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Adultery महिला कारावास

parkas

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शाम को डॉक्टर ने किंजल को कुछ दवाइयां दे दी। और केसे लेनी है समझा दिया। किंजल को चलने में तकलीफ हों रही थी। कमर और पसलियों में दर्द था। पर वो धीरे धीरे चलते हुए डिस्पेंसरी से बाहर आने लगी। सामने से सोनिया उसकी तरफ आ रही थी। सोनिया ने आकर उसे सहारा दिया और उसे अपने साथ ले जाने लगी।
दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम वहा खाने की थाली लेकर बैठी थी। किंजल भी उनके पास बैठ गई। उसकी कमर में बैठते ही दर्द की लहर उठी।
काफी कैदी पलट कर उसकी तरफ देख रही थी। पर अब किसी की हिम्मत नही थी कि उसकी तरफ कोई गलत इरादा रखता। अब उसके सर पे मौसी का हाथ था।
किंजल उनके साथ खाना खाने लगी। किंजल को रात का दृश्य याद आने लगा और रोने लगी। उसे पछतावा हो रहा था कि उसने ये जिंदगी कैसे चुन ली। खाना खतम करके शिफा और सोनिया किंजल को सहारे से अपने बैरक में ले गई। पहले वो टॉयलेट गई। यहां सफाई थी। बदबू भी नही थी। किंजल को कुछ राहत की सांस आई। फिर वो एक बिस्तर पर लेट गई। शिफा और सोनिया भी लेट गई। दवाओं की वजह से किंजल नींद के आगोश में जाने लगी।
अचानक रात को किंजल की नींद खुली प्यास से। उसने उठ कर देखा बैरक में उसके अलावा सिर्फ सोनिया थी जो सो रही थी। कुसुम और शिफा दोनो गायब थी। सोनिया की चादर खिसकी हुई थी। किंजल ने देखा वो ऊपर से जेल की कुर्ती में थी और नीचे से नंगी थी। बड़े बड़े सांवले चूतड। चूतड और जांघों पर कुछ जले के निशान। जैसे सिगरेट से जलाया हो। किंजल फिर सो गई। उसकी कमर में अभी भी दर्द था।

सुबह उसे सोनिया ने हिला कर उठाया। किंजल आंखे मलती हुई उठी। कुसुम और शिफा दोनो अपने बिस्तर ने गहरी नींद सो रही थी। किंजल उठ कर टॉयलेट गई और दोनो गुसलखाने की तरफ चल दी। इस बार किंजल को कपड़े उतारने में शर्म नही आई। उसे अब इसकी आदत बनानी थी। गुसलखाने में 2 औरते कपड़े धो रही थी। किंजल और सोनिया के अलावा वही औरत नहा रही थी जो पिछले कल किंजल के होते कपड़े लेने आई थी। उसकी पीठ किंजल की तरफ थी। किंजल नहाते हुए इसे गौर से देख रही थी। दूध जैसी गोरी, कमर में दोनो तरफ हल्का सा मोटापा, लटके हुए स्तन और गुलाबी निप्पल। लेकिन जांघें बिलकुल कसी हुई। मोटी गांड। चूतड़ों तक लम्बे काले बाल। आंखों के नीचे शरीर पर कोई बाल नहीं। किसी अमीर घर की औरत। उधर सोनिया किंजल के नंगे जवान जिस्म को घूर रही थी। वो औरत शावर से बाहर आई और तोलिए से अपने नंगे जिस्म को पोंछने लगी। किंजल ने देखा उसका तौलिया भी महंगा और साफ सुथरा था। उसने तौलिया उस कपड़े धोने वाली औरत के मुंह फेंक मारा। "इसे भी धो दे।"
"जी मैडम" धोने वाली ने कहा। और अपने काम में लगी रही।
" और शावर की स्लैब पे कुछ निशान हैं। कल अच्छे से साफ करना।"
"हांजी"
और वो अपनी ब्रा पैंटी पहनने लगी। पेटकोट और ब्लाउज पहन कर उसने अपनी साड़ी को सलीके से लपेटा। जेल के कपड़ो में भी कैदी नही लगती थी वो।
और किंजल और सोनिया के नंगे बदन को देखती हुई बाहर निकल गई। किंजल ने इशारे से सोनिया से पूछा कौन है ये।
" इंद्रा पटेल। एक कॉपरेटिव बैंक की डायरेक्टर थी। बहुत बड़ा करोड़ो का झोल हुआ था। उसी में अंदर है।" सोनिया बोली।
दोनो ने फटाफट खुद को पोंछा और किंजल ने वही पुराने कपड़े पहन लिए।
"अरे ये क्यों पहने? तेरे नए भी तो रखा दिए थे वहा। वो क्यों नी लेके आई?" सोनिया देखते ही बोली।
"मुझे पता ही नही था। कोई न बैरक में जाके पहन लूंगी।" किंजल ने जवाब दिया।

