बेहद उन्माद कौर अत्यधिक काम उत्तेजना से भरे हुए इस मनोहर दृश्य को देखकर मोहिनी के तन बदन में जवानी के जोश वाले भड़क रहे थे उसे बुझाने के लिए उसे अपने भाई के लंड की फुहार की जरूरत थी,,,, जो कि इस समय अपनी मां के साथ काम क्रीड़ा में पूरी तरह से तल्लीन हो चुका था अनजाने में ही उत्तेजना के चलते आराधना की चूत से पेशाब की धार फूट पड़ी थी,,, जो कि सीधे संजू के मुंह में गिर रही थी संजू भी अपनी मां की है इस हरकत से पूरी तरह से चौक गया था लेकिन पहली बार इस तरह के अद्भुत खेल का मजा ले रहा था इसीलिए तो उत्तेजना की स्थिति में अपनी मां की चूत से निकले पेशाब की धार को वह अमृत की धार समझ कर गले के नीचे गटक रहा था,,,, आराधना से यह कार्य अनजाने में ही हुआ था वह अपने पेशाब की तीव्रता को रोकने की भरपूर कोशिश कर रही थी लेकिन उसे रोका नहीं जा रहा था लेकिन कुछ पल में ही उसे इस बात का एहसास होने लगा कि जो किया वह अपने बेटे के साथ कर रही है उसमें उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है,,,, और उसे अपने बेटे के मुंह में मुतने में मजा आने लगा एक मां होने के नाते आराधना की हरकत पर हाथ शर्मनाक थी इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी लेकिन इस समय वह एक औरत थी मतवाली औरत प्यासी औरत,,,चुदास से भरी हुई औरत जोकि संजू को अपना बेटा नहीं बल्कि एक मर्द समझकर इस हरकत को अंजाम दे रही थी तभी तो यह बेहद शर्मनाक हरकत भी,,,, वह बेहद सहज रूप से कर ले रही थी,,,,, बाहर खड़ी मोहिनी इस दृश्य को देखकर पानी पानी हुई जा रही थी उसकी चूत बार-बार पानी फेंक रही थी इस तरह की हरकत उसने आज तक अपने भाई के साथ नहीं की थी और अपनी मां को इस तरह की हरकत करते हुए देखा करूंगा पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी मदहोशी और खुमारी उसकी आंखों में पूरी तरह से अपना असर दिखा रहे थे,,,,,
दरवाजे के बाहर खड़ा रहना मोहिनी के लिए मुश्किल हुआ जा रहा था वह जल्द से जल्द कमरे में दाखिल हो जाना चाहती थी और उस मदन मस्त कर देने वाले खेल में शामिल हो जाना चाहती थी,,,, आखिरकार देखते ही देखते गरमा गरम आहें भरते हुए आराधना की चूत से पेशाब कि धार कम होने लगी और मदहोश होते हुए आराधना अपने बेटे के मुंह को अपनी चूत से सटा ली और यही मौका था मोहिनी के लिए कमरे में दाखिल होने का दरवाजे की कड़ी पहले से ही संजू ने लगाया नहीं था दरवाजा पूरी तरह से खुला था बस औपचारिक रूप से उसने उसे बंद किया हुआ था,,, और इस शुभ और मदहोश कर देने वाले अवसर का पूरा फायदा उठाते हुए मोहिनी कमरे में दाखिल हो गई,,,भडाक की आवाज के साथ खुले दरवाजे से और अंदर प्रवेश करते ही मोहिनी के मुंह से केवल इतना ही निकला था,,,,
यह क्या कर रहे हो तुम दोनों,,,,
(बस इतनी सी आवाज सुनकर आराधना और संजू दोनों चौक पर थे संजू तो केवल चौक ने का नाटक भर कर रहा था क्योंकि उसे सब कुछ मालूम था लेकिन आराधना की हालत एकदम खराब हो गई थी आराधना के तन बदन में मानो खून का दौरा एकदम से रुक सा गया था,,,, उसकी हालत ऐसी थी कि मानो काटो तो खून नहीं अपनी बेटी की आंखों के सामने ही वह अपने बड़े बेटे के बालों को कस के पकड़ कर उसके होठों को अपनी चूत से सटाई हुए थी,,,, औपचारिक रूप से सहज रूप से यह दृश्य बेहद शर्मनाक था जो कि संस्कार और मर्यादा और रिश्तो की डोर को तार-तार करते हुए,,,, मां बेटे के रिश्ते को पानी में मिला रहा था,,,,, अपनी बेटी की आंखों के सामने औपचारिक था की आराधना को शर्म से हट जाना चाहिए था अपने नंगे बदन को चादर से ढक लेना चाहिए था लेकिन आराधना को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह उसी स्थिति में अपने बेटे को उसी तरह से पकड़े हुए ही अपनी चूत से लगाए हुए थी और संजू भी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच अपने होठों को उसकी चूत पर लगाकर उसके काम रस को चाट रहा था ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे शर्म के मारे संजू अपना मुंह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच छुपाया हुआ हो,,,,,, कुछ सेकंड तक फटी आंखों से आराधना अपनी बेटी की तरफ देखती रह गई और केवल उसके मुंह से इतना ही निकला,,,।
मममममम,,,,, मोहिनी तु,,,,,
