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Adultery महिला कारावास

Ajju Landwalia

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शाम को डॉक्टर ने किंजल को कुछ दवाइयां दे दी। और केसे लेनी है समझा दिया। किंजल को चलने में तकलीफ हों रही थी। कमर और पसलियों में दर्द था। पर वो धीरे धीरे चलते हुए डिस्पेंसरी से बाहर आने लगी। सामने से सोनिया उसकी तरफ आ रही थी। सोनिया ने आकर उसे सहारा दिया और उसे अपने साथ ले जाने लगी।
दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम वहा खाने की थाली लेकर बैठी थी। किंजल भी उनके पास बैठ गई। उसकी कमर में बैठते ही दर्द की लहर उठी।
काफी कैदी पलट कर उसकी तरफ देख रही थी। पर अब किसी की हिम्मत नही थी कि उसकी तरफ कोई गलत इरादा रखता। अब उसके सर पे मौसी का हाथ था।
किंजल उनके साथ खाना खाने लगी। किंजल को रात का दृश्य याद आने लगा और रोने लगी। उसे पछतावा हो रहा था कि उसने ये जिंदगी कैसे चुन ली। खाना खतम करके शिफा और सोनिया किंजल को सहारे से अपने बैरक में ले गई। पहले वो टॉयलेट गई। यहां सफाई थी। बदबू भी नही थी। किंजल को कुछ राहत की सांस आई। फिर वो एक बिस्तर पर लेट गई। शिफा और सोनिया भी लेट गई। दवाओं की वजह से किंजल नींद के आगोश में जाने लगी।
अचानक रात को किंजल की नींद खुली प्यास से। उसने उठ कर देखा बैरक में उसके अलावा सिर्फ सोनिया थी जो सो रही थी। कुसुम और शिफा दोनो गायब थी। सोनिया की चादर खिसकी हुई थी। किंजल ने देखा वो ऊपर से जेल की कुर्ती में थी और नीचे से नंगी थी। बड़े बड़े सांवले चूतड। चूतड और जांघों पर कुछ जले के निशान। जैसे सिगरेट से जलाया हो। किंजल फिर सो गई। उसकी कमर में अभी भी दर्द था।

सुबह उसे सोनिया ने हिला कर उठाया। किंजल आंखे मलती हुई उठी। कुसुम और शिफा दोनो अपने बिस्तर ने गहरी नींद सो रही थी। किंजल उठ कर टॉयलेट गई और दोनो गुसलखाने की तरफ चल दी। इस बार किंजल को कपड़े उतारने में शर्म नही आई। उसे अब इसकी आदत बनानी थी। गुसलखाने में 2 औरते कपड़े धो रही थी। किंजल और सोनिया के अलावा वही औरत नहा रही थी जो पिछले कल किंजल के होते कपड़े लेने आई थी। उसकी पीठ किंजल की तरफ थी। किंजल नहाते हुए इसे गौर से देख रही थी। दूध जैसी गोरी, कमर में दोनो तरफ हल्का सा मोटापा, लटके हुए स्तन और गुलाबी निप्पल। लेकिन जांघें बिलकुल कसी हुई। मोटी गांड। चूतड़ों तक लम्बे काले बाल। आंखों के नीचे शरीर पर कोई बाल नहीं। किसी अमीर घर की औरत। उधर सोनिया किंजल के नंगे जवान जिस्म को घूर रही थी। वो औरत शावर से बाहर आई और तोलिए से अपने नंगे जिस्म को पोंछने लगी। किंजल ने देखा उसका तौलिया भी महंगा और साफ सुथरा था। उसने तौलिया उस कपड़े धोने वाली औरत के मुंह फेंक मारा। "इसे भी धो दे।"
"जी मैडम" धोने वाली ने कहा। और अपने काम में लगी रही।
" और शावर की स्लैब पे कुछ निशान हैं। कल अच्छे से साफ करना।"
"हांजी"
और वो अपनी ब्रा पैंटी पहनने लगी। पेटकोट और ब्लाउज पहन कर उसने अपनी साड़ी को सलीके से लपेटा। जेल के कपड़ो में भी कैदी नही लगती थी वो।
और किंजल और सोनिया के नंगे बदन को देखती हुई बाहर निकल गई। किंजल ने इशारे से सोनिया से पूछा कौन है ये।
" इंद्रा पटेल। एक कॉपरेटिव बैंक की डायरेक्टर थी। बहुत बड़ा करोड़ो का झोल हुआ था। उसी में अंदर है।" सोनिया बोली।
दोनो ने फटाफट खुद को पोंछा और किंजल ने वही पुराने कपड़े पहन लिए।
"अरे ये क्यों पहने? तेरे नए भी तो रखा दिए थे वहा। वो क्यों नी लेके आई?" सोनिया देखते ही बोली।
"मुझे पता ही नही था। कोई न बैरक में जाके पहन लूंगी।" किंजल ने जवाब दिया।