किंजल को नहा के दर्द में कुछ फर्क था। दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम दोनो वही थे। उन्होंने थाली ले रखी थी। चारों ने खाना खाया। किसी ने कुछ खास बात नही की। किंजल रात के बारे में पूछना चाहती थी पर बोली नही। शिफा और कुसुम वापिस अपने बैरक में चले गए। दोनो बहुत थकी थकी सी लग रही थी। किंजल और सोनिया टहलने लगे। किंजल ने सोनिया से पूछ ही लिया। "रात को वो दोनो कहा थी।?"
" अपने अपने काम पे" सोनिया ने जवाब दिया।
"मेरे समझ नही आया। ये औरतों की जेल है। फिर क्या काम?" किंजल ने पूछा।
"अरे जेल उनके लिए होती है जिनके पास कुछ नही होता। जिसके पास पैसा है उनके लिए रिजॉर्ट है। उन्हें यहां भी सब फैसिलिटी मिलती है।" सोनिया ने समझाया।
"पर फिर भी काम क्या था?" किंजल ने फिर पूछा।
" देख शिफा चलाती थी पार्लर। वो इन वीआईपी वालो को वो सब सर्विस देती है। साथ में अपने स्टाफ को मैनेज करती है।" सोनिया ने बताया।
"स्टाफ??" किंजल ने हैरानी से पूछा।
"तेरी शिफा आंटी जितनी जमीन से ऊपर है उस से ज्यादा जमीन से नीचे फैली हुई है। कई कैदी उसके अंडर काम करती है। और साथ वाले बैरकों में रहती है।" सोनिया ने बताया।
"अंडर काम करती है मतलब?"
"मतलब अब तू भी उसके अंडर है। Vip केदियो को पार्लर की सारी सर्विस देती है। नशा, सेक्स, खाना, मौज सब देती है वो। इस जेल ने बगल में मर्दों की जेल है। वहा भी वीआईपी सर्विस पहुंचाना होता है।"
सोनिया जैसे जैसे बोल रही थी किंजल के पैर कांपने लगे। उसने सोचा भी नही था कि ये सब होता होगा।
"मुझसे नही होगा ये।" किंजल के मूंह से बरबस ही निकल गया।
"क्या! तुझसे नही होगा।" सोनिया हसने लगी।
"अरे बेटा शिफा ने मौसी से तेरी डील मुफ्त में नही की। उसको पैसा कमा के देना पड़ेगा। और इसके अलावा तेरे पास कोई रास्ता नही है। और काम जो भी हो, जेल में अपने आप करवा लिया जाता है। वो डिस्पेंसरी में दूसरी औरत तो तूने देख ही ली।" सोनिया ने प्यार से समझाया। " बाकी तू टेंशन मत ले। इतना भी कोई तुझे ज्यादा बड़ा काम नही करवाएंगे।"
किंजल चुप रही। समझ नही पा रही थी अब क्या करे।
सोनिया ने आगे बोलना शुरू किया।
"कुसुम रात को दूसरी जेल गई थी। कोई बड़ी कंपनी का सीईओ है वहा अंदर। उसको सर्विस चाहिए थी। अब देख सर्विस के बदले बढ़िया खाना, एसी में सोना, साफ सुथरे बैरक में रहना। काम से बचे रहना। कितने फायदे है। अब ज्यादा शोर मत मचा। जमीन से ऊपर रहना है तो आराम से सिस्टम के साथ चल। नही तो दूसरे बेरैको में क्या क्या होता है तूने देख ही लिया।"
Bahut hi badhiya update diya hai niks1987 bhai....
Nice and beautiful update.....
 

king cobra

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Raja maurya

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शाम को डॉक्टर ने किंजल को कुछ दवाइयां दे दी। और केसे लेनी है समझा दिया। किंजल को चलने में तकलीफ हों रही थी। कमर और पसलियों में दर्द था। पर वो धीरे धीरे चलते हुए डिस्पेंसरी से बाहर आने लगी। सामने से सोनिया उसकी तरफ आ रही थी। सोनिया ने आकर उसे सहारा दिया और उसे अपने साथ ले जाने लगी।
दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम वहा खाने की थाली लेकर बैठी थी। किंजल भी उनके पास बैठ गई। उसकी कमर में बैठते ही दर्द की लहर उठी।
काफी कैदी पलट कर उसकी तरफ देख रही थी। पर अब किसी की हिम्मत नही थी कि उसकी तरफ कोई गलत इरादा रखता। अब उसके सर पे मौसी का हाथ था।
किंजल उनके साथ खाना खाने लगी। किंजल को रात का दृश्य याद आने लगा और रोने लगी। उसे पछतावा हो रहा था कि उसने ये जिंदगी कैसे चुन ली। खाना खतम करके शिफा और सोनिया किंजल को सहारे से अपने बैरक में ले गई। पहले वो टॉयलेट गई। यहां सफाई थी। बदबू भी नही थी। किंजल को कुछ राहत की सांस आई। फिर वो एक बिस्तर पर लेट गई। शिफा और सोनिया भी लेट गई। दवाओं की वजह से किंजल नींद के आगोश में जाने लगी।
अचानक रात को किंजल की नींद खुली प्यास से। उसने उठ कर देखा बैरक में उसके अलावा सिर्फ सोनिया थी जो सो रही थी। कुसुम और शिफा दोनो गायब थी। सोनिया की चादर खिसकी हुई थी। किंजल ने देखा वो ऊपर से जेल की कुर्ती में थी और नीचे से नंगी थी। बड़े बड़े सांवले चूतड। चूतड और जांघों पर कुछ जले के निशान। जैसे सिगरेट से जलाया हो। किंजल फिर सो गई। उसकी कमर में अभी भी दर्द था।

सुबह उसे सोनिया ने हिला कर उठाया। किंजल आंखे मलती हुई उठी। कुसुम और शिफा दोनो अपने बिस्तर ने गहरी नींद सो रही थी। किंजल उठ कर टॉयलेट गई और दोनो गुसलखाने की तरफ चल दी। इस बार किंजल को कपड़े उतारने में शर्म नही आई। उसे अब इसकी आदत बनानी थी। गुसलखाने में 2 औरते कपड़े धो रही थी। किंजल और सोनिया के अलावा वही औरत नहा रही थी जो पिछले कल किंजल के होते कपड़े लेने आई थी। उसकी पीठ किंजल की तरफ थी। किंजल नहाते हुए इसे गौर से देख रही थी। दूध जैसी गोरी, कमर में दोनो तरफ हल्का सा मोटापा, लटके हुए स्तन और गुलाबी निप्पल। लेकिन जांघें बिलकुल कसी हुई। मोटी गांड। चूतड़ों तक लम्बे काले बाल। आंखों के नीचे शरीर पर कोई बाल नहीं। किसी अमीर घर की औरत। उधर सोनिया किंजल के नंगे जवान जिस्म को घूर रही थी। वो औरत शावर से बाहर आई और तोलिए से अपने नंगे जिस्म को पोंछने लगी। किंजल ने देखा उसका तौलिया भी महंगा और साफ सुथरा था। उसने तौलिया उस कपड़े धोने वाली औरत के मुंह फेंक मारा। "इसे भी धो दे।"
"जी मैडम" धोने वाली ने कहा। और अपने काम में लगी रही।
" और शावर की स्लैब पे कुछ निशान हैं। कल अच्छे से साफ करना।"
"हांजी"
और वो अपनी ब्रा पैंटी पहनने लगी। पेटकोट और ब्लाउज पहन कर उसने अपनी साड़ी को सलीके से लपेटा। जेल के कपड़ो में भी कैदी नही लगती थी वो।
और किंजल और सोनिया के नंगे बदन को देखती हुई बाहर निकल गई। किंजल ने इशारे से सोनिया से पूछा कौन है ये।
" इंद्रा पटेल। एक कॉपरेटिव बैंक की डायरेक्टर थी। बहुत बड़ा करोड़ो का झोल हुआ था। उसी में अंदर है।" सोनिया बोली।
दोनो ने फटाफट खुद को पोंछा और किंजल ने वही पुराने कपड़े पहन लिए।
"अरे ये क्यों पहने? तेरे नए भी तो रखा दिए थे वहा। वो क्यों नी लेके आई?" सोनिया देखते ही बोली।
"मुझे पता ही नही था। कोई न बैरक में जाके पहन लूंगी।" किंजल ने जवाब दिया।

