गाड़ी अंदर जाते ही मेन एरिया की तरफ नही गई। बल्कि जेल के रेजिडेंशियल एरिया की तरफ मुड़ गई। रेजिडेंशियल एरिया को पार कर गाड़ी जेल के गेट हाउस के दरवाजे पर रुकी। महिला गार्ड ने मुड़ कर सोनिया की तरफ देखा "चल तू उतर इधर।" तभी गेस्ट हाउस के अंदर से एक सिपाही बाहर आया और झट से पीछे का दरवाजा खोला। सोनिया ने किंजल की तरफ देखा। "घबरा मत। कुछ नही होगा। बस काम करना है और सुबह तक आ जाना है।" बोलते बोलते सोनिया उतर गई और सिपाही के साथ गेस्ट हाउस के अंदर चली गई।
गाड़ी आगे बढ़ गई। रेजिडेंशियल एरिया से बाहर की तरफ आकर गाड़ी फोकस लाइट से बचते हुए वर्कशॉप एरिया में जाने लगी। गाड़ी की हैडलाइट बंद थी। सब कैदी अपने बैरेको में बंद थे। गाड़ी ने एक वर्कशॉप के आगे ब्रेक लगाए। वर्कशॉप का गेट खुला । अंदर से 1 सिपाही बाहर आया। गाड़ी ड्राइवर भी उतरा। पीछे का पांचवा दरवाजा खोला और बोरी को नीचे उतरा। बोरी हिल रही थी और दबी सी आवाज आ रही थी चीखने की।
"सुन तुझे ये अंदर लेके जाएंगे। अगर कुछ भी आवाज बाहर आई तो तू जिंदा बाहर नही आयेगी फिर कभी।" किंजल के हाथ कांपने लगे। वो गाड़ी से उतरी। दोनो सिपाही बोरी को घसीट के अंदर ले जा रहे थे। किंजल भी पीछे चल दी।
वर्कशॉप में चारों और लकड़ी के मेज कुर्सी पड़े थे। और लकड़ी के औजार पड़े थे। बड़े हाल में कुछ कमरे भी थे जो बंद थे। अंदर दोनो ने बोरी खोली। और अंदर से जो बाहर निकली वो सरिता थी। हाथ पीछे की तरफ बंधे हुए। पैर टखनों से बंधे हुए। मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ। सिर्फ सारी आधी खुली हुई। ऊपर से ब्लाउज का एक बटन टूटा हुआ। बाल बिखरे हुए। पूरा बदन पसीने से गीला। ब्लाउज और और पेटीकोट पूरे गीले थे। अभी मुश्किल से पिछली चोटों से उभरी थी। एक सिपाही ने किंजल का हाथ पकड़ा और उसे खींच के एक कमरे के पास ले गया। दरवाजे को धक्का देकर दरवाजा खोला। किंजल को अंदर धक्का दिया और दरवाजा बाहर बंद कर दिया। फिर वापस आकर सरिता को दोनो ने बाजुओं से पकड़ा और घसीट कर एक दूसरे कमरे को तरफ ले जाने लगे। दरवाजे के पास पहुंच कर दरवाजा खोला। अंदर चार खूंखार से पहलवान जमीन पर एक आदमी को मार रहे थे। सिपाहियो ने सरिता को अंदर धक्का दिया और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया।
किंजल जिस कमरे में थी उसमे 1 बल्ब जल रहा था। एक तरफ खिड़की में कूलर चल रहा था। शायद जेल के किसी सिपाही के लिए ही बनाया गया था। एक तरफ दीवार के साथ एक लकड़ी का बेड था जिसपे एक सस्ता सा बिस्तर और चादर बिछी थी। किंजल ने रोशनी में आंखें मली और ध्यान से देखा और उसके मुंह से निकला। "रूहानी बाबा।"