किंजल को नहा के दर्द में कुछ फर्क था। दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम दोनो वही थे। उन्होंने थाली ले रखी थी। चारों ने खाना खाया। किसी ने कुछ खास बात नही की। किंजल रात के बारे में पूछना चाहती थी पर बोली नही। शिफा और कुसुम वापिस अपने बैरक में चले गए। दोनो बहुत थकी थकी सी लग रही थी। किंजल और सोनिया टहलने लगे। किंजल ने सोनिया से पूछ ही लिया। "रात को वो दोनो कहा थी।?"
" अपने अपने काम पे" सोनिया ने जवाब दिया।
"मेरे समझ नही आया। ये औरतों की जेल है। फिर क्या काम?" किंजल ने पूछा।
"अरे जेल उनके लिए होती है जिनके पास कुछ नही होता। जिसके पास पैसा है उनके लिए रिजॉर्ट है। उन्हें यहां भी सब फैसिलिटी मिलती है।" सोनिया ने समझाया।
"पर फिर भी काम क्या था?" किंजल ने फिर पूछा।
" देख शिफा चलाती थी पार्लर। वो इन वीआईपी वालो को वो सब सर्विस देती है। साथ में अपने स्टाफ को मैनेज करती है।" सोनिया ने बताया।
"स्टाफ??" किंजल ने हैरानी से पूछा।
"तेरी शिफा आंटी जितनी जमीन से ऊपर है उस से ज्यादा जमीन से नीचे फैली हुई है। कई कैदी उसके अंडर काम करती है। और साथ वाले बैरकों में रहती है।" सोनिया ने बताया।
"अंडर काम करती है मतलब?"
"मतलब अब तू भी उसके अंडर है। Vip केदियो को पार्लर की सारी सर्विस देती है। नशा, सेक्स, खाना, मौज सब देती है वो। इस जेल ने बगल में मर्दों की जेल है। वहा भी वीआईपी सर्विस पहुंचाना होता है।"
सोनिया जैसे जैसे बोल रही थी किंजल के पैर कांपने लगे। उसने सोचा भी नही था कि ये सब होता होगा।
"मुझसे नही होगा ये।" किंजल के मूंह से बरबस ही निकल गया।
"क्या! तुझसे नही होगा।" सोनिया हसने लगी।
"अरे बेटा शिफा ने मौसी से तेरी डील मुफ्त में नही की। उसको पैसा कमा के देना पड़ेगा। और इसके अलावा तेरे पास कोई रास्ता नही है। और काम जो भी हो, जेल में अपने आप करवा लिया जाता है। वो डिस्पेंसरी में दूसरी औरत तो तूने देख ही ली।" सोनिया ने प्यार से समझाया। " बाकी तू टेंशन मत ले। इतना भी कोई तुझे ज्यादा बड़ा काम नही करवाएंगे।"
किंजल चुप रही। समझ नही पा रही थी अब क्या करे।
सोनिया ने आगे बोलना शुरू किया।
"कुसुम रात को दूसरी जेल गई थी। कोई बड़ी कंपनी का सीईओ है वहा अंदर। उसको सर्विस चाहिए थी। अब देख सर्विस के बदले बढ़िया खाना, एसी में सोना, साफ सुथरे बैरक में रहना। काम से बचे रहना। कितने फायदे है। अब ज्यादा शोर मत मचा। जमीन से ऊपर रहना है तो आराम से सिस्टम के साथ चल। नही तो दूसरे बेरैको में क्या क्या होता है तूने देख ही लिया।"
Bahut hi badhiya update hai niks1987 Bhai....
Jail logo ko sudharne ke liya banaya gaya tha..............lekin system ise ayyashi ka adda bana diya

