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Adultery महिला कारावास

Herry

Prince_Darkness
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niks1987

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सरिता अब खुद घोड़ी बन कर चुदवा रही थी। उसका पति एक कोने में बेहोश पड़ा था। एक ने उसके बाल पकड़ रखे थे और उसके मुंह में धक्के लगा रहा था। दूसरा उसकी कमर पकड़ कर चूत में धक्के मार रहा था। सरिता अब खुद पूरा जोर लगा रही थी। वो अपनी हालत अपने पति जैसी नही करवाना चाहती थी। बाकी दोनों जमीन पर बैठे सुस्ता रहे थे। चारों थक चुके थे। आधी रात बीत चुकी थी। थोड़ी देर में दोनो सरिता के मुंह और चूत में झड़ गए। सरिता निढाल होके उसी खाट पर फेल गई। पर इतने में तीसरा आया और फिर से सरिता को घोड़ी बना लिया। और लन्ड उसकी चूत में धकेल दिया। सरिता थक कर चूर हो रखी थी पर फिर भी किसी तरह घोड़ी बनी हुई थी। तभी चौथा उठा। उसने दीवार के एक कोने से फोन उठाया जिसमे वीडियो कॉल चल रही थी। "बोलो साहब इतना काफी है या कुछ और भी करना है?" उसने फोन में बोला।
"अपना काम निपटा के दोनो को खत्म कर दो। तुम्हारी जमानत का इंतजाम हो जायेगा" फोन से आवाज आई।
ईतना सुनते ही सरिता के कान खड़े हो गए। वो अचानक तीसरे वाले से खुद को छुड़वा कर बैठ गई। और फोन की तरफ हाथ जोड़ कर बैठ गई। "साहब भगवान के लिए बक्श दो। हमसे गलती हो गई। आप जो बोलेंगे वो करेंगे। भगवान के लिए हमे जान से मत मारो।" सरिता जोर जोर से रोने लगी।
"अपना काम निपटाओ। अभी इसे मत मारना। बताता हु।" फोन से आवाज आई। पहलवान ने वापस फोन दीवार पे रखा जहा से दूसरे इंसान को सब दिख रहा था। वापिस आकर उसने सरिता को फिर बालो से पकड़ा और खाट पे लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। सरिता समझ गई। उसने खुद लन्ड अपनी चूत में डाला और ऊपर नीचे होने लगी। सरिता बहुत घबराई हुई थी। ऊपर नीचे होते हुए बोली। "प्लीज हमको मत मारो। हम सब करेंगे।"
"पक्का सब करेगी न।?"
"हां।" और पूरे जोर से ऊपर नीचे होने लगी। सरिता एक बार फिर झड़ी। अब वो सह नही पाई और कैदी की छाती पर लुढ़क गई। लन्ड अभी भी उसके अंदर था। पीछे से उसके फैले हुए चूतड अलग ही नजारा दे रहे थे।


बाबा ने किंजल के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उसे अपने लन्ड पे बिठा लिया। किंजल ने अब आराम से लन्ड अन्दर ले लिया। वो पूरी गीली थी। लन्ड फचक से अंदर चला गया। बिट्टू की जीभ से किंजल कई बार झड़ चुकी थी। किंजल अब लन्ड पे ऊपर नीचे होने लगी। किंजल को अब इस बूढ़े से चुदाने में मजा आ रहा था। दूसरा वो चाहती थी की किसी तरह ये सब खतम हो और वो वापिस जाए।
किंजल अब बाबा की छाती पे वजन डाल के फटाफट ऊपर नीचे हो रही थी। बिचारी कमसिन चूत हर 2 मिनट में झड़ रही थी। पर वो लगी रही। बाबा नीचे लेटा उसके चूचे मसल रहा था। 6 - 7 बार झड़ने के बाद किंजल की हिम्मत जवाब दे गई। अब उस से हिला नही जा रहा था। अब किंजल रुक गई और जोर जोर से सांस लेने लगी। बाबा का लन्ड अभी भी खड़ा था। बाबा ने किंजल को कमर से पकड़ा और घुमा के अपने नीचे ले लिया। और दनादन पेलना शुरू किया। किंजल इतनी स्पीड सह नही पा रही थी। उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। लेकिन उसके दर्द में बाबा को मजा आ रहा था। कुछ देर चोद के बाबा ने किंजल की चूत से अपना लन्ड निकाला। किंजल को कुछ सांस आया। और हांफने लगी। उसकी चूत पूरी फैली हुई थी। मानो चूत भी सांस ले रही हो।



सिन्हा सोनिया की गांड में उंगली कर रहा था। और साथ में सोनिया चूतड ऊपर नीचे कर अपनी चूत से उसके लन्ड को चोद रही थी। सिन्हा को अब सोनिया को चोदने में मजा आ रहा था। उसने धक्का देकर सोनिया को अपने ऊपर से उतारा और उठ कर बैठ गया। और उंगली के इशारे से सोनिया को फिर अपने पास बुलाया। सोनिया पास आकर सिन्हा की गोद में बैठ गई और दोनो टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। लन्ड अब फिर सोनिया की चूत में था। सोनिया के कस कर सिन्हा के गले में बाहें डाली और आगे पीछे होने लगी। दोनो के होंठ एक दूसरे को खा रहे थे। अब सिन्हा अपने लन्ड पर सोनिया की कसी हुई चूत और अपनी जांघो पर बार टकराते उसके चूतड़ों की थाप से नही पाया और सारी पिचकारी सोनिया की चूत में छोड़ दी। और पीछे की तरफ लुढ़क गया।

सरिता उस पहलवान की छाती पर सर रख हान्फ ही रही थी की उसे उसके चूतड़ों पर किसी के हाथ महसूस हुए। जैसे कोई उसके चूतड फेला रहा हो। उसने झट से हरकत कर पीछे मुड़ के देख तो पहले वाला केदी उसके गांड़ के छेद पर लन्ड टीका रहा था। वो उठने ही लगी थी घबरा कर की नीचे वाले पहलवान ने उसकी पीठ पर बाहें लपेट कर उसे वापिस अपनी छाती से कस लिया। सरिता डर के मारे छटपटाने लगी। उसे समझ आ गया था क्या होने वाला है। "ऐसा मत करो। बहुत दर्द होगा। प्लीज नही।" सरिता छटपटाते हुए रोते हुए गिड़गिड़ाई।
"अभी तो बोल रही थी सब करेगी। नही होता तो ठीक है। हम अपना काम करते है।" सरिता चुप हो गई। पर अभी भी छटपटा रही थी। पीछे वाले पहलवान ने उसकी पिंडलियों पर घुटने रख दिए। सरिता दर्द से चिल्लाई। नीचे वाले का लन्ड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था। पीछे वाले ने टोपा अंदर घुसाया। ऐसे तो सरिता की गांड़ उसकी हत्थे की चूदाई से खुल गई थी। पर इन सबसे लन्ड हत्थे जितने ही थे। जेसे जैसे लन्ड अन्दर जा रहा था सरिता की चीख गूंज रही थी। जब लन्ड गांड़ में पूरा चला ज्ञाबतो नीचे वाले ने भी कमर ऊपर नीचे कर लन्ड में हरकत शुरू की। एक साथ दोनो तरफ होती हरकत में सरिता दर्द से पागल हो रहीं थी। पर दर्द में भी एक मजा आ रहा था। अब दोनो लन्ड दोनो छेदों में आराम से अंदर बाहर हो रहे थे। अब सरिता को दर्द कम था। मजा भी आने लगा। एक साथ दोनो छेदों में घिसाई से चूत बार बार झड़ने लगी। दोनो छेदों में लन्ड होने से चूत और गंद दोनो टाइट थी। दोनो पहलवान इतनी टाइट छेद को झेल नही पाए और सरिता के दोनो छेदों को अपने माल़ से भर दिया। और हांफने लगे। सरिता अब बेहोशी जेसी हालत में थी। वही लुढ़क गई। गांड़ और चूत दोनो जगह से वीर्य बह रहा था।

बाबा ने खींच कर किंजल को घोड़ी बनाया और लन्ड एक झटके में चूत में पेल दिया। अब बाबा भि ठक चुका था और नशा सर पर था। वो जल्दी सब निपटने के मूड में था।लन्ड सीधा बच्चे दानी से टकराया। किंजल को चीख निकली। अभी दर्द से उबरने को थी की उसे सरिता की चीखें सुनाई देने लगी। जिसे सुन कर वो घबरा गई। इधर बाबा ने दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिए। हर धक्के में किंजल आगे को खिसक जाती। बाबा ने कस कर उसकी कमर को पकड़ा और गहराई तक धक्के लगाता जा रहा था। किंजल की सिसकियां अब चीखों में बदल गई। 5 मिनट और धक्के लगा कर बाबा ने अचानक अपना लन्ड बाहर निकल लिया और किंजल को बालो से पकड़ा और अपने लन्ड को किंजल के मुंह में डाल दिया। किंजल अचानक इस धक्के को समझ नही पाई। उसकी चूत के रस से लिबड़ा हुआ लन्ड अब उसके मुंह में था। किंजल को उबकाई आने लगी लेकिन बाबा ने मुंह में धक्के लगाने जारी रखे। अचानक बाबा ने लन्ड उसके गले तक ठूंस दिया। आधा लन्ड अभी भी किंजल के छोटे से मुंह से बाहर था। बाबा की टांगे कांपने लगी और उसके अंडकोष खाली होने लगे। सारा वीर्य किंजल के गले में उतरने लगा। किंजल की आंखे बाहर आने लगी। उसकी सांस रुक गईं थी। बाबा 30 सेकंड तक इस ही रहा। किंजल को लगा वो अभी मर जायेगी। तभी बाबा ने लन्ड बाहर निकाल लिया। किंजल ने जोर को सांस ली और उसे उल्टी आने लगी। उसने पास में सारा वीर्य और खाना वापिस उलट दिया। किंजल को चक्कर आने लगे और वही बेहोश होकर गिर गई।


सोनिया बाथरूम में गई। खुद को साफ किया। और वापिस सिन्हा के पास आई। सिन्हा अभी भी बेड पर टेक लगा कर नंगा बैठा था। टांगे फैला रखी थी। नशा अब उसके सर पर चढ़ा हुआ था। सोनिया ने पास आकर उसके लन्ड को सहलाना शुरू किया। सिन्हा ने उसका हाथ पकड़ लिया और हटाते हुए बोला। "बस अब। अपने कपड़े उठा और जा यहां से। मुझे नींद आ रहीं है। बाहर मेरे गार्ड को भी खुश कर देना। मेरा खास आदमी है।" सिन्हा ने आंखे बंद में बोला और सोनिया को झटक दिया। सोनिया की आंखों में आसूं आ गए। ऐसा लगा की वो कोई सड़कछाप रण्डी हो। सोनिया बाहर ड्राइंग रूम में आ गई जहा उसके कपड़े रखे थे। उसने कपड़े उठाए ही थे कि बाहर का दरवाजा खुला और गार्ड अंदर आया।
"साहब किधर है?" उसने अंदर आते ही पूछा।
"अंदर हैं। सो गए।" सोनिया खुद को कपड़ों से छुपाते हुए बोला। गार्ड उसके नंगे शरीर को ऊपर से नीचे देखने लगा। जिसे छुपाने की नाकाम सी कोशिश सोनिया कर रही थी। गार्ड पास आया। सोनिया के हाथ कांपने लगे। उसे गार्ड की आंखों में वहशीपन दिख रहा था। अगर सिन्हा ने ना बोला होता तो सोनिया उसका पूरा विरोध करती। गार्ड भी समझ गया कि साहब ने पहले की तरह ये चिड़िया भी उसकी झोली में डाल दी है।
मदन(गार्ड) सोनिया की तरफ बढ़ने लगा। सोनिया के हाथ कांप रहे थे। हाथ में पकड़े कपड़ों को उसने कस के सीने से लगा लिया। मदन सोनिया के इतना पास आ गया कि सोनिया की सांसों को भी महसूस कर पा रहा था।

एक पहलवान उठा और फोन पकड़ लिया। "साहब क्या करना है?"
"ऐ सरिता। रघु तो कल का सूरज नही देखने वाला। तेरा क्या खयाल है अब?" फोन से आवाज आई।
"साहब, माफ कर दो साहब। आप जो बोलोगे वो करूंगी। बस इस बार छोड़ दो।" सरिता हाथ जोड़ फोन की तरफ देखते हुए गिड़गिड़ाई।
"तो एक काम कर। रघु को परलोक तू भेज दे। तुझे माफ कर देंगें।"
"जी??" सरिता सहम गई । उसे समझ आ गया था फोन पर क्या बोला है।
"समझ नही आया तो तुम दोनो को भेज देते है। जल्दी कर।" फोन से फिर आवाज आई।
सरिता खड़ी हुई। हाथ जोड़ फोन की तरफ देखती रही। दिमाग सुन्न हो गया था। पहलवान ने बालो से पकड़ लिया। "सुना नही क्या साहब ने क्या बोला। "
उसने दूसरा हाथ सरिता की गर्दन पर दबा दिया। सरिता ने झट से हां में गर्दन हिलाई। पहलवान ने उसे बालो से पकड़ रघु के ऊपर धकेल दिया। सरिता बेहोश रघु के ऊपर गिरी। रघु के शरीर में कोई हलचल नहीं थी। उसने रोते हुए चारों की तरफ देखा। चारों उसे ही घूर रहे थे। उसने रघु का सर अपनी गोद में रखा। फिर अपनी बाजू को पीछे से उसके गले में डाल के दबाना शुरू किया। रघु को सांस रुकने लगी। बेहोशी में उसका शरीर छटपटाने लगा। हाथ पैर सलामत नही थे। कुछ कर नही सकता था। छटपटाहट में उसकी बेहोशी टूटने लगी। आधे मिनट के बाद चेहरा लाल होने लगा। आंखे लाल होकर बाहर आने लगी। सरिता रोए जा रही थी। अगले 1 मिनट में रघु का शरीर शांत हो गया। सरिता ने पकड़ ढीली की और वही उसके ऊपर सर रख रोने लगी। पहलवान पास आया। उसने रघु की सांस और नब्ज चेक की और दूसरे कैदी को इशारा किया।
"साहब काम हो गया।" उसने फोन पर कहा। और फोन काट दिया।
दो जनों ने सरिता को दोनो बाजुओं से पकड़ा और घसीट कर बाहर ले जाने लगे। सरिता आखरी बार भीगी आंखों से रघु की लाश को देख रही थी।

इधर बिट्टू बेहोश किंजल पर पानी के छींटे मार रहा था। उसने किंजल को उठाया और उसे कपड़े पहनाने लगा। किंजल किसी तरह खड़ी हुई। उसकी टांगे कांप रही थी। उसने देखा बाबा बिस्तर पर नंगा लुढ़का पड़ा था। उसका मोटा पेट बाहर निकला हुआ था और खर्राटे मार रहा था। कुछ देर पहले किंजल उसके नीचे थी। किंजल को खुद पे घिन आ रही थी की कैसे इस बूढ़े ने बेचारी फूल जैसी किंजल को रगड़ा था। पर किंजल को नही पता था कि ये तो सिर्फ शुरुआत है। किंजल लंगड़ा कर चल रही थी। किसी तरह वो दर्द से कराहती दरवाजे से बाहर निकली। सामने सरिता को नंगा ही गाड़ी में बिठा रहे थे। महिला गार्ड सरिता को जिंदा देख हैरान थी। उसे बताया गया था कि सरिता जिंदा वापिस नही आयेगी। किंजल धीरे धीरे चलते हुए गाड़ी के पास पहुंची। किंजल पिछली सीट पर बैठ गई। सरिता शून्य सी नंगी ही सबसे पीछे की सीट पर बैठी थी। अंधेरे में काले रंग की वजह से ठीक से दिखाई भी नही दे रही थी। छोटी मोटी चोरी तक तो ठीक था। पर किसी की जान लेना उसके लिए नया था। वो भी उसका खुद का पति। गाड़ी चल पड़ी। और गेस्ट हाउस के बाहर रुक गई।

