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Incest मम्मी मेरी जान PART - 2

Lodon Ka Raja

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थोड़ी देर के बाद सानिया सतीश के लंड को पकड कर उसको अपने हाथों से सहलाते हुए बोलि, " बेटा लग रहा है की तुम्हारा औज़ार (डंडा) किसी भी औरत को और खास कर मुझे खुश कर सकता है.
ओर अगर किसी कुंवारी लड़की के चूत मे चला जाये तो उसकी चूत ही फट जाएगी." फिर सानिया सतीश के सामने जमीन पर बैठ गयी और सतीश के लंड से खेलने लगी. धीरे धीरे सानिया ने सतीश के सुपारे को अपनी जीभ से सहलाने लगी सतीश का तो सर घूम रहा था और मूह लाल हो रहा था.
सतीश ने अपनी मम्मी को पकड़ कर उठाया और अपनी गोद पर अपने तरफ मुह करके बैठा लिया.
फिर वह अपनी मम्मी से लिपट गया और उनको चूमने लगा थोड़ी देर तक चूमने के बाद मे हाथ बढा कर सानिया के पीछे ले गया और उनकी ब्रा की हुक खोल दिया.
ब्रा ख़ुलते ही सानिया की बड़ी बडी, गोल गोल और भरी भरी स्तन बाहर सतीश की नज़रों के सामने निकल आई.
ओर..............
मम्मी के स्तन बहुत ही सुन्दर है और उनका साइज करिबन 39 डी है और ऊपर की तरफ तने हुए है.
मम्मी के स्तन के निप्पल हलके गुलाबी रंग और चने के साइज के है.
सतीश ने जैसे उन स्तनो को छुआ उसे वह दोनों बहुत नरम और गरम लगे.
सतीश झुक कर सानिया के स्तन के निप्पल को अपने मुह में लिया और धीरे धीरे चुसने लगा.
जैसे जैसे वह निप्पल को चुस रहा था उनकी साइज बढ्ने लगी और पूरी तरह से तन कर खड़े हो गये.
जैसे किसी पत्थर से बनी मूर्ति की होती है.
सतीश बुरी तरह से अपनी मम्मी के स्तन को चूस रहा था और सानिया कभी कभी दर्द से कराह देती मगर सानिया ने एक बार भी उसको ऐसा करने से नहीं रोका और उसको अपनी मर्ज़ी का करने दिया.
सतीश सानिया के स्तन चुसते हुए सानिया से लिपटे जा रहा था और जब वह बहुत गरम हो गया तो वह बगल में अपनी मम्मी को लेकर लेट गया. सानिया सतीश के ऊपर लेट गयी.
सतीश फिर सानिया को पकड़ कर पलट गया और सानिया के ऊपर चढ़ कर सानिया को चूमने लगा और दोनों हाथों से उनके स्तन मसलने लगा.
थोड़ी देर के बाद सतीश को लगा की शायद बाहर कोई मम्मी के बैडरूम की तरफ आ रहा है.
किसी के कदमो की आहट तेज होती जा रही है.
आचानक कमरे का दरवाज़ा खुला और मोना कमरे दाखिल हो गयी.
ओ सीधे बेड के पास आके खड़ी हो गई और फिर उसने जो देखा वो चोंका देणे वाला था..............
उसकी आँखे और मुह दोनों खुले के खुले रह गये.
उसने सोचा क्या ऐसा भी हो सकता है ........................?
क्या.....
 

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मोना सानिया को बेड पे बिना ब्लाउज के लेटा देख के चोंक जाती है.

