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Adultery महिला कारावास

parkas

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चारों नंगे सरिता को घेर कर खड़े थे। सरिता को खाट के बीच में लेटा कर एक ने सरिता के दोनो हाथ पीछे की तरफ खींच कर पकड़ लिए। दूसरे ने सरिता की दोनो जांघों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। अब सरिता की गांड और सिर दोनो हवा में थे। जिसने सरिता की जांघ पकड़ी थी उसने अपना 8 इंच का मूसल सरिता की चूत के छेद पर रखा और एक झटके में अंदर कर दिया। हालांकि उसकी चूत सूखी पड़ी थी पर फिर भी लन्ड आराम से अंदर चला गया। ये सब उस दिन लकड़ी के हत्थे से हुई चुदायी का नतीजा था। खाट पर पड़े लकड़ी के बारीक टुकड़े उसकी पीठ में चुभ रहे थे। बदन को दोनो तरफ से खींचने के कारण उसकी कमर और पसलियों के कटाव मनमोहक नजारा दे रहे थे। तीसरा गुंडा उसकी छाती पर चढ़ गया और उसके चूचों के बीच अपना लन्ड रगड़ने लगा। उधर लन्ड लगातार उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। छाती पर बैठे कैदी ने उसके मुंह से पैंटी निकली। "आह आह आह आह" हर धक्के पर सरिता के मुंह से आवाज निकल रही थी। अभी उसने ढंग से सांस लिया ही था कि दूसरा गुंडा जिसने उसके हाथ पकड़ रखे थे उसने अपना लन्ड सरिता के मुंह में ठूंस दिया। चारों तरफ से हो रही घिसाई में सरिता की चूत 5 मिनट में ही गिली होनी शुरू हो गई। चौथा आदमी एक हाथ से सरिता की टांगो को सहला रहा था। सब के सब उसे नोच रहे थे। मजे और दर्द में सरिता के मुंह से गूं गूं गूं की आवाजे निकाल रही थी। सांस लेने में तकलीफ हो रही थी उसे। चूदवाने को तो उसने कई मर्दों से चूत चुदायी थी। पर यह उसे जानवरों को तरह नोच रहे थे। उसके लिए सहना मुश्किल हो रहा था।


बाबा ने किंजल के होठों पर अपने होंठ रखे। औरतों और बिट्टू को चोद चोद कर बाबा बोर हो चुका था। आज कमसिन होंठों का स्वाद लेते ही बाबा का लन्ड बर्दाश्त से बाहर हो गया। उधर किंजल को उबकाई आ रही थी बाबा की सांस की बदबू से। किंजल को एहसास भी नही हुआ कब बिट्टू ने किंजल की स्कर्ट और पैंटी अलग कर दी। अचानक किंजल का शरीर गन गना गया जब बिट्टू ने उसकी चूत पर अपने होंठ रखे। किंजल का शरीर कांपने लगा। पर वो बाबा के नीचे से निकल नही पा रही थी। अचानक किंजल का शरीर थर्राया और उसकी चूत झड़ गई। बिट्टू मजे से स्वाद लेकर उसकी चूत चाट रहा था। बाबा समझ गया कि किंजल के साथ हुआ। उसने अपने होठ किंजल से हटाए और किंजल ने सर उठा के देखा तो बिट्टू उसकी नंगी टांगों को पकड़े उसकी चूत चाट रहा था। किंजल फिर गरम होने लगी। उसकी आंखों में नशा तैरने लगा। किंजल कुछ हिल पाती इससे पहले ही बाबा ने उसके एक हाथ को अपने कंधे की नीचे दबा लिया और दूसरे हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया। अब उसकी टांगे बिट्टू के हाथो में थी और हाथ बाबा ने जकड़े हुए थे। बाबा ने अपनी एक टांग किंजल के पेट पर रख कर उसे जकड़ लिया। किंजल अब छूटने के लिये जोर लगा रही थी पर हिल भी नहीं पा रही थी। किंजल बेबस सी छटपटाने लगी। किंजल का दम घुट रहा था। उसकी छटपटाहट बाबा को मजा दे रही थी। बाबा ने उसके मुंह में सिगरेट लगा था। किंजल कुछ समझ पाती एक कश उसके अंदर चला गया। उसे खांसी हुई। पर खांसी रोकने में एक दो कश और उसके अंदर चले गए। सिगरेट में गांझा भरा था। किंजल का सर हवा में उड़ने लगा। जिंदगी में पहली बार गाँझा पिया था उसने। उसकी छटपटाहट शांत हो गई। वो एक बार और बिट्टू के मुंह में झड़ गई। बाबा ने मौका देखा और उठा। बिट्टू को हटाया और किंजल की चूत को चाटने लगा। किंजल अब शांत थी। और दोनो हाथों से अपने चूचे मसल रही थी। अब बाबा से भी रहा न गया। उसने किंजल की टांगे उठाई और लन्ड उसके छेद पे सेट करने लगा। किंजल की चूत टाइट थी। कई हफ्तों से चूदी नही थी। बाबा ने लन्ड से प्रेशर बनाना शुरू किया। आगे का मुंड अंदर जाने लगा। धीरे धीरे पूरा लन्ड अन्दर चला गया। किंजल अब कसमसाने लगी। लन्ड बड़ा था। उसके बच्चेदानी को छू रहा था। किंजल को अपना शरीर हल्का लग रहा था। वो अब होश हवास में नही थी। मजे से मुस्कुराने लगी। उसे देख बाबा को जोश आ गया। बाबा जैसे खिलाड़ी के आगे वो कच्ची कली थी। बाबा ने धक्के लगाने शुरू किए तो हर धक्के पर उसके मुंह से आह निकलने लगी। हर 15 20 धक्के में उसकी चूत झड़ रही थी। बिट्टू ने किंजल का सर अपनी गोद में रखा और उसे फिर से कश लगवाया। किंजल बेहोशी में जाने लगी। एक तो गांजे के नशा ऊपर से लगातार झड़ती चूत। बाबा भी उसकी टाइट चूत ज्यादा देर संभाल नहीं पाया और अंदर झड़ने लगा। और किंजल के ऊपर ढह गया।