(अब बारी मोहिनी की थी,,,, वह इस खेल की बागडोर अपने हाथों में ले लेना चाहती थी वह जानती थी कि जिस हालात में हो कमरे में दाखिल हुई है उस हालात को देखते हुए उसकी मां के सामने उसकी हर एक शर्त मानने के सिवा और कोई रास्ता नहीं होगा अंदर ही अंदर मोहिनी खुश हो रही थी ऐसा नहीं था कि अपनी मां को यह हालत में देखकर अपने बड़े भाई के साथ देख कर वह गुस्से से आगबबूला हो गई हो उसे तो इस तरह के दृश्य देखकर और मजा आता था खास करके अपने भाई के साथ,,,, वैसे भी वह अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली जवानी और उसकी खूबसूरती की कायल हो चुकी थी वह किसी भी हाल में अपनी मां के नंगे बदन कर रस अपने होठों से पीना चाहती थी एक औरत होने के नाते और एक औरत होने के बावजूद भी वह अपनी ही मां की खूबसूरती से पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी अपनी मां के नंगे बदन के नंगे अंगों को अपने हाथों में लेकर खेलना चाहती थी इसीलिए तो वह इतना षड्यंत्र रची थी,,,,, संजू अभी भी अपने पैसे होठों को अपनी मां की चूत पर रखे हुए था अपनी बहन की मौजूदगी में उसे बिल्कुल भी शर्म का एहसास नहीं था ना तो किसी प्रकार की ग्लानि थी क्योंकि वह इस खेल का सहभागी पहले से ही हो चुका था,,,, वह तो सिर्फ औपचारिकता निभा रहा था,,,,, मोहिनी की खुद की चूत पानी फेंक रही थी लेकिन फिर भी वह अपने आप पर संयम रखते हुए और ऐसा जताते हुए कि वह इस दृश्य को देखकर पूरी तरह से सदमे में है वह थोड़ा सा ऊंची आवाज करते हुए बोली,,,)
हां मम्मी में,,,,, तुम यही सोच रही होगी ना कि इतनी रात को मैं तुम्हारे कमरे में कैसे आ गई,,,,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि मैं तुम्हें इस रूप में देख रही हूं और अभी अपने बड़े भाई के साथ क्या मम्मी यह तुमने क्या कर दिया,,,,,, तुम दोनों या खेल बहुत पहले से ही खेल रहे हो लेकिन मैं ही बेवकूफ थी कि तुम दोनों की इस काम क्रीडा को समझ नहीं पाई अच्छा ही होता कि आज भी मेरी आंख नहीं खुलती आज भी मैं गहरी नींद में सोई रहती तो शायद में इस तरह के शर्मनाक दृश्य को अपनी आंखों से देख नहीं पाती,,,,,,
(मोहिनी की बातों को सुनकर आराधना शर्म से गढ़ी जा रही थी हालांकि अभी भी उसकी दोनों टांगे खुली हुई थी और उसकी तीन टांगों के बीच संजू अपना मुंह छुपाए हुए अपनी मां की चूत को अभी भी चाट रहा था और ऐसे हालात में भी अपनी मां को अद्भुत उसको कर दे रहा था जिससे ना चाहते हुए भी आराधना के तन बदन में मदहोशी का असर छा रहा था,,,,,)
मममम,, मोहिनी,,,,,, मुझे माफ कर दे मुझसे गलती हो गई,,,,,(संजू को अपने आप से अलग करते हुए और बिस्तर पर पड़ी चादर को अपने बदन पर झांककर अपने नंगे बदन को छुपाने की कोशिश करते हुए आगे बोली,,,) मैं बहक गई थी मोहिनी,,,,,(इतना कहकर वह रोने लगी)
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रोने से तुम्हारी गलती छुपने वाली नहीं है मम्मी,,,, मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि मेरी मम्मी इस तरह की हरकत करेगी,,,, तुम तो ऐसी बिल्कुल भी नहीं थी मम्मी फिर ऐसा कैसे हो गया,,,,,।
(आराधना के पास जवाब देने के लिए कुछ भी नहीं था वह रोने लगी थी उसकी आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे,,,, यह देख कर मोहिनी जानबूझकर नाटक करते हुए संजू की तरफ देख कर बोली,,,)
भाई मुझे तुमसे भी यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,,, आज मैं पहली बार अपनी आंखों से देख रही हूं कि एक बेटा अपनी सगी मां के साथ इस तरह की हरकत कर रहा है,,,,, मुझे तो तुम दोनों को मम्मी और भाई बोलने में शर्म आ रही है अगर यह बात किसी और को पता चलेगी तो सोचो क्या होगा तुम दोनों क्या मेरा भी घर से निकलना भारी हो जाएगा किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाऊंगी,,,,,,(मोहिनी किस तरह की बातें सुनकर आराधना सुबक सुबक कर रो रही थी आज पकड़े जाने पर उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि जो कुछ भी हो कर रही थी वह पाप था वासना की आग में तब कर वह अंधी हो चुकी थी मां बेटे के पवित्र रिश्ते को भी वह नजरअंदाज करते हुए अपने बेटे के साथ ही संबंध बना ली थी,,,,,, एक तरफ अपनी चोरी पकड़ी जाने पर और मोहिनी की बातों को सुनकर जहां आराधना का बुरा हाल था वहीं दूसरी तरफ जो कि इस खेल का सहभागी होने पर संजू अपनी मां को रोता हुआ देखकर उसे रहा नहीं जा रहा था और उसे लगने लगा था कि अपनी मां का बीज बचाओ करने के लिए उसे ही कुछ बोला होगा इसलिए वह बोला,,,)
