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Adultery माँ का मायका-2 (INCEST, GROUP)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?

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chalo bhai welcome back with a great thinking that of a next generation that
Takes the charge.
But what about our first generation hero
did he also available in it or he's now just a father who cares about his child.
And bro you can also add sister caracter of viju that can be take more interesting facts in story. It's just a suggestion that depends on you that you want to implement it or not..
And the update is good
Waiting for next update.....
जो छोटे मांमा के बेटे के बिवि को वीरू ने बच्चा दिया था वो लड़की थी और अभी वो आगे add हो जाएगी
 
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भाई पहले तो new स्टोरी के लिए बहुत-बहुत बधाई अपडेट भी बहुत जबरदस्त होगा ऐसे ही लिखते रहिए और भाई हिंदी में लिखेगा क्योंकि फोरम पर कई लोग ऐसे हैं जो आप को बोलेंगे इंग्लिश में लिखो स्टोरी प्लीज भाई हमने आपकी पहले की स्टोरी भी पड़ी है आपने हिंदी में लिखी है प्लीज भाई वाली स्टोरी को भी हिंदी में लिखिए गा आपका दोस्त??????????
भाई बोलते हो और प्लीज प्लीज भी करते हो.मैं देवनागरी में ही लिखता हूं क्योकि उससे ज्यादा भावना आती है और उस भावनाओं से रोमांचकता,बेफिक्र रहो भाई, इसी लिपि में लिखुंगा.धन्यवाद पढ़ने के लिए
 

Kapil Bajaj

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थैंक यू भाई भाई आपकी एक और कहानी है आपकी जय का सफर उसको भी आगे बढ़ा दो आपका दोस्त???????
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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:congrats: bhai.......................bahut dino se intzar tha is kahani ke dusre bhaag ke shuru hone ka
 

Monty853

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जो छोटे मांमा के बेटे के बिवि को वीरू ने बच्चा दिया था वो लड़की थी और अभी वो आगे add हो जाएगी
Vo to hai hi bhai
Mai half sister ke bare me nahi bol raha hu
 
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माँ का मायका-2 (INCEST, GROUP)

सीजन 1,Update 2

विजु के ओर से-

क्लास से रात को आने के बाद पिताजी(वीरू) आ चुके थे।मैं हाथ पाओ धो कर उनके पास आके बैठा।

पिताजी: क्यो बेटा जी,कैसा चल रहा है कॉलेज?

विजु: एकदम बढ़िया। आप बताओ,आपका कैसा चल रहा है आफिस।

पिताजी: अच्छा जी,बाप से होशियारी।

विजु:बेटा किसका हु।

दोनो हसने लगे।तभी मैन उनको सवाल किया।

विजु:पापा दादी हमारे साथ क्यो नही रहती।

ये सवाल पर पिताजी चुप से हो गए।मा को मालूम था की वीरू इसका जवाब नही देगा और मैं ठहरा जिद्दी जवाब लिए बिना चुप नही बैठने वाला था।तभी मा बाहर आकर।

मा: वो अपनी आखरी बची जिंदगी अपने हिसाब से जिना चाहती है।बस उनका मन भर जाएगा तब हम उनको ले आएंगे।

मुझे ये जवाब कुछ पसन्द नही आया।कुछ तो गड़बड़ थी इसमे।

संजू(मा)की तरफ से(मन में)-

अभी इसको कैसे बताऊ की उसके परिवार का इतिहास क्या है।उसका बाप उसकी खुद के मा की चुत मार चुका है।उसकी मा खुद की चुत नौकरानी के भाई से मरवा चुकी है।मैं भी ठहरी चुदास भरी औरत।हम तेरी वजह से अपने आपको सुधार तो दिए पर तेरी दादी की हवस तो बुझ ने से न रही। इसलिए उसको वृद्धाश्रम में रखा है तेरे पापा ने।अभी वो कैसे बोले की इतना बड़ा बेटा होते हुए भी उसकी मा वृद्धशम में।तुम्हारे अच्छी और साफ जिंदगी के लिए बहोत कुछ कोम्प्रोमाईज़ किया है तेरे पापा ने।