किंजल को नहा के दर्द में कुछ फर्क था। दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम दोनो वही थे। उन्होंने थाली ले रखी थी। चारों ने खाना खाया। किसी ने कुछ खास बात नही की। किंजल रात के बारे में पूछना चाहती थी पर बोली नही। शिफा और कुसुम वापिस अपने बैरक में चले गए। दोनो बहुत थकी थकी सी लग रही थी। किंजल और सोनिया टहलने लगे। किंजल ने सोनिया से पूछ ही लिया। "रात को वो दोनो कहा थी।?"
" अपने अपने काम पे" सोनिया ने जवाब दिया।
"मेरे समझ नही आया। ये औरतों की जेल है। फिर क्या काम?" किंजल ने पूछा।
"अरे जेल उनके लिए होती है जिनके पास कुछ नही होता। जिसके पास पैसा है उनके लिए रिजॉर्ट है। उन्हें यहां भी सब फैसिलिटी मिलती है।" सोनिया ने समझाया।
"पर फिर भी काम क्या था?" किंजल ने फिर पूछा।
" देख शिफा चलाती थी पार्लर। वो इन वीआईपी वालो को वो सब सर्विस देती है। साथ में अपने स्टाफ को मैनेज करती है।" सोनिया ने बताया।
"स्टाफ??" किंजल ने हैरानी से पूछा।
"तेरी शिफा आंटी जितनी जमीन से ऊपर है उस से ज्यादा जमीन से नीचे फैली हुई है। कई कैदी उसके अंडर काम करती है। और साथ वाले बैरकों में रहती है।" सोनिया ने बताया।
"अंडर काम करती है मतलब?"
"मतलब अब तू भी उसके अंडर है। Vip केदियो को पार्लर की सारी सर्विस देती है। नशा, सेक्स, खाना, मौज सब देती है वो। इस जेल ने बगल में मर्दों की जेल है। वहा भी वीआईपी सर्विस पहुंचाना होता है।"
सोनिया जैसे जैसे बोल रही थी किंजल के पैर कांपने लगे। उसने सोचा भी नही था कि ये सब होता होगा।
"मुझसे नही होगा ये।" किंजल के मूंह से बरबस ही निकल गया।
"क्या! तुझसे नही होगा।" सोनिया हसने लगी।
"अरे बेटा शिफा ने मौसी से तेरी डील मुफ्त में नही की। उसको पैसा कमा के देना पड़ेगा। और इसके अलावा तेरे पास कोई रास्ता नही है। और काम जो भी हो, जेल में अपने आप करवा लिया जाता है। वो डिस्पेंसरी में दूसरी औरत तो तूने देख ही ली।" सोनिया ने प्यार से समझाया। " बाकी तू टेंशन मत ले। इतना भी कोई तुझे ज्यादा बड़ा काम नही करवाएंगे।"
किंजल चुप रही। समझ नही पा रही थी अब क्या करे।
सोनिया ने आगे बोलना शुरू किया।
"कुसुम रात को दूसरी जेल गई थी। कोई बड़ी कंपनी का सीईओ है वहा अंदर। उसको सर्विस चाहिए थी। अब देख सर्विस के बदले बढ़िया खाना, एसी में सोना, साफ सुथरे बैरक में रहना। काम से बचे रहना। कितने फायदे है। अब ज्यादा शोर मत मचा। जमीन से ऊपर रहना है तो आराम से सिस्टम के साथ चल। नही तो दूसरे बेरैको में क्या क्या होता है तूने देख ही लिया।"
Behtreen update Bhai
 

malikarman

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शाम को डॉक्टर ने किंजल को कुछ दवाइयां दे दी। और केसे लेनी है समझा दिया। किंजल को चलने में तकलीफ हों रही थी। कमर और पसलियों में दर्द था। पर वो धीरे धीरे चलते हुए डिस्पेंसरी से बाहर आने लगी। सामने से सोनिया उसकी तरफ आ रही थी। सोनिया ने आकर उसे सहारा दिया और उसे अपने साथ ले जाने लगी।
दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम वहा खाने की थाली लेकर बैठी थी। किंजल भी उनके पास बैठ गई। उसकी कमर में बैठते ही दर्द की लहर उठी।
काफी कैदी पलट कर उसकी तरफ देख रही थी। पर अब किसी की हिम्मत नही थी कि उसकी तरफ कोई गलत इरादा रखता। अब उसके सर पे मौसी का हाथ था।
किंजल उनके साथ खाना खाने लगी। किंजल को रात का दृश्य याद आने लगा और रोने लगी। उसे पछतावा हो रहा था कि उसने ये जिंदगी कैसे चुन ली। खाना खतम करके शिफा और सोनिया किंजल को सहारे से अपने बैरक में ले गई। पहले वो टॉयलेट गई। यहां सफाई थी। बदबू भी नही थी। किंजल को कुछ राहत की सांस आई। फिर वो एक बिस्तर पर लेट गई। शिफा और सोनिया भी लेट गई। दवाओं की वजह से किंजल नींद के आगोश में जाने लगी।
अचानक रात को किंजल की नींद खुली प्यास से। उसने उठ कर देखा बैरक में उसके अलावा सिर्फ सोनिया थी जो सो रही थी। कुसुम और शिफा दोनो गायब थी। सोनिया की चादर खिसकी हुई थी। किंजल ने देखा वो ऊपर से जेल की कुर्ती में थी और नीचे से नंगी थी। बड़े बड़े सांवले चूतड। चूतड और जांघों पर कुछ जले के निशान। जैसे सिगरेट से जलाया हो। किंजल फिर सो गई। उसकी कमर में अभी भी दर्द था।