Keep posting Bhai
 

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किंजल उन दोनों औरतों के पास नीचे बैठ गई शिफा और सोनिया भी उसके साथ ही अपने कपड़े लेकर बैठ गई। जैसे-जैसे वह सब कपड़े धो रही थी किंजल ने भी उनको देखकर कपड़े धोना शुरू किया। पांचों के बदन पर लिपटी हुई चादर पानी से गीली हो गई थी और उनके अंदर का सारा सामान सामने दिख रहा था। घुटने मोड़कर बैठने की वजह से पांचों को एक दूसरे की च** सामने दिखाई दे रही थी। किंजल ने देखा शिफा की मोटी मोटी जांघों के बीच में च** की मोटी मोटी फांके दिख रही थी। जैसे किसी बड़े से रस भरे सेब को काटकर रखा हो। सोनिया का रंग सावला था और च** काली। बाकी दोनों औरतों की च** बालों से भरी थी और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। किंजल अपनी टांगों को जोड़कर अपनी च** को छुपाने का बेबस सा प्रयास कर रही थी। पर फिर उससे कपड़े धोते नहीं बन रहा था। शिफा ने उसे देखा और मुस्कुराई।"तेरे पास कुछ नया नहीं है जो तेरे पास है वह हमारे पास भी है आराम से बैठ और अपने कपड़े धो।"किंजल ने शर्म से लाल होते हुए अपने घुटने फैला लिए और कपड़े धोने लगी। शिफा को उसकी बालों से भरी हुई छोटी कमसिन च** दिखाई दे रही थी। सोनिया भी उसकी टांगों के बीच ही घूर रही थी। बालों के बीच भी साफ दिखाई देता था कि उसकी च** चोदी तो हुई है लेकिन कुछ खास नहीं।

कपड़े निपटा कर तीनों उठी और वापस अपने शरीर पर पानी डाला और पहुंचकर साफ कपड़े पहन लिए। लेकिन किंजल के कपड़े गीले थे उसने समझ नहीं आ रहा था अब वह क्या करें। शिफा ने उसे वहीं दीवार के ऊपर कपड़े डालने को बोला।
"धूप तेज है आधे घंटे में सूख जाएंगे थोड़ी देर इंतजार कर ले।"
किंजल ने वैसे ही किया।
"हम दोनों बाहर जा रहे हैं थोड़ी देर में रात के खाने का टाइम हो जाएगा हम लाइन में लगकर तेरा खाना लेते हैं तू अपने कपड़े पहन के आ जाना।" शिफा बोली।

शिफा और सोनिया दोनों यह कहकर बाहर निकल गई।
सोनिया वही अंदर एक जगह बैठ गई। धीरे-धीरे दिन ढलने को आया। तभी गुसलखाने में एक औरत अंदर आई। बिल्कुल दूध जैसी गोरी बाल सलीके से बंधे हुए। जेल की साड़ी सलीके से पहनी हुई। उसने चादर में लिपटी हुई सोनिया को ध्यान से घूरा। और उन दोनों औरतों को देखते हुए बोली, "मेरे कपड़े धुल गए या नहीं?" एक कैदी खड़ी हुई और उसके हाथ में कुछ कपड़े रख दिए। फिर वह किंजल की तरफ घूमी। "तू इस गुसल खाने में क्या कर रही है? तुझे पता नहीं क्या यह वीआईपी एरिया है।"
"वो वो ....." किंजल हकला रही थी।
"शिफा दीदी के साथ आई थी यहा।" इतने में वो कपड़े धोने वाली औरत बोली।
उस औरत ने एक बार फिर पंचल को ऊपर से नीचे देखा। उसके भीगे हुई चादर में अंदर का सारा सामान देखा और बाहर निकल गई।

किंजल भी उठी उसने अपने कपड़ों को देखा काफी हद तक सूख चुके थे उसने अपनी वही चादर हटाई और कपड़े पहन लिए। और बाहर निकल गई। रात के खाने की घंटी 6:30 बज चुकी थी। किंजल खाने के एरिया की तरफ बढ़ी। सामने लाइन में से सोनिया चार थाली लेकर आई। किंजल उसी तरफ बढ़ गई। सोनिया ने किंजल को उसकी थाली पकड़ा दी। दूसरी थाली शिफा और उसी गोरी औरत को पकड़ा दी जिसे उसने सुबह बाथरूम में देखा था। "यह कुसुम है सुबह से तुझे दो बार मिली सोचा तेरी पहचान करवा दूं।" सोनिया बोली।
किंजल ने उसकी तरफ देखा और चुपचाप अपना खाना खाने लगी। किंजल बार बार कनखियों से कुसुम को देख रही थी। सबने अपना अपना खाना खतम किया और इधर उधर घूमने लगे। किंजल ने अपने बर्तन धोए और टहलने लगी। कमसिन लड़की होने की वजह से बहुत सी नजरें उसे ही घूर रही थी। उसकी निगाह एक हवलदार पर गई। जो उसे देखते हुए पेंट के ऊपर से अपना लन्ड मसल रहा था। किंजल ने उसे इग्नोर किया और आगे बढ़ गई। ऐसे लोग उसने जेल के बाहर भी बहुत देखे थे।