अंदर गाड़ी की लाइट देख मदन ने अपना लन्ड सोनिया के मुंह से बाहर निकाला और सोनिया को घुटनों से खड़ा कर सोफे पे झुका दिया। और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल दिया। सोनिया जो कुछ देर पहले उचक ऊचक कर चुदवा रही थी अब किसी रोबोट की तरह चुद रही थी। 10 मिनट धक्के लगा कर मदन सोनिया की चूत में झड़ गया। मदन ने सोनिया के टी शर्ट से अपना लन्ड साफ किया । "चल जल्दी से कपड़े पहन। तेरी गाड़ी आ गई।" मदन बेल्ट बांधता हुआ बोला। सोनिया ने फटाफट ब्रा पहनी और टी शर्ट पहनी। टी शर्ट मदन के वीर्य से चिपचिपी हो रखी थी। बदबू आ रही थी। किसी तरह सोनिया ने टी शर्ट पहन ली। जैसे ही सोनिया ने पैंटी उठाई, मदन ने उसके हाथ से छीन ली। सोनिया ने उसकी तरफ देखा। तो मदन पैंटी सूंघता हुआ बोला। "जानेमन अपनी चुदायी की एक निशानी तो छोड़ जा।"
सोनिया ने पजामा उठाया और ऐसे ही पहन लिया। मदन ने दरवाजा खोला और सोनिया फटाफट जाके गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी में देखा तो पीछे सरिता बिना कपड़ों के खोई हुई थी। और किंजल बेसुध खिड़की से सर लगा कर बैठी थी। सोनिया को बेचारी किंजल पर तरस आया। उसके लिए पहली बार था। उसने किंजल का हाथ पकड़ लिया। सुबह के 3:30 बज चुके थे। गाड़ी धीरे
धीरे गेट की तरफ बढ़ने लगी।
 

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सरिता अब खुद घोड़ी बन कर चुदवा रही थी। उसका पति एक कोने में बेहोश पड़ा था। एक ने उसके बाल पकड़ रखे थे और उसके मुंह में धक्के लगा रहा था। दूसरा उसकी कमर पकड़ कर चूत में धक्के मार रहा था। सरिता अब खुद पूरा जोर लगा रही थी। वो अपनी हालत अपने पति जैसी नही करवाना चाहती थी। बाकी दोनों जमीन पर बैठे सुस्ता रहे थे। चारों थक चुके थे। आधी रात बीत चुकी थी। थोड़ी देर में दोनो सरिता के मुंह और चूत में झड़ गए। सरिता निढाल होके उसी खाट पर फेल गई। पर इतने में तीसरा आया और फिर से सरिता को घोड़ी बना लिया। और लन्ड उसकी चूत में धकेल दिया। सरिता थक कर चूर हो रखी थी पर फिर भी किसी तरह घोड़ी बनी हुई थी। तभी चौथा उठा। उसने दीवार के एक कोने से फोन उठाया जिसमे वीडियो कॉल चल रही थी। "बोलो साहब इतना काफी है या कुछ और भी करना है?" उसने फोन में बोला।
"अपना काम निपटा के दोनो को खत्म कर दो। तुम्हारी जमानत का इंतजाम हो जायेगा" फोन से आवाज आई।
ईतना सुनते ही सरिता के कान खड़े हो गए। वो अचानक तीसरे वाले से खुद को छुड़वा कर बैठ गई। और फोन की तरफ हाथ जोड़ कर बैठ गई। "साहब भगवान के लिए बक्श दो। हमसे गलती हो गई। आप जो बोलेंगे वो करेंगे। भगवान के लिए हमे जान से मत मारो।" सरिता जोर जोर से रोने लगी।
"अपना काम निपटाओ। अभी इसे मत मारना। बताता हु।" फोन से आवाज आई। पहलवान ने वापस फोन दीवार पे रखा जहा से दूसरे इंसान को सब दिख रहा था। वापिस आकर उसने सरिता को फिर बालो से पकड़ा और खाट पे लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। सरिता समझ गई। उसने खुद लन्ड अपनी चूत में डाला और ऊपर नीचे होने लगी। सरिता बहुत घबराई हुई थी। ऊपर नीचे होते हुए बोली। "प्लीज हमको मत मारो। हम सब करेंगे।"
"पक्का सब करेगी न।?"
"हां।" और पूरे जोर से ऊपर नीचे होने लगी। सरिता एक बार फिर झड़ी। अब वो सह नही पाई और कैदी की छाती पर लुढ़क गई। लन्ड अभी भी उसके अंदर था। पीछे से उसके फैले हुए चूतड अलग ही नजारा दे रहे थे।


बाबा ने किंजल के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उसे अपने लन्ड पे बिठा लिया। किंजल ने अब आराम से लन्ड अन्दर ले लिया। वो पूरी गीली थी। लन्ड फचक से अंदर चला गया। बिट्टू की जीभ से किंजल कई बार झड़ चुकी थी। किंजल अब लन्ड पे ऊपर नीचे होने लगी। किंजल को अब इस बूढ़े से चुदाने में मजा आ रहा था। दूसरा वो चाहती थी की किसी तरह ये सब खतम हो और वो वापिस जाए।
किंजल अब बाबा की छाती पे वजन डाल के फटाफट ऊपर नीचे हो रही थी। बिचारी कमसिन चूत हर 2 मिनट में झड़ रही थी। पर वो लगी रही। बाबा नीचे लेटा उसके चूचे मसल रहा था। 6 - 7 बार झड़ने के बाद किंजल की हिम्मत जवाब दे गई। अब उस से हिला नही जा रहा था। अब किंजल रुक गई और जोर जोर से सांस लेने लगी। बाबा का लन्ड अभी भी खड़ा था। बाबा ने किंजल को कमर से पकड़ा और घुमा के अपने नीचे ले लिया। और दनादन पेलना शुरू किया। किंजल इतनी स्पीड सह नही पा रही थी। उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। लेकिन उसके दर्द में बाबा को मजा आ रहा था। कुछ देर चोद के बाबा ने किंजल की चूत से अपना लन्ड निकाला। किंजल को कुछ सांस आया। और हांफने लगी। उसकी चूत पूरी फैली हुई थी। मानो चूत भी सांस ले रही हो।



सिन्हा सोनिया की गांड में उंगली कर रहा था। और साथ में सोनिया चूतड ऊपर नीचे कर अपनी चूत से उसके लन्ड को चोद रही थी। सिन्हा को अब सोनिया को चोदने में मजा आ रहा था। उसने धक्का देकर सोनिया को अपने ऊपर से उतारा और उठ कर बैठ गया। और उंगली के इशारे से सोनिया को फिर अपने पास बुलाया। सोनिया पास आकर सिन्हा की गोद में बैठ गई और दोनो टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। लन्ड अब फिर सोनिया की चूत में था। सोनिया के कस कर सिन्हा के गले में बाहें डाली और आगे पीछे होने लगी। दोनो के होंठ एक दूसरे को खा रहे थे। अब सिन्हा अपने लन्ड पर सोनिया की कसी हुई चूत और अपनी जांघो पर बार टकराते उसके चूतड़ों की थाप से नही पाया और सारी पिचकारी सोनिया की चूत में छोड़ दी। और पीछे की तरफ लुढ़क गया।

सरिता उस पहलवान की छाती पर सर रख हान्फ ही रही थी की उसे उसके चूतड़ों पर किसी के हाथ महसूस हुए। जैसे कोई उसके चूतड फेला रहा हो। उसने झट से हरकत कर पीछे मुड़ के देख तो पहले वाला केदी उसके गांड़ के छेद पर लन्ड टीका रहा था। वो उठने ही लगी थी घबरा कर की नीचे वाले पहलवान ने उसकी पीठ पर बाहें लपेट कर उसे वापिस अपनी छाती से कस लिया। सरिता डर के मारे छटपटाने लगी। उसे समझ आ गया था क्या होने वाला है। "ऐसा मत करो। बहुत दर्द होगा। प्लीज नही।" सरिता छटपटाते हुए रोते हुए गिड़गिड़ाई।
"अभी तो बोल रही थी सब करेगी। नही होता तो ठीक है। हम अपना काम करते है।" सरिता चुप हो गई। पर अभी भी छटपटा रही थी। पीछे वाले पहलवान ने उसकी पिंडलियों पर घुटने रख दिए। सरिता दर्द से चिल्लाई। नीचे वाले का लन्ड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था। पीछे वाले ने टोपा अंदर घुसाया। ऐसे तो सरिता की गांड़ उसकी हत्थे की चूदाई से खुल गई थी। पर इन सबसे लन्ड हत्थे जितने ही थे। जेसे जैसे लन्ड अन्दर जा रहा था सरिता की चीख गूंज रही थी। जब लन्ड गांड़ में पूरा चला ज्ञाबतो नीचे वाले ने भी कमर ऊपर नीचे कर लन्ड में हरकत शुरू की। एक साथ दोनो तरफ होती हरकत में सरिता दर्द से पागल हो रहीं थी। पर दर्द में भी एक मजा आ रहा था। अब दोनो लन्ड दोनो छेदों में आराम से अंदर बाहर हो रहे थे। अब सरिता को दर्द कम था। मजा भी आने लगा। एक साथ दोनो छेदों में घिसाई से चूत बार बार झड़ने लगी। दोनो छेदों में लन्ड होने से चूत और गंद दोनो टाइट थी। दोनो पहलवान इतनी टाइट छेद को झेल नही पाए और सरिता के दोनो छेदों को अपने माल़ से भर दिया। और हांफने लगे। सरिता अब बेहोशी जेसी हालत में थी। वही लुढ़क गई। गांड़ और चूत दोनो जगह से वीर्य बह रहा था।

बाबा ने खींच कर किंजल को घोड़ी बनाया और लन्ड एक झटके में चूत में पेल दिया। अब बाबा भि ठक चुका था और नशा सर पर था। वो जल्दी सब निपटने के मूड में था।लन्ड सीधा बच्चे दानी से टकराया। किंजल को चीख निकली। अभी दर्द से उबरने को थी की उसे सरिता की चीखें सुनाई देने लगी। जिसे सुन कर वो घबरा गई। इधर बाबा ने दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिए। हर धक्के में किंजल आगे को खिसक जाती। बाबा ने कस कर उसकी कमर को पकड़ा और गहराई तक धक्के लगाता जा रहा था। किंजल की सिसकियां अब चीखों में बदल गई। 5 मिनट और धक्के लगा कर बाबा ने अचानक अपना लन्ड बाहर निकल लिया और किंजल को बालो से पकड़ा और अपने लन्ड को किंजल के मुंह में डाल दिया। किंजल अचानक इस धक्के को समझ नही पाई। उसकी चूत के रस से लिबड़ा हुआ लन्ड अब उसके मुंह में था। किंजल को उबकाई आने लगी लेकिन बाबा ने मुंह में धक्के लगाने जारी रखे। अचानक बाबा ने लन्ड उसके गले तक ठूंस दिया। आधा लन्ड अभी भी किंजल के छोटे से मुंह से बाहर था। बाबा की टांगे कांपने लगी और उसके अंडकोष खाली होने लगे। सारा वीर्य किंजल के गले में उतरने लगा। किंजल की आंखे बाहर आने लगी। उसकी सांस रुक गईं थी। बाबा 30 सेकंड तक इस ही रहा। किंजल को लगा वो अभी मर जायेगी। तभी बाबा ने लन्ड बाहर निकाल लिया। किंजल ने जोर को सांस ली और उसे उल्टी आने लगी। उसने पास में सारा वीर्य और खाना वापिस उलट दिया। किंजल को चक्कर आने लगे और वही बेहोश होकर गिर गई।


सोनिया बाथरूम में गई। खुद को साफ किया। और वापिस सिन्हा के पास आई। सिन्हा अभी भी बेड पर टेक लगा कर नंगा बैठा था। टांगे फैला रखी थी। नशा अब उसके सर पर चढ़ा हुआ था। सोनिया ने पास आकर उसके लन्ड को सहलाना शुरू किया। सिन्हा ने उसका हाथ पकड़ लिया और हटाते हुए बोला। "बस अब। अपने कपड़े उठा और जा यहां से। मुझे नींद आ रहीं है। बाहर मेरे गार्ड को भी खुश कर देना। मेरा खास आदमी है।" सिन्हा ने आंखे बंद में बोला और सोनिया को झटक दिया। सोनिया की आंखों में आसूं आ गए। ऐसा लगा की वो कोई सड़कछाप रण्डी हो। सोनिया बाहर ड्राइंग रूम में आ गई जहा उसके कपड़े रखे थे। उसने कपड़े उठाए ही थे कि बाहर का दरवाजा खुला और गार्ड अंदर आया।
"साहब किधर है?" उसने अंदर आते ही पूछा।
"अंदर हैं। सो गए।" सोनिया खुद को कपड़ों से छुपाते हुए बोला। गार्ड उसके नंगे शरीर को ऊपर से नीचे देखने लगा। जिसे छुपाने की नाकाम सी कोशिश सोनिया कर रही थी। गार्ड पास आया। सोनिया के हाथ कांपने लगे। उसे गार्ड की आंखों में वहशीपन दिख रहा था। अगर सिन्हा ने ना बोला होता तो सोनिया उसका पूरा विरोध करती। गार्ड भी समझ गया कि साहब ने पहले की तरह ये चिड़िया भी उसकी झोली में डाल दी है।
मदन(गार्ड) सोनिया की तरफ बढ़ने लगा। सोनिया के हाथ कांप रहे थे। हाथ में पकड़े कपड़ों को उसने कस के सीने से लगा लिया। मदन सोनिया के इतना पास आ गया कि सोनिया की सांसों को भी महसूस कर पा रहा था।

एक पहलवान उठा और फोन पकड़ लिया। "साहब क्या करना है?"
"ऐ सरिता। रघु तो कल का सूरज नही देखने वाला। तेरा क्या खयाल है अब?" फोन से आवाज आई।
"साहब, माफ कर दो साहब। आप जो बोलोगे वो करूंगी। बस इस बार छोड़ दो।" सरिता हाथ जोड़ फोन की तरफ देखते हुए गिड़गिड़ाई।
"तो एक काम कर। रघु को परलोक तू भेज दे। तुझे माफ कर देंगें।"
"जी??" सरिता सहम गई । उसे समझ आ गया था फोन पर क्या बोला है।
"समझ नही आया तो तुम दोनो को भेज देते है। जल्दी कर।" फोन से फिर आवाज आई।
सरिता खड़ी हुई। हाथ जोड़ फोन की तरफ देखती रही। दिमाग सुन्न हो गया था। पहलवान ने बालो से पकड़ लिया। "सुना नही क्या साहब ने क्या बोला। "
उसने दूसरा हाथ सरिता की गर्दन पर दबा दिया। सरिता ने झट से हां में गर्दन हिलाई। पहलवान ने उसे बालो से पकड़ रघु के ऊपर धकेल दिया। सरिता बेहोश रघु के ऊपर गिरी। रघु के शरीर में कोई हलचल नहीं थी। उसने रोते हुए चारों की तरफ देखा। चारों उसे ही घूर रहे थे। उसने रघु का सर अपनी गोद में रखा। फिर अपनी बाजू को पीछे से उसके गले में डाल के दबाना शुरू किया। रघु को सांस रुकने लगी। बेहोशी में उसका शरीर छटपटाने लगा। हाथ पैर सलामत नही थे। कुछ कर नही सकता था। छटपटाहट में उसकी बेहोशी टूटने लगी। आधे मिनट के बाद चेहरा लाल होने लगा। आंखे लाल होकर बाहर आने लगी। सरिता रोए जा रही थी। अगले 1 मिनट में रघु का शरीर शांत हो गया। सरिता ने पकड़ ढीली की और वही उसके ऊपर सर रख रोने लगी। पहलवान पास आया। उसने रघु की सांस और नब्ज चेक की और दूसरे कैदी को इशारा किया।
"साहब काम हो गया।" उसने फोन पर कहा। और फोन काट दिया।
दो जनों ने सरिता को दोनो बाजुओं से पकड़ा और घसीट कर बाहर ले जाने लगे। सरिता आखरी बार भीगी आंखों से रघु की लाश को देख रही थी।