इधर सोनिया घोड़ी बन कर सिन्हा के लन्ड से चुद रही थी। उसकी गीली चूत में लन्ड पूरी स्पीड में अंदर बाहर हो रहा था। बच्चेदानी पे पड़ते थाप, स्कॉच का नशा, एसी की ठंडी हवा। सोनिया झड़ गई। सिन्हा रुक नही रहा था। पूरे कमरे में ठप ठप की मधुर आवाज गूंज रही थी। देखते ही देखते सोनिया ने 2 बार ओर अपने चरम को पार किया। उसकी टांगों में अब घोड़ी बने रहने की ताकत नही थी। उसे निढाली में जाते देख सिन्हा ने उसके बाल पकड़ कर पीछे खींच लिए। "आह" सोनिया दर्द से कराही। "साली कुतिया, मैदान छोड़ के कहा जा रही है। ऐसे तुझे जाने नही दूंगा।" सिन्हा धक्के लगाता हुआ गुर्राया। सोनिया ने एक हाथ से बाल छुड़ाने की कोशिश की। पर बार बार अंदर बाहर होते लन्ड की वजह से वो इतना हिल रही थी की छुड़ा ही नही पाई। जितना ज्यादा सोनिया कोशिश करती सिन्हा उतनी जोर से बाल खींचता। इसी जोर में सोनिया एक बार और झड़ गई। अब उसकी टांगे कांप रही थी l आखिर उसने हथियार डाल दिए और दोनो हाथ नीचे टिका कर गांड बाहर निकाल ली और चुदाने लगी। सिन्हा की स्पीड अब और तेज हो गई। सोनिया की गांड पर मजे से थप्पड़ मारने लगा। सोनिया 6 बार पानी निकाल चुकी थी। इधर सिन्हा का शरीर भी अकड़ने लगा। उसने अपनी उंगलियां सोनिया के चूतड़ों में गड़ा दी और झनाघन माल के फव्वारे छोड़ने लगा। लन्ड बाहर निकल कर कंडोम निकाला और सोनिया की पीठ पर ढह गया।


सरिता दो बार झड़ चुकी थी। दोनो पहलवान एक तरफ बैठे हांफ रहे थे। जैसे कितनी लम्बी दौड़ लगा के आए हो। सरिता के गले में 2 घूंट वीर्य उतार चुका था। और चूत से वीर्य निकल रहा था। अब सरिता को दोनो पहलवानों ने सीधा करके अपने नीचे दबोच रखा था। और उसकी वीर्य से भरी चूत में लन्ड पेल रहे थे। एक ने उसे बालो से पकड़ कर उसके मुंह में लन्ड ठूंस रखा था और दूसरा चूत चोद रहा था। सरिता में अब विरोध करने की ताकत नही थी। वो अपने आप सब चलने दे रही थी।
उस गुंडे ने उसके मुंह में अंदर तक लन्ड ठूंस दिया। और पिचकारी सीधी सरिता के पेट में जाने लगी। उसने अपना ढीला हो चुका 8 इंच लंबा लन्ड सरिता के मुंह से निकाला तो सारिता ने एक लंबी सांस ली। तभी उसकी चूत चोद रहे पहलवान ने अपना पूरा वजन उस पर डाल दिया। सरिता ने एक नजर अपने पति पर डाली। बाकी दोनों अब फिर उसे जमीन पर लेटा कर लातों से मार रहे थे। सरिता को अब फर्क नही पड़ा। उसने चोद रहे पहलवान की पीठ पर बाहें लपेट ली और टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। सरिता का होने वाला था। वो नीचे से चूतड उठा उठा कर चुदाने लगी। दोनो के पसीने से भरे हुए काले बदन एक दूसरे से चिपके हुए थे। अब सरिता खुद मजा ले रही थी। उसने बाहें पूरे जोर से कस ली। उसकी चूत ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया। अब उसे गिनती भी भूल गई थी कि वो कितनी बार झड़ चुकी है। पर वो गुंडा रुकने को तैयार नहीं था। वो अभी भी सरिता को पूरे जोश से चोद रहा था। सरिता को मजे लेते देख रघु वैसे ही मर गया था। सरिता के ऊपर चढ़े हुए आदमी का शरीर अकड़ने लगा। उसने सरिता को अपने कसरती बदन में जकड़ लिया। सरिता का दम घुटने लगा। उसे अपने गुर्दों में लन्ड गड़ता हुआ महसूस हुआ। तभी उसे अपनी बच्चे दानी में गरम गरम लावा बहता महसूस हुआ। इस गर्मी के एहसास में ही सरिता ऐसा झड़ी की उसकी बाहों में झूल गई। उसकी पकड़ ढीली हो गई। उसे चोदने वाला गुंडा भी उसके ऊपर ढह गया और लंबी लंबी सांसे लेने लगा। कुछ मिनट बाद उठा। सरिता की चूत से अपना ढीला हो चुका लन्ड निकाला तो उसकी चूत से उसका वीर्य बाहर को निकला। वो कैदी खड़ा हुआ और सरिता को बालों से पकड़ा और अपना ढीला पड़ा लन्ड सरिता के मुंह में ठूंस दिया। सरिता उसकी आंखों में देखती हुई उसका लन्ड चूसने लगी और जीभ से साफ़ करने लगी। कुछ देर बाद उसने सरिता के मुंह से लन्ड निकाला और रघु की तरफ चल दिया। सरिता को लगा ये भी अब रघु को मारेगा। पर उसने बाकी तीनों को हटाया। और अपना लन्ड हाथ में पकड़ा और रघु के ऊपर मूतने लगा। पूरा एक मिनट अपनी टंकी रघु के ऊपर खाली करके वो हटा तो बाकी तीनों भी हस्ते हुए रघु पे मूतने लगे।