8 बजे घंटी बज गई। और सब अपनी अपनी बैरक में जाने लगे। किंजल भी अपनी बैरक की तरफ बढ़ गई।
अंदर जाने के बाद सब कैदियों की गिनती हुई। सब बैरक बंद कर दिए गए। किंजल अंदर शौचालय गई। किसी तरह बदबू में उसने पेशाब किया। बाहर आके अपने बिस्तर पर बैठ गई। किसी को एक दूसरे से मतलब नहीं था। बस कुछ छोटे 2 3 कैदियों के ग्रुप बने हुए थे जो आपस में बातचीत कर रहें थे।

किंजल अपना सर दीवार पे लगा कर बैठ गई। सुबह से जाग रही किंजल बैठे बैठे नींद के आगोश में जाने लगी। बदबू बहुत थी। पर आज नींद बहुत तेज थी।

"मम्मी में प्यार करती हूं उस से।" किंजल ने रुआंसी होते हुए कहा। "देख अभी पढ़ ले। ये प्यार व्यार में कुछ नही रखा। ये कोई उम्र नहीं है प्यार के चक्कर में पड़ने वाली।" मां ने समझाते हुए कहा।
"तू कल भी कॉलेज नही गई। कहा थी??" मां ने सख़्त लहजे में पूछा।
"दोस्तों के साथ मूवी देखने गई थी।" किंजल ने झूठ बोलते हुए कहा।
दोस्तों के साथ या उसी लड़के के साथ। एक बात समझ ले वो लड़का ठीक नही है। नही समझ आता तो मैं तेरा कॉलेज बंद कर दूंगी। मैं और तेरा पप्पा तेरे लिए एक से एक बड़े घर का लड़का देख के रखे हैं और तू है कि कचरे में मुंह मार रही है।"
"मम्मी प्लीज। कोई बुरा नही है वो। अच्छा ही है। पढ़ाई खत्म होते ही सेटल हो जाएगा।"किंजल ने सफाई दी।
"जब तक सख्ती नही करेंगे न तू नही मानेगी।" मम्मी ने गुस्से में कहा।

अचानक झटके से किंजल की आंख खुली। उसे कुछ नही दिख रहा था। बस सफेद रंग था आंखों के सामने। किसी ने उसके सर पे चादर से लपेट दिया था। किंजल घिसत रही थी। नीचे से सलवार उतार गई थी घिसतने की वजह से। इस से पहले वो कुछ समझ पाती उसके शरीर पे लातों और पैरों से मारा जाने लगा। किंजल चीख उठी।
"साली मादरचोड अपने ही बाप मां को मार आई और घूम रही है।"
"बहन को लोड़ी और कोई नही मिला था मर्डर करने को"

एक साथ पेट, कमर, टांगों, चूतड़ों पर लाते बरस रही थी। कीजल चीख रही थी। हाथ इधर उधर मार रही थी। सांस लेते नही बन रहा था। तभी एक पैर choot पर पड़ा। किंजल की आंखों के आगे अंधेरा आ गया। तभी उसे बैरक खुलने की आवाज आई। अचानक सब शांत हो गया। उसे वही फेंक दिया जमीन पे। जैसे किसी ने कुछ किया ही न हो।

"ए क्या लफड़ा हो रहा है इधर?" दो महिला सिपाही अंदर आए। किंजल चादर से निकलने की कोशिश कर रही थी। सिपाही देखते ही समझ गए कि यहां क्या हुआ है। दोनो ने उसकी चादर हटाई और उसे सहारा देकर खड़ा किया। किंजल सिपाही के कंधे पर ही लटक गई। उसकी टांगों में जान नही थी।
"किसने किया ये?" सिपाही ने चिल्ला के पूछा। और पास बैठी एक लेडी को लात मारी।
"मुझे क्या मालूम? मैं तो यही बैठी थी साइड में" कैदी बिफर कर बोली।
"करती हूं तुम लोगों का इलाज सुबह"

दोनो ने किंजल को सहारे से उठाया और बराक के बाहर ले आए। और वापिस बैरक बंद कर दिया।
मस्त अपडेट है मजा आ गया
 