मोहिनी इसमें मम्मी की कोई गलती नहीं है इसमें सारी गलती मेरी है,,,,
तुम दोनों की गलती है भाई सारा इल्जाम अपने सर पर लेकर मम्मी की करतूतों पर पर्दा नहीं डाला जा सकता तुम्हारी उम्र और मम्मी की उम्र में जमीन आसमान का फर्क है जहां तुम बह गए थे वही मां को रोक देना चाहिए था मम्मी को आगे नहीं बनना चाहिए था मम्मी तो समझदार थी दुनिया देखी थी और सबसे बड़ी बात यह कि तुम कोई गैर लड़के नहीं थे तुम तो सगे बेटे हो और मां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता पाप है,,,,
हां मैं जानता हूं,,,, मां बेटे के बीच का यह रिश्ता जायज बिल्कुल भी नहीं है लेकिन जो कुछ भी हुआ उसमें मेरी गलती थी मेरे ही कारण मां को बहकना पड़ा,,,,,
मुझे विश्वास नहीं हो रहा है भाई क्योंकि जितने तुम कसूरवार हो उतनी ही मम्मी भी कसूरवार हैं,,,,,
नहीं-नहीं मोहिनी,,,, मम्मी का कसूर बिल्कुल भी नहीं है मैं ही कसूरवार हूं,,,,
जो कहना है साफ साफ कहो लेकिन इससे पहले अपने इसको,,,(उंगली के इशारे से संजू के लंड की तरफ दिखाते हुए जो की पूरी तरह से खड़ा था) कपड़े से ढको,,,,।
(ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि इस समय संजू के मोटे तगड़े खड़े लंड को देखकर मोहिनी के बदन में कुछ हलचल ना हो रही हो वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी अपने भाई के खड़े लंड को देखकर लेकिन औपचारिक रूप से उसे नाटक के रूप में अपने भाई के खड़े लंड को अनदेखा करना था और संजू भी है बात अच्छी तरह से समझता था इसलिए बिस्तर पर पड़े अपने टीशर्ट को अपनी कमर से लपेटने की नाकाम कोशिश करते हुए बोला,,,)
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हां हां मोहिनी तु मेरी बात सुन ,,,(और वहीं दूसरी तरफ रोते हुए दीवाल का सहारा लेकर आराधना बिस्तर पर बैठ गई थी और नजरों को नीचा करके रोए जा रही थी) जैसा तू समझ रही है वैसा बिल्कुल भी नहीं है मम्मी का कसूर बिल्कुल भी नहीं है मैं ही बहक गया था,,,
बहक गया था लेकिन कैसे,,,! तुझे अपनी ही मां में ऐसा क्या दिख गया कि तू बहक गया मम्मी की उम्र और अपनी उम्र के साथ-साथ रिश्ते का भी ख्याल तूने नहीं किया,,,,
अरे पागल मेरी जगह तू अगर होती तो तू भी मेरी तरह ही करती,,,,,
भाई कुछ भी हो मैं तेरी तरह तो बिल्कुल भी नहीं करती की वासना में अंधे होकर अपनी ही मां के साथ,,,, छी,,,,
यह तो तू ऐसा बोल रही है ना अगर मेरी जगह तू होती तो ऐसा ही करती तुझे इतना तो मालूम नहीं है कि पापा रात को आकर मम्मी के साथ जबरदस्ती करते थे उन्हें मारते पीटते थे गाली देते थे और ऐसे हालत में बचाने के लिए मुझे जाना पड़ता था और जब जब मैं मम्मी के कमरे में उन्हें बचाने के लिए गया तब तक तू नहीं जानती मोहिनी मैंने मम्मी को कैसे हाल में देखा हूं अगर उस हाल में तो मम्मी को देख लेती तो शायद तू भी मेरी तरह ही करती अगर तू लड़का होती तो,,,,
ऐसे कौन से हाल में तूने देख लिया भाई कि तुझे ना करने का करना पड़ा,,,,,
(आराधना रोते हुए अपने बेटे और अपनी बेटी दोनों की बातों को सुन रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि सारा मामला दोनों के हाथ में चला गया था उसके हाथ में कुछ भी नहीं था शिवाए रोने को,,,,)
तू नहीं जानती मोहिनी,,,,, मैंने कैसे-कैसे हालात में मम्मी को देखा हूं उनकी हालत देखकर मेरी जगह कोई भी होता तो उसकी भी हालत होती जैसा कि मेरी हो रही है,,,, तू जानती है मम्मी रात को करीब 1:30 बज रहे थे और मम्मी के कमरे से अजीब अजीब सी आवाज आ रही थी,,,, मम्मी के चीखने की आवाज में बर्दाश्त नहीं कर पाया और मैं तुरंत अपने कमरे से निकलकर मम्मी के कमरे में गया दरवाजा खुला हुआ ही था जैसे मैं दरवाजे पर पहुंचा तो अंदर का दृश्य देखकर मेरे तो होश उड़ गए,,,
क्यों ऐसा क्या देख लिया,,,,,,,
मोहिनी वैसे तो तुझसे बताने में मुझे शर्म आ रही है लेकिन हालात ही कुछ ऐसे हो गए हैं कि मुझे बताना ही पड़ेगा,,,,, मैंने देखा कि मम्मी एकदम नंगी घुटनों के बल बिस्तर पर झुकी हुई है और पापा मम्मी की चूत में लंड डालते हुए जोर-जोर से मम्मी की गांड पर चपत लगा रहे थे और इतनी जोर जोर से मार रहे थे कि मम्मी रो रही थी,,,,, और मम्मी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी मम्मी शर्म के मारे अपने चेहरे को अपनी ही साड़ी से छुपाने लगी उस समय मैं मम्मी को उस मुसीबत से निकाल नहीं सकता था क्योंकि हालात ही कुछ इस तरह से थे लेकिन मम्मी की हालत पर पापा को बहुत मजा आ रहा था पापा मेरी हाजिरी में भी मम्मी की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहे थे यह भी देख रहे थे कि मैं दरवाजे पर खड़ा हूं मैं बिल्कुल भी शर्म नहीं थी मेरे सामने ही मम्मी की चुदाई कर रहे थे,,,,,
