• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मजबूरी या जरूरत

andyking302

Well-Known Member
6,075
14,324
174
सुबह जब आराधना की नींद खुली तो,, देखी की उसका पति बिस्तर पर नहीं था,,,,वह धीरे से उठी,,, कलाइयों में चूड़ियों की खनक से कमरा गूंजने लगा था एक समय था जब आराधना को अपनी इन्हीं चूड़ियों की खनक मन मोहिनी लगती थी,,,,,, जब उसकी नई नई शादी हुई थी तो,,, वह बड़े शौक से हाथों में ढेर सारी रंगीन चूड़ियां पहना करती थी उसकी खनक उसे बहुत अच्छी लगती थी और उसके पति को भी चुड़ीयों की आवाज मदहोश कर देती थी,,,,,अपनी कलाई में ढेर सारी चूड़ियां पहनना उसे पसंद तो था उससे ज्यादा वह अपने पति को रिझाने के लिए चूड़ियां पहना करती थी क्योंकि शुरुआती दौर पर उसका पति उसे बेहद प्यार करता था,,,, और आराधना थी भी बला की खूबसूरत,,,, उसकी सहेलियां भी उसकी खूबसूरती से ईर्ष्या करती थी,,, एकदम गोरा रंग गोल गोल मुखड़ा तीखे नैन नक्श लाल-लाल होठों की लिपस्टिक ना लगाने के बावजूद भी एकदम लाल रहते हैं जिन्हें देखकर ही मर्दों का मन उसे अपने होठों में भरकर पीने को करता था,,,,, बदन की बनावट ऐसा लगता था कि जैसे भगवान ने खुद अपने हाथों से तराशा हो जैसे किसी मूर्तिकार की कारीगरी का उत्तम नमूना छात्रों की शोभा बढ़ा रही दोनों चूचियां नारंगी के आकार के होने के बावजूद भी बेहद आकर्षक और ऊपर से कठोर लगते थे,,,, पतली कमर हिरनी की तरह मदहोश कर देती थी कमर के नीचे वाला भाग हल्का सा उधार लिए हुए नितंबों की शक्ल में गढा हुआ था जिसे देखकर ही मर्दों की आह निकल जाती थी वैसे तो आराधना संपूर्ण रूप से आकर्षक थी,,, उसे चाहे जिधर से भी देखो वह भगवान की कारीगरी का उत्तम नमूना ही लगती थी जिसे देखकर कभी मन नहीं भरता था लेकिन उसके संपूर्ण बताने में सबसे उत्तेजक केंद्र बिंदु उसके गोलाकार नितंब थे जिनका उभार देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,, चिकनी मांसल जांघें केले के तने के समान बेहद खूबसूरत नजर आते थे कसी हुई सलवार में उसके बदन का हर एक कटाव बड़ी बारीकी से आंखों में बस जाता था,,,,,,


एक तरह से आराधना के बदन का संपूर्ण वजूद मुंह में पानी ला देने वाला था,,,, कॉलेज के समय में बहुत से लड़के उसके पीछे पड़े हुए थे उससे बात करने को तरसते थे उससे दोस्ती करने को मैं चलते रहते थे उसके साथ साल भी सुख भोगने का सपना देखा करते थे और कई लोग तो रोज कॉलेज आने से पहले बाथरूम में उसे याद करके मुठ्ठ भी मारा करते थे,,, लेकिन आराधना थी कि किसी को भी भाव नहीं देती थी वह सिर्फ पढ़ाई में मन लगा दी थी ना कि इधर-उधर की बातों में उसकी सहेलियां भी उससे यही कहा करती थी कि तू कैसी लड़की है इतने सारे लड़के तुझे भाव देते हैं लेकिन तू किसी के भी हाथ नहीं आती अगर हमारे पीछे यह लोग पढ़े होते तो हम कब से इन्हें अपने पर्स में रखकर घुमा दी होती,,, जवाब में बस वो मुस्कुरा देती थी उसकी मुस्कुराहट बेहद खूबसूरत थी,,,,।

जैसे सभी लड़कियों का सपना होता है शादी को लेकर उसी तरह का सपना वह भी देखा करती थी वह भी अपने मन में यही सोचा करती थी कि उसके सपनों का राजकुमार एक दिन आएगा और उसे शादी करके अपने साथ में जाएगा उसकी जिंदगी और खूबसूरत हो जाएगी जहां पर वह खुशी से अपना जीवन गुजारेगी और शुरू शुरू में ऐसा हुआ भी रमेश को उसके मम्मी पापा ने पसंद किया था और अपने मम्मी पापा की पसंद पर वह मुहर लगा चुकी थी,,, रमेश ठीक-ठाक ही था उसके साथ वह शुरू के कुछ वर्षों तक बेहद खुशी से अपना जीवन गुजारने लगी,,, रमेश एक बैंक में काम करता था,,, इसलिए दोनों का गुजारा बड़े अच्छे से हो रहा था रमेश अपनी बीवी हर अदा से बहुत प्यार करता था उसकी हर एक इच्छा पूरी करता था उसे घुमाने ले जाता था सप्ताह में एक बार सिनेमा में पिक्चर दिखाने के लिए जाता था सब कुछ आराधना के सोचने के अनुसार हो रहा था जिसको भी वह अपने पति में जाती थी वह सारी खूबियां रमेश में थी लेकिन धीरे-धीरे दिन बदलने लगा संजू और मोहिनी के जन्म के बाद रमेश का रवैया आराधना के प्रति बदलने लगा,,,दोस्तों की संगत में वह शराब पीना शुरू कर दिया था पहले तो शौक के लिए पीता था लेकिन अब उस की लत बन चुकी थी जो कि उसकी जिंदगी को ओर दुभर बनाई जा रही थी जिसके बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकता था,,,,। आराधना उसे लाख समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना शराब की उसे बुरी लत लग चुकी थी और शराब के नशे में वह अपनी बीवी से बदतमीजी भी करता था उसे मारता भी था,,,,,,आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी की अच्छी खासी चल रही जिंदगी में इस तरह का बदलाव आएगा,,, जिसका जिम्मेदार केवल रमेश ही था,,,।

नींद से उठ कर बिस्तर पर बैठकर आराधना यही सब अपनी पिछले दिनों के बारे में सोच रही थी पिछले दिनों से और आपकी जिंदगी में पूरी तरह से बदलाव आ चुका था अब उसकी जिंदगी में केवल दुख ही दुख था और एक बड़ी जिम्मेदारी थी अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए,,, क्योंकि रमेश अपने बच्चों के प्रति भी बेजवाबदार होता जा रहा था,,,,,, अपनी किस्मत को कोसते हुए वह अपने ऊपर एक नजर डाली और मन मसोस कर रह गई क्योंकि वह रात को एक दुल्हन की तरह तैयार हुई थी उसे लगा था कि उसका पति आज के दिन जरूर सुधर जाएगा और अपनी सालगिरह पर खुशी खुशी इस अवसर पर एक पति की तरह पेश आएगा और उसके साथ सुहागरात मनाएगा ,,,, सुहागरात मनाया लेकिन सिर्फ अपने लिए अपनी खुशी के लिए अपनी गर्मी शांत करने के लिए अपनी बीवी की खुशियों का उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी 9:00 बजे से लेकर के 12:00 बजे तक उसका इंतजार करती रह गई खाना परोस कर खुद नहीं खाई वह सोची थी कि अपने पति के साथ ही खाएगी लेकिन उसके पति को उसकी चिंता कहां थी शादी के सालगिरह पर वह उसे बधाई भी नहीं दिया और ना उसे खाना खिला कर खुद खाया बस आया और साड़ी उठाकर चोदना शुरू कर दिया उस पर भी गंदा इल्जाम लगाने लगा कि किसी दूसरे से चुदवाने के लिए तैयार हुई है,,,,। आराधना मजबूर हो चुकी थी,,, वह बिस्तर पर से उठी और घड़ी में देखी सुबह के 5:00 बज रहे थे इसलिए वह सीधा नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई,,, बाथरूम भी छोटा था लेकिन व्यवस्था के लिए ठीक ही था,,,।


बाथरूम में जोकि टॉयलेट और बाथरूम एक नहीं बना हुआ था इसलिए पहले सोच लिया करने के बाद वह‌ धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगी जिस कपड़े को होगा पहनकर एकदम दुल्हन की तरह सजी थी उसे उतारते समय उसे दुख भी हो रहा था और अपनी किस्मत पर उसे रोना भी आ रहा था अपने मन में यही सोच रही थी कि रमेश की जगह अगर कोई और होता तो शायद उसे दुल्हन के रूप में देखकर अपनी सारी गंदी आदतों को छोड़ देता लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था वह धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगी साड़ी को उतारकर वही नीचे रख दी बाथरूम में एक छोटा सा आने लगा था जिसमें उसके जांघों तक का अक्स नजर आता था,,,, वह अपने आपको आईने में निहार रही थी,,,,और अपनी खूबसूरत चेहरे को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी खूबसूरती में ऐसी कौन सी कमी आ गई थी उसका पति उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता और शराब को उसकी सौतन बना दिया है,,,

मर्दों को अपने वश में करने वाली मदहोश कर देने वाली जवानी उसके पास से खूबसूरत अंग था फिर भी वह विवस थी कि उसका पति उसकी तरफ बिल्कुल भी आकर्षित नहीं हो रहा था,,,, ब्लाउज में कैद अपने पंख फड़फड़ा ते हुए कबूतरों को देखकर वह सोचने लगी की इतनी खूबसूरत चूची होने के बावजूद भी इसी पीने की जगह,,,मेरी जवानी का नशा करने की जगह वह शराब का नशा कर रहा है,,, यह सोचते हुए वह धीरे-धीरे अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,, आराधना की चूचियां एकदम गोलघर थोड़ी बड़ी बड़ी थी अब ब्लाउज का आकार चुचियों के माप से थोड़ा छोटा था,,, जिसकी वजह से ब्लाउज के सारे बटन करते हैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए व्याकुल हो जाती थी ऐसा लगता था कि छोटे से ब्लाउज में उसकी चुचियों का दम घुट रहा हो,,, इसी वजह से चूचियों के बीच की पतली गहरी लकीर ज्यादा लंबी नजर आती थी,,,,,,,देखते ही देखते आराधना अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और उसे धीरे से अपनी बाहों में से अलग कर के नीचे गिरा दी उसके बदन पर लाल रंग की ब्रा बेहद खूबसूरत लग रही थी और कबूतरों को कैद करने का यह पिंजरा भी कबूतरों के साइज के हिसाब से छोटा ही था,,,, इसलिए ब्रा रुपी पिंजरे में कैद होने के बादआराधना की चूचियां और ज्यादा आकर्षक लगती थी जिसे देखकर ही मर्दों के मुंह में पानी आ जाता था और उसे दबोचने के लिए हमेशा लालायित रहते थे,,,। गोरे रंग पर लाल रंग की ब्रा आराधना की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा दे रहे थे,,,
अपनी मदमस्त कर देने वाली चुचियों को ब्रा में कैद देखकर लंबी आह भरते हुए आराधना अरे दोनों हाथों को अपने पेटीकोट की डोरी पर रखकर अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा देकर उसे खोलने लगी,,,,। जितने चाव और उम्मीद लगाकर आराधना रात को इन कपड़ों को पहन रही थी उतनी ही मायूस और उदास होकर उन्हें उतार रही थी,,, देखते ही देखते आराधना अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा लेकर थोड़ी सी हरकत करके पेटिकोट की डोरी को खींच दी और अगले ही पर कमर पर नितंबों पर कस के बांधी हुई पेटिकोट ढीली हो गई,,,। जिसे वह रात को बड़े अरमानों से अपने नितंबों पर कसकर बांधी थी ताकि उसकी गांड को ज्यादा बड़ी लगने लगे और उसका पति उत्तेजित होकर उसकी गांड की गहराई में खो जाएं,,,, लेकिन सारे अरमान धरी की धरी रह गए,,,,,,,

पेटिकोट की डोरी को खोलने के बाद में उसी तरह से उसे छोड़ दी और अगले ही पल उसकी पेटीकोट कमर से जुदा होकर नीचे उसके कदमों में जा गिरा,,,,जो पेटीकोट उसके नंगे पन को उठा कर रहे थे वही पेटीकोट उससे अलग होकर उसे नंगी करने में लग गए,,,, आराधना बाथरूम के अंदर संपूर्ण व्यवस्था में नहीं लेकिन अर्धनग्न अवस्था में हो चुकी थी केवल उसके बदन पर लाल रंग की पैंटी और लाल रंग की ब्रा ही थी जिसे वह लाल जोड़े की तरह अपनी शादी की सालगिरह पर पहनी थी ब्रा और पेंटी दोनों नए थे,,,

पर नजर पड़ते ही उसे रात वाली घटना याद आने लगी जब उसका पति जबरदस्ती करते हुए उसकी पेंटी को खींचकर निकालने की कोशिश कर रहा था जिसे वह पैसे बचाकर इसी दिन के लिए खरीद कर रखी थी और वह नहीं चाहती थी कि उसका पति अपनी मनमानी करने के चक्कर में उसकी पैंटी को नुकसान पहुंचाए,,, लाल रंग की ब्रा और पैंटी में,, अर्धनग्न अवस्था में भी वह परी लग रही थी,,,, खूबसूरती के मामले में आराधना दो कदम आगे थी,,,।

आईने में लाल रंग की ब्रा और पैंटी में सजे अपने बदन को देख कर दुखी होने के बावजूद भी आराधना को अपने बदन पर गर्व होता था दो-दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी,, उसके शरीर में जरा भी बदलाव नहीं आया था बल्कि उसका बदन और भी ज्यादा खूबसूरत हो गया था छोटी-छोटी नौरंगिया जैसी चूची खरबूजे जैसी हो गई थी,,, गांड के उभार में और आकार में मदहोशी भरा बदलाव आ गया था,,,, जिसे देखकर हर कोई गर्म आहह भरता था,,,।
आईने में अपने आप को देखते हुए आराधना अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी,,, और अगले ही पल ब्रा का हुक खुलते ही खरबूजे जैसी चुचियों पर कसी हुई कटोरी ढीली हो गई और आराधना उसे अपनी बाहों में से अलग करते हुए उसे नीचे नहीं दिलाई बल्कि उसे हैंगर में टांग दी,,, रात को लगाए हुए परफ्यूम की खुशबू अभी भी ब्रा में से आ रही थी,,,अपनी मदमस्त कर देने वाले चूचियों को देखकर खुद उसके मुंह में पानी आ गया था जिसे वह नीचे से अपने दोनों अकेले में भरकर अपनी हथेली को ऊपर की तरफ लाकर हल्का सा उत्तेजना भरा मसाज करते हुए अपनी दोनों चूची की निप्पलो को एक साथ अपनी उंगली और अंगूठे के बीच रखकर हल्का सा दबाते हुए आहहह भर गई,,,,। एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन में फैलने लगा जो कि यह एहसास वह अपने पति द्वारा प्राप्त करना चाहती थी रात को बड़े अरमान थे उसके उसका पति उससे प्यार करें उसके बदन से खेले उसकी दोनों चूचियों को मुंह में भर कर पिए,,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,उसका पति रात को उससे प्यार तो किया था लेकिन केवल अपनी गर्मी शांत करने के लिए,,,,।
Aradhna cream lagakar apni chut saaf ki thi


अफसोस भरी आह भरकर आराधना अपनी लाल रंग की पैंटी को अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों में फंसा कर उसे नीचे की तरफ खींचने ही वाली थी कि,,, उसे अपनी बुर वाली जगह अच्छी खासी फूली हुई दिखाई दी,,,, जिस पर अभी भी चिपचिपाहट महसूस हो रहा था,,,, जो कि रात को उसके पति की गर्मी का रस था,,,, आराधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी चुत की दोनों मोटी मोटी फांक पैंटी के ऊपर उपसी हुई है अगर इस हालात में, कोई उसे देख ले तो उसकी चुत में लंड डाले बिना नहीं रह पाए,,,,
Aradhna ki chikni chut

गरम आहह भरते हुए आराधना अपनी पेंटिं को धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, और जैसे ही वह पेंटी को घुटने तक लाइ उसे उसी स्थिति में छोड़कर,,, वह अपनी चिकनी चूत को देखने लगी जिसे वह क्रीम लगाकर साफ की थी,,, दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूत एक पतली दरार की शक्ल में अभी भी बरकरार थी केवल हल्की सी गुलाबी पत्ती बाहर की तरफ झांक रही थी और हल्की सी मदन रस की बूंद मोती के दाने की तरह उसके ऊपरी मुहाने पर चमक रही थी,,,,,,आराधना अपनी हथेली उसपर रखकर उसे हल्के से सहला कर मानो कि जैसे उसे दुलार कर रही हो,,,,, हथेली की हल्की रगड़ से हीबहुत तेज होने लगी लेकिन अपनी उत्तेजना को अपने अंदर दबाकर वह तुरंत अपनी हथेली को वहां से हटा ली,,,,,

घुटनों में फंसी अपनी लाल रंग की पैंटी को बाहर निकाल कर वह हेंगर पर टांग दी,,, बाथरूम के अंदर का पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,, आईने में अपने नंगे पन को देखकर उसे अपने बदन पर गर्व होता हुआ महसूस हो रहा था,,,। सबसे ज्यादा आकर्षक उसे अपनी चिकनी चूत लग रही थी चिकनी चूत को देख कर उसे ख्याल आया कि कल वह क्रीम यहीं पर भूल गई थी वह नहीं चाहती थी कि वह क्रीम उसकी बेटि यां उसके बेटे के हाथ लगे,,, क्योंकि वह नहीं जानती थी कि उसकी बेटी अभी क्रीम का उपयोग करती है या नहीं,,,, लेकिन वह अपने बच्चों को यह नहीं जताना चाहते थे कि उसकी मां क्रीम लगाकर अपनी चूत को चिकनी करती है,,,, इसलिए वह उस क्रीम को वहां से हटा देना चाहती थी लेकिन अभी नहाना बाकी था इसलिए नहाने लगी,,,, थोड़ी देर में ही वह नहा कर अपने बदन पर टावल लपेट लीऔर बाथरूम से निकलते समय उस क्रीम को साथ में ले ली और उसे लेकर अपने कमरे में आ गई जिसे वह अलमारी में कपड़ों के नीचे छिपा दी,,,, और अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गई,,,।
Taiyar hone k baad aradhna

दीवार में टांगने घड़ी में 5:30 का समय हो रहा था स्कूल जाने के लिए संजू और मोरनी को जगाना जरूरी था इसलिए वहदोनों के कमरे तक पहुंच कर बाहर से ही दोनों को आवाज लगाकर जगा दीऔर नाश्ता बनाने लगी थोड़ी ही देर में उसके दोनों बच्चे भी नहा कर तैयार हो गए थे और स्कूल जाने के लिए रेडी थे,,,, रमेश भी बाहर कर वापस आ चुका था और नहा कर तैयार हो गया था वह आराधना से नज़रें नहीं मिला पा रहा था और ना ही आराधना ही कुछ कहना चाहती थी वह खामोश होकर अपने बच्चों को और रमेश को नाश्ता दीदी और तीनों नाश्ता करके अपने-अपने राह पर चले गए,,,,।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 

andyking302

Well-Known Member
6,075
14,324
174
आराधना भी अपने जीवन में खुशी चाहती थी जिस तरह से वह पहले रहा करती थी लेकिन शायद किस्मत में भी यही लिखा था इसलिए वह अपने जीवन के बारे में सोच कर उदास हो जाती थी,,, आराधना को देखकर किसी को भी ऐसा नहीं लगता था कि यह औरत अंदर से ईतनी दुखी है उसके चेहरे पर हमेशा एक चमक रहती थी उसकी खूबसूरती वैसे भी चांद की तरह चमकती रहती थी,,,,,,।
संजू अपनी मां को दुखी देखकर हमेशा यही सोचता रहता था कि वह ऐसा क्या करें कि उसकी मां की जीवन में फिर से खुशियां वापस आ जाए,,,, सोनू चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था,,,।

अपनी मां को रोता हुआ देखकर उसके मन में बहुत पीड़ा होती थी अपने बाप के प्रति उसे गुस्सा भी बहुत आता था,,,। रात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के कमरे में क्या हुआ होगा,,, आखिरकार संजू एक जवान लड़का था और एक औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को अच्छी तरह से जानता था,, अपनी मां को किस तरह से दुल्हन की तरह तैयार होता हुआ देखा था संजू उससे खुश था वो जानता था कि आज शादी की सालगिरह पर उसकी मां उसके पिताजी को खुश करना चाहती है,,, और संजू की अपने मन में यही चाहता था कि उसके पिताजी उसकी मां से बहुत प्यार करें उसे दुनिया की सारी खुशियां दे,,,,। लेकिन रात को अपने बाप के कड़वे वचन को सुनकर वह मन ही मन उदास हो गया था अपने बाप की गंदी बातें उसके दिल पर छुरियां चला रही थी,,,,। बार-बार उसके जेहन में उसके बाप की कहीं एक ही बात घूम रही थी कि दूसरे के लिए तैयार होकर बैठी है दूसरों से चुदवाती है,,,।अपनी मां के बारे में अपने ही बात के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर संजू को बहुत गुस्सा आ रहा था,,,। संजु अपनी मां से बहुत प्यार करता था उसकी बहुत इज्जत करता था इसलिए उसके दुख से वह खुद दुखी था वह अपनी मां के लिए कुछ करना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था,,,,,,,,,,,, वह छोटे-मोटे घर के काम में हमेशा अपनी मां की मदद करते रहता था,,,।


ऐसे ही एक दिन,, शाम के वक्त उसकी मां खाना बना रही थी और वह वहीं पर बैठकर सब्जियां काट रहा था,,,।