वीरू उठके अंदर आया:कबतक झूठ बोलते रहेंगे इससे,जब सच्चाई मालूम पड़ेगी तब इसे घिन आएगी हमसे।

कही विजु म सुने इसके लिए संजू उसे बोलती है:तुम शांत रहो,कुछ नही होगा,कुछ होगा तो मैं संभाल लुंगी।

विजु(नायक) की तरफ से-

पापा का मुह लटकाकर चुप रहना,मा का अचानक आके उड़ता हुआ जवाब देना,फिर मा के पास जाकर पापा का खुसफुसाना,फिर मा का मुझे देख उनको जवाब देना,के सब मुझे बहोत ज्यादा अजीब लगा। श्याम का मा का बर्ताव,अब का बर्ताव मुझे अभी खटक रहा था,ये लोग जरूर कुछ छुपा रहे थे ।

रात को हम एकसाथ ही सोते थे। मा बीच में सोती थी।एक तरफ कबर्ड और दूसरी तरफ खटिया जिसपर पहले दादी सोती थी,ओ सोने के लिए कोई नही इस्तमाल करता था क्योकि वो दादी की याद थी।दादी घर से जाके 7 से 8 साल हो गये थे।मेरे जन्म के बाद।क्यो पता नही?

आधीरात को जब नींद खुली तो मैं पूरा कबर्ड को चिपका था और मा का पिछवाड़ा मुझे पूरा चिपक कर सटा हुआ था।मैने कोशिश की उनको उठाने की पर पापा न जग जाए आवाज से इसलिए मैं ज्यादा आवाज नही की।मा तो पूरी निंद में थी।अभी मुझे श्याम वाली फील आ रही थी।मेरे अंदर गर्मी बढ़ रही थी,सांसे गर्म हो रही थी।मन चलबिचल कर रहा था।फिर आवेश में मैंने मा की गांड को पकड़ कर थोड़ा आगे खिसकाया।मेरा पेंट में तंबू बना दिख रहा था।और उसी शॉक से मैंने गलती से अपनी उंगली मा की गांड में घुसेड़ दी। है भगवान,अब तो मार पक्की है।पर मा कुछ भी रिएक्ट नही हुई।मैं वही सोच,उठा और बाथरूम में गया।मुझे जोर से मूतने को आया था।मूतने की वजह से लन्ड बैठ जरूर गया पर लम्बाई उतनी ही रही।आज पहली बार मैंने उसपर गौर फरमाया था।

बाहर आते ही मेरी नजर धीमी लाइट में कमर तक उठी साड़ी में चमकते हुए मा के पैरों पर और पेंटी पर गयी।थोड़ी देर के लिए मैं उसे ताकता रह गया और बाद में होश में आकर चुप चाप सो गया।पर मेरे मन में एक सवाल आया जरूर,जब मैं यहाँ से गया तब साड़ी नीचे थी,और अभी? पर तभी मुझे ये भी लगा की उनको हटाने के वक्त कही मैने ही उससे छेड़छाड़ की हो तो,नींद में किसको मालूम पड़ता है।आ जाकर सब मेरे ऊपर ही आएगा,छोड़ो,सो जाते है।

संजू(मा) की तरफ से-

मेरा प्यारा बेटा,अब भी इसमे वो सन्मान है मा के लिए,पर इसको इन चीजो की शिक्षा तो देनी पड़ेगी।अगर कही बाहर मुह मारने लगा तो इतने सालों की त्याग प्रतिज्ञा,परिश्रम पर पानी फेर जाएगा।

और इसका हथियार भी काफी बड़ा,मजबूत है।मैं इसके लन्ड के प्रभावित हो गयी मा होकर तो बाकी तो हो ही जाएंगे।पर इसके पापा का भी कहना सही है।अगर ये भी मुझे रंडी समझने लगा तो मैं सहन नही कर पाऊंगी।थोड़ा समय जाएगा तब तक इसे किसी की लत न लग जाए बस।भगवान कृपा रख हम पर।