(संजू सब बनी बनाई बातें नमक मिर्च लगाकर बता रहा था नजरे नजर झुका कर आराधना अपने बेटे की बात को सुन रही थी और जानती भी थी कि उसका बेटा जो कुछ भी कह रहा है गलत कह रहा था लेकिन उसके पास भी कोई रास्ता नहीं था क्योंकि उसकी गलती पर खुद उसका बेटा पर्दा डाल रहा था,,,, लेकिन इस बात से भी हैरान थी कि संजू अपनी बहन से इस तरह की गंदी बातें बता रहा था,,,, अपने भाई की बात सुनकर जानबूझकर चौक ने का नाटक करते हुए मोहिनी बोली,,,)
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क्या कह रहे हो भाई क्या सच में पापा को बिल्कुल भी शर्म नहीं थी,,,,
नहीं बिल्कुल भी नहीं,,,,
हो सकता हो भाई कि तुम गलत समय पर गए हो हो सकता है कि इसी से दोनों को मजा आ रहा हो,,,,,
नहीं मोहिनी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मम्मी को मजा बिल्कुल भी नहीं आ रहा था क्योंकि मैं देख रहा था ना उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे,,,,,
फिर,,,,
फिर क्या मैं अपने कमरे में आ गया मैं मम्मी की मदद बिल्कुल भी नहीं कर सकता था और जैसे तैसे करके मैं सो गया लेकिन 2 दिन बाद फिर से वही गाली गलौज मारना पीटना शुरू हो गया और मैं फिर से मम्मी के कमरे में गया,,, रोज की तरह उस दिन भी दरवाजा खुला हुआ था,,, मैं कमरे में गया तो देखा पापा जबरदस्ती मम्मी के कपड़े उतार रहे थे ब्लाउज के बटन खुले हुए थे ब्रा चुचियों के ऊपर चढ़ी हुई थी,,,,,(मोहिनी के सामने संजू के मुंह से चूची शब्द सुनकर आराधना एक पल के लिए अपनी नजर उठाकर मोहिनी की तरफ देखने लगी मोहिनी आराधना की तरह दोनों की नजरें आपस में टकराई और शर्मा कर आराधना फिर से अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, कोई और समय होता तो आराधना जरूर अपने बेटे को अपनी बेटी के मौजूदगी में इस तरह के शब्दों का प्रयोग करने से रोकती लेकिन इस समय वह कुछ भी नहीं कर सकती थी,,, संजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) मम्मी पापा को रोकने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन पापा उसके हाथ को बार-बार झटक दे रहे थे,,,, और मम्मी की चूची पर ताबड़तोड़ तमाचा मार रहे थे जिससे मम्मी को बहुत दर्द हो रहा था मुझे मम्मी का दर्द बर्दाश्त नहीं हो और मैं आगे बढ़कर पापा को पकड़ लिया,,,, पापा को ऐसा करने से रोकने लगा,,,,, मम्मी रोए जा रही थी अपनी हालत पर और शायद इस बात से और ज्यादा दुखी थी कि मेरी आंखों के सामने उनकी ऐसी स्थिति थी,,,, मुझे झटकने की कोशिश करते हुए पापा मम्मी की साड़ी उतारने पर लगे हुए थे और मैं उन्हें रोक रहा था इसी बात पर पापा भी मुझे गाली गलौज करने लगे लेकिन मैं पापा की एक नहीं सुना और उन्हें धक्का देकर एक तरफ कर दिया,,,, जैसे तैसे करके उस समय तो सब कुछ शांत हो गया मैं कुछ देर तक मम्मी के कमरे में बैठा भी रहा,,,, मम्मी रो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें अपनी हालत की सुध बुध नहीं थी उनकी सूची अभी भी ब्रा के बाहर थी मोहिनी सच कहूं तो उस समय मुझे पता नहीं क्या होने लगा और मैं अपने हाथों से मम्मी की चूची को ब्रा के अंदर डालकर मम्मी के ब्लाउज का बटन बंद किया उस समय मेरे तन बदन में जो हालत हुई थी पूछ मत मोहिनी मम्मी की चूची खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी भले दिखती है लेकिन रूई की तरह एकदम नरेंद्रन थी पहली बार में किसी औरत की चूची को अपने हाथों से पकड़ा था उस समय मेरी हालत है बिल्कुल इस तरह की,,(अपनी आंख से अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए) हो गई थी मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं तुरंत मम्मी के कमरे से बाहर निकल गया,,,,,
(संजू को अपनी मां की उपस्थिति में अपनी मां की गंदी गंदी बात अपनी बहन को बताने में इतना आनंद और इतनी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था कि जिसको बयां कर पाना मुश्किल था यही हाल शर्मसार होने के बावजूद भी आराधना का था आराधना इस बात से जहां हैरान थी कि उसका बेटा अपनी बहन के सामने गंदी गंदी बातें कर रहा है और दूसरी तरफ उस बात से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर भी उठ रही थी,,,, कुछ देर खामोश रहने के बाद मोहिनी बोरी,,,)
