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Adultery महिला कारावास

park

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kas1709

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Ajju Landwalia

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10:30 दोपहर के खाने की घंटी बजी। सब फिर से अपनी अपनी प्लेट लेकर लाइन में लग गई। किंजल ने देखा सब लोग लाइन में नहीं लग रहे थे कुछ बैठे लाइन की तरफ देख रहे थे। शिफा भी लाइन में नहीं लगी थी। किंजल लाइन की तरफ जाने लगी तो शिफा ने हाथ पकड़ कर रोक लिया। किंजल के हाथ से प्लेट लेकर सोनिया को पकड़ा दी। सोनिया तीनों की प्लेट लेकर लाइन में लग गई।
जेल में ऐसे ही चलता था। खाना परोसने वालों को भी पता था कि एक कैदी ग्रुप के बाकी लोगों की प्लेट ले सकता है। लेकिन वह भी इस चीज का ध्यान रखते थे कि एक कैदी को दो बार खाना ना मिले।

"अब से तू हमारे ग्रुप में है। लेकिन मुफ्त नहीं है कीमत चुकानी पड़ेगी।" शिफा बोली।

किंजल को समझ नही आ रहा था क्या बोले।
वो शावर वाली औरत भी उनके पास आके बैठ गई। वो अभी तक सो रही थी बैरक में। सोनिया 4 प्लेट लेके आई इतने में। सबको 1 1 देदी।
"देख ग्रुप का मतलब है सबको एक दूसरे के काम बांट कर करने होंगे। जैसे मान ले अभी ये खाना लेने लाइन में लगी इतने में हमे इसका भी कोई काम करना होगा। ऐसा ही होता है ग्रुप का सिस्टम।" शिफा समझाते हुए बोली।

"मुझे क्या करना होगा?" किंजल ने पूछा।
"तुझे क्या करना आता है?" इंदू ने पूछा। (शावर वाली)
"मैने तो कभी कोई काम नही किया।" किंजल बोली

"तो बेटा बिना काम के तो गुजारा नहीं चलने वाला तेरा।"
सोनिया बोली।

सबने अपना खाना खतम किया।

"हम अपने काम पे जा रहे हैं।"
तीनों उठ के जाने लगे। किंजल वही बैठी उनको देख रही थी। फिर किंजल भी उठ कर टहलने लगी। ग्राउंड में सन्नाटा था। बस कुछ ही कैदी थे जो न्यायिक हिरासत में थे और जेल की वर्दी में नही थे । बहुत सी कैदी बैरकों में सो रही थी और ज्यादातर किसी न किसी काम में लगी थी।
पापड़ बेलना, सेवई बनाना, अस्पताल के कपड़े सिलना, mask सिलना। ये सब अलग अलग छोटे छोटे हाल में होता था। किंजल टहलते टहलते वीआईपी एरिया की तरफ चली गई। वहां बहुत शांति और साफ-सफाई थी। एक बैरक में कुछ बात चीत करने की आवाजे आ रही थी। किंजल धीरे धीरे उसी तरफ बढ़ रही थी। जब वो बैरक के सामने से गुजरी तो निकलते निकलते उसने देख अंदर कुछ औरते कैदी के कपड़ों में थी। एक बेड था, एक सोफा था। वो सबके चेहरे नही देख पाई। पर सब अंदाजन 40 - 45 साल की थी। किंजल को अंदर शिफा भी दिखाई दी जो हाथ बांधे साइड में खड़ी थी मानो वेटर की तरह खड़ी हो। बीच में सेंटर टेबल पर खाने पीने की चीज और जूस रखा था। अंदाजन 4 5 औरतें थी। और सब हंसी मजाक कर रही थी। इतने में किंजल आगे बढ़ गई। लेकिन शिफा की नजर किंजल पर गई।

आगे किंजल वर्किंग एरिया के पास जाने लगी। सामने एक जगह बच्चे खेल रहे थे। कैदियों को 6 साल तक के बच्चे साथ रखने की छूट थी। उसके बाद उन बच्चों को रिश्तेदार को या अनाथाश्रम भेज दिया जाता था।