ओ यह नहीं समझ पाती की मम्मी ऐसे आधी नंगी हो के क्यों सो रही है.
सानिया मोना को बेड के पास खड़े खुद को घुरता देख डर जाती है. और गहरी नींद में सोने का नाटक करती है.
ओ यह सोच के ज्यादा डर रही होती है के एक तो वो खुद बेड पे बिना ब्लाउज के आधी नंगी लेटी हुई है और बेड के निचे सतीश बिना पाजामे के अगर मोना ने सतीश को बेड के निचे पकड़ लिया तो क्या होगा?
अगर उसे सानिया और सतीश के इस नए रिश्ते के बारे में पता चल गया तो?
कया सोचेगी मोना उनके बारे में ?
कया उनका ये रिश्ता मोना से छुप पायेगा?
क्या वह उनके इस रिश्ते को समझ पायेगी?
कया जवाब डेगी वो मोना को?
यही सोचते हुए सानिया गहरी नींद में सोने का नाटक करती है.
चुप चाप लेटे रहने में ही उसे अपनी भलाई समझ में आती है.
मोना सानिया को गहरी नीद में सोता देख कर उसके जिस्म पे चादर डाल के वहीँ सानिया की बगल में बेड पे लेट जाती है.
बेड के निचे से सतीश जब मोना को बेड पे लेटता हुआ देखता है तो डर जाता है के अब वो बेड के निचे से बाहर कैसे निकलेगा. और अगर वो वहीँ बेड के निचे सो जाता है तो भी उसके पकडे जाने का डर है क्यों की नींद में उसे हाथ पैर चलाने की आदत है.
इस लिए वो मोना के सोने का इंतज़ार करता है.
करीब एक घंटा इंतज़ार करने के बाद सतीश बेड से किसी को निचे उतरते देख के डर जाता है.
कही ये मोना तो नहीं ?
सतीश डर के मारे आँख बंद कर लेता है.
अचानक उसे अपने कंधे पे किसे का हाथ मेहसुस होता है और जैसे ही डर के मारे उसकी चीख़ निकलने को होती है.....
धीरे से उसके कान में आवाज़ आती है सतीश सतीश मैं हूँ चीख़ना मत
सतीश आँख खोल के सानिया को अपने पास पाता है तो राहत की सांस लेता है.
सानिया अभी भी बिना ब्लाउज के ही है सतीश ये देखते ही फिर मस्ती में आ जाता है और.
 

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सतीश को फिर मस्ती में देख सानिया फ़ौरन सतीश का हाथ अपनी स्तन से हटा के कहती है पागल मत बनो मोना ऊपर बेड पे सोइ हुई है.
तूम अभी जल्दी से जाओ.
मोना का नाम सुन के सतीश फ़ौरन सानिया के स्तन को छोड़ देता है और चुपके से बेड के निचे से निकल के अपने रूम में जा कर सो जाता है.
इधर सानिया भी चैन के सांस लेती है और वो भी अब आराम से मोना के बगल में सो जाती है.
सुबह जब मोना की आँख खुलती है तो वो अपनी बगल में मम्मी को सोते हुए पाती है फर्क सिर्फ इतना होता है की कल रात मम्मी आधी नंगी यानी बिना ब्लाउज के सोइ हुई थी और अब उसके बदन पे चादर है पर ब्लाउज तो उसने अभी भी नहीं पहना हुआ है.
मोना मम्मी को बेड पे सोता छोड़ अपने रूम में चलि जाती है और जॉगिंग के लिए कपडे चेंज करती है.
मोना को बचपन से ही सुबह जॉगिंग करने की आदत थी.
पर ये आदत शादी के बाद उसे छोड़नी पड़ी क्यों के दिन भर घर का काम और रात भर पति से मार और बेरहमी से हुई चुदाई के बाद सुबह जोग्गिंग करने की उसकी हिम्मत नहीं होती.
पर अब बात कुछ और है अब वो अपने घर पे है और यहाँ उसके अपने उस से प्यार करने वाले हैं यहाँ वो बड़े आराम से रह के अपने सब अरमान पूरे कर सकती है.
ये सोचते हुए मोना बाथरूम में पेशाब करने जाती है.
पेशाब करने के बाद जब पानी डाल कर अपनी लालपरी (चूत)को धोती है तो मन करता है कुछ देर तक यूँ ही रगडती रहूं.
गोरी चुत का उपरी हिस्सा झांटो से बिलकुल ढक गया था
नहाते वक्त जब कपड़े उतार कर अपने स्तनों और चूत पर साबून लगाती तो बस मज़ा ही अजाता,
हाथ में साबून लेकर चूत में डाल कर थोड़ी देर तक अन्दर बाहर करती और दुसरे हाथ से स्तनों को रगडती.....
आहहहहः... ..
खुद को बाथ रूम में लगे बड़े मिरर में देख कर बस मस्त हो जाती है.
उसे बड़ा मज़ा आता है.
उसका मन करता है की बस अपनी चूत और स्तनों से खेलति रहूं.
सतीश के लंड के बारे में सोचते सोचते उसकी चुत गरम हो कर पानी छोड़ने लगती है और अपनी चुत की गर्मी कम करने के लिए उंगलियो से अपनी लालपरी की ऊपर वाली चोच को मसलती है और निचे वाले छेद में ऊँगली घूसा के अन्दर बाहर करती है.
उसे बडा मजा आने लगता है.
एक साल से सीड ने उसकी चुदाई नहीं की है,
जब से सतीश के ९" इंच के लोहे जैसे लंड की घर्षण कार में उसकी चुत पे हुई है तबसे उसके अंदर लंड के लिए इतना दिवानापन जाग गया है.उसके पती का लंड सिर्फ 5 इंच का था हा पर मोटा सतीश के लंड जितना ही था
अपनी चुत में दो ऊँगली डाल कर धक्के मारते हुए सिसकारी लेने लगती है
 

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और काँपते हुए वो झड जाती है.
फिर नहा के जोग्गिंग सूट पहन के सतीश को उठाने उसके बेड रूम में जाती है.
जैसे ही सतीश के बैडरूम का दरवाज़ा खोल के वो अन्दर सतीश के बेड के पास पहुंचती है.
अचानक ही वो चोंक जाती है.......