इधर बिट्टू बेहोश किंजल पर पानी के छींटे मार रहा था। उसने किंजल को उठाया और उसे कपड़े पहनाने लगा। किंजल किसी तरह खड़ी हुई। उसकी टांगे कांप रही थी। उसने देखा बाबा बिस्तर पर नंगा लुढ़का पड़ा था। उसका मोटा पेट बाहर निकला हुआ था और खर्राटे मार रहा था। कुछ देर पहले किंजल उसके नीचे थी। किंजल को खुद पे घिन आ रही थी की कैसे इस बूढ़े ने बेचारी फूल जैसी किंजल को रगड़ा था। पर किंजल को नही पता था कि ये तो सिर्फ शुरुआत है। किंजल लंगड़ा कर चल रही थी। किसी तरह वो दर्द से कराहती दरवाजे से बाहर निकली। सामने सरिता को नंगा ही गाड़ी में बिठा रहे थे। महिला गार्ड सरिता को जिंदा देख हैरान थी। उसे बताया गया था कि सरिता जिंदा वापिस नही आयेगी। किंजल धीरे धीरे चलते हुए गाड़ी के पास पहुंची। किंजल पिछली सीट पर बैठ गई। सरिता शून्य सी नंगी ही सबसे पीछे की सीट पर बैठी थी। अंधेरे में काले रंग की वजह से ठीक से दिखाई भी नही दे रही थी। छोटी मोटी चोरी तक तो ठीक था। पर किसी की जान लेना उसके लिए नया था। वो भी उसका खुद का पति। गाड़ी चल पड़ी। और गेस्ट हाउस के बाहर रुक गई।

अंदर गाड़ी की लाइट देख मदन ने अपना लन्ड सोनिया के मुंह से बाहर निकाला और सोनिया को घुटनों से खड़ा कर सोफे पे झुका दिया। और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल दिया। सोनिया जो कुछ देर पहले उचक ऊचक कर चुदवा रही थी अब किसी रोबोट की तरह चुद रही थी। 10 मिनट धक्के लगा कर मदन सोनिया की चूत में झड़ गया। मदन ने सोनिया के टी शर्ट से अपना लन्ड साफ किया । "चल जल्दी से कपड़े पहन। तेरी गाड़ी आ गई।" मदन बेल्ट बांधता हुआ बोला। सोनिया ने फटाफट ब्रा पहनी और टी शर्ट पहनी। टी शर्ट मदन के वीर्य से चिपचिपी हो रखी थी। बदबू आ रही थी। किसी तरह सोनिया ने टी शर्ट पहन ली। जैसे ही सोनिया ने पैंटी उठाई, मदन ने उसके हाथ से छीन ली। सोनिया ने उसकी तरफ देखा। तो मदन पैंटी सूंघता हुआ बोला। "जानेमन अपनी चुदायी की एक निशानी तो छोड़ जा।"
सोनिया ने पजामा उठाया और ऐसे ही पहन लिया। मदन ने दरवाजा खोला और सोनिया फटाफट जाके गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी में देखा तो पीछे सरिता बिना कपड़ों के खोई हुई थी। और किंजल बेसुध खिड़की से सर लगा कर बैठी थी। सोनिया को बेचारी किंजल पर तरस आया। उसके लिए पहली बार था। उसने किंजल का हाथ पकड़ लिया। सुबह के 3:30 बज चुके थे। गाड़ी धीरे
धीरे गेट की तरफ बढ़ने लगी।
Nice update....
 
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सरिता अब खुद घोड़ी बन कर चुदवा रही थी। उसका पति एक कोने में बेहोश पड़ा था। एक ने उसके बाल पकड़ रखे थे और उसके मुंह में धक्के लगा रहा था। दूसरा उसकी कमर पकड़ कर चूत में धक्के मार रहा था। सरिता अब खुद पूरा जोर लगा रही थी। वो अपनी हालत अपने पति जैसी नही करवाना चाहती थी। बाकी दोनों जमीन पर बैठे सुस्ता रहे थे। चारों थक चुके थे। आधी रात बीत चुकी थी। थोड़ी देर में दोनो सरिता के मुंह और चूत में झड़ गए। सरिता निढाल होके उसी खाट पर फेल गई। पर इतने में तीसरा आया और फिर से सरिता को घोड़ी बना लिया। और लन्ड उसकी चूत में धकेल दिया। सरिता थक कर चूर हो रखी थी पर फिर भी किसी तरह घोड़ी बनी हुई थी। तभी चौथा उठा। उसने दीवार के एक कोने से फोन उठाया जिसमे वीडियो कॉल चल रही थी। "बोलो साहब इतना काफी है या कुछ और भी करना है?" उसने फोन में बोला।
"अपना काम निपटा के दोनो को खत्म कर दो। तुम्हारी जमानत का इंतजाम हो जायेगा" फोन से आवाज आई।
ईतना सुनते ही सरिता के कान खड़े हो गए। वो अचानक तीसरे वाले से खुद को छुड़वा कर बैठ गई। और फोन की तरफ हाथ जोड़ कर बैठ गई। "साहब भगवान के लिए बक्श दो। हमसे गलती हो गई। आप जो बोलेंगे वो करेंगे। भगवान के लिए हमे जान से मत मारो।" सरिता जोर जोर से रोने लगी।
"अपना काम निपटाओ। अभी इसे मत मारना। बताता हु।" फोन से आवाज आई। पहलवान ने वापस फोन दीवार पे रखा जहा से दूसरे इंसान को सब दिख रहा था। वापिस आकर उसने सरिता को फिर बालो से पकड़ा और खाट पे लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। सरिता समझ गई। उसने खुद लन्ड अपनी चूत में डाला और ऊपर नीचे होने लगी। सरिता बहुत घबराई हुई थी। ऊपर नीचे होते हुए बोली। "प्लीज हमको मत मारो। हम सब करेंगे।"
"पक्का सब करेगी न।?"
"हां।" और पूरे जोर से ऊपर नीचे होने लगी। सरिता एक बार फिर झड़ी। अब वो सह नही पाई और कैदी की छाती पर लुढ़क गई। लन्ड अभी भी उसके अंदर था। पीछे से उसके फैले हुए चूतड अलग ही नजारा दे रहे थे।


बाबा ने किंजल के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उसे अपने लन्ड पे बिठा लिया। किंजल ने अब आराम से लन्ड अन्दर ले लिया। वो पूरी गीली थी। लन्ड फचक से अंदर चला गया। बिट्टू की जीभ से किंजल कई बार झड़ चुकी थी। किंजल अब लन्ड पे ऊपर नीचे होने लगी। किंजल को अब इस बूढ़े से चुदाने में मजा आ रहा था। दूसरा वो चाहती थी की किसी तरह ये सब खतम हो और वो वापिस जाए।
किंजल अब बाबा की छाती पे वजन डाल के फटाफट ऊपर नीचे हो रही थी। बिचारी कमसिन चूत हर 2 मिनट में झड़ रही थी। पर वो लगी रही। बाबा नीचे लेटा उसके चूचे मसल रहा था। 6 - 7 बार झड़ने के बाद किंजल की हिम्मत जवाब दे गई। अब उस से हिला नही जा रहा था। अब किंजल रुक गई और जोर जोर से सांस लेने लगी। बाबा का लन्ड अभी भी खड़ा था। बाबा ने किंजल को कमर से पकड़ा और घुमा के अपने नीचे ले लिया। और दनादन पेलना शुरू किया। किंजल इतनी स्पीड सह नही पा रही थी। उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। लेकिन उसके दर्द में बाबा को मजा आ रहा था। कुछ देर चोद के बाबा ने किंजल की चूत से अपना लन्ड निकाला। किंजल को कुछ सांस आया। और हांफने लगी। उसकी चूत पूरी फैली हुई थी। मानो चूत भी सांस ले रही हो।



सिन्हा सोनिया की गांड में उंगली कर रहा था। और साथ में सोनिया चूतड ऊपर नीचे कर अपनी चूत से उसके लन्ड को चोद रही थी। सिन्हा को अब सोनिया को चोदने में मजा आ रहा था। उसने धक्का देकर सोनिया को अपने ऊपर से उतारा और उठ कर बैठ गया। और उंगली के इशारे से सोनिया को फिर अपने पास बुलाया। सोनिया पास आकर सिन्हा की गोद में बैठ गई और दोनो टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। लन्ड अब फिर सोनिया की चूत में था। सोनिया के कस कर सिन्हा के गले में बाहें डाली और आगे पीछे होने लगी। दोनो के होंठ एक दूसरे को खा रहे थे। अब सिन्हा अपने लन्ड पर सोनिया की कसी हुई चूत और अपनी जांघो पर बार टकराते उसके चूतड़ों की थाप से नही पाया और सारी पिचकारी सोनिया की चूत में छोड़ दी। और पीछे की तरफ लुढ़क गया।

सरिता उस पहलवान की छाती पर सर रख हान्फ ही रही थी की उसे उसके चूतड़ों पर किसी के हाथ महसूस हुए। जैसे कोई उसके चूतड फेला रहा हो। उसने झट से हरकत कर पीछे मुड़ के देख तो पहले वाला केदी उसके गांड़ के छेद पर लन्ड टीका रहा था। वो उठने ही लगी थी घबरा कर की नीचे वाले पहलवान ने उसकी पीठ पर बाहें लपेट कर उसे वापिस अपनी छाती से कस लिया। सरिता डर के मारे छटपटाने लगी। उसे समझ आ गया था क्या होने वाला है। "ऐसा मत करो। बहुत दर्द होगा। प्लीज नही।" सरिता छटपटाते हुए रोते हुए गिड़गिड़ाई।
"अभी तो बोल रही थी सब करेगी। नही होता तो ठीक है। हम अपना काम करते है।" सरिता चुप हो गई। पर अभी भी छटपटा रही थी। पीछे वाले पहलवान ने उसकी पिंडलियों पर घुटने रख दिए। सरिता दर्द से चिल्लाई। नीचे वाले का लन्ड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था। पीछे वाले ने टोपा अंदर घुसाया। ऐसे तो सरिता की गांड़ उसकी हत्थे की चूदाई से खुल गई थी। पर इन सबसे लन्ड हत्थे जितने ही थे। जेसे जैसे लन्ड अन्दर जा रहा था सरिता की चीख गूंज रही थी। जब लन्ड गांड़ में पूरा चला ज्ञाबतो नीचे वाले ने भी कमर ऊपर नीचे कर लन्ड में हरकत शुरू की। एक साथ दोनो तरफ होती हरकत में सरिता दर्द से पागल हो रहीं थी। पर दर्द में भी एक मजा आ रहा था। अब दोनो लन्ड दोनो छेदों में आराम से अंदर बाहर हो रहे थे। अब सरिता को दर्द कम था। मजा भी आने लगा। एक साथ दोनो छेदों में घिसाई से चूत बार बार झड़ने लगी। दोनो छेदों में लन्ड होने से चूत और गंद दोनो टाइट थी। दोनो पहलवान इतनी टाइट छेद को झेल नही पाए और सरिता के दोनो छेदों को अपने माल़ से भर दिया। और हांफने लगे। सरिता अब बेहोशी जेसी हालत में थी। वही लुढ़क गई। गांड़ और चूत दोनो जगह से वीर्य बह रहा था।

बाबा ने खींच कर किंजल को घोड़ी बनाया और लन्ड एक झटके में चूत में पेल दिया। अब बाबा भि ठक चुका था और नशा सर पर था। वो जल्दी सब निपटने के मूड में था।लन्ड सीधा बच्चे दानी से टकराया। किंजल को चीख निकली। अभी दर्द से उबरने को थी की उसे सरिता की चीखें सुनाई देने लगी। जिसे सुन कर वो घबरा गई। इधर बाबा ने दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिए। हर धक्के में किंजल आगे को खिसक जाती। बाबा ने कस कर उसकी कमर को पकड़ा और गहराई तक धक्के लगाता जा रहा था। किंजल की सिसकियां अब चीखों में बदल गई। 5 मिनट और धक्के लगा कर बाबा ने अचानक अपना लन्ड बाहर निकल लिया और किंजल को बालो से पकड़ा और अपने लन्ड को किंजल के मुंह में डाल दिया। किंजल अचानक इस धक्के को समझ नही पाई। उसकी चूत के रस से लिबड़ा हुआ लन्ड अब उसके मुंह में था। किंजल को उबकाई आने लगी लेकिन बाबा ने मुंह में धक्के लगाने जारी रखे। अचानक बाबा ने लन्ड उसके गले तक ठूंस दिया। आधा लन्ड अभी भी किंजल के छोटे से मुंह से बाहर था। बाबा की टांगे कांपने लगी और उसके अंडकोष खाली होने लगे। सारा वीर्य किंजल के गले में उतरने लगा। किंजल की आंखे बाहर आने लगी। उसकी सांस रुक गईं थी। बाबा 30 सेकंड तक इस ही रहा। किंजल को लगा वो अभी मर जायेगी। तभी बाबा ने लन्ड बाहर निकाल लिया। किंजल ने जोर को सांस ली और उसे उल्टी आने लगी। उसने पास में सारा वीर्य और खाना वापिस उलट दिया। किंजल को चक्कर आने लगे और वही बेहोश होकर गिर गई।


सोनिया बाथरूम में गई। खुद को साफ किया। और वापिस सिन्हा के पास आई। सिन्हा अभी भी बेड पर टेक लगा कर नंगा बैठा था। टांगे फैला रखी थी। नशा अब उसके सर पर चढ़ा हुआ था। सोनिया ने पास आकर उसके लन्ड को सहलाना शुरू किया। सिन्हा ने उसका हाथ पकड़ लिया और हटाते हुए बोला। "बस अब। अपने कपड़े उठा और जा यहां से। मुझे नींद आ रहीं है। बाहर मेरे गार्ड को भी खुश कर देना। मेरा खास आदमी है।" सिन्हा ने आंखे बंद में बोला और सोनिया को झटक दिया। सोनिया की आंखों में आसूं आ गए। ऐसा लगा की वो कोई सड़कछाप रण्डी हो। सोनिया बाहर ड्राइंग रूम में आ गई जहा उसके कपड़े रखे थे। उसने कपड़े उठाए ही थे कि बाहर का दरवाजा खुला और गार्ड अंदर आया।
"साहब किधर है?" उसने अंदर आते ही पूछा।
"अंदर हैं। सो गए।" सोनिया खुद को कपड़ों से छुपाते हुए बोला। गार्ड उसके नंगे शरीर को ऊपर से नीचे देखने लगा। जिसे छुपाने की नाकाम सी कोशिश सोनिया कर रही थी। गार्ड पास आया। सोनिया के हाथ कांपने लगे। उसे गार्ड की आंखों में वहशीपन दिख रहा था। अगर सिन्हा ने ना बोला होता तो सोनिया उसका पूरा विरोध करती। गार्ड भी समझ गया कि साहब ने पहले की तरह ये चिड़िया भी उसकी झोली में डाल दी है।
मदन(गार्ड) सोनिया की तरफ बढ़ने लगा। सोनिया के हाथ कांप रहे थे। हाथ में पकड़े कपड़ों को उसने कस के सीने से लगा लिया। मदन सोनिया के इतना पास आ गया कि सोनिया की सांसों को भी महसूस कर पा रहा था।