विजु(नायक)की तरफ से-

सुबह उठ कर नाश्ता करके मैं कॉलेज के लिए निकलने ही वाला था।तो मुझे अचानक से कुछ सुझा औऱ मा का जायजा करते हुए मैंनेअलमारी खोली।नसीब से जहा सोचा था वहा पे मुझे वो चीज मिल गयी,दादी का फोटो और उनके वृद्धशम का पता।मुझे मिलना ही था दादी से,जबतक मैं उनसे नही मिलता मुझे चैन नही आने वाला था।

पता मिलते ही मैं अलमारी सेट कर कर कॉलेज निकल गया।कॉलेज तो जाना नही था,जो पता था उसे ढूंढते हुए मैं एक वृद्धाश्रम में पहोंच गया।अकेला ही था।वॉचमैन को बोलके वृद्धआश्रम के कार्यालय में गया वहाँ पर एक 52 55 साल की औरत बैठी थी,उसको फोटो दिखाया तो उसने एक दूसरी औरत को मेरे साथ भेजा।उस औरत ने मुझे एक कमरे के अंदर छोड़ा।वहाँ पर अंदर मुझे दादी दिखी।भगवान की पूजा कर रही थी।62 की उम्र में भी हट्टीकट्टी थी।

दादी:कौन हो तुम?

मैं:दादी मैं विजु,तुम्हारा पोता!!

दादी:विजु!!!??!!

मैं:वीरू का बेटा दादी!!!

वीरू का नाम सुनते ही दादी दौड़ते हुए आई और मेरे से लिपिट गयी।मुझे चूमने लगी,मेरे शरीर को अपने हाथो से मलते हुए जायजा लेने लगी।

दादी:वीरू नही आया!??

इस का मैं क्या जवाब दु ये सोच ही रहा था उससे पहले ही उन्होंने खुद जवाब दे दिया।

दादी:जाने दो ,काम में व्यस्त होगा।तुम आओ बैठो।

कमरा बड़ा नही था एक बाथरूम एक खटिया और एक अलमारी 10×10 का कमरा था।मै पलंग पर जाकर बैठ गया।वो दरवाजा बन्द कर के मेरे पास सटक कर बैठ गयी।

दादी:कितना बड़ा हो गया रे तू!??

मैं:आप हमारे साथ क्यो नही रहती?यह पर क्यो रह रहे हो।

मेरे सवालों से दादी को समझ आया की उनकी पुरानी जिंदगी के बारे में मुझे कुछ बताया नही गया है।

दादी:तुम्हे यहां का पता किसने दिया।

मैं:मैंने चुपचाप अलमारी से पापा के फाइल से निकाल लिया।

दादी:मतलब किसीको मालूम नही है की तुम यहाँ हो!?

मैं:नही!!किसीको नही!

दादी:अभी किसीको बताना भी नहीं।

मैं:क्यो!!?अइसा क्यो!??

दादी: बोला न नही,तुम बच्चे हो जितना बोलू उतना सुनो।

मैं:मेरे 18 साल पूरे हो गए है।मै अभी बलिक हु,आप बच्चा मत बोलो मुझे।

दादी:अच्छा जी,इतने बड़े हो गए हो?अभी तो तेरा उठता भी होगा फिर"!??
मैं चौक कर:क्या??

मेरे इस सवाल से दादी के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी।उन्हें जरूर समझ आया की उनके बेटे बहु ने उसे अपने किसी भूतकाल के बारे में कुछ न बताया न कुछ सिखाया है।

दादी:कुछ नही!!तुम अभी कॉलेज को चले जाओ।और अइसे ही आते जाते रहना।

दादी को अलविदा कर मैं कॉलेज चला गया।वह से घर।अभी रोज चोरी छुपे दादी से मिलना चालू था मेरा।एकदिन अइसे ही मैं दादी के पास गया था तो दादी नहा रही थी।

मैंने उनको पुकारा और बाहर बैठ गया।थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे पुकारा और कहा:विजु बेटे,जरा यहां आना,और हा कपड़े उतार के आना भीग जाओगे।

मैं:पर बिना कपड़ो के!!??