इधर किंजल बेसुध पेट के बल पड़ी थी। बाबा उसकी नंगी गांड सहला रहा था। बिट्टू बाबा के पीछे खड़ा कंधे मालिश कर रहा था। किंजल ने सर उठाया। "बाथरूम जाना है।"
बाबा की आंखों में चमक आई। "बिट्टू। बेटा आज तुझे अमृतपान करने का मौका मिलेगा। जा शाबाश।"
किंजल नशे की सी हालत में उठी बिट्टू ने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ा। "यहां आओ और कर लो।"
किंजल नीचे बैठने लगी। तो बिट्टू फटाफट उसके चूतड़ों के नीचे लेट गया। किंजल को चूत के छेद के आगे बिट्टू ने अपना मुंह खोल लिया। किंजल को कुछ नही पता था क्या हो रहा है। उसने अपनी धार चालू की तो पहले बाबा का माल निकला और बिट्टू ने मुंह में चला गया। और फिर गरम धार बिट्टू के मुंह में जाने लगी। कुछ बिट्टू के अंदर जा रही थी और कुछ बाहर निकल रही थी। बिट्टू पूरा पेशाब में नहा गया। किंजल खड़ी हुई। मूतने से उसका नशा कुछ कम हुआ। सर अभी घूम रहा था पर कुछ कुछ समझ आने लगा। जैसे जैसे समझ आने लगा आंखों से आंसू बहने लगे। बाबा खड़ा हुआ और किंजल को फिर से अपनी गोद में खींच लिया। इधर बिट्टू भी खड़ा होकर बिस्तर पर बैठ गया।
बाबा ने किंजल के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। किंजल अब होश में थी। छटपटाने लगी। अब वो भागना चाहती थी। पास बैठे बिट्टू ने किंजल के पैर पकड़ लिए। किंजल पैर पटकने लगी पर बिट्टू की पकड़ मजबूत थी।
किंजल ने बाबा को नाखून मारने शुरू कर दिए। बाबा भी खिलाड़ी था। इसी कमसिन जवानियां उसने बहुत चखी थी। उसने किंजल के दोनो हाथ पकड़ लिए और अपना पूरा वजन उस पर डाल दिया। किंजल बेबस सी कोशिशें कर रही थी। उसके भारी भरकम शरीर के नीचे कसमसाने लगी। पर कुछ कर नही पा रही थी। उधर बिट्टू ने किंजल के पैर की उंगलियां चूसनी शुरू कर दी।
इस एहसास से किंजल अचानक रुक गई। ऐसा उसने कभी देखा सुना नही था। एक अलग ही रोमांच था। किंजल अभी सोच ही रही थी की बाबा किंजल की छाती पे आ गया और अपना लन्ड किंजल के मुंह में ठूंसने लगा। उसके लन्ड से किंजल को अपनी चूत के पानी और बाबा के वीर्य की महक आ रही थी। वो सर इधर उधर मारने लगी। बाबा ने किंजल के दोनो बाजू अपने घुटनों के नीचे दबा लिए और एक हाथ से किंजल के बाल पकड़ लिए। किंजल को दर्द होने लगा। बाबा ने दूसरे हाथ से उसके निप्पल को बेदर्दी से मसल दिया। किंजल दर्द सह नहीं पाई और चीखी। जैसे ही मुंह खुला बाबा का लन्ड उसके गले तक समा गया। किंजल पूरा जोर लगा कर रो रही थी पर आवाज अंदर दब गई। इधर बिट्टू की पकड़ हल्की ढीली हुई और किंजल ने जोर से उसे लात मारी। बिट्टू बिस्तर से दूर जा गिरा। अब किंजल तड़प रही थी सांस के लिए। जोर जोर से पैर हवा में मारने लगी।
"देख प्यार से मानेगी तो जल्दी से छोड़ दूंगा। नही तो दर्द से बेहाल कर दूंगा।" बाबा ने दांत पीसते हुए कहा। किंजल उसकी नशे से लाल आंखे देख घबरा गई। अब किंजल ने पैर मारना बंद कर दिया। बाबा उसकी छाती से उठा और उसके बाल पकड़ कर उसका मुंह अपने लन्ड से लगा दिया। इधर बिट्टू ने उसकी टांगे मोड़ कर घोड़ी बना दिया। किंजल के आंसू बह रहे थे और लन्ड पे होंठ ऊपर नीचे कर रही थी। पीछे से बिट्टू ने उसके चूतड़ों को चाटना शुरू कर दिया। किंजल के चूतड़ों को कोई पहली बार चाट रहा था। बिट्टू ने उसके चूतड़ों को फैलाया और गांड के छेद पे होंठ रख दिए। किंजल के शरीर में बिजली दौड़ गई। ये पहली बार था। उसकी सांस तेज हो गई और मुंह तेज तेज चलने लगा। बाबा उसके बाल और पीठ सहला रहा। बीच बीच में उसके चूचो को मसल रहा था। अब किंजल मजे से पागल हो रही थी। बिट्टू की जीभ चूतड़ों के बीच में ऊपर से नीचे घूम रही थी। जीभ से चूतड़ों के ऊपरी छोर से शुरू करता और नीचे चूत के दाने तक जाता। अब उसे बाबा के लन्ड की बदबू परेशान नहीं कर रही थी। किसी रंडी की तरह अब वो लन्ड चूस रही थी।