कमरे में कुर्ता और धोती पहने एक बाबा बिस्तर पर बैठा एक सिगरेट पी रहा था। बाल सफेद थे। सर आगे से गंजा था। और नीचे जमीन पर एक 22 साल का लड़का उसके पैर दबा रहा था। ये वही बाबा था जिसे 3 साल पहले विदेशी महिलाएं के साथ दुराचार के आरोप में सजा हुई थी। बहुत बड़ी भीड़ थी इसके पीछे। लेकिन राजनीति के चलते इसे कोई नही बचा पाया। "आओ आओ यहां आओ।" किंजल को देखते ही बाबा की आंखों में चमक आ गई। आखिरी बार 5 साल पहले अपने आश्रम में एक 16 साल की स्कूल की लड़की का बलात्कार किया था उसने। उसके बाद आज एक कमसिन कली बाबा की झोली में आई थी। या कहो कि आने वाली थी। लड़का उठा और किंजल की बाजू पकड़ उसे बाबा की तरफ धकेल दिया। धकेलने में किंजल की चादर गिर गई और वो टी शर्ट स्कर्ट में बाबा की गोद में जा गिरी।
सिपाही सोनिया को लेकर गेस्ट हाउस के अंदर आया। सामने सोफे पर जेलर सिन्हा बैठा था सफेद कुर्ता पजामा में। टेबल पर स्कॉच की बॉटल खुली।
"सर" सिपाही ने खड़े खड़े कहा।
सोनिया आगे बढ़ी। "सर कुछ चाहिए होगा तो आवाज दीजिए। मैं बाहर ही हूं।" सिन्हा ने हाथ से जाने का इशारा किया। सोनिया सोफे पर सिन्हा के पास बैठ गई।
सिन्हा ने एक हाथ सोनिया की जांघ पे रखा और बॉटल उठाई। सोनिया ने सिन्हा का हाथ पकड़ लिया। और बॉटल उसके हाथ से लेकर पेग बनाने लगी। ब्लैक लेबल से ग्लास को अंदाजे से 90 ml तक भरा और फिर उसने 3 बर्फ के क्यूब डाले। ऊपर से थोड़ा सोडा डाला। और फिर पानी भर दिया। ग्लास उठा कर सोनिया खड़ी हुई और सिन्हा की जांघ पर बैठ गई।
दरवाजा बंद होते ही चारो ने मुड़ कर दरवाजे की ओर देखा। दरवाजे पर बिखरे कपड़ो में बंधी हुई सरिता गिरी हुई थी। देखते ही चारों की बांछे खिल गई। कितने सालों बाद इन भेड़ियों को कच्चा मांस मिला था। चारों ने भाग कर सरिता को उठाया और उसकी रस्सी खोलने लगे। उठते ही सरिता के देखा। जिसे मार रहे थे वो और कोई नही उसका पति रघु था। सरिता चारों के हाथों में छटपटाने लगी। मुंह में कपड़ा ठूंसा था। जैसे ही पैरों की रस्सी खुली। वो उठ कर रघु की तरफ भागी। रघु जमीन पर नंगा अर्धबेहोशी की हालत में पड़ा था। बहुत मारा गया था उसे। जैसे ही सरिता उसकी तरफ भागी एक कैदी के हाथ में उसकी साड़ी का पल्लू था। सरिता की साड़ी खुल गई और वो घूम कर रघु के ऊपर गिर गई। मुंह बंद था पर गला फाड़ कर रो रही थी वो। रघु ने हाथ बढ़ा उसके मुंह का कपड़ा निकाल लिया। सरिता रो रही थी। चारों उसके पास आए। एक ने उसकी बाजू पकड़ी। सरिता छुड़ाने की कोशिश में चीखी। पर इतने में एक गुंडे ने उसके मुंह में हाथ रख दिया। और उसे कमर से पकड़ के उठा लिया। सरिता के हाथ बांधे हुए थे अभी भी। वो जोर जोर से टांगे मारने लगी। जिसने उसे उठाया था उसने उसे जोर से लकड़ी से बनी खाट पर पटक दिया। सरिता की कमर में जोर से लगी। उसकी आंखों के आगे अंधेरा आ गया।