दादी:18 साल के हो गए हो फिर भी अकल बच्चे की ही है,अंडरवियर नही पहनते क्या?और हा दरवाजा बन्द करके आना क्योकि बाथरूम छोटा है ये दरवाजा खुला रखना है।

मैं:ठीक है दादी!!

मैंने अपने कपड़े उतार सिर्फ अंडरवियर में बाहर का दरवाजा बन्द करके दादी के पास आया।मेरे सामने छाती से घुटनो तक भीगा हुआ कपड़ा लपेटी दादी खड़ी थी।मुझे सामने अंडरवियर में देख घूरने लगी।उसका चेहरा लाल होने लगा।इधर उनके उन नजरो से मुझे अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा था।

मैं:दादी अइसे मत देखो यार,अजीब सा फील हो रहा है।

दादी:उसमे अजीब क्या है? नौजवान का शरीर ताड़ना,तो हक है हमारा।वैसे तुम भी ताड सकते हो अपनी दादी को किसने रोक रखा है।

मैं:हट ,कुछ भी बोलती हो।

दादी:अरे हट क्या,कभी किसी औरत को नही ताड़े हो!??गर्लफ्रैंड नही क्या तेरी?

मैं:नही मेरी कोई गर्लफ्रैंड!!!

दादी:अपनी मा को भी नही ताड़े कभी!??

मैं:दादी कुछ भी क्या बोल रहे हो छि!!

दादी मन में-वीरू ने बहोत ज्यादा ही संस्कार दे रखे है इसे।तभी मुझे घर नही लेके जाता।पर बिचारे के मेहनत पर पानी।अभी इसके बेटे को भी उसकी तरह तगड़ा चुदक्कड लौंडा बना दूंगी।

दादी:यहां पर आ !!बहोत दिन से अच्छे से नही नाहाई मैई ।थोड़ा पीठ रगड़ दे।

मैं शर्माते शर्माते उनके पास गया।क्योकि इस अवस्था में किसी औरत के सामने पहली बार जा रहा था।उन्होंने मेरे पिछले ओर जाते ही मुझे एक ब्रश थमा दिया और अपने ऊपर जो कपड़ा लपेटा था वो निकाल कर बाजू में रख दिया।

है भगवान,एक तो अंडरवियर में मुझे अनकम्फर्टेबल लग रहा था ऊपर से दादी अभी मेरे एक हाथ के दूरी पर नंगी बैठी थी।मुझे रात वाले फीलिंग आने लगी।मेरे भावनाओ की धड़कन मेरे कमर के नीचे तक गयी और लन्ड ने अपना दुकान लगा दिया.अभी मैं और ज्यादा अनकम्फर्टेबल से हो गया।तभी दादी ने टोका।

दादी:अरे गधे ,क्या कर रहा है,घिस,शम्पू निकल जाएगा।

मैं खुद को संभालते हुए उनके पीठ पर घिसने लगा।मेरा हाथ उनके पीठ पर लगते ही उनके मुह से"आआह उफ्फ उम्म"निकल गया।मेरे लिए ये आवाज नई और अजीब सी थी,क्योकि पहली बार सुन रहा था,रात को भी ये आवाज नही आयी थी।पर इस आवज से एक करन्ट से दौड़ गया और वो करंट सीधा जाके लन्ड में घुस गया।मेरे लन्ड ने जोरदार झटका दिया।और न चाहते हुए भी एक सिस्काने की आवज निकल पड़ी" आआह मा उम्म"।

दादी: क्या हुआ!!विजु,क्या हुआ।

मैं:कुछ नही दादी,वो अयसेही।

दादी मन में-अरे ये अयसेही नही होता।तेरे शरीर में जो खानदानी हवस का कीड़ा तेरे बाप ने छुपा के रखा था वो बाहर आ रहा है।तेरे बाप खुद को बहोत हौशियर समझता है पर उसे मालूम नही,औरत मर्द के हर ताले की चाभी जानती है।भोसडीके आज तेरे लन्ड का उद्घाटन मै ही करूंगी।