सिन्हा बाथरूम में घुस गया और शावर चालू कर लिया। सोनिया ने भी अपनी सांसों को कंट्रोल किया और देखा सिन्हा दरवाजा खोल कर शावर ले रहा था। सोनिया का बदन फिर मचलने लगा। वो उठी और शावर की तरफ चल दी। सिन्हा के पीछे खड़ी हो उसने हाथ में साबुन लिया और उसकी पीठ पर मलने लगी। धीरे धीरे उसके पूरे शरीर पर साबुन लगा दिया। और उसकी पीठ से लिपट कर अपने बदन को उसके बदन से रगड़ना शुरू कर दिया। सिन्हा का लन्ड फिर खड़ा होने लगा। सोनिया ने अब उसके लन्ड पर भी साबुन लगाया और आगे पीछे करने लगी। दोनो एक दूसरे से लिपट कर शावर के नीचे नहाने लगे। सिन्हा ने सोनिया को बाहों में भर लिया और उसे दीवार से लगा दिया। झुक कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसकी एक टांग को उठा लिया सिन्हा का लन्ड सोनिया की चूत पर टकराने लगा। सोनिया ने दोनो बाहों सिन्हा के गले में डाल दी। सिन्हा ने दूसरे हाथ से लन्ड को चूत के अंदर धकेला। और दूसरी टांग को भी पकड़ कर उठा लिया। सोनिया अब दीवार के साथ हवा में सटी हुई थी। उसने अपना पूरा वजन सिन्हा के कंधों पे डाला हुआ था। अब सिन्हा का लन्ड धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। उसने सोनिया के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसे इस ही धीरे धीरे चोदने लगा। पानी फुहारे और चूदाई की गर्मी सोनिया को अंदर पिघलाने लगी।
"और जोर से करो प्लीज।" सोनिया मजे के समंदर में गोते लगाने लगी। "फाड़ डालो मेरी चूत को। मुझे अपनी रखैल बना के यही रख लो।" सोनिया की चूत से बिना रुके झरने बह रहे थे। उसे खुद नही पता था वो क्या बोल रही है। अब सिन्हा और सोनिया दोनो थकने लगे। सोनिया को नीचे उतार सिन्हा ने तोलिए से शरीर पोंछा और खड़े लन्ड के साथ ही कमरे की तरफ आने लगा। पीछे पीछे सोनिया भी आ गई। सिन्हा ने बेड पे बैठ के पेग बनाना शुरू किया। सिन्हा ने एक नीट बनाया और 1 घूंट में गटक गया। और पीछे पीठ लगा कर लेट गया। सोनिया ने भी उसी ग्लास में फिर से एक नीट बनाया और वो भी गटक गई। सिन्हा का लन्ड अभी भी खड़ा था।
सोनिया घोड़ी बन कर झुक गई और उसका लन्ड चूसने लगी। उसके मुंह में उसकी चूत का स्वाद आया। पर वो फिर भी चूसने लगी। सिन्हा पीछे से उसकी गांड में उंगली करने लगा। सोनिया के होंठो की पकड़ और टाइट हो गई। सिन्हा ने उसे बालो से पकड़ कर उठाया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसका लन्ड लोहे की तरह सख्त हो रहा था। सोनिया उसके लन्ड के ऊपर आ गई और उसे चूत में डाल लिया। अब वो उसकी छाती पर हाथ रख ऊपर नीचे हो रही थी। नीट का नशा उसे अलग ही ताकत दे रहा था। सोनिया सिन्हा के ऊपर झुक गई। उसके होंठ सिन्हा के होंठो पर थे और चूतड ऊपर नीचे हो रहे थे।
Bahut hi badhiya update diya hai niks1987 bhai....
Nice and beautiful update....
 