एक पहलवान उठा और फोन पकड़ लिया। "साहब क्या करना है?"
"ऐ सरिता। रघु तो कल का सूरज नही देखने वाला। तेरा क्या खयाल है अब?" फोन से आवाज आई।
"साहब, माफ कर दो साहब। आप जो बोलोगे वो करूंगी। बस इस बार छोड़ दो।" सरिता हाथ जोड़ फोन की तरफ देखते हुए गिड़गिड़ाई।
"तो एक काम कर। रघु को परलोक तू भेज दे। तुझे माफ कर देंगें।"
"जी??" सरिता सहम गई । उसे समझ आ गया था फोन पर क्या बोला है।
"समझ नही आया तो तुम दोनो को भेज देते है। जल्दी कर।" फोन से फिर आवाज आई।
सरिता खड़ी हुई। हाथ जोड़ फोन की तरफ देखती रही। दिमाग सुन्न हो गया था। पहलवान ने बालो से पकड़ लिया। "सुना नही क्या साहब ने क्या बोला। "
उसने दूसरा हाथ सरिता की गर्दन पर दबा दिया। सरिता ने झट से हां में गर्दन हिलाई। पहलवान ने उसे बालो से पकड़ रघु के ऊपर धकेल दिया। सरिता बेहोश रघु के ऊपर गिरी। रघु के शरीर में कोई हलचल नहीं थी। उसने रोते हुए चारों की तरफ देखा। चारों उसे ही घूर रहे थे। उसने रघु का सर अपनी गोद में रखा। फिर अपनी बाजू को पीछे से उसके गले में डाल के दबाना शुरू किया। रघु को सांस रुकने लगी। बेहोशी में उसका शरीर छटपटाने लगा। हाथ पैर सलामत नही थे। कुछ कर नही सकता था। छटपटाहट में उसकी बेहोशी टूटने लगी। आधे मिनट के बाद चेहरा लाल होने लगा। आंखे लाल होकर बाहर आने लगी। सरिता रोए जा रही थी। अगले 1 मिनट में रघु का शरीर शांत हो गया। सरिता ने पकड़ ढीली की और वही उसके ऊपर सर रख रोने लगी। पहलवान पास आया। उसने रघु की सांस और नब्ज चेक की और दूसरे कैदी को इशारा किया।
"साहब काम हो गया।" उसने फोन पर कहा। और फोन काट दिया।
दो जनों ने सरिता को दोनो बाजुओं से पकड़ा और घसीट कर बाहर ले जाने लगे। सरिता आखरी बार भीगी आंखों से रघु की लाश को देख रही थी।

इधर बिट्टू बेहोश किंजल पर पानी के छींटे मार रहा था। उसने किंजल को उठाया और उसे कपड़े पहनाने लगा। किंजल किसी तरह खड़ी हुई। उसकी टांगे कांप रही थी। उसने देखा बाबा बिस्तर पर नंगा लुढ़का पड़ा था। उसका मोटा पेट बाहर निकला हुआ था और खर्राटे मार रहा था। कुछ देर पहले किंजल उसके नीचे थी। किंजल को खुद पे घिन आ रही थी की कैसे इस बूढ़े ने बेचारी फूल जैसी किंजल को रगड़ा था। पर किंजल को नही पता था कि ये तो सिर्फ शुरुआत है। किंजल लंगड़ा कर चल रही थी। किसी तरह वो दर्द से कराहती दरवाजे से बाहर निकली। सामने सरिता को नंगा ही गाड़ी में बिठा रहे थे। महिला गार्ड सरिता को जिंदा देख हैरान थी। उसे बताया गया था कि सरिता जिंदा वापिस नही आयेगी। किंजल धीरे धीरे चलते हुए गाड़ी के पास पहुंची। किंजल पिछली सीट पर बैठ गई। सरिता शून्य सी नंगी ही सबसे पीछे की सीट पर बैठी थी। अंधेरे में काले रंग की वजह से ठीक से दिखाई भी नही दे रही थी। छोटी मोटी चोरी तक तो ठीक था। पर किसी की जान लेना उसके लिए नया था। वो भी उसका खुद का पति। गाड़ी चल पड़ी। और गेस्ट हाउस के बाहर रुक गई।

अंदर गाड़ी की लाइट देख मदन ने अपना लन्ड सोनिया के मुंह से बाहर निकाला और सोनिया को घुटनों से खड़ा कर सोफे पे झुका दिया। और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल दिया। सोनिया जो कुछ देर पहले उचक ऊचक कर चुदवा रही थी अब किसी रोबोट की तरह चुद रही थी। 10 मिनट धक्के लगा कर मदन सोनिया की चूत में झड़ गया। मदन ने सोनिया के टी शर्ट से अपना लन्ड साफ किया । "चल जल्दी से कपड़े पहन। तेरी गाड़ी आ गई।" मदन बेल्ट बांधता हुआ बोला। सोनिया ने फटाफट ब्रा पहनी और टी शर्ट पहनी। टी शर्ट मदन के वीर्य से चिपचिपी हो रखी थी। बदबू आ रही थी। किसी तरह सोनिया ने टी शर्ट पहन ली। जैसे ही सोनिया ने पैंटी उठाई, मदन ने उसके हाथ से छीन ली। सोनिया ने उसकी तरफ देखा। तो मदन पैंटी सूंघता हुआ बोला। "जानेमन अपनी चुदायी की एक निशानी तो छोड़ जा।"
सोनिया ने पजामा उठाया और ऐसे ही पहन लिया। मदन ने दरवाजा खोला और सोनिया फटाफट जाके गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी में देखा तो पीछे सरिता बिना कपड़ों के खोई हुई थी। और किंजल बेसुध खिड़की से सर लगा कर बैठी थी। सोनिया को बेचारी किंजल पर तरस आया। उसके लिए पहली बार था। उसने किंजल का हाथ पकड़ लिया। सुबह के 3:30 बज चुके थे। गाड़ी धीरे
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Bahut majedaar update
 
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Update thoda jaldi do yaar
 
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चारों नंगे सरिता को घेर कर खड़े थे। सरिता को खाट के बीच में लेटा कर एक ने सरिता के दोनो हाथ पीछे की तरफ खींच कर पकड़ लिए। दूसरे ने सरिता की दोनो जांघों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। अब सरिता की गांड और सिर दोनो हवा में थे। जिसने सरिता की जांघ पकड़ी थी उसने अपना 8 इंच का मूसल सरिता की चूत के छेद पर रखा और एक झटके में अंदर कर दिया। हालांकि उसकी चूत सूखी पड़ी थी पर फिर भी लन्ड आराम से अंदर चला गया। ये सब उस दिन लकड़ी के हत्थे से हुई चुदायी का नतीजा था। खाट पर पड़े लकड़ी के बारीक टुकड़े उसकी पीठ में चुभ रहे थे। बदन को दोनो तरफ से खींचने के कारण उसकी कमर और पसलियों के कटाव मनमोहक नजारा दे रहे थे। तीसरा गुंडा उसकी छाती पर चढ़ गया और उसके चूचों के बीच अपना लन्ड रगड़ने लगा। उधर लन्ड लगातार उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। छाती पर बैठे कैदी ने उसके मुंह से पैंटी निकली। "आह आह आह आह" हर धक्के पर सरिता के मुंह से आवाज निकल रही थी। अभी उसने ढंग से सांस लिया ही था कि दूसरा गुंडा जिसने उसके हाथ पकड़ रखे थे उसने अपना लन्ड सरिता के मुंह में ठूंस दिया। चारों तरफ से हो रही घिसाई में सरिता की चूत 5 मिनट में ही गिली होनी शुरू हो गई। चौथा आदमी एक हाथ से सरिता की टांगो को सहला रहा था। सब के सब उसे नोच रहे थे। मजे और दर्द में सरिता के मुंह से गूं गूं गूं की आवाजे निकाल रही थी। सांस लेने में तकलीफ हो रही थी उसे। चूदवाने को तो उसने कई मर्दों से चूत चुदायी थी। पर यह उसे जानवरों को तरह नोच रहे थे। उसके लिए सहना मुश्किल हो रहा था।


बाबा ने किंजल के होठों पर अपने होंठ रखे। औरतों और बिट्टू को चोद चोद कर बाबा बोर हो चुका था। आज कमसिन होंठों का स्वाद लेते ही बाबा का लन्ड बर्दाश्त से बाहर हो गया। उधर किंजल को उबकाई आ रही थी बाबा की सांस की बदबू से। किंजल को एहसास भी नही हुआ कब बिट्टू ने किंजल की स्कर्ट और पैंटी अलग कर दी। अचानक किंजल का शरीर गन गना गया जब बिट्टू ने उसकी चूत पर अपने होंठ रखे। किंजल का शरीर कांपने लगा। पर वो बाबा के नीचे से निकल नही पा रही थी। अचानक किंजल का शरीर थर्राया और उसकी चूत झड़ गई। बिट्टू मजे से स्वाद लेकर उसकी चूत चाट रहा था। बाबा समझ गया कि किंजल के साथ हुआ। उसने अपने होठ किंजल से हटाए और किंजल ने सर उठा के देखा तो बिट्टू उसकी नंगी टांगों को पकड़े उसकी चूत चाट रहा था। किंजल फिर गरम होने लगी। उसकी आंखों में नशा तैरने लगा। किंजल कुछ हिल पाती इससे पहले ही बाबा ने उसके एक हाथ को अपने कंधे की नीचे दबा लिया और दूसरे हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया। अब उसकी टांगे बिट्टू के हाथो में थी और हाथ बाबा ने जकड़े हुए थे। बाबा ने अपनी एक टांग किंजल के पेट पर रख कर उसे जकड़ लिया। किंजल अब छूटने के लिये जोर लगा रही थी पर हिल भी नहीं पा रही थी। किंजल बेबस सी छटपटाने लगी। किंजल का दम घुट रहा था। उसकी छटपटाहट बाबा को मजा दे रही थी। बाबा ने उसके मुंह में सिगरेट लगा था। किंजल कुछ समझ पाती एक कश उसके अंदर चला गया। उसे खांसी हुई। पर खांसी रोकने में एक दो कश और उसके अंदर चले गए। सिगरेट में गांझा भरा था। किंजल का सर हवा में उड़ने लगा। जिंदगी में पहली बार गाँझा पिया था उसने। उसकी छटपटाहट शांत हो गई। वो एक बार और बिट्टू के मुंह में झड़ गई। बाबा ने मौका देखा और उठा। बिट्टू को हटाया और किंजल की चूत को चाटने लगा। किंजल अब शांत थी। और दोनो हाथों से अपने चूचे मसल रही थी। अब बाबा से भी रहा न गया। उसने किंजल की टांगे उठाई और लन्ड उसके छेद पे सेट करने लगा। किंजल की चूत टाइट थी। कई हफ्तों से चूदी नही थी। बाबा ने लन्ड से प्रेशर बनाना शुरू किया। आगे का मुंड अंदर जाने लगा। धीरे धीरे पूरा लन्ड अन्दर चला गया। किंजल अब कसमसाने लगी। लन्ड बड़ा था। उसके बच्चेदानी को छू रहा था। किंजल को अपना शरीर हल्का लग रहा था। वो अब होश हवास में नही थी। मजे से मुस्कुराने लगी। उसे देख बाबा को जोश आ गया। बाबा जैसे खिलाड़ी के आगे वो कच्ची कली थी। बाबा ने धक्के लगाने शुरू किए तो हर धक्के पर उसके मुंह से आह निकलने लगी। हर 15 20 धक्के में उसकी चूत झड़ रही थी। बिट्टू ने किंजल का सर अपनी गोद में रखा और उसे फिर से कश लगवाया। किंजल बेहोशी में जाने लगी। एक तो गांजे के नशा ऊपर से लगातार झड़ती चूत। बाबा भी उसकी टाइट चूत ज्यादा देर संभाल नहीं पाया और अंदर झड़ने लगा। और किंजल के ऊपर ढह गया।


इधर सोनिया घोड़ी बन कर सिन्हा के लन्ड से चुद रही थी। उसकी गीली चूत में लन्ड पूरी स्पीड में अंदर बाहर हो रहा था। बच्चेदानी पे पड़ते थाप, स्कॉच का नशा, एसी की ठंडी हवा। सोनिया झड़ गई। सिन्हा रुक नही रहा था। पूरे कमरे में ठप ठप की मधुर आवाज गूंज रही थी। देखते ही देखते सोनिया ने 2 बार ओर अपने चरम को पार किया। उसकी टांगों में अब घोड़ी बने रहने की ताकत नही थी। उसे निढाली में जाते देख सिन्हा ने उसके बाल पकड़ कर पीछे खींच लिए। "आह" सोनिया दर्द से कराही। "साली कुतिया, मैदान छोड़ के कहा जा रही है। ऐसे तुझे जाने नही दूंगा।" सिन्हा धक्के लगाता हुआ गुर्राया। सोनिया ने एक हाथ से बाल छुड़ाने की कोशिश की। पर बार बार अंदर बाहर होते लन्ड की वजह से वो इतना हिल रही थी की छुड़ा ही नही पाई। जितना ज्यादा सोनिया कोशिश करती सिन्हा उतनी जोर से बाल खींचता। इसी जोर में सोनिया एक बार और झड़ गई। अब उसकी टांगे कांप रही थी l आखिर उसने हथियार डाल दिए और दोनो हाथ नीचे टिका कर गांड बाहर निकाल ली और चुदाने लगी। सिन्हा की स्पीड अब और तेज हो गई। सोनिया की गांड पर मजे से थप्पड़ मारने लगा। सोनिया 6 बार पानी निकाल चुकी थी। इधर सिन्हा का शरीर भी अकड़ने लगा। उसने अपनी उंगलियां सोनिया के चूतड़ों में गड़ा दी और झनाघन माल के फव्वारे छोड़ने लगा। लन्ड बाहर निकल कर कंडोम निकाला और सोनिया की पीठ पर ढह गया।


सरिता दो बार झड़ चुकी थी। दोनो पहलवान एक तरफ बैठे हांफ रहे थे। जैसे कितनी लम्बी दौड़ लगा के आए हो। सरिता के गले में 2 घूंट वीर्य उतार चुका था। और चूत से वीर्य निकल रहा था। अब सरिता को दोनो पहलवानों ने सीधा करके अपने नीचे दबोच रखा था। और उसकी वीर्य से भरी चूत में लन्ड पेल रहे थे। एक ने उसे बालो से पकड़ कर उसके मुंह में लन्ड ठूंस रखा था और दूसरा चूत चोद रहा था। सरिता में अब विरोध करने की ताकत नही थी। वो अपने आप सब चलने दे रही थी।
उस गुंडे ने उसके मुंह में अंदर तक लन्ड ठूंस दिया। और पिचकारी सीधी सरिता के पेट में जाने लगी। उसने अपना ढीला हो चुका 8 इंच लंबा लन्ड सरिता के मुंह से निकाला तो सारिता ने एक लंबी सांस ली। तभी उसकी चूत चोद रहे पहलवान ने अपना पूरा वजन उस पर डाल दिया। सरिता ने एक नजर अपने पति पर डाली। बाकी दोनों अब फिर उसे जमीन पर लेटा कर लातों से मार रहे थे। सरिता को अब फर्क नही पड़ा। उसने चोद रहे पहलवान की पीठ पर बाहें लपेट ली और टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। सरिता का होने वाला था। वो नीचे से चूतड उठा उठा कर चुदाने लगी। दोनो के पसीने से भरे हुए काले बदन एक दूसरे से चिपके हुए थे। अब सरिता खुद मजा ले रही थी। उसने बाहें पूरे जोर से कस ली। उसकी चूत ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया। अब उसे गिनती भी भूल गई थी कि वो कितनी बार झड़ चुकी है। पर वो गुंडा रुकने को तैयार नहीं था। वो अभी भी सरिता को पूरे जोश से चोद रहा था। सरिता को मजे लेते देख रघु वैसे ही मर गया था। सरिता के ऊपर चढ़े हुए आदमी का शरीर अकड़ने लगा। उसने सरिता को अपने कसरती बदन में जकड़ लिया। सरिता का दम घुटने लगा। उसे अपने गुर्दों में लन्ड गड़ता हुआ महसूस हुआ। तभी उसे अपनी बच्चे दानी में गरम गरम लावा बहता महसूस हुआ। इस गर्मी के एहसास में ही सरिता ऐसा झड़ी की उसकी बाहों में झूल गई। उसकी पकड़ ढीली हो गई। उसे चोदने वाला गुंडा भी उसके ऊपर ढह गया और लंबी लंबी सांसे लेने लगा। कुछ मिनट बाद उठा। सरिता की चूत से अपना ढीला हो चुका लन्ड निकाला तो उसकी चूत से उसका वीर्य बाहर को निकला। वो कैदी खड़ा हुआ और सरिता को बालों से पकड़ा और अपना ढीला पड़ा लन्ड सरिता के मुंह में ठूंस दिया। सरिता उसकी आंखों में देखती हुई उसका लन्ड चूसने लगी और जीभ से साफ़ करने लगी। कुछ देर बाद उसने सरिता के मुंह से लन्ड निकाला और रघु की तरफ चल दिया। सरिता को लगा ये भी अब रघु को मारेगा। पर उसने बाकी तीनों को हटाया। और अपना लन्ड हाथ में पकड़ा और रघु के ऊपर मूतने लगा। पूरा एक मिनट अपनी टंकी रघु के ऊपर खाली करके वो हटा तो बाकी तीनों भी हस्ते हुए रघु पे मूतने लगे।

