इस वक़्त सभी एक ही कश्ती पे सवार थे और वो कश्ती थी अरुन का लंड ।
जीसे पाने की चाहत सब के मन में थी।
और एक होड लगी थी की पहले मैं पहले मैं।
कुछ देर बाद अरुन आ गया ।
और पहले सव ने मिल कर खाना खाया।
खाना खाने के बाद किचन का काम ख़तम करके सरला प्रीति और परी को अरुण के रूम में ले जाती है।और अरुण के पास पहुंचाकर आ जाती है।
प्रीति-देख ले अरुण मैंने जो वादा किया था उसे पूरा कर दिया।ले ले मेरी बेटी परी की चूत और गांड।
परी:नहीं भैया मैं आपका लंड सिर्फ चूत में लुंगी गांड में नहीं।नहीं तो नीतू दी की तरह मेरी भी गांड से खून निकाल दोगे।
अरुण:ठीक है मेरी जान।
प्रीति:पहले परी को खुश कर दे फिर मैं तुझे खुश कर दूंगी।
अरुण:बुआ तुमने अपनी भी गांड देने का वादा किया था।उसका क्या।
बुआ ने अरुण का लोअर उतार दिया.अरुण ने हल्का सा खुद को उठा कर लोअर उतारने मे प्रीति की मदद की. अब अरुण दोनो के माँ बेटी के दरमियाँ बिल्कुल नंगा बैठा था. परी की नज़रे अरुण के सेमी एरेक्टेड लंड पर थीं जो कि प्रीति के हाथ मे था. उस का दिल अब और भी ज़ोर से धडकने लगा था.
“अरुण बेटा इस को बड़ा करो.” प्रीति ने कहा.
“बुआ आप खुद ही कर लो ना, आप को तो आता है ना.” अरुण ने बुआ की तरफ देखते हुए जवाब दिया.
“बड़ा होशयार हो गया है मेरा बेटा. चल तू लेट जा हम खुद ही कर लेते हैं इस को बड़ा.”बुआ ने अरुण को कंधे से पकड़ कर लिटा दिया और खुद उसकी टाँगो की तरफ आ गई और परी का हाथ जो अभी तक अरुण के सीने पे था पकड़ कर अरुण के लंड पे रख दिया.
“पकड़ो इसे!!! आज से ये तुम्हारा है.”
और परी ने ड़रते हुए अरुण का लंड हाथ मे ले कर मुट्ठी बंद कर ली. उसे लगा की जैसे उस ने कोई गर्म गर्म रोड पकड़ लिया है वो काफ़ी सख़्त हो रहा था और झटके ले रहा था. अरुण परी के हाथ की नर्मी और गर्मी अपने रोड पे महसूस कर के और भी हार्ड होने लगा.
“ऐसे करो बेटी.” बुआ ने परी का हाथ पकड़ के अरुण के लंड पे ऊपर नीचे किया और परी अपने हाथ को हल्के हल्के उपर नीचे करने लगी और अरुण के लंड की रगो को अपने हथेली मे महसूस करने लगी.
“मम्मी ये तो बहुत बड़ा है.” परी ने आहिस्ता से सरगोशी की.
“हां, और मज़े का भी.”बुआ ने परी की आँखो मे देखा और थोड़ा सा झुक कर अरुण के हार्ड लंड के हेड पे किस की और अरुण के पूरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया.
“चलो बेटी अब तुम्हारी बारी.” बुआ ने परी को कहा और परी ने एक नज़र अरुण की तरफ देखा. अरुण सिर उठा कर उस की तरफ ही देख रहा था.
परी बहुत अच्छी एक्टिंग कर रही थी शरमाने की. अरुण (मन में) साली कई दिन से मेरे से चुदने के लिए तड़प रही थी ।
पर आज अपनी माँ के सामने बेचारी शरमा भी रही थी इसलिए लग रहा था जैसे सबकुछ आज पहली बार हो रहा है. परी ने शरमाते हुए जल्दी से अरुण के तने हुए लंड के सिर पे किस कर दी.
“शाबाश.”बुआ ने कहा. “अब तो तुम दोनो की शरम उतर गई ना.”
“बुआ मैं अकेला ही नंगा रहूंगा क्या?” अरुण ने बुआ से पूछा.
“नही हम भी उतारने लगे हैं कपड़े तुम परेशान क्यों होते हो, ये लो बाबा.” और बुआ ने अपनी कमीज़ एक झटके से उतार दी और उनकी बड़े बड़े मुम्में उछल कर बाहर आ गए.
“चलो बेटी उतारो इसे.” बुआ ने परी की कमीज़ पकड़ कर कहा.
“मुझे शर्म आती है आप ही उतारो.” परी ने नज़रे झुकाते हुए कहा.
“ओह! हो अभी भी शर्म, लाओ इधर आओ ज़रा.” और बुआ ने परी की कमीज़ भी उतार दी. परी ने बाज़ू उपर कर के बुआ की हेल्प की.
“गुड!” बुआ ने कहा और उस की कमर पे हाथ लेजा कर उस की ब्रा भी खोल दी.