prasha_tam
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रोज की तरह दिन निपट गया। रात हुई। खाना खाकर सब अपने अपने बैरक में आ गए। किंजल को इस नए बैरक में बदबू से निजात मिल गई थी। उसे अभी भी पसलियों में दर्द था। पर उसकी कोई पसली टूटी नही थी। पर आने वाले वक्त को लेके उसे अभी भी घबराहट थी।
कुसुम आज बैरक में ही थी। पर शिफा नही आई थी।
"शिफा आंटी आज भी नही आयेगी क्या?" किंजल ने सुमन से पूछा।
" तुझे बड़ी फिकर है उसकी।" कुसुम ने तुनक के जवाब दिया।
"नही मैने तो ऐसे ही पूछा।" किंजल बोली।
"आजाएगी अभी। सबको अपना अपना काम दे रही है।" कुसुम बोली। सुमन उठी और टॉयलेट चली गई। सोनिया
भी किंजल के साथ बैठी थी। वो अपने पैसे गिन रही थी। उसने रुपए गोल करके अपनी ब्रा में डाल लिए। इतने में शिफा आई।
"कितना कलेक्शन है आज का?" सोनिया की तरफ देख के पूछा।
"6800" सोनिया ने पैसों का रोल ब्रा से निकल के शिफा की तरफ फेंका। शिफा ने रोल पकड़ा और अपनी पैंटी से रूपयो का एक बंडल निकाला। उसमे से कुछ रुपए निकाल के सोनिया के रोल में मिलाए और बंडल वापिस पैंटी में डाल निकल गई। सोनिया ने रोल वापिस ब्रा में रख लिया। सोनिया ने अपना फोन निकला छुपा के। किंजल को पूछा, "किसी से बात करनी है??"
किंजल ने ना में सर हिला लिया। वो बात करती भी किस से। इतने में कुसुम बाथरूम से बाहर निकली। उसे चलने में थोड़ी तकलीफ थी।
"सोनिया तेरे पास क्रीम है न। जरा मेरी पीठ पे लगाना।" कुसुम ने बोला ।
सोनिया ने खड़े होकर पास में दीवार पर टांगे एक थैले से क्रीम निकाली। कुसुम ने कुर्ती उतारी। और ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी पीठ लाल निशानो से भरी हुई थी। दांत से काटने के, मसलने के। दोनो ने देखा निशान नीचे सलवार में चूतड़ों तक जा रहे थे।
"सी ई ई ई।।।।" कुसुम को दर्द हुआ।
"दीदी इस बार तो कुछ ज्यादा ही बुरा हाल करवा के आई हो।" सोनिया ने क्रीम लगाते हुए बोला।
"मादरचोड हरमी था साला" कुसुम के आंसू फट पड़े।
" ड्रग्स ले रखे थे कुत्ते ने।1 घंटा उतरा ही नही मेरे ऊपर से। पूरी पीठ पे नाखून और दांत मार मार के बुरा हाल कर दिया। हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाई मै। पर चीख भी नही सकती थी। पर नही माना। पूरा शरीर नोच दिया मेरा।" कुसुम सिसक सिसक कर आंसू बहा रही थी।
सोनिया उसके आगे की तरफ आई। और देखा चूचों का भी वही हाल था। चोदने वाले ने उसके गोरे रंग को अच्छे से निचोड़ा था। सोनिया ने क्रीम लगाई।
" दीदी सलवार खोलो। नीचे भी लगाती हूं।"
कुसुम ऐसे ही लेट गई। सोनिया ने उसका नाड़ा खोला और सलवार को नीचे कर दिया।
जांघो और टांगों पर काटने के साथ साथ मारने के भी निशान थे। सोनिया ने उसकी दोनो टांगो को फोल्ड करके खोल दिया। कुसुम की choot लाल हो रखी थी। छेद फैल गया था पूरा।
सोनिया ने जांघो पर क्रीम लगानी शुरू की। "दीदी ये एक आदमी का काम नही लग रहा।"