 

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मोना की समझ में नहीं आता के ये माजरा क्या है?
रात को उसने सानिया को बेड पे बिना ब्लाउज के आधा नंगा सोते हुए देखा और अब यहाँ सतीश भी अपने बेड पे बिना पाजामा पहने सोया हुआ है.
आखिर दो साल में ऐसा क्या हुआ जो उसकी मम्मी और भाई आधे नंगे हो कर अपने अपने बेड पे सोने लगे हैं.पहले तो ऐसा नही होता था,
मोना ने देखा के सतीश के सर से ले कर लंड तक का हिस्सा चादर से धका हुआ है और सतीश का 9 इंच" का टाइट लंड चादर के अन्दर से टेंट बन कर खडा है.
मोना सतीश के टेंट बने हुए लंड को दूर से निहार रही थी.
सतीश भी उस वक़्त जागा हुआ था उसने मोना को कमरे में आते हुए देख लिया था और चादर के अन्दर एक होल से सब देख रहा था.
वह ये देखना चाहता था के उसे नंगा बेड पर लेटा देख मोना क्या करती है.
उसे मोना ट्रैकसूट में बहुत ही सेक्सी और प्यारी लग रही थी.
मोना का ट्रैकसूट बहुत हे टाइट था, उसके स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बड़े बड़े गुब्बारे हो
मोना ने एक पल के लिए इधर उधर देखा और फिर धीरे से सतीश के पास आ गई और अपना एक हाथ आगे कर के सतीश के लंड के सुपारे को चादर के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में ले लिया और प्यार से सहलाने लगी..
मोना की साँसे भारी भारी हो रही थी...
फिर उसने अपना दूसरा हाथ आगे बड़ा दिया और सतीश के लंड को दोनों हाथो में लेकर सहलाने लगी..
सतीश का लंड पूरी तरह से टाइट हो कर पत्थर जैसे सख्त हो रहा था.
मोना के दोनों हाथो में सतीश के लंड का सूपाड़ा अन्दर बाहर हो रहा था..
अब मोना के मूह से सिसकारी निकली.
म्म्म्मम्...............
पता नहीं वो क्या सोच रही थी.
पर सतीश को भी अब मज़ा आने लगा था
आखीर मोना से रहा नहीं गया और उसने चादर हटा के सतीश के लंड को पकड़ लिया जो के अभी पूरी तरहा से नंगा था
सतीश को मोना के हाथो से मज़ा आ रहा था...
मोना सतीश के बिस्तर के पास
बैठि हुई उसके लंड को प्यार से सहला रही थी.
ओर जैसे ही....
 