दादी: ठीक है जोर लगा के घिस,बहोत गंदगी हुई है वह।

मेरा तो अंग अंग गर्म हो रहा था और दादी का भी गर्म महसूस हो रहा था।तभी अचानक क्या हुआ मालूम नही सामने से नल की कुंडी टूटी और सारा का सारा पानी मेरे ऊपर,क्योकि नल थोड़ा ऊपर था और दादी नीचे झुक कर बैठी थी।मैं झट से बाहर आया और दरवाजे के बाजू खड़ा हुआ।दादी ने कैसे वैसे कुंडी लगाई और कपड़ा लपेट कर बाहर आयी।

दादी:माफ करना विजु वो होता रहता है.नल की कुंडी खराब है थोड़ी।

इधर मैं कंपकपा रहा था।मुझे कांपते देख दादी ने झट से कपड़े का हाथ छोड़ा और ऊपर टँगा टॉवल खिंचने थोड़ी उछली।वो जैसे उछली कपड़ा नीचे गिर गया।मेरे तो होश उड़ गए।एक तो पहली बार ही पूरी नंगी चुत और नंगे चुचे देख रहा था।ऊपर से दादी टॉवल के लिए उछल रही थी,तो चुचे भी उछल रहे थे।जब टॉवल हाथ आया तो दादिने खुद से पोंछना चालू किया।हमारी दोनो की गर्मी एकदूसरे को छू रही थी।मैं कैसे वैसे बोला।

मैं:दादी,आप नंगे हो।मैं पोंछ लूंगा,आप कपड़े पहनो।

दादी':धत्त तेरे की,कैसा मर्द है तू,बाप कैसा बेटा कैसा,पूरा लल्लू बनाया है तेरे बाप ने तुझे।

मैं:मतलब।

दादी:मतलब सामने एक औरत नंगी खड़ी है खुद से और पास में मंडरा रही है और तू है की बच्चे की तरह बर्ताव कर रहा है।

मैं:मुझे कुछ समझा नही।बताओ न!!

दादी:कल छुट्टी है ना इतवार की!!??

मैं:हा!!!

दादी:कोई प्लान है कल का!??

मैं:नही,दोस्तो के साथ खेलने जाऊंगा,और रात को चौपाटी,क्योकि कल क्लास की मेडम भी नही है।क्यो?

दादी:कल मेरे पास आ जाना तेरे सारे सवालों के जवाब दे दूंगी।

मैं:अच्छा ठीक है!!अभी मैं चलता हु,कॉलेज के लिए नही जा पाऊंगा,अभी कोई बहाना मार कर घर जाता हु या दोस्त के पास,चलो बाय!!!!!
 
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mahadev31

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sachme budhiya to bahut badi randi aur harami hai ,,,budhape me bhi pote ko bigadne ki raah par chal rahi hai ......agar maa baap pehle se dadi ka ghinauna sach bata dete to viju usse nafrat karta aur uske paas jaata hi nahi .....par ab lagta hai viju bhi bigad hi jayega ? dekhte hai sunday ko kaise plan karti hai dadi viju ko bigaadne ki ? .....nice update ....
 

urc4me

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माँ का मायका-2 (INCEST, GROUP)
सीजन 1-Update 3

दूसरे दिन सुबह मैं खेलने का कारण बता कर बाहर निकल पड़ा और दादी के यहां पोहोंच गया.आज दादी जल्दी नहा कर बैठी थी।और टीव्ही देख रही थी।इतने दिनों में पहली बार मेरा ध्यान टीव्ही के ऊपर गया था। मुझे याद भी नही था की यह टीव्ही भी था।

मैं:दादी ये टीव्ही?