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"जिग्नेश! बस, अब और नहीं। कॉलेज का टाइम होने वाला है। मुझे घर जाना है। नहीं तो मम्मी को फिर शक हो जाएगा और फिर से परेशानी हो जाएगी।" किंजल जिग्नेश को दूर करते हुए बोली।

"बस 5 मिनट।" जिग्नेश उसे वापस खींचता हुआ बोला।
"कोई 5 मिनट नहीं। दो बार हो चुका है मेरे अंदर और जान नहीं है।" किंजल फिर कसमसाई। पर अंदर से उसका और मन कर रहा था। उसे अब तक वह शांति नहीं मिली थी जो इस नई नई जवानी में मिलनी चाहिए। वह घर पर कोई क्लेश नहीं चाहती थी इसलिए उसमें फटाफट उठना ही सही समझा। दोनों एक सस्ते ओयो रूम में आए थे। किंजल और उसकी सहेली ने आज कॉलेज बंक किया था। वह दूसरे कमरे में अपने बॉयफ्रेंड के साथ थी।
किंजल उठकर कपड़े पहनने लगी।
"सुन तुझसे कुछ कहना था।" जिग्नेश वैसे ही नंगा लेटा लेटा बोला।
"हां बोल।"
"अगले महीने मेरे एक दोस्त की शादी है। मैंने रेमंड के शोरूम के बाहर एक बहुत बढ़िया सूट देखा था। पर था बहुत महंगा। मेरी इतनी कैपेसिटी नहीं है। तू कुछ हेल्प कर देगी?।" जिग्नेश बोला।
"जानू यह भी कोई पूछने की बात है। तु बस एक बार बोल मैं तो हमेशा तेरे साथ हूं।" किंजल मैं जिग्नेश की तरफ प्यार से देख कर बोला।
"अभी 6 महीने पहले ही तुमने मुझे फोन गिफ्ट किया था, तुम मुझे ऐसे पूछना अच्छा नहीं लग रहा था।" जिग्नेश धीरे से बोला।
"क्यों तू मुझे अपना नहीं समझता क्या?"
"अच्छा ठीक है मैं बहस नहीं करता तुझे जैसे ठीक लगे मुझे बता देना।"जिग्नेश अंदर ही अंदर खुश होते हुए बेड से उठा और कपड़े पहनने लगा।
किंजल ने अपनी सहेली को मैसेज डाला कि वह निकल रही है। उसने रिप्लाई किया कि वह भी बाहर आ रही है। चारों एक साथ होटल से बाहर निकले। किंजल और निधि किंजल की एक्टिवा पर बैठकर घर के लिए निकल गए।

"और फिर कितने रन मारे" निधि ने पीछे बैठे पूछा।
"अच्छा जी! अपने रन गिन। मुझे तो प्यार करता है रन की कोई चिंता नहीं करती।" किंजल की तरह से हुए बोली।
निधि ने मस्ती से उसकी कमर में चिकोटी काटी।

"आह!!!" अचानक कमर के नीचे हुए तेज दर्द से किंजल की आंख खुली। उसने अपनेआपको डिस्पेंसरी के वार्ड में पाया। उसने चारों और देखा। वार्ड में 6 बेड लगे थे। उसके अलावा सिर्फ एक मरीज और थी। दर्द और नींद की वजह से किंजल को साफ दिखाई नहीं दे रहा था। उसके पूरे शरीर में दर्द हो रहा था। हाथ में ग्लूकोस की ड्रिप लगी थी। उसने सोचा भी नहीं था जेल में उसके साथ यह सलूक होने वाला है। उसने पास रखे गिलास से पानी उठाकर पिया और फिर से नींद के आगोश में चली गई।
सुबह एक औरत ने हिला कर किंजल को जगाया। किंजल के शरीर में अभी भी उठते वक्त दर्द हो रहा था। उसने देखा वह औरत कैदी ही थी लेकिन शायद वार्ड नर्स का काम कर रही थी। करीब 35 40 साल की साफ-सुथरी औरत थी। उसने किंजल को खाने की थाली दी और साथ में दवाई दी। किंजल ने खाना खाना शुरू किया उसने देखा उसके सामने बैठी औरत को भी नर्स ने खाना दे दिया था। यह वही काली औरत थी जिसकी लॉन्ड्री में ठुकाई हुई थी। बिचारी ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी बाजू पर चोटों के निशान पड़े हुए थे। किंजल को उसे देख कर बहुत दया आ रही थी। पर तभी उसे याद आया कि यह तो बच्चे किडनैप करने वाली है। तभी डॉक्टर भी अंदर आई। गोरी चिट्टी 33 साल की महिला थी। सूट पहना हुआ था ऊपर से डॉक्टर का कोट। उसने किंजल को चेक किया और कहा, "बचाव हो गया कोई अंदरूनी चोट नहीं लगी। थोड़ी देर में तुझे डिस्चार्ज कर दूंगी अपनी दवाई लेती रहना।" किंजल को सुनकर सुकून मिला।
डॉक्टर दोनों को चेक करके चली गई।
वह काली औरत किंजल की तरफ ही देख रही थी। किंजल ने उसकी ओर देखा और पूछा "आपका क्या नाम है?"
"सरिता"
"वह मौसी ने आपके साथ ऐसा क्यों किया?" किंजल ने पूछा।
"तुझे क्या लेना अपने काम से काम रखना।" सरिता ने तीखा सा जवाब दिया।