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सतीश के बदन में हरकत हुई और मोना ने फ़ौरन सतीश के लंड को छोड़ दिया.
कुछ देर इंतज़ार करने के बाद मोना ने फिर से सतीश के लंड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया.
ओ बड़े ही प्यार से सतीश के लंड से खेल रही थी.
फिर उसने सतीश के लंड के सुपारे को अपने होंठो से लगा लिया और सुपारे को जोर जोर से चूसने लगी और फिर लंड को अपने मुह में भर लिया..
आधा लंड उसके मुह में और आधे लंड को अपने हाथों में भरा हुआ था
अचानक सानिया की आवाज़ आई
“सतीश उठ जा बेटे”.
बेडरूम के बाहर से सानिया की आवाज़ सुनते ही मोना के होश उड़ गये,
वह फ़ौरन उठ के बाथरूम से अपने रूम में भाग गयी.
मैं ये बताना भूल गया था की जिस रूम में मोना अभी रह रही है उस रूम और सतीश के रूम का एक ही अटैच टॉयलेट बाथरूम है जिसका दरवाज़ा दोनों के रूम में खुलता है.
सानिया फिर आवाज़ देती है
“देख सुबह हो गयी है तुझे जॉगिंग के लिए लेट हो जायेगी,उठो ना बेटा”.
सानिया सतीश के रूम में एंटर होती है और सतीश को नंगा लेता हुई देख कर चोंक जाती है,
इस से पहले के सानिया कुछ कहती सतीश उसे इशारे में चुप रहने को कहता है.
ओर फिर धीरे से उसे बताता है के मोना जाग रही है और बाथरूम में है.
तूम चलो मैं अभी आता हु.
मोना का नाम सुनके सानिया फ़ौरन कमरे से बाहर निकल जाती है.
सतीश भी उठ के पाजामा पहनता है और बाथरूम का दरवाज़ा खोलता है तो वहां उसे मोना वाश बेसिन के पास खड़ी दीखती है,
ओ सॉरी बोल के जैसे ही जाने लगता है मोना उस से कहती है
“तुम टॉयलेट यूज़ कर लो मैं बाहर जोग्गिंग के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रही हु,
जलदी से तैयार होकर आओ”.
मोना बाहर आकर सोफ़े पे बैठ जाती है और सोचने लगती है.
आज तो मेरी इस कमीनी चुत ने मुझे मरवा ही दिया था,
ओ तो मेरी किस्मत अच्छी थी
अच्छा हुआ मम्मी ने बाहर से आवाज़ दिया.
वह रूम के अन्दर नहीं आई.
नही तो मैं मम्मी को क्या मुह दीखाती ?
कया जवाब देती की मैं अपने नींद में सोये हुए भाई का लंड क्यों चुस रही हूँ ?
 

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मोना सोफ़े से उठ कर अपने रूम में चलि जाती है और मिरर के सामने खड़ी हो कर अपने होंठो पे लिपस्टिक लगाती है.
लिपस्टिक को होंठो पे फिराते हुए उसे फिर से सतीश के लंड की याद आ जाती है और उसकी चुत में फिर से हलचल होने लगती है.
“छि कितनी बेशरम है तू अपने भाई के लंड के बारे में सोच कर तूने मुझे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया.
अरे कुछ तो शर्म कर वो तेरा भाई है और तू उसके बारे में ऐसी गन्दी सोच रखती है,
देख मैं तुझे समझा देती हूँ अभी भी वक़्त है सुधर जा नहीं तो बहुत मारूंगी मैं तुझे”.
ये कह्के मोना अपनी चुत पे दो तीन थप्पड़ मारती है और उसे डाँटने लगती है.
“बोल कमीनी करेगी फिर ऐसा,
चल सॉरी बोल”.
सतीश बहुत देर से मोना की हरकतों को पीछे से देखता रहता है. और मन ही मन खुश होता रहता है.
मोना को उसका लंड पसंद है.
सतीश को इस बात की ख़ुशी है के आज नहीं तो कल मोना मुझ से ज़रूर चुदवायेगी.
सतीश फिर मोना को आवाज़ देता
है.
मोना जल्दी बाहर निकल जाती है.
सतीश मोना को ऊपर से निचे तक देखता है, मोना ब्लू कलर की टाइट टीशर्ट पहने रह्ती है जिसमे उसके बड़े-बड़े कठोर स्तन को देख कर मस्त हो जाता है और उसका लंड खड़ा होने लगता है,
 

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वह मोना के चेहरे की और देखता है मोना उस समय बहुत ही खूबसूरत नजर आ रही थि, उसकी हाफ बाह की टीशर्ट उसकी कलाई पर एक घडी उसके कंधे तक बाल, उसके
माथे पर एक छोटी सी बिंदी और उसके रसीले होंठो पर हलकी लिपस्टिक उसे बहुत खूबसूरत बना रही थी,
सतीश हसरत भरी निगाहो से उसके रूप सोंदर्य को देख रहा था, उसका दिल कर रहा था की मोना को अपनी गोद मे बैठा कर उसके रसिले
होंठो को खूब कस के चुमे और उसकी कसी हुई मस्तानी छतियो को अपने सीने से लगा कर उसे अपनी बांहो मे भर ले...
मोना उसको ख़यालों की दुनिया से वापस लाती है और कहती है “अब चलें जोग्गिंग करने”?
फिर सतीश बाइक निकालता है.