Mohini or sanju apni mummy k samne kuch is tarah se
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फिर,,,,
फिर क्या यह रोज का हो गया रोज पापा की गाली गलौज होती और मैं उन्हें रोकने के लिए उनके कमरे में चले जाता और मम्मी मुझे रोज अस्त-व्यस्त हालत में दिख जाती है ऐसे ही एक दिन,,,, 12:00 बजे के बाद जब तू गहरी नींद में सो गई तब फिर से मम्मी के कमरे से गाली गलौज की आवाज आने लगी इस बार में पूरी तरह से गुस्से में था मम्मी के कमरे में घुस गया और देखा तो पापा जबरदस्ती मम्मी के साथ संबंध बनाना चाहते थे मम्मी को चोदना चाहते थे मम्मी नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी और पापा जबरजस्ती मम्मी की दोनों टांगें खोलकर अपने लंड को मम्मी की चूत में डालना चाहते थे,,,,(संजू जानबूझकर मोहिनी के सामने गंदी गंदी बातें कर रहा था इससे आराधना को हैरानी भी हो रही थी और उत्तेजना भी महसूस हो रही थी) लेकिन मम्मी बार-बार अपनी हथेली से अपनी चूत को छुपाने नहीं थे क्योंकि मम्मी का मन बिल्कुल भी नहीं था और उन्हें दर्द भी हो रहा था,,,, मुझसे मम्मी की हालत देखी नहीं रही और मैं आगे बढ़कर पापा को पकड़कर जोर से धक्का दिया और पापा दीवाल से जाकर टकरा गए और वहीं पर गिर गए मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि मैं गया और पापा को दो-चार झापड़ भी रसीद कर दिया पापा एकदम खामोश हो गए क्योंकि वह नशे में पूरी तरह से लत थे,,,, मैं मम्मी के पास आए और मम्मी की तरफ नजर किया तो मेरी खुद की हालत खराब हो गई मम्मी उसने एकदम नंगी थी मम्मी के बदन पर बिल्कुल भी कपड़े नहीं थे और मम्मी का गोरा बदन ट्यूबलाइट की रोशनी में कल चमक रहा था मेरी नजर बार-बार मम्मी की दोनों टांगों के बीच उसकी चूत पर चली जा रही थी जिसे देख कर मुझे ना जाने क्या होने लगा मम्मी की चूत एकदम चिकनी थी एकदम मुलायम मक्खन की तरह ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे मम्मी ने क्रीम लगाकर आज ही साफ की हो ,,,, मैं बड़े देर तक मम्मी की चूत को घूरता रहा तो कोने में पडे हुए पापा बोले,,,
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देख क्या रहा है जा चढ़ जा अपनी मां पर डाल दे अपना लंड अपनी मां की चूत में इंतजार किसका है तुझे मैं सब समझता हूं मेरी पीठ पीछे तुम दोनों जुदाई का खेल खेलते हो और यह रंडी अपने ही बेटे से चुदाई का मजा लुटती है और मुझे हाथ नहीं लगाने देती,,,,, होली हराम ज्यादा मादरचोद अपनी ही मां को चोद कर मादरचोद हो गया है इसे दुनिया में कोई और लड़की नहीं मिली कोई औरत नहीं मिली मिली भी तो अपनी ही मां दोनों मां बेटे आपस में मुंह काला करते रहते हैं,,,,।
मोहिनी पापा के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर मैं तो एकदम से सन्न रह गया और मैं एक पल भी कमरे में नहीं रुका और कमरे से बाहर निकल कर आ गया लेकिन पापा की बात याद कर करके ना जाने क्या होने लगा मेरे बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी जब भी पापा की बात सुनता तो ना जाने क्यों मेरा लंड खड़ा हो जाता था पापा की बात सुनकर ही मेरे मन में ना जाने क्यों मम्मी को चोदने का ख्याल आने लगा,,,,,,, और फिर मम्मी और पापा की दोनों की जमकर लड़ाई होने लगी और पापा घर छोड़ कर चले गए,,,,,,,,
पापा चले गए तो फिर तुझे मौका मिल गया ना भाई इस तरह का काम करने का,,,,
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नहीं मोहिनी नहीं तो फिर गलत सोच रही है मैं भले ही मम्मी के बारे में गलत सोचने लगा था लेकिन मेरे मन में ऐसा कुछ भी नहीं था,,,, मम्मी अकेली पड़ गई थी इस बात का एहसास मुझे उस दिन हुआ जब मैं दोपहर में मम्मी के कमरे में गया और मम्मी अपने में खोई हुई थी और अपनी ही उंगली को अपनी चूत में अंदर-बाहर कर रही थी,,,,(इतना सुनते ही आराधना अपनी नजरों को उठाकर सब्जी की तरफ देखने लगी जो कि सरासर झूठ बोल रहा था लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा झूठ भी किसी कारण से बोल रहा है इसलिए वह कुछ बोली नहीं और इस बात का असर मोहिनी पर भी कुछ खास नहीं पड़ रहा था क्योंकि मोहिनी सब कुछ जानती थी बस चौक ने का नाटक करते हुए बोली)
क्या,,,?
