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Incest मजबूरी या जरूरत

Sanju@

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आराधना को बड़ी बेसब्री से शाम होने का इंतजार था वह अपने बच्चों को अपनी जॉब के बारे में बताना चाहती थी वह काफी खुश नजर आ रही थी लेकिन जो कुछ भी वह इंटरव्यू देने के बाद घर पर आकर की थी उसके बारे में सोच कर उसकी हालत खराब हो जा रही थी क्योंकि आज वह कल्पना‌ में अपने बेटे के साथ थी और अपने बेटे के साथ की कल्पना करके वह जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव अपने तन बदन में कर रही थी वह एहसास आराधना के लिए अद्भुत था,,,वह कभी सोची नहीं थी कि वह अपने बेटे के बारे में इस तरह की कल्पना करेगी लेकिन कुछ दिनों से जिस तरह के हालात घर के अंदर बदल रहे थे उसे देखते हुए ना जाने क्यों वह खुद अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुई जा रही थी,,,, वह अपने बेटे की बातों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसकी बातों में उसकी हरकतों में उसके लिए प्यार और एहसास दोनों था वह उसकी परवाह करता था उसके बारे में सोचता था,,,,आराधना अच्छी तरह से समझ रही थी कि जो कुछ भी उसके उसके पति के बीच में हो रहा था संजू नहीं चाहता था कि वह इस तरह की जिंदगी जिए संजू उसे दुनिया की हर खुशी देना चाहता था उसे प्यार से रखना चाहता था लेकिन इसके बदले में संजू उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता था जो कि मां और बेटे के बीच में इस तरह के नाजायज संबंध सही बिल्कुल भी नहीं थे ना तो खुद की नजरों में ना ही दुनिया की नजरों में,,,,।

लेकिन इस बात से आराधना इंकार भी नहीं कर सकती थी कि उसके पति से उसे अब किसी प्रकार की खुशियां संतुष्टि नहीं मिल रही थी उसका पति उससे मैं तो प्यार भरी बातें करता था ना ही प्यार करता था और तो और ना तो उसकी परवाह करता था अगर इंसान अच्छी तरह से कमाता ना होऔर ना ही औरतों को अच्छी तरह से खिला पाता हूं लेकिन उसकी परवाह करता हूं उसकी इज्जत करता हूं उससे बेशुमार प्यार करता हो तो औरत के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और कुछ नहीं होती वहां दुनिया की हर खुशी को त्याग कर अपने पति के पहलू में अपनी जिंदगी बिता लेना चाहती है लेकिन यहां तो ना तो पति का प्यार था और ना ही अच्छे जीने के लिए जिंदगी,,,,,इसलिए अपने पति से विमुख होकर ना जाने क्यों उसका आकर्षण अपने बेटे की तरफ बढ़ता जा रहा था,,,, आराधना यह बात अच्छी तरह से समझ रही थी कि मर्द तो आखिर मर्द ही होता है किसी चीज के बदले में उसे कुछ न कुछ फायदा चाहिए जरूर होता है और उसे अपने बेटे के पक्ष में भी यही नजर आ रहा था उसका बेटा उसकी परवाह करता था उसका ख्याल रखा था उसे तकलीफ देना नहीं चाहता था लेकिन बदले में वह भी चाहता तो उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार ही,,,, आराधना अपने बेटे से दूरी बनाकर रहती थी क्योंकि औरत वह बाद में थी पहले एक मां थी लेकिन यह बात संजू बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था वह बेटा होने के बावजूद भी उसके साथ अपने आप को मर्द के रूप में देता था और अपनी मां को एक औरत के रूप में,,,, आराधना अपने मन में सोच रही थी कि उस दिन रात को वह सही समय पर अपने बेटे के बाहों में से अलग हो गई वरना उस दिन वह अपनी मर्यादा को लांघ गई होती,,, और एक बार जब वह मर्यादा की दीवार को लांघ जाती तो उसके लिए वापस आना मुश्किल हो जाता,,,,। आराधना किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रही थी वह बीच मझधार में फंसी हुई थी चारों तरफ से किनारा तो नजर आ रहा था लेकिन वहां तक पहुंचने की कोई राह नजर नहीं आ रही थी और ना ही वहां पहुंचने की उसकी हिम्मत हो रही थी,,, वाह अपनी चाहत और भावनाओं के घेरे में घिरी हुई थी,,,,, एक तरफ उसे अपने बेटे की हरकत ठीक नहीं लगती थी वह नहीं चाहती थी कि उसका बेटा आगे बढ़े और दूसरी तरफ वह अपने बेटे की तरफ आकर्षित भी हुई जा रही थी,,, हद तो आज हो गई थी जब वह अपने ही नंगे बदन को देखकर उत्तेजित हो गई और उत्तेजित अवस्था में अपनी उंगली को अपनी चुत में डालकर अपने बेटे के बारे में कल्पना करने लगी,,,, और कल्पना में उसकी खुद की उंगली उसे उसके बेटे का लंड महसूस होने लगा जिसे कल्पना में उसका बेटा उसकी मांसल चिकनी कमर पर थाम कर अपने लंड को उसकी चूत में डालकर उसे चोद रहा था और उसके लिए यह कल्पना बेहद अद्भुत और अवर्णनीय थी अपने बेटे के बारे में इस तरह की कल्पना करके वह झड़ चुकी थी,,,,।
आराधना अपने बच्चों का इंतजार करती हो यही सोच रही थी कि जब कल्पना में अपने बेटे के साथ उसे इतना आनंद की अनुभूति हुई तो अगर यह सब वास्तविक का रूप ले ले तो उसका क्या हाल होगा,,,,,,आराधना चित्र से जानती थी कि उसे समझाने की उसके बेटे ने लाख कोशिश कर चुका था लेकिन वो टस का मस नहीं हुई थी,,,उसके बेटे ने उसे यह भी समझाने की कोशिश किया था कि दुनिया की नजर में या पाप होगा लेकिन चारदीवारी के अंदर जो कुछ भी हो रहा है वह किसे पता चलने वाला है और इसमें वह भी खुश और वो भी खुश ,,,,,,, आराधना अपने मन में चारदीवारी के अंदर वाली बात को बड़ी गहराई से सोच रही थी वह अपने मन में अनजाने में ही इस बात पर गौर कर रही थी कि उसके बेटे के कहे अनुसार अगर चारदीवारी के अंदर उन दोनों के बीच कुछ होता है तो यह बात वास्तव में कहां किसी को पता चलने वाली है और ऐसे में उसे शारीरिक सुख भी मिल जाएगा जिसके लिए वह तरस तो रही है लेकिन कर कुछ नहीं रही है लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि नहीं यह गलत है चारदीवारी के अंदर भी अगर वह अपनी बेटी के साथ संबंध बना लेती है तो अगर घर का ही सदस्य कोई अपनी आंखों से देख लिया तो क्या होगा,,,,