इधर किंजल बेसुध पेट के बल पड़ी थी। बाबा उसकी नंगी गांड सहला रहा था। बिट्टू बाबा के पीछे खड़ा कंधे मालिश कर रहा था। किंजल ने सर उठाया। "बाथरूम जाना है।"
बाबा की आंखों में चमक आई। "बिट्टू। बेटा आज तुझे अमृतपान करने का मौका मिलेगा। जा शाबाश।"
किंजल नशे की सी हालत में उठी बिट्टू ने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ा। "यहां आओ और कर लो।"
किंजल नीचे बैठने लगी। तो बिट्टू फटाफट उसके चूतड़ों के नीचे लेट गया। किंजल को चूत के छेद के आगे बिट्टू ने अपना मुंह खोल लिया। किंजल को कुछ नही पता था क्या हो रहा है। उसने अपनी धार चालू की तो पहले बाबा का माल निकला और बिट्टू ने मुंह में चला गया। और फिर गरम धार बिट्टू के मुंह में जाने लगी। कुछ बिट्टू के अंदर जा रही थी और कुछ बाहर निकल रही थी। बिट्टू पूरा पेशाब में नहा गया। किंजल खड़ी हुई। मूतने से उसका नशा कुछ कम हुआ। सर अभी घूम रहा था पर कुछ कुछ समझ आने लगा। जैसे जैसे समझ आने लगा आंखों से आंसू बहने लगे। बाबा खड़ा हुआ और किंजल को फिर से अपनी गोद में खींच लिया। इधर बिट्टू भी खड़ा होकर बिस्तर पर बैठ गया।
बाबा ने किंजल के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। किंजल अब होश में थी। छटपटाने लगी। अब वो भागना चाहती थी। पास बैठे बिट्टू ने किंजल के पैर पकड़ लिए। किंजल पैर पटकने लगी पर बिट्टू की पकड़ मजबूत थी।
किंजल ने बाबा को नाखून मारने शुरू कर दिए। बाबा भी खिलाड़ी था। इसी कमसिन जवानियां उसने बहुत चखी थी। उसने किंजल के दोनो हाथ पकड़ लिए और अपना पूरा वजन उस पर डाल दिया। किंजल बेबस सी कोशिशें कर रही थी। उसके भारी भरकम शरीर के नीचे कसमसाने लगी। पर कुछ कर नही पा रही थी। उधर बिट्टू ने किंजल के पैर की उंगलियां चूसनी शुरू कर दी।
इस एहसास से किंजल अचानक रुक गई। ऐसा उसने कभी देखा सुना नही था। एक अलग ही रोमांच था। किंजल अभी सोच ही रही थी की बाबा किंजल की छाती पे आ गया और अपना लन्ड किंजल के मुंह में ठूंसने लगा। उसके लन्ड से किंजल को अपनी चूत के पानी और बाबा के वीर्य की महक आ रही थी। वो सर इधर उधर मारने लगी। बाबा ने किंजल के दोनो बाजू अपने घुटनों के नीचे दबा लिए और एक हाथ से किंजल के बाल पकड़ लिए। किंजल को दर्द होने लगा। बाबा ने दूसरे हाथ से उसके निप्पल को बेदर्दी से मसल दिया। किंजल दर्द सह नहीं पाई और चीखी। जैसे ही मुंह खुला बाबा का लन्ड उसके गले तक समा गया। किंजल पूरा जोर लगा कर रो रही थी पर आवाज अंदर दब गई। इधर बिट्टू की पकड़ हल्की ढीली हुई और किंजल ने जोर से उसे लात मारी। बिट्टू बिस्तर से दूर जा गिरा। अब किंजल तड़प रही थी सांस के लिए। जोर जोर से पैर हवा में मारने लगी।
"देख प्यार से मानेगी तो जल्दी से छोड़ दूंगा। नही तो दर्द से बेहाल कर दूंगा।" बाबा ने दांत पीसते हुए कहा। किंजल उसकी नशे से लाल आंखे देख घबरा गई। अब किंजल ने पैर मारना बंद कर दिया। बाबा उसकी छाती से उठा और उसके बाल पकड़ कर उसका मुंह अपने लन्ड से लगा दिया। इधर बिट्टू ने उसकी टांगे मोड़ कर घोड़ी बना दिया। किंजल के आंसू बह रहे थे और लन्ड पे होंठ ऊपर नीचे कर रही थी। पीछे से बिट्टू ने उसके चूतड़ों को चाटना शुरू कर दिया। किंजल के चूतड़ों को कोई पहली बार चाट रहा था। बिट्टू ने उसके चूतड़ों को फैलाया और गांड के छेद पे होंठ रख दिए। किंजल के शरीर में बिजली दौड़ गई। ये पहली बार था। उसकी सांस तेज हो गई और मुंह तेज तेज चलने लगा। बाबा उसके बाल और पीठ सहला रहा। बीच बीच में उसके चूचो को मसल रहा था। अब किंजल मजे से पागल हो रही थी। बिट्टू की जीभ चूतड़ों के बीच में ऊपर से नीचे घूम रही थी। जीभ से चूतड़ों के ऊपरी छोर से शुरू करता और नीचे चूत के दाने तक जाता। अब उसे बाबा के लन्ड की बदबू परेशान नहीं कर रही थी। किसी रंडी की तरह अब वो लन्ड चूस रही थी।

सिन्हा बाथरूम में घुस गया और शावर चालू कर लिया। सोनिया ने भी अपनी सांसों को कंट्रोल किया और देखा सिन्हा दरवाजा खोल कर शावर ले रहा था। सोनिया का बदन फिर मचलने लगा। वो उठी और शावर की तरफ चल दी। सिन्हा के पीछे खड़ी हो उसने हाथ में साबुन लिया और उसकी पीठ पर मलने लगी। धीरे धीरे उसके पूरे शरीर पर साबुन लगा दिया। और उसकी पीठ से लिपट कर अपने बदन को उसके बदन से रगड़ना शुरू कर दिया। सिन्हा का लन्ड फिर खड़ा होने लगा। सोनिया ने अब उसके लन्ड पर भी साबुन लगाया और आगे पीछे करने लगी। दोनो एक दूसरे से लिपट कर शावर के नीचे नहाने लगे। सिन्हा ने सोनिया को बाहों में भर लिया और उसे दीवार से लगा दिया। झुक कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसकी एक टांग को उठा लिया सिन्हा का लन्ड सोनिया की चूत पर टकराने लगा। सोनिया ने दोनो बाहों सिन्हा के गले में डाल दी। सिन्हा ने दूसरे हाथ से लन्ड को चूत के अंदर धकेला। और दूसरी टांग को भी पकड़ कर उठा लिया। सोनिया अब दीवार के साथ हवा में सटी हुई थी। उसने अपना पूरा वजन सिन्हा के कंधों पे डाला हुआ था। अब सिन्हा का लन्ड धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। उसने सोनिया के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसे इस ही धीरे धीरे चोदने लगा। पानी फुहारे और चूदाई की गर्मी सोनिया को अंदर पिघलाने लगी।
"और जोर से करो प्लीज।" सोनिया मजे के समंदर में गोते लगाने लगी। "फाड़ डालो मेरी चूत को। मुझे अपनी रखैल बना के यही रख लो।" सोनिया की चूत से बिना रुके झरने बह रहे थे। उसे खुद नही पता था वो क्या बोल रही है। अब सिन्हा और सोनिया दोनो थकने लगे। सोनिया को नीचे उतार सिन्हा ने तोलिए से शरीर पोंछा और खड़े लन्ड के साथ ही कमरे की तरफ आने लगा। पीछे पीछे सोनिया भी आ गई। सिन्हा ने बेड पे बैठ के पेग बनाना शुरू किया। सिन्हा ने एक नीट बनाया और 1 घूंट में गटक गया। और पीछे पीठ लगा कर लेट गया। सोनिया ने भी उसी ग्लास में फिर से एक नीट बनाया और वो भी गटक गई। सिन्हा का लन्ड अभी भी खड़ा था।
सोनिया घोड़ी बन कर झुक गई और उसका लन्ड चूसने लगी। उसके मुंह में उसकी चूत का स्वाद आया। पर वो फिर भी चूसने लगी। सिन्हा पीछे से उसकी गांड में उंगली करने लगा। सोनिया के होंठो की पकड़ और टाइट हो गई। सिन्हा ने उसे बालो से पकड़ कर उठाया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसका लन्ड लोहे की तरह सख्त हो रहा था। सोनिया उसके लन्ड के ऊपर आ गई और उसे चूत में डाल लिया। अब वो उसकी छाती पर हाथ रख ऊपर नीचे हो रही थी। नीट का नशा उसे अलग ही ताकत दे रहा था। सोनिया सिन्हा के ऊपर झुक गई। उसके होंठ सिन्हा के होंठो पर थे और चूतड ऊपर नीचे हो रहे थे।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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dhparikh

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सरिता अब खुद घोड़ी बन कर चुदवा रही थी। उसका पति एक कोने में बेहोश पड़ा था। एक ने उसके बाल पकड़ रखे थे और उसके मुंह में धक्के लगा रहा था। दूसरा उसकी कमर पकड़ कर चूत में धक्के मार रहा था। सरिता अब खुद पूरा जोर लगा रही थी। वो अपनी हालत अपने पति जैसी नही करवाना चाहती थी। बाकी दोनों जमीन पर बैठे सुस्ता रहे थे। चारों थक चुके थे। आधी रात बीत चुकी थी। थोड़ी देर में दोनो सरिता के मुंह और चूत में झड़ गए। सरिता निढाल होके उसी खाट पर फेल गई। पर इतने में तीसरा आया और फिर से सरिता को घोड़ी बना लिया। और लन्ड उसकी चूत में धकेल दिया। सरिता थक कर चूर हो रखी थी पर फिर भी किसी तरह घोड़ी बनी हुई थी। तभी चौथा उठा। उसने दीवार के एक कोने से फोन उठाया जिसमे वीडियो कॉल चल रही थी। "बोलो साहब इतना काफी है या कुछ और भी करना है?" उसने फोन में बोला।
"अपना काम निपटा के दोनो को खत्म कर दो। तुम्हारी जमानत का इंतजाम हो जायेगा" फोन से आवाज आई।
ईतना सुनते ही सरिता के कान खड़े हो गए। वो अचानक तीसरे वाले से खुद को छुड़वा कर बैठ गई। और फोन की तरफ हाथ जोड़ कर बैठ गई। "साहब भगवान के लिए बक्श दो। हमसे गलती हो गई। आप जो बोलेंगे वो करेंगे। भगवान के लिए हमे जान से मत मारो।" सरिता जोर जोर से रोने लगी।
"अपना काम निपटाओ। अभी इसे मत मारना। बताता हु।" फोन से आवाज आई। पहलवान ने वापस फोन दीवार पे रखा जहा से दूसरे इंसान को सब दिख रहा था। वापिस आकर उसने सरिता को फिर बालो से पकड़ा और खाट पे लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। सरिता समझ गई। उसने खुद लन्ड अपनी चूत में डाला और ऊपर नीचे होने लगी। सरिता बहुत घबराई हुई थी। ऊपर नीचे होते हुए बोली। "प्लीज हमको मत मारो। हम सब करेंगे।"
"पक्का सब करेगी न।?"
"हां।" और पूरे जोर से ऊपर नीचे होने लगी। सरिता एक बार फिर झड़ी। अब वो सह नही पाई और कैदी की छाती पर लुढ़क गई। लन्ड अभी भी उसके अंदर था। पीछे से उसके फैले हुए चूतड अलग ही नजारा दे रहे थे।


बाबा ने किंजल के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उसे अपने लन्ड पे बिठा लिया। किंजल ने अब आराम से लन्ड अन्दर ले लिया। वो पूरी गीली थी। लन्ड फचक से अंदर चला गया। बिट्टू की जीभ से किंजल कई बार झड़ चुकी थी। किंजल अब लन्ड पे ऊपर नीचे होने लगी। किंजल को अब इस बूढ़े से चुदाने में मजा आ रहा था। दूसरा वो चाहती थी की किसी तरह ये सब खतम हो और वो वापिस जाए।
किंजल अब बाबा की छाती पे वजन डाल के फटाफट ऊपर नीचे हो रही थी। बिचारी कमसिन चूत हर 2 मिनट में झड़ रही थी। पर वो लगी रही। बाबा नीचे लेटा उसके चूचे मसल रहा था। 6 - 7 बार झड़ने के बाद किंजल की हिम्मत जवाब दे गई। अब उस से हिला नही जा रहा था। अब किंजल रुक गई और जोर जोर से सांस लेने लगी। बाबा का लन्ड अभी भी खड़ा था। बाबा ने किंजल को कमर से पकड़ा और घुमा के अपने नीचे ले लिया। और दनादन पेलना शुरू किया। किंजल इतनी स्पीड सह नही पा रही थी। उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। लेकिन उसके दर्द में बाबा को मजा आ रहा था। कुछ देर चोद के बाबा ने किंजल की चूत से अपना लन्ड निकाला। किंजल को कुछ सांस आया। और हांफने लगी। उसकी चूत पूरी फैली हुई थी। मानो चूत भी सांस ले रही हो।



सिन्हा सोनिया की गांड में उंगली कर रहा था। और साथ में सोनिया चूतड ऊपर नीचे कर अपनी चूत से उसके लन्ड को चोद रही थी। सिन्हा को अब सोनिया को चोदने में मजा आ रहा था। उसने धक्का देकर सोनिया को अपने ऊपर से उतारा और उठ कर बैठ गया। और उंगली के इशारे से सोनिया को फिर अपने पास बुलाया। सोनिया पास आकर सिन्हा की गोद में बैठ गई और दोनो टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। लन्ड अब फिर सोनिया की चूत में था। सोनिया के कस कर सिन्हा के गले में बाहें डाली और आगे पीछे होने लगी। दोनो के होंठ एक दूसरे को खा रहे थे। अब सिन्हा अपने लन्ड पर सोनिया की कसी हुई चूत और अपनी जांघो पर बार टकराते उसके चूतड़ों की थाप से नही पाया और सारी पिचकारी सोनिया की चूत में छोड़ दी। और पीछे की तरफ लुढ़क गया।

