सभी लंच करते है।
पर सरला अभी भी सोच रही थी शीला क्या सोच रही होगी मेरे बारे में।
कही उनको कोई शक़ तो नहीं हो गया।
और रूम में आ जाती है ।
थोड़ी देर में सरिता देवी आ जाती है।
सरिता: अरुन नाराज़ हो ।
अरुण: नहीं नानी।
सरिता: बेटा जो तुमने किया था वो सिर्फ पति करता है।
सरला: ठीक है माँ हो गया सो हो गया।
सरिता: पता है अगर ये दोबारा लगाये तो ।
सरला: पहले तो लगाएगा नहीं और हो गया तो हो गया
मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पडता।
वेसे भी उनको मेरी फ़िक्र कहाँ है ।
क्या कर रही हूँ। कहा जा रही हूँ। क्या पहन रही हूँ। ।
सिर्फ मेरे बेटे को चिंता है मेरी इसलिए इसकी कोई भी गलती माफ़ कर सकती हूँ।
तभी
शीला अंदर आते हुए।
सही कह रही हो दी।
जब जीजाजी को कोई मतलब नहीं तो आप कुछ भी करो उन्हें क्या फर्क पडेगा।
सरला शीला को देख कर चुप हो जाती है।
लगता है भाभी ने सब सुन लिया।
सरिता: तू चुप कर शीला तुझे पता है मंदिर में क्या हुआ
अरून ने सरला की मांग भर दी सिन्दूर से।
शीला: क्या ।
सरिता: हाँ।
सरला: ऐसे कोई बात नहीं भाभी।वो माथे पे लगा रहा था गलती से मांग में लग गया।
और माँ ने उस बात के लिए अरुन को काफी सुनाया।
सरिता: क्या बोला मैंने उसे ,कुछ नही।
शीला: माँ जी आप अरुन को कुछ मत बोलो दीदी उसके बारे में कुछ नहीं सुनेंगी।
सरिता: मतलब ।
शीला: कुछ नहीं आप जाओ आराम करो।
और सरितदेवी चलि जाती है।
और शीला
दीदी आप और अरुन भी आराम कर लो काफी थक गये होगे।
सरला: भाभी वो क्या है न की।
शीला: मैं सब समझ रही हूँ दी और मैं आप के साथ
हूँ।
मै भी अगर आप की जगह होती तो यही करती जो आप ने किया।
इँसान कब तक ज़िंदा लाश की तरह जिए उसकी ख़ुशी भी इम्पोर्टेन्ट है ।
मै पहले भी आप से कई बार कहने की कोशिश की पर हिम्मत नहीं हुई पर आप ने सही फैसला लिया।
और सब से बड़ी बात घर की बात घर में रहेगी।
सरला: क्या बोल रही हो भाभी ।
शीला : कुछ नहीं समझदार के लिए इशारा काफी है।
और बाहर चली जाती है।
सरला थोड़ी टेंशन में।
अरुण: क्या हुआ जान।
सरला: मुझे लग रहा है भाभी को हम पे शक़ हो गया है।
अरुण: किस बात का।
सरला: अरुन को सारी बात बता देती है।
अरुण: तो इसमें ड़रने की क्या बात है ।
तूम मुझे इसीलिए लाई थी न की घर के दामाद की तरह ।
तो अब क्या प्रॉब्लम है अगर पता चल गया तो क्या फ़र्क़ पड़ता है।
ज़स्ट चिल बेबी।
सरला:मैं अभी आई।
अरुण:कहा जा रही है मेरी बुलबुल।
सरला: अभी आती हूँ मेरे खसम।
और शीला के पास जाती है।
शीला अपने रूम में।
शीला: दी आप यहाँ।
सरला: भाभी तुम क्या बोल रही थी।
शीला: कुछ नहीं और हँस देती है।
सरला: भाभी क्या हुआ।
शीला: इसे कहते है चोर की दाढ़ी में तिनका।
सरला: मैं समझी नही।
शीला: मुझे सिर्फ शक़ था पर आप ने यहाँ आ कर साबित कर दिया की जो मैं सोच रही हु वो सही है।
सरला: भाभी साफ साफ़ बोलो।
शीला: तो सुनो दी।
जब आप पिछली बार आयी थी तो अरुन कुछ शादी की परमिशन मांग रहा था उस टाइम मुझे कुछ समझ नहीं आया था पर ।
अब जब आप आई तो आप का ड्रेसिंग स्टाइल ।
आप के चेहरे की ख़ुशी ।
आप की डिज़ाइनर ब्रा पेंटी , अरुन से पूछ्ना क्या पहनूं, और आज अरुण का मांग भरना और सासु माँ को बताना की अरुन आप का ख्याल रखता है और वही डीसाईड करता है आप को क्या करना है और क्या पहनना है।
तो इससे ये साबित होता है की ये अब नए वाले जीजाजी कर रहे है।
सरला: मतलब।
शीला: अरुन जीजाजी।
सरला: भाभी ऐसा नहीं है।
ऐसा ही है।
सरला मुड के देखती है।
अरून खड़ा था।
हाँ साली साहिबा मैं हूँ तुम्हारे नए इकलौता जीजाजी।