हा मोहिनी में सच कह रहा हूं मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था मम्मी की हालत देखकर मुझे जरा सा भी लगा मम्मी जोर जोर से अपनी उंगली को अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी मम्मी की आंखें बंद थी मम्मी की हालत देख कर मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं इसका मम्मी दोनों टांगें ऊपर उठाकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी मम्मी की गांड और चूत देखकर मेरी हालत खराब हो गई और मम्मी की हरकत से मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मम्मी को भी मर्द की जरूरत पड़ रही है क्योंकि पापा को महीना हो गए थे घर से निकले और तब जाकर मुझे इस बात का एहसास हुआ कि औरत को भी इस चीज की बेहद जरूरत होती है और मोहिनी मम्मी के हालत देखकर मैं घबरा गया था क्योंकि मम्मी जिस तरह से एक मर्द के लिए तड़प रही थी मुझे डर लगने लगा कि कहीं मम्मी घर के बाहर किसी गैर से संबंध ना बना ले अगर ऐसा हो जाता तो हम लोगों की तो बदनामी हो,,, जाती,,,,, और फिर मैंने जो फैसला किया उसका नतीजा आज तुम्हें दिखाई दे रहा है,,,
क्या किया तुमने भाई,,,,,
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मैंने जो किया आज मम्मी उससे बहुत खुश है मैंने उस दिन जब देखा कि मम्मी आंखें बंद करके मजा ले रही है तो मैं तुरंत मम्मी के बिस्तर के करीब भी और अपने घुटनों के बल बैठकर बिना कुछ बोले अपने होंठ को मम्मी की चूत पर रख दिया मम्मी एकदम से चौक पर आंखों को खोलकर मेरी तरफ देखी तो एकदम से घबरा गई,,, मुझे मम्मी हटाने की कोशिश कर रही थी मुझे हटाना चाहती थी लेकिन तब तक नहीं अपनी जीभ को मम्मी की चूत पर रख कर चाटना शुरू कर दिया था और मेरी हरकत से मम्मी पल भर में एकदम गरम हो गई क्योंकि महीनों गुजर गए थे वह संबंध नहीं बनाई थी और देखते ही देखते मेरी हरकत से मम्मी की मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूटने लगी,,,, और मम्मी जिस हाथ से मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी उसी हाथ को मेरे सर पर रख कर जोर जोर से दबाने लगी और फिर उसके बाद मैंने मम्मी को ऐसा सुख दिया ऐसा सुख दिया कि मम्मी रोज मुझ से चुदवाती है,,,,,, और यह मोहिनी सही भी है क्योंकि मम्मी की हालत अगर तुम देखी होती तो तुम्हें समझ में आता कि कैसा गजब हो जाता अगर मैं साथ न दिया होता तो,,,,
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तुम्हारी बातों से भाई तुम्हारी बहन से अनैतिकता को नैतिकता का रूप नहीं दिया जा सकता,,, तुम और मम्मी मिलकर जो काम क्रीड़ा कर रहे हो वह बात है तुम लोग को इस बात का एहसास भी है अगर इस बात का पता पापा को चल गया तो क्या होगा,,,,,
पापा ने तो पहले भी हम दोनों पर इल्जाम लगा दिए हैं,,,
लेकिन पक्के तौर पर जानते नहीं है ना अगर यह बात में पापा को बता दु तो,,,,
नहीं नहीं मुझे नहीं ऐसा बिल्कुल भी मत करना एक बार बड़ी मुश्किल से हम लोगों के घर पर खुशियां आई है तुम्हारी इस बात पर सब कुछ ठीक हो जाएगा सब कुछ तबाह हो जाएगा पर एक बार फिर से हम लोगों का परिवार बिखर जाएगा,,,,,
(मोहीनी और संजू की बातों को सुनकर आराधना भी घबराए हुए मोहिनी की तरफ देख रही थी क्योंकि आराधना को भी इस बात का एहसास था कि अगर मोहिनी ने अपने पापा को सब कुछ बता दी तो क्या हो जाएगा क्योंकि वह जानती थी कि वह शराबी है,,,, अपने सभी दोस्तों में उसे बताने में बिल्कुल भी शर्म नहीं आएगी,,,, इसी बात को बस सोचकर घबरा रही थी वह कुछ बोलना चाहती थी लेकिन उसे बोलने की हिम्मत बिल्कुल भी नहीं थी वह अपनी बेटी की आंखों के सामने शर्मसार जो हो गई थी,,,,,)
