• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest माँ को पाने की हसरत

Monster Dick

the black cock
208
257
79
माँ मुझे बता रही थी कि यह जगह कितनी बदल चुकी है? आखरी बार वो 1993 में यहाँ से गयी थी..और आज इतने सालो बाद फिर अपने ससुराल आना उन्हें अच्छा तो नही लग रहा था लेकिन बेटे के दिल ने उनके दिल को भी पिघला दिया था...उनके अंदर अब इस जगह के लिए नफ़रत और गुस्सा नही बल्कि आज जैसे वो अलग ही अंजुम थी...जल्द ही हम मोरतुज़ा काका के घर पहुचे....समान लेते हुए माँ ने बताया कि यही मोरतुज़ा काका का घर है मैं इससे पहले आया नही था मैं तो बस इस शहर में आते ही अपना कदम रखते हुए यही सोच में था कि जिन लोगो के साथ मेरे संबंध थे कहीं उन्हें मालूम ना चल जाए? मैं अपने ही सोच में डूबा सा था

जब मोरतुज़ा काका ने दरवाजा खोला तो हमे देखके सर्प्राइज़ हुए...मुझे गले लगे और हमे अंदर आने को कहा....बुआ भी हमे देखके खुश थी काफ़ी उमर ढल चुकी थी उनकी...घर अच्छा ख़ासा था मोरतुज़ा काका के कारोबार से ही मैं अनुमान लगा सकता था कि वो कितने अमीर हो गये है? एक बेटी थी जो कोलकाता ब्याह दी गयी और आज दो जुड़वा बच्चों की माँ है तबस्सुम दी के बारे में सोचते ही बदन जैसे सिहर उठा....सच में उनकी चुदाई करने में मेरा पसीना निकल गया था उफ्फ तरबूज़ जैसी उनकी चुचियाँ...इतने में ध्यान टूटा

तो बुआ पानी दे रही थी...मैं खुद पे काबू करता हुआ पानी पीने लगा....मोरतुज़ा काका से फिर बातचीत का दौर शुरू हुआ घर बार की बात हुई फिर काम काज की...मैं ध्यान से उनकी बातें सुनने लगा उन्होने कहा आज यही ठहर जाओ किराए के घर में कल शिफ्ट हो जाना...पर माँ बोली नही नही खामोखा पर बुआ भी ज़िद्द करने लगी...लेकिन सामान बहुत सारा लाए थे इसलिए घर भी देखना था और शिफ्ट भी होना था....माँ और मैं सामान लिए मोरतुज़ा काका के साथ नये किराए के घर की ओर निकल गये....जहाँ मोरतुज़ा काका ने मुझे घर दिलवाया था वो टाउन से बाई ओर यानी उल्टा साइड पड़ता था इसलिए वो जगह मेरे जानने वालों के घरो से काफ़ी दूर था...और अगर कभी बारिश होती थी तो बीच का जो ब्रिड्ज था जो टाउन और हमारे एरिया को जोड़ता था वो नदी के पानी से भर जाता था

हालाँकि माँ को आपत्ति हुई पर मैने कहा कि क्या फरक पड़ता है? हमे प्राइवसी ही तो चाहिए मैने माँ के कान में फुसफुसते हुए कहा तो माँ मुस्कुराइ उन्हें भी किसी रिश्तेदार या किसी भी जानने वाले लोगो से मतलब नही रखना था...हालाँकि ताहिरा मौसी से मिलने की इच्छा जाहिर की पर वो उनके घर नही जाना चाहती थी ताहिरा मौसी और उनके घर का ज़िक्र सुन कर ही मैं फिरसे उन्ही पॅलो में चला गया जो दर्द और वाक़या जिन्हें समेत कर मैने इस एरिया को अलविदा कहा था

ब्रिड्ज क्रॉस करते ही बड़ा सा कब्रिस्तान शुरू हो गया और उसके बाद हरियाली छाने लगी ठीक उसके बाद कुछ घर शुरू हुए..थ्री वीलर एकदम सामने एक घर के आगे रुका....तो मोरतुज़ा काका मेरा बॅग उठाने लगे मैने मना किया....माँ हमारे पीछे थी....जैसे ही हम दरवाजे के पास आए...मोरतुज़ा काका ने चाबी से दरवाजा खोला

घर काफ़ी बड़ा था सारी सुविधाए थी....लिविंग रूम में बड़ी सी खिड़की थी वो एक सेपरेट फ्लोर था हमारा लेकिन नीचे का घर था..उपर तीन मंज़िला इमारत थी...जिसमें मकान मालिक को अब तक कोई किरायेदार नही मिला था...इसलिए हम बहुत खुश थे ओर वैसे भी इस एक पूरे ग्राउंड फ्लोर में हम माँ-बेटे को ही तो सिर्फ़ रहना था...माँ को घर बहुत पसंद आया क्यूंकी चारो तरफ चिड़ियो की आवाज़ और काफ़ी शांति थी पैड पौधे थे सुना था कि अभी लोग यहाँ धीरे धीरे बसने शुरू हुए है....

