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Adultery मजबूर (एक औरत की दास्तान) लेखक: तुषार

Rohit Kapoor

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सामने बीस-इक्कीस साल की बेहद ही खूबसूरत गोरे रंग की लड़की खड़ी थी... उसके बाल खुले हुए थे और उसके हाथ में बाल संवारने का ब्रश था... उसने सफ़ेद कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था जिसमें उसका जिस्म कयामत ढा रहा था। सुनील को अपनी तरफ़ यूँ घूरता देख वो लड़की मार्बल के फर्श पे अपनी हील वाली चप्पल खटखटाती हुई अंदर चली गयी। तभी फ़ारूक ने सुनील से कहा, “सुनील ये मेरी बेटी सानिया है... आओ अंदर चलते हैं...!”

सुनील उसके साथ अंदर चला गया। अंदर जाकर उसने सुनील को ड्राइंग रूम में सोफ़े पर बिठाया और अंदर जाकर आवाज़ दी, “रुखसाना... ओ रुखसाना! कहा चली गयी... जल्दी इधर आ!” और फिर फ़ारूक सुनील के पास जाकर बैठ गया।

रुखसाना जैसे ही रूम मैं पहुँची तो फ़ारूक उसे देख कर बोला, “ये सुनील है... हमारे स्टेशन पर नये क्लर्क हैं... इनको ऊपर वाला कमरा दिखाने लाया था... अगर इनको रूम पसंद आया तो कल से ये ऊपर वाले रूम में रहेंगे... जा कुछ चाय नाश्ते का इंतज़ाम कर!”

सुनील: “अरे नहीं फ़ारूक भाई... इसकी कोई जरूरत नहीं है!”

फ़ारूक: “चलो यार चाय ना सही... एक-एक पेग हो जाये!”

सुनील: “नहीं फ़ारूक भाई... मैं पीता नहीं... मुझे बस रूम दिखा दो!” सुनील ने फ़ारूक से झूठ बोला था कि वो ड्रिंक नहीं करता पर असल में वो भी कभी-कभी ड्रिंक कर लिया करता था।

रुखसाना ने बड़ी खुशमिजाज़ी से सुनील को सलाम कहा तो उसने एक बार रुखसाना की तरफ़ देखा। वो सर झुकाये हुए उनकी बातें सुन रही थी। रुखसाना ने कढ़ाई वाला गहरे नीले रंग का सलवार- कमीज़ पहना हुआ था और बड़ी शालीनता से दुपट्टा अपने सीने पे लिया हुआ था। खुले लहराते लंबे बाल और चेहरे पे सौम्य मेक-अप था और पैरों में ऊँची हील की चप्पल पहनी हुई थी। रुखसाना की आकर्षक शख्सियत से सुनील काफ़ी इंप्रेस हुआ। रुखसाना को भी सुनील शरीफ़ और माकूल लड़का लगा। सुनील भी अच्छी पर्सनैलिटी वाला लड़का था। हट्टा-कट्टा कसरती जिस्म था और उसके चिकने चेहरे पे कम्सिनी और मासूमियत की झलक थी। दिखने में वो बारहवीं क्लास या कॉलेज के स्टूडेंट जैसा लगता था।
 

Rohit Kapoor

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फ़ारूक बोले, “चलो तुम्हें रूम दिखा देता हूँ!” फिर सुनील फ़ारूक के साथ छत पर चला गया। सुनील को घर और ऊपर वाला रूम बेहद पसंद आया। अंदर बेड, दो कुर्सियाँ और स्टडी टेबल मौजूद थी। बाथरूम और टॉयलेट छत के दूसरी तरफ़ थे लेकिन वो भी साफ़-सुथरे थे। रूम देखने के बाद सुनील ने फ़ारूक से पूछा, “बताइये फ़ारूक भाई... कितना किराया लेंगे आप...?” फ़ारूक ने सुनील की तरफ़ देखते हुए कहा, “अरे यार जो भी तुम्हारा बजट हो दे देना!”

रूम का और खाने-पीने का मिला कर साढ़े तीन हज़ार महीने का किराया तय करने के बाद फिर सुनील ने फ़ारूक से रुखसाना और उसके रिश्ते के बारे में पूछा तो फ़ारूक ने बताया कि रुखसाना उसकी बीवी है। सुनील को लगा था कि रुखसाना फ़ारूक की बड़ी बेटी है शायद।

फ़ारूक: “वो दर असल सुनील बात ये है कि, रुखसाना मेरी दूसरी बीवी है। जब मैं चौबीस साल का था तब मेरी पहली शादी हुई थी और पहली बीवी से सानिया हुई थी... शादी के तेरह साल बाद मेरी पहली बीवी की मौत हो गयी... फिर मैंने अपनी बीवी की मौत के बाद अढ़तीस साल की उम्र में रुखसाना से शादी की। रुखसाना की भी पहले शादी हुई थी... लेकिन उसके शौहर की भी मौत हो गयी और बाद में जब रुखसाना तेईस साल की थी तब मेरी और रुखसाना की शादी हुई!”

अब सारा मसला सुनील के सामने था। थोड़ी देर बाद सुनील वापस चला गया। अगले दिन शाम को सुनील फ़ारूक के साथ ऑटो से अपना सामान ले कर आ गया और फिर अपना सामन ऊपर वाले रूम में सेट करने लगा।

फ़ारूक: “अच्छा सुनील... गरमी बहुत है... तुम नहा धो लो... फिर रात के खाने पर मिलते हैं!” उसके बाद नीचे आने के बाद फ़ारूक ने रुखसाना से बोला, “जल्दी से रात का खाना तैयार कर दो... मैं थोड़ी देर बाहर टहल कर आता हूँ!” ये कह कर फ़ारूक बाहर चला गया। रुखसाना जानती थी कि फ़ारूक अब कहीं जाकर दारू पीने बैठ जायेगा और पता नहीं कब नशे में धुत्त वापस आयेगा। इसलिये उसने खाना तैयार करना शुरू कर दिया। आधे घंटे में रुखसाना और सानिया ने मिल कर खाना तैयार कर लिया। अभी वो खाना डॉयनिंग टेबल पे लगा ही रही थी कि लाइट चली गयी। ऊपर से इतनी गरमी थी कि नीचे तो साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था।

रुखसाना ने सोचा कि क्यों ना सुनील को ऊपर ही खाना दे आये। इसलिये उसने खाना थाली में डाला और ऊपर ले गयी। जैसे ही वो ऊपर पहुँची तो लाइट भी आ गयी। सुनील के रूम की तरफ़ बढ़ते हुए उसके ज़हन में अजीब सा डर उमड़ रहा था। रूम का दरवाजा खुला हुआ था। रुखसाना सिर को झुकाये हुए रूम में दाखिल हुई तो उसके सैंडलों की आहट सुन कर सुनील ने पीछे पलट कर उसकी तरफ़ देखा।
 

sunoanuj

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बहुत ही बढ़िया अपडेट मित्र
 
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sunoanuj

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Next update mitr ...
 
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