीक है मम्मी लेकिन तुम नहीं जानती कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूं एकदम पक्के तौर पर कह रहा हूं ऐसे ही हवाबाजी नहीं कर रहा हूं,,,,।
क्यों ऐसा क्या तूने अनुमान लगा दिया कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,
अब जाने दो ना मम्मी मे वह नहीं बता पाऊंगा,,,
अरे ऐसे कैसे नहीं बताएगा ,,,बता तो सही ताकि दोबारा उसकी क्लीनिक पर ना जाऊं,,,,
मैं कैसे बताऊं मुझे शर्म आ रही है,,,,।
(आराधना समझ गई कि जरूर उसके बेटे ने कुछ ऐसी चीज नोटिस की होगी जिसके बारे में वह पक्के तौर पर बोल रहा है)
शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, बता दे मैं कुछ नहीं कहूंगी,,,।
(संजू भी ज्यादा आनाकानी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसे लगने लगा था कि लोहा गर्म हो चुका है और सही मौके पर ही हथौड़े का वार करना चाहिए,,, वरना पत्थर पर सर मारने के बराबर हो जाता है,,,,)
मैं बताना तो नहीं चाहता था लेकिन मैं तुम्हें सच सच बताता हूं ताकि तुम अकेले कभी उसके लिए भी पढ़ना जाओ और ना ही मोहिनी को जाने दो,,,,।
हां हां नहीं जाऊंगी और ना मोहिनी को जाने दूंगी लेकिन बता तो सही,,,।
मम्मी मैंने साफ-साफ देखा था कि वह जानबूझकर तुम्हारी साड़ी को कुछ ज्यादा ही नीचे खींच दिया था ताकि तुम्हारी गांड को वह देख सकें और तुम्हें इंजेक्शन लगाते समय वह वह शायद कुछ ज्यादा ही मजा लेने लगा था क्योंकि मैं साफ-साफ देख पा रहा था कि पेंट में उसका आगे वाला भाग एकदम तंबू बन गया था,,, और सीधी जुबान में बोले तो,, तुम्हारी गांड देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था,,,,।
(संजय जानता था कि अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए था लेकिन दोनों के बीच के हालात बदल गए थे जिस तरह की बातचीत दोनों के बीच हो रही थी संजु को इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना ही थाक्योंकि कहीं ना कहीं उसे भी लगने लगा था कि उसकी बात नहीं सुनना चाहती हो कि वह बोलना चाहता है और अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव करने लगा था लेकिन शर्मा करो अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया था,,,आराधना तो अपने बेटे के मुंह से और गांड जैसे शब्दों को सुनकर पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी उसकी चूत से मदन रस टपकने लगा थावह तो अच्छा था कि वह अपनी पैंटी निकल चुकी थी वरना फिर से उसकी पेंटी गीली हो जाती,,, संजू की बातें सुनकर आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
बाप रे इतना आराम ही था वह डॉक्टर अच्छा हुआ कि तू मेरे साथ था उसके क्लीनिक पर मैं अकेले नहीं गई वरना वरना जाने मुझे अकेला पाकर क्या-क्या हरकत करता,,,
(जिस तरह के शब्दों का प्रयोग करके संजू ने अपनी मां से डॉक्टर वाली बात बताया था और उसकी मां ने बिना एतराज जता है उसकी बात पर विश्वास करके आश्चर्य तारी थी उसे देखते हुए संजू को अपने ऊपर विश्वास हो गया था कि वह कुछ भी कहेगा उसकी मां को बुरा नहीं लगेगा इसलिए वह चुटकी लेते हुए बोला,,,)
अच्छा हुआ मम्मी की डॉक्टर ने ऊपर से साड़ी नीचे खींचा था नीचे से ऊपर नहीं सरकाया था वरना गजब हो जाता,,,
हां तो ठीक कह रहा है संजू मैंने तो आज पेंटी भी नहीं पहनी हूं,,,।
(इस बात को कह कर आराधना की हालत पूरी तरह से खराब हो गई क्योंकि वह अपने बेटे से खुले शब्दों में बात कर रही थी अपनी पेंटी के ना पहनने वाली बात कह रही थी उसकी चूत फुदकने लगी थी,,,अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर संजू की आदत खराब हो गई थी और जिस तरह से उसने अपनी मां को बताया था कि उसकी गांड देखकर डॉक्टर का गंड खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था वही हाल इस समय संजू का भी था,,,अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करके उसका भी नहीं खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था और वह कुर्सी पर बैठा हुआ था उठना नहीं चाहता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी मां की नजरों में डॉक्टर की तरह उसका भी तंबू नजर आए,,, क्योंकि वह अपनी मम्मी को यह नहीं पता ना चाहता था कि डॉक्टर की तरह उसकी भी नियत खराब है,,,, लेकिन अपनी मां की पेंटिं वाली बात सुनकर वह आश्चर्य जताते हुए बोला,,)