यह सब ख्याल उसकी अंतरात्मा को पूरी तरह से झकझोर कर रख दे रहा था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन इन सभी ख्यालों के चलते उसकी टांगों के बीच की पतली दरार फिर से गीली होने लगी थी,,, अपनी चूत की नमी आराधना को भी तरोताजा कर जाती थी उसे इस बात का अहसास होने लगता था कि अभी भी उसमें बहुत कुछ बाकी है,,,,।

Aaradhna


मोहिनी और संजू के आने का समय हो गया था आराधना खाना बनाने की तैयारी करने लगी थी वह बहुत खुश थी क्योंकि उसे 12000 की जॉब लगी थी और जॉब पर आने जाने के लिए स्कूटी भी मिल रही थी,,, जिससे आने जाने का किराया बस जाता वरना किराया बचाने के लिए पैदल आना जाना पड़ता,,,,,,,


दूसरी तरफ मोहिनी घर लौटते समय रात वाली बात को याद करके पूरी तरह से उत्तेजित में जा रही थी रात को जो कुछ भी हुआ था उसकी युक्ति पूरी तरह से काम कर गई थी,, बस उसके भाई ने थोड़ी सी और ज्यादा हिम्मत दिखाने की कोशिश नहीं कर पाया वरना,,,पहली बार मैं उसके भाई का लंड उसकी चूत के अंदर होता और वह जिंदगी में पहली बार चुदाई का सुख प्राप्त कर लेती,,,,, लेकिन रात का नशा आप ही किसके तन बदन में छाया हुआ था वह रात वाली बात को याद करके एकदम गदगद हुए जा रहे थे कैसे उसके भाई ने उसकी चूत को अपनी हथेली में लेकर सहलाया था,,,और कैसे अपनी जी उस में डाल कर उसके रस को चाट रहा था यह देखना मोहिनी के लिए बेहद अचरज भरा था लेकिन अपने भाई की हरकत से और पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसकी नस-नस में मदहोशी का नशा भरने लगा था एक पल के लिए तो उसमें ऐसा लग रहा था कि वह अपने भाई के सिर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दें,,,,ऊफफ वह एहसास गजब का था,,,, सड़क पर चलते हुए मोहिनी यही सोच रही थी कि उसकी सबसे अच्छी सहेली रोहिणी की युक्ति उसके ऊपर काम करी कि नहीं यह तो वह नहीं जानती लेकिन उसकी बताई युक्ति उसके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही थी वह इस युक्ति को और ज्यादा आजमाना चाहती थी क्योंकि वह किसी भी सूरत में अपने भाई के लंड को अपनी चूत के अंदर लेना चाहती थी,,,।