सुबह उसे सोनिया ने हिला कर उठाया। किंजल आंखे मलती हुई उठी। कुसुम और शिफा दोनो अपने बिस्तर ने गहरी नींद सो रही थी। किंजल उठ कर टॉयलेट गई और दोनो गुसलखाने की तरफ चल दी। इस बार किंजल को कपड़े उतारने में शर्म नही आई। उसे अब इसकी आदत बनानी थी। गुसलखाने में 2 औरते कपड़े धो रही थी। किंजल और सोनिया के अलावा वही औरत नहा रही थी जो पिछले कल किंजल के होते कपड़े लेने आई थी। उसकी पीठ किंजल की तरफ थी। किंजल नहाते हुए इसे गौर से देख रही थी। दूध जैसी गोरी, कमर में दोनो तरफ हल्का सा मोटापा, लटके हुए स्तन और गुलाबी निप्पल। लेकिन जांघें बिलकुल कसी हुई। मोटी गांड। चूतड़ों तक लम्बे काले बाल। आंखों के नीचे शरीर पर कोई बाल नहीं। किसी अमीर घर की औरत। उधर सोनिया किंजल के नंगे जवान जिस्म को घूर रही थी। वो औरत शावर से बाहर आई और तोलिए से अपने नंगे जिस्म को पोंछने लगी। किंजल ने देखा उसका तौलिया भी महंगा और साफ सुथरा था। उसने तौलिया उस कपड़े धोने वाली औरत के मुंह फेंक मारा। "इसे भी धो दे।"
"जी मैडम" धोने वाली ने कहा। और अपने काम में लगी रही।
" और शावर की स्लैब पे कुछ निशान हैं। कल अच्छे से साफ करना।"
"हांजी"
और वो अपनी ब्रा पैंटी पहनने लगी। पेटकोट और ब्लाउज पहन कर उसने अपनी साड़ी को सलीके से लपेटा। जेल के कपड़ो में भी कैदी नही लगती थी वो।
और किंजल और सोनिया के नंगे बदन को देखती हुई बाहर निकल गई। किंजल ने इशारे से सोनिया से पूछा कौन है ये।
" इंद्रा पटेल। एक कॉपरेटिव बैंक की डायरेक्टर थी। बहुत बड़ा करोड़ो का झोल हुआ था। उसी में अंदर है।" सोनिया बोली।
दोनो ने फटाफट खुद को पोंछा और किंजल ने वही पुराने कपड़े पहन लिए।
"अरे ये क्यों पहने? तेरे नए भी तो रखा दिए थे वहा। वो क्यों नी लेके आई?" सोनिया देखते ही बोली।
"मुझे पता ही नही था। कोई न बैरक में जाके पहन लूंगी।" किंजल ने जवाब दिया।

किंजल को नहा के दर्द में कुछ फर्क था। दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम दोनो वही थे। उन्होंने थाली ले रखी थी। चारों ने खाना खाया। किसी ने कुछ खास बात नही की। किंजल रात के बारे में पूछना चाहती थी पर बोली नही। शिफा और कुसुम वापिस अपने बैरक में चले गए। दोनो बहुत थकी थकी सी लग रही थी। किंजल और सोनिया टहलने लगे। किंजल ने सोनिया से पूछ ही लिया। "रात को वो दोनो कहा थी।?"
" अपने अपने काम पे" सोनिया ने जवाब दिया।
"मेरे समझ नही आया। ये औरतों की जेल है। फिर क्या काम?" किंजल ने पूछा।
"अरे जेल उनके लिए होती है जिनके पास कुछ नही होता। जिसके पास पैसा है उनके लिए रिजॉर्ट है। उन्हें यहां भी सब फैसिलिटी मिलती है।" सोनिया ने समझाया।
"पर फिर भी काम क्या था?" किंजल ने फिर पूछा।
" देख शिफा चलाती थी पार्लर। वो इन वीआईपी वालो को वो सब सर्विस देती है। साथ में अपने स्टाफ को मैनेज करती है।" सोनिया ने बताया।
"स्टाफ??" किंजल ने हैरानी से पूछा।
"तेरी शिफा आंटी जितनी जमीन से ऊपर है उस से ज्यादा जमीन से नीचे फैली हुई है। कई कैदी उसके अंडर काम करती है। और साथ वाले बैरकों में रहती है।" सोनिया ने बताया।
"अंडर काम करती है मतलब?"
"मतलब अब तू भी उसके अंडर है। Vip केदियो को पार्लर की सारी सर्विस देती है। नशा, सेक्स, खाना, मौज सब देती है वो। इस जेल ने बगल में मर्दों की जेल है। वहा भी वीआईपी सर्विस पहुंचाना होता है।"
सोनिया जैसे जैसे बोल रही थी किंजल के पैर कांपने लगे। उसने सोचा भी नही था कि ये सब होता होगा।
"मुझसे नही होगा ये।" किंजल के मूंह से बरबस ही निकल गया।
"क्या! तुझसे नही होगा।" सोनिया हसने लगी।
"अरे बेटा शिफा ने मौसी से तेरी डील मुफ्त में नही की। उसको पैसा कमा के देना पड़ेगा। और इसके अलावा तेरे पास कोई रास्ता नही है। और काम जो भी हो, जेल में अपने आप करवा लिया जाता है। वो डिस्पेंसरी में दूसरी औरत तो तूने देख ही ली।" सोनिया ने प्यार से समझाया। " बाकी तू टेंशन मत ले। इतना भी कोई तुझे ज्यादा बड़ा काम नही करवाएंगे।"
किंजल चुप रही। समझ नही पा रही थी अब क्या करे।
सोनिया ने आगे बोलना शुरू किया।
"कुसुम रात को दूसरी जेल गई थी। कोई बड़ी कंपनी का सीईओ है वहा अंदर। उसको सर्विस चाहिए थी। अब देख सर्विस के बदले बढ़िया खाना, एसी में सोना, साफ सुथरे बैरक में रहना। काम से बचे रहना। कितने फायदे है। अब ज्यादा शोर मत मचा। जमीन से ऊपर रहना है तो आराम से सिस्टम के साथ चल। नही तो दूसरे बेरैको में क्या क्या होता है तूने देख ही लिया।"
Superb update
 