क्या तुम सच में पैंटी नहीं पहनी हो मैं तो मजाक कर रहा था अगर सच में डॉक्टर साड़ी ऊपर की तरफ उठाता तब तुम क्या करती,,, उठाने देती तब तो वह तुम्हारा सब कुछ देख लिया होता और मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा देखने के बाद वह अपने होश हवास में रह पाता,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर आराधना की सांसे भारी हो चली थी क्योंकि बात की गर्माहट के मर्म को अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि उसका बेटा इशारों ही इशारों में डॉक्टर को चूत दिखाने वाली बात कह रहा था और कह भी रहा था कि तुम्हारी चूत देखने के बाद भले ही वह चूत सब जो अपने होठों पर ना लाया हो लेकिन उसका इशारा उसी की तरफ था,,, और यह भी कह रहा था कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने होश हवास खो बैठता तो क्या वह इतनी खूबसूरत है उसकी चूत इतनी रसीली है कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने काबू में नहीं रहता क्या संजू ने उसकी चूत को अपनी आंखों से देखा नहीं अगर देखा ना होता तो वहां यह शब्द कैसे कहता,,, आराधना जानबूझकर एकदम सहज बनते हुए बोली,,,)
ऐसा क्यों,,,?
ऐसा क्यों का क्या मतलब अगर तुम्हारी शादी हो नीचे से ऊपर की तरफ उठा था तब तो छुपाने लायक उसकी आंखों के सामने कुछ भी नहीं रह जाता क्योंकि तुमने तो आज पहनती भी नहीं पहने हो तो वह तुम्हारी सब कुछ देख लेता,,,
तेरा मतलब इससे,,(उंगली के इशारे से अपने दोनों टांगों के बीच वाली जगह को दिखाते हुए ) है,,,!
तो क्या,,,?
मैं उसे अपनी साड़ी उठाने ही नहीं देती भले मुझे बुखार से तड़पना पड़ जाता,,,,,,
(दोनों के बीच की गर्माहट भरी बातों से कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हुआ जा रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी मोहिनी आ चुकी थी,,, दरवाजे पर दस्तक होते हैं दोनों के गर्म इरादों पर मोहिनी के द्वारा ठंडा पानी गिरा दिया गया था,,, ना चाहते हुए भी दरवाजा तो खोल ना ही था,,, संजु दरवाजा खोलने के चक्कर में अभी फोन किया कि डॉक्टर जैसी हालत उसकी खुद की हो चुकी थी उसके पैंट में भी तंबू बन चुका था और कुर्सी से उठते समय जबर दरवाजे की तरफ आगे बढ़ रहा था तभी उसकी मां तिरछी नजरों से संजू के पेंट की तरफ नजर घुमाकर देख ली थी,,, और अपने बेटे की पेंट में अच्छा-खासा तंबू को देखकर अंदर ही अंदर सिहर उठी थी,,, वह समझ गई थी कि जैसी हालत डोक्टर की थी ठीक वैसी हालत उसके बेटे की भी है उसके बेटे का भी लंड खड़ा हो गया है,,,,इस दृश्य को देखकर उसकी चूत से मदन रस की बूंद टपकने लगी,,, संजू दरवाजे तक पहुंच गया और दरवाजा खोल दिया सामने मोहिनी खड़ी थी वह घर में प्रवेश करते हुए,,, चाय के कप को देखकर बोली,,)
ओहहहहह तो यहां टी पार्टी चल रही है,,,
टी पार्टी नहीं है बेवकूफ मम्मी की तबीयत खराब है अभी-अभी क्लीनिक से दवा लेकर आए हैं तो मैं चाय बना दिया ताकि मम्मी दवा पी सके,,,।
(इतना सुनते ही मोहिनीअट्टम चिंतित हो गई और तुरंत अपनी मां के पास जाकर उसके माथे पर अपना हाथ रखते हुए बोली,,)
हां मम्मी तुम्हें तो बुखार है अभी तक दवा नहीं खाई,,,
अभी खाने ही जा रही हूं,,,।
ठीक है जल्दी से तुम दवा खा कर आराम करो मैं आज का खाना बना देती हूं तुम्हें आज कुछ भी नहीं करना है,,,
(इतना सुनते ही आराधना के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे क्योंकि वह खुश थी कि उसके दोनों बच्चे उसके बारे में बहुत परवाह करते थे,,,, )
आराधना और संजू
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