इतने में शिफा और सोनिया अंदर आई। दोनों किनजल के पास आकर खड़ी हो गई। "तुझे बोला था ना दूर रहना सबसे। समझ नहीं आई थी क्या?" सोनिया ने पूछा
"मैंने कुछ नहीं किया उन सब ने ही अचानक से पकड़ कर मुझे मारना शुरू कर दिया। यह जरूर उस मौसी ने करवाया होगा।" किंजल रोवासी होती हुई बोली।
"अगर मौसी ने करना होता ना तो वह सामने देख उसकी क्या हालत की है। ऐसे भी तुझे टाइम दिया है। ये बाकी लोगों को वैसे ही खुजली होती है।" सोनिया ने जवाब दिया।

"आंटी में आपके साथ काम करूंगी। बस मुझे उस बैरक में नही जाना और मौसी से बचा लो।" कीजल को फिर घबराहट होने लगी।
"टेंशन मत ले मैं देखती हूं कुछ।" शिफा ने उसका हाथ पकड़ के बोला। शिफा और सोनिया उठ के बाहर जाने लगी। बाहर आके सोनिया बोली।" ये अच्छा माल कमा के देगी।"

"आपको मौसी ने कोई ऑफर नहीं दिया था क्या?" किंजल ने फिर सरिता को पूछा।
"नहीं जिस बच्चे को मैंने और मेरे पति ने किडनैप किया था उसके बाप ने मौसी को शायद ज्यादा माल खिलाया है इसीलिए उसने मेरी यह हालत की।" सरिता बोली। "बहुत बड़ी गलती हो गई। यहां तो मेरा जीना नर्क हो गया है। तेरे बारे में भी सुना मैंने। तुझे क्या पड़ी थी अपने मां-बाप को मारने की?" किंजल ने शर्म से सर दूसरी तरफ कर लिया और कोई जवाब नही दिया।
"तुमने बताया नही किसी को कि किसने किया तुम्हारे साथ ये सब।" किंजल ने पूछा।
"अभी जिंदा हूं, बताऊंगी तो जान भी नहीं बचेगी।"

किंजल चुपचाप इधर उधर देखने लगी।

उधर शिफा वार्डन के ऑफिस में।

"मैडम वह डबल मर्डर वाली किंजल को मेरे बैरक में शिफ्ट कर दो। वो मेरे साथ काम करने को राजी है।" शिफा ने बोला।
"तूने कैसे मनाया उस बड़े घर की औलाद को?" वार्डन ने आराम से कुर्सी पे पीछे पीठ सीधी करते हुए पूछा।
"डर अच्छे अच्छों का दिमाग खोल देता है, यह तो फिर कल की छोकरी है" शिफा ने मुस्कुराते हुए कहा।

"ठीक है मैं आर्डर भेज दूंगी। पर माल टाइम पर आ जाना चाहिए।" वार्डन ने बोला।
"वह मेरी जिम्मेदारी"शिफा ने निकलते हुए बोला।


उधर किंजल को दोपहर का खाना आ गया। नर्स ने सरिता से पूछा। "अब हालत कैसी है।"
"हगते मूटते बहुत दर्द होता है।" सरिता ने लाचारी से जवाब दिया।
"कोई न। क्रीम लगाती रह और दावा लेती रह। आगे से इन लोगों से दूर ही रह।" नर्स ने समझाया।
सरिता बेचारी क्या बताती। वो तो दूर ही थी। वो खुद उसे घसीट ले गए।