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Dharmendra Kumar Patel

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बहुत ही लाजवाब
 
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park

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शाम को डॉक्टर ने किंजल को कुछ दवाइयां दे दी। और केसे लेनी है समझा दिया। किंजल को चलने में तकलीफ हों रही थी। कमर और पसलियों में दर्द था। पर वो धीरे धीरे चलते हुए डिस्पेंसरी से बाहर आने लगी। सामने से सोनिया उसकी तरफ आ रही थी। सोनिया ने आकर उसे सहारा दिया और उसे अपने साथ ले जाने लगी।
दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम वहा खाने की थाली लेकर बैठी थी। किंजल भी उनके पास बैठ गई। उसकी कमर में बैठते ही दर्द की लहर उठी।
काफी कैदी पलट कर उसकी तरफ देख रही थी। पर अब किसी की हिम्मत नही थी कि उसकी तरफ कोई गलत इरादा रखता। अब उसके सर पे मौसी का हाथ था।
किंजल उनके साथ खाना खाने लगी। किंजल को रात का दृश्य याद आने लगा और रोने लगी। उसे पछतावा हो रहा था कि उसने ये जिंदगी कैसे चुन ली। खाना खतम करके शिफा और सोनिया किंजल को सहारे से अपने बैरक में ले गई। पहले वो टॉयलेट गई। यहां सफाई थी। बदबू भी नही थी। किंजल को कुछ राहत की सांस आई। फिर वो एक बिस्तर पर लेट गई। शिफा और सोनिया भी लेट गई। दवाओं की वजह से किंजल नींद के आगोश में जाने लगी।
अचानक रात को किंजल की नींद खुली प्यास से। उसने उठ कर देखा बैरक में उसके अलावा सिर्फ सोनिया थी जो सो रही थी। कुसुम और शिफा दोनो गायब थी। सोनिया की चादर खिसकी हुई थी। किंजल ने देखा वो ऊपर से जेल की कुर्ती में थी और नीचे से नंगी थी। बड़े बड़े सांवले चूतड। चूतड और जांघों पर कुछ जले के निशान। जैसे सिगरेट से जलाया हो। किंजल फिर सो गई। उसकी कमर में अभी भी दर्द था।

सुबह उसे सोनिया ने हिला कर उठाया। किंजल आंखे मलती हुई उठी। कुसुम और शिफा दोनो अपने बिस्तर ने गहरी नींद सो रही थी। किंजल उठ कर टॉयलेट गई और दोनो गुसलखाने की तरफ चल दी। इस बार किंजल को कपड़े उतारने में शर्म नही आई। उसे अब इसकी आदत बनानी थी। गुसलखाने में 2 औरते कपड़े धो रही थी। किंजल और सोनिया के अलावा वही औरत नहा रही थी जो पिछले कल किंजल के होते कपड़े लेने आई थी। उसकी पीठ किंजल की तरफ थी। किंजल नहाते हुए इसे गौर से देख रही थी। दूध जैसी गोरी, कमर में दोनो तरफ हल्का सा मोटापा, लटके हुए स्तन और गुलाबी निप्पल। लेकिन जांघें बिलकुल कसी हुई। मोटी गांड। चूतड़ों तक लम्बे काले बाल। आंखों के नीचे शरीर पर कोई बाल नहीं। किसी अमीर घर की औरत। उधर सोनिया किंजल के नंगे जवान जिस्म को घूर रही थी। वो औरत शावर से बाहर आई और तोलिए से अपने नंगे जिस्म को पोंछने लगी। किंजल ने देखा उसका तौलिया भी महंगा और साफ सुथरा था। उसने तौलिया उस कपड़े धोने वाली औरत के मुंह फेंक मारा। "इसे भी धो दे।"
"जी मैडम" धोने वाली ने कहा। और अपने काम में लगी रही।
" और शावर की स्लैब पे कुछ निशान हैं। कल अच्छे से साफ करना।"
"हांजी"
और वो अपनी ब्रा पैंटी पहनने लगी। पेटकोट और ब्लाउज पहन कर उसने अपनी साड़ी को सलीके से लपेटा। जेल के कपड़ो में भी कैदी नही लगती थी वो।
और किंजल और सोनिया के नंगे बदन को देखती हुई बाहर निकल गई। किंजल ने इशारे से सोनिया से पूछा कौन है ये।
" इंद्रा पटेल। एक कॉपरेटिव बैंक की डायरेक्टर थी। बहुत बड़ा करोड़ो का झोल हुआ था। उसी में अंदर है।" सोनिया बोली।
दोनो ने फटाफट खुद को पोंछा और किंजल ने वही पुराने कपड़े पहन लिए।
"अरे ये क्यों पहने? तेरे नए भी तो रखा दिए थे वहा। वो क्यों नी लेके आई?" सोनिया देखते ही बोली।
"मुझे पता ही नही था। कोई न बैरक में जाके पहन लूंगी।" किंजल ने जवाब दिया।