जब किंजल लॉन्ड्री के सामने आई तो एक औरत ने रास्ता रोका। "चल तुझे मौसी ने बुलाया है।"
किंजल वही खड़ी भौचक्की उसे देखने लगी। उसे सोनिया ने बताया था मौसी के बारे में। डबल मर्डर की उम्र कैद काट रही थी।
"सुना नही क्या? चल मेरे पीछे आ।" वो औरत तल्खी से बोली।
किंजल उसके पीछे पीछे लॉन्ड्री में जाने लगी। अंदर औरते स्टाफ के कपड़े धो रही थी। एक तरफ चादरों को प्रेस की जा रही थी। और कंबल धोए जा रहे थे। उसमें देखा एक तार पर कई ब्रा पैंटी सूखने रखी थी। किंजल ने एक नजर में पहचान लिया की ये कोई सस्ती ब्रा पैंटी नही थी। अच्छी ब्रांडेड थी। किंजल हैरान सी तेज धड़कन से उस औरत के पीछे पीछे जा रही थी।

कपड़ों के रैक के पीछे एक औरत लोहे की कुर्सी पर गद्दी रख के बैठी थी। 50 52 साल की हट्टी कट्टी औरत थी। एक कैदी पीछे खड़ी उसके सिर में तेल लगा रही थी। पास में एक नल लगा था जिसके पास एक औरत नंगी पड़ी थी। उसके पास तीन कैदी खड़ी थी। दो के हाथ में कपड़े धोने वाली थापी और एक के हाथ में belt थी। औरत अढमरी हालत में पड़ी थी। पूरे शरीर पर बेल्ट और थपि की मार के लाल निशान थे। दर्द से कराह रही थी। किंजल देख ही रही थी, कि इतने में जिस औरत के पीछे वो आई उसने धक्का देकर किंजल को मौसी के पास किया।

मौसी ने घूर के किंजल को देखा। "सुना है तू भी डबल मर्डर में आई है।" किंजल की टांगे कांप रही थी। मुंह से कुछ नही निकल रहा था। उस नंगी औरत को देख उसे अपनी लॉकअप की मार याद आ गई। मौसी आंखे बंद कर मालिश का मजा लेते हुए बोली। "लोगों को लगता है कोर्ट ने जेल भेज दिया और कहानी खतम। पर कहानी तो जेल में आने के बाद शुरू होती है। सजा भी जेल में तय होती है। इसने अपने पति के साथ एक बड़े आदमी के बच्चे को किडनैप किया था। अब उस बड़े आदमी ने इसको सजा देने को कीमत दी है।"

इतने में एक औरत ने उस नंगी औरत पे बाल्टी से ठंडा पानी डाला। और वो चिल्ला उठी और दर्द से कराहने लगी। बेल्ट वाली औरत ने उसके पेट में लात मारी। चीख उठी वो। किंजल की सांस रुकने को थी। "2 लाख। 4 दिन में कर ले। कितनी भूखी आंखे तुझपे लगी है तुझे पता भी नही है। मेरी वजह से अब तक किसी ने छुआ नहीं तुझे। आ इधर बैठ।" मौसी ने पास रखे स्टूल की तरफ इशारा किया। किंजल कांपते हुए बैठ गई वहा।

!!चटक!!। बेल्ट इस नंगी औरत की पीठ पे टकराई। उसने जैसे ही दर्द से पीठ को सीधा किया एक थापी चूतड़ों पे पड़ी। एक ने उसे बालों से पकड़ा और घसीटते हुए कपड़ों के ढेर पे पेट के बल लेटा दिया। उसके पैर पीछे लटक रहे थे और छटपटा रही थी। रंग से काली उस औरत की गांड पीछे की तरफ निकल गई। चूतड मार खा खा कर लाल हो चुके थे। सख्त औरत थी। मेहनत मजदूरी करने वाली। कोई और होती तो मर जाती अब तक। काली गांड के नीचे chut के होंठ खुले हुए थे। बालों से भरी फांकों के बीच लाल रंग झलक रहा था। बिना बालो वाली जांघो और चूतड़ों के बीच choot कुछ यू लग रही थी जैसे शाम के काले बादलों में लाल सूरज छिपने की तैयारी कर रहा हो।

मौसी ने अपने ब्लाउज में हाथ डाल कर एक मोबाइल निकाला और मालिश कर रही औरत को दिया। उसने किसी को वीडियो कॉल किया। तभी वो कैदी जिसने उस नंगी के बाल पकड़ रखे थे उसके बाल पकड़े पकड़े उसकी पीठ पे बैठ गई। और पीछे से दोनो ने लकड़ी की थापि से उसके दोनो चूतड़ों पर बौछार कर दी। वो काली औरत चिल्ला रही थी। मौसी ने हाथ उठाया।

