माँ का मायका-2 (INCEST, GROUP)
सीजन 1-Update 3
दूसरे दिन सुबह मैं खेलने का कारण बता कर बाहर निकल पड़ा और दादी के यहां पोहोंच गया.आज दादी जल्दी नहा कर बैठी थी।और टीव्ही देख रही थी।इतने दिनों में पहली बार मेरा ध्यान टीव्ही के ऊपर गया था। मुझे याद भी नही था की यह टीव्ही भी था।
मैं:दादी ये टीव्ही?
दादी:अरे आ गए।अरे ये टीव्ही बाजू वाली दादी का है।उसके कमरे की साफ मरमद चल रही है तो उतने दिन मेरे पास रहेगा।तुम आओ।
मैं अंदर गया।आज बैग नही था और मैं शॉर्ट में था।जैसे मैं खेलने के लिए जाता हु वैसे कपड़ो में आया था जिससे किसीको शक न हो ।
मैं: बोलो दादी,क्या बताने वाली हो आज।
दादी:बड़ी जल्दी है तुम्हे सीखने की।थोड़ी साँस ले सब बताऊंगी।
जैसे ही मैं बैठा मेरी नजर सीधा सामने टीव्ही पर गयी।टीव्ही पर सेमी नॉन वेज फ़िल्म लगीं थी।दादी बाथरूम में गयी।मैं इधर टीव्ही देखने में मगन हो गया। उस फ़िल्म को देखते हुए मेरे अंदर सब अंगों ने हलचल चालू की।अंदर एक नौजवान के साथ एक औरत सोई थी ,वो बार बार चिपक रही थी,कुछ देर बाद सिन बदला और वही लड़का उसी अधेड़ उम्र की औरत के उपर चढ़ा हुआ था।उस औरत के पूरे शरीर पर मुह घुमा रहा था।उसके चुचे दबा रहा था।उसे किस कर रहा था।
अइसा एक समय आया जब उसने कमर तक उस औरत की साड़ी को ऊपर किया और बस उधर ही वो सिन खत्म और दूसरा सिन चालू हुआ जहा दो लोग बाते कर रहे थे वो भी गंदी भाषा में।मेरा तो मुड़ ही उतर गया।
इतने में वहां दादी आ गयी:अरे मुह क्यो लटका रखे हो!??
मैं:कुछ नही दादी ऐसे ही।
दादी:कुछ तो छुपा रहे हो दादी से,बताओ जल्दी से,नही तो दादी नाराज हो जाएगी।
मैं:अभी एक लड़का एक औरत के साथ मस्ती कर रहा था औरत अचानक सिन बदल गया,मुझे आगे देखना था।
दादी:अच्छा जी,ये बात है।अरे वो टीव्ही है ,फ़िल्म सेंसर्ड होती है।
सेंसर्ड का मतलब तो मुझे मालूम था पर उसमे क्या था जो सेंसर्ड हुआ वो मालूम नही पड़ रहा था उस वक्त,मेरे चेहरे पर वही सवाल देख दादी मेरे से सटीक बैठ गयी और बोली
दादी:अरे सभी चीजे नही दिखा सकते यह पर।तुम्हे उसका आनंद लेना है तो मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी ।
मैं:पर दादी वो चीज गलत है न,अइसे थोड़ी किसी भी औरत के साथ अइसे मस्ती की जा सकती है,मम्मी पापा बोलते है की वो पाप है।
दादी मन में-तेरे मम्मी पापा की अइसी की तैसी।
दादी:मैं तेरे ममी पापा से बड़ी हु न।मैं बोलूंगी वही सही है,तेरे बाप को सिखाने वाली मैं ही हु।
मैं:वो भी सही है।पर अभी क्या करना होगा।
दादी मन में-कितना लल्लू है ये।इसे सचमे कुछ नही पता है लगता है।इसकी सांसारिक जीवन जी दशा कर दी है इसके मा बाप ने।पर इसके नए नवेले लन्ड को मै ही चखूंगी।
दादी:तुझे सब बताऊंगी,सिखाऊंगी।बस वादा कर आजसे मैं जैसा बोलू तू वैसे करेगा और हमारे मिलने से लेकर आगे की बाते सिर्फ हम दोनो में ही रहेगी।
