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रात को मैंने फिर से उनकी चूत को चाट चाट के झाड़ दिया और उनके चूत पे लंड रगड़ते हुवे मुठ मारा।
सुबह वही अम्मी का बदन दबा देता, ऐसा करीब चार दिन चला।
रात को मैं अम्मी की चूत में लंड घुसाना चाहता था पर डर के मारे नहीं घुसाता। (क्यूकी लंड मोटा होने के वज़ह से अम्मी उठ सकती थी)। अब बदन दबाते समय मैं उनकी चूत सहलाता और उनकी गांड भी बहुत देर तक दबाता। मम्मी कोई भी किसी तरह का इतराज नहीं करती थी. मैं समझ सकता था की अम्मी पूरा मजा ले रही है. पर बात आगे नहीं बढ़ रही थी.
करीब 5 दिन तक कुछ नहीं कर सका, क्योंकि रात को हम दोनों थक जाते थे। दिन में उनका बदन नहीं दबा पता था, इस वज़ह से अम्मी भी परेशान थी वो तो चाहती थी की मैं उनके साथ कुछ करूं पर मैं रात को भी कुछ कर नहीं सका, इसकी उनकी चूत में आग लग गई, वो बहुत गुस्से से बात करने लगी। मैं समझ गया ये उनकी चूत की वज़ह अम्मी गुस्से से है।
लेकिन आखिर एक दिन खाना खाने के बाद अम्मी ने कहा बेटा जल्दी मेरा बदन दबा दे। मुझे पता था मेरे हाथों से उनको बदन दबाया तो वो मजे लेती है।
मैंने सोच लिया था अब कैसे भी एक कदम आगे बढ़ाना पड़ेगा, अम्मी को चोदना ही पड़ेगा। क्या मैं अम्मी को लुभाऊंगा? क्या मैं अम्मी को सिड्यूस कर पाऊँगा ताकि मुझे सेक्स मिल सके?
मेरी आंखे हमेशा अम्मी पर टिकी रहती थी, उनकी सेक्सी गांड को निहारता रहता था मैं । अम्मी भी सब समझती थी आखिर वो कोई छोटी और नादान बच्ची तो थी नहीं. दिल में तो वो भी त्यार थी पर हमारा माँ बेटे का रिश्ता आड़े आ रहा था. हालाँकि दिल में हम दोनों उस तो तोड़ कर आगे बढ़ जाने को त्यार थे.
किसी भी वक्त मौका मिलते ही मैं अपना हाथ अम्मी की गांड पर रगड़ देता था कभी-कभी, या नाटक करता जैसा ये अनजाने में हुआ। अम्मी भी कोई नाराजगी नहीं दिखती थी अब.
जिस दिन अम्मी ने मुझे उनकी चूत मैं ऊँगली करते हुए पकड़ा था उसी दिन से वो मुझे अलग नजरों से देखती है, उनको आँखों में नशा, कामवासना दिखती थी मुझे। अब अम्मी मुझे बेटे से ज़्यादा एक मर्द की तरह देखने लगी थी।
तो इतने दिन उनकी चूत ना झड़ने से वो हताशा में रहने लगी, अब उन्हें आगे से मुझे मसाज के लिए पूछ लिया। अब मैं अपना प्लान बना रहा था कि कैसे भी अम्मी को चोदना पड़ेगा या अपनी वर्जिनिटी तोड़नी पड़ेगी। उधर अम्मी भी कुछ ऐसा ही सोच रही थी शायद. एक दिन शाम को अम्मी ने मुझसे कहा।
अम्मी: बेटा मेरे बदन में बहुत दर्द हो रहा है। तू मुझे मसाज दे सकता है क्या?