मोरतुज़ा काका फिर मुझे बोले कि थोड़ा रेस्ट कर लो अगले दिन फिर चलना पर मैने कहा शाम को ही आपके उस आदमी से मिल लून जो दिल्ली का माल यहाँ भिजवाएगा ताकि अपनी नौकरी मैं जल्दी संभालू...मेरा हौसला देखके मोरतुज़ा काका को अच्छा लगा माँ ने उन्हें कसम दी कि किसी को भी ससुराल के लोगो में ना बताए कि हम यहाँ है मोरतुज़ा काका ने निश्चिंत होने को माँ को कहा...मैं देख रहा था मोरतुज़ा काका माँ को बड़े गौर से देख रहे थे वो फिर माँ से मज़ाक सा करने लगे...लेकिन मेरी वहाँ मज़ूद्गी का अहसास उनको था शायद इसलिए वो बहुत जल्दी वहाँ से चले गये....शाम को मैं उनके साथ उनके आदमी से मिलने गया जिसने मुझे मामलो के बारे में जानकारी दी...फिर मैं डिस्ट्रिब्यूशन के साथ साथ जो माल लेना होता है उसके सॅंपल्स लेने का तरीका कौन सा माल लेना ठीक है? और उन्हें कौन कौन सी जगह में प्रवाइड करना है किसकी प्राइसस कितनी है उसमें कितना टॅक्स लगता है? बहुत सारा कारोबार को संभालने के लिए मैने रात दिन एक किए उन्हें मोरतुज़ा काका से जाना और संभालना शुरू किया

धीरे धीरे मैं मोरतुज़ा काका का काम संभालने लगा...और जैसे पहले करता था ठीक उससे दुगनी मेहनत करने लगा....मुनाफ़ा ज़्यादा कमाने लगा...हमारा घर जमने लगा..और इसके साथ ही माँ भी मेरे साथ हसी खुशी रहने लगी थी अब उसे कोई भी चीज़ की कोई तक़लीफ़ ना थी....हालाँकि प्राइवसी के चक्कर में और मोरतुज़ा काका के दिलाए किराए का घर जहाँ लिया था वो जगह थोड़ा सुनसान थी...इसलिए काम पे रहने के बाद मुझे हमेशा माँ की फिकर रहती थी....माँ ने पास की पड़ोसी औरतो से जो उमर में काफ़ी उम्रदराज थी उनसे दोस्ती कर ली इसलिए पूरे घर का काम निपटा देने के बाद वो उन लोगो से ही बैठके आँगन में बात करती रहती थी....मैने उन्हें सख़्त हिदायत दी थी कि अंधेरा होते ही घर से ना निकले मोबाइल चार्ज में रखे पहले पास की खिड़की जो लॉन में खुलती थी उससे झांन्कके देख ले कि कौन दरवाजे पे खड़ा है उसके बाद ही दरवाजा खोले रात को मैं घर जाने से पहले एक बार मिस कॉल मार देता था इसलिए माँ दरवाजा खोल देती थी

हालाँकि कभी कभी काम से लेट होने पे देर रात हो जाती तो मुझे रिक्क्षा भी बड़ी मुस्किल से मिलता था घर जाने के लिए...इसलिए मैने 2 महीने बाद ही इंस्टल्लमेंट पे बाइक खरीद ली थी इससे मुझे आसानी होने लगी और मेरा वक़्त बचने लगा...घर में शिफ्ट होने के तीसरे दिन ही ट्रक में लादा हुआ हमारा दिल्ली का सामान आ गया खटाखट करम्चरियो को पैसे दिए और जो पीसी और कुछ एक आध समान था उसे हमने रखना शुरू किया...मोरतुज़ा काका ने हमारे शिफ्ट होने के बाद ही हमे एक सेकेंड हॅंड बेड दिला दिया था....बाद में कहा कि पैसा हो जाए तो खरीद लेना माँ को भी इससे आपत्ति नही हुई....हम उसमें शीतलपाटी (एक तरह की बिंगाली चटाई जिसे बिस्तर के नीचे रखा जाता है) रज़ाई के उपर बिछाए उस पर चादर फैलाक़े सोते थे....रात को कुत्ते बड़े एकदुसरे से लड़ाई करते थे एकदम चुप्पी भरा सन्नाटा छा जाता था..