मां और बेटी में इस मामले में बहुत फर्क नजर आ रहा था एक तरफ मां की जो अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से कतरा रही थी वह नहीं चाहती थी कि वहां अपनी मर्यादा से आगे निकल कर जाएं अपनी बेटी के ही साथ शारीरिक संबंध बनाकर मां बेटे के बीच के रिश्ते को कलंकित करें और दूसरी तरफ मोहिनी थी जो कि किसी भी सूरते हाल में अपने भाई के साथ संबंध बनाकर चुदाई का सुख भोगना चाहती थी,,, उसे लोक लाज शर्म किसी का भी डर बिल्कुल भी नहीं था भाई बहन के पवित्र रिश्ते को तार-तार करने का भी दुख उसमें जरा भी नहीं था बल्कि वहां तो एक औरत और मर्द के बीच के संबंध का मजा लेना चाहती थी,,,,,, और इसी प्रयास में वह अपना प्रयास जारी रखना चाहती थी,,,,।

संजू भी रात के बारे में ही सोच रहा था वह यह सोच रहा था कि अगर रोज उसकी बहन फ्रॉक पहनकर सोए तो कितना मजा आ जाए,,,। पहली बार संजू किसी जवान लड़की की चूत देखा था और वह भी अपनी बहन की अब तक उसने केवल अपनी मौसी की चूत देखा था और उसे चोदा भी था,,,अपनी बहन की चूत का काम रस पीकर जिस तरह का नशा संजू के तन बदन में चढ़ने लगा था उस नशे में वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,,,सड़क पर चलते हुए संजू उस पल को याद करके रोमांचित हुआ जा रहा था जब वह हिम्मत दिखाते हुए अपनी बहन के दोनों टांगों के बीच आकर अपनी खड़े लंड को उसकी चूत की दरार पर लगा रहा था उस समय उसके तन बदन में जो उत्पात हो रहा था वह बता नहीं सकता था संजू का मन उस समय अपना लंड पूरा का पूरा अपनी बहन की चूत में डाल देने को कर रहा था,,, लेकिन अपनी मौसी की दो बार की चुदाई से थोड़ा बहुत अनुभव संजू को हो गया था वह अपनी बहन की चूत का छेद देख कर समझ गया था कि बिना उसके सहकार के उसका मोटा तगड़ा लंड चूत में घुसने वाला नहीं है,,,इसीलिए केवल संजू अपने लंड को अपनी बहन की चूत पकड़ कर ही अपना पानी निकाल दिया था लेकिन इतना भी संजू के लिए बहुत था,,,, अब वह अपने मन में सोचने लगा कि क्या वाकई में रोज उसकी बहन बिना चड्डी के सोती है वहअंदर कुछ नहीं पहनती अगर ऐसा है तो उसे फिर से वही खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा,,, और यह सोच कर सही रोमांचित हो उठा,,, थोड़ी ही देर में वह भी घर पर पहुंच गया अभी अभी कुछ देर पहले ही मोहिनी घर पर पहुंची थी और हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो रही थी,,,,, संजू के भी घर पर पहुंच जाने की वजह से मोहिनी के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि अब वह अपनी भाई की उपस्थिति में अजीब सा अनुभव करने लगी थी वह अपने भाई से नजर मिलाने में शर्म महसूस कर रही थी,,, और संजू का भी यही हाल था यह जानते हुए भी कि जो कुछ भी उसने किया है वह मोहिनी को बिल्कुल भी पता नहीं है क्योंकि वह बेहद गहरी नींद में सोती है फिर भी संजू अपनी बहन से नजर मिलाने में कतरा रहा था,,,।


दोनों हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो चुके थे,,, आराधना तुरंत मिठाई का डिब्बा लेकर आई और डीपी को खोलते हुए दोनों के आंखें मिठाई का डब्बा करते हुए बोली,,,।


लो तुम दोनों मुंह मीठा करो,,,,
(आराधना की बात सुनकर मोहिनी और संजू दोनों अच्छे से एक दूसरे की तरफ देखते हुए अपनी मां से एक साथ बोले,,)