दादी:अरे आ गए।अरे ये टीव्ही बाजू वाली दादी का है।उसके कमरे की साफ मरमद चल रही है तो उतने दिन मेरे पास रहेगा।तुम आओ।

मैं अंदर गया।आज बैग नही था और मैं शॉर्ट में था।जैसे मैं खेलने के लिए जाता हु वैसे कपड़ो में आया था जिससे किसीको शक न हो ।

मैं: बोलो दादी,क्या बताने वाली हो आज।

दादी:बड़ी जल्दी है तुम्हे सीखने की।थोड़ी साँस ले सब बताऊंगी।

जैसे ही मैं बैठा मेरी नजर सीधा सामने टीव्ही पर गयी।टीव्ही पर सेमी नॉन वेज फ़िल्म लगीं थी।दादी बाथरूम में गयी।मैं इधर टीव्ही देखने में मगन हो गया। उस फ़िल्म को देखते हुए मेरे अंदर सब अंगों ने हलचल चालू की।अंदर एक नौजवान के साथ एक औरत सोई थी ,वो बार बार चिपक रही थी,कुछ देर बाद सिन बदला और वही लड़का उसी अधेड़ उम्र की औरत के उपर चढ़ा हुआ था।उस औरत के पूरे शरीर पर मुह घुमा रहा था।उसके चुचे दबा रहा था।उसे किस कर रहा था।

अइसा एक समय आया जब उसने कमर तक उस औरत की साड़ी को ऊपर किया और बस उधर ही वो सिन खत्म और दूसरा सिन चालू हुआ जहा दो लोग बाते कर रहे थे वो भी गंदी भाषा में।मेरा तो मुड़ ही उतर गया।

इतने में वहां दादी आ गयी:अरे मुह क्यो लटका रखे हो!??

मैं:कुछ नही दादी ऐसे ही।

दादी:कुछ तो छुपा रहे हो दादी से,बताओ जल्दी से,नही तो दादी नाराज हो जाएगी।

मैं:अभी एक लड़का एक औरत के साथ मस्ती कर रहा था औरत अचानक सिन बदल गया,मुझे आगे देखना था।

दादी:अच्छा जी,ये बात है।अरे वो टीव्ही है ,फ़िल्म सेंसर्ड होती है।

सेंसर्ड का मतलब तो मुझे मालूम था पर उसमे क्या था जो सेंसर्ड हुआ वो मालूम नही पड़ रहा था उस वक्त,मेरे चेहरे पर वही सवाल देख दादी मेरे से सटीक बैठ गयी और बोली

दादी:अरे सभी चीजे नही दिखा सकते यह पर।तुम्हे उसका आनंद लेना है तो मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी ।

मैं:पर दादी वो चीज गलत है न,अइसे थोड़ी किसी भी औरत के साथ अइसे मस्ती की जा सकती है,मम्मी पापा बोलते है की वो पाप है।

दादी मन में-तेरे मम्मी पापा की अइसी की तैसी।

दादी:मैं तेरे ममी पापा से बड़ी हु न।मैं बोलूंगी वही सही है,तेरे बाप को सिखाने वाली मैं ही हु।

मैं:वो भी सही है।पर अभी क्या करना होगा।

दादी मन में-कितना लल्लू है ये।इसे सचमे कुछ नही पता है लगता है।इसकी सांसारिक जीवन जी दशा कर दी है इसके मा बाप ने।पर इसके नए नवेले लन्ड को मै ही चखूंगी।

दादी:तुझे सब बताऊंगी,सिखाऊंगी।बस वादा कर आजसे मैं जैसा बोलू तू वैसे करेगा और हमारे मिलने से लेकर आगे की बाते सिर्फ हम दोनो में ही रहेगी।

मैं:हा दादी वादा करता हु,बस तुम मुझे सब सीखा देना,मुझे किसी भी चीज में पीछे रहना पसन्द नही।

दादी:हा तो,मेरा होशियार पोता,तू हमेशा अव्वल नंबर पर रहेगा,दादी का आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ है।चल कपड़े निकाल के आजा ।उधर टांग और अंडरवियर पर यहां पर आजा।

मैंने वैसे ही किया।दादी बेड पर पीठ के बल लगके पैर छोड़के बैठ गयी।मैं उनके पास पैरों के नीचे बैठ गया।