तभी शिफा आई। "तेरा काम कर दिया है आज तू हमारे बैरक में सोएगी। मौसी से भी मैंने बात कर ली है। जल्दी से ठीक हो कर काम पर लग जा ताकी मौसी को पहली किस्त भेज दू।"

"थैंक यू। पर मुझे काम क्या करना होगा?" किंजल ने पूछा।
"बता दूंगी
पहले ठीक हो कर बाहर आ जा आराम कर ले।" शिफा निकल गई।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत अपडेट है मजा आ गया
 

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शाम को डॉक्टर ने किंजल को कुछ दवाइयां दे दी। और केसे लेनी है समझा दिया। किंजल को चलने में तकलीफ हों रही थी। कमर और पसलियों में दर्द था। पर वो धीरे धीरे चलते हुए डिस्पेंसरी से बाहर आने लगी। सामने से सोनिया उसकी तरफ आ रही थी। सोनिया ने आकर उसे सहारा दिया और उसे अपने साथ ले जाने लगी।
दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम वहा खाने की थाली लेकर बैठी थी। किंजल भी उनके पास बैठ गई। उसकी कमर में बैठते ही दर्द की लहर उठी।
काफी कैदी पलट कर उसकी तरफ देख रही थी। पर अब किसी की हिम्मत नही थी कि उसकी तरफ कोई गलत इरादा रखता। अब उसके सर पे मौसी का हाथ था।
किंजल उनके साथ खाना खाने लगी। किंजल को रात का दृश्य याद आने लगा और रोने लगी। उसे पछतावा हो रहा था कि उसने ये जिंदगी कैसे चुन ली। खाना खतम करके शिफा और सोनिया किंजल को सहारे से अपने बैरक में ले गई। पहले वो टॉयलेट गई। यहां सफाई थी। बदबू भी नही थी। किंजल को कुछ राहत की सांस आई। फिर वो एक बिस्तर पर लेट गई। शिफा और सोनिया भी लेट गई। दवाओं की वजह से किंजल नींद के आगोश में जाने लगी।
अचानक रात को किंजल की नींद खुली प्यास से। उसने उठ कर देखा बैरक में उसके अलावा सिर्फ सोनिया थी जो सो रही थी। कुसुम और शिफा दोनो गायब थी। सोनिया की चादर खिसकी हुई थी। किंजल ने देखा वो ऊपर से जेल की कुर्ती में थी और नीचे से नंगी थी। बड़े बड़े सांवले चूतड। चूतड और जांघों पर कुछ जले के निशान। जैसे सिगरेट से जलाया हो। किंजल फिर सो गई। उसकी कमर में अभी भी दर्द था।

सुबह उसे सोनिया ने हिला कर उठाया। किंजल आंखे मलती हुई उठी। कुसुम और शिफा दोनो अपने बिस्तर ने गहरी नींद सो रही थी। किंजल उठ कर टॉयलेट गई और दोनो गुसलखाने की तरफ चल दी। इस बार किंजल को कपड़े उतारने में शर्म नही आई। उसे अब इसकी आदत बनानी थी। गुसलखाने में 2 औरते कपड़े धो रही थी। किंजल और सोनिया के अलावा वही औरत नहा रही थी जो पिछले कल किंजल के होते कपड़े लेने आई थी। उसकी पीठ किंजल की तरफ थी। किंजल नहाते हुए इसे गौर से देख रही थी। दूध जैसी गोरी, कमर में दोनो तरफ हल्का सा मोटापा, लटके हुए स्तन और गुलाबी निप्पल। लेकिन जांघें बिलकुल कसी हुई। मोटी गांड। चूतड़ों तक लम्बे काले बाल। आंखों के नीचे शरीर पर कोई बाल नहीं। किसी अमीर घर की औरत। उधर सोनिया किंजल के नंगे जवान जिस्म को घूर रही थी। वो औरत शावर से बाहर आई और तोलिए से अपने नंगे जिस्म को पोंछने लगी। किंजल ने देखा उसका तौलिया भी महंगा और साफ सुथरा था। उसने तौलिया उस कपड़े धोने वाली औरत के मुंह फेंक मारा। "इसे भी धो दे।"
"जी मैडम" धोने वाली ने कहा। और अपने काम में लगी रही।
" और शावर की स्लैब पे कुछ निशान हैं। कल अच्छे से साफ करना।"
"हांजी"
और वो अपनी ब्रा पैंटी पहनने लगी। पेटकोट और ब्लाउज पहन कर उसने अपनी साड़ी को सलीके से लपेटा। जेल के कपड़ो में भी कैदी नही लगती थी वो।
और किंजल और सोनिया के नंगे बदन को देखती हुई बाहर निकल गई। किंजल ने इशारे से सोनिया से पूछा कौन है ये।
" इंद्रा पटेल। एक कॉपरेटिव बैंक की डायरेक्टर थी। बहुत बड़ा करोड़ो का झोल हुआ था। उसी में अंदर है।" सोनिया बोली।
दोनो ने फटाफट खुद को पोंछा और किंजल ने वही पुराने कपड़े पहन लिए।
"अरे ये क्यों पहने? तेरे नए भी तो रखा दिए थे वहा। वो क्यों नी लेके आई?" सोनिया देखते ही बोली।
"मुझे पता ही नही था। कोई न बैरक में जाके पहन लूंगी।" किंजल ने जवाब दिया।