संजू में तुझे कितनी बार कहती हो कि यह सब तेरा काम नहीं है तु यह सब मत किया कर,,,।

हां मम्मी तुम सच कह रही हो लड़कों को यह सब शोभा नहीं देता,,,, वैसे भी तुम हो मैं हूं तो यह सब भैया को काम करने की जरूरत ही नहीं है,,,।(मोहिनी भी अपनी मां का साथ देते हुए बोली,,,)


तू नहीं समझेगी मोहिनी,,,,मम्मी अकेले काम करके थक जाती है भले ही कुछ कहती नहीं है किसी से शिकायत नहीं करती लेकिन फिर भी हमें समझना चाहिए,,,, इसलिए मैं हमेशा मम्मी की मदद करते रहता हुं,,,।(इतना कहकर वह फिर से सब्जी काटने में लग गया,,, अपने बेटे की बातों को सुनकर आराधना मन ही मन खुश होने लगी,,,, उसे लगने लगा था कि उसका बेटा समझदार हो रहा है,,, उसके मन में
इस बात से तसल्ली थी कि चलो पति नहीं,,, ख्याल रखता तो क्या हुआ,,, बेटा तो ख्याल रखता है,,,।,,, मोहिनी भी वहीं पास में बैठ कर अपने भाई का हाथ बता रही थी यह देख कर आराधना कि खुशी का कोई ठिकाना ना था सब कुछ ठीक-ठाक ही था बस उसके पति की तरफ से ही निराशा हाथ लगी हुई थी,,,,। जैसे-तैसे जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,आराधना को लगने लगा था कि उसका पति उसकी तरफ अब बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता था,,,। यह बात आराधना को खलने लगी थी,,,क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि भले दो बच्चों की मां हो गई थी लेकिन अभी भी उसकी खूबसूरती बरकरार थी और सब को सही होने के बावजूद भी उसका पति उसके खूबसूरत बदन पर उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था यह बात आराधना को अचंभित कर रही थी क्योंकि कुछ नहीं तो सही आए दिन वह उसकी मर्जी जाने बिना भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेता था जिससे कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत आराधना को भी तसल्ली हो जाती थी लेकिन महीनों गुजर गए थे उसके पति ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया नहीं था,,,। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए क्या करें उसे डर था कि कहीं बाहर तो उसका किसी के साथ नाजायज संबंध तो नहीं है,,, यह ख्याल उसे और ज्यादा परेशान कर देता था,,,,,,।


ऐसे ही रविवार का दिन था और आराधना की बहन जो की उम्र में उससे केवल 1 वर्ष ही बड़ी थी साधना आई हुई थी,,, उसे देख कर आराधना को बहुत खुशी हुई,,,, ।

क्या दीदी 5 महीने हो गए यही पास में रहती हो लेकिन कभी खबर नहीं लेती,,,।

क्या करूं आराधना काम बहुत रहता है दिन भर घर के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं कॉलेज जाने लगे हैं,,, सुबह उठकर नाश्ता बना फिर खाना बना घर का कामकाज करो उसी में शाम हो जाता है फिर शाम को फिर वही काम शुरू,,,, बहुत दिनों से सोच रही थी मिलने के लिए लेकिन समय ही नहीं मिल रहा था और रविवार था तो सोचो चलो आज मिल ही लेती हूं,,,,


चलो कोई बात नहीं दीदी देर आए दुरुस्त आए,,,,
( तभी मोहिनी अपने कमरे से निकलकर बाहर आई और अपनी मौसी के पांव छूते हुए बोली,,,)

नमस्ते मौसी आज याद आई है तुम्हें,,,


अब सब लोग की एक ही शिकायत है,,,, तो भैया माफी चाहती हूं इतने दिनों बाद आने के लिए,,,(मोहिनी के सामने साधना हाथ जोड़कर बोली तो मोहिनी उसे आशीर्वाद देने की मुद्रा में अपना हाथ ऊपर करके बोली,,,)

कोई बात नहीं बच्चा हम तुम्हें माफ करते हैं,,,(पर इतना कहकर मोहिनी के साथ-साथ साधना आराधना दोनों हंसने लगी,,,,)


हाथ मुंह धो लो मैं खाना परोस देती हुं,,,,,,

(थोड़ी ही देर में साधना आराधना और मोहिनी तीनों बैठकर खाना खाने लगे,,,, आराधना जानती थी कि आज रविवार है इसलिए संजीव का कोई ठिकाना नहीं है कि कब घर आएगा,,,, बात ही बात में साधना ने रमेश का जिक्र करते हुए बोली,,)


क्या बात है आराधना,,,, जीजा जी नजर नहीं आ रहे हैं आज तो रविवार है छुट्टी का दिन,,,
(साधना के मुंह से रमेश का जिक्र सुनते ही आराधना के चेहरे पर उदासी जाने लगी और यही हाल मोहिनी का भी था क्योंकि वह अपने घर के हालत को अच्छी तरह से जानती थी,,, घर में जिस तरह का क्लेश फैला हुआ है उसी से मोहिनी भलीभांति परिचित थी इसलिए अपने पापा का जिक्र होते ही वह खाना खा चुकी थी इसलिए वहां से उठ गई और बोली,,)

मम्मी मैं अपने कमरे में आराम करने जा रहे हु आप दोनों बातें करो,,,,
(आराधना की अच्छी तरह से समझ रही थी कि मोहिनी वहां से इसलिए जा रही थी कि वह अपने मन का दुख अपनी बड़ी बहन से बता सकें,,, मोहिनी चली गई बगल वाले कमरे में और कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो साधना फिर बोली)

क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही है कुछ हुआ है क्या,,,,
(अपनी बड़ी बहन की बात सुनकर आराधना रोने लगी,,, उसे रोती हुई देखना साधना एकदम से परेशान हो गई,,)

अरे रो क्यों रही है बताएगी भी कि क्या हुआ है,,,


क्या बताऊं दीदी मेरी तो जिंदगी नरक हो गई है,,,


अरे क्या हुआ है सब कुछ तो ठीक-ठाक था अब क्या हो गया,,,,


यह पूछो दीदी क्या नहीं हुआ है,,,, जिंदगी बर्बाद हो गई है,,,, जब से शराब पीना शुरू कीए है तब से जिंदगी तबाह हो गई है,,,,,।


क्या जीजा शराब पीने लगे,,,,(साधना आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां दीदी रोटी दिनभर शराब के नशे में डूबे रहते हैं,,,,, घर गृहस्ती बच्चों बीवी का तो उन्हें शुध भी नहीं है,,,, हम लोगों की तरफ तो ध्यान ही नहीं देते,,,,


पर ऐसा क्या हो गया जो उन में इतना बदलाव आ गया,,,


क्या बताऊं दीदी,,, मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है सब कुछ सही चल रहा था लेकिन कुछ महीनों से सब कुछ तहस-नहस हो गया है धीरे धीरे वह तो मुझ पर भी ध्यान देना बंद कर दीए है,,,।

क्या मतलब मैं समझी नहीं,,,,


दीदी पहले तो सप्ताह में दो-तीन बार मेरी मर्जी जाने बिना ही मेरे साथ संबंध बना लेते थे लेकिन महीना गुजर गया लेकिन उन्होंने मेरी तरफ ठीक से देखा था कि नहीं है,,,



क्या कह रही है तू,,,(साधना एकदम आश्चर्यचकित होते हुए बोली क्योंकि इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बहन अभी भी बहुत खूबसूरत थी उसके बदन का रखरखाव एकदम सही ढंग का था मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला खूबसूरत बदन की वह अभी भी मालकिन थी फिर भी उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था यह बात उसके लिए आश्चर्य चकित कर देने वाली थी,,,,)


हां दीदी मैं सच कह रही हूं मुझे तो लगता है कि कहीं बाहर उनका किसी औरत के साथ संबंध तो नहीं है तभी तो वह ध्यान नहीं देते,,,।


भगवान ना करे ऐसा कुछ हो आराधना,,,, नहीं तो जिंदगी और ज्यादा बर्बाद हो जाएगी,,,,।
(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी उन दोनों की बातों को सुन रही थी क्योंकि वह दोनों की बातें बगल वाले कमरे में एकदम साफ सुनाई देती थी उन्हें इस बात का आभास तक नहीं था कि मोहिनी सबको सुन रही है,,,, अपने बाप के व्यवहार के बारे में सुनकर उसे भी ताज्जुब हो रहा था,,,,)


मैं क्या करूं दीदी तुम ही कुछ बताओ,,,,।


देख आराधना मर्दों को अपने बस में करने की तरकीब हर औरत के पास होती है,,,,औरत चाहे तो घर को बना दे और और अच्छा है तो घर को उजाड़ दे यह सब कुछ औरत के हाथ में होता है,,, और अपना घर एक बार फिर से बसाने के लिए तुझे सब कुछ करना होगा,,,।


क्या करना होगा ठीक है मुझे भी कुछ बताओ मैं सब कुछ करने को तैयार हूं,,,,।


देख आराधना,,,, तुझे अपना जीवन एक बार फिर से खुशियों से करने के लिए अपने पति को अपनी तरफ रीझाना,,, अगर वह पहल नहीं कर रहा है तो तुझे पहल करना होगा,,,,। तुझे जीजा को अपनी तरफ आकर्षित करना होगा इसके लिए तुझे बहुत कुछ करना होगा,,,।


मैं सब कुछ करुंगी दीदी,,, पहले बताओ तो करना क्या होगा,,,


तुझे हमेशा सज धज कर रहना होगा इस तरह से उदास चेहरा लेकर नहीं जब भी जीजा तेरे सामने आई तो तेरा चेहरा एकदम खिला होना चाहिए,,,, और यह,,,(आराधना के ब्लाउज की तरफ देख कर अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके ब्लाउज के ऊपरी कीनारी को पकड़कर उसे नीचे करते हुए बोली,,,) लो कट ब्लाउज पहना कर जिसमें से तेरी खरबूजे जैसी चूचीयां बाहर झांकती हो,,, जिसे देखकर ही जीजा के मुंह में पानी आ जाए,,,,।(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी अपनी मौसी की बात सुनकर उत्साहित होने लगी और वह बड़े ध्यान से अपनी मौसी की बात को सुनने लगी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
और हां बार-बार किसी बहाने से तो उनके सामने अपने साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया कर,,,।


क्या दीदी,,,,


क्या दीदी नहीं तुझे यही करना होगा अगर अपना घर बचाना है तो, में ,, जानती हूं कि जीजा तेरे साथ बहुत बार संबंध बना चुके हैं बहुत बार तेरी चुदाई कर चुके हैं,,,(चुदाई की बात सुनते ही मोहिनी के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी चुदाई के मतलब को वह अच्छी तरह से समझती थी,,, अपनी मौसी के मुंह से इतने खुले शब्द सुनकर,, उसे आश्चर्य हो रहा था क्योंकि वह कभी भी अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की बातें सुनी नहीं थी आज पहली बार इस तरह की गंदी बातें सुनकर मोहिनी के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी आखिरकार वापी एक जवान लड़की थी जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
लेकिन फिर भी उनकी आंखों के सामने अगर कंधे से तेरे साड़ी का पल्लू गिरेगा तो ब्लाउज में से झांकती हुई बड़ी बड़ी चूची को देखकर जीजा की हालत खराब हो जाएगी और जरूर वह एक बार फिर से तेरे रूप यौवन के जाल में फंसते चले जाएंगे,,,,


अगर फिर भी ऐसा नहीं हुआ तो,,,(आराधना अपनी बड़ी बहन साधना की बात सुनकर उस पर शंका जताते हुए बोली,,,)

अरे जरूर होगा,,,, मर्दों की फितरत हीं यही है,,, और हां सच-सच बताना,, बिस्तर में शुरुआत कौन करता है,,,।

वही करते हैं मैं नहीं करती,,,,(आराधना शर्माते हुए बोली,,)


तभी तो सत्यानाश है हम औरतों की सबसे बड़ी परेशानी यही है,,, की शुरुआत खुद नहीं करती मर्दों का इंतजार करती रहती है,,, कि कब हमारे पति हम पर मेहरबान होंगे,,,,



तुम क्या करते हो दीदी,,,,


मैं अपने पति का इंतजार नहीं करती वह करें तो ठीक अगर नहीं करते हैं तो मैं खुद ही चढ बैठती हूं,,,


सच कह रही हो दीदी,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)



तो क्या,,, आखिरकार हम औरतों का भी तो कुछ अधिकार है हमारी भी तो इच्छा होती है जिसे भूख लगने पर हम खाना खाते हैं उसी तरह से हमें जिस्म की भी भूख लगती है जिसे मिटाने के लिए हमें खुद आगे बढ़ना पड़ता है,,,


तो क्या चीज है कुछ कहते नहीं तुम्हारी पहल देखकर,,,


अरे वह तो पागल हो जाते हैं उन्हें इतना मजा आता है कि पूछो मत और उसके बाद जो चुदाई होती है उसका अनुभव ही कुछ और होता है,,,,
(पास के कमरे में सुन रही मोहिनी अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रही थी उसकी मौसी खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी मोहिनी जानती थी कि उसकी मौसी चुदाई के बारे में ही बात कर रही है जिसके बारे में सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच ना जाने कैसी लहर उठने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था बस वह सुने जा रही थी,,,)

तुम नसीब वाली हो दीदी,,, जो तूम्हे इतने अच्छे पति मिले
है,,,


तेरा भी नसीब जाग जाएगा,,, मेरी बहन बस मेरी बात मान कर,,, मर्द को औरत का पहन करना बहुत अच्छा लगता है,,, इसमें उन्हें सबसे ज्यादा खुशी मिलती और जीजा को भी खुशी की जरूरत है तो उन्हें खुशी देगी तभी तेरा जीवन घर संसार बना रहेगा,,,, बाहर की औरतें जो देंगी वही तुझे भी देना है बस तरीका अलग होना चाहिए और हां,,,। तू अपनी चूत तो साफ करती है ना,,,, बालों वाली तो नहीं है,,,,


नहीं दीदी 15 दिन में एक बार क्रीम बनाकर साफ कर देती हूं वैसे मुझे भी सफाई पसंद है,,,


और जीजा को,,,


पहले तो बहुत पसंद थी हमेशा चिकनी चूत रखने के लिए कहते थे,,, लेकिन अब नहीं पता,,,
(अपनी मौसी और अपनी मम्मी के मुंह से चूत शब्द सुनकर मोहिनी की हालत खराब होने लगीपर यह जानकर आश्चर्य होने लगा कि उसकी मां 15 दिन में एक बार अपनी चूत के बाल साफ करती है और उसने आज तक अपनी चूत के बाल साफ नहीं की थी हालांकि अभी झांटों का झुरमुट नहीं हुआ था,,, बस हल्के हल्के रेशमी बाल ही आते थेलेकिन अपनी मां के मुंह से सफाई वाली बात सुनकर उसकी भी इच्छा करने लगी थी क्रीम लगाकर साफ करने के लिए,,,, खुमारी में मोहिनी की सांसे तेज चलने लगी थी,,,,)


तो फिर से साफ कर क्रीम लगाकर साफ कर उस पर हल्का सा खुशबूदार क्रीम लगा लिया कर,,,, और हां तूने कभी जीजा जी के लंड को मुंह में ली है,,,।


कैसी बातें कर रही हो दीदी,,,


तेरी प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढ रही हुं,,,, मैं वही,, सब करने को कह रही हूं जो मर्दों को पसंद है,,।
(लंड चूसने वाली बात से मोहिनी एकदम से गनगना गई थी,,, उसने अभी तक जवान लंड नहीं देखी थी और ना ही उसे इस बात का ज्ञान था कि लंड को मुंह में लेकर चूसा जाता है,,,, धड़कते दिल के साथ अपनी मां के जवाब का इंतजार कर रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख इसमें शर्माने वाली कोई भी बात नहीं है तुझे सही बताने में शर्म महसूस हो रही है लेकिन मैं सही सही बता रही हूं मुझे तो अपने पति का लंड चूसने में बहुत मजा आता है,,, मेरी इस हरकत पर व चारों खाने चित हो जाते हैं,,,,।
(मोहिनी यह जानकर कि उसकी मौसी उसके मौसा का लंड चुस्ती है उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,/आराधना को भी इस बात से हैरानी हो रही थी कि उसकी बड़ी बहन उसके सामने एकदम खुले शब्दों में सब कुछ बोल दे रही हैं,,,//)

देख शर्मा मत आराधना मैं तुझे तेरा घर संसार बचाने का तरीका बता रही हूं अगर तू यह सब नहीं करेगी तो जीजा जी वाकई में बाहर किसी और औरत के साथ संबंध बनाने लगे क्या‌ तु यही चाहती है क्या तू यही चाहती है कि कोई गैर औरत वही सब करे जो मैं तुझे करने को कह रही हूं तो यह सब ना करके अपने पति को अपने हाथों से गवा दे अपने घर संसार को आग लगा दे,,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती,,,,


तो जो मैं पूछ रही हूं उसे सच सच बता,,,,
(साधना अपनी बहन पर जोर दे रही थी जानने के लिए लेकिन आराधना को अपने मुंह से यह सब बताने में शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि इस तरह की बातों को उसने आज तक किसी से भी नहीं कही थी बगल वाले कमरे में मोहिनी भी अपनी मां के मुंह से जवाब सुनने के लिए बेताब थी,,, उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था)
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 

andyking302

Well-Known Member
6,075
14,324
174
मोहिनी का दिल जोरों से धड़क रहा था बगल वाले कमरे में वहां दीवार से कान सटाए बैठी हुई थी,,वो पहली बार इस तरह की गंदी वार्तालाप को अपने कानों से सुन रही थी और वह भी अपनी मां और अपनी मौसी के मुंह से,,,, उन दोनों को देखकर कभी ऐसा लगता है कि नहीं था कि दोनों इस तरह से खुले तौर पर बातें करती होंगी,,, मोहिनी की सहेलियां भी इस तरह की बातें आपस में किया करती थी लेकिन मोहिनी कभी भी इस तरह की वार्तालाप नहीं करी सम्मिलित नहीं हुई थी उसे इन सब से दूरी बनाए रहने में ही अपनी भलाई नजर आती थी लेकिन आज उसे इस तरह की बातें ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी उन बातों को सुनकर उसके बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी,,, अपनी मौसी के सवाल का जवाब अपनी मां के मुंह से सुनने के लिए उसके कान भी बेताब थे,,,वह देखना चाहती थी कि उसकी मां क्या जवाब देती है उसकी मौसी की तरह वह भी वही हरकत करती है उसकी मौसी करती है या इन सब से वह अछूती है,,,।

दूसरी तरफ आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा हूं समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बहन को क्या जवाब दें क्योंकि वास्तविकता यही थी कि उसने कभी भी अपने मन से अपने पति का लंड मुंह में लेकर चूसी नहीं थी,,,,,,वह अपने पति के ज्यादा दबाव देने पर है यह क्रिया को की थी अपने मन से कभी भी नहीं की इसलिए वह अपनी बहन को जवाब देने में कतरा रही थी,,,।

Sadhna ki badi badi gaand

google number randomizer

बोलना आराधना डरती क्यों है तुझसे मैं पूछ रही हूं कोई और तो नहीं पूछ रहा है और जो कुछ भी है मैं भी सही सही बता दी हुं ,,,,, तू क्यों शर्मा रही है,,,।


अब क्या बताऊं दीदी,,,, मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,


मतलब तुमने आज तक जीजा का लंड मुंह में नहीं ली,, या वह देते ही नहीं है,,,।


नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है वह तो हमेशा यही चाहते हैं लेकिन मुझे ही अच्छा नहीं लगता,,,,।


क्या पागलों जैसी बात कर रही है आराधना,,,, एक औरत होकर एक बहुत ही खूबसूरत पल कों एक बेहतरीन अनुभव को तु खो दे रही है,,,, तु शायद नहीं जानती थी अधिकतर औरतों को इसी तरह से लंड को मुंह में लेकर चूसने में बहुत मजा आता है और उत्तेजना भी ज्यादा महसूस होती है,,पर इस कला में जो महारत हासिल कर ले वह अपने पति को अपना गुलाम बना कर रखती है और एक तू है कि अपना ब्रह्मास्त्र ही छोड़ बैठी है,,,,


पर मुझे बड़ा अजीब लगता है दीदी,,,,


पता नहीं क्यों तुझे अजीब लगता है तु दिल से यह सब नहीं करती होगी,,,, अच्छा जीजा तेरी चूत चाटते होंगे ना,,,


हां,,,,,

(अपनी मौसी किस तरह की बात सुनकर और अपनी मां का जवाब सुनकर मोहिनी की दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार में हलचल होने लगी उसे इस बात से और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव नहीं लगा कि उसके पापा उसकी मम्मी की चूत चाटते हैं इसके बारे में मोहिनी को अभी तक कुछ भी पता ही नहीं था,,,,, वह तो अपने मन में ही कल्पना करने लगी कि कैसे उसके पापा उसकी मम्मी की चूत चाटते होंगे क्योंकि चूत की कल्पना करना उसके लिए कोई मुश्किल काम नहीं था क्योंकि उसकी दोनों टांगों के बीच में एक खूबसूरत चूत थी,,,, आराधना का जवाब सुनकर उसकी बहन बोली,,,)


अच्छा फिर तुझे कैसा लगता है जब जीजा तेरी चूत चाटते हैं तो,,,।


पूछो मत दीदी बहुत अच्छा लगता है ऐसा लगता है कि जैसे मैं हवा में उड़ रही हूं,,,,।
Mohini ki khubsurti