लेकिन भाई यह मैं कैसे देख सकती हूं अपनी आंखों के सामने की एक मां अपने ही बेटे के साथ हमबिस्तर हुई है,,,,

जरूरी नहीं है कि तुम्हारी आंखों ने हम दोनों को ही देखी है तो हमें दो इसके गुनहगार है ऐसा तो ना जाने कितने घरों में होता होगा जो कि किसी को कानों कान खबर तक नहीं होती होगी,,,, मोहिनी तुम समझने की कोशिश नहीं कर रही हो,,,,,,,(इतना कहने के साथ अपनी कमर पर से अपनी टी-शर्ट को नीचे गिरा कर वहां एक बार फिर से अपनी बहन के सामने संपूर्ण रूप से नंगा हो गया शायद वह अपनी मां को यह दिखाना चाहता था कि वह अपनी हरकतों से अपनी बहन को भी लाइन पर लाना चाहता है,,,,,) मम्मी का रूप खूबसूरत नंगा बदन देख लोगी तो तुम खुद पागल हो जाओगी तब तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि मैंने जो किया उसमें कुछ भी गलत नहीं था एक तरह से मैंने मम्मी की सेवा ही किया है उनका साथ दिया है वरना उनके कदम डगमगा जाते ,,,,,
तुम बिल्कुल भी ऐसा मत बताने की कोशिश करो कि तुमने जो कुछ भी किया है उसमें गलत कुछ भी नहीं है मम्मी की मदद किए हो बल्कि तुमने पाप किए हो,,,, मैं जरूर पापा को बता दूंगी,,,,।
(मोहिनी की बात सुनकर आराधना फिर से घबरा गई)
मोहिनी ऐसा बिल्कुल भी मत करना बेटी,,, मैं कहीं की नहीं रह जाऊंगी,,,
तुमने काम ही ऐसा की हो मम्मी,,,
मोहिनी मम्मी का दोष इसमें बिल्कुल भी नहीं है तुम खामखा मम्मी को दोष दे रही हो अगर तुम पापा को बताओगी तो तुम भी एक सुख से वंचित रह जाओगी,,,,
(संजू की बात सुनकर आराधना आश्चर्य से संजू की तरफ देखने लगी और मोहिनी भी जानबूझकर नाटक दिखाते हुए आश्चर्य से संजू की तरफ देखने लगी और बोली)
मैं समझी नहीं,,,,
अरे पगली बुद्धू है तू हम दोनों के साथ मिल जाएगी तो तुझे भी बहुत मजा आएगा,,,,
तू कहना क्या चाहता है भाई,,,,
मैं यह कहना चाहता हूं कि तू यह बात अच्छी तरह से जानती है कि मम्मी तेरे से इस उम्र में भी बहुत ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लगती है,,,, तेरी चूची से भी बड़ी बड़ी मम्मी की चूची है,,,,(इतना सुनते ही आराधना आश्चर्य से संजू की तरफ देखने लगी और संजू की अपनी मां की तरफ देखकर आंख से इशारा करके उसे खामोश रहने का इशारा कर रहा था क्योंकि मोहिनी और संजू के बीच क्या चल रहा है आराधना को इस बात का बिल्कुल बनाकर नहीं था और आराधना को ऐसा लग रहा था कि उसका बेटा अपनी बहन के बारे में उसके अंगों के बारे में खुलकर कैसे कह रहा है,,, वह खामोश थी अगर कोई और समय होता तो वह अपने बेटे को जरूर रोक दी और डांट थी लेकिन समय आराधना के विपरीत था और आराधना को ऐसा लग रहा था कि संजू मोहिनी को भी इस खेल में शामिल करके उसका मुंह बंद कराना चाहता है,,, मोहिनी आश्चर्य से अपने भाई की बात सुन रही थी) मम्मी का अंग अंग खरा सोना है क्योंकि मैं तो मम्मी को पूरी तरह से नंगी देख चुका हूं और उसके बदन का मजा भी ले चुका हूं इसलिए कह रहा हूं,,,, तू भी मम्मी को एकदम नंगी करीब से दूसरी नजर से देखेगी तो पागल हो जाएगी और मम्मी के अंगों से खेलेगी और मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तेरी उम्र भी अब लंड लेने लायक हो रही है तेरा भी मन करता होगा तेरी भी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होती होगी हम दोनों के बीच जिस तरह का रिश्ता तूने अपनी आंखों से देखी है उस दृश्य को देखकर तेरे बदन में भी गर्माहट आ गई होगी तू भी लंड लेने के लिए मचल रही होगी सिर्फ इस समय गुस्सा में है,,,, गुस्से से बाहर निकल,,,,, और फिर दूसरी नजर से हम दोनों के रिश्ते को देख तुझे भी बहुत मजा आएगा,,,,(संजू अपनी मां के सामने अपनी बहन को बहकाने का नाटक करते हुए धीरे-धीरे उसके करीब जा रहा था वह पूरी तरह से नंगा था उसका लंड एकदम खड़ा हुआ था