मैं : ठीक है अम्मी , अपने कपड़े उतार दो, मैं गरम तेल लेके आता हूं (मैं बहुत खुश था )
अम्मी : कपड़े उतार दो का मतलब क्या है? (वो मेरी इस दो अर्थी बात पर मुस्कुरा रही थी)
मैं : अम्मी! मेरा मतलब था नाइटी उतार दो। वो तेल लगने से गन्दी न हो जाये (मैं भी मुस्कुरा रहा था. हम दोनों ही अपनी दो अर्थी बात को समझ रहे थे पर नादान होने का नाटक भी कर रहे थे )
अम्मी चुप रही पर उसने चुप चाप अपनी नाइटी उतर कर एक साइड में रख दी. मैं किचन से तेल लेके आया, अम्मी पेट के बाल लेती हुई थी। उनका साया (पेटीकोट) उनके घुटनों के ऊपर थे, उनका गोरा बदन देखके मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैं पहले जैसा ही उनके पीठ को मसाज कर रहा था उनकी गांड के ऊपर बैठ के। अब मुझे डर था की मेरा खड़ा लंड कहीं उनकी चूतड़ या गांड में न फंस जाये । क्योंकि मैंने अंडरवियर नहीं पहना था और उधर अम्मी ने भी पैंटी ब्रा नहीं पहनी थी घर में।
मुझे ऐसा लगा अम्मी भी मजा ले रही थी क्योंकि अम्मी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
मैं अम्मी के जोड़ी या जाँघों को मसाज किया, या इस बार मैं थोड़ा सा होंसला किया और उनके गांड पे हाथ रखा।
अम्मी: बेटा क्या कर रहा है? (हल्की आवाज में)
मैं : (अभी भी उनकी गांड दबा रहा था) अम्मी आपका बदन दर्द दे रहा है, बस मैं तो मालिश कर रहा हूँ , इससे आपको मदद मिलेगी।
अम्मी खामोश हो गई या इसे मुझे अपना ग्रीन सिग्नल मिला, अब मैं अपनी अम्मी की गांड अच्छी से मसल रहा था । मैं उनकी गांड को देख नहीं पा रहा था पर उनकी नरम गांड को महसूस जरूर कर रहा था।
अब मैं उन्हें पीठ के बल लेटने कहा। अम्मी चुप चाप पीठ के बल लेट गयी। अब मैं उनकी जाँघों को मसल रहा था। अम्मी की आँखे बंद थी, चेहरे पर अलग किसम की ख़ुशी दिख रही थी। मैं जान बुझ के अम्मी की मखमली चूत को बार बार छू रहा था, अम्मी हल्की सी सिसकारी ली मेरे छूने से।
इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई, अब मैं सीधे उनकी चूत को सहलाने लगा, उनकी चूत के होंठों को अपनी उंगलियों से अलग कर रहा था।
मुझे पता है कि अम्मी सेक्स के लिए बेताब है, लेकिन हमारे रिश्ते का लिहाज कर रही है। अम्मी चुप चाप लेती रही , वो या तो नींद में होने का नाटक कर रही थी या फिर ऐसा दिखावा कर रही थी कि जैसे कुछ भी असामान्य न हो रहा हो. इस से मेरा भी होंसला बढ़ गया और मैं अम्मी की चूत को जोर से मसलने लगा। अम्मी भी चुप चाप मजा लेती लेती रही।
मैंने अम्मी को फिर से उल्टा हो जाने को कहा और अम्मी तुरंत पेट के बल लेट गयी. अब फिर से उनकी गांड मेरे सामने थी.
अम्मी इस उलटे पोज़ में मालिश करवाने में ज्यादा खुश थी क्योंकि इस तरह से उनको अपना मुँह नीचे कर सकने की सुविधा थी और उन्हें मेरी तरफ देखने में शर्म आती थी.
मैंने थोड़ा आगे बढ़ने का सोच और बोला।
मैं : अम्मी इस तरह से मुझे मालिश करने में ऐसी दिक्कत हो रही है और इस पे मसाज करना थोड़ा मुश्किल हैं। (मैंने गांड शब्द का इस्तेमाल नहीं किया), क्या मैं साया ढीला कर दूं?
अम्मी: हम्म. ( बेचारी ऐसा तो कह नहीं सकती थी कि बीटा अहमद जल्दी से मेरा साया खोल दो तो बस हम्म कहा )
मैं साया का नाडा खोल दिया, अब उनका साया ढीला हो चुका था। मैं अपना हाथ ऊपर से घुसा के उनके गोरे गांड पे हाथ फेरने लगा इसे उनका साया नीचे हो गया या उनकी गोरी गांड मुझे दिखने लगी।
अम्मी भी मजा ले रही थी, उन्हें पता नहीं चला कब मैं उनका साया उनकी गांड के नीचे ला रखा। मुझे अम्मी की चूत भी दिखने लगी, ना गोरा ना काला, उसपे बहुत झांटे थी ।
मुझे पता था अम्मी आज ज्यादा कुछ नहीं बोलेगी, अब मैं उन्हें बहुत गरम कर चुका हूं। मैंने अपना हाथ बढ़ा के उनकी चूत पर रखा या धीरे-धीरे सहलाने लगा।
अम्मी: तू मेरी बात कभी मानता क्यों नहीं? (हल्की आवाज में)
मैं : मैं हमेशा मानता हूं. अब क्या किया मैंने?
अम्मी: (सिसकारी लेती हुई) कल कुछ बोली थी तुझे.
मैं : (नाटक करने लगा) मैं भूल गया, फिर से बोलो।
अम्मी: (मैं उनकी चूत सहला रहा था ) आआह बेटा। कुछ नहीं.