दादी:विजु मुझे बता जब तुम औरत को देखते हो तो उसमे तुम्हे क्या अच्छा लगता है जिसे तुम बार बार देखना पसन्द करते हो।

मैं:वो दादी!!!!(मैं शर्मा गया)

दादी:बिन झिझक बिना शर्माते हुए बोल दे फट से।

मैं:मुझे वैसे पिछवाड़ा पसन्द है पर ज्यादातर मुझे चुचे देखते रहना अच्छा लगता है।

दादी हस्ते हुए:अच्छा,पहले तो वो पिछवाड़ा नही ,उसे गांड बोलते है और किसके चुचे देखे है अभी तक जो सबसे ज्यादा पसन्द आये हो।

मैं:मेरे क्लास की मेडम है न उनके।बहोत बड़े है।

दादी:मेरे से भी (दादी ने ब्लाउज खोल दिया)

मैं: आपके जितने ही है बस थोड़े गठीले भी है।

दादी:तेरे दादी की उम्र हो गयी नही तो मेरे भी गठीले ही थे।तू अभी इसपे ही खुश हो जा।

मैं:मतलब,मैं इनको छू सकता हु।

दादी:जो करना है कर ले,चूसेगा तो भी मैं मना नही करूंगी।आजा लेले हाथ में।

मैंने दादी के ऊपर आके दोनो चुचो को हाथ में लिया।थोड़े ढीले थे पर वो बहोत वजनदार थे।टीव्ही में जैसे हो रहा था वैसे मैंने चुचो को मसलना चालू किया।दादी के मुह से अभी "आआह उम्म" की आवाज आने लगी।मुझे बहोत मजा आ रहा था।काफी देर तक मैं चुचो से खेलने के बाद दादी न मुझे उन्हें मुह में लेके चुसने को बोला।

मैंने जैसे ही चुचे मुह में लिए मेरे सिर को दादिने कस के दबाया और चिल्लाने लगी:चूस चूस पूरे जोर से चूस आआह आआह उम्म आआह निप्पल को निचोड़ लेके ले आआह

उस आवाजो से मुझ में एक करन्ट से दौड़ गया।मुझमे अलग से जोश सा आ गया।मैं जोरो से चुसने लगा। दादी वैसे ही चिल्ला रही थी।मैं दोनो चुचे बारी बारी चुस मसल रहा था।फिर दादी ने मुझे रोका और ऊपर खींच कर मेरे ओंठो के ऊपर ओंठ टिका दिए।वो मेरे ओंठ चुसने लगी।काफी देर की इस रसचुम्बन के बाद वो उठी और मुझे नीचे सुलाक़े उन्होंने टीव्ही पर फूल पोर्न मुव्ही चला दी।मेरी तो आंखे फ़टी की फ़टी रह गयी।उसमे एक बूढ़ी एक नौजवान का लन्ड चूस रही थी।

दादी ने अपने सारे कपड़े उतारे और मेरे पास आ गयी।दादी के चुत पे बाल नही थे।कल बाल थे।और चुत को देख लग रहा था की अभी अभी खेत उजाड़ा गया है।

दादी मेरे पास आयी और मेरे अंडरवियर को नीचे खींचा।अंडरवियर नीचे खींचते ही मेरा लण्ड फट से खड़ा हुआ।

दादी:बहोत ज्यादा जल्दी में है तेरा लण्ड।इसका इंतजार आज खत्म करा देती हु।

दादी ने मेरे लण्ड को हाथ में जखड़ लिया।"आआह"वो स्पर्श होते ही मुह से सिसक निकल गयी।मुझे बहुत अजीब पर अच्छा वाला महसूआ हुआ।

दादी थोड़ी उठ गयी और मेरे ऊपर झुक कर अपने चुचे मेरे मुह पर दबाने लगी,नीचे से लण्ड को ऊपर नीचे कर रही थी।