dhparikh

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चारों नंगे सरिता को घेर कर खड़े थे। सरिता को खाट के बीच में लेटा कर एक ने सरिता के दोनो हाथ पीछे की तरफ खींच कर पकड़ लिए। दूसरे ने सरिता की दोनो जांघों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। अब सरिता की गांड और सिर दोनो हवा में थे। जिसने सरिता की जांघ पकड़ी थी उसने अपना 8 इंच का मूसल सरिता की चूत के छेद पर रखा और एक झटके में अंदर कर दिया। हालांकि उसकी चूत सूखी पड़ी थी पर फिर भी लन्ड आराम से अंदर चला गया। ये सब उस दिन लकड़ी के हत्थे से हुई चुदायी का नतीजा था। खाट पर पड़े लकड़ी के बारीक टुकड़े उसकी पीठ में चुभ रहे थे। बदन को दोनो तरफ से खींचने के कारण उसकी कमर और पसलियों के कटाव मनमोहक नजारा दे रहे थे। तीसरा गुंडा उसकी छाती पर चढ़ गया और उसके चूचों के बीच अपना लन्ड रगड़ने लगा। उधर लन्ड लगातार उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। छाती पर बैठे कैदी ने उसके मुंह से पैंटी निकली। "आह आह आह आह" हर धक्के पर सरिता के मुंह से आवाज निकल रही थी। अभी उसने ढंग से सांस लिया ही था कि दूसरा गुंडा जिसने उसके हाथ पकड़ रखे थे उसने अपना लन्ड सरिता के मुंह में ठूंस दिया। चारों तरफ से हो रही घिसाई में सरिता की चूत 5 मिनट में ही गिली होनी शुरू हो गई। चौथा आदमी एक हाथ से सरिता की टांगो को सहला रहा था। सब के सब उसे नोच रहे थे। मजे और दर्द में सरिता के मुंह से गूं गूं गूं की आवाजे निकाल रही थी। सांस लेने में तकलीफ हो रही थी उसे। चूदवाने को तो उसने कई मर्दों से चूत चुदायी थी। पर यह उसे जानवरों को तरह नोच रहे थे। उसके लिए सहना मुश्किल हो रहा था।


बाबा ने किंजल के होठों पर अपने होंठ रखे। औरतों और बिट्टू को चोद चोद कर बाबा बोर हो चुका था। आज कमसिन होंठों का स्वाद लेते ही बाबा का लन्ड बर्दाश्त से बाहर हो गया। उधर किंजल को उबकाई आ रही थी बाबा की सांस की बदबू से। किंजल को एहसास भी नही हुआ कब बिट्टू ने किंजल की स्कर्ट और पैंटी अलग कर दी। अचानक किंजल का शरीर गन गना गया जब बिट्टू ने उसकी चूत पर अपने होंठ रखे। किंजल का शरीर कांपने लगा। पर वो बाबा के नीचे से निकल नही पा रही थी। अचानक किंजल का शरीर थर्राया और उसकी चूत झड़ गई। बिट्टू मजे से स्वाद लेकर उसकी चूत चाट रहा था। बाबा समझ गया कि किंजल के साथ हुआ। उसने अपने होठ किंजल से हटाए और किंजल ने सर उठा के देखा तो बिट्टू उसकी नंगी टांगों को पकड़े उसकी चूत चाट रहा था। किंजल फिर गरम होने लगी। उसकी आंखों में नशा तैरने लगा। किंजल कुछ हिल पाती इससे पहले ही बाबा ने उसके एक हाथ को अपने कंधे की नीचे दबा लिया और दूसरे हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया। अब उसकी टांगे बिट्टू के हाथो में थी और हाथ बाबा ने जकड़े हुए थे। बाबा ने अपनी एक टांग किंजल के पेट पर रख कर उसे जकड़ लिया। किंजल अब छूटने के लिये जोर लगा रही थी पर हिल भी नहीं पा रही थी। किंजल बेबस सी छटपटाने लगी। किंजल का दम घुट रहा था। उसकी छटपटाहट बाबा को मजा दे रही थी। बाबा ने उसके मुंह में सिगरेट लगा था। किंजल कुछ समझ पाती एक कश उसके अंदर चला गया। उसे खांसी हुई। पर खांसी रोकने में एक दो कश और उसके अंदर चले गए। सिगरेट में गांझा भरा था। किंजल का सर हवा में उड़ने लगा। जिंदगी में पहली बार गाँझा पिया था उसने। उसकी छटपटाहट शांत हो गई। वो एक बार और बिट्टू के मुंह में झड़ गई। बाबा ने मौका देखा और उठा। बिट्टू को हटाया और किंजल की चूत को चाटने लगा। किंजल अब शांत थी। और दोनो हाथों से अपने चूचे मसल रही थी। अब बाबा से भी रहा न गया। उसने किंजल की टांगे उठाई और लन्ड उसके छेद पे सेट करने लगा। किंजल की चूत टाइट थी। कई हफ्तों से चूदी नही थी। बाबा ने लन्ड से प्रेशर बनाना शुरू किया। आगे का मुंड अंदर जाने लगा। धीरे धीरे पूरा लन्ड अन्दर चला गया। किंजल अब कसमसाने लगी। लन्ड बड़ा था। उसके बच्चेदानी को छू रहा था। किंजल को अपना शरीर हल्का लग रहा था। वो अब होश हवास में नही थी। मजे से मुस्कुराने लगी। उसे देख बाबा को जोश आ गया। बाबा जैसे खिलाड़ी के आगे वो कच्ची कली थी। बाबा ने धक्के लगाने शुरू किए तो हर धक्के पर उसके मुंह से आह निकलने लगी। हर 15 20 धक्के में उसकी चूत झड़ रही थी। बिट्टू ने किंजल का सर अपनी गोद में रखा और उसे फिर से कश लगवाया। किंजल बेहोशी में जाने लगी। एक तो गांजे के नशा ऊपर से लगातार झड़ती चूत। बाबा भी उसकी टाइट चूत ज्यादा देर संभाल नहीं पाया और अंदर झड़ने लगा। और किंजल के ऊपर ढह गया।