सरिता उस पहलवान की छाती पर सर रख हान्फ ही रही थी की उसे उसके चूतड़ों पर किसी के हाथ महसूस हुए। जैसे कोई उसके चूतड फेला रहा हो। उसने झट से हरकत कर पीछे मुड़ के देख तो पहले वाला केदी उसके गांड़ के छेद पर लन्ड टीका रहा था। वो उठने ही लगी थी घबरा कर की नीचे वाले पहलवान ने उसकी पीठ पर बाहें लपेट कर उसे वापिस अपनी छाती से कस लिया। सरिता डर के मारे छटपटाने लगी। उसे समझ आ गया था क्या होने वाला है। "ऐसा मत करो। बहुत दर्द होगा। प्लीज नही।" सरिता छटपटाते हुए रोते हुए गिड़गिड़ाई।
"अभी तो बोल रही थी सब करेगी। नही होता तो ठीक है। हम अपना काम करते है।" सरिता चुप हो गई। पर अभी भी छटपटा रही थी। पीछे वाले पहलवान ने उसकी पिंडलियों पर घुटने रख दिए। सरिता दर्द से चिल्लाई। नीचे वाले का लन्ड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था। पीछे वाले ने टोपा अंदर घुसाया। ऐसे तो सरिता की गांड़ उसकी हत्थे की चूदाई से खुल गई थी। पर इन सबसे लन्ड हत्थे जितने ही थे। जेसे जैसे लन्ड अन्दर जा रहा था सरिता की चीख गूंज रही थी। जब लन्ड गांड़ में पूरा चला ज्ञाबतो नीचे वाले ने भी कमर ऊपर नीचे कर लन्ड में हरकत शुरू की। एक साथ दोनो तरफ होती हरकत में सरिता दर्द से पागल हो रहीं थी। पर दर्द में भी एक मजा आ रहा था। अब दोनो लन्ड दोनो छेदों में आराम से अंदर बाहर हो रहे थे। अब सरिता को दर्द कम था। मजा भी आने लगा। एक साथ दोनो छेदों में घिसाई से चूत बार बार झड़ने लगी। दोनो छेदों में लन्ड होने से चूत और गंद दोनो टाइट थी। दोनो पहलवान इतनी टाइट छेद को झेल नही पाए और सरिता के दोनो छेदों को अपने माल़ से भर दिया। और हांफने लगे। सरिता अब बेहोशी जेसी हालत में थी। वही लुढ़क गई। गांड़ और चूत दोनो जगह से वीर्य बह रहा था।

बाबा ने खींच कर किंजल को घोड़ी बनाया और लन्ड एक झटके में चूत में पेल दिया। अब बाबा भि ठक चुका था और नशा सर पर था। वो जल्दी सब निपटने के मूड में था।लन्ड सीधा बच्चे दानी से टकराया। किंजल को चीख निकली। अभी दर्द से उबरने को थी की उसे सरिता की चीखें सुनाई देने लगी। जिसे सुन कर वो घबरा गई। इधर बाबा ने दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिए। हर धक्के में किंजल आगे को खिसक जाती। बाबा ने कस कर उसकी कमर को पकड़ा और गहराई तक धक्के लगाता जा रहा था। किंजल की सिसकियां अब चीखों में बदल गई। 5 मिनट और धक्के लगा कर बाबा ने अचानक अपना लन्ड बाहर निकल लिया और किंजल को बालो से पकड़ा और अपने लन्ड को किंजल के मुंह में डाल दिया। किंजल अचानक इस धक्के को समझ नही पाई। उसकी चूत के रस से लिबड़ा हुआ लन्ड अब उसके मुंह में था। किंजल को उबकाई आने लगी लेकिन बाबा ने मुंह में धक्के लगाने जारी रखे। अचानक बाबा ने लन्ड उसके गले तक ठूंस दिया। आधा लन्ड अभी भी किंजल के छोटे से मुंह से बाहर था। बाबा की टांगे कांपने लगी और उसके अंडकोष खाली होने लगे। सारा वीर्य किंजल के गले में उतरने लगा। किंजल की आंखे बाहर आने लगी। उसकी सांस रुक गईं थी। बाबा 30 सेकंड तक इस ही रहा। किंजल को लगा वो अभी मर जायेगी। तभी बाबा ने लन्ड बाहर निकाल लिया। किंजल ने जोर को सांस ली और उसे उल्टी आने लगी। उसने पास में सारा वीर्य और खाना वापिस उलट दिया। किंजल को चक्कर आने लगे और वही बेहोश होकर गिर गई।


सोनिया बाथरूम में गई। खुद को साफ किया। और वापिस सिन्हा के पास आई। सिन्हा अभी भी बेड पर टेक लगा कर नंगा बैठा था। टांगे फैला रखी थी। नशा अब उसके सर पर चढ़ा हुआ था। सोनिया ने पास आकर उसके लन्ड को सहलाना शुरू किया। सिन्हा ने उसका हाथ पकड़ लिया और हटाते हुए बोला। "बस अब। अपने कपड़े उठा और जा यहां से। मुझे नींद आ रहीं है। बाहर मेरे गार्ड को भी खुश कर देना। मेरा खास आदमी है।" सिन्हा ने आंखे बंद में बोला और सोनिया को झटक दिया। सोनिया की आंखों में आसूं आ गए। ऐसा लगा की वो कोई सड़कछाप रण्डी हो। सोनिया बाहर ड्राइंग रूम में आ गई जहा उसके कपड़े रखे थे। उसने कपड़े उठाए ही थे कि बाहर का दरवाजा खुला और गार्ड अंदर आया।
"साहब किधर है?" उसने अंदर आते ही पूछा।
"अंदर हैं। सो गए।" सोनिया खुद को कपड़ों से छुपाते हुए बोला। गार्ड उसके नंगे शरीर को ऊपर से नीचे देखने लगा। जिसे छुपाने की नाकाम सी कोशिश सोनिया कर रही थी। गार्ड पास आया। सोनिया के हाथ कांपने लगे। उसे गार्ड की आंखों में वहशीपन दिख रहा था। अगर सिन्हा ने ना बोला होता तो सोनिया उसका पूरा विरोध करती। गार्ड भी समझ गया कि साहब ने पहले की तरह ये चिड़िया भी उसकी झोली में डाल दी है।
मदन(गार्ड) सोनिया की तरफ बढ़ने लगा। सोनिया के हाथ कांप रहे थे। हाथ में पकड़े कपड़ों को उसने कस के सीने से लगा लिया। मदन सोनिया के इतना पास आ गया कि सोनिया की सांसों को भी महसूस कर पा रहा था।

एक पहलवान उठा और फोन पकड़ लिया। "साहब क्या करना है?"
"ऐ सरिता। रघु तो कल का सूरज नही देखने वाला। तेरा क्या खयाल है अब?" फोन से आवाज आई।
"साहब, माफ कर दो साहब। आप जो बोलोगे वो करूंगी। बस इस बार छोड़ दो।" सरिता हाथ जोड़ फोन की तरफ देखते हुए गिड़गिड़ाई।
"तो एक काम कर। रघु को परलोक तू भेज दे। तुझे माफ कर देंगें।"
"जी??" सरिता सहम गई । उसे समझ आ गया था फोन पर क्या बोला है।
"समझ नही आया तो तुम दोनो को भेज देते है। जल्दी कर।" फोन से फिर आवाज आई।
सरिता खड़ी हुई। हाथ जोड़ फोन की तरफ देखती रही। दिमाग सुन्न हो गया था। पहलवान ने बालो से पकड़ लिया। "सुना नही क्या साहब ने क्या बोला। "
उसने दूसरा हाथ सरिता की गर्दन पर दबा दिया। सरिता ने झट से हां में गर्दन हिलाई। पहलवान ने उसे बालो से पकड़ रघु के ऊपर धकेल दिया। सरिता बेहोश रघु के ऊपर गिरी। रघु के शरीर में कोई हलचल नहीं थी। उसने रोते हुए चारों की तरफ देखा। चारों उसे ही घूर रहे थे। उसने रघु का सर अपनी गोद में रखा। फिर अपनी बाजू को पीछे से उसके गले में डाल के दबाना शुरू किया। रघु को सांस रुकने लगी। बेहोशी में उसका शरीर छटपटाने लगा। हाथ पैर सलामत नही थे। कुछ कर नही सकता था। छटपटाहट में उसकी बेहोशी टूटने लगी। आधे मिनट के बाद चेहरा लाल होने लगा। आंखे लाल होकर बाहर आने लगी। सरिता रोए जा रही थी। अगले 1 मिनट में रघु का शरीर शांत हो गया। सरिता ने पकड़ ढीली की और वही उसके ऊपर सर रख रोने लगी। पहलवान पास आया। उसने रघु की सांस और नब्ज चेक की और दूसरे कैदी को इशारा किया।
"साहब काम हो गया।" उसने फोन पर कहा। और फोन काट दिया।
दो जनों ने सरिता को दोनो बाजुओं से पकड़ा और घसीट कर बाहर ले जाने लगे। सरिता आखरी बार भीगी आंखों से रघु की लाश को देख रही थी।

इधर बिट्टू बेहोश किंजल पर पानी के छींटे मार रहा था। उसने किंजल को उठाया और उसे कपड़े पहनाने लगा। किंजल किसी तरह खड़ी हुई। उसकी टांगे कांप रही थी। उसने देखा बाबा बिस्तर पर नंगा लुढ़का पड़ा था। उसका मोटा पेट बाहर निकला हुआ था और खर्राटे मार रहा था। कुछ देर पहले किंजल उसके नीचे थी। किंजल को खुद पे घिन आ रही थी की कैसे इस बूढ़े ने बेचारी फूल जैसी किंजल को रगड़ा था। पर किंजल को नही पता था कि ये तो सिर्फ शुरुआत है। किंजल लंगड़ा कर चल रही थी। किसी तरह वो दर्द से कराहती दरवाजे से बाहर निकली। सामने सरिता को नंगा ही गाड़ी में बिठा रहे थे। महिला गार्ड सरिता को जिंदा देख हैरान थी। उसे बताया गया था कि सरिता जिंदा वापिस नही आयेगी। किंजल धीरे धीरे चलते हुए गाड़ी के पास पहुंची। किंजल पिछली सीट पर बैठ गई। सरिता शून्य सी नंगी ही सबसे पीछे की सीट पर बैठी थी। अंधेरे में काले रंग की वजह से ठीक से दिखाई भी नही दे रही थी। छोटी मोटी चोरी तक तो ठीक था। पर किसी की जान लेना उसके लिए नया था। वो भी उसका खुद का पति। गाड़ी चल पड़ी। और गेस्ट हाउस के बाहर रुक गई।

अंदर गाड़ी की लाइट देख मदन ने अपना लन्ड सोनिया के मुंह से बाहर निकाला और सोनिया को घुटनों से खड़ा कर सोफे पे झुका दिया। और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल दिया। सोनिया जो कुछ देर पहले उचक ऊचक कर चुदवा रही थी अब किसी रोबोट की तरह चुद रही थी। 10 मिनट धक्के लगा कर मदन सोनिया की चूत में झड़ गया। मदन ने सोनिया के टी शर्ट से अपना लन्ड साफ किया । "चल जल्दी से कपड़े पहन। तेरी गाड़ी आ गई।" मदन बेल्ट बांधता हुआ बोला। सोनिया ने फटाफट ब्रा पहनी और टी शर्ट पहनी। टी शर्ट मदन के वीर्य से चिपचिपी हो रखी थी। बदबू आ रही थी। किसी तरह सोनिया ने टी शर्ट पहन ली। जैसे ही सोनिया ने पैंटी उठाई, मदन ने उसके हाथ से छीन ली। सोनिया ने उसकी तरफ देखा। तो मदन पैंटी सूंघता हुआ बोला। "जानेमन अपनी चुदायी की एक निशानी तो छोड़ जा।"
सोनिया ने पजामा उठाया और ऐसे ही पहन लिया। मदन ने दरवाजा खोला और सोनिया फटाफट जाके गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी में देखा तो पीछे सरिता बिना कपड़ों के खोई हुई थी। और किंजल बेसुध खिड़की से सर लगा कर बैठी थी। सोनिया को बेचारी किंजल पर तरस आया। उसके लिए पहली बार था। उसने किंजल का हाथ पकड़ लिया। सुबह के 3:30 बज चुके थे। गाड़ी धीरे
धीरे गेट की तरफ बढ़ने लगी।
Nice update....
 
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malikarman

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सरिता अब खुद घोड़ी बन कर चुदवा रही थी। उसका पति एक कोने में बेहोश पड़ा था। एक ने उसके बाल पकड़ रखे थे और उसके मुंह में धक्के लगा रहा था। दूसरा उसकी कमर पकड़ कर चूत में धक्के मार रहा था। सरिता अब खुद पूरा जोर लगा रही थी। वो अपनी हालत अपने पति जैसी नही करवाना चाहती थी। बाकी दोनों जमीन पर बैठे सुस्ता रहे थे। चारों थक चुके थे। आधी रात बीत चुकी थी। थोड़ी देर में दोनो सरिता के मुंह और चूत में झड़ गए। सरिता निढाल होके उसी खाट पर फेल गई। पर इतने में तीसरा आया और फिर से सरिता को घोड़ी बना लिया। और लन्ड उसकी चूत में धकेल दिया। सरिता थक कर चूर हो रखी थी पर फिर भी किसी तरह घोड़ी बनी हुई थी। तभी चौथा उठा। उसने दीवार के एक कोने से फोन उठाया जिसमे वीडियो कॉल चल रही थी। "बोलो साहब इतना काफी है या कुछ और भी करना है?" उसने फोन में बोला।
"अपना काम निपटा के दोनो को खत्म कर दो। तुम्हारी जमानत का इंतजाम हो जायेगा" फोन से आवाज आई।
ईतना सुनते ही सरिता के कान खड़े हो गए। वो अचानक तीसरे वाले से खुद को छुड़वा कर बैठ गई। और फोन की तरफ हाथ जोड़ कर बैठ गई। "साहब भगवान के लिए बक्श दो। हमसे गलती हो गई। आप जो बोलेंगे वो करेंगे। भगवान के लिए हमे जान से मत मारो।" सरिता जोर जोर से रोने लगी।
"अपना काम निपटाओ। अभी इसे मत मारना। बताता हु।" फोन से आवाज आई। पहलवान ने वापस फोन दीवार पे रखा जहा से दूसरे इंसान को सब दिख रहा था। वापिस आकर उसने सरिता को फिर बालो से पकड़ा और खाट पे लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। सरिता समझ गई। उसने खुद लन्ड अपनी चूत में डाला और ऊपर नीचे होने लगी। सरिता बहुत घबराई हुई थी। ऊपर नीचे होते हुए बोली। "प्लीज हमको मत मारो। हम सब करेंगे।"
"पक्का सब करेगी न।?"
"हां।" और पूरे जोर से ऊपर नीचे होने लगी। सरिता एक बार फिर झड़ी। अब वो सह नही पाई और कैदी की छाती पर लुढ़क गई। लन्ड अभी भी उसके अंदर था। पीछे से उसके फैले हुए चूतड अलग ही नजारा दे रहे थे।


बाबा ने किंजल के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उसे अपने लन्ड पे बिठा लिया। किंजल ने अब आराम से लन्ड अन्दर ले लिया। वो पूरी गीली थी। लन्ड फचक से अंदर चला गया। बिट्टू की जीभ से किंजल कई बार झड़ चुकी थी। किंजल अब लन्ड पे ऊपर नीचे होने लगी। किंजल को अब इस बूढ़े से चुदाने में मजा आ रहा था। दूसरा वो चाहती थी की किसी तरह ये सब खतम हो और वो वापिस जाए।
किंजल अब बाबा की छाती पे वजन डाल के फटाफट ऊपर नीचे हो रही थी। बिचारी कमसिन चूत हर 2 मिनट में झड़ रही थी। पर वो लगी रही। बाबा नीचे लेटा उसके चूचे मसल रहा था। 6 - 7 बार झड़ने के बाद किंजल की हिम्मत जवाब दे गई। अब उस से हिला नही जा रहा था। अब किंजल रुक गई और जोर जोर से सांस लेने लगी। बाबा का लन्ड अभी भी खड़ा था। बाबा ने किंजल को कमर से पकड़ा और घुमा के अपने नीचे ले लिया। और दनादन पेलना शुरू किया। किंजल इतनी स्पीड सह नही पा रही थी। उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। लेकिन उसके दर्द में बाबा को मजा आ रहा था। कुछ देर चोद के बाबा ने किंजल की चूत से अपना लन्ड निकाला। किंजल को कुछ सांस आया। और हांफने लगी। उसकी चूत पूरी फैली हुई थी। मानो चूत भी सांस ले रही हो।