दादी:मेरे निप्पल्स पर जीभ घुमा।

मैन दादी के कहे अनुसार जीभ घुमाना चालू किया।दादी आआह आआह की सिसकिया ले रही थी।दादी ने लण्ड को रगड़ रगड़ के लोहे की तरह बना दिया।फिर अचानक से मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गयी।

मेरे मुह से " आआह ममी आआह" निकल गया। दादिने फट से मेरे ओंठो पर ओंठ टिका दिए।और ऊपर नीचे आहिस्ता आहिस्ता कूदने लगी।

"आआह आआह उम्म आआह आआह भोड़सीके आआह उम्म उम्म कह आआह आआह मस्त आआह उम्म आआह आआह"दादी के मुह से निकलती मादक सिस्कारिया वातावरण में हवस फैला रही थी।

थोड़ी देर बाद आआह आह के सकत पछ पच पछ की आवाजे आने लगी और दादी रुक गयी उन्होंने उठ कर थोड़ा पीछे बैठ मेरे लण्ड को मुह में लिया और चुसने लगी अभी मेरे मुह से आआह आआह की सिस्कारिया निकलने लगी।दादि का चुसना मुझे बहोत रोमांचित कर रहा था।कुछ देर बाद ही मेरे शरीर में अखड़न सी आ गयी और मेरे लन्ड से सफेद गाढ़ा पानी निकला।मैं कुछ बोलू उससे पहले वो पानी दादी के मुह में समा गया था।

मुझे लगा अभी दादी चिल्लाएगी पर हुआ उसके उल्टा,दादी वही गाढ़ा रस चाट चाट के चूस चूस के गटक रही थी।

पर मैंने दादी से कहा:सॉरी दादी,वो ध्यान नही रहा।मेरा मुत आपके मुह में छूट गया।

दादी:अरे नही पगले,ये मूत नही अमृत है,इसे वीर्य मतलब स्पर्म बोलते है,इससे औरत को संतुष्टि मिलती है,इसीसे बच्चा पैदा होता है,तुम सॉरी मत बोलो।

अभी मेरा लन्ड सुकड़ के नीचे बैठ गया था।दादी भी उठ कर बाथरूम चली गयी।उनके जाने के बाद मैंने तव पर और एक दो फ़िल्म चलाई जिसमे एक लड़का लण्ड हिलाक़े स्पर्म निकाल रहा था।तभी दादी वापस आई।

मैं:दादी ये लड़का अकेले अकेले क्यो निकाल रहा है।

दादी:उसके पास तेरे जैसी दादी नही है,स्पर्म जमा हो जाए तो शरीर को हानि हो सकती है,अगर कोई औरत न मील तो मर्द यही करके उसे शरीर से बाहर निकालते हैमप्र ज्यादा हस्थमैथुन भी अच्छा नही सेहत के लिए।तुम्हे कभी वैसा महसूस हो मेरे पास आ जाना,मैं तुम्हे मुक्त कर दूंगी

मैं:जैसा आप कहे दादी।अभी मै निकलता हु,घर जाने तक दोपहर हो जाएगी।

दादी:ठीक है ,पर ये वाकिया किसी को मत बताना

मैं:ठीक है,पर दादी वो पहले फ़िल्म में जो औरत और लड़का था उनका रिश्ता क्या था?

दादि ने कुछ सोच हस्ते हुए बोला: वो मा बेटे थे।

मैं: क्या? मा बेटे? छि,अइसे कैसे हो सकता है।

दादी:क्यो उसमे कुछ गलत नही है,ये तो निसर्ग निर्मित है,उसे भगवान के घर में भी कोई सजा नही है।

मैं:अच्छा अइसी बात है,ठीक है।मैं चलता हु अभी।

घर जाने तक आखिर कही दादी की बाते और मा के साथ घटा हुआ वाकिया मेरे सामने घूम रहा था।


सवाल ये आ रहा था की उस दिन जो हो रहा था क्या वो भगवान का किया कराया था,क्या वो भगवान की इच्छा थी? अगर हा तो क्या मैंने ईश्वर आदेश को ठुकराया? मुझे अपराधी से महसूस होने लगा।
 
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