इधर सोनिया घोड़ी बन कर सिन्हा के लन्ड से चुद रही थी। उसकी गीली चूत में लन्ड पूरी स्पीड में अंदर बाहर हो रहा था। बच्चेदानी पे पड़ते थाप, स्कॉच का नशा, एसी की ठंडी हवा। सोनिया झड़ गई। सिन्हा रुक नही रहा था। पूरे कमरे में ठप ठप की मधुर आवाज गूंज रही थी। देखते ही देखते सोनिया ने 2 बार ओर अपने चरम को पार किया। उसकी टांगों में अब घोड़ी बने रहने की ताकत नही थी। उसे निढाली में जाते देख सिन्हा ने उसके बाल पकड़ कर पीछे खींच लिए। "आह" सोनिया दर्द से कराही। "साली कुतिया, मैदान छोड़ के कहा जा रही है। ऐसे तुझे जाने नही दूंगा।" सिन्हा धक्के लगाता हुआ गुर्राया। सोनिया ने एक हाथ से बाल छुड़ाने की कोशिश की। पर बार बार अंदर बाहर होते लन्ड की वजह से वो इतना हिल रही थी की छुड़ा ही नही पाई। जितना ज्यादा सोनिया कोशिश करती सिन्हा उतनी जोर से बाल खींचता। इसी जोर में सोनिया एक बार और झड़ गई। अब उसकी टांगे कांप रही थी l आखिर उसने हथियार डाल दिए और दोनो हाथ नीचे टिका कर गांड बाहर निकाल ली और चुदाने लगी। सिन्हा की स्पीड अब और तेज हो गई। सोनिया की गांड पर मजे से थप्पड़ मारने लगा। सोनिया 6 बार पानी निकाल चुकी थी। इधर सिन्हा का शरीर भी अकड़ने लगा। उसने अपनी उंगलियां सोनिया के चूतड़ों में गड़ा दी और झनाघन माल के फव्वारे छोड़ने लगा। लन्ड बाहर निकल कर कंडोम निकाला और सोनिया की पीठ पर ढह गया।


सरिता दो बार झड़ चुकी थी। दोनो पहलवान एक तरफ बैठे हांफ रहे थे। जैसे कितनी लम्बी दौड़ लगा के आए हो। सरिता के गले में 2 घूंट वीर्य उतार चुका था। और चूत से वीर्य निकल रहा था। अब सरिता को दोनो पहलवानों ने सीधा करके अपने नीचे दबोच रखा था। और उसकी वीर्य से भरी चूत में लन्ड पेल रहे थे। एक ने उसे बालो से पकड़ कर उसके मुंह में लन्ड ठूंस रखा था और दूसरा चूत चोद रहा था। सरिता में अब विरोध करने की ताकत नही थी। वो अपने आप सब चलने दे रही थी।
उस गुंडे ने उसके मुंह में अंदर तक लन्ड ठूंस दिया। और पिचकारी सीधी सरिता के पेट में जाने लगी। उसने अपना ढीला हो चुका 8 इंच लंबा लन्ड सरिता के मुंह से निकाला तो सारिता ने एक लंबी सांस ली। तभी उसकी चूत चोद रहे पहलवान ने अपना पूरा वजन उस पर डाल दिया। सरिता ने एक नजर अपने पति पर डाली। बाकी दोनों अब फिर उसे जमीन पर लेटा कर लातों से मार रहे थे। सरिता को अब फर्क नही पड़ा। उसने चोद रहे पहलवान की पीठ पर बाहें लपेट ली और टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। सरिता का होने वाला था। वो नीचे से चूतड उठा उठा कर चुदाने लगी। दोनो के पसीने से भरे हुए काले बदन एक दूसरे से चिपके हुए थे। अब सरिता खुद मजा ले रही थी। उसने बाहें पूरे जोर से कस ली। उसकी चूत ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया। अब उसे गिनती भी भूल गई थी कि वो कितनी बार झड़ चुकी है। पर वो गुंडा रुकने को तैयार नहीं था। वो अभी भी सरिता को पूरे जोश से चोद रहा था। सरिता को मजे लेते देख रघु वैसे ही मर गया था। सरिता के ऊपर चढ़े हुए आदमी का शरीर अकड़ने लगा। उसने सरिता को अपने कसरती बदन में जकड़ लिया। सरिता का दम घुटने लगा। उसे अपने गुर्दों में लन्ड गड़ता हुआ महसूस हुआ। तभी उसे अपनी बच्चे दानी में गरम गरम लावा बहता महसूस हुआ। इस गर्मी के एहसास में ही सरिता ऐसा झड़ी की उसकी बाहों में झूल गई। उसकी पकड़ ढीली हो गई। उसे चोदने वाला गुंडा भी उसके ऊपर ढह गया और लंबी लंबी सांसे लेने लगा। कुछ मिनट बाद उठा। सरिता की चूत से अपना ढीला हो चुका लन्ड निकाला तो उसकी चूत से उसका वीर्य बाहर को निकला। वो कैदी खड़ा हुआ और सरिता को बालों से पकड़ा और अपना ढीला पड़ा लन्ड सरिता के मुंह में ठूंस दिया। सरिता उसकी आंखों में देखती हुई उसका लन्ड चूसने लगी और जीभ से साफ़ करने लगी। कुछ देर बाद उसने सरिता के मुंह से लन्ड निकाला और रघु की तरफ चल दिया। सरिता को लगा ये भी अब रघु को मारेगा। पर उसने बाकी तीनों को हटाया। और अपना लन्ड हाथ में पकड़ा और रघु के ऊपर मूतने लगा। पूरा एक मिनट अपनी टंकी रघु के ऊपर खाली करके वो हटा तो बाकी तीनों भी हस्ते हुए रघु पे मूतने लगे।