सिन्हा सोनिया की गांड में उंगली कर रहा था। और साथ में सोनिया चूतड ऊपर नीचे कर अपनी चूत से उसके लन्ड को चोद रही थी। सिन्हा को अब सोनिया को चोदने में मजा आ रहा था। उसने धक्का देकर सोनिया को अपने ऊपर से उतारा और उठ कर बैठ गया। और उंगली के इशारे से सोनिया को फिर अपने पास बुलाया। सोनिया पास आकर सिन्हा की गोद में बैठ गई और दोनो टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। लन्ड अब फिर सोनिया की चूत में था। सोनिया के कस कर सिन्हा के गले में बाहें डाली और आगे पीछे होने लगी। दोनो के होंठ एक दूसरे को खा रहे थे। अब सिन्हा अपने लन्ड पर सोनिया की कसी हुई चूत और अपनी जांघो पर बार टकराते उसके चूतड़ों की थाप से नही पाया और सारी पिचकारी सोनिया की चूत में छोड़ दी। और पीछे की तरफ लुढ़क गया।

सरिता उस पहलवान की छाती पर सर रख हान्फ ही रही थी की उसे उसके चूतड़ों पर किसी के हाथ महसूस हुए। जैसे कोई उसके चूतड फेला रहा हो। उसने झट से हरकत कर पीछे मुड़ के देख तो पहले वाला केदी उसके गांड़ के छेद पर लन्ड टीका रहा था। वो उठने ही लगी थी घबरा कर की नीचे वाले पहलवान ने उसकी पीठ पर बाहें लपेट कर उसे वापिस अपनी छाती से कस लिया। सरिता डर के मारे छटपटाने लगी। उसे समझ आ गया था क्या होने वाला है। "ऐसा मत करो। बहुत दर्द होगा। प्लीज नही।" सरिता छटपटाते हुए रोते हुए गिड़गिड़ाई।
"अभी तो बोल रही थी सब करेगी। नही होता तो ठीक है। हम अपना काम करते है।" सरिता चुप हो गई। पर अभी भी छटपटा रही थी। पीछे वाले पहलवान ने उसकी पिंडलियों पर घुटने रख दिए। सरिता दर्द से चिल्लाई। नीचे वाले का लन्ड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था। पीछे वाले ने टोपा अंदर घुसाया। ऐसे तो सरिता की गांड़ उसकी हत्थे की चूदाई से खुल गई थी। पर इन सबसे लन्ड हत्थे जितने ही थे। जेसे जैसे लन्ड अन्दर जा रहा था सरिता की चीख गूंज रही थी। जब लन्ड गांड़ में पूरा चला ज्ञाबतो नीचे वाले ने भी कमर ऊपर नीचे कर लन्ड में हरकत शुरू की। एक साथ दोनो तरफ होती हरकत में सरिता दर्द से पागल हो रहीं थी। पर दर्द में भी एक मजा आ रहा था। अब दोनो लन्ड दोनो छेदों में आराम से अंदर बाहर हो रहे थे। अब सरिता को दर्द कम था। मजा भी आने लगा। एक साथ दोनो छेदों में घिसाई से चूत बार बार झड़ने लगी। दोनो छेदों में लन्ड होने से चूत और गंद दोनो टाइट थी। दोनो पहलवान इतनी टाइट छेद को झेल नही पाए और सरिता के दोनो छेदों को अपने माल़ से भर दिया। और हांफने लगे। सरिता अब बेहोशी जेसी हालत में थी। वही लुढ़क गई। गांड़ और चूत दोनो जगह से वीर्य बह रहा था।

बाबा ने खींच कर किंजल को घोड़ी बनाया और लन्ड एक झटके में चूत में पेल दिया। अब बाबा भि ठक चुका था और नशा सर पर था। वो जल्दी सब निपटने के मूड में था।लन्ड सीधा बच्चे दानी से टकराया। किंजल को चीख निकली। अभी दर्द से उबरने को थी की उसे सरिता की चीखें सुनाई देने लगी। जिसे सुन कर वो घबरा गई। इधर बाबा ने दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिए। हर धक्के में किंजल आगे को खिसक जाती। बाबा ने कस कर उसकी कमर को पकड़ा और गहराई तक धक्के लगाता जा रहा था। किंजल की सिसकियां अब चीखों में बदल गई। 5 मिनट और धक्के लगा कर बाबा ने अचानक अपना लन्ड बाहर निकल लिया और किंजल को बालो से पकड़ा और अपने लन्ड को किंजल के मुंह में डाल दिया। किंजल अचानक इस धक्के को समझ नही पाई। उसकी चूत के रस से लिबड़ा हुआ लन्ड अब उसके मुंह में था। किंजल को उबकाई आने लगी लेकिन बाबा ने मुंह में धक्के लगाने जारी रखे। अचानक बाबा ने लन्ड उसके गले तक ठूंस दिया। आधा लन्ड अभी भी किंजल के छोटे से मुंह से बाहर था। बाबा की टांगे कांपने लगी और उसके अंडकोष खाली होने लगे। सारा वीर्य किंजल के गले में उतरने लगा। किंजल की आंखे बाहर आने लगी। उसकी सांस रुक गईं थी। बाबा 30 सेकंड तक इस ही रहा। किंजल को लगा वो अभी मर जायेगी। तभी बाबा ने लन्ड बाहर निकाल लिया। किंजल ने जोर को सांस ली और उसे उल्टी आने लगी। उसने पास में सारा वीर्य और खाना वापिस उलट दिया। किंजल को चक्कर आने लगे और वही बेहोश होकर गिर गई।


सोनिया बाथरूम में गई। खुद को साफ किया। और वापिस सिन्हा के पास आई। सिन्हा अभी भी बेड पर टेक लगा कर नंगा बैठा था। टांगे फैला रखी थी। नशा अब उसके सर पर चढ़ा हुआ था। सोनिया ने पास आकर उसके लन्ड को सहलाना शुरू किया। सिन्हा ने उसका हाथ पकड़ लिया और हटाते हुए बोला। "बस अब। अपने कपड़े उठा और जा यहां से। मुझे नींद आ रहीं है। बाहर मेरे गार्ड को भी खुश कर देना। मेरा खास आदमी है।" सिन्हा ने आंखे बंद में बोला और सोनिया को झटक दिया। सोनिया की आंखों में आसूं आ गए। ऐसा लगा की वो कोई सड़कछाप रण्डी हो। सोनिया बाहर ड्राइंग रूम में आ गई जहा उसके कपड़े रखे थे। उसने कपड़े उठाए ही थे कि बाहर का दरवाजा खुला और गार्ड अंदर आया।
"साहब किधर है?" उसने अंदर आते ही पूछा।
"अंदर हैं। सो गए।" सोनिया खुद को कपड़ों से छुपाते हुए बोला। गार्ड उसके नंगे शरीर को ऊपर से नीचे देखने लगा। जिसे छुपाने की नाकाम सी कोशिश सोनिया कर रही थी। गार्ड पास आया। सोनिया के हाथ कांपने लगे। उसे गार्ड की आंखों में वहशीपन दिख रहा था। अगर सिन्हा ने ना बोला होता तो सोनिया उसका पूरा विरोध करती। गार्ड भी समझ गया कि साहब ने पहले की तरह ये चिड़िया भी उसकी झोली में डाल दी है।
मदन(गार्ड) सोनिया की तरफ बढ़ने लगा। सोनिया के हाथ कांप रहे थे। हाथ में पकड़े कपड़ों को उसने कस के सीने से लगा लिया। मदन सोनिया के इतना पास आ गया कि सोनिया की सांसों को भी महसूस कर पा रहा था।

एक पहलवान उठा और फोन पकड़ लिया। "साहब क्या करना है?"
"ऐ सरिता। रघु तो कल का सूरज नही देखने वाला। तेरा क्या खयाल है अब?" फोन से आवाज आई।
"साहब, माफ कर दो साहब। आप जो बोलोगे वो करूंगी। बस इस बार छोड़ दो।" सरिता हाथ जोड़ फोन की तरफ देखते हुए गिड़गिड़ाई।
"तो एक काम कर। रघु को परलोक तू भेज दे। तुझे माफ कर देंगें।"
"जी??" सरिता सहम गई । उसे समझ आ गया था फोन पर क्या बोला है।
"समझ नही आया तो तुम दोनो को भेज देते है। जल्दी कर।" फोन से फिर आवाज आई।
सरिता खड़ी हुई। हाथ जोड़ फोन की तरफ देखती रही। दिमाग सुन्न हो गया था। पहलवान ने बालो से पकड़ लिया। "सुना नही क्या साहब ने क्या बोला। "
उसने दूसरा हाथ सरिता की गर्दन पर दबा दिया। सरिता ने झट से हां में गर्दन हिलाई। पहलवान ने उसे बालो से पकड़ रघु के ऊपर धकेल दिया। सरिता बेहोश रघु के ऊपर गिरी। रघु के शरीर में कोई हलचल नहीं थी। उसने रोते हुए चारों की तरफ देखा। चारों उसे ही घूर रहे थे। उसने रघु का सर अपनी गोद में रखा। फिर अपनी बाजू को पीछे से उसके गले में डाल के दबाना शुरू किया। रघु को सांस रुकने लगी। बेहोशी में उसका शरीर छटपटाने लगा। हाथ पैर सलामत नही थे। कुछ कर नही सकता था। छटपटाहट में उसकी बेहोशी टूटने लगी। आधे मिनट के बाद चेहरा लाल होने लगा। आंखे लाल होकर बाहर आने लगी। सरिता रोए जा रही थी। अगले 1 मिनट में रघु का शरीर शांत हो गया। सरिता ने पकड़ ढीली की और वही उसके ऊपर सर रख रोने लगी। पहलवान पास आया। उसने रघु की सांस और नब्ज चेक की और दूसरे कैदी को इशारा किया।
"साहब काम हो गया।" उसने फोन पर कहा। और फोन काट दिया।
दो जनों ने सरिता को दोनो बाजुओं से पकड़ा और घसीट कर बाहर ले जाने लगे। सरिता आखरी बार भीगी आंखों से रघु की लाश को देख रही थी।

इधर बिट्टू बेहोश किंजल पर पानी के छींटे मार रहा था। उसने किंजल को उठाया और उसे कपड़े पहनाने लगा। किंजल किसी तरह खड़ी हुई। उसकी टांगे कांप रही थी। उसने देखा बाबा बिस्तर पर नंगा लुढ़का पड़ा था। उसका मोटा पेट बाहर निकला हुआ था और खर्राटे मार रहा था। कुछ देर पहले किंजल उसके नीचे थी। किंजल को खुद पे घिन आ रही थी की कैसे इस बूढ़े ने बेचारी फूल जैसी किंजल को रगड़ा था। पर किंजल को नही पता था कि ये तो सिर्फ शुरुआत है। किंजल लंगड़ा कर चल रही थी। किसी तरह वो दर्द से कराहती दरवाजे से बाहर निकली। सामने सरिता को नंगा ही गाड़ी में बिठा रहे थे। महिला गार्ड सरिता को जिंदा देख हैरान थी। उसे बताया गया था कि सरिता जिंदा वापिस नही आयेगी। किंजल धीरे धीरे चलते हुए गाड़ी के पास पहुंची। किंजल पिछली सीट पर बैठ गई। सरिता शून्य सी नंगी ही सबसे पीछे की सीट पर बैठी थी। अंधेरे में काले रंग की वजह से ठीक से दिखाई भी नही दे रही थी। छोटी मोटी चोरी तक तो ठीक था। पर किसी की जान लेना उसके लिए नया था। वो भी उसका खुद का पति। गाड़ी चल पड़ी। और गेस्ट हाउस के बाहर रुक गई।

अंदर गाड़ी की लाइट देख मदन ने अपना लन्ड सोनिया के मुंह से बाहर निकाला और सोनिया को घुटनों से खड़ा कर सोफे पे झुका दिया। और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल दिया। सोनिया जो कुछ देर पहले उचक ऊचक कर चुदवा रही थी अब किसी रोबोट की तरह चुद रही थी। 10 मिनट धक्के लगा कर मदन सोनिया की चूत में झड़ गया। मदन ने सोनिया के टी शर्ट से अपना लन्ड साफ किया । "चल जल्दी से कपड़े पहन। तेरी गाड़ी आ गई।" मदन बेल्ट बांधता हुआ बोला। सोनिया ने फटाफट ब्रा पहनी और टी शर्ट पहनी। टी शर्ट मदन के वीर्य से चिपचिपी हो रखी थी। बदबू आ रही थी। किसी तरह सोनिया ने टी शर्ट पहन ली। जैसे ही सोनिया ने पैंटी उठाई, मदन ने उसके हाथ से छीन ली। सोनिया ने उसकी तरफ देखा। तो मदन पैंटी सूंघता हुआ बोला। "जानेमन अपनी चुदायी की एक निशानी तो छोड़ जा।"
सोनिया ने पजामा उठाया और ऐसे ही पहन लिया। मदन ने दरवाजा खोला और सोनिया फटाफट जाके गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी में देखा तो पीछे सरिता बिना कपड़ों के खोई हुई थी। और किंजल बेसुध खिड़की से सर लगा कर बैठी थी। सोनिया को बेचारी किंजल पर तरस आया। उसके लिए पहली बार था। उसने किंजल का हाथ पकड़ लिया। सुबह के 3:30 बज चुके थे। गाड़ी धीरे
धीरे गेट की तरफ बढ़ने लगी।
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सरिता अब खुद घोड़ी बन कर चुदवा रही थी। उसका पति एक कोने में बेहोश पड़ा था। एक ने उसके बाल पकड़ रखे थे और उसके मुंह में धक्के लगा रहा था। दूसरा उसकी कमर पकड़ कर चूत में धक्के मार रहा था। सरिता अब खुद पूरा जोर लगा रही थी। वो अपनी हालत अपने पति जैसी नही करवाना चाहती थी। बाकी दोनों जमीन पर बैठे सुस्ता रहे थे। चारों थक चुके थे। आधी रात बीत चुकी थी। थोड़ी देर में दोनो सरिता के मुंह और चूत में झड़ गए। सरिता निढाल होके उसी खाट पर फेल गई। पर इतने में तीसरा आया और फिर से सरिता को घोड़ी बना लिया। और लन्ड उसकी चूत में धकेल दिया। सरिता थक कर चूर हो रखी थी पर फिर भी किसी तरह घोड़ी बनी हुई थी। तभी चौथा उठा। उसने दीवार के एक कोने से फोन उठाया जिसमे वीडियो कॉल चल रही थी। "बोलो साहब इतना काफी है या कुछ और भी करना है?" उसने फोन में बोला।
"अपना काम निपटा के दोनो को खत्म कर दो। तुम्हारी जमानत का इंतजाम हो जायेगा" फोन से आवाज आई।
ईतना सुनते ही सरिता के कान खड़े हो गए। वो अचानक तीसरे वाले से खुद को छुड़वा कर बैठ गई। और फोन की तरफ हाथ जोड़ कर बैठ गई। "साहब भगवान के लिए बक्श दो। हमसे गलती हो गई। आप जो बोलेंगे वो करेंगे। भगवान के लिए हमे जान से मत मारो।" सरिता जोर जोर से रोने लगी।
"अपना काम निपटाओ। अभी इसे मत मारना। बताता हु।" फोन से आवाज आई। पहलवान ने वापस फोन दीवार पे रखा जहा से दूसरे इंसान को सब दिख रहा था। वापिस आकर उसने सरिता को फिर बालो से पकड़ा और खाट पे लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। सरिता समझ गई। उसने खुद लन्ड अपनी चूत में डाला और ऊपर नीचे होने लगी। सरिता बहुत घबराई हुई थी। ऊपर नीचे होते हुए बोली। "प्लीज हमको मत मारो। हम सब करेंगे।"
"पक्का सब करेगी न।?"
"हां।" और पूरे जोर से ऊपर नीचे होने लगी। सरिता एक बार फिर झड़ी। अब वो सह नही पाई और कैदी की छाती पर लुढ़क गई। लन्ड अभी भी उसके अंदर था। पीछे से उसके फैले हुए चूतड अलग ही नजारा दे रहे थे।