मैं:हा दादी वादा करता हु,बस तुम मुझे सब सीखा देना,मुझे किसी भी चीज में पीछे रहना पसन्द नही।
दादी:हा तो,मेरा होशियार पोता,तू हमेशा अव्वल नंबर पर रहेगा,दादी का आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ है।चल कपड़े निकाल के आजा ।उधर टांग और अंडरवियर पर यहां पर आजा।
मैंने वैसे ही किया।दादी बेड पर पीठ के बल लगके पैर छोड़के बैठ गयी।मैं उनके पास पैरों के नीचे बैठ गया।
दादी:विजु मुझे बता जब तुम औरत को देखते हो तो उसमे तुम्हे क्या अच्छा लगता है जिसे तुम बार बार देखना पसन्द करते हो।
मैं:वो दादी!!!!(मैं शर्मा गया)
दादी:बिन झिझक बिना शर्माते हुए बोल दे फट से।
मैं:मुझे वैसे पिछवाड़ा पसन्द है पर ज्यादातर मुझे चुचे देखते रहना अच्छा लगता है।
दादी हस्ते हुए:अच्छा,पहले तो वो पिछवाड़ा नही ,उसे गांड बोलते है और किसके चुचे देखे है अभी तक जो सबसे ज्यादा पसन्द आये हो।
मैं:मेरे क्लास की मेडम है न उनके।बहोत बड़े है।
दादी:मेरे से भी (दादी ने ब्लाउज खोल दिया)
मैं: आपके जितने ही है बस थोड़े गठीले भी है।
दादी:तेरे दादी की उम्र हो गयी नही तो मेरे भी गठीले ही थे।तू अभी इसपे ही खुश हो जा।
मैं:मतलब,मैं इनको छू सकता हु।
दादी:जो करना है कर ले,चूसेगा तो भी मैं मना नही करूंगी।आजा लेले हाथ में।
मैंने दादी के ऊपर आके दोनो चुचो को हाथ में लिया।थोड़े ढीले थे पर वो बहोत वजनदार थे।टीव्ही में जैसे हो रहा था वैसे मैंने चुचो को मसलना चालू किया।दादी के मुह से अभी "आआह उम्म" की आवाज आने लगी।मुझे बहोत मजा आ रहा था।काफी देर तक मैं चुचो से खेलने के बाद दादी न मुझे उन्हें मुह में लेके चुसने को बोला।
मैंने जैसे ही चुचे मुह में लिए मेरे सिर को दादिने कस के दबाया और चिल्लाने लगी:चूस चूस पूरे जोर से चूस आआह आआह उम्म आआह निप्पल को निचोड़ लेके ले आआह
उस आवाजो से मुझ में एक करन्ट से दौड़ गया।मुझमे अलग से जोश सा आ गया।मैं जोरो से चुसने लगा। दादी वैसे ही चिल्ला रही थी।मैं दोनो चुचे बारी बारी चुस मसल रहा था।फिर दादी ने मुझे रोका और ऊपर खींच कर मेरे ओंठो के ऊपर ओंठ टिका दिए।वो मेरे ओंठ चुसने लगी।काफी देर की इस रसचुम्बन के बाद वो उठी और मुझे नीचे सुलाक़े उन्होंने टीव्ही पर फूल पोर्न मुव्ही चला दी।मेरी तो आंखे फ़टी की फ़टी रह गयी।उसमे एक बूढ़ी एक नौजवान का लन्ड चूस रही थी।
दादी ने अपने सारे कपड़े उतारे और मेरे पास आ गयी।दादी के चुत पे बाल नही थे।कल बाल थे।और चुत को देख लग रहा था की अभी अभी खेत उजाड़ा गया है।
दादी मेरे पास आयी और मेरे अंडरवियर को नीचे खींचा।अंडरवियर नीचे खींचते ही मेरा लण्ड फट से खड़ा हुआ।
दादी:बहोत ज्यादा जल्दी में है तेरा लण्ड।इसका इंतजार आज खत्म करा देती हु।
दादी ने मेरे लण्ड को हाथ में जखड़ लिया।"आआह"वो स्पर्श होते ही मुह से सिसक निकल गयी।मुझे बहुत अजीब पर अच्छा वाला महसूआ हुआ।