माँ को शुरू शुरू में नींद नही आती थी लेकिन धीरे धीरे उन्हें आदत पड़ने लगी पर जब भी मूतने की इच्छा होती थी तो मुझे जगाके साथ ले जाती थी हालाँकि हमारा घर चारों तरफ से बंद था....लेकिन उन्हे डर लगता था..मैं कभी कभी नींद में ज़्यादा होता पर माँ के मूतने की बात सुन मेरे अंदर की कामवासना जैसे जाग उठती थी मैं उनके साथ गुसलखाने के पास बने खाली जगह पे खड़ा रह जाता...वो अंदर टाय्लेट में घुस कर मूतने लग जाती...तो उनकी पेशाब की मोटी धार जब चूत से निकलती तो मेरे कानो में उसकी सिटी जैसी आवाज़ आती....लंड पाजामा में ही अकड़ जाता

मैं पहले की तरह खुले बदन और पाजामे के अंदर कुछ ना पहने माँ के साथ चिपक के सोता था...घर का माहौल मेरा बहुत ही रंगीन किसम का था...साला मकान मालिक भी बहुत महीनो महीनो बाद इकहट्टे पैसे लेने आता था कोलकाता से मोरतुज़ा काका का दिलाया घर अच्छा ही था...इससे पहले मैं जिस घर में था उससे भी ये घर शानदार था...मुझे चंपा की याद आई और बाकियो की भी
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

Monster Dick

the black cock
208
257
79
ताहिरा मौसी को नानी ने बता दिया था कि मैं वापिस होमटाउन में इस बार माँ के साथ शिफ्ट हो गया हूँ तो वो खुश हुई लेकिन उन्हें जगह का मालूमात नही था...नंबर मैने यहाँ से जाने का बाद सिम चेंज कर दिया था इसलिए वो नंबर जो ताहिरा मौसी के पास था वो अब बंद हो चुका था...इसलिए वो मुझे कॉंटॅक्ट नही कर पा रही थी...नानी की ही बदौलत ताहिरा मौसी मेरे घर तक पहुचि मुझसे जिस दिन मिली थी उस दिन वो मुझसे लिपटके रोने ही लगी इतने दिनो बाद जो मुझे वापिस देख रही थी...उन्होने मेरे होंठो और गालो को चूमा पर माँ की मज़ूद्गी के अहसास से उसने अपने आँसू पोंछे और माँ से भी गले मिली

फिर वोई पुराना घरों जैसा माहौल दोनो बहने बात करने लगी फिर ताहिरा मौसी ने बताया कि सुधिया काकी बूढ़ी हो चुकी है और वो लगभग डिस्ट्रिक्ट में रहती है बेटे ने उनके शादी कर ली और बहू के साथ उनकी बनती नही इसलिए अक्सर गाओं में ही पड़ी रहती है...मैने कहा कि मेरी कोई चर्चा अब किसी से ना करे...रूपाली भाभी का तो ताहिरा मौसी ने ज़िक्र ही नाही किया मेरे सामने थोड़ा बहुत माँ के ही सामने की फिर उसकी शिकायत करने लगी कि ऐसा करती है वैसा करती है उनका घर बार आज भी कलेश में ही चल रहा था....रूपाली का हज़्बेंड यानी मेरा भाई एक आध बार आया था मिलने पर ना उसे अपनी औलाद में कोई इंटेरेस्ट था ना रूपाली में सुना था जब ठरक चढ़ती है तो तब बीवी को अकेला पाके उस पर टूट पड़ता है ये सब सुनके ही मुझे बेहद बुरा भी लगा और अच्छा भी ना लगा सुनके

मैने ताहिरा मौसी को अपने और माँ के संबंधो की कोई चर्चा नही बताई थी....उनके जाने के बाद उन्होने भी आना कम कर दिया....हालाँकि मौसा ने माँ को देखने की इच्छा जाहिर की थी..पर माँ उनसे मिलने के लिए कोई ख़ास मन ना बनाई हुई थी ऐसे ही तो मेरी मर्ज़ी पे मज़बूरी ही कह लो होमटाउन यानी अपने ससुराल आई थी...अपने ससुराल भी नही गयी थी किसी को कुछ खबर नही था....पिताजी भी कम कॉल किया करते थे

धीरे धीरे मेरे पैसो में बढ़ोतरी होने लगी और मैं अच्छी आमदनी कारोबार से कमाने लगा...मैं एक पर्चेस ऑफीसर की भमिका निभा रहा था....अब मेरी जान पहचान मार्केट में बहुत बढ़ चुकी थी....रिश्तेदार लोगो से भी मुलाक़ात की थी..पर ना तो रूपाली से मिला था ना ही चंपा से कभी भेट की थी....हालाँकि चंपा की बड़ी याद सताती थी उसके साथ मेरा रिश्ता गहरा सा था...लेकिन मैं तौबा कर चुका था की माँ के बाद अब किसी और औरत को टच तक नही करूँगा...

माँ भी धीरे धीरे सब्ज़ी लाने टाउन जाने लगी कहने लगी कि इतनी औरते रात रात