बाबा के मुंह से मानो लार टपक रही थी। किंजल की जांघो पर उसके हाथ चल रहे थे। इतने में फोन के वाइब्रेट होने की आवाज आने लगी। "हेलो" फोन बिट्टू(बाबा का चेला) ने उठाया। "जी करवाता हूं।"
बिट्टू ने फोन बाबा को पकड़ाया। बाबा ने फोन कान पर लगाया। "सिर्फ choot में 2 राउंड। और बदन पे एक खरोंच भी आई तो तेरे बदन की खरोंचे गिन नही पाएगा।"उधर से फोन में आवाज आई। "हां ठीक है। टेंशन मत लो।" बाबा ने फोन रख दिया। इन दो राउंड के पूरे 3 लाख रुपए दिए थे बाबा ने। जिनका हिस्सा दोनो जेलर, गार्ड, मौसी सबको आना था। स्कर्ट टी शर्ट में किंजल 15 साल से ऊपर नहीं लग रही थी। बाबा का हाथ choot के पास पहुंच गया। दूसरे हाथ ने टी शर्ट में उसके ब्रा का हुक खोल दिया। Choot पर हाथ लगते ही किंजल की सांस रुकने लगी। आंखे भरने लगी। धोती में बाबा का लन्ड उसकी टांग पर लग रहा था। बिट्टू उठा और उसने किंजल की टी शर्ट के किनारे पकड़ के ऊपर उठाने शुरू किए। पर किंजल ने हाथ नही उठाए। बिट्टू ने घूर के देखा। किंजल डर गई और धीरे धीरे अपने हाथ ऊपर उठा दिए। बिट्टू ने उसका टी शर्ट और ब्रा दोनो निकाल दिए।
सोनिया ने एक घूंट खुद भरा और ग्लास सिन्हा के होंठों पे लगा दिया। सिन्हा ने एक घूंट भरा और गिलास सोनिया के हाथ से ले लिया। एक हाथ से सोनिया की जांघ को भींचना शुरू किया। सोनिया ने दर्द से सी... की। और सिन्हा ने स्कॉच का गिलास सोनिया के मुंह को लगा दिया। सोनिया घूंट घूंट सारा गिलास गटक गई। ठंडी स्कॉच एक साथ अंदर जाते ही सोनिया का सिर घूम गया। "चल नंगी हो।" सिन्हा ने सोनिया से कहा। सोनिया ऑर्डर सुनते ही खड़ी हुई। पर लड़खड़ा कर दोबारा सोफे पर गिर गई। फिर से बैठी और अपना टी शर्ट और ब्रा दोनो निकाल दिए। उसके कसे हुए सांवले चूचे बाहर आ गए। "जल्दी से चूत भी दिखा।" सिन्हा ने ग्लास में स्कॉच डालते हुए कहा। सोनिया ने बैठे बैठे अपना पजामा और पैंटी एक साथ उतार दिए। सिन्हा ने उसका हाथ पकड़ा और वापिस अपनी गोद में खींच में लिया। एक घूंट ग्लास से भरा और बाकी का ग्लास फिर सोनिया के होंठो से लगा दिया। और पूरा ग्लास फिर उसके हलक में उड़ेल दिया। सोनिया अब काबू में नही थी और सिन्हा की बाहों में झूल रही थी। सिन्हा ने सोनिया के चूचे दबाते हुए उसके कान में कहा, " साली यहां रंडियों के बदन से मैं खेलता हूं, और तू मुझसे खेलने चली थी। तेरे जैसी कितनी ही यहां मेने कुतिया बना कर चोदी हैं, और तू कल की कुतिया की पिल्ली है।"