दादी थोड़ी उठ गयी और मेरे ऊपर झुक कर अपने चुचे मेरे मुह पर दबाने लगी,नीचे से लण्ड को ऊपर नीचे कर रही थी।
दादी:मेरे निप्पल्स पर जीभ घुमा।
मैन दादी के कहे अनुसार जीभ घुमाना चालू किया।दादी आआह आआह की सिसकिया ले रही थी।दादी ने लण्ड को रगड़ रगड़ के लोहे की तरह बना दिया।फिर अचानक से मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गयी।
मेरे मुह से " आआह ममी आआह" निकल गया। दादिने फट से मेरे ओंठो पर ओंठ टिका दिए।और ऊपर नीचे आहिस्ता आहिस्ता कूदने लगी।
"आआह आआह उम्म आआह आआह भोड़सीके आआह उम्म उम्म कह आआह आआह मस्त आआह उम्म आआह आआह"दादी के मुह से निकलती मादक सिस्कारिया वातावरण में हवस फैला रही थी।
थोड़ी देर बाद आआह आह के सकत पछ पच पछ की आवाजे आने लगी और दादी रुक गयी उन्होंने उठ कर थोड़ा पीछे बैठ मेरे लण्ड को मुह में लिया और चुसने लगी अभी मेरे मुह से आआह आआह की सिस्कारिया निकलने लगी।दादि का चुसना मुझे बहोत रोमांचित कर रहा था।कुछ देर बाद ही मेरे शरीर में अखड़न सी आ गयी और मेरे लन्ड से सफेद गाढ़ा पानी निकला।मैं कुछ बोलू उससे पहले वो पानी दादी के मुह में समा गया था।
मुझे लगा अभी दादी चिल्लाएगी पर हुआ उसके उल्टा,दादी वही गाढ़ा रस चाट चाट के चूस चूस के गटक रही थी।
पर मैंने दादी से कहा:सॉरी दादी,वो ध्यान नही रहा।मेरा मुत आपके मुह में छूट गया।
दादी:अरे नही पगले,ये मूत नही अमृत है,इसे वीर्य मतलब स्पर्म बोलते है,इससे औरत को संतुष्टि मिलती है,इसीसे बच्चा पैदा होता है,तुम सॉरी मत बोलो।
अभी मेरा लन्ड सुकड़ के नीचे बैठ गया था।दादी भी उठ कर बाथरूम चली गयी।उनके जाने के बाद मैंने तव पर और एक दो फ़िल्म चलाई जिसमे एक लड़का लण्ड हिलाक़े स्पर्म निकाल रहा था।तभी दादी वापस आई।
मैं:दादी ये लड़का अकेले अकेले क्यो निकाल रहा है।
दादी:उसके पास तेरे जैसी दादी नही है,स्पर्म जमा हो जाए तो शरीर को हानि हो सकती है,अगर कोई औरत न मील तो मर्द यही करके उसे शरीर से बाहर निकालते हैमप्र ज्यादा हस्थमैथुन भी अच्छा नही सेहत के लिए।तुम्हे कभी वैसा महसूस हो मेरे पास आ जाना,मैं तुम्हे मुक्त कर दूंगी
मैं:जैसा आप कहे दादी।अभी मै निकलता हु,घर जाने तक दोपहर हो जाएगी।
दादी:ठीक है ,पर ये वाकिया किसी को मत बताना
मैं:ठीक है,पर दादी वो पहले फ़िल्म में जो औरत और लड़का था उनका रिश्ता क्या था?
दादि ने कुछ सोच हस्ते हुए बोला: वो मा बेटे थे।
मैं: क्या? मा बेटे? छि,अइसे कैसे हो सकता है।
दादी:क्यो उसमे कुछ गलत नही है,ये तो निसर्ग निर्मित है,उसे भगवान के घर में भी कोई सजा नही है।
मैं:अच्छा अइसी बात है,ठीक है।मैं चलता हु अभी।
घर जाने तक आखिर कही दादी की बाते और मा के साथ घटा हुआ वाकिया मेरे सामने घूम रहा था।
सवाल ये आ रहा था की उस दिन जो हो रहा था क्या वो भगवान का किया कराया था,क्या वो भगवान की इच्छा थी? अगर हा तो क्या मैंने ईश्वर आदेश को ठुकराया? मुझे अपराधी से महसूस होने लगा।