यह किस खुशी में,,,,


पहले तुम दोनों मिठाई लो तो सही,,,,
(संजू और मोहिनी दोनों मिठाई के डिब्बे में से मिठाई निकालकर खाते हुए अपनी मां की तरफ से से देखने लगे तो उन दोनों की उत्सुकता को खत्म करते हुए आराधना बोली,,)

मुझे बहुत ही अच्छी जॉब मिल गई है और वह भी कंप्यूटर चलाने की ऑफिस में और ज्यादा दूर भी नहीं है 10 मिनट का रास्ता है,,,और तो और कंपनी मुझे कंपनी की स्कूटी भी कह रही है आने जाने के लिए किराया भी बच जाएगा,,,(आराधना किसी और सामान के लिए अपने बच्चों को बिल्कुल भी मौका नहीं देना चाहती थी इसलिए एक ही सांस में सब कुछ बता दी और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) और हां तनख्वाह है 12000,,,,,

क्या,,,?(मोहिनी आश्चर्य जताते हुए बोली,,)


12000 अब हमें किसी से भी पैसे उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,,( आराधना अपनी खुशी व्यक्त करते हुए बोली,,, मोहिनी और संजू अभी भी आश्चर्य में थे इतनी जल्दी नौकरी के लिए और वह भी ₹12000,,,,दोनों अभी भी आश्चर्य से आराधना की तरफ भी देख रहे थे तो आराधना बोली,,)

क्यों क्या हुआ तुम दोनों को खुशी नहीं हुई,,,


नहीं मम्मी बहुत खुशी हुई लेकिन थोड़ा अजीब लग रहा है तुम कभी नौकरी नहीं किए और घर चलाने की वजह से पहली बार जॉब करना पड़ रहा है,,,(संजू सांत्वना दर्शाते हुए भोला और संजू की यही बात आराधना को बहुत अच्छी लगती थी कि वह उसकी फिक्र बहुत करता था लेकिन उसकी बात को सुनते समय आराधना का ध्यान उसकी नजरों पर भी था संजू उसकी चूचियों की तरफ घूर रहा था,,,जो कि साड़ी का पल्लू थोड़ा सा नीचे होने की वजह से ब्लाउज में से उसकी चूचियों की गहराई एकदम साफ नजर आ रहे थे अपनी छातियों पर नजर जाते ही आराधना संजू की नजरों की वजह से शर्म से पानी पानी होने लगे वह अपने मन में सोचने लगी कि यह लड़का कभी भी कहीं भी शुरू हो जाता है,,,, आनन-फानन में अपने बेटे के बातों का जवाब देते हुए आराधना बोली,,)

मुझे कोई दिक्कत नहीं है ऐसा तो है नहीं कि औरतें नौकरी नहीं करती मैं जहां काम करने जा रही हूं वहां पर ज्यादातर औरतें ही है,, इसलिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,, तुम दोनों मिठाई खाओ मैं जल्दी जल्दी खाना बना लेती हूं,,,,(इतना कहकर आराधना रसोई घर में चली गई,,, और मोहिनी आश्चर्य से संजू की तरफ देखते हुए बोली,,)

मम्मी जोब कर पाएगी,,,


क्यों नहीं कर पाएगी जरूर कर पाएंगी,,,,
((इतना कहते हो संजू एक नजर अपनी बहन के ऊपर डाला तो देखा कि उसकी बहन आज फ्रॉक नहीं पहनी थी सलवार कमीज पहनी थी लेकिन सलवार समीज में भी वह पूरी तरह से कयामत लग रही थी,,,, अपनी बहन के ऊपर एक नजर डालने के बाद वह अपने कमरे में चला गया और वहां जाकर थोड़ी पढ़ाई करने लगा,,,, मोहिनी कमरे में नहीं गई बल्कि रसोई घर में जाकर अपनी मां का हाथ बटाने लगी ,,
जबरदस्त अपडेट है आराधना को जॉब मिल गई है साथ में बॉस ने उस पर लट्टू होते हुए स्कूटी भी दे दी है
वही अब भी आराधना अपने बेटे से संबंध नहीं बना पा रही है वह उसके बारे में सोचती भी है देखते हैं आगे क्या होता है
 

Alok

Well-Known Member
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दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज की बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। भगवान से प्रार्थना है कि आपको और आपके परिवार को सुख समृद्धि सोहार्द एवं अपार खुशियां दे।
शुभम् करोति कल्याणम आरोग्यम धन सम्पदा। शत्रु बुद्धि विनाशाय दीप ज्योति नमोस्तुते।।
🚩🚩🚩 *जय श्री राम*
 
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