किंजल को नहा के दर्द में कुछ फर्क था। दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम दोनो वही थे। उन्होंने थाली ले रखी थी। चारों ने खाना खाया। किसी ने कुछ खास बात नही की। किंजल रात के बारे में पूछना चाहती थी पर बोली नही। शिफा और कुसुम वापिस अपने बैरक में चले गए। दोनो बहुत थकी थकी सी लग रही थी। किंजल और सोनिया टहलने लगे। किंजल ने सोनिया से पूछ ही लिया। "रात को वो दोनो कहा थी।?"
" अपने अपने काम पे" सोनिया ने जवाब दिया।
"मेरे समझ नही आया। ये औरतों की जेल है। फिर क्या काम?" किंजल ने पूछा।
"अरे जेल उनके लिए होती है जिनके पास कुछ नही होता। जिसके पास पैसा है उनके लिए रिजॉर्ट है। उन्हें यहां भी सब फैसिलिटी मिलती है।" सोनिया ने समझाया।
"पर फिर भी काम क्या था?" किंजल ने फिर पूछा।
" देख शिफा चलाती थी पार्लर। वो इन वीआईपी वालो को वो सब सर्विस देती है। साथ में अपने स्टाफ को मैनेज करती है।" सोनिया ने बताया।
"स्टाफ??" किंजल ने हैरानी से पूछा।
"तेरी शिफा आंटी जितनी जमीन से ऊपर है उस से ज्यादा जमीन से नीचे फैली हुई है। कई कैदी उसके अंडर काम करती है। और साथ वाले बैरकों में रहती है।" सोनिया ने बताया।
"अंडर काम करती है मतलब?"
"मतलब अब तू भी उसके अंडर है। Vip केदियो को पार्लर की सारी सर्विस देती है। नशा, सेक्स, खाना, मौज सब देती है वो। इस जेल ने बगल में मर्दों की जेल है। वहा भी वीआईपी सर्विस पहुंचाना होता है।"
सोनिया जैसे जैसे बोल रही थी किंजल के पैर कांपने लगे। उसने सोचा भी नही था कि ये सब होता होगा।
"मुझसे नही होगा ये।" किंजल के मूंह से बरबस ही निकल गया।
"क्या! तुझसे नही होगा।" सोनिया हसने लगी।
"अरे बेटा शिफा ने मौसी से तेरी डील मुफ्त में नही की। उसको पैसा कमा के देना पड़ेगा। और इसके अलावा तेरे पास कोई रास्ता नही है। और काम जो भी हो, जेल में अपने आप करवा लिया जाता है। वो डिस्पेंसरी में दूसरी औरत तो तूने देख ही ली।" सोनिया ने प्यार से समझाया। " बाकी तू टेंशन मत ले। इतना भी कोई तुझे ज्यादा बड़ा काम नही करवाएंगे।"
किंजल चुप रही। समझ नही पा रही थी अब क्या करे।
सोनिया ने आगे बोलना शुरू किया।
"कुसुम रात को दूसरी जेल गई थी। कोई बड़ी कंपनी का सीईओ है वहा अंदर। उसको सर्विस चाहिए थी। अब देख सर्विस के बदले बढ़िया खाना, एसी में सोना, साफ सुथरे बैरक में रहना। काम से बचे रहना। कितने फायदे है। अब ज्यादा शोर मत मचा। जमीन से ऊपर रहना है तो आराम से सिस्टम के साथ चल। नही तो दूसरे बेरैको में क्या क्या होता है तूने देख ही लिया।"
Nice and superb update....
 
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kas1709

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शाम को डॉक्टर ने किंजल को कुछ दवाइयां दे दी। और केसे लेनी है समझा दिया। किंजल को चलने में तकलीफ हों रही थी। कमर और पसलियों में दर्द था। पर वो धीरे धीरे चलते हुए डिस्पेंसरी से बाहर आने लगी। सामने से सोनिया उसकी तरफ आ रही थी। सोनिया ने आकर उसे सहारा दिया और उसे अपने साथ ले जाने लगी।
दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम वहा खाने की थाली लेकर बैठी थी। किंजल भी उनके पास बैठ गई। उसकी कमर में बैठते ही दर्द की लहर उठी।
काफी कैदी पलट कर उसकी तरफ देख रही थी। पर अब किसी की हिम्मत नही थी कि उसकी तरफ कोई गलत इरादा रखता। अब उसके सर पे मौसी का हाथ था।
किंजल उनके साथ खाना खाने लगी। किंजल को रात का दृश्य याद आने लगा और रोने लगी। उसे पछतावा हो रहा था कि उसने ये जिंदगी कैसे चुन ली। खाना खतम करके शिफा और सोनिया किंजल को सहारे से अपने बैरक में ले गई। पहले वो टॉयलेट गई। यहां सफाई थी। बदबू भी नही थी। किंजल को कुछ राहत की सांस आई। फिर वो एक बिस्तर पर लेट गई। शिफा और सोनिया भी लेट गई। दवाओं की वजह से किंजल नींद के आगोश में जाने लगी।
अचानक रात को किंजल की नींद खुली प्यास से। उसने उठ कर देखा बैरक में उसके अलावा सिर्फ सोनिया थी जो सो रही थी। कुसुम और शिफा दोनो गायब थी। सोनिया की चादर खिसकी हुई थी। किंजल ने देखा वो ऊपर से जेल की कुर्ती में थी और नीचे से नंगी थी। बड़े बड़े सांवले चूतड। चूतड और जांघों पर कुछ जले के निशान। जैसे सिगरेट से जलाया हो। किंजल फिर सो गई। उसकी कमर में अभी भी दर्द था।

सुबह उसे सोनिया ने हिला कर उठाया। किंजल आंखे मलती हुई उठी। कुसुम और शिफा दोनो अपने बिस्तर ने गहरी नींद सो रही थी। किंजल उठ कर टॉयलेट गई और दोनो गुसलखाने की तरफ चल दी। इस बार किंजल को कपड़े उतारने में शर्म नही आई। उसे अब इसकी आदत बनानी थी। गुसलखाने में 2 औरते कपड़े धो रही थी। किंजल और सोनिया के अलावा वही औरत नहा रही थी जो पिछले कल किंजल के होते कपड़े लेने आई थी। उसकी पीठ किंजल की तरफ थी। किंजल नहाते हुए इसे गौर से देख रही थी। दूध जैसी गोरी, कमर में दोनो तरफ हल्का सा मोटापा, लटके हुए स्तन और गुलाबी निप्पल। लेकिन जांघें बिलकुल कसी हुई। मोटी गांड। चूतड़ों तक लम्बे काले बाल। आंखों के नीचे शरीर पर कोई बाल नहीं। किसी अमीर घर की औरत। उधर सोनिया किंजल के नंगे जवान जिस्म को घूर रही थी। वो औरत शावर से बाहर आई और तोलिए से अपने नंगे जिस्म को पोंछने लगी। किंजल ने देखा उसका तौलिया भी महंगा और साफ सुथरा था। उसने तौलिया उस कपड़े धोने वाली औरत के मुंह फेंक मारा। "इसे भी धो दे।"
"जी मैडम" धोने वाली ने कहा। और अपने काम में लगी रही।
" और शावर की स्लैब पे कुछ निशान हैं। कल अच्छे से साफ करना।"
"हांजी"
और वो अपनी ब्रा पैंटी पहनने लगी। पेटकोट और ब्लाउज पहन कर उसने अपनी साड़ी को सलीके से लपेटा। जेल के कपड़ो में भी कैदी नही लगती थी वो।
और किंजल और सोनिया के नंगे बदन को देखती हुई बाहर निकल गई। किंजल ने इशारे से सोनिया से पूछा कौन है ये।
" इंद्रा पटेल। एक कॉपरेटिव बैंक की डायरेक्टर थी। बहुत बड़ा करोड़ो का झोल हुआ था। उसी में अंदर है।" सोनिया बोली।
दोनो ने फटाफट खुद को पोंछा और किंजल ने वही पुराने कपड़े पहन लिए।
"अरे ये क्यों पहने? तेरे नए भी तो रखा दिए थे वहा। वो क्यों नी लेके आई?" सोनिया देखते ही बोली।
"मुझे पता ही नही था। कोई न बैरक में जाके पहन लूंगी।" किंजल ने जवाब दिया।