और फिर,,,,, तु एकदम मस्त जाती है,( साधना की बात सुनकर आराधना हां में सिर हिला दी,,,) तो यही सोच किसी जा तुझे इतना मजा देते हैं और बदले में तू उनको थोड़ा भी मजा नहीं दे पाती जब वह तेरी चूत चाट सकते हैं जीभ से तो क्या तू उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस नहीं सकती,,,, तू खुद अपनी दुश्मन बनी बैठी है,,,, अपने पति को खुश करने के लिए तो औरत सब कुछ कर देती है उसे पसंद हो या चाहे ना हो वह सब कुछ करने को तैयार हो जाती है और एक तू है जो इतना नहीं कर सकती जबकि वह करने में भी औरत को बहुत मजा आता है,,,। अच्छा तो एक बात बता अपना घर संसार बसाना चाहती है कि नहीं यही चाहती है कि जीजा तेरी एक सौतन लाकर घर में रख दें,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहती मैं अपना घर संसार बचाना चाहती हूं,,,


तो फिर तुझे जो मैं कह रही हूं वह सब कुछ करना होगा,,,,, करेगी ना,,,


हां दीदी मैं सब कुछ करूंगी उन्हें पहले जैसा बनाने के लिए मैं सब कुछ करूंगी,,,,


चल ठीक है अब देखना तेरा जीवन कैसे खुशियों से महक उठता है,,,,।

(बगल वाले कमरे में मोहिनी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसे अपनी पेंटी गीली होती है महसूस हो रही थी पहली बार वह उत्तेजना का अनुभव भी की थी,,,, यही सब सोचते हुए उसे कब नींद लग गई उसे पता ही नहीं चला,,,, शाम को जब समझे घर पर आया तो घर में अपनी मौसी को देख कर बहुत खुश हुआ और वहां जैसा कि पहले करना था वैसे ही जाकर उसके गले लग कर मिलने लगा,,,,)


अरे मेरा बच्चा अभी तक कहां था,,,,(संजू की पीठ को सहलाते हुए,,,)

बस यही था मौसी,,,(वह साधना के गले लगे हुए ही बोला जब भी वह अपनी मौसी से मिलता था तो इसी तरह से मिलता था लेकिन आज उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी जब उसकी मौसी की बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी छाती से दबने लगी,,,, चुचियों की नर्माहट और उत्तेजित निप्पलो को अपनी छातियों में धंसता हुआ महसूस करके संजू पूरी तरह से गनगना गया,,,संजू पूरी तरह से जवान था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी छाती पर उसकी मौसी की चूची ही रगड खा रही है,,,। मैं तुरंत अपनी मौसी से अलग हुआ और अनजाने में उसकी नजर साधना की दमदार छातियों पर चली गई जो की पूरी तरह से उठी हुई थी मानो कि उसके ब्लाउज में बड़े-बड़े दो फुटबॉल भर दिए गए हो,,,,,,, इससे पहले संजू का ध्यान इन सब पर बिल्कुल भी नहीं किया था लेकिन आज अचानक ही उसका ध्यान अपनी मौसी की दमदार छातियों पर ठहर सी गई थी,,, पल भर में ही साधना ने संजू की जवान नजरों को ताड लिया,,, साधना मर्दों की नजरों को अच्छी तरह से पहचानती थी और इस समय साधना को अपने भतीजे संजू की आंखों में जवानी की उमंग लालसा नजर आ रही थी,,, साधना संजू की हालत को अच्छी तरह से समझ सकती थी क्योंकि जिस तरह से वह उसको कर देना खाली थी ऐसे में कोई भी हो वह उसकी बड़ी बड़ी छातियों का स्पर्श पाते ही गर्म हो जाता,,,, लेकिन साधना को भी आज संजू की नजरों में बदलाव पहली बार महसूस हुआ था,,,,। साधना ही अपनी बात को बदलते हुए बोली,,,।


और बेटा पढ़ाई कैसी चल रही है,,,


एकदम ठीक मौसी,,,


ऐसे ही पढ़ते रहो,,,, जरूर कामयाब हो जाओगे,,,


बस आपका आशीर्वाद चाहिए मौसी,,,,


मेरा आशीर्वाद तो सदा तुम दोनों पर बना हुआ है,,,(तब तक मोहिनी भी उधर आ गई थी और साधना मोहिनी के सर पर हाथ रखते हुए बोली,,, सब लोग बहुत खुश थे शिवाय आराधना के अपनी मम्मी गई सोच रही थी कि जिस तरह से उसकी बहन ने उसको करने के लिए कही है क्या हुआ उस तरह से कर पाएगी अपने मन में यही सोच कर परेशान हो रही थी लेकिन फिर भी अपने मन को दिलासा देते हुए समझा भी रही थी वह कर लेगी अपना घर बचाने के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं,,,, यही सोच उसकी हिम्मत बढ़ा रहा था,,,।

शाम ढलने लगी थी खाना बनाने की तैयारी में आराधना लगी हुई थी आज अपनी बड़ी बहन साधना के मनपसंद की खीर बनाने जा रही थी इस बात को जानकर संजू मोहीनी के साथ-साथ साधना भी खुश थी,,,,।

चलो इसी बात पर बच्चों मैं तुम्हें नुक्कड़ पर पानी पूरी खिलाने के लिए ले चलती हूं,,,।

हां मौसी मुझे भी पानी पूरी खाना था,,,(मोहिनी एकदम से चहकते हुए बोली,,, संजू भी तैयार हो गया तभी साधना आराधना से बोली,,)

आराधना तू भी चल जल्दी आ जाएंगे,,,।


नहीं नहीं दीदी तुम लोग जाओ मैं खाना बनाती हूं,,,,


चलना क्या हुआ जल्दी आ तो जाएंगे,,,,


नहीं दीदी,,,, तुम लोग हो आओ ,,,,,


अच्छा तो कुछ खाएगी,,,,


हां मौसी मम्मी को भी पानी पुरी के साथ साथ छोला और समोसा भी पसंद है,,,(संजू अपनी मां की पसंद बताते हुए बोला,,)


ठीक है आते समय में पैक करा कर लें आऊंगी,,,
(इतना कहकर वो लोग घर से बाहर चले गए,,, आराधना भाई बैठकर सब्जी काटते हुए उन लोगों को जाते हुए देखती रह गई,,,,,, और सोचने लगी कि उसे भी इसी तरह की जिंदगी चाहिए थी एकदम खुशहाल और अच्छी खासी चल भी रही थी लेकिन रमेश की शराब की लत ने सब सत्यानाश कर दिया था,,,, आराधना के मन में बार-बार उसकी बीवी की कही बातें याद आ रही थी पहल करने वाली,,,शादी से लेकर आज तक दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी आराधना ने बिस्तर पर अपने पति के साथ पहल कभी नहीं की थी शुरुआत हमेशा उसका पति करता था हालांकि उसका मन हमेशा उत्सुक रहता था बिस्तर पर पहुंचते ही वह सोचती थी कि उसका पति उसे बाहों में लेकर खूब प्यार करें उसके कपड़ों को उतारकर उसे नंगी करें उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबा दबा कर मुंह में लेकर चूसे उसकी चूत को अपने होंठों में भर कर उसका रसपान करें,,,, उसकी दीदी के कहे अनुसार चूत चटवाने में उसे बहुत मजा आता था,,,,अपने पति के मुंह में तो वह अपना कोमल अंग दे देती थी लेकिन उसका कड़क और अपने मुंह में नहीं लेती थी और यही साधना उसे समझा रही थी कि पति को वश में करने का सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र यही अगर वह भी पहल करते हुए उसके पति का लंड अपने मुंह में लेकर चूसेगी तो उसका पति चारों खाने चित हो जाएगा,,, आराधना अपने मन में यही सोच कर रही थी कि जैसा उस की दीदी बताई है वैसा ही वह करेगी,,,,,,,।

घर से बाहर निकल कर सड़क पर चलते हुए मोहिनी और उसकी मौसी साधना आगे-आगे चल रही थी और संजू दोनों के पीछे पीछे चल रहा था उसकी नजर एक बार फिर से अचानक साधना की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड पर चली गई जो की कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से उसकी गदराई गांड साड़ी से बाहर आने के लिए मचल रही थी,,,,,,। यह संजू के लिए दूसरा पल था जब वह अपनी मौसी को गलत नजरिए से देख तो नहीं रहा था लेकिन पल भर में उसके मन में गलत विचार आ गया था तुरंत वह अपने आप को संभालते हुए अपनी नजरों को इधर-उधर घुमा कर देखने लगा लेकिन बंद तो आखिर मन होता है और जवानी में इस तरह का दृश्य देखकर फिसल जाता है जैसे कोई मनमोहक मादक दृश्य बिल्कुल भी नहीं था लेकिन औरत की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को मटकती हुई देखना भले ही वह साड़ी में कैद क्यों ना हो उसमें भी एक अपना मजा ही होता है और यही मजा संजू को भी प्राप्त करा था अपना मन इधर-उधर करने लगा लेकिन बार-बार उसकी नजर साधना की बड़ी बड़ी गांड पर चली जा रही थी नितंबों के उभार के ऊपर पतली कमर के दोनों छोर पर कमर का कटाव बेहद गहरा नजर आ रहा था जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था संजू की नजरें इससे पहले कभी भटकी नहीं थी लेकिन आज भटक रही थी,,,,

बार-बार उस के लंड में अजीब सी हरकत होने लगी थी,,, अभी नुक्कड़ आया नहीं था और संजू की नजरें गुरुत्वाकर्षण बल के नियम के अनुसार साधना की मदमस्त गांड की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,, अभी तक तो ठीक था लेकिन अचानक ही मोहिनी की गांड पर भी उसकी नजर चली जा रही थी जो कि सलवार के अंदर एकदम कसी हुई थी,,, जिसे देखते उसके मन में अचानक यह ख्याल आ रहा था कि मोहिनी की गांड मौसी की गांड जितनी बड़ी तो नहीं है लेकिन फिर भी एकदम कसी हुई सुडोल है,,,।

इस साल के गंदे विचार मन में आते ही संजू अपने मन को कोसने लगा अपने आप पर गुस्सा करने लगा,,,, लेकिन फिर भी अपनी हरकत पर संजू खुद बाज नहीं आ रहा था बार-बार उसकी नजर साधना की गांड पर तो कभी अपनी बहन मोहिनी की गांड पर चली जा रही है आखिरकार अजीब से मनोमंथन से गुजरते हुए वह लोग नुक्कड़ पर पहुंच गए,,, वहां पर ढेर सारी नाश्ते की स्टॉल और ठेले लगे हुए थे एक खाली ठेला देखकर वह लोग वहीं पर चले गए और पानी पूरी का आनंद लेने लगे,,,, पानी पूरी खाते हुए संजू चोर नजरों से अपनी मौसी को ही देख रहा था जो कि पानी पुरी को हाथ में लेकर थोड़ा आगे की तरफ झुक जा रही थी ताकि पानी उसके ऊपर ना गिर जाए और उसके ऐसा करने पर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम बाहर को निकल आ रही थी संजू को इस बात का डर था कि कहीं उसकी मौसी की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज का बटन तोड़कर बाहर ना जाए,,,, यह नजारा देखने में संजू को बहुत मजा आ रहा था,,,, आज ना जाने क्यों उसे अपनी मौसी एकदम सेक्सी लगने लगी थी हालांकि वह बहुत गर्म पहले से ही थी,,, लेकिन अपनी मौसी को देखने का संजू का नजरिया आज बदला था,,,।आज ना जाने क्यों उसका मन उसकी मौसी की बड़ी बड़ी चूचीयो के बीच की पतली गहरी लकीर की गहराई में डूब जाने को कर रहा था,,,,,

संजू बार-बार अपनी उत्तेजना को दबाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मौसी को देखते ही उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,।पानी पूरी खाते हुए अचानक कि उसके मन में उसके दोस्त की बात याद आ गई इसी तरह से उसकी मौसी पहले भी उसके घर आया करती थी और ऐसे ही उसके दोस्त ने उसकी मौसी को आते जाते देखा था तो संजु से उसकी मौसी का जिक्र करते हुए बोला था कि संजू तेरी मौसी बहुत मस्त लगती है एकदम सेक्सी उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर हम लोगों की हालत खराब हो जाती हैं सच कहता हूं उसकी चूची इतनी बड़ी बड़ी है कि अगर सारा दिन मुंह में लेकर पीओ तो भी उसका दूध खत्म नहीं होगा,,, कसम से संगीत तेरी मौसी अगर एक रात के लिए मिल जाएगा तो जिंदगी बन जाए उसकी दोनों टांगों के बीच तो एकदम जन्नत होगी,,,, उसकी बुर की अमृतधारा होठों पर लगाकर पीने का मन करता है,,,उस समय अपने दोस्त की इस तरह की गंदी बात को सुनकर संजू पूरी तरह से क्रोधित हो गया था और उसे मारा भी था उस दिन से उसने उसी से बात करना भी छोड़ दिया था लेकिन आज ऐसा लग रहा था कि उसकी दोस्त की कही बात सच थी,,,।

जिस तरह की बातें संजू के दोस्त ने महीनों पहले बोला था आज संजु का मन अपनी मौसी को देखकर उसी तरह से मचल रहा था,,,,।


वह तीनों पानी पुरी खा चुके थे,,, साधना पैसे चूका कर आराधना के लिए भी पानी पुरी पेक करवाली थी और,, समोसे छोले के ठेले पर जाकर,,, तीनो ने छोले समोसे भी खाएं और पेक करवा कर घर लेकर आ गए,,,,,,,

घर पर पहुंचकर आराधना ने भी पानीपुरी और छोला समोसा खाए और वापस खाना बनाने में कई मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी,,,, संजु बगल वाले कमरे में जाकर थोड़ी बहुत पढ़ाई करने लगा साधना रसोई घर में ही बैठे हुई थी उसे जोरो की पिशाब लगी तो वह तो वह रसोई घर से बाहर निकल कर बाथरूम में चली गई,,,, सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे इसलिए,,, साधना को लगा कि इतनी जल्दी कोई आएगा नहीं इसलिए वो बाथरूम में घुसते ही जल्दबाजी दिखाते हुए बाथरूम की कड़ी नहीं लगाई और उसी तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर नीचे बैठकर मूतने लगी,,, उसी समय संजु को भी बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,,,,
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 

andyking302

Well-Known Member
6,075
14,324
174
साधना को बड़े जोरों की पेशाब लगी तो वह उठकर बाथरूम में चली गई लेकिन जल्दबाजी में वह दरवाजे की कड़ी लगाना जरूरी नहीं समझी,, क्योंकि सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे और इसीलिए वह सोचे कि कोई घर आने वाला नहीं है जब तक कोई आएगा भी तब तक वह मुत कर खड़ी हो जाएगी,,, इसीलिए वो आपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी पेंटिं को घुटनों तक खींच कर मुतने के लिए बैठ गई,,,,,, उसकी भारी-भरकम गोल गोल गोरी गांड दरवाजे की तरफ थी,, वह सामने दीवार की तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,,, और उसी समय संजू को भी बड़े जोरों की पेशाब लगी वह इस बात से बिल्कुल अनजान था कि बाथरूम में उसकी मौसी है वह अपनी ही धुन में कमरे से बाहर निकला और एक नजर रसोई घर की तरफ डाला दरवाजा हल्का सा बंद था अंदर उसकी मां और उसकी बहन खाना बना रही थी,,,, अपने पेशाब की तीव्रता को अपने काबू में करने के लिए वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबाया हुआ था और सीधे बाथरूम के ठीक सामने पहुंच गया साधना को बाथरूम के बाहर उसके आने की आहट तक महसूस नहीं हुई वह अपनी ही धुन में अपनी दोनों टांगों के बीच की बांसुरी बजाए जा रही थी,,,,,,, वह पूरी तरह से पेशाब करने में मशगूल हो चुकी थी,,,।
साधना पेशाब करते हुए

download instagram pictures online

संजू पूरी तरह से अनजान था एकदम मासूम की तरह पेशाब करने के लिए वजह से ही बाथरूम का दरवाजा खोला तो उसकी आंखों के सामने का दृश्य देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई पल भर में ही सब कुछ बदलता हुआ महसूस होने लगा तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी आंखें यह सब देख पाएंगी,,, गजब का नजारा बना हुआ था संजू पलभर में ही अपने होश खो बैठा था,,।
वो कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने नजारा ही कुछ ऐसा मदहोशी से भरा हुआ था उसकी जगह कोई भी होता तो शायद उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती,, और तो और संजू की जगह अगर दूसरा कोई होता तो शायद इसके आगे बढ़कर कुछ हरकत भी कर बैठता,,,


संजू ने जैसे बाथरूम का दरवाजा खोला था उसकी आंखों के सामने ही उसकी साधना मौसी नीचे बैठी हुई थी और पेशाब कर रही थी संजू ने कभी भी एक औरत के बारे में इस तरह की कल्पना भी नहीं किया था लेकिन आज उसकी आंखें कल्पना से भी परे वह सब देख रही थी जिसे देख पाना शायद संजू कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था,,, उसके साधना मौसी अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए मुत रही थी,,,, संजू को तो कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें बाथरूम का दरवाजा बंद कर दे या वहां से चला जाए लेकिन अद्भुत गजब का मादकता से भरा हुआ नजारा देखकर उसके होश हवास खो गए थे,,, संजू की आंखें अपनी ही मौसी की बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी जिसे वह आज तक सिर्फ साड़ी में लिपटी हुई देखता आया था,,, लेकिन आज उसकी किस्मत में कुछ और लिखा हुआ था इसीलिए आज वह,, अपनी मौसी की नंगी गांड के दर्शन कर रहा था यह शायद उसकी जिंदगी का पहला मौका था जब वह किसी औरत की नंगी गांड को अपनी आंखों से देख रहा था अपनी खुली आंखों से वह जन्नत का नजारा देख रहा था इसलिए वह अपने होश में बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी थी,,,
Sanju apni mausi ko is haal me dekhkar mast ho gaya

american football emojis


पल भर में ही 4 बोतलों का नशा उसके दिलो-दिमाग पर अपना कब्जा जमा बैठा था,,,, वह आंखें फाड़े अपनी मौसी की गांड को घूरे जा रहा था,,, मानो कि जैसे कोई वह बेशकीमती खजाने का भंडार देख लिया हो,,,वैसे भी समझो उम्र के जिस दौर से गुजर रहा था ऐसे में औरत का नंगा जिस्म ही उसके लिए दुनिया का सबसे बड़ा खजाना होता है,,,,जिसे मैं अपने हाथों में भरकर उसे महसूस करने के लिए तड़प उठता है और यही हाल संजू का भी था औरत के मामले में वह पूरी तरह से अज्ञानी था लेकिन फिर भी अपनी मौसी की गांड को छू लेने की लालसा उसके मन में जाग रही थी वह अपनी मौसी की नंगी गांड को छूना चाहता था उसे सहन आना चाहता था उसे अपनी हथेली में लेकर दबाना चाहता था उसके एहसास में पूरी तरह से खो जाना चाहता था,,,,लेकिन ऐसा कर पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था और उसकी हिम्मत भी नहीं थी,,,।

Mohiniii

दरवाजा के खुलते ही साधना एकदम से चौंक उठी थी और पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर संजू खड़ा था साधना को भी कुछ समझ में नहीं आया कि हम क्यों करें अपनी गांड को वह साड़ी से ढक भी नहीं सकती थी क्योंकि इस समय उसके पेशाब का प्रेशर एकदम तीव्रता पर था और उसकी बुर से नमकीन सरबत भलभलाकर सामने की दीवार पर बौछारें मार रहा था,,,, पल भर के लिए साधना को भी कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वो भी हैरान थी नीचे बैठी हुई वह अपनी नजरों को ऊपर उठाकर संजू की तरफ देख रही थी मन ही मन में उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि वह दरवाजे की कड़ी क्यों नहीं लगाई,,,,,, इस हालत में आज तक उसके पति के सिवा दूसरा कोई भी नहीं देखा था आज दूसरा शख्स उसका खुद का भतीजा संजू था एकदम जवान हो चुका था और वही सोच कर साधना की भी हालत खराब हो रही थी कि संजु पूरी तरह से जवान लड़का था,,, उसी हालत में देख कर और क्या सोच रहा होगा साधना मर्दों की नजर को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए वह अपने भतीजे संजू की नजर को देखकर पहचान गई थी कि वहां उसकी गांड को देखकर ललचा रहा है,,, और ऊपर से पेशाब करते हुए संजू की क्या हालत हो रही होगी साधना कुछ कुछ समझ रही थी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि औरत को ईस हाल में देख पाना मर्दों के लिए एक तरह से दुर्लभ ही होता है,,, लेकिन संजू को बिना किसी दिक्कत के बेहतरीन नजारा देखने को मिल गया था,,,,,,।


दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों शर्म से पानी पानी हो गए,,,,साधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे संजू को वहां से जाने के लिए बोले उसके मुंह से तो शब्द ही नहीं फूट रहे थे और संजू था कि अनजाने में ही बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ ऐसे हालात में अपनी मौसी को देख रहा था,,,, उसके कानों में साधना की बुर से आ रही सीटी की आवाज भी एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,, इस मधुर ध्वनि की तरफ ध्यान जाते हैं सोनू के पैंट में तंबू बनना शुरू हो गया था,,,, इस तरह की ध्वनि को वहां पहले भी सुन चुका था लेकिन उस समय वह कभी ध्यान नहीं दिया था लेकिन आज अनायास ही इस तरह का दृश्य देखकर उसी से जुड़ी हर हरकत पर वह पहली नजर और कान दोनों लगाए बैठा था,,,,। दोनों अजीब कशमकश में थे साधना शर्मसार हुए जा रही थी दूसरी तरफ संजीव को भी शर्म महसूस हो रही थी लेकिन अपनी मौसी की गांड देखने के लालच को वह रोक नहीं पा रहा था,,,,,,,,।साधना थे कि कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन हम मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि इस हालात में दोनों को काफी समय हो गया था इसलिए,,,, हक लाते हुए स्वर में साधना बोली,,,।