किंजल को नहा के दर्द में कुछ फर्क था। दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम दोनो वही थे। उन्होंने थाली ले रखी थी। चारों ने खाना खाया। किसी ने कुछ खास बात नही की। किंजल रात के बारे में पूछना चाहती थी पर बोली नही। शिफा और कुसुम वापिस अपने बैरक में चले गए। दोनो बहुत थकी थकी सी लग रही थी। किंजल और सोनिया टहलने लगे। किंजल ने सोनिया से पूछ ही लिया। "रात को वो दोनो कहा थी।?"
" अपने अपने काम पे" सोनिया ने जवाब दिया।
"मेरे समझ नही आया। ये औरतों की जेल है। फिर क्या काम?" किंजल ने पूछा।
"अरे जेल उनके लिए होती है जिनके पास कुछ नही होता। जिसके पास पैसा है उनके लिए रिजॉर्ट है। उन्हें यहां भी सब फैसिलिटी मिलती है।" सोनिया ने समझाया।
"पर फिर भी काम क्या था?" किंजल ने फिर पूछा।
" देख शिफा चलाती थी पार्लर। वो इन वीआईपी वालो को वो सब सर्विस देती है। साथ में अपने स्टाफ को मैनेज करती है।" सोनिया ने बताया।
"स्टाफ??" किंजल ने हैरानी से पूछा।
"तेरी शिफा आंटी जितनी जमीन से ऊपर है उस से ज्यादा जमीन से नीचे फैली हुई है। कई कैदी उसके अंडर काम करती है। और साथ वाले बैरकों में रहती है।" सोनिया ने बताया।
"अंडर काम करती है मतलब?"
"मतलब अब तू भी उसके अंडर है। Vip केदियो को पार्लर की सारी सर्विस देती है। नशा, सेक्स, खाना, मौज सब देती है वो। इस जेल ने बगल में मर्दों की जेल है। वहा भी वीआईपी सर्विस पहुंचाना होता है।"
सोनिया जैसे जैसे बोल रही थी किंजल के पैर कांपने लगे। उसने सोचा भी नही था कि ये सब होता होगा।
"मुझसे नही होगा ये।" किंजल के मूंह से बरबस ही निकल गया।
"क्या! तुझसे नही होगा।" सोनिया हसने लगी।
"अरे बेटा शिफा ने मौसी से तेरी डील मुफ्त में नही की। उसको पैसा कमा के देना पड़ेगा। और इसके अलावा तेरे पास कोई रास्ता नही है। और काम जो भी हो, जेल में अपने आप करवा लिया जाता है। वो डिस्पेंसरी में दूसरी औरत तो तूने देख ही ली।" सोनिया ने प्यार से समझाया। " बाकी तू टेंशन मत ले। इतना भी कोई तुझे ज्यादा बड़ा काम नही करवाएंगे।"
किंजल चुप रही। समझ नही पा रही थी अब क्या करे।
सोनिया ने आगे बोलना शुरू किया।
"कुसुम रात को दूसरी जेल गई थी। कोई बड़ी कंपनी का सीईओ है वहा अंदर। उसको सर्विस चाहिए थी। अब देख सर्विस के बदले बढ़िया खाना, एसी में सोना, साफ सुथरे बैरक में रहना। काम से बचे रहना। कितने फायदे है। अब ज्यादा शोर मत मचा। जमीन से ऊपर रहना है तो आराम से सिस्टम के साथ चल। नही तो दूसरे बेरैको में क्या क्या होता है तूने देख ही लिया।"
बहुत ही सुंदर और शानदार अपडेट है मजा आ गया
जेल के अंदर VIP सर्विस आगे मजा आयेगा
 

king cobra

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mitalirani

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Nice story but short update
 
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