बाबा ने किंजल के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उसे अपने लन्ड पे बिठा लिया। किंजल ने अब आराम से लन्ड अन्दर ले लिया। वो पूरी गीली थी। लन्ड फचक से अंदर चला गया। बिट्टू की जीभ से किंजल कई बार झड़ चुकी थी। किंजल अब लन्ड पे ऊपर नीचे होने लगी। किंजल को अब इस बूढ़े से चुदाने में मजा आ रहा था। दूसरा वो चाहती थी की किसी तरह ये सब खतम हो और वो वापिस जाए।
किंजल अब बाबा की छाती पे वजन डाल के फटाफट ऊपर नीचे हो रही थी। बिचारी कमसिन चूत हर 2 मिनट में झड़ रही थी। पर वो लगी रही। बाबा नीचे लेटा उसके चूचे मसल रहा था। 6 - 7 बार झड़ने के बाद किंजल की हिम्मत जवाब दे गई। अब उस से हिला नही जा रहा था। अब किंजल रुक गई और जोर जोर से सांस लेने लगी। बाबा का लन्ड अभी भी खड़ा था। बाबा ने किंजल को कमर से पकड़ा और घुमा के अपने नीचे ले लिया। और दनादन पेलना शुरू किया। किंजल इतनी स्पीड सह नही पा रही थी। उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। लेकिन उसके दर्द में बाबा को मजा आ रहा था। कुछ देर चोद के बाबा ने किंजल की चूत से अपना लन्ड निकाला। किंजल को कुछ सांस आया। और हांफने लगी। उसकी चूत पूरी फैली हुई थी। मानो चूत भी सांस ले रही हो।



सिन्हा सोनिया की गांड में उंगली कर रहा था। और साथ में सोनिया चूतड ऊपर नीचे कर अपनी चूत से उसके लन्ड को चोद रही थी। सिन्हा को अब सोनिया को चोदने में मजा आ रहा था। उसने धक्का देकर सोनिया को अपने ऊपर से उतारा और उठ कर बैठ गया। और उंगली के इशारे से सोनिया को फिर अपने पास बुलाया। सोनिया पास आकर सिन्हा की गोद में बैठ गई और दोनो टांगे उसकी कमर पर लपेट ली। लन्ड अब फिर सोनिया की चूत में था। सोनिया के कस कर सिन्हा के गले में बाहें डाली और आगे पीछे होने लगी। दोनो के होंठ एक दूसरे को खा रहे थे। अब सिन्हा अपने लन्ड पर सोनिया की कसी हुई चूत और अपनी जांघो पर बार टकराते उसके चूतड़ों की थाप से नही पाया और सारी पिचकारी सोनिया की चूत में छोड़ दी। और पीछे की तरफ लुढ़क गया।

सरिता उस पहलवान की छाती पर सर रख हान्फ ही रही थी की उसे उसके चूतड़ों पर किसी के हाथ महसूस हुए। जैसे कोई उसके चूतड फेला रहा हो। उसने झट से हरकत कर पीछे मुड़ के देख तो पहले वाला केदी उसके गांड़ के छेद पर लन्ड टीका रहा था। वो उठने ही लगी थी घबरा कर की नीचे वाले पहलवान ने उसकी पीठ पर बाहें लपेट कर उसे वापिस अपनी छाती से कस लिया। सरिता डर के मारे छटपटाने लगी। उसे समझ आ गया था क्या होने वाला है। "ऐसा मत करो। बहुत दर्द होगा। प्लीज नही।" सरिता छटपटाते हुए रोते हुए गिड़गिड़ाई।
"अभी तो बोल रही थी सब करेगी। नही होता तो ठीक है। हम अपना काम करते है।" सरिता चुप हो गई। पर अभी भी छटपटा रही थी। पीछे वाले पहलवान ने उसकी पिंडलियों पर घुटने रख दिए। सरिता दर्द से चिल्लाई। नीचे वाले का लन्ड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था। पीछे वाले ने टोपा अंदर घुसाया। ऐसे तो सरिता की गांड़ उसकी हत्थे की चूदाई से खुल गई थी। पर इन सबसे लन्ड हत्थे जितने ही थे। जेसे जैसे लन्ड अन्दर जा रहा था सरिता की चीख गूंज रही थी। जब लन्ड गांड़ में पूरा चला ज्ञाबतो नीचे वाले ने भी कमर ऊपर नीचे कर लन्ड में हरकत शुरू की। एक साथ दोनो तरफ होती हरकत में सरिता दर्द से पागल हो रहीं थी। पर दर्द में भी एक मजा आ रहा था। अब दोनो लन्ड दोनो छेदों में आराम से अंदर बाहर हो रहे थे। अब सरिता को दर्द कम था। मजा भी आने लगा। एक साथ दोनो छेदों में घिसाई से चूत बार बार झड़ने लगी। दोनो छेदों में लन्ड होने से चूत और गंद दोनो टाइट थी। दोनो पहलवान इतनी टाइट छेद को झेल नही पाए और सरिता के दोनो छेदों को अपने माल़ से भर दिया। और हांफने लगे। सरिता अब बेहोशी जेसी हालत में थी। वही लुढ़क गई। गांड़ और चूत दोनो जगह से वीर्य बह रहा था।

बाबा ने खींच कर किंजल को घोड़ी बनाया और लन्ड एक झटके में चूत में पेल दिया। अब बाबा भि ठक चुका था और नशा सर पर था। वो जल्दी सब निपटने के मूड में था।लन्ड सीधा बच्चे दानी से टकराया। किंजल को चीख निकली। अभी दर्द से उबरने को थी की उसे सरिता की चीखें सुनाई देने लगी। जिसे सुन कर वो घबरा गई। इधर बाबा ने दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिए। हर धक्के में किंजल आगे को खिसक जाती। बाबा ने कस कर उसकी कमर को पकड़ा और गहराई तक धक्के लगाता जा रहा था। किंजल की सिसकियां अब चीखों में बदल गई। 5 मिनट और धक्के लगा कर बाबा ने अचानक अपना लन्ड बाहर निकल लिया और किंजल को बालो से पकड़ा और अपने लन्ड को किंजल के मुंह में डाल दिया। किंजल अचानक इस धक्के को समझ नही पाई। उसकी चूत के रस से लिबड़ा हुआ लन्ड अब उसके मुंह में था। किंजल को उबकाई आने लगी लेकिन बाबा ने मुंह में धक्के लगाने जारी रखे। अचानक बाबा ने लन्ड उसके गले तक ठूंस दिया। आधा लन्ड अभी भी किंजल के छोटे से मुंह से बाहर था। बाबा की टांगे कांपने लगी और उसके अंडकोष खाली होने लगे। सारा वीर्य किंजल के गले में उतरने लगा। किंजल की आंखे बाहर आने लगी। उसकी सांस रुक गईं थी। बाबा 30 सेकंड तक इस ही रहा। किंजल को लगा वो अभी मर जायेगी। तभी बाबा ने लन्ड बाहर निकाल लिया। किंजल ने जोर को सांस ली और उसे उल्टी आने लगी। उसने पास में सारा वीर्य और खाना वापिस उलट दिया। किंजल को चक्कर आने लगे और वही बेहोश होकर गिर गई।


सोनिया बाथरूम में गई। खुद को साफ किया। और वापिस सिन्हा के पास आई। सिन्हा अभी भी बेड पर टेक लगा कर नंगा बैठा था। टांगे फैला रखी थी। नशा अब उसके सर पर चढ़ा हुआ था। सोनिया ने पास आकर उसके लन्ड को सहलाना शुरू किया। सिन्हा ने उसका हाथ पकड़ लिया और हटाते हुए बोला। "बस अब। अपने कपड़े उठा और जा यहां से। मुझे नींद आ रहीं है। बाहर मेरे गार्ड को भी खुश कर देना। मेरा खास आदमी है।" सिन्हा ने आंखे बंद में बोला और सोनिया को झटक दिया। सोनिया की आंखों में आसूं आ गए। ऐसा लगा की वो कोई सड़कछाप रण्डी हो। सोनिया बाहर ड्राइंग रूम में आ गई जहा उसके कपड़े रखे थे। उसने कपड़े उठाए ही थे कि बाहर का दरवाजा खुला और गार्ड अंदर आया।
"साहब किधर है?" उसने अंदर आते ही पूछा।
"अंदर हैं। सो गए।" सोनिया खुद को कपड़ों से छुपाते हुए बोला। गार्ड उसके नंगे शरीर को ऊपर से नीचे देखने लगा। जिसे छुपाने की नाकाम सी कोशिश सोनिया कर रही थी। गार्ड पास आया। सोनिया के हाथ कांपने लगे। उसे गार्ड की आंखों में वहशीपन दिख रहा था। अगर सिन्हा ने ना बोला होता तो सोनिया उसका पूरा विरोध करती। गार्ड भी समझ गया कि साहब ने पहले की तरह ये चिड़िया भी उसकी झोली में डाल दी है।
मदन(गार्ड) सोनिया की तरफ बढ़ने लगा। सोनिया के हाथ कांप रहे थे। हाथ में पकड़े कपड़ों को उसने कस के सीने से लगा लिया। मदन सोनिया के इतना पास आ गया कि सोनिया की सांसों को भी महसूस कर पा रहा था।

एक पहलवान उठा और फोन पकड़ लिया। "साहब क्या करना है?"
"ऐ सरिता। रघु तो कल का सूरज नही देखने वाला। तेरा क्या खयाल है अब?" फोन से आवाज आई।
"साहब, माफ कर दो साहब। आप जो बोलोगे वो करूंगी। बस इस बार छोड़ दो।" सरिता हाथ जोड़ फोन की तरफ देखते हुए गिड़गिड़ाई।
"तो एक काम कर। रघु को परलोक तू भेज दे। तुझे माफ कर देंगें।"
"जी??" सरिता सहम गई । उसे समझ आ गया था फोन पर क्या बोला है।
"समझ नही आया तो तुम दोनो को भेज देते है। जल्दी कर।" फोन से फिर आवाज आई।
सरिता खड़ी हुई। हाथ जोड़ फोन की तरफ देखती रही। दिमाग सुन्न हो गया था। पहलवान ने बालो से पकड़ लिया। "सुना नही क्या साहब ने क्या बोला। "
उसने दूसरा हाथ सरिता की गर्दन पर दबा दिया। सरिता ने झट से हां में गर्दन हिलाई। पहलवान ने उसे बालो से पकड़ रघु के ऊपर धकेल दिया। सरिता बेहोश रघु के ऊपर गिरी। रघु के शरीर में कोई हलचल नहीं थी। उसने रोते हुए चारों की तरफ देखा। चारों उसे ही घूर रहे थे। उसने रघु का सर अपनी गोद में रखा। फिर अपनी बाजू को पीछे से उसके गले में डाल के दबाना शुरू किया। रघु को सांस रुकने लगी। बेहोशी में उसका शरीर छटपटाने लगा। हाथ पैर सलामत नही थे। कुछ कर नही सकता था। छटपटाहट में उसकी बेहोशी टूटने लगी। आधे मिनट के बाद चेहरा लाल होने लगा। आंखे लाल होकर बाहर आने लगी। सरिता रोए जा रही थी। अगले 1 मिनट में रघु का शरीर शांत हो गया। सरिता ने पकड़ ढीली की और वही उसके ऊपर सर रख रोने लगी। पहलवान पास आया। उसने रघु की सांस और नब्ज चेक की और दूसरे कैदी को इशारा किया।
"साहब काम हो गया।" उसने फोन पर कहा। और फोन काट दिया।
दो जनों ने सरिता को दोनो बाजुओं से पकड़ा और घसीट कर बाहर ले जाने लगे। सरिता आखरी बार भीगी आंखों से रघु की लाश को देख रही थी।

इधर बिट्टू बेहोश किंजल पर पानी के छींटे मार रहा था। उसने किंजल को उठाया और उसे कपड़े पहनाने लगा। किंजल किसी तरह खड़ी हुई। उसकी टांगे कांप रही थी। उसने देखा बाबा बिस्तर पर नंगा लुढ़का पड़ा था। उसका मोटा पेट बाहर निकला हुआ था और खर्राटे मार रहा था। कुछ देर पहले किंजल उसके नीचे थी। किंजल को खुद पे घिन आ रही थी की कैसे इस बूढ़े ने बेचारी फूल जैसी किंजल को रगड़ा था। पर किंजल को नही पता था कि ये तो सिर्फ शुरुआत है। किंजल लंगड़ा कर चल रही थी। किसी तरह वो दर्द से कराहती दरवाजे से बाहर निकली। सामने सरिता को नंगा ही गाड़ी में बिठा रहे थे। महिला गार्ड सरिता को जिंदा देख हैरान थी। उसे बताया गया था कि सरिता जिंदा वापिस नही आयेगी। किंजल धीरे धीरे चलते हुए गाड़ी के पास पहुंची। किंजल पिछली सीट पर बैठ गई। सरिता शून्य सी नंगी ही सबसे पीछे की सीट पर बैठी थी। अंधेरे में काले रंग की वजह से ठीक से दिखाई भी नही दे रही थी। छोटी मोटी चोरी तक तो ठीक था। पर किसी की जान लेना उसके लिए नया था। वो भी उसका खुद का पति। गाड़ी चल पड़ी। और गेस्ट हाउस के बाहर रुक गई।

अंदर गाड़ी की लाइट देख मदन ने अपना लन्ड सोनिया के मुंह से बाहर निकाला और सोनिया को घुटनों से खड़ा कर सोफे पे झुका दिया। और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल दिया। सोनिया जो कुछ देर पहले उचक ऊचक कर चुदवा रही थी अब किसी रोबोट की तरह चुद रही थी। 10 मिनट धक्के लगा कर मदन सोनिया की चूत में झड़ गया। मदन ने सोनिया के टी शर्ट से अपना लन्ड साफ किया । "चल जल्दी से कपड़े पहन। तेरी गाड़ी आ गई।" मदन बेल्ट बांधता हुआ बोला। सोनिया ने फटाफट ब्रा पहनी और टी शर्ट पहनी। टी शर्ट मदन के वीर्य से चिपचिपी हो रखी थी। बदबू आ रही थी। किसी तरह सोनिया ने टी शर्ट पहन ली। जैसे ही सोनिया ने पैंटी उठाई, मदन ने उसके हाथ से छीन ली। सोनिया ने उसकी तरफ देखा। तो मदन पैंटी सूंघता हुआ बोला। "जानेमन अपनी चुदायी की एक निशानी तो छोड़ जा।"
सोनिया ने पजामा उठाया और ऐसे ही पहन लिया। मदन ने दरवाजा खोला और सोनिया फटाफट जाके गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी में देखा तो पीछे सरिता बिना कपड़ों के खोई हुई थी। और किंजल बेसुध खिड़की से सर लगा कर बैठी थी। सोनिया को बेचारी किंजल पर तरस आया। उसके लिए पहली बार था। उसने किंजल का हाथ पकड़ लिया। सुबह के 3:30 बज चुके थे। गाड़ी धीरे
धीरे गेट की तरफ बढ़ने लगी।
Bahut hi badhiya update diya hai niks1987 bhai...
Nice and beautiful update....
 
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