दरवाजा बंद कर,,,, कोई आ जाएगा,,,,


images upload
(इतना सुनकर जैसे उसके ऊपर कोई ठंडा पानी की बाल्टी डाल दिया उस तरह से उसे होश आया और वह तुरंत दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चला गया,,,, कमरे में पहुंचकर संजू की हालत बुरी तरह से खराब हो गई थी पजामे मैं पूरी तरह से उसका तंबू तन गया था,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,। दिल की धड़कन बड़े जोरों से शोर मचा रही थी,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा,,, वह अपने मन में ही सोचने लगा,,,,

बाप रे बाप मौसी की गांड कितनी बड़ी और कितनी गोरी है,,,, बहुत खूबसूरत है,,,, मैं तो देखकर ही पागल हो गया,,,, मौसा जी को कितना मजा आता होगा,,।ऊफफफ,,, साड़ी के अंदर मैं कभी सोचा नहीं था कि मौसी इतनी खूबसूरत होंगी,,,,
(साधना की भारी भरकम गदराई गांड पूरी तरह से संजू के दिलो-दिमाग पर छा चुकी थी,,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने साधना की गांड नजर आ जा रही थी,,,, लेकिन सोचने लगा कि कहीं उसकी मौसी गुस्सा ना हो जाए वो क्या सोचेंगी उसके बारे में,,,, कैसे आंखें फाड़े देख रहा था,,,, उसकी मौसी गुस्सा करेंगे यह सोचकर संजू परेशान होने लगा बस उसी जगह की अगर उसकी मौसी ने उसकी मां को बता दी तब क्या होगा उसकी मां तो उसकी जान ही ले लेगी बदनामी होगी सो अलग,,,, संजू की हालत अब खराब होने लगी थी उसे इस बात का डर था कि उसकी मां से उसकी मां को सब कुछ बता ना दे,,,, दूसरी तरफ पेशाब कर लेने के बावजूद भी साधना वही बैठी रह गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कड़ी खुली छोड़ देने पर वहां अपने आप पर गुस्सा करे या खुश हो जाएं क्योंकि जिस तरह की चमक उसकी गान्ड को देख कर संजू की आंखों में उसे दिखाई दी थी वह पूरी तरह से साधना को रोमांचित कर गई थी,,,, उसे लगने लगा था कि इस उम्र में भी उसका बदन जवान लड़कों को आकर्षित करने में पूरी तरह से सक्षम है क्योंकि संजू की नजर उसकी गोल-गोल गांड से खिसक नही रही थी,,, कैसा खा जाने वाली नजरों से देख रहा था यही सब सोचकर साधना के तन बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी,,,,,,एक बार तो उसके मन में आया कि वह सब कुछ आराधना को बता दे लेकिन फिर कुछ सोच कर शांत हो गई फिर वह खड़ी हुई और अपनी साड़ी को ठीक कर के बाथरूम से बाहर आ गई बाथरूम से आने के बाद रसोई घर में नहीं बल्कि बगल वाले कमरे में जिसमें संजू था उसने चली गई कमरे के अंदर अपनी मौसी को देखते ही संजू घबरा गया,,,, और डरते हुए बोला,,,।


सॉरी मौसी,,, जो कुछ भी काम जाने में हुआ मुझे नहीं मालूम था कि तुम बाथरूम के अंदर हो,,,


चल कोई बात नहीं पर एक बार देख कर दरवाजा बंद तो कर देना चाहिए था ना तू तो वहीं खड़ा होकर देखता ही रह गया,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे कभी औरत को पैशाब करते हुए देखा ही नहीं है,,,,।


माफी चाहता हूं मौसी उस समय मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं,,,


क्यों ऐसा क्या हो गया था कि तुझे कुछ समझ में नहीं आया तो दरवाजा बंद करना भूल गया,,,,


अब मैं क्या बोलूं मौसी उस समय की हालत को तो मैं बता भी नहीं सकता,,,,
(संजू की बातों में साधना को मजा आने लगा था वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह सुनना चाहती थी कि संजु को कैसा लगा था,,,।)


pic host

क्यों नहीं बता सकता तुझे दरवाजा खोलने की जरूरत क्या थी तुझे समझना चाहिए था ना कि अंदर कोई ना कोई जरूर होगा तभी बाहर से खुला हुआ है,,,


नहीं मौसी ऐसा कुछ भी नहीं है बाहर से भी बाथरूम के दरवाजे की कड़ी खुली ही रहती है इसलिए समझ में नहीं आया,,,,।


फिर भी संजु एक अच्छे लड़के की तरहतुझे तुरंत दरवाजा बंद कर देना चाहिए था लेकिन तूने ऐसा नहीं किया कहीं ऐसा तो नहीं कि जानबूझकर तूने दरवाजा खोला हो मुझे बाथरूम में जाती हुई तू देख लिया हो,,,।


मां कसम मौसी ऐसा कुछ भी नहीं है,,,(अपने गले पर हाथ रखकर कसम खाते हुए) मुझे तो मालूम ही नहीं था कि तुम बाथरूम के अंदर हो अगर मुझे मालूम होता तो मेरी हिम्मत होती क्या दरवाजा खोलने की,,,


चल अनजाने में ही तू ने खोल दिया लेकिन जब तूने देखा कि मैं अंदर बैठकर मुत रही हूं फिर भी तो तूने दरवाजा बंद नहीं किया और दरवाजे पर खड़ा होकर सब कुछ देखने लगा,,,, अगर मैं यही बात तेरी मां को बता दूं तो,,,,
(साधना के मन में अनजाने में ही कुछ और चलने लगा था उसे इस तरह की बातें करते हुए अच्छा लग रहा था संजू का घबराया हुआ चेहरा उसकी हड़बड़ाहट देखकर साधना मन ही मन खुश हो रही थी,,,, और संजू मां को बताने वाली बात सुनकर पूरी तरह से घबरा गया,,, क्योंकि जो कुछ भी उसकी मौसी कह रही थी उसमें सच्चाई थी वह चाहता तो तुरंत दरवाजा बंद करके वापस चला जा सकता था और ऐसा करने पर वह शायद अपनी तरफ से अपने बचाव में यह बात रख भी सकता था लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया था वह क्या उसकी जगह कोई और होता तो शायद वह भी ऐसा नहीं करता कौन भला साधना जैसी खूबसूरत औरत की खूबसूरत नंगी गांड देखकर अपनी नजरों का फेर लेगा,,,, संजू ने भी वही किया था,,,अपनी मौसी की बात सुनकर संजू पूरी तरह से घबरा गया था और तुरंत अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए अपनी मौसी से बोला,,,)

नहीं मौसी ऐसा बिल्कुल भी मत करना मां को मेरे ऊपर बहुत विश्वास है अगर तुम उन्हें यह सब बताओगी तो उनका दिल टूट जाएगा और वह मुझे कभी माफ नहीं करेंगे और मुझे भला बुरा समझेंगी,,,।
(संजू का इस तरह से हाथ जोड़कर माफी मांगने वाला तरीका साधना के दिल पर गहरा प्रभाव कर गया था वह आराधना से कुछ भी बताने वाली नहीं थी सिर्फ संजू को डरा रही थी फिर भी,,,, वह अपनी आंखों को नचाते हुए ‌ बोली,,,)



चल अच्छा मैं तेरी मां से नहीं बताऊंगी,,, लेकिन तुम मुझे सच सच बता तु क्या देख रहा था,,,,(यह सवाल पूछते हुए साधना धीरे से दरवाजे को बंद कर दिया हालांकि कड़ी नहीं लगाई थी और धीरे से आकर संजू के पास बैठ गई संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके यह सवाल का जवाब वह कैसे दें,,,, फिर भी साधना जोर देते हुए बोल रही थी,,)
सच-सच बता दे बेटा वरना तेरी मां को कहने में मुझे समझ नहीं लगेगा गलती ही तूने ऐसा किया है,,,।


लेकिन मौसी तुम को कड़ी लगा लेनी चाहिए थी ना,,,


अगर कड़ी नहीं लगाई तो क्या तु अंदर आ जाता,,, तुझे चला जाना चाहिए था ना तुझे देख कर उसे मैं तो मुझे ऐसा ही लग रहा था कि तू बाथरूम के अंदर आ जाएगा वैसे सच सच बता क्या देख रहा था,,,


तुम्हारी वो,,,,(सर में से नजरों को नीचे किए हुए ही संजू बोला)


तुम्हारी वो क्या नाम लेकर बोल,,, पूरा जवान हो गया है लेकिन लड़की की तरह डर रहा है,,,,


मुझे शर्म आती है मौसी मैंने आज तक इस तरह का नाम नहीं लिया हूं,,,।


तो क्या हुआ मेरे सामने ले मुझे बता तू पागलों की तरह क्या देख रहा था,,,। बता दे वरना तेरी मां से सब कुछ बता दूंगी,,,


नहीं नहीं मौसी,,,,


तो बता,,,


वो,,,,वो,,,, तुम्हारी गांड,,,,
(संजू ने पहली बार खुले तौर पर इस शब्द का खुलकर नाम लिया था और वह भी एक औरत के सामने अपनी मौसी के सामने इसलिए यह शब्द बोलते हुए उसकी जब आंदोलन खड़ा रही थी लेकिन उत्तेजना के मारे उसके घुटने भी कांप रहे थे,,,। साधना अपने पति जी के मुंह से उसकी गांड सुनकर पूरी तरह से रोमांचित हो गई और मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,)


क्यों ऐसा क्या खास है मेरी गांड में जो तू पागलों की तरह घूर रहा था,,,(साधना एकदम खुले तौर पर अपनी गांड के बारे में बोल रही थीरोमांचित हो रही थी समझी मौसी के मुंह से यह शब्द सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,) बता क्या खास लगा तुझे,,,।


बड़ी-बड़ी है और एकदम गोरी है बेदाग उस पर जरा भी दाग नहीं है,,,।
(संजू के मुंह से एक तरह से वह अपनी गांड की तारीफ ही सुन रही थी उसे अच्छा भी लग रहा था बेदाग गांड की मालकिन जो थी,,,,)

किसी और की भी देखा है क्या,,,


नहीं कभी नहीं देखा,,,(शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे किए हुए ही वह बोला,,,)


क्या बात कर रहा है क्या सच में तूने कभी नहीं देखा,,,


मां कसम मऔसी कभी नहीं देखा,,,


मतलब कि यह तेरा पहली बार था पहली बार किसी औरत की नंगी गांड देख रहा था उसे पेशाब करते हुए देख रहा था,


जी मौसी,,,,


तभी इतना पागलों की तरह घुर रहा था,,,
(साधना की बात सुनकर संजू कुछ बोला नहीं तो साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) मेरे से भी ज्यादा खूबसूरत तो तेरी मां की गांड है,,, उसकी नहीं देखा क्या कभी,,,
(अपनी मौसी के मुंह से अपनी मां की गांड का जिक्र सुनते ही संजू के चेहरे के भाव बदलने लगे उसे अपनी मौसी के मुंह से अपनी मां की कांड के बारे में सुनकर गुस्सा भी आ रहा था और ना जाने अजीब सी कशमकश हो रही थी,,, कुछ बोल नहीं रहा था,,, तो उसकी मौसी जोर देते हुए बोली,,,)

क्या हुआ संजू बोलेगा नहीं,,, जैसा आज मेरी देखा है वैसे अपनी मां की भी तो देखा होगा,,, बोलना शर्मा क्यो रहा है,,,
(संजू के चेहरे पर तो हवाइयां उड़ने लगी थी है मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मौसी के सवाल का जवाब कैसे दे उसे गुस्सा आ रहा था और ना जाने क्यों उत्तेजना भी महसूस हो रही थी,,,, फिर भी वह ना में सिर हिला दिया,,,साधना को इस तरह के सवाल पूछने में उत्तेजना का अनुभव हो रहा है उसे अपनी पेंटी उत्तेजना के मारे गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,, वह और कुछ पूछती से पहले ही मोहिनी ने दरवाजा खोली और बोली,,,)

मौसी खाना तैयार हो गया है चलो चल कर खा लो,,,,


ठीक है तुम चलो मैं आती हूं,,,,(इतना कहकर संजू की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,)


चल खाना खाते हैं,,,,(इतना कहकर वह खड़ी हो गई और संजू भाई अपनी जगह पर खड़ा हो गया और दोनों कमरे से बाहर आ गए,,)
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update is
 

andyking302

Well-Known Member
6,075
14,324
174
साधना की मदभरी बातें संजू की भावनाओं से खेल रही थी,,, उसके मन में अब तक किसी के लिए भी गंदे विचार नहीं आए थे,,, लेकिन जब से वह अपनी मौसी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन किया था तब से अपनी मौसी को देखने का नजरिया उसका बदन में लगा था और आग में घी डालने का काम उसकी मौसी के विचार और उसकी बातें कर रही थी,,, साधना यह जान चुकी थी किसंतोष की गांड को देखकर पूरी तरह से पागल हो गया था और इसी का फायदा उठाते हुए वह उसी से बोल रही थी कि उससे भी खूबसूरत और अच्छी उसकी मां की गांड है क्या इस तरह से उसने भी अपनी मां की गांड देखा है,,, यह सवाल पूछ कर साधना ने अपने ही भतीजे के मन में अपनी मां के प्रति उन्माद और आकर्षण का भाव जगाने लगी थी,,, और संजू के तन बदन में आग लगा गई थी,,,संजु ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अपनी मौसी के प्रति इस तरह से आकर्षण में बंध जाएगा,,, बाथरूम में अनजाने में ही उसे पेशाब करते हुए देख लिया था इतने तक तो ठीक था साधना भी बात को आई गई कर सकती थी लेकिन उसके मन में भी ना जाने कैसे भी चार जन्म ले रहे थे अपने ही भतीजे से वह गंदी गंदी बातें कर रही थी और पूछ रही थी उसके विचार को जानना चाह रही थी और यही सवाल जवाब में संजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी साथ ही साधना भी अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,,,,, साधना को इस बात से और ज्यादा होते इतना का अनुभव हो रहा था क्योंकि संजू ने पहली बार जिंदगी में किसी औरत की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते देखा था इस बात को जानकर वह और ज्यादा उत्साहित हो गई थी,,,, साधना आराधना से उम्र में बड़ी थी,,,,और इस उम्र में भी एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी गांड को खो रहा था यह बात उसे अंदर तक असर कर गई थी वह काफी उत्साहित हो गई थी,,,। दोनों के बीच की वार्तालाप मां की गांड पर आकर अटक गई थी संजय को जवाब दे पाता इससे पहले ही मोहिनी दरवाजे पर आकर खाना खाने के लिए आमंत्रण दे गई थी,,,, साधना भी अच्छी तरह से समझ रही थी कि अब सवाल जवाब करना ठीक नहीं था इसलिए वह उठकर जाने लगी थी और संजु को भी आने को कह रही थी,,,,बाथरूम के अंदर का लाजवाब दृश्य देखकर उसका असर अभी भी संजू के दिलों दिमाग पर छाया हुआ था,,,और इसीलिए वह अपनी मौसी को कमरे से बाहर जाता हुआ देख रहा था खास करके उसकी कमर के नीचे की घेराबंदी को जो कि बेहद लुभावनी थी,,, और मटक मटक कर चलने पर तो जान हीं ले ले रही थी,,,।


साधना और संजय दोनों कमरे से बाहर आ चुके थे और हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए थे,,,, गरमा गरम पोरिया और जायकेदार सब्जी के साथ-साथ मुंह मीठा करने के लिए स्वादिष्ट खीर बनी हुई थी जिसका आराधना को छोड़कर तीनों लुफ्त ले कर खा रहे थे,,,, आराधना को इस तरह से बैठी देखकर साधना बोली,,,।


अरे आराधना तू क्यों बैठी है तू भी आ कर खा लेना,,,,(साधना मुंह में निवाला डालते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं दीदी तुम सब खा लो मै तो उनके साथ ही खाती हुं,,
Sadhna



तु उनके साथ ही खाती है,,,


हां दीदी क्या करूं आदत बन चुकी है ना,,,,


मुझसे तो भाई बर्दाश्त नहीं होता मैं तो पहले ही खा लेती हूं,,,,
(आराधना तीनों को खाना परोसती जा रही थी और तीनों खाते जा रहे थे,,,, साधना को पूरी सब्जी खीर बहुत पसंद थी इसलिए वह पेट भर कर खा ली थी,,,, संजू का मन खाने में कम अपनी मौसी को ताड़ने में ज्यादा लग रहा था,,, संजू की नजरों को साधना अच्छी तरह से परख चुकी थी,,,, इसलिए खाना खाते खाते हो जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे से नीचे गिरा दी थी ताकि संजू को उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आने लगे,,, और ऐसा हो भी रहा था अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी चूची को देखकर जो कि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी अपनी मादकता का असर संजू पर बनाए हुए थे,,, उसे देखकर संजू पूरी तरह से मस्त हो चुका ना पेंट में एक बार फिर से अकड़न बढ़ने लगी थी संजू चोर नजरों से रह रह कर अपनी मौसी की चूचियों पर नजर फेर ले रहा था संजू को ऐसा लग रहा था कि उसकी मौसी ने अपनी चुचियों के साईज से कम बाप का ब्लाउज पहन रखी है इसलिए उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर निकली हुई नजर आ रही थी,,,,लेकिन गौर से देखने पर संजू किस बात का एहसास हो गया कि उसकी मौसी की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी-बड़ी है इसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की खाली पड़ी थी और दूसरी तरफ ब्लाउज में कैद पकवान नजर आ रहा था,,, संजू को पकवान खाने का मन कर रहा था लेकिन उसे खाने की उसमें हिम्मत नहीं थी साधना को अपने भतीजे को इस तरह से तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि संजू पूरी तरह से जवान हो चुका था और जवान लड़के उसे देखकर इस तरह से आहें भरते हो यह उसे बेहद पसंद था,,,, क्योंकि उसे लगता था कि इस नंबर में भी वह काफी खूबसूरत और गति रे बदन की मालकिन है और यह हकीकत भी था,,,, लेकिन आराधना की खूबसूरती से अगर उसकी जवानी का कंपेयर किया जाए आराधना एक कदम आगे ही थी,,,,
Sadhna or Sanju


इस समय संजू की आंखों के सामने साधना की दोनों चूचियां ब्लाउज में कैद होकर रासलीला रचा रही थी जब जब वह अपने हाथ को थाली से ऊपर की तरफ ले जाती तब तक उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ जा रही थी,,,। और आपस में रगड़ खा रही चूचियों की गर्मी संजू की दोनों टांगों के बीच छा रही थी,,,,,,


देखते ही देखते तीनों ने खाना खा लिया था और आराधना बर्तन मांजने लगी थी उसकी मदद करने के लिए साधना भी वहां पहुंच गई तो आराधना ने उसे बर्तन मांजने नहीं दी और बैठने के लिए बोली मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी और कुछ देर के लिए संजू बाहर टहलने के लिए निकल गया,,,,संजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी ना चाहते हुए भी उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मौसी साधना छाई हुई थी उसकी मदमस्त गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड उसका पैसाब करना और उसकी चूचियों की झलक कुल मिलाकर संजू को अपनी आगोश में जकड़ी हुई थी संजू चाह कर भी अपना ध्यान दूसरी तरफ लगा नहीं पा रहा था वह टहल पर डालते अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी आखिरकार उसे चाहती क्या है अगर उसे गलत लगा होता तो वह उसे डांट देती उसे भला-बुरा कहती,,,लेकिन ऐसी किसी भी प्रकार की प्रक्रिया उसकी मौसी की तरफ से नहीं हुई थी बल्कि उसकी मौसी तो उसे से गंदे सवाल जवाब पूछ रही थी और सीधे-सीधे उसकी मां के बारे में पूछ कर संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर दी थी संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी मौसी उससे इस तरह के सवाल क्यों पूछ रही है यही सब सोचते सोचते उसका दिमाग खराब हो रहा था आखिरकार काफी समय बीत जाने के बाद वह घर लौटा तो सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे,,,,,,।



आराधना तो अपने कमरे में सो जा मैं इन लोगों के साथ सो जाती हूं क्योंकि जीजा जी कभी भी रात को आएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा अगर मैं तेरे कमरे में सोई रहूंगी तो,,,


ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी,,,,,

(और फिर इतना कहकर आराधना अपने कमरे में चली गई और मोहिनी और संजू के साथ साधना उन लोगों के कमरे में चली गई,,,, कमरे में सोने के नाम पर ही संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे अपनी मौसी के साथ सो पाएगा क्योंकि उसके मन में उसकी मौसी को लेकर गंदे गंदे विचार आना शुरू हो गए थे उसे डर था कि उसके हाथ से कुछ इधर उधर ना हो जाए,,,, तीनों कमरे में पहुंचकर कुछ देर तक बातें करते रहे मोहिनी और संजू नीचे ही बिस्तर लगा कर सोते थे,,, अपनी मौसी से बातें करने में मोहिनी को बहुत मजा आ रहा था लेकिन संजू से तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था वह अपनी मौसी की खूबसूरती में पूरी तरह से खो चुका था खास करके उसकी नंगी गांड के दर्शन करके वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के बाद कैसी नजर आती होगी,,, ब्लाउज से बाहर आकर उसकी चूचियां किस कदर कहर ढाती होगी,,,, संजू को अपने मौसा की किस्मत पर जलन होने लगी थी कितनी खूबसूरत औरत को वह रोज चोदते होंगेरोज उसके नंगे पन का दर्शन करते हुए अपने हाथों से उसके कपड़े उतारते होंगे उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकड़कर दबाते होंगे उसकी बड़ी बड़ी चूची को मुंह में लेकर पीते होंगे उसके रसीली चूत में अपना लंड घुसा कर चोदते होंगे यह सब सोचते हुए संजू की हालत खराब होती जा रही थी और उसके पैंट में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,,,