किंजल को नहा के दर्द में कुछ फर्क था। दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम दोनो वही थे। उन्होंने थाली ले रखी थी। चारों ने खाना खाया। किसी ने कुछ खास बात नही की। किंजल रात के बारे में पूछना चाहती थी पर बोली नही। शिफा और कुसुम वापिस अपने बैरक में चले गए। दोनो बहुत थकी थकी सी लग रही थी। किंजल और सोनिया टहलने लगे। किंजल ने सोनिया से पूछ ही लिया। "रात को वो दोनो कहा थी।?"
" अपने अपने काम पे" सोनिया ने जवाब दिया।
"मेरे समझ नही आया। ये औरतों की जेल है। फिर क्या काम?" किंजल ने पूछा।
"अरे जेल उनके लिए होती है जिनके पास कुछ नही होता। जिसके पास पैसा है उनके लिए रिजॉर्ट है। उन्हें यहां भी सब फैसिलिटी मिलती है।" सोनिया ने समझाया।
"पर फिर भी काम क्या था?" किंजल ने फिर पूछा।
" देख शिफा चलाती थी पार्लर। वो इन वीआईपी वालो को वो सब सर्विस देती है। साथ में अपने स्टाफ को मैनेज करती है।" सोनिया ने बताया।
"स्टाफ??" किंजल ने हैरानी से पूछा।
"तेरी शिफा आंटी जितनी जमीन से ऊपर है उस से ज्यादा जमीन से नीचे फैली हुई है। कई कैदी उसके अंडर काम करती है। और साथ वाले बैरकों में रहती है।" सोनिया ने बताया।
"अंडर काम करती है मतलब?"
"मतलब अब तू भी उसके अंडर है। Vip केदियो को पार्लर की सारी सर्विस देती है। नशा, सेक्स, खाना, मौज सब देती है वो। इस जेल ने बगल में मर्दों की जेल है। वहा भी वीआईपी सर्विस पहुंचाना होता है।"
सोनिया जैसे जैसे बोल रही थी किंजल के पैर कांपने लगे। उसने सोचा भी नही था कि ये सब होता होगा।
"मुझसे नही होगा ये।" किंजल के मूंह से बरबस ही निकल गया।
"क्या! तुझसे नही होगा।" सोनिया हसने लगी।
"अरे बेटा शिफा ने मौसी से तेरी डील मुफ्त में नही की। उसको पैसा कमा के देना पड़ेगा। और इसके अलावा तेरे पास कोई रास्ता नही है। और काम जो भी हो, जेल में अपने आप करवा लिया जाता है। वो डिस्पेंसरी में दूसरी औरत तो तूने देख ही ली।" सोनिया ने प्यार से समझाया। " बाकी तू टेंशन मत ले। इतना भी कोई तुझे ज्यादा बड़ा काम नही करवाएंगे।"
किंजल चुप रही। समझ नही पा रही थी अब क्या करे।
सोनिया ने आगे बोलना शुरू किया।
"कुसुम रात को दूसरी जेल गई थी। कोई बड़ी कंपनी का सीईओ है वहा अंदर। उसको सर्विस चाहिए थी। अब देख सर्विस के बदले बढ़िया खाना, एसी में सोना, साफ सुथरे बैरक में रहना। काम से बचे रहना। कितने फायदे है। अब ज्यादा शोर मत मचा। जमीन से ऊपर रहना है तो आराम से सिस्टम के साथ चल। नही तो दूसरे बेरैको में क्या क्या होता है तूने देख ही लिया।"
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शाम को डॉक्टर ने किंजल को कुछ दवाइयां दे दी। और केसे लेनी है समझा दिया। किंजल को चलने में तकलीफ हों रही थी। कमर और पसलियों में दर्द था। पर वो धीरे धीरे चलते हुए डिस्पेंसरी से बाहर आने लगी। सामने से सोनिया उसकी तरफ आ रही थी। सोनिया ने आकर उसे सहारा दिया और उसे अपने साथ ले जाने लगी।
दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम वहा खाने की थाली लेकर बैठी थी। किंजल भी उनके पास बैठ गई। उसकी कमर में बैठते ही दर्द की लहर उठी।
काफी कैदी पलट कर उसकी तरफ देख रही थी। पर अब किसी की हिम्मत नही थी कि उसकी तरफ कोई गलत इरादा रखता। अब उसके सर पे मौसी का हाथ था।
किंजल उनके साथ खाना खाने लगी। किंजल को रात का दृश्य याद आने लगा और रोने लगी। उसे पछतावा हो रहा था कि उसने ये जिंदगी कैसे चुन ली। खाना खतम करके शिफा और सोनिया किंजल को सहारे से अपने बैरक में ले गई। पहले वो टॉयलेट गई। यहां सफाई थी। बदबू भी नही थी। किंजल को कुछ राहत की सांस आई। फिर वो एक बिस्तर पर लेट गई। शिफा और सोनिया भी लेट गई। दवाओं की वजह से किंजल नींद के आगोश में जाने लगी।
अचानक रात को किंजल की नींद खुली प्यास से। उसने उठ कर देखा बैरक में उसके अलावा सिर्फ सोनिया थी जो सो रही थी। कुसुम और शिफा दोनो गायब थी। सोनिया की चादर खिसकी हुई थी। किंजल ने देखा वो ऊपर से जेल की कुर्ती में थी और नीचे से नंगी थी। बड़े बड़े सांवले चूतड। चूतड और जांघों पर कुछ जले के निशान। जैसे सिगरेट से जलाया हो। किंजल फिर सो गई। उसकी कमर में अभी भी दर्द था।