इधर किंजल बेसुध पेट के बल पड़ी थी। बाबा उसकी नंगी गांड सहला रहा था। बिट्टू बाबा के पीछे खड़ा कंधे मालिश कर रहा था। किंजल ने सर उठाया। "बाथरूम जाना है।"
बाबा की आंखों में चमक आई। "बिट्टू। बेटा आज तुझे अमृतपान करने का मौका मिलेगा। जा शाबाश।"
किंजल नशे की सी हालत में उठी बिट्टू ने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ा। "यहां आओ और कर लो।"
किंजल नीचे बैठने लगी। तो बिट्टू फटाफट उसके चूतड़ों के नीचे लेट गया। किंजल को चूत के छेद के आगे बिट्टू ने अपना मुंह खोल लिया। किंजल को कुछ नही पता था क्या हो रहा है। उसने अपनी धार चालू की तो पहले बाबा का माल निकला और बिट्टू ने मुंह में चला गया। और फिर गरम धार बिट्टू के मुंह में जाने लगी। कुछ बिट्टू के अंदर जा रही थी और कुछ बाहर निकल रही थी। बिट्टू पूरा पेशाब में नहा गया। किंजल खड़ी हुई। मूतने से उसका नशा कुछ कम हुआ। सर अभी घूम रहा था पर कुछ कुछ समझ आने लगा। जैसे जैसे समझ आने लगा आंखों से आंसू बहने लगे। बाबा खड़ा हुआ और किंजल को फिर से अपनी गोद में खींच लिया। इधर बिट्टू भी खड़ा होकर बिस्तर पर बैठ गया।
बाबा ने किंजल के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। किंजल अब होश में थी। छटपटाने लगी। अब वो भागना चाहती थी। पास बैठे बिट्टू ने किंजल के पैर पकड़ लिए। किंजल पैर पटकने लगी पर बिट्टू की पकड़ मजबूत थी।
किंजल ने बाबा को नाखून मारने शुरू कर दिए। बाबा भी खिलाड़ी था। इसी कमसिन जवानियां उसने बहुत चखी थी। उसने किंजल के दोनो हाथ पकड़ लिए और अपना पूरा वजन उस पर डाल दिया। किंजल बेबस सी कोशिशें कर रही थी। उसके भारी भरकम शरीर के नीचे कसमसाने लगी। पर कुछ कर नही पा रही थी। उधर बिट्टू ने किंजल के पैर की उंगलियां चूसनी शुरू कर दी।
इस एहसास से किंजल अचानक रुक गई। ऐसा उसने कभी देखा सुना नही था। एक अलग ही रोमांच था। किंजल अभी सोच ही रही थी की बाबा किंजल की छाती पे आ गया और अपना लन्ड किंजल के मुंह में ठूंसने लगा। उसके लन्ड से किंजल को अपनी चूत के पानी और बाबा के वीर्य की महक आ रही थी। वो सर इधर उधर मारने लगी। बाबा ने किंजल के दोनो बाजू अपने घुटनों के नीचे दबा लिए और एक हाथ से किंजल के बाल पकड़ लिए। किंजल को दर्द होने लगा। बाबा ने दूसरे हाथ से उसके निप्पल को बेदर्दी से मसल दिया। किंजल दर्द सह नहीं पाई और चीखी। जैसे ही मुंह खुला बाबा का लन्ड उसके गले तक समा गया। किंजल पूरा जोर लगा कर रो रही थी पर आवाज अंदर दब गई। इधर बिट्टू की पकड़ हल्की ढीली हुई और किंजल ने जोर से उसे लात मारी। बिट्टू बिस्तर से दूर जा गिरा। अब किंजल तड़प रही थी सांस के लिए। जोर जोर से पैर हवा में मारने लगी।
"देख प्यार से मानेगी तो जल्दी से छोड़ दूंगा। नही तो दर्द से बेहाल कर दूंगा।" बाबा ने दांत पीसते हुए कहा। किंजल उसकी नशे से लाल आंखे देख घबरा गई। अब किंजल ने पैर मारना बंद कर दिया। बाबा उसकी छाती से उठा और उसके बाल पकड़ कर उसका मुंह अपने लन्ड से लगा दिया। इधर बिट्टू ने उसकी टांगे मोड़ कर घोड़ी बना दिया। किंजल के आंसू बह रहे थे और लन्ड पे होंठ ऊपर नीचे कर रही थी। पीछे से बिट्टू ने उसके चूतड़ों को चाटना शुरू कर दिया। किंजल के चूतड़ों को कोई पहली बार चाट रहा था। बिट्टू ने उसके चूतड़ों को फैलाया और गांड के छेद पे होंठ रख दिए। किंजल के शरीर में बिजली दौड़ गई। ये पहली बार था। उसकी सांस तेज हो गई और मुंह तेज तेज चलने लगा। बाबा उसके बाल और पीठ सहला रहा। बीच बीच में उसके चूचो को मसल रहा था। अब किंजल मजे से पागल हो रही थी। बिट्टू की जीभ चूतड़ों के बीच में ऊपर से नीचे घूम रही थी। जीभ से चूतड़ों के ऊपरी छोर से शुरू करता और नीचे चूत के दाने तक जाता। अब उसे बाबा के लन्ड की बदबू परेशान नहीं कर रही थी। किसी रंडी की तरह अब वो लन्ड चूस रही थी।