बात करते-करते 12:00 बज गए थे मोहिनी को नींद आने लगी थी क्योंकि उसे झपकी लगने लगी थी इसलिए वह बोली,,,।


चलो काफी रात हो गई है सो जाते हैं वैसे भी तुम्हें नींद आ रही है मोहिनी,,,


हां मौसी मुझे जोरों की नींद आ रही है,,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी वही लेट गई और सो गई साधना जानबूझकर दोनों के बीच में सोने वाली थी इसलिए बिस्तर पर लंबी होते हुए वह संजू से बोली,,,)

संजू लाइट बंद कर दे मुझे उजाले में नींद नहीं आती,,,,।



(संजु अपनी मौसी की बात मानते हुए उठकर खड़ा हुआ है और लाइट बंद कर दिया कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छा गया,,,, कुछ भी नजर नहीं आ रहा था संजू धीरे से आकर अपनी मौसी के बगल में लेट गया उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी पहली बार बार किसी की औरत के पास सोया था ऐसा बिल्कुल भी नहीं था इससे पहले भी वह अपनी मौसी के साथ सो चुका था लेकिन आज की बात कुछ और थी,,,, पहले वह एक भतीजे की नजर से अपनी मौसी को देखा करता था लेकिन आज एक मर्द की नजर से वहां अपनी मौसी को देख रहा था और उसकी मौसी में उसे एक औरत नजर आ गई थी तब खूबसूरत कामुक औरत जिसके अंग अंग से मादकता छलक रही थी,,,,।
साधना के भी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, उसके मन में कुछ और चल रहा था,,,, संजू और साधना दोनों पीठ के बल लेटे हुए थे,,, दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी साधना खेली खाई औरत थी इसलिए वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक जवान लड़के को किस तरह से लाइन पर लाया जाता है,,,, वह घुटना मोड़ कर अपनी सारी पर पूरी तरह से अपनी जांघों तक चढ़ा दी,,,,,, और संजू से बोली,,,।

संजू मेरे घुटने के नीचे चादर होगी जरा लाना तो मै सर के नीचे रख लु,,,
(संजीव को तो सब कुछ सामान्य और औपचारिक ही लग रहा था,,, वह उठा और बैठकर,,,, पैर की तरफ देखने लगा लेकिन लाइट बंद होने की वजह से पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था कुछ भी नजर नहीं आ रहा था इसलिए अंदाजन अपना हाथ आगे बढ़ाकर चादर उठाने को हुआ ही था कि वह अपना हाथ अपनी मौसी की जांघों पर रख दिया,,,, पल भर में उसे तो लगा जैसे कि उसे करंट लग गया हो जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की जांघ पर अपना हाथ रखा हुआ था,,,, पल भर में ही उसकी सांसे ऊपर नीचे हो गई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें नरम नरम मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपनी हथेली में लेते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी थी,,,, संजू के लंड ने करवट लेना शुरू कर दिया था,,,,,,, उसका मन अपनी मौसी की चिकनी जांघों को छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन वह ऐसा कर सकने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था,,,। और साधना के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी क्योंकि एक जवान लड़का उसकी जांघों को अपनी हथेली मैं पकड़े हुए था वह चाहती थी कि संजू अपनी हथेली को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ लाया और उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर रख कर दबोच लें,,,, लेकिन वह ऐसा खुले शब्दों में नहीं कह सकती थी,,,, उत्तेजना के मारे अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए संजू बोला,,,,।


मौसी अंधेरा बहुत ही कुछ नजर नहीं आ रहा है,,,,।


ठीक है एक बार लाइट चालू करके देख ले चादर कहां रखी हुई है,,,,।



(साधना जानबूझ कर उसे लाइट चालू करने के लिए बोली थी क्योंकि वह लाइट के उजाले में उसे एक बार अपनी जवानी का झलक दिखाना चाहती थी एक बार तो पहले भी वह अनजाने में देख चुका था लेकिन अब वह जानबूझकर अपनी मदमस्त कर देने वाली जवानी उसे दिखाकर अपनी आगोश में लेना चाहती थी,,, और लाइट चालू करने के नाम पर संजू का दिल जोरो से धड़कने लगा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, वह भी बेहद उत्सुक था लाइट चालू करने के लिए,,, वह बल्ब की रोशनी में अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली जवानी के दर्शन करना चाहता था लेकिन इस बात से डर रहा था कि कहीं मोहिनी जाग रही होगी तो,,,, पर ऐसा लग रहा था कि जैसे संजू के मन की बात साधना अच्छी तरह से समझ रही हो इसलिए वह बोली,,,।)


मोहिनी सो गई है तू लाइट चालू करके जल्दी से चादर मुझे दे दे और फिर वापस लाइट बंद कर दे,,,।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 

andyking302

Well-Known Member
6,075
14,324
174
साधना की उत्सुकता और लालसा बढ़ती जा रही थी,,, आज ना जाने क्यों उसका मन अपने भतीजे की तरफ आकर्षित होता चला जा रहा था,,,, बाथरूम में जिस तरह का नजारा अनजाने में उसके भतीजे ने देख लिया था अब साधना जानबूझकर अपनी जवानी का जलवा उसे दिखाना चाहती थी और शायद यह जलवा दिखाकर उसे हलवा भी चखाना चाहती थी,,,, और ऐसे में भला संजु क्यों इंकार करने वाला था,,, वह भी एक जवान लड़का था,,, खूबसूरत औरत और लड़कियों के प्रति उसके मन में भी उसी तरह की कामेच्छा जागती थी,,, जिस तरह से दुसरे लड़कों के मन में जागती थी,,, और इसीलिए भला संजू क्यों पीछे हटने वाला था,,,,।
Sadhna



दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था साधना को अच्छी तरह से मालूम था कि ट्यूबलाइट के जलते ही उसकी रोशनी में उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी संजू की आंखों के सामने होगी और उसे पूरा विश्वास था कि उसकी मदमस्त नंगी जवानी को देखकर संजू बहकने पर मजबूर हो जाएगा और यही बात संजू की अच्छी तरह से जानता था वह भी अपनी मौसी की जवानी की एक झलक देखना चाहता था उसके नंगे पन को देखना चाहता था हालांकि बाथरूम में वह पहले ही अपनी मौसी को पेशाब करते हुए देख चुका था उसकी बड़ी बड़ी गांड उसके होश उड़ा चुकी थी,, और उसका आंसर अभी भी उसके दिलो-दिमाग पर छाया हुआ था,,,।


कमरे में चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था अंधेरे में सोने की आदत संजू और मोहिनी को बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन उसकी मौसी जानबूझकर लाइट बंद करा दी थी हालांकि उसे भी अंधेरे में सोने की बिल्कुल भी आदत नहीं थी लेकिन आज उसके मन में कुछ और चल रहा था और उसी के चलते अंधेरे का फायदा उठाना चाहती थी,,,, संजू उसी तरह से अंधेरे में उसके पास बैठा हुआ था और उसकी साधना मौसी उसे लाइट चालू करने के लिए बोली थी और लाइट चालू करके यह देखने के लिए की चादर किधर है,,,, और साधना ने धीरे से चादर को अपनी गांड के नीचे दबा ली थी ताकि संजू को वह चादर उसकी कामेच्छा बिंदु के पास ही नजर आए और उसकी नजर चादर के साथ-साथ सीधे उसके टांगों के बीच पड़े,,,,।



सोच कह रहा है संजु खड़ा होकर लाइट चालू कर और चादर दे मुझे पता नहीं कहां पर पड़ी है,,,(अंधेरे में अपनी मदमस्त मक्खन जैसी चिकनी जांघों पर हाथ फेरते हुए साधना बोली,,,)

ठीक है मौसी,,,,,(और इतना कहकर संजू खड़ा हो गया उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसके मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे वह अपने मन में सोच रहा था कि लाइट के चालू होती है उसे क्या नजर आने वाला है यह सोच कर ही उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अपनी मौसी की मक्खन जैसी जाऊंगा पर हाथ रखकर इतना तो वह समझ ही गया था कि उसकी मौसी की साड़ी कमर तक उठी हुई होगी तभी उसकी जांघ नंगी थी,,,संजू के बारे में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी क्योंकि अभी तक उसने औरतों को ही साल में कभी नहीं देखा था ना ही किसी औरत को पेशाब करते हुए देखा था ना ही उसके साथ इस तरह की बातें किया था लेकिन उसकी जिंदगी में पहली बार ऐसा हो रहा था कि सब कुछ उसकी जवानी की तरंगों को बढ़ावा दे रही थी,,,,, संजू खड़ा हो चुका था और टटोलकर ट्यूबलाइट की स्विच को ढूंढ रहा था,,,, और अगले ही पल उसे ट्यूबलाइट की स्वीच टटोलने पर एहसास हो गई और वह अगले ही पल बिना देरी किए ट्यूबलाइट के स्विच को ऑन कर दिया और पल भर में ही पूरे कमरे में दूधिया रोशनी फैल गई,,,,,संजू का दिल जोरों से धड़क रहा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसे अपनी मौसी की तरफ देखने का मन तो कर रहा था लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी दीवार की तरफ मुंह करके खड़ा था और साधना पीठ के बल लेटे हुए मुस्कुरा रही थी वह जवानी की दहलीज पर कदम रखे संजू की मनोव्यथा को अच्छी तरह से पहचान रही थी,,, साधना को ना जाने क्यों अपनी जवानी दीखाने में बहुत मजा आ रहा था,,, लेकिन संजू की मासूमियत पर उसे गुस्सा भी आ रहा था कि जवानी से भरा हुआ कटोरा उसकी आंखों के सामने पड़ा हुआ है और वह उसका स्वाद चखने से घबरा रहा है,,,,।


साधना उसकी मौसी थी लेकिन पल भर की एक मादक घटना ने उसकी सोचने समझने की शक्ति को छीण कर दी थी,,,,ना जाने क्यों संजू ने उसे अपना भतीजा अपना बेटा नहीं बल्कि एक जवान लड़का नजर आ रहा था जोकि उसकी जवानी का प्यासा था हालांकि ऐसा साधना समझती थी जो कि उसके साथ भी अनजाने में हुआ था,,,, संजू अभी भी दीवार की तरफ मुंह करके खड़ा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह से वह अपनी मौसी से नजर मिलाए उसकी महंगी जवानी को अपनी आंखों से टटोले,,,, कुछ देर तक संजू उसी तरह से खड़ा रहा तो साधना खुद बोली,,,।


क्या कर रहा है संजू चादर देना मुझे वहां खड़ा क्या कर रहा है,,,,


जजजज,,,जी मौसी अभी दिया,,,(इतना कहने के साथ ही धड़कते दिल के साथ वहां अपनी मौसी की तरफ देखा तो देखता ही रह गया आश्चर्य और उन्माद से उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी सांसों की गति पलभर में ही इंजन की तरह तेज भागने लगी,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,, उसे लग रहा था कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रहा है जो कुछ भी वो देख रहा था वह हकीकत था चादर की बात संजू पूरी तरह से भूल चुका था उसकी नजरें साधना की कमर के नीचे के नंगे बदन पर टिकी हुई थी जो कि ऊपर से नीचे की तरफ बराबर घूम रही थी मोटी मोटी केले की तने के समान चिकनी मक्खन जैसी जांघों को देखकर संजू का मन फिसल रहा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी जिंदगी में पहली बार बार इस तरह का दृश्य देख रहा था,,,, और वह भी अपनी मौसी की मदमस्त जवानी का नजारा,,,कपड़ों में जितनी खूबसूरत उसकी मौसी लगती थी उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिना कपड़ों के लग रही थी हालांकि सिर्फ व कमर के नीचे नंगी थी और उस पर भी वह पेंटी पहनी हुई थी जो कि संजू की कामुक और प्यासी नजरों को भापकर उसके तन में उत्तेजना की ज्वाला और ज्यादा भड़काने के उद्देश्य से वह अपनी हथेली को उसकी आंखों के सामने ही अपनी पेंटिंग के बीचो बीच अपनी बुर वाली जगह पर रख कर उसे हल्के हल्के सहलाते हुए बोली,,,।)


rapid city landfill
खडा खडा क्या देख रहा है संजू देखना चादर किधर है मुझे बिना चादर के नींद नहीं आती,,,,,
(साधना अपनी हरकत को लेकर पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरी हुई थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि जवान लड़के के सामने इस तरह की हरकत करने का उस पर क्या असर होता है,,,साधना को अच्छी तरह से मालूम था कि संजू के सामने इस तरह की हरकत करने का मतलब था कि वह उसे खुला आमंत्रण दे रही है लेकिन देखना यह था कि उसके आमंत्रण को संजु स्वीकार कर पाता है या नहीं क्योंकि वह अभी तक इस तरह के हालात से गुजरा नहीं था इसलिए इस तरह के हालात की बारीकियों के बारे में उसे बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था,,, लेकिन इतना तो वह समझ ही रहा था कि उसकी मौसी की हरकत बेहद उत्तेजनातमक और जी ललचाने वाली थी,,,, संजू इतना भोला था कि साधना की हरकत को समझ नहीं पा रहा था कि वह ऐसा क्यों कर रही है अगर वह भी संभोग का सुख प्राप्त कर चुका होता तो शायद साधना की इस हरकत का जवाब वह अपने लैंड से जरूर देता क्योंकि साधना भी यही चाहती थी लेकिन समझो अभी अपनी मौसी के इशारे को ठीक तरह से समझ नहीं पा रहा था बस उसके नंगे बदन को देख कर उत्तेजित होकर मस्त हो जा रहा था,,,,,।

संजू उसी तरह से आंखें फाड़े खड़ा था उसकी मौसी के बगल में मोहिनी दूसरी तरफ मुंह करके सोई हुई थी वह पूरी तरह से गहरी नींद में सो रही थी,,,, और साधना अभी भी उसको लग जाते हुए अपनी हथेली को अपनी पेंटी के बीचो-बीच बुर वाली जगह पर रखकर हल्के हल्के दबाते हुए सहला रही थी,,,,, और संजू की तरफ प्यासी नजरों से देखते हुए बोली,,,।


क्या हुआ संजू ऐसे खड़ा क्यों है क्या कभी औरत नहीं देखा क्या,,,,


नहीं ऐसी बात नहीं है मौसी चादर मुझे कहीं नजर नहीं आ रही है,,,,(संजु जानबूझकर चादर ना मिलने का बहाना बना रहा था लेकिन उसका चादर पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था उसका ध्यान तो साधना की दोनों टांगों के बीच उसकी लाल रंग की पेंटिं और उस पर हल्के हल्केफिर रही उसकी हथेली को देख रहा था पर अपने मन में सोच रहा था कि काश उसे ऐसा मौका मिल जाता तो कितना मजा आता,,,,)



अरे ठीक से ढूंढ मिल जाएगी,,,,।(उत्तेजना का असर साधना के भी तन बदन को पूरी तरह से झकझोर रहा था जिसका असरसाधना को अपनी बुर के अंदर महसूस हो रहा था धीरे-धीरे उसकी बुर्का मारो छोड़ रही थी और आम रस की वजह से उसकी पैंटी गीली हो रही थी जिसके गीलेपन का एहसास उसे अपनी हथेली में पर एकदम साफ महसूस हो रहा था,,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि संजू पूरी तरह से जवान हो चुका है लेकिन औरत के काम रस के बारे में से पता नहीं कुछ ज्ञान है कि नहीं अगर ज्ञान होगा तो वह तुरंत समझ जाएगा कि उसका मन क्या कह रहा है इसीलिए वह इस तरह का विचार मन में लाकर संजू की आंखों के सामने ही अपनी पेंटी पर से अपनी हथेली को हटाते हुए बोली,,,।)


इधर उधर कहीं होगी यहां से जाएगी कहां,,?
(वह जानबूझकर अपनी पैंटी के ऊपर से अपनी हथेली को हटा ली थी क्योंकि वह संजू को अपनी काम रस से भीगी हुई पैंटी दिखाना चाहती थी,,,, हथेली के हटाते ही संजू की नजर उसकी पेंटी पर और ज्यादा चिपक गई संजू को अपनी मौसी की पैंटी का गीलापन एकदम साफ नजर आ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि मौसी की पेंटी आगे से गोलाई में गिली कैसे हो गई,,,, संजू के लिए यह सब अभी तक एक पहेली की तरह ही था क्योंकि संजु औरत के बदन के भूगोल के बारे में कुछ भी नहीं जानता था,,, भले ही उस स्कूल के किताबों का हर एक पन्ना उसे मुजबानी याद था लेकिन एक औरत के खूबसूरत बदन के भूगोल के पन्नों को उसने अभी तक खोला तक नहीं था तो उसके बारे में जानने की बात तो दूर रही,,,, संजू अपनी मौसी की लाल रंग की पैंटी को देखते हुए बोला,,,)


कहां गई मौसी अभी तो यहीं रखी हुई थी,,,,(इधर उधर नजर घुमाते हुए संजू बोला चादर ठीक साधना की बड़ी-बड़ी गांड के नीचे दबी हुई थी लेकिन संजू को साधना की दोनों टांगों के बीच सिर्फ उसकी लाल रंग की पैंटी नजर आ रही थी और उसके मन की उमंग इस बात से और ज्यादा बढ़ रही थी कि उस पेंटी के अंदर क्या छुपा कर रखी होगी उसकी मौसी,,,, देखने में कैसी होगी कैसी नजर आती होगी यही सब सोचता हुआ उसका ध्यान चादर पर नहीं जा रही थी,,, तो ,,,, साधना ही बोली,,,,)


अरे देख तो,,,(कसमसाते हुए) देख तो कहीं मेरी गांड के नीचे तो नहीं है,,,,(अपनी गांड को हल्कै से दाएं बाएं हिलाते हुए,,,,।


अपनी मौसी की बात सुनते ही संजू की नजर अपनी मौसी की गांड के नीचे गई तो चादर वहीं पर थी,,,, अपनी मौसी के मुंह से एकदम खुले शब्दों में गांड शब्द सुनकर संजू का लंड पूरी तरह से तड़प उठा था और पैजामा में तंबू बना दिया था जिस पर साधना की नजर बार-बार चली जा रही थी और उसका मन ललच कर रह जा रहा था,,, साधना की अनुभवी आंखें संजू के पजामे के अंदर छुपे हथियार की धार के बारे में अंदाजा लगा चुकी थी वह समझ गई थी कि संजू के पजामे में औरत का पसंदीदा अोजार छिपा हुआ है,,, और उसके तंबू की ऊंचाई को देखकर उसकी लंबाई का अंदाजा लगा चुकी थी और मन ही मन यह भांप चुकी थी कि संजू का लंड बड़े आराम से उसके बच्चेदानी तक पहुंच जाएगा,,,, साधना के लिए यह एहसास ही काफी था,, वह अपने बदन में उन्मादकता के एहसास का बवंडर उठता हुआ महसूस कर रही थी और इसी एहसास के चलते उसकी बुर से काम रस की दो चार बूंदे बारी बारी से उसकी गुलाब की पत्तियों के मुहाने से चु गई,,,, साधना को अजीब सा एहसास हो रहा था ऐसा लग रहा था कि वह पूरी तरह से एक जवान लड़की है उसके सामने उसका प्रेमी है जो कि दोनों चोरी चुपके किसी कमरे में मजा लेना चाहते हैं,,,,,,,।


अरे यह तो सच में नीचे दबी हुई है और मेरी नजर वहां तक पहुंची ही नहीं पा रही है,,,।
(संजू के मुंह से इतना सुनते ही साधना अपने मन में ही बोली साला हरामि बुर देखने की फिराक में रहेगा तो तुझे चादर कहां से नजर आएगी,,,,)


चल अब जल्दी देकर लाइट बंद कर,,,,
(साधना को इस बात का एहसास हो गया था कि औरत के काम रस के बारे में संजू को बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था वरना उसकी पेंटी के गीलेपन के बारे में वह जरूर पूछता,,, संजू के नादानीयत पर साधना को गुस्सा आ रहा था,,,, वह अपनी मन में यह सोच कर रह जा रही थी कि अगर उसकी जगह कोई और लड़का होता तो शायद अब तक सुबह उसके ऊपर चढ़ चुका होता लेकिन यह है कि कुछ समझ ही नहीं पा रहा है लेकिन फिर भी धीरे-धीरे साधना को इस खेल में मजा आ रहा था उत्तेजना का एहसास बढ़ता जा रहा था कि वह पहली बार इस तरह की हरकत कर रही थी,,,,। संजु अपनी मौसी के उतावलापन को समझ नहीं पा रहा था,,, वह धीरे से अपनी मौसी के करीब आया और उसकी गांड के नीचे दबा चादर को अपने हाथ से पकड़ लिया,,, और उसी खींचने को हुआ था बड़े नजदीक से अपनी मौसी की दोनों टांगों के बीच का नजारा देखकर वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा उसकी नजर उसकी लाल रंग की पेंटिं के गीले वाले भाग का मुआयना करने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उतना सा भाग गिला कैसे हो गया,,,औरत के काम रस के बारे में वह बिल्कुल भी नहीं जानता था इसलिए वह अपने मन में यह धारणा बांध लिया था कि कहीं उसकी मौसी धीरे-धीरे पेशाब तो नहीं कर दि है,,, शायद बड़े जोरों की लगने की वजह से बूंद बूंद करके बाहर आ रहा हो,,, और पेंटी के गीले के बारे में अपनी मौसी से पूछने की उसकी हिम्मत भी नहीं हो रही थी,,,।