" जब बाहर निकल कर गाड़ी में बैठी तो गार्ड ने मुझे कपड़े खोलने को बोला। मैने माना किया तो गार्ड और ड्राइवर दोनो ने मुझे मारा। और फिर दोनो ने choot और गांड दोनो में चोदा।इतनी सी भी जान नही थी। सालों ने फिर भी तरस नही खाया मुझपे ।" कुसुम अब जोर जोर से सिसक रही थी। सोनिया ने उसकी टांगों को फैला कर गांड के छेद पे अच्छे से क्रीम लगाई। रोते रोते कुसुम नंगी ही नींद के आगोश में चली गई। सोनिया ने उसे चादर से ढक दिया। उसे भी कुसुम पे तरस आ रहा था। पर कर भी क्या सकती थी। जेल में कमजोर और गरीब के साथ यही होता है। उधर किंजल भी घबराहट से कांप रही थी। उसे अंदाजा भी नही था यह क्या क्या होता था।
सुबह किंजल 5 बजे उठी तो शिफा भी उसकी बगल में लेटी हुई थी। सोनिया भी पिछली बार की तरह नीचे से बिना कपड़ों के चादर लपेटे सो रही थी। किंजल उठ कर बाथरूम गई। 5:30 बजे सबका बैरक खोल दिया गया। किंजल वही बैठ गई और सोनिया शिफा के उठने का इंतजार करने लगी। उसे अकेले नहाने जाने में डर लग रहा था। इतने में कुसुम उठी। उसने देखा वो नंगी थी। उठ कर उसने कपड़े पहने। उसे भी दर्द में आराम था। या शायद इसकी आदत हो गई थी। वो भी टॉयलेट जाके आई तो देखा किंजल बैठी थी। उसने अपने कपड़े उठाए और बाहर निकलने लगी। उसे देख किंजल भी कपड़े लेकर उसके पीछे चल दी।
दोनो उसी गुसलखाने में पहुंच गए जहा वीआईपी जाते हैं। अंदर आज कोई नही था। दोनो अकेले थे। आज दोनो जल्दी आ गए थे। दोनो ने फटाफट कपड़े उतारे और अपने अपने शावर के नीचे नहाने लगे। दोनो ने अपने आप को अच्छे से साफ किया और चादर लपेट के कपड़े धोने बैठ गए। दोनो ने अपने पुराने कपड़े धोए। किंजल ने देखा कुसुम की choot बहुत फैली हुई थी। अभी भी वहा निशान दिख रहे थे। दोनो ने उठ कर कपड़े पहने। और बाहर निकल गए। अभी बाकी सब बाथरूम में लाइन लगनी शुरू हो गई थी। काई आंखे दोनो को घूर रही थी। पर दोनो ने सबको नजरंदाज किया। और मैस की तरफ बढ़ गए। अभी मैस खुला नही था। सुबह के नाश्ते की घंटी बजने में अभी टाइम था। दोनो वही पास में एक बेंच पर बैठ गए।
"आप यहां पर कैसे आई?" किंजल ने पूछा। उसे डर था कही कुसुम उसे डांट ना दे।
"मेरे पति ने एक चिट फंड कंपनी चला रखी थी मेरे नाम से। और सबका पैसा खा गया। सब केस मूझपे बना। पहले तो मुझे बोलता रहा में छुड़वा लूंगा बस दो चार दिन की बात है। पर कुछ नही हुआ। मुझे चार साल की कैद हो गई। पहले तो मुझसे मिलने आता रहा। फिर धीरे धीरे आना बंद हो गया।" कुसुम का गला भर आया।
"तो आप शिफा आंटी का काम क्यों कर रही हो?" किंजल ने फिर सवाल किया।
"मेरा बेटा है मेरी बहन के पास। मेरा पति कमीना निकला। मैं यहां अंदर थी और उसने वहां कोई दूसरी औरत रख ली। मेरी कोई सुधि नहीं ली। मेरा बेटा अभी स्कूल जाता है और मेरी बहन के पास है। मैं चाहती हूं वह अच्छे स्कूल में पढ़े। बस इस काम से उसके स्कूल की फीस जुटा लेती हूं। ताकि मेरी बहन के ऊपर कोई बोझ ना आए। मेरी सजा को डेढ़ साल बचा है। किसी तरह यह निपट जाए फिर वापस अपने बेटे के पास चली जाऊंगी।" बात खत्म करते-करते कुसुम की आंखों में आंसू भर आए। किंजल ने भी सहानुभूति में उसके कंधे पर हाथ रखा। इतने में शिफा और सोनिया वहां आ गए।