सिन्हा बाथरूम में घुस गया और शावर चालू कर लिया। सोनिया ने भी अपनी सांसों को कंट्रोल किया और देखा सिन्हा दरवाजा खोल कर शावर ले रहा था। सोनिया का बदन फिर मचलने लगा। वो उठी और शावर की तरफ चल दी। सिन्हा के पीछे खड़ी हो उसने हाथ में साबुन लिया और उसकी पीठ पर मलने लगी। धीरे धीरे उसके पूरे शरीर पर साबुन लगा दिया। और उसकी पीठ से लिपट कर अपने बदन को उसके बदन से रगड़ना शुरू कर दिया। सिन्हा का लन्ड फिर खड़ा होने लगा। सोनिया ने अब उसके लन्ड पर भी साबुन लगाया और आगे पीछे करने लगी। दोनो एक दूसरे से लिपट कर शावर के नीचे नहाने लगे। सिन्हा ने सोनिया को बाहों में भर लिया और उसे दीवार से लगा दिया। झुक कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसकी एक टांग को उठा लिया सिन्हा का लन्ड सोनिया की चूत पर टकराने लगा। सोनिया ने दोनो बाहों सिन्हा के गले में डाल दी। सिन्हा ने दूसरे हाथ से लन्ड को चूत के अंदर धकेला। और दूसरी टांग को भी पकड़ कर उठा लिया। सोनिया अब दीवार के साथ हवा में सटी हुई थी। उसने अपना पूरा वजन सिन्हा के कंधों पे डाला हुआ था। अब सिन्हा का लन्ड धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। उसने सोनिया के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसे इस ही धीरे धीरे चोदने लगा। पानी फुहारे और चूदाई की गर्मी सोनिया को अंदर पिघलाने लगी।
"और जोर से करो प्लीज।" सोनिया मजे के समंदर में गोते लगाने लगी। "फाड़ डालो मेरी चूत को। मुझे अपनी रखैल बना के यही रख लो।" सोनिया की चूत से बिना रुके झरने बह रहे थे। उसे खुद नही पता था वो क्या बोल रही है। अब सिन्हा और सोनिया दोनो थकने लगे। सोनिया को नीचे उतार सिन्हा ने तोलिए से शरीर पोंछा और खड़े लन्ड के साथ ही कमरे की तरफ आने लगा। पीछे पीछे सोनिया भी आ गई। सिन्हा ने बेड पे बैठ के पेग बनाना शुरू किया। सिन्हा ने एक नीट बनाया और 1 घूंट में गटक गया। और पीछे पीठ लगा कर लेट गया। सोनिया ने भी उसी ग्लास में फिर से एक नीट बनाया और वो भी गटक गई। सिन्हा का लन्ड अभी भी खड़ा था।
सोनिया घोड़ी बन कर झुक गई और उसका लन्ड चूसने लगी। उसके मुंह में उसकी चूत का स्वाद आया। पर वो फिर भी चूसने लगी। सिन्हा पीछे से उसकी गांड में उंगली करने लगा। सोनिया के होंठो की पकड़ और टाइट हो गई। सिन्हा ने उसे बालो से पकड़ कर उठाया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसका लन्ड लोहे की तरह सख्त हो रहा था। सोनिया उसके लन्ड के ऊपर आ गई और उसे चूत में डाल लिया। अब वो उसकी छाती पर हाथ रख ऊपर नीचे हो रही थी। नीट का नशा उसे अलग ही ताकत दे रहा था। सोनिया सिन्हा के ऊपर झुक गई। उसके होंठ सिन्हा के होंठो पर थे और चूतड ऊपर नीचे हो रहे थे।
Nice update....
 

prasha_tam

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sunoanuj

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Bahut hi jabardast updates… kamukta se bharpur updates wah 👏🏻👏🏻👏🏻
 

U.and.me

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Shandar 👌🔥
 
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Herry

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Nice update
 
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pussylover1

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