गजब का अद्भुत मादकता से भरा हुआ नजारा संजू की आंखों के सामने था उसकी मौसी जो कि इस उमर में भी गम भरी जवानी से लगी हुई थी वह अपनी साड़ी को ना जाने किस वजह से अपनी कमर तक उठाई हुई थी उसकी लाल रंग की पैंटी एकदम साफ नजर आ रही थी और भाभी की ली उसकी चिकनी दूधिया मोटी मोटी जांघों को देखकर संजू से रहा नहीं जा रहा था उसके मन में ढेर सारी बातें उमंग उफान मार रहे थे,,,, संजू अपने आप को संभाले हुए था वरना उसकी जगह कोई और लड़का होता तो अब तक उसकी चुदाई कर दिया होता,,,,।


चादर जो कि साधना की बड़ी-बड़ी गांड के नीचे दबी हुई थी वह संजू के हाथों में थी और संजू उसे खींचने की कोशिश कर रहा था,, जो कि साधना की भारी-भरकम गांड के नीचे दबी होने की वजह से खिशक नहीं रही थी,,, तो संजू बोला,,।


मौसी थोड़ा अपनी,,ग,,,,,(इतना कहकर सब एकदम से क्योंकि अनजाने में ही उसके मुंह से यह शब्द निकल गए थे,,, साधना के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी वह चाहती थी कि संजू उसके साथ इसी तरह से बात करें लेकिन आधा शब्द बोल कर वह रुक गया था इसलिए उसके आरती शब्द को पूरा करते हुए वह बोली,,,)

ओहहह,,, मेरी गान्ड कुछ ज्यादा ही बड़ी- है इसलिए तो खींच नहीं पा रहा है रुक जा,,,,(और इतना कहने के साथ ही साधना बड़े ही मादक अदा से अपनी बड़ी बड़ी गांड को कमर से ऊपर की तरफ हल्कै से उठा दी और संजू पूरी तरह से उत्तेजित होता होगा अपनी मौसी की उठी हुई गांड को ललचाई नजरों से देख कर,,, चादर को अपनी तरफ खींच लिया,,,, संजू को संभोग का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन जिस अदा से साधना ने अपनी गांड को उठाई थी संजू का मन कर रहा था उसके दोनों टांगों के बीच घुस जाए और अपना लंड उसकी बुर में डाल कर उसकी चुदाई कर दे,,,, यह सोच कर संजू पूरी तरह से मचल उठा था,,, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,, चादर को वह अपनी मौसी को थमा कर वहीं बैठा रहा,,,,तो साधना ही बोली,,।


लाइट तो बंद कर दे,,,,।

(संजु का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था पूर्व लाइट बंद करने के लिएदोनों के बीच धीरे-धीरे वार्तालाप हो रही थी लेकिन पास में सो रही मोहिनी पर किसी भी प्रकार का असर नहीं हो रहा था वह बहुत ही गहरी नींद में सो रही थी,,,, फिर भी संजू बेमन से उठा और ट्यूबलाइट बंद कर दिया,,, और वापस आकर अपनी मौसी के बगल में लेट गया,,,।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 

andyking302

Well-Known Member
6,075
14,324
174
बाथरूम में अनजाने में ही हुए नग्नता के दर्शन का अंजाम धीरे-धीरे और मादकता से भरता चला जा रहा था,,,, कमरे के अंदर,,, मोहिनी संजू और साधना तीनों थे लेकिन मोहिनी गहरी नींद में सो चुकी थी साधना अपने जवान भतीजे को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्सुक हो रही थी,,,, संजू ने अपनी मौसी को पेशाब करते हुए देख लिया था और यह बात जानते हुए भी उसकी मौसी उसे डांटने या समझाने की बजाय उस मौके का पूरी तरह से फायदा ले रही थी,,,, अच्छी तरह से जानती थी कि संजु एकदम जवान लड़का था,,,,पर जिस तरह से वह उसके सामने हरकत कर रही थी जरूर संजू अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, अपने नंगे बदन को दिखाने का बहाना भी उसके पास मौजूद था वह चादर ढूंढने के बहाने उससे लाइट चालू करवा कर उसे अपने नंगे पन का दर्शन करना चाहती थी जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब हो गई थी,,,, नंगी चिकनी मोटी मोटी चाहूंगा और लाल रंग की पेंटी बड़ी बड़ी गांड को दिखाकर वह संजु के चेहरे के बदलते भाव को अच्छी तरह से पढ़ ली थी,,,, उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचकर साधना इतना तो समझ ही गई थी कि उसकी हरकत का संजु पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा होगा,, वह अच्छी तरह से जान रही थी कि संजु चुदवासा हो रहा है,,, इस मौके का साधना पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी,,,।
साधना


बेमन से ट्यूब लाइट को बंद करके संजू अपनी मौसी के बगल में आकर लेट गया लेकिन नींद कहां आने वाली थी जब बिस्तर में एक खूबसूरत जवान गर्म औरत हो तो भला एक जवान लड़के को नींद कहां आने वाली थी,,,। कुछ पल पहले अपनी आंखों से देखे गए दृश्य के बारे में सोच कर संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,, पहले बाथरूम में अनजाने में ही उसकी नजर पेशाब कर रही साधना पर चली गई जिसे देखकर वह सब कुछ भूल गया और उसे देखता ही रह गया,,,साधना की मदहोश कर देने वाली गोल-गोल बड़ी कार उसके आकर्षण का केंद्र बिंदु बन चुकी थी,,, पेशाब करते समय साधना की गुलाबी बुर से निकल रही पेशाब की धार के साथ मधुर ध्वनि किसी बांसुरी की आवाज की तरह सुनाई दे रही थी जिस आवाज को सुनकर संजू अपनी उम्र के मुताबिक ही अत्यंत उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,। साधना भी उसे उस मौके का भरपूर आनंद देते हुए उसे अपनी बड़ी बड़ी गांड का भरपुर नजारा उसे दिखा रही थी,,,, साधना अपने आप में अपने भतीजे को इतना दिलचस्पी दिखाता देख कर उसे अपनी जवानी पर गर्व होने लगा था,,,,,, की इस उम्र में भी वह जवान लड़कों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती थी,,,।
साधना पेशाब करते हुए

upload foto

एक कमरे में आराधना और बगल वाले कमरे में साधना मोहिनी और संजू तीनो लेटे हुए थे मोहिनी तो कब का गहरी नींद में सो चुकी थी लेकिन साधना और संजू कि आंखों से नींद गायब थी,,,,, दोनो एक दूसरे के प्रति आकर्षित हुए जा रहे थे,,,,दोनों के बीच खामोशी जागृति किसी भी प्रकार का शोर शराबा बिल्कुल भी नहीं था रात का समय होने की वजह से सडको परवाहनों का आना जाना भी कम हो गया था कमरे के अंदर ट्यूब लाइट बंद करने की वजह से अंधेरा छाया हुआ था,,, साधना ही बातों के दौर को शुरु करते हुए बोली,,,।


संजू वो क्या है ना कि,, मुझे रात का कम कपड़े पहन कर सोने की आदत कभी-कभी तो में कपड़े ही नहीं पहनती हुं,,,।


क्या बात कर रही हो मौसी,,,,, मतलब कि बिना कपड़े के,,, एक दम नं,,,,,(संजू अपनी बात को पूरा नही कर पाया और अटक गया,, अपनी मौसी के सामने नंगी शब्द कहने में उसके संस्कार दीवार बनकर खड़े थे लेकिन,,,मौसी को किसी भी प्रकार की अडचन नहीं थी वह खुलकर हर शब्दों को कह सकती थी,,, इसलिए संजू के अधुरे शब्द को पूरा करते हुए वह बोली,,,)


हां संजु तु ठीक कह रहा है कभी कभी तो में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर सोती हूं,,,(अपनी मौसी की यह बातें सुनकर संजू की हालत खराब होने लगी,, उसके लंड का कडक पन और ज्यादा बढ़ने लगा,,,, उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मौसी इस तरह से खुल कर कह देगी,,,लेकिन उसकी मौसी के द्वारा कहे गए हरएक शब्द उस के कानों में मिश्री की तरह घुल रहे थे,,,।)

लेकिन मौसी ,,,, मौसा जी कुछ बोलते नहीं है,,,


वह क्या बोलेंगे उनको तो यह सब कुछ अच्छा लगता है,,,


क्या मौसा जी को यह सब अच्छा लगता है,,,


तो क्या,,,, वह तो मुझसे हमेशा कहते रहते थे कि अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी सोया करो,,,,
(साधना जानबूझकर इस तरह के गंदे शब्दों का प्रयोग कर रही थी वह संजू को पूरी तरह से उत्तेजित करना चाहती थी और ऐसा हो भी रहा था अपनी मौसी के मुंह से नंगी जैसे गंदे शब्दों को सुनकर संजू पूरी तरह से उत्तेजित हो रहा था उसका लंड टनटना कर खड़ा हो गया था,,,)



अगर कोई घर का दूसरा सदस्य देख ले तो,,,


कोई नहीं देखेगा अलग अलग कमरा है ना इसलिए,,,


हां तो ठीक है,,,, इसीलिए तुमको इस समय सोते नहीं बन रहा है,,,


हां तू सच कह रहा है,,,,,,, कमरे में मोहिनी सोई है वरना मैं अपने सारे कपड़े उतार देती,,,


क्या,,,?(आश्चर्य से संजू बोला)


तो क्या अगर कमरे में सिर्फ मैं और तू होती तो मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी ही सोती क्या करूं आदत से मजबूर हो गई हुं,,,,
(साधना देखना चाहती थी कि संजू क्या कहता है संजू की तो जैसे यह सुनकर लॉटरी लग गई थी,,,अपनी मन की कल्पना करने लगा कि अगर उसके साथ मौसी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी सोएंगी तो कैसा लगेगा,,,, ख्याल मात्र से ही वह पूरी तरह से मदहोश हो गया,,इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि मोहिनी अगर एक बार सो जाए तो फिर वह जल्दी उठती नहीं है भले ही कितना भी शोर-शराबा क्यों ना हो वह बहुत ही गहरी नींद में सोती थी,,,उसके मन में यह ख्याल आ रहा था कि वह यह बात अपनी मौसी से बता दे लेकिन डर रहा था कि उसकी मौसी उसके बारे में क्या सोचेगी लेकिन फिर भी उसकी उत्तेजना उसके मन को अपने काबू में कर ली थी इसलिए ना चाहते हुए भी संजू घबराते हुए बोला,,,,)


एक बात कहूं मौसी,,,


हां हां कहो,,(एक औरत होने के नाते साधना का दिल भी जोरो से धड़कने लगा था क्योंकि वह एक जवान लड़की के सामने और वह भी अपने सगे भतीजे के सामने गंदे शब्दों का प्रयोग कर रही थी और इसी इंतजार में थी कि संजू क्या कहने वाला है,,,)




मैं कह रहा था कि अगर तुम्हें इतराज ना हो जड़ जगत तो मोहनी एकदम गहरी नींद में सोचती है समझ लो एकदम घोड़ा बेचकर,,,।
(संजू की आवाज सुनते ही साधना का मन प्रसन्नता से भर गया क्योंकि वह संजू के मुंह से यही सुनना चाहती थी,,, लेकिन अपनी प्रसन्नता जाहिर होने देना नहीं चाहती थी इसलिए बोली,,,।)


नहीं जाने दे एक रात की तो बात है कल तो मैं चली जाऊंगी,,,


नहीं नहीं मौसी,,,, रात बड़ी लंबी होती है सोना भी तो जरूरी है जब तुम्हें ठीक से नींद नहीं आएगी तो क्या फायदा अगर तुम्हें एतराज ना हो तो अपने कपड़े उतार सकती हो,,,,,
(संजू बहुत धीरे-धीरे और कांपते स्वर में बोल रहा था,, संजू की बात से साधना उत्तेजित हुए जा रही थीक्योंकि पहली बार कोई जवान लड़का उसके बेटे की उम्र का लड़का उसे अपने कपड़े उतारने के लिए बोल रहा था,,,, अब साधना ज्यादा ना नुकुर नहीं करना चाहती थी,,,,, इसलिए संजू की बात मानते हुए बोली,,)




ठीक हैअगर तुझे कोई दिक्कत नहीं है तो मैं अपने सारे कपड़े उतार देती हूं लेकिन अगर मोहिनी जाग गई तो क्या होगा और मुझे इस हाल में देख लेगी तो क्या सोचेगी और वह भी तेरे बगल में,,,,


नहीं जागेगी मौसी मैं उसे मैं उसे अच्छी तरह से जानता हूं,,,,
(संजू की बातें सुनकर साधना का भी दिल जोरों से धड़क रहा था उसे यकीन हो गया था कि संजू भी उसे नंगी देखना चाहता है उसका जवान अरमान मचल रहा था,,,, तो भला साधना क्यों पीछे हटती,,,, इसलिए वह बोली,,,)

तब तो ठीक है रुक में अपने कपड़े उतारती हूं,,,लेकिन सुबह मोहिनी के उठने से पहले ही मुझे जगा देना ताकि मैं अपने कपड़े पहन सकूं,,,,




कोई बात नहीं मौसी मैं तुम्हें जगा दूंगा,,,,
(इस वार्तालाप के चलते और साधना के कपड़े उतार कर नंगी होने की तैयारी को देखकर संजू का दिल जोरों से धड़क रहा था पजामे के अंदर उसका लंड गदर मचाया हुआ था,,,। साधना भी बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी वह अपनी साड़ी को अपने कंधे पर से उतारने लगी और अपनी ब्लाउज के बटन खोलने लगी तभी उसके मन में शरारा सूजी कुछ देर बाद वह संजू से बोली,,,)

संजू मेरे ब्लाउज का बटन नहीं खुल रहा है जरा तो खोल दे,,,
(साधना की यह बात सुनते ही जैसे संजू के हाथ कोई खजाना सोपने जा रहा हो उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,, वह हकलाते शब्द में बोला,,,)

ममममम,, मैं,,,,मौसी,,,,


हां रे तू,,,, औरत को पेशाब करते हुए देख सकता है तो क्या उसके ब्लाउस नहीं उतार सकता,,,,(साधना की यह बात सुनते ही संजु शर्म से पानी पानी होने लगा और अपना बचाव करते हुए बोला,,,)




अनजाने में हुआ था मौसी मुझे नहीं मालूम था कि तुम बाथरूम में हो,,,,,


तुझे चला जाना चाहिए था ना फिर भी वहां खड़ा हो कर देख रहा था,,,,, मेरी गांड तुझे इतनी पसंद आ गई थी,,,,


क्या मौसी तुम भी,,,,(संजू शर्माते हुए बोला,,,, और उसे समझ में भी आ रहा था कि उसकी मौसी कितने खुले स्वभाव की है,,,आज पहली बार वह अपनी मौसी के इस रूप को देख रहा था वरना वह भी उसकी मां की तरह ही सीधी-सादी रहती थी,,,,)


ले में सच कह रही हूं,,,,,तुझे अच्छा लग रहा था तभी तो खड़ा रह गया था वरना तुरंत चला जाता,,,,,,,(साधना अपनी बातों से संजू को उकसा रही थी,,,, साधना की बातों को सुनकर संजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) पेशाब करते हुए मुझे ही देखा है या पहले भी किसी को देख चुका है,,,, कहीं ऐसा तो नहीं की अपनी मां को भी देख चुका है ऐसे,,,


नहीं मौसी कैसी बातें करती हो पहली बार बस तुम्हें देखा हूं,,,, और वह भी अनजाने में जानबूझकर थोड़ी,,,,


चल कोई बात नहीं बातें ही करता रहेगा या मेरे ब्लाउज का बटन भी खोलेगा,,,,


मैंने कभी खोला नहीं हुं,,,, पता नहीं मुझसे होगा भी कि नहीं,,,


अरे बुद्धू जिंदगी में हर काम हर कोई पहली बार ही करता है शादी के बाद तो तुझे यह काम करना ही होगा जो अपनी बीवी के ब्लाउज खोलने के लिए पड़ोसी को बुलाएगा,,,


क्या मौसी तुम भी मजाक करती हो,,,,


मजाक नहीं सच कह रही हूं तुझे यह सब सीखना चाहिए,,,आज अगर तू मेरे ब्लाउज के बटन खोल देगा तो भविष्य तुझे यह काम आएगा,,,,ट्यूब लाइट चालू करके मैं खुद खोल सकती हूं लेकिन बार-बार लाइट चालू बंद करने से कहीं मोहिनी जागना जाए,,,,


हां यह बात तो तुम सच कह रही हो मौसी,,


हां तो चल बटन खोल,,,,,
(साधना का कामुक दिमाग पूरी तरह से काम कर रहा था वह ब्लाउज के बटन खुलवाने के चक्कर में अपनी चूची को उसके हाथों से टटोल वाना चाहती थी,,,,यही बात संजू के मंदिर भी चल रही थी अच्छी तरह से जानता था कि ब्लाउज के बटन खोलते समय उसकी चूची से उसकी उंगलियां स्पर्श हो जाएंगी इसी बहाने वह अपनी मौसी की चूची को दबाने का सुख भी प्राप्त कर लेगा,,,,इस बात को सोचकर संजू के तन बदन में आग लग रही थी यह सब उसके साथ पहली बार हो रहा था,,, इसलिए उसकी उत्सुकता और उत्तेजना कुछ ज्यादा हद तक बढ़ चुकी थी,,,,,)

ठीक है मौसी तुम कहती हो तो,,, लेकिन अंधेरा बहुत है,,,,


तो क्या हुआ कोशिश तो कर,,,, मैं खुद कर लेती लेकिन,,, 2 दिन पहले मेरे नाखूनों में लकड़ी की फांस धंसी थी जिसकी वजह से दर्द कर रहा है वरना मैं खुद ही खोल लेती,,,


कोई बात नहीं मौसी,,,,,तुम मुझ पर इतना भरोसा कर रही हो तो मैं तुम्हारे भरोसे को टूटने नहीं दूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही अंधेरे में ही वह साधना के ब्लाउज की तरफ हाथ आगे बढ़ाया और अगले ही पल उसके दोनों हाथों में साधना की चुचिया आ गई ब्लाउज के ऊपर से ही सही लेकिन यह मौका संजू के लिए बेहद अनमोल और अतुलनीय था,,, संजू की दोनों हथेलियां साधना की दोनों चुचियों पर थम सी गई थी इसी मौके का साधना भी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी ब्लाउज के ऊपर से ही सही लेकिन चुचियों का नरम पन बड़े अच्छे से संजु को महसूस हो रहा था,,,। आज संजू को समझ में आया था कि ऊपर से कड़क दिखने वाली चूचियां आखिरकार कितनी नरम नरम होती हैं,,,संजू का मन ब्लाउज के ऊपर से ही सही अपनी मौसी की चूची को जोर जोर से दबाने को कर रहा था,,, संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उसकी लंड की नशों में लहू का दौरा बड़ी तेजी से हो रहा था ऐसा लग रहा था कि मानो उतेजना के मारे उसका लंड फट जाएगा,,,,,,,

एक जवान लड़के की हथेलियों को ब्लाउज के ऊपर से ही सही है अपनी चुचियों पर महसूस कर के साधना की बुर गीली होती जा रही थी,,,उसकी सांसे भी बड़ी तेजी से चल रही थी और ऊपर नीचे हो रही सांसो के साथ-साथ उसकी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रहे थे जो कि संजय को अपनी हथेली पर साफ महसूस हो रहा था कि उसकी हथेली उसकी मौसी की चूची पर ऊपर नीचे हो रही थी,, एहसास संजू के तन बदन में आग लगा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आज छोटे से कमरे में क्या होने वाला है और वह भी उसकी बहन की मौजूदगी में,,,, उसकी मौसी आज सच में उसके ऊपर कयामत ढा रही थी संजू कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी मौसी का यह मदहोश कर देने वाला रूप देखेगा,,,, सीधी साधी दीखने वाली उसकी मौसी अंदर से इतनी जबरदस्त कामदेवी की तरह होगी यह संजू कभी सोचा नहीं था,,,,।


साधना अपने मन में यही सोच रही थी कि काश संजू उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर देते तो कितना मजा आता है इसलिए वह अपनी छातियों को और ज्यादा उतार कर अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ जमीन से टिका कर गहरी गहरी सांस ले रही थी वह तो अंधेरा था अगर उजाले में साधना इस तरह की हरकत करती तो शायद संजू उसके इस आमंत्रण को कब का स्वीकार कर लिया होता,,,, संजू का मन मचल रहा था उसका लालच बढ़ता जा रहा था वह अपनी मौसी की चूची को एक बार ही सही लेकिन दबाकर देखना चाहता था,,,,इसलिए बात बात में हीं वह अपनी मौसी की चूचियों को अपने दोनों हथेलियों में लेकर हल्के से दबाते हुए बोला,,,।)


मौसी पता नहीं चल रहा है कि बटन कहां है,,,,


अरे बुद्धू इससे पहले ब्लाउज देखा नहीं क्या,,,


नहीं मौसी सच में मैंने कभी गौर नहीं किया हूं,,,


सच में तु एकदम बुद्धू है,,, अरे ब्लाउज का बटन दोनों चूचियों के बीच होता है,,,, अब जल्दी कर ब्लाउज उतारने में ही तु सुबह कर देगा,,,

(साधना का उतावलापन देखकर संजू को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह चुदवाने के लिए तड़प रही है और ब्लाउज के देर में उतरने की वजह से परेशान हो रही है,,,, साधना की बातें संजू के बदन में बार-बार उत्तेजना बढ़ा दे रही थी अपनी मौसी की बात सुनकर संजू बोला,,,)