मौसी खड़ी हुई और उसके पास गई। उसके चूतड़ों को प्यार से सहलाने लगी। दूसरी तरफ वीडियो कॉल चल रहा था। मौसी ने उस थापी वाली कैदी को इशारा किया। सब पसीने से भीगे हुए थे। कैदी ने ठापी के हैंडल पे साबुन गीला करके लगाया। किंजल ये देख पसीने पसीने हो गई। वो समझ गई क्या होने वाला है। कैदी ने उस औरत की choot पे हैंडल रखा और जोर लगा कर अन्दर धकेलना चालू किया। वो चिल्लाती हुई टांगे और हाथ इधर उधर मारने लगी। पर ऊपर वजन होने की वजह से उसकी एक नही चल रही थी। देखते देखते 10 इंच का हैंडल पूरा उसकी choot में चला गया। उस औरत ने हैंडल अंदर बाहर करना शुरू किया।

"आआआआआआआ!!!! भगवान के लिए छोड़ दो। छोड़ दो।" लेकिन उन तीनो को उसकी चीखों से कोई फर्क नही पड़ा। मौसी फिर किंजल के पास आके बैठ गई। किंजल के सिर पे हाथ रख के सहलाना शुरू किया। किंजल ने दूसरी तरफ मुंह किया तो मौसी ने बाल पकड़ के किंजल का मुंह वही कर दिया। हैंडल अंदर बाहर हो रहा था। अंदर से साबुन का झाग और पानी निकल रहा था। चीखें भी काम हो गई। 10 मिनट ऐसे चलता रहा इतने में नंगी की टांगे अकड़ने लगी। उसका काम हो गया था। झड़ रही थी वो। वो हैंडल की स्पीड नही रुकी। बल्कि अब हैंडल आराम से अंदर बाहर हो रहा था। 7 8 बार ऐसे ही झड़ने के बाद choot में से खून की एक लाइन निकलने लगी। "बस करो। और नही सह जा रहा" चिल्लाई वो।
कैदी ने हैंडल निकाल लिया। बेचारी को कुछ सुकून का सांस आया। लेकिन उसके ऊपर बैठी कैदी अभी भी नही हीली। दूसरी ने हैंडल को देखा। उसके choot का पानी और खून दोनो लगे थे। वो पास आई। उसके चूतड़ों को सहलाने लगी। उसने उसकी गांड पे थूका। अचानक आने वाले उस मंजर के एहसास से उसकी रूह कांप गई। "नही नही, वहा नही। मैं मर जाऊंगी। भगवान के लिए मत करो। इतना मार लिया काफी नही है क्या। हाय। कोई बचाओ।"
उस काली औरत ने डर के मारे जोर से गांड को भींच लिया। वो कैदी मुस्कुराई।उसने हैंडल उसकी गांड के छेद पे टिका दिया। और दूसरीने जोर से थपी उसके चूतड पे मारी।
नंगी में दोनो हाथ जोड़ दिए। हाय छोड़ दो।भगवान के लिए।
जैसे ही थापीं पड़ी गांड हल्की सी ढीली पड़ी और हैंडल हल्का सा छेद में चला गया। वो बहुत जोर से चिल्लाई। पर अंदर कपड़े धोने का इतना शोर था की उसकी आवाज बाहर ही नहीं आई।
उसकी चिल्लाहट के बीच धीरे धीरे पूरा हैंडल उसकी गांड में चला गया। और गांड की चुदायी चालू हो गई। बहुत टांगे और हाथ मारे पर कुछ नही हुआ। दर्द सेहन के बाहर था। गांड से खून निकल रहा था। वो बेहोश हो गई। मौसी ने हाथ उठा कर रोक दिया। और उधर कॉल भी काट दिया।
किनजल की हालत खराब थी। डर के मारे पसीना पसीना हो गई थी। उसे लगा था जेल आके वो पुलिस को मार से बच गई। पर यह तो पुलिस से भी बड़े हैवान थे।
मौसी ने उसका हाथ पकड़ा और बाहर ले जाने लगी अपने साथ। लॉन्ड्री के बाहर उसे शिफा आती हुई दिखाई दी। मौसी ने उसे इशारे से बुलाया।
"ध्यान रख इसका, नई है। तू तो पहले से है। इसको भी नियम कानून समझा यह के।"
"जी मौसी" शिफा बोली और
किंजल को अपने साथ आने का इशारा किया।

Behad khaufnaak update he............Jail ke andar kya kya hota he...........darawana he behad
 
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rockstar987

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Bhut badiya story start ki h aapne keep it up 👏👏
 
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dhparikh

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