ऐसे हालात में मोहिनी की नजर भी बार-बार अपने भाई के लंड पर चली जा रही थी जो कि इस दृश्य को आराधना भी अपनी नजरों से देख रही थी वह कुछ बोल नहीं पा रही थी ना चाहते हुए भी वह भी इसी बात को चाह रही थी कि मोहिनी भी इस खेल में शामिल हो जाए ताकि अपना मुंह बंद रख सके,,,,) मैं जानता हूं मांगना तेरी चूत भी मोटे लंड के लिए तरस रही है अगर एक बार तेरी चूत में लंड घुस गया तो तू भी सब रिश्ते नाते को भूल कर इस खेल का मजा लेगी,,,,,(अपने भाई की बात सुनकर मोहिनी एकदम खामोश हो गई थी मानों की नाटक का आखिरी परदा गिरने वाला है और कुछ भी नहीं बोल रही थी बस अपने भाई की बात सुनकर गहरी गहरी सांस ले रही थी वह अपनी मां को यह दिखाना चाहती थी कि उसके बदन में भी उत्तेजना अपना असर दिखा रही है और देखते ही देखते संजू ठीक अपनी बहन के पीछे जाकर खड़ा हो गया और पीछे से अपनी मां की आंखों के सामने ही अपनी बहन की छाती पर हाथ रखकर उसे हल्के से दबाते हुए उसके बेहद करीब इतना करीब कि अपने लंड को वह सीधे सलवार के ऊपर से अपनी बहन की गांड पर धंशा दिया,,, आराधना सब कुछ अपनी आंखों से देख रही थी लेकिन खामोश थी अपने बेटे को वह अपनी ही बहन के साथ मस्ती करते देख रही थी उसे बताते हुए देख रही थी लेकिन कुछ भी कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि अब वह भी यही चाहने लगी थी कि उसकी बेटी भी अपने भाई की बात मान जाए और इस खेल में शामिल होकर मजा ले,,,, क्योंकि अगर एक बार मोहिनी भी इस खेल में शामिल हो गई तो आराधना के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं हो जाएगा घर में तीनों खुल कर मजा ले सकेंगे और संजू जो कि पहले से ही अपनी बहन की चुदाई करके रोज रात को अपनी रात रंगीन करता था वह भी अपने इस खेल में मोहिनी को शामिल करके अपनी मां के सामने अपनी बहन को चोदने का सुख प्राप्त करेगा और ऐसा आराधना को जताएगा कि आज सही उसके और उसकी बहन के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया है,,,)
मोहिनी की हालत खराब होती जा रही थी मोहिनी की गांड पर संजू का लंड पूरी तरह से अपना असर दिखा रहा था संजू अपनी बहन की गर्दन पर अपने होंठ रख कर उस को चूमते हुए अपनी बहन की चूची को दबाना शुरू कर दिया था और बोला,,,,।
मोहिनी तू भी बड़े लंड का मजा ल६ देख मम्मी कितना मस्त हो जाती है मेरा लंड अपनी चूत में लेकर,,,,
ममममम,,मै कैसे,,,,?(कांपते हुए स्वर में मोहिनी बोली)
तू भी मम्मी की तरह मजा है एकदम नंगी होकर जैसा कि,,,,(ऐसा कहते थे वह धीरे-धीरे अपनी मम्मी के बेहद करीब उसके बिस्तर तक ले जाया और अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मम्मी के बदल से चादर को एक झटके से खींचकर अपनी मम्मी को पलभर में ही फिर से नंगी करते हुए) मम्मी नंगी है मैं नंगा हूं तू भी अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाए फिर तुझे ऐसा मजा दूंगा कि तू जिंदगी भर याद रखेगी,,,,,
(मोहिनी कुछ भी नहीं बोल रही थी वह आश्चर्य जताते हुए खामोश खड़ी थी उसकी आंखों में मदहोशी साफ नजर आ रही थी वह नाटक का आखरी पर्दा गिरा चुकी थी सब कुछ उसके सोचने के मुताबिक ही हो रहा था उसकी मां को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ था और मोहिनी का जवाब जाने बिना ही अपनी मां की आंखों के सामने ही वह मोहिनी की कुर्ती को नीचे से दोनों हाथों से पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,,, यह देख कर जहां एक तरफ आराधना हैरान और आश्चर्य थी वहीं दूसरी तरफ उसके मन में इस बात की खुशी भी थी कि उसका राज का पर्दाफाश करने वाली मोहिनी भी अब इस खेल में शामिल होकर उन दोनों की राजदार बन जाएगी और तीनों मिलकर इस खेल को जिंदगी भर खेलते रहेंगे