ठीक है मौसी अभी उतारता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी अंगुलियों को टटोलते हुए आखिरकार जैसा साधना ने कही थी उसी तरह से दोनों चूचियों के बीच उसे ब्लाउज का बटन मिल गया और बटन के पाते ही वह खुश होता हुआ बोला,,,)

तुम बिल्कुल ठीक कह रही थी मौसी दोनों के बीच में ही बटन था,,,


हां अब जल्दी से बटन खोल,,,,


बस बस मौसी हो गया और वहां ब्लाउज का पहला बटन और अपनी जिंदगी का सबसे पहला ब्लाउज खोलने जा रहा था और वह भी खुद की अपनी सगी मौसी की,,, उसके लंड की तरफ बढ़ती जा रही थी एकदम लोहे के रोड की तरफ तन कर खड़ा हो गया था,,,,, चोदना भले ही उसे आता नहीं था और अब तक उसने सीखा भी नहीं था इन सब चीजों में उसे अब तक किसी भी प्रकार की उत्सुकता नजर नहीं आती थी लेकिन फिर भी अगर उसकी मौसी उसे अपने ऊपर चढ़ने के लिए कहती तो अब तक वह कब का चल गया होता और अपनी मौसी की चुदाई भी कर दिया होता क्योंकि इतना तो वह जानता ही था कि लंड को औरत के किस अंग में डाला जाता है भले ही उसने औरत के उस कोमल अंग को अभी तक देखा नहीं था,,, संजू अपनी मौसी के ब्लाउज के बटन खोलने में पूरी तरह से जुट गया था और पहले बटन को बड़ी उत्सुकता के साथ खोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन बटन बहुत कसा हुआ था इसलिए वह बटन को खोलने की कोशिश करते हुए बोला,,,।


बहुत कशी हुई है मौसी,,,।


हारे मैं जानती हूं मेरी चूचियां बड़ी बड़ी है ना इसलिए चुचियों के साईज से कम नाप का ही ब्लाउज पहनती हु इसलिए ज्यादा कसी हुई और तंग लगती है,,,।(साधना अपनी चुचियों के बारे में एकदम खुल कर बोल रही थी बिना शर्माए बेझिझक और यही अदा संजु को पूरी तरह से मस्त कर रही थी संजू भी अपनी मौसी के सुर में सुर मिलाता हुआ बोला,,,)

हां मौसी तुम्हारी बहुत बड़ी बड़ी लग रही है,,,


मर्दों को बड़ी बड़ी ही अच्छी लगती है,,,, तुझे कैसी अच्छी लगती है,,,,(इस सवाल से वह संजू के मन की भी बात जान लेना चाहती थी,,, लेकिन संजू जवाब देने में शर्मा रहा था वह कुछ बोला नहीं बस बटन खोलने में लगा रहा,,)

अरे बोल ना शर्मा क्यों रहा है अब मुझसे कैसी शर्म,,,,


तुम्हारे जैसी,,,(एकदम तपाक से जवाब देते हुए बोला)

ओहहह,,,,हो,,, लगता है मेरी पसंद आ गई है,,,,


ऐसी बात नहीं है मौसी,,,


चल मैं सब अच्छी तरह से समझती हूं कैसी बात है,,,,, तू जल्दी कर संजू अभी तक एक बटन भी नहीं खोल पाया है,,


बस बस मौसी खुल गया ,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी मौसी के ब्लाउज का पहला बटन अपने हाथों से खोल दिया एक औरत के ब्लाउज का बटन खोलते समय उसके तन बदन में जिस तरह की उत्तेजना और हलचल का अनुभव हो रहा था और खोलने के बाद इस तरह की संतुष्टि का अहसास हो रहा था वहां शब्दों में बता पाना शायद संभव नहीं था,,,, संजू बहुत खुश था पहला बटन खुल जाने के बाद साधना बोली,,,)

बस अब इसी तरह से सारे बटन खोल दे,,
(साधना की बात सुनकर संजू का जोश बढ़ने लगा और आत्मविश्वास के वह दूसरे बटन को खोलने की तैयारी करने लगा,,,,)
Nice
 

andyking302

Well-Known Member
6,075
14,324
174
संजु आज बहुत खुश था,,,,, क्योंकि जिस बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था आज उसके साथ सब कुछ हो रहा था,,, उसकी मौसी साधना इतनी ज्यादा कामुक औरत होगी इस बारे में उसे बिल्कुल भी पता नहीं था,,, लेकिन आज जैसे भगवान उस पर पूरी तरह से मेहरबान थे जवानी के इस उम्र में लड़को को और चाहिए भी क्या रहता है,,, खूबसूरत औरत का साथ जो उसके साथ सब कुछ करें और वही हो भी रहा था,,, भले ही धीरे-धीरे लेकिन संजू इसमें काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,,।


menorah with nine branches

साधना की आदत बिल्कुल भी नहीं थी रात को कपड़े उतार कर सोने की,,,, वह अपने कमरे में भी नंगी हो कर नहीं सोती थी,,,, यह तो पूरा कामचक्र साधना का ही रचा हुआ था वह संजू की उत्तेजना और उसे उकसाने के लिए ही नंगी होने कि अपनी आदत में शुमार कर रही थी,,,, जिससे संजू काफी उत्तेजित भी हो रहा था और इसी के चलते वह अपनी मौसी का ब्लाउज का बटन खुद अपने हाथों से खोल रहा था और दूसरा बटन खोलने की तैयारी में था,,,,,,। कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था मोहिनी गहरी नींद में सो रही थी बगल वाले कमरे में आराधना अपने पति का इंतजार कर रही थी उसे इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसके बगल वाले कमरे में उसकी बड़ी बहन उसके बेटे से अपनी ब्लाउज का बटन खुलवा रही है,,,।
अपनी मौसी के नंगी होने का एहसास से ही संजू के लंड से बार-बार लार टपक रही थी,,, जिसकी वजह से उसका पैजामा धीरे-धीरे गीला हो रहा था,,, और यही हाल साधना का भी था,,,, उत्तेजना के मारे एक नए पन के एहसास की वजह से उसकी लाल रंग की पेंटी गीली होती जा रही थी क्योंकि उसकी बुर कुछ ज्यादा ही काम रस टपका रही थी,,,।

Sadhna Sanju k sath masti karne k liye tadap rahi thi



संजू की उंगलियां ब्लाउज के बटन के साथ-साथ साधना की बड़ी बड़ी चूची होकर भी हरकत कर रही थी बार-बार उसकी उंगलियों से साधना की चूची ब्लाउज के ऊपर से ही छु जा रही थी,,, और बटन को खोलने की मशक्कत में संजू की उंगलियों से साधना की चूचियां दब जा रही थी जिससे साधना गन गना जा रही थी,,,। साधना अपनी बातों से संजु को उलझाना चाहती थी इसलिए बोली,,,।

सच-सच बताना संजू पहले भी तूने औरत का ब्लाउज उतारा है कि नहीं,,,


नहीं नहीं मौसी ऐसा मैंने कभी नहीं किया आज पहली बार है,,,


इसका मतलब है तू कि बहुत सीधा-साधा है वरना तुझे इतना हैंडसम है कसरती बदन का मालिक है जरूर अब तक दो चार गर्लफ्रेंड बना भी लिया होता और मजे भी ले लिया होता,,,


मजे भी ले लिया होता मैं कुछ समझा नहीं मौसी,,,


अरे बुद्धू लड़के गर्लफ्रेंड क्यों बनाते हैं,,,,



violent smileys

ऊमममम मुझे तो नहीं मालूम क्योंकि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है,,,।


पागल मौज मस्ती के लिए,,,,


मौज मस्ती के लिए,,,,
(संजू की बातों को सुनकर उसका आश्चर्य देखकर साधना समझ गई थी कि या तो संजू झूठ बोल रहा है या वाकई में एकदम बुद्धू है,,,, इसलिए साधना बोली,,)


मौज मस्ती का मतलब नहीं समझता,,,


नहीं मौसी,,,(लगभग लगभग दूसरे बटन को खोलते हुए संजू बोला,,,,)


अरे मौज मस्ती का मतलब है चुदाई,,,,(साधना एकदम से खुले शब्दों में बोल दी,,, क्योंकि साधना संजू को पूरी तरह से उत्तेजित कर देना चाहती थी ताकि उसके कहने पर संजु उसकी चुदाई कर सके,,, अपनी मौसी के मुंह से चुदाई शब्द सुनते ही संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, उसे धीरे-धीरे समझ में आ गया था कि मौसी आज की रात जरूर कुछ करना चाहती है तभी तो इतने खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही है इस बात के आभास से संजू भी उत्तेजित होने लगा और मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,, वहां अपनी मौसी की बात सुनकर बोला,,,)
Sanju ka man apni mausi ki gaand masalne ko kar raha tha

ivoryton playhouse


धत्,,,, यह सब मुझे नहीं मालूम,,,(तब तक संजू बातों ही बातों में साधना के ब्लाउज का दूसरा बटन भी खोल दिया था और तीसरे बटन की तरफ आगे बढ़ गया था और इस बार अपनी मौसी की बातों को सुनकर मैं पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और बातों ही बातों में मौके का फायदा उठाते हुए अपनी उंगलियों का दबाव अपनी मौसी की चूचियों पर बढ़ाने लगा था इसका एहसास साधना को भी अच्छी तरह से हो रहा था लेकिन वह उसे रोक बिल्कुल भी नहीं रही थी क्योंकि वह तो खुद चाहती थी कि संज6 आगे बढ़े,,,,)

तु सच में अभी कुछ भी नहीं जानता एकदम भोला भाला है,,, तभी तो तेरा यह स्वभाव मुझे बहुत अच्छा लगता है,,,


तुम भी मुझे बहुत अच्छी लगती हो मौसी,,,


क्यों तुझसे अपना ब्लाउज खुलवा रही हूं इसलिए,,,


नहीं नहीं मौसी तुम शुरू से मुझे बहुत अच्छी लगती हो,,,


तभी बाथरूम में मुझे पेशाब करते हुए देख रहा था ना,,,


क्या मौसी तुम भी बार-बार उसी बात को,,,,(इतना कहकर संजु रुक गया,,,)


तुझे ऐसा लगता है ना संजू कि कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन तुझे देखकर तो मेरी पैसाब ही रुक गई थी,,,।


सॉरी मौसी,,,,


कोई बात नहीं लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि मेरी भले पेशाब रुक गई थी लेकिन तेरा लंड खड़ा हो गया होगा,,,,।
(साधना सब कुछ सीधे-सीधे बोल रही थी क्योंकि वह जान रहे थे कि संजू बहुत भोला-भाला है अगर इसी तरह से बात ही करता रह गया तो रात गुजर जाएगी और ऐसा मौका ना जाने फिर कब मिलेगा इसलिए वह इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी इसलिए खुले शब्दों में बात कर रही थी और संजू भी अपनी मौसी के मुंह से लंड खड़ा होने की बात सुनकर एकदम सनन रह गया ,, वह अपने मन में सोचने लगा कि मौसी तो बात करके ही उसका पानी निकाल देगी,,, अपनी मौसी की इस बात को नकारते हुए बोला,,,)


नहीं नहीं मौसी यह गलत बात है ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,(बातों ही बातों ने अपनी मौसी के ब्लाउज के अंतिम बटन को खोलते हुए बोला)



चल बेवकूफ मुझे बेवकूफ मत आना तीन बच्चों की मां है मर्दों की हर एक हरकत से वाकिफ हूं मुझे पेशाब करते हुए देखकर तेरा लंड खड़ा हो गया था तेरे पैंट में तंबू बना हुआ था मुझे तो इस बात का डर था कि कहीं तो बाथरूम में घुसकर मेरी चुदाई ना कर दे,,,(साधना पूरी तरह से बेशर्म हो चुकी थी और उसकी बेशर्मी भरी है बात सुनकर संजू अपने आप पर सब्र नहीं कर पा रहा था उसका मन कर रहा था कि इसी समय वह अपनी मौसी को लेटाकर उसकी चुदाई कर दे,,,।)

ममममम, मौसी मुझे नहीं मालूम कि यह सब कैसे हो गयआ था,,, मै उसके लिए माफी चाहता हूं,,,,(संजू अपनी मौसी के ब्लाउज का आखरी बटन भी खोल चुका था,,,,)


चल कोई बात नहीं मैं सब जानती हूं इस उम्र में ऐसा होता ही है तेरी जगह कोई और होता तो उसका भी हाल होता क्या करूं मेरी गोरी गोरी गांड दिखती ही ऐसी है कि किसी का भी खड़ा हो जाए,,,,


तुम सच कह रही हो मौसी,,,(साधना की खुली बातें सुनकर संजू को भी हिम्मत आने लगी थी,,,और हल्के से ब्रा के ऊपर से ही संजू अपनी मौसी की एक चुची को हल्के से दबाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) तुम सच में मम्मी से भी बहुत ज्यादा खूबसूरत लगती हो,,,.


चल झूठा,,,,



नहीं मौसी मैं सच कह रहा हूं,,,,


चल अच्छा ब्लाउज उतारने में मेरी मदद कर,,,( और इतना कहने के साथ ही साधना अपने दोनों हाथों को थोड़ा सा काम कर संजू की तरफ पीछे कर दी जिससे संजू अपनी मौसी का ब्लाउज का पत्थर से पीछे की तरफ खींच मिलेगा और देखते ही देखते उसकी बांहों में से उसका ब्लाउज निकल गया और सिर्फ उसकी चुचियों को ढकने के लिए उसकी ब्रा रह गई,,,, एक औरत का ब्लाउज निकालते समय जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव संजू कर रहा था उसे डर था कि कहीं उसका पानी ही ना निकल जाए,,,,)

चल ब्लाउज तो कर के पीछे से जरा ब्रा का हुक भी खोल देना तो,,,,

हहहह,हुक,,,,


हां पीठ पर दोनों पट्टीयों के बीच होगा जरा टटोल कर देख,,,
(इतना सुनते ही सोनू की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और वह अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी हथेली को अपनी मौसी की नंगी चिकनी मखमली पीठ पर रख दिया नंगी पीठ का मखमली एहसास उसके लंड की अकड़ को बढ़ा रहा था,,, नंगी चिकनी पीठ पर अपनी हथेली घुमाने की लालच को रोकने पाया और हल्के से अपनी हथेली को अपनी मौसी की नंगी पीठ पर फिराने लगा साधना के भी अरमान में चल रहे थे एक जवान हथेली उसकी पीठ पर थिर कन कर रहे थे,,,, जिसकी वजह से उत्तेजनावश साधना की बुर पानी छोड़ रही थी,,,, साधना की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,।)

हुक तो खोल,,,,


हां हां मौसी,,,, खोलता हूं,,,( और इतना कहने के साथ ही संजू अपनी उंगलियों को टटोल कर जल्द ही ब्रा के हुक को पा लिया,,,, और बोला,,)

अब क्या करूं मौसी,,,,


अब दोनों पट्टी को पकड़कर एक दूसरे की तरफ खींच ऐसा करने से हुक खुल जाएगा,,,

ठीक है मौसी,,,(और इतना कहने के साथ ही जैसा साधना ने बताई थी वैसा ही संजू करने लगा और थोड़ी देर में वह अपनी मौसी के ब्रा के हुक को भी खोल दिया,,,,एक जवान लड़के से इस तरह की हरकत करवाने में साधना की उत्तेजना भी परम शिखर पर पहुंच चुकी थी,,,, मद भरे स्वर में वह बोली,,,)



हां अब ठीक है,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने हाथों से अपनी ब्रा भी उतार कर रख दी,,,कमर के ऊपर साधना पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां आजाद हो चुकी थी,,, संजू को मालूम था कि उसकी मौसी ब्रा उतार दी है अंधेरे में ही सही उसकी मौसी उसके बगल में कमर के ऊपर पूरी तरह से मांगी थी इस बात का अहसास से संजू की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी और बार-बार अपने हाथों से अपने खड़े लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था लेकिन लंड कहां मानने वाला था,,,,,, संजु अपने मन में यही सोच रहा था कि अब आगे का काम उसकी मौसी खुद ही कर लेगी और देखते ही देखते साधना अपनी साड़ी को कमर से खोलकर उसे उतारकर बगल में रख दी,,, उसके बदन पर केवल पेटीकोट ही रह गई थी,,,)

हो गया चाची,,,


अरे नहीं रे अभी तो बाकी है,,,, जरा मेरी पेटीकोट की डोरी तो खोल दे वह डोरी तो कस के बांधी हुई होती है,,, मुझसे तो बिल्कुल भी नहीं खुल पाएगी,,,(साधना की यह बातें संजू के कानों में मिश्री खोल रही थी उसे सुनने में बेहद उत्तेजना का अनुभव रहा था और इस बात का एहसास कि वह अपने हाथों से अपनी मौसी की पेटीकोट भी उतारे का और मौका और किस्मत दोनों साथ रहा तो आज वह अपनी मौसी की पेंट उतार कर खुद उसे अपने हाथों से नंगी करने का सुख और सौभाग्य दोनों प्राप्त करेगा,,,,, संजू की किस्मत चारों तरफ से खुद ही चली जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे मौसी खुद उसके लंड पर चढ जाएगी,,, संजू को इस बात से और ज्यादा प्रसन्नता देखी अगर चुदाई नहीं होगी कर पाया तो एक औरत को अपने हाथों से नंगी करने का सौभाग्य तो प्राप्त कर ही लिया है यह भी उसके लिए कोई कम नहीं था क्योंकि इस बारे में तो कभी उसने कल्पना भी नहीं किया था,,, अपनी समस्या को दूर करते हुए वह बोला,,,)


क्या मैं पेटिकोट की डोरी खोल पाऊंगा,,!


क्यों नहींमेरे ब्लाउज का बटन खोल लिया और ब्रा का हुक खोल दिया तो डोरी क्यों नहीं खोल पाएगा जरूर खोल पाएगा,,, रुक जा मैं जरा लेट जाती हूं तब तुझे डोरी खोलने में आसानी होगी,,,, एक ब्लाउज उतारने के बाद मेरी चूचियां कितनी आजादी महसूस करन रही है वरना ब्लाउज ओबरा के अंदर कैद होकर तो ऐसा लग रहा था कि जैसे इसका दम ही निकल जाएगा,,,,(साधना की यह बातें सुनकर संजू की सांस ऊपर नीचे होने लगी,,,अपनी मौसी की बातों को सुनकर संजू का मन उसकी चुचियों को पकड़ने का कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकने की उसके में हिम्मत बिल्कुल भी नहीं थी जबकि उसकी मौसी खुद ही जाती थी कि संजू अपने हाथों से उसकी चूची को पकड़ ले इसलिए बार-बार चूची का जिक्र कर रही थी लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि समझो आगे बढ़ने में घबरा रहा है क्योंकि औरत के साथ का अनुभव उसके पास बिल्कुल भी नहीं था अगर पहले वह औरत की संगत में आया होता तो शायद उसे अभी तक इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती जिस तरह से वह लाइट चालू करवा कर उसे अपने पेंटिं की झलक दिखाई थी उसी समय संजूसब कुछ समझ जाता है और खुद अपने हाथों से उसकी पैंटी निकाल कर आगे बढ़ गया होता,,,,लेकिन धीरे-धीरे में भी साधना को बहुत मजा आ रहा था उसकी उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसकी दूर पानी से तालाब बन चुकी थी और उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,। वो धीरे से पीठ के बल लेट गई और बोली,,)


अब डोरी की गीठान खोल,,,,

(इतना सुनते ही फिर से संजू का दिल जोरो से धड़कने लगा कमरे में चारों तरफ अंधेरा था कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था बस अंगुलियों से टटोलकर ही पता लगाना था,,, इसलिए समझो अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर पेटिकोट की डोरी को टटोलने के चक्कर में,,, उसका हाथ साधना की कमर पर चला गया,,,, चिकनी मांसल कमर पर मर्दाना हाथ पड़ते ही साधना अपने आप को रोक नहीं पाई और इसकी गर्म संस्कारी छूट गई,,,।सससहहहहहह,,,,,,,, इस आवाज से पूरे कमरे में मदहोशी छा गई जल्द ही समझो अपनी गलती को सुधार ता हुआ अपने हाथ को पीछे खींच लिया,,, और अपनी हथेली को नीचे की तरफ लाकर पेटीकोट पर रखकर डोरी को टटोली रहा था कि उसकी हथेली साधना की दोनों टांगों के बीचो बीच बुर वाले हिस्से पर पहुंच गई,,, और डोरी को पकड़ने के चक्कर में संजू की हथेली का दबाव साधना की बुर वाली जगह पर बढ़ने लगा,,, साधना को यह तो नहीं पता था कि संजू यार का जानबूझकर कर रहा हूं अनजाने में लेकिन अपनी बुरके ऊपर मर्दाना हथेली का लगा हुआ है बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसके मुख से जबरदस्त सिसकारी फूट पड़ी,,,,।

सहहहहह ,,,आहहहहहहहहह,,,,


क्या हुआ मौसी,,,,


अरे पगले तू मेरी बुर दबा रहा है डोरी तो उसके ऊपर है,,,
(अपनी मौसी के मुंह से बुर शब्द सुनते हीसंजू को इस बात का एहसास हुआ कि उसकी हथेली वाकई में उसकी मौसी की बुर के ऊपर थी वह बुरी तरह से झेंप गया,,,, और हर बढ़ाते हुए अपने हाथ को अपनी मौसी की बुर से हटाते हुए बोला,,,)