सुबह उसे सोनिया ने हिला कर उठाया। किंजल आंखे मलती हुई उठी। कुसुम और शिफा दोनो अपने बिस्तर ने गहरी नींद सो रही थी। किंजल उठ कर टॉयलेट गई और दोनो गुसलखाने की तरफ चल दी। इस बार किंजल को कपड़े उतारने में शर्म नही आई। उसे अब इसकी आदत बनानी थी। गुसलखाने में 2 औरते कपड़े धो रही थी। किंजल और सोनिया के अलावा वही औरत नहा रही थी जो पिछले कल किंजल के होते कपड़े लेने आई थी। उसकी पीठ किंजल की तरफ थी। किंजल नहाते हुए इसे गौर से देख रही थी। दूध जैसी गोरी, कमर में दोनो तरफ हल्का सा मोटापा, लटके हुए स्तन और गुलाबी निप्पल। लेकिन जांघें बिलकुल कसी हुई। मोटी गांड। चूतड़ों तक लम्बे काले बाल। आंखों के नीचे शरीर पर कोई बाल नहीं। किसी अमीर घर की औरत। उधर सोनिया किंजल के नंगे जवान जिस्म को घूर रही थी। वो औरत शावर से बाहर आई और तोलिए से अपने नंगे जिस्म को पोंछने लगी। किंजल ने देखा उसका तौलिया भी महंगा और साफ सुथरा था। उसने तौलिया उस कपड़े धोने वाली औरत के मुंह फेंक मारा। "इसे भी धो दे।"
"जी मैडम" धोने वाली ने कहा। और अपने काम में लगी रही।
" और शावर की स्लैब पे कुछ निशान हैं। कल अच्छे से साफ करना।"
"हांजी"
और वो अपनी ब्रा पैंटी पहनने लगी। पेटकोट और ब्लाउज पहन कर उसने अपनी साड़ी को सलीके से लपेटा। जेल के कपड़ो में भी कैदी नही लगती थी वो।
और किंजल और सोनिया के नंगे बदन को देखती हुई बाहर निकल गई। किंजल ने इशारे से सोनिया से पूछा कौन है ये।
" इंद्रा पटेल। एक कॉपरेटिव बैंक की डायरेक्टर थी। बहुत बड़ा करोड़ो का झोल हुआ था। उसी में अंदर है।" सोनिया बोली।
दोनो ने फटाफट खुद को पोंछा और किंजल ने वही पुराने कपड़े पहन लिए।
"अरे ये क्यों पहने? तेरे नए भी तो रखा दिए थे वहा। वो क्यों नी लेके आई?" सोनिया देखते ही बोली।
"मुझे पता ही नही था। कोई न बैरक में जाके पहन लूंगी।" किंजल ने जवाब दिया।

किंजल को नहा के दर्द में कुछ फर्क था। दोनो मैस एरिया में आ गए। शिफा और कुसुम दोनो वही थे। उन्होंने थाली ले रखी थी। चारों ने खाना खाया। किसी ने कुछ खास बात नही की। किंजल रात के बारे में पूछना चाहती थी पर बोली नही। शिफा और कुसुम वापिस अपने बैरक में चले गए। दोनो बहुत थकी थकी सी लग रही थी। किंजल और सोनिया टहलने लगे। किंजल ने सोनिया से पूछ ही लिया। "रात को वो दोनो कहा थी।?"
" अपने अपने काम पे" सोनिया ने जवाब दिया।
"मेरे समझ नही आया। ये औरतों की जेल है। फिर क्या काम?" किंजल ने पूछा।
"अरे जेल उनके लिए होती है जिनके पास कुछ नही होता। जिसके पास पैसा है उनके लिए रिजॉर्ट है। उन्हें यहां भी सब फैसिलिटी मिलती है।" सोनिया ने समझाया।
"पर फिर भी काम क्या था?" किंजल ने फिर पूछा।
" देख शिफा चलाती थी पार्लर। वो इन वीआईपी वालो को वो सब सर्विस देती है। साथ में अपने स्टाफ को मैनेज करती है।" सोनिया ने बताया।
"स्टाफ??" किंजल ने हैरानी से पूछा।
"तेरी शिफा आंटी जितनी जमीन से ऊपर है उस से ज्यादा जमीन से नीचे फैली हुई है। कई कैदी उसके अंडर काम करती है। और साथ वाले बैरकों में रहती है।" सोनिया ने बताया।
"अंडर काम करती है मतलब?"
"मतलब अब तू भी उसके अंडर है। Vip केदियो को पार्लर की सारी सर्विस देती है। नशा, सेक्स, खाना, मौज सब देती है वो। इस जेल ने बगल में मर्दों की जेल है। वहा भी वीआईपी सर्विस पहुंचाना होता है।"
सोनिया जैसे जैसे बोल रही थी किंजल के पैर कांपने लगे। उसने सोचा भी नही था कि ये सब होता होगा।
"मुझसे नही होगा ये।" किंजल के मूंह से बरबस ही निकल गया।
"क्या! तुझसे नही होगा।" सोनिया हसने लगी।
"अरे बेटा शिफा ने मौसी से तेरी डील मुफ्त में नही की। उसको पैसा कमा के देना पड़ेगा। और इसके अलावा तेरे पास कोई रास्ता नही है। और काम जो भी हो, जेल में अपने आप करवा लिया जाता है। वो डिस्पेंसरी में दूसरी औरत तो तूने देख ही ली।" सोनिया ने प्यार से समझाया। " बाकी तू टेंशन मत ले। इतना भी कोई तुझे ज्यादा बड़ा काम नही करवाएंगे।"
किंजल चुप रही। समझ नही पा रही थी अब क्या करे।
सोनिया ने आगे बोलना शुरू किया।
"कुसुम रात को दूसरी जेल गई थी। कोई बड़ी कंपनी का सीईओ है वहा अंदर। उसको सर्विस चाहिए थी। अब देख सर्विस के बदले बढ़िया खाना, एसी में सोना, साफ सुथरे बैरक में रहना। काम से बचे रहना। कितने फायदे है। अब ज्यादा शोर मत मचा। जमीन से ऊपर रहना है तो आराम से सिस्टम के साथ चल। नही तो दूसरे बेरैको में क्या क्या होता है तूने देख ही लिया।"
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