मैं अंदर हसने लगा, जैसे मैंने सब कुछ हासिल कर ली हो। अब मेरी अम्मी की गांड या चूत की खातिर अच्छे से की, वो धीरे धीरे सिसकियाँ लेती रहती थी। मैं अनके चूत को ज्यादा नहीं छू रहा था, क्योंकि अगर वो उठ के चली गई तो फिर प्लान फ्लॉप हो जाएगा।
मैं : अम्मी रोज़ तुम्हारा ब्लाउज ख़राब हो जाता है, प्रॉब्लम नहीं होती क्या उसे धोने में ?
अम्मी: तो अब क्या ब्लाउज़ भी निकालोगे?
मैं : अच्छा होंगा अगर आप अपने ब्लाउज भी निकाल दो. इस तरह मालिश आराम से होगा और धोने का भी टेंशन नहीं, ब्लाउज निकाल दो
(मासूम बनते हुए)
अम्मी : तू फालतू बातें बंद करके अपना हाथ चला, तू मुझे ऐसे नहीं देख सकता।
मैं : बचपन में कई बार तो देखा मैंने, अभी भी तो बेटा ही हुआ तुम्हारा।
अम्मी: लेकिन बेटा तू बड़ा हो गया है।
मैं : लेकिन अम्मी के नज़रो में तो बेटा हमेशा छोटा ही होता है ना?
अम्मी: बेटे लगता है की तुझे बातों में कोई हरा नहीं सकता. रुक… वो जैसी ही रुक बोली मैं ख़ुशी से जैसे आसमान पे चला गया, मुझे पता था अब मैं जन्नत जाने वाला हूं। वो अपने ब्लाउज का हुक निकल रही थी, मुझे पता था की वो ब्रा नहीं पहनी है। वो ब्लाउज खोलकर साइड में रख दी, उनके गोल मटोल दूध देखके मेरा लंड फट जा रहा था, मेरी अम्मी मेरे हालात को देख ली और सिर्फ एक स्माइल दी। वो भी अपने मम्मे दिखने से शर्मा रही थी पर उन्होंने भी अपने मम्मे छुपाने की कोई कोशिश नहीं की.
अम्मी: अब तू बड़ा हो गया है, मेरी बाते सुननी चाहिए तुझे (ये बोलके वो लेट गई)
मैं : अम्मी मैं छोटा हूँ अभी भी।
अम्मी का साया अभी भी ढीला था, ब्लाउज़ खोलते समय उन्हें साया सही कर लिया था (शयद अभी भी उन्हें शर्म आ रही थी) लेकिन नाडा खुला ही था। मैं अम्मी के दूध देखते हुए उनके हाथ, कंधे, पेट पर अच्छे से मालिश किया।
मैं : अम्मी यहां मालिश कर दू (दूध को दिखाते हुए)
अम्मी : यहां की मालिश कोई जरूरी नहीं है. क्योंकि यहां पर कोई दर्द नहीं है.
मैं उनकी ना को हा मानते हुए अपना हाथ चुप चाप उनके दूध पर रख दिए, वो थोड़ी देर मेरे आंखों में देखने लगी, फिर अपनी आंखें बंद कर दी। मुझे अब हरा सिग्नल मिल चुका था, मैं उनके चूचियों को हल्का दबा के मालिश कर रहा था, करीब एक मिनट बाद अम्मी के निपल्स खड़े हो गए।
अब मैं उनके निपल्स दबाने लगा, अम्मी अपने होठों को काट रही थी या सिस्कारिया ले रही थी। ऐसे करीब 20 मिनट करने के बाद अब मैंने उनके जांघों को मालिश करने लगा, अब मैंने भी कंट्रोल खो दिया था।
मैंने अम्मी के साया को उनकी चूत के नीचे खिसका दिया, अब उनका चूत साफ नज़र आ रहा था, मैं उनके चूत के ऊपर से मालिश कर रहा था।
फिर मैंने धीरे से उनकी चूत पर उंगली फेरा या धीरे-धीरे उनकी चूत सहलाने लगा, उनकी आंखें बंद थीं। मैं उनकी चूत के गुलाबी पंखों को अलग किया, ओह क्या नजारा था। उनको काफी देर हल्का सा मसलने के बाद अम्मी की चूत गिली हो चुकी थी। अब मुझे एक आइडिया सूझा (मैं अम्मी को या बेबस करना चाहता था, उनके अंदर या कामवासना लाना चाहता था ताकि अम्मी मेरा लंड लेने को तड़प उठे। अभी अगर वो झड़ जाती तो शायद फिर कल से ये सब ना होता) मैं अब सोच लिया उस रात को भी अम्मी की चूत नहीं चाटूँगा,