सससस,,, सॉरी मौसी मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम था,,


कोई बात नहीं समझे मैं जानती हूं अब जल्दी से सॉरी खोलकर मेरे पेटीकोट उतार,,,,।(ऐसा लग रहा था कि जैसे साधना के सब्र का बांध अब टूटने लगा हो उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,, वह जल्द से जल्द नंगी हो जाना चाहती थी इसलिए संजू भी जल्द ही अंधेरे में उंगलियों से टटोल ते हुए पेटिकोट की डोरी पर पहुंच गया और डोरी को पकड़कर खुश होता हुआ बोला,,)

डोरी मिल गई मौसी,,,


हां अब ठीक है अब ईसे जल्दी से खोल,,,,,(साधना का उतावलापन बढ़ता जा रहा था,, वह जल्द से जल्द संजु के हाथों से उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी हो जाना चाहती थी,,,वैसे भी अपनी बुर पर अनजाने में ही संजू की हथेली का दबाव महसूस करते ही उसका पूरा बदन कसमसाने लगा था,,,, साधना के लिए आज की रात बेहद हसीन होने वाली थी लेकिन इस रात के हर एक पल में अजीब सा नशा महसूस हो रहा था,,, सांसो की गति बिल्कुल भी काबू में नहीं थी,,, दिल की धड़कन घोड़े की टापो की तरह बज रही थी,,,, संजू की भी हालत हर एक पल खराब होती जा रही थी उसकी जिंदगी में यह तो पहला मौका था जब वह किसी औरत के कपड़ों को अपने हाथों से उतार रहा था उसका ब्लाउज का बटन खोल रहा था पेटीकोट की डोरी को खोल रहा था,,,, इसलिए संजू के लिए यह सब पूरी तरह से असहनीय होता जा रहा था उसे लगने लगा था कि किसी भी वक्त उसका पानी छुट जाएगा,,,लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाले हुए था उसे बिल्कुल भी चिंता नहीं थी कि आज ने मोहिनी सो रही है,,,, क्योंकि कमरे में चारों तरफ अंधेरा था अगर किसी भी तरह उसकी आंख खुल भी गई तो उसे कुछ दिखाई नहीं देगा क्योंकि उसे खुद भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था,,,,अपने मन में सोचने लगा कि उसके हाथों से लेकर उसकी मौसी पूरी तरह से नंगी होगी तो भी वहां अपनी मौसी के नंगे पन को देखने का सुख नहीं भोग पाएगा लेकिन इस बात से,,,उसके मन में तसल्ली थी कि भले ही वह अपनी मौसी को पूरी तरह से नंगी नहीं देख पाएगा लेकिन उसके नंगे पन के एहसास के सुख को वह पूरी तरह से रोक तो सकता है अगर किस्मत अच्छी रही तो आज की रात की भावना उसी की खूबसूरत बदन को भी भोग लेगा,,, उसके लिए मट वह भगवान से प्रार्थना भी कर रहा था,,,।

संजू की हाथों की अंगुलियां साधना के पेटीकोट की डोरी पर थी,,, संजू का दिल जोरों से धड़क रहा था और यही हाल साधना का भी था,,,, संजू अपनी मौसी की पेटिकोट की डोरी को हल्की ताकत के साथ खींचा,,, और अगले ही पल साधना की पेटिकोट की डोरी खुल गई,,, और डोरी के खुलते ही,, पेटिकोट का कसाव कमर के ऊपर से एकदम ढीला हो गया,,,, गहरी सांस लेते हुए संजू बोला,,,।


मौसी पेटिकोट की डोरी खुल गई,,,,


अब उसे नीचे की तरफ खींच,,,,,,(साधना सरल भाषा में उसे अपने पेटिकोट निकालने के लिए बोल रही थी जिसके लिए संजू पूरी तरह से तैयार था,,,,।)

ठीक है मौसी,,,(और इतना कहने के साथ ही वह जांघो पर से पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ खींचने लगा लेकिन साधना की भारी-भरकम गांड के नीचे दबी हुई पेटीकोट निकल नहीं रही थी,,, संजू बार-बार कोशिश कर रहा था खींचकर निकालने के लिए लेकिन मौसी की गांड का भारीपन कि वजह से पेटीकोट अपनी जगह से सरक नहीं रहा था,,, साधना यह बात अच्छी तरह से जानती थी और और यह देखना चाहती थी कि संजु क्या करता है,,,, जब कोशिश करने के बावजूद भी पेटीकोट नहीं निकली तो संजु बोला,,,,।)


मौसी पेटीकोट,,,, तुम्हारी गांड बड़ी है ना इसलिए,,,,


हां,,, रुक,,,, आजकल तुझे औरतों की गांड के बारे में बहुत मालूम पडने लगा है,,,ना,,,,(इतना कहने के साथ ही एक बार फिर से सजना अपनी भारी भरकम खूबसूरत काम को कमर से ऊपर की तरफ लगभग चार अंगुल उपर उठा ली,,, साधना की तरफ से इस तरह से अपनी गांड उठाना उसकी पूरी सहमति दर्शा रहा था और यह बेहद कामुक दृश्य भी था जिसके बारे में सोच कर ही संजु का लंड पानी फेंकने को तैयार था,,, लेकिन अंधेरे में संजू को कुछ नजर नहीं आ रहा था,,,,।)



नहीं नहीं मौसी ऐसी कोई बात नहीं है,,,, अब इतना तो पता चलना ही चाहिए ना,,,(पेटिकोट को नीचे की तरफ खींचता हुआ बोला और अगले ही पल वह अपनी मौसी के पेटीकोट उतार कर एक बगल में रख दिया था,,,,)

हां तु सच कह रहा है तेरी उम्र के लड़के को इतना तो समझ में आना ही चाहिए लेकिन जहां तक मैं जानती हूं कि तेरी उम्र के लड़के को बहुत कुछ समझ में आ जाता है लेकिन तुझे अभी उतना समझ में नहीं आता,,,


मुझे क्या पता मौसी,,,,


नहीं नहीं तुझे भी इन सब का ज्ञान होना जरूरी है,,,, आखिरकार तु एक मर्द है और मर्दों को मर्दों वाला काम तो आना ही चाहिए,,,। चल अब यह भी उतर गई अब बता सकता है कि मेरे बदन पर क्या रह गया है उतारने को,,,,


पेंटी,,,,(संजू तपाक से बोला)


कौन से रंग की,,,


लाल रंग की,,,,


अरे वाह तुझे कैसे पता चला,,, अच्छा जब मैं पेशाब कर रही थी तब तूने देख लिया होगा,,,


नहीं नहीं मौसी तब नहीं देख पाया था,,,


क्यों नहीं देख पाया था उतारी तो थी मैं,,,,( मादक भरे स्वर में बोली,,)

उस समय मेरा ध्यान किसी और चीज पर था ,,,।(संजू घबराते हुए बोला,,,)

अच्छा मैं समझ गई उस समय तो तेरा ध्यान मेरी गोरी गोरी गांड पर था ना,,,,
Sadhna




हां,,,मौसी,,,,(साधना की खुली बातें संजू के तन बदन के साथ साथ उसकी भावनाओं पर भी असर दिखा रहे थे,,,, अब उसे अपनी मौसी में मौसी नहीं बल्कि एक औरत नजर आने लगी थी,,,)

तब तूने मेरी पेंटी कब देखा,,,,(साधना आश्चर्य के साथ बोली,,,)

वह जब तुम चादर मांग रही थी,,, और तुमने ट्यूब लाइट जलाकर देखने के लिए बोली,,,, तभी देखा था,,,


अरे वाह संजू तेरी नजर की दाद देनी पड़ेगी देख लिया और उसका कलर भी तुझे याद रह गया,,,


अच्छी लग रही थी ना मौसी,,,


क्या अच्छी लग रही थी,,,?

पेंटी,,,,,


ओहहहह,,, तो तुझे मेरी पेंटी बहुत अच्छी लगी,,,जब तुझे मेरी पेंट इतनी अच्छी लग रही है तो पेंटी के अंदर का सामान देखकर तेरे होश उड़ जाएंगे,,,।
(साधना बेशर्मी दिखाते हैं एकदम सीधे सपाट स्वर में बोल गई अपनी मौसी की यह बात सुनकर संजू का पानी निकलते निकलते बचा वह कुछ बोल नहीं पा रहा था,,, इसलिए साधना ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली ,,)



क्यों संजू ठीक कह रही हो ना,,,


मुझे क्या पता मैंने देखा थोड़ी हुं,,,,


अरे क्या बात कर रहा है तूने अभी तक नहीं देखा है,,,


नहीं मौसी में सच कह रहा हुं,,,


अरे बाथरूम में मेरी तो देखा होगा जब मऐ पेशाब कर रही थी,,,


नहीं नहीं तब भी नहीं देख पाया था क्योंकि गांड के अलावा और कुछ दिख नहीं रहा था,,,।


ओहहहह,,, तब तो उसे देखने के लिए तुझे अपना दिल और दिमाग दोनों मजबूत करके रखना पड़ेगा मुझे नहीं लगता है कि तुम उस तरह का नजारा झेल पाएगा,,,।

(साधना की बातों को सुनकर संजू अपने मन में यही सोच रहा था कि जिस तरह से उसकी मौसी बातें कर रही है जरूर वह अपनी बुर दिखाना चाहती है,,,संजू इतना तो जानता ही था कि औरत के दोनों टांगों के बीच के उस अंग को क्या कहते हैं,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले लेकिन फिर भी हिम्मत जुटाते हुए बोला,,,।)

झेल लूंगा,,,,, इसमें क्या हुआ,,,,
(संजू की बातें सुनकर साधना मन ही मन मुस्कुराने लगी उसकी यह बात इसे साधना समझ गई थी कि वह भी उसने जरा को देखने के लिए उत्सुक है इसलिए साधना बात को घुमाते हुए बोली,,,)

चल समय आएगा तो वह भी देखा जाएगा अभी तो तू मेरी पैंटी उतार दे तब जाकर मुझे हल्का महसूस होगा क्योंकि मेरी पैंटी बहुत कशी हुई,, हैं,,,
Sanju apne man me soch raha th ki panty utarne k bad mausi ki boor kesi lagegi


यह भी मैं उतारू,,,


क्यों तुझे जोर आ रहा है क्या,,,


नहीं नहीं मौसी ऐसी कोई बात नहीं है मुझे तो अच्छा लग रहा है,,, लेकिन अगर इस बारे में किसी को पता चल गया तो,,,


पागल हो गया क्या किसी को कैसे पता चलेगा एक तू जानता है और एक मैं,,,, किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा,,,।

साधना और संजु
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 
10
58
13
Rohnny bhai,

Ye jo bich bich me unrelated sketches and photos daalte ho kya uski jaroorat hai?

Waise bhi aapke pics Story ke situation ke hisaab se to kabhi fit bethte hi nahi ulta aur disturbance hoti hai.

Agar aapko pics daalni hi hai to Situation ke hisaab se daalo dekhkar thoda aur reality ka ehsaas hoga aur Story ka aur bhi majaa aayega.
 
Last edited:

Chairman Lucky

Desimafia21
28
16
4
, आराधना अपने कमरे में अपने पति का इंतजार करते हुए सो गई थी,,,, आज उसकी शादी की सालगिरह थी,,,, सुबह से ही वह आज बहुत खुश नजर आ रही थी,,, ऐसा कम ही होता था कि जब वह बहुत खुश होती थी,,,,



शादी की सालगिरह की खुशी उसे बिल्कुल भी नहीं थी खुशी तो उसे इस बात की थी कि आज उसका पति रमेश अपनी सालगिरह पर शराब ना पीने का कसम खाकर गया था और आते समय उसके लिए गिफ्ट लाने का वादा करके गया था,,,,,, अपने पति के बर्ताव को देखकर उसके मन में उम्मीद की किरण नजर आने लगी थी कि अब से सही उसका पति सुधर तो जाएगा,,, इसी उम्मीद से वह रात की तैयारी सुबह से ही करना शुरू कर दी थी,,, रात के भोजन के लिए वह पूड़ी सब्जी और खीर बना कर रखी थी ,,,,


संजू आराधना का बड़ा लड़का था और मोहिनी उसकी छोटी लड़की थी दोनों भी अपने मम्मी पापा के इस खुशी में हाथ बताते हुए उसकी मदद कर रहे थे आराधना गौर से अपने बच्चों को देखकर अपने मन में भगवान से यह प्रार्थना करती रहती थी कि हे भगवान अब से उसकी जिंदगी सुधर जाती तो बहुत अच्छा होता,,,,

रात के 9:00 बज गए थे सारी तैयारियां हो गई थी बस इंतजार था रमेश का जो कि अपनी ड्यूटी खत्म करके इस समय तक आ ही जाता था लेकिन धीरे-धीरे 10:00 बज गए संजू और मोहिनी भी अपनी मां के साथ दरवाजे पर खड़े होकर अपने पापा का इंतजार करने लगे,,,, आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे लगने लगा था कि सुबह सुबह सुबह कसम खाकर गया था उसे भी तोड़ दिया होगा तभी तो 10:00 बज गए और उसका पता नहीं था,,,, बाहर का रास्ता देखते देखते आराधना की आंखों में आंसू भर आए थे लेकिन वह अपने बच्चों से अपने आंसुओं को छुपा ले रही थी,,, क्योंकि वह अपने बच्चों की खुशी को दुख में नहीं बदलना चाहती थी इसलिए वह अपने बच्चों को खाना परोस दी और उन्हें खिलाकर उन्हें अपने कमरे में भेज दी जोकि उसके ही कमरे से सटा हुआ था,,,,।

संजू को अपने पापा की आदत के बारे में अच्छी तरह से मालूम था उसे लगने लगा था कि आज भी उसके पापा पीकर ही आएंगे इसलिए वह अपनी बहन मोहिनी को लेकर कमरे में चला गया और सो गया,,, राह देखते देखते 12:00 बज गए तो आराधना भी आंखों में आंसू लिए दरवाजे को बंद कर दी लेकिन उसकी कड़ी नहीं लगाई क्योंकि वह जानती थी कि रात में वह कभी भी आएगा जरूर,,,,। आराधना सुबह से बहुत खुश थी अपने पति को हर तरह से खुश करने के लिए वह एकदम से सज-धज कर तैयार हुई थी एकदम दुल्हन की तरह लग रही थी,,,,। एक औरत होने के नाते वहां अच्छी तरह से जानती थी किसान की राखी रात को उसके पति के लिए और उसके लिए सुहागरात वाली रात होती है इसलिए वह अपनी चूत के बाल को क्रीम लगाकर अच्छे से साफ कि थी क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने पति को खुश करना चाहती थी,,,,,,, बदले में वह यही चाहती थी कि उसका पति सुधर जाए,,,,


दुल्हन की तरह सज धज कर अपने पति का इंतजार करते हुए रात के 1:00 बज गए वह खाना नहीं खाई थी खाती भी कैसे उसकी खुशियों में ग्रहण जो लग गया था शराब उसके लिए सौतन बन चुकी थी,,,, आखिरकार इंतजार करते करते थक गई और बिना खाए ही सो गई,,,,



share images
रात के 3:00 बज रहे थे,,, आराधना कोई ऐसा लगा कि कोई उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है और जैसे ही उसकी नींद खुली तो उसका पति एक तरह से उसके ऊपर चढ़कर अपने घुटनों के बल अपने घुटनों को उसकी कमर के इर्द-गिर्द रखकर उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा था,,,, अपने पति को अपने ऊपर देख कर वह पहले तो डर गई,,,, लेकिन शराब की बदबू जैसे ही उसके नाक में पहुंची उसे इस बात का अहसास हुआ कि,,, उसके ऊपर कोई और नहीं बल्कि उसका पति रमेश,,,।


आखिरकार तुमने अपनी कसम तोड़ दी फिर से शराब पीकर आए हो और आज के दिन अपनी शादी की सालगिरह के दिन आज मैं कितनी उम्मीद लगाकर तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,।



तो क्या हुआ मेरी रानी आ तो गया हूं ना,,,(रमेश एकदम लड़खड़ाते स्वर में बोला)


चलो पहले खाना खा लो,,,,(आराधना अपने पति का हाथ उठाते हुए पूरी लेकिन उसका पति माना नहीं है और जबरदस्ती उसके ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोला)


नहीं पहले मुझे चोद लेने दे,,,,,



नहीं अब मेरा मन बिल्कुल भी नहीं,,,(आराधना फिर से उसका हाथ उठाते हुए बोली तो इस बार और गुस्सा दिखाते हैं उसके गाल पर दो-चार तमाचा लगा दिया और बोला)


साली तैयार होकर बैठी है और कहती है मेरा मन नहीं है कोई और से चुदवा कर तो नहीं सोई है,,,,(रमेश अपनी बीवी को गंदा इल्जाम लगाते हुए उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया,,,,और उसकी ब्रा को बिना खोले उसे पकड़ कर उसकी छाती के ऊपर का खींच लिया जिससे उसकी दोनों चूचियां एकदम से आजाद हो गई और वह तुरंत उसे दोनों हाथों में तो दबोचकर दबाने लगा,,,)


तुम्हें शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हो मुझे पता भी है कि आज क्या है अपनी शादी की सालगिरह है कितनी उम्मीद लगाकर में आज तुम्हारा इंतजार कर रहे थे कि आज तुम सुधर गए होगे,,,, लेकिन तुम कभी को सुधारने वाले नहीं हो शराब छोड़ने वाले नहीं हो,,,,


हां मुझ से शराब छूटने वाली नहीं है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे झुक कर अपनी बीवी की चुचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, रमेश एकदम उत्तेजित हो गया था और वह जोर-जोर से अपनी बीवी की चूची को पी रहा था लेकिन इसमें आराधना को जरा भी आनंद की अनुभूति नहीं हो रही थी उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति उसके जज्बातों को कभी नहीं समझ पाएगा,,,,)


तुम्हें सिर्फ मेरे बदन से प्यार है मुझसे नहीं,,,


अब बकवास मत कर मुझे अपना काम करने दे,,,
(और इतना कहते हुए वह साड़ी को बिना उतारे साड़ी को पकड़कर ऊपर की तरफ करने लगा और अगले ही पल अपनी बीवी की साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी लाल रंग की पैंटी को अपने दोनों हाथों से खींचने लगा,,,,आराधना की भारी-भरकम गांड के नीचे उसकी लाल रंग की पैंटी दबी हुई थी जो कि निकल नहीं रही थी यार अब मैं जानती थी क्या करने के लिए कि नहीं तो वह खींचकर उसकी नई पेंटी को जो कि वह 2 महीने पहले ही अपने पैसे बचा कर इसी दिन के लिए खरीद कर रखी थी वह नहीं चाहती थी कि वह फट जाए,,, इसलिए मन ना होने के बावजूद भी वह अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ उठा कर पेंटी निकलवाने में मदद करने लगी,,,,, अपनी बीवी को इस तरह से अपनी गांड उपर उठाते हुए देखकर रमेश हंसते हुए बोली,,,।)
Ramesh apni bibi k sath kuch is tarah se


हाय मेरी रानी तेरा भी बहुत मन कर रहा है ना सिर्फ नखरा कर रही है,,,
(जवाब नहीं आ रहा देना नहीं कुछ नहीं कहीं वह बस दूसरी तरफ मुंह करके सब कुछ सहती रही,,,, रमेश अपनी बीवी की चिकनी चूत देखकर पूरी तरह से बावला हो गया एक तो शराब का नशा उस पर से अपनी बीवी की मदमस्त जवानी का नशा उस पर दोगुना असर करने लगा और वह अकेले ही पर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,,आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर उसका पति एक सही इंसान होता तो शायद इस पल का वह भी भरपूर मजा लेती लेकिन उस के नसीब में शायद यह सब बिल्कुल भी नहीं था,,,, रमेश आराधना की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने खड़े लंड को एक बार में ही उसकी चूत में डाल दिया जो कि उत्तेजना रहित सूखी हुई थी उसमें गीलापन बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि आराधना को बिल्कुल भी आनंद नहीं आ रहा था इसलिए वह दर्द से बिलबिला उठी लेकिन उसके पति कोउसके दर्द की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी लेकिन बगल वाले कमरे में सो रहे संजू की आंख खुल गई और वह जवान हो रहा लड़का था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है,,
Ramesh apni bibi aaradhna k sath

ascendium
, अच्छी तरह से जानता था कि उसका बाप उसकी मां पर अत्याचार करता है उसकी इज्जत नहीं करता उसे खुशियां नहीं देता और बस इस तरह से अपनी मनमानी करता रहता है,,,, रमेश आराधना को चोदना शुरू कर दिया था,,, आखिरकार वह भी एक औरत की लंड के अंदर बाहर होते ही उसकी चूत से पानी निकलना शुरू हो गया था उसे भी आनंद आने लगा था लेकिन जब तक कि वह गर्म होती है उससे पहले ही रमेश हांफने लगा,,,, वह झड़ चुका था अपनी बीवी को भी ना संतुष्ट कि वे खुद संतुष्ट होकर उसके ऊपर से उठकर बगल में पसर गया था खाने की शुध उसे बिल्कुल भी नहीं थी,,,,
Ramesh aaradhna ki chudai karta hua

थोड़ी देर बाद अपने आंसुओं को पोछते हुएआराधना उठी और अपने कपड़ों को तरसे करके उसे भी खाने के लिए उठाने लगे लेकिन वह शराब के नशे में चूर होकर सो चुका था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी इस तरह से नरक हो जाएगी सुबह परोसी हुई थाली को एक तरफ रख कर वह भी बिस्तर पर लेट गई और कब उसकी आंख लग गई उसे पता भी नहीं चला,,,,,। संजु को इस बात का मलाल था कि,,, इतना बड़ा होने के बावजूद भी वह अपनी मां के लिए कुछ कर नहीं पा रहा है,,,,
आखिरकार वह भी काफी देर तक सोचते-सोचते नींद की आगोश में चला गया,,,।
nice
 
Top