मोना बाइक पे बैठि अब उसकी स्तन सतीश के पीठ से टकरा रहे थे , क्या बताये कितनी मस्त फीलिंग आ राई सतीश को वह सॉफ्ट सॉफ्ट स्तन माय गॉड इसको वर्ड्स में बताना बहुत मुश्किल है, सतीश धीरे धीरे बाइक चलाने लगा छोटा सा भी गढ्ढ़ा अगर रोड पे आता तो सतीश ब्रेक मार देता उसपे मोना बोलती
“सतीश ये क्या कर रहा है बाइक चलना भूल गया क्या”?
सतीश : “नहीं रे वो क्या है के रोड ख़राब हैं ना तो बाइक चलाने में थोड़ी सी मुश्किल हो रही है,चल एक काम कर मुझे ज़ोर से पकड़ ले वरना कही तू बाइक से निचे ना गिर जाये”.
सतीश तो मोना के स्तन को अपनी पीठ पे दबवा दबवा के उनके मज़े ले रहा था,
ओर सतीश का लंड अब सतीश के पाजामे में खड़ा होकर सलामी दे रहा था,
 

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मोना ने अब उसे कमर से कस पकड़ लिया था और झटके लाग्ने की वजह से बार बार अब मोना का हाथ सतीश के लंड से टकरा रहा था,
जैसे ही मोना की ऊँगली सतीश के लंड से टकरातीं सतीश का लंड उछलने लगता.
मोना को अब ये एहसास हो गया था की सतीश का लंड अब खड़ा है.
मोना : “सतीश तेरी पैंट में यह क्या हलचल मची हुई है, क्या है यह” ?
सतीश : “क्या है कुछ भी तो नहीं है”.
मोना : “नहीं भाई कुछ तो ज़रूर है?
जो बार बार मेरे हाथ से टकरा रहा है”.
सतीश : “कुछ नहीं दीदी वो मेरा मोबाइल है, वाइब्रेटिंग मोड़े पे है, वहि तेरे हाथ से टकरा रहा है, शायद किसी का फ़ोन आया है”.
अचानक बाइक के सामने बिल्ली के आ जाने से सतीश ब्रेक मारता है और मोना गिरने लगती है तो खुद को गिरने से बचाने के लिए वो सतीश को और कस के पकड़ लेती है,
सतीश के मुह से एक आह निकल जाती है.
उसे ये नहीं पता चलता की खुद को गिरने से बचाने के लिए उसने जिस चीज़ को पकड़ा हुआ है वो कुछ और नहीं बल्कि सतीश का लंड है.
मोना : “सतीश क्या करता है, तू बाइक चला रहा है के मज़ाक़ कर रहा है मै अभी गिर जाती, संभाल के चला”.
सतीश : “मममममै क क क्या करू ब्ब्ब्बिली अचानक अअअअअ गयी”.
मोना : “तु हकला क्यों रहा है ? और ये बिल्ली कहाँ से आ गई बीच मे”?
 

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सतीश : “अब मैं क्या जानु कहाँ से आई ये बिल्ली, अच्छा संभल के बैठ और कस के पकड़ गिरना मत अगर तुझे कुछ हो गया तो मेरी तो जान ही निकल जायेगी.
("कस के पकड़ी रह मेरे लंड को छोड़ना मत, झटके की वजह से तेरे हाथ ऊपर निचे हो रहे हैं और मुझे पूरा मज़ा दे रहे है")
मोना : “तुझे दुःख होगा मेरे गिरने से पर क्यों” ?
सतीश : “कहा ना होगा तो होगा बस”.
मोना : “वही तो मैं पूछ रही हूँ क्यों”
सतीश : “क्यों की तुम मेरी बहन हो और मै तुम्हसे प्यार करता हु,
मोना : “अच्छा सिर्फ यह बात है, कितना प्यार करते हो”?
सतीश : “तुम्हे क्या पता तूम मेरे लिए क्या हो, यह तो मैं ही जानता हु”.
मोना : “क्या बात है तुम्हे बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर, कही मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड बनाने का इरादा तो नहीं है तुम्हारा” ?
कह के मुस्कुराने लगती है.
ओर सतीश के गाल चूम लेती है.
सतीश : “तुम ना बहुत बदमाश हो गई हो”.
मोना का हाथ और स्तन का एहसास सतीश को पागल बनाये जा रहा था.
उसको अब इतनी मस्ती चढ़ी हुई है की उसे अब बाइक चलाने मैं परेशानी हो रही है.
उसके हाथ काँप रहे हैं ऐसा मेहसुस हो रहा है की वो अब किसी भी पल झड जायेगा.
पर लगता है अब उसकी किस्मत ने उसका साथ देना बंद कर दिया है.
मोना के हाथ जो उसे मज़ा दे रहे थे अब उसका साथ छोड़ देंगे.
मोना : “चलो शुक्र है पार्क तो आ गया”.
सतीश को बाइक रोकनी पड़ती है और जो मज़ा उसे अभी नसीब हो रहा था वो ख़तम हो जाता है.
फिर दोनों पार्क के अन्दर चले जाते है.
सतीश एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है,
 
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