"और क्या बात चल रही है?" शिफा ने पूछा।
"कुछ नहीं वैसे ही। आप दोनों नहाकर नहीं आए क्या?" किंजल नॉर्मल होती हुई बोली। ।
"नहीं खाना खाकर जाएंगे।" सोनिया बोली।
इतने में मैस की घंटी बज गई।
"चल किंजल लाइन में लग और सबका खाना लेके आ।" शिफा ने किंजल को ऑर्डर किया और किंजल सबकी थालिया उठा के लाइन में लग गई। जल्दी आने की वजह से वो काफी आगे थी।
"वो गार्ड और ड्राइवर का इलाज कर दिया है। रिमोट एरिया में ट्रांसफर हो जाएगा उनका। औरत तो क्या औरत की आवाज को भी तरसेंगे।" शिफा ने कुसुम के सर को सहलाते हुए कहा। कुसुम फिर से फफक पड़ी।
"बस बस यहां खुले में नही।" शिफा ने उसे चुप कराया।
"अब 10-15 दिन कहीं बाहर नहीं जाएगी तू। यहां मेरे साथ ही रहना।और इस ट्रिप का अच्छा पैसा मिला है। तेरा स्कूल का काम एक ही ट्रिप में हो गया।"
सामने से किंजल हाथ में थालियां लाती दिखी। सबने अपनी अपनी थाली लेली। आज थाली में आलू का पराठा दही और अचार था। सबने अपना अपना नाश्ता खत्म किया। सोनिया उठी और चार गिलास लेकर एक काउंटर पर गई और सबके लिए चाय ले आई। चाय खत्म होते ही। शिफा ने बोला। "किंजल तू मेरे साथ चल आज।" किंजल सुनते ही सकपका गई। उसे घबराहट होने लगी कि क्या होगा। "कुसुम तू आराम कर।" बोलते ही शिफा उठ कर चल दी। सोनिया ने किंजल को इशारा किया। किंजल भी उसके पीछे चल दी। उसकी टांगे डर से कांप रही थी।
शिफा सिलाई वर्कशॉप की तरफ चल दी। किंजल भी सस्पेंस में उसके पीछे पीछे जा रही थी। सिलाई एरिया में अभी कोई नही आया था। अंदर जा कर कई मशीनें लगी थी। उन सब मशीनों को पार कर शिफा एक कोने में आई। उसने कोने में एक कपबोर्ड खोला जिसमे अलग अलग कपड़े भरे थे। उसने उसमे से एक टी शर्ट और शॉर्ट्स निकल कर पकड़ा। किंजल की तरफ मुंह कर के बोली। "चल जल्दी से अपना सलवार कमीज उतार।" किंजल अचंभित सी उसके मुंह को देखने लगी। उसे समझ ही नही आया कि करना क्या है। "समझ नही आया क्या?" शिफा ने थोड़ा कड़क के बोला। किंजल ने अपना कुर्ता उतारा और सलवार का नाड़ा खोल कर उतार दिया। उसकी पैंटी में छेद हो रखे थे। और ब्रा का स्ट्रैप भी फटने वाला था। "शाम को तुझे नए अंडरगार्मेंट दूंगी। याद दिला देना।" शिफा ने टी शर्ट और शॉर्ट्स उसकी तरफ फेंके। "जल्दी कर पहन इसे।" किंजल जल्दी जल्दी पहनने लगी। उसे डर लग रहा था कही कोई आ न जाए। टी शर्ट बिलकुल स्किन टाइट थी। उसके उभार पूरे क्लीवेज के साथ दिख रहे थे। शॉर्ट्स बिलकुल टाइट थी। गांड में प्रॉपर फिट । एक दम सेक्सी लग रही थी किंजल। "इसके ऊपर फटाफट अपने कपड़े पहन के मेरे साथ चल।" किंजल ने फटाफट अपना सलवार कमीज पहना और शिफा के पीछे पीछे चल दी।
शिफा अब वीआईपी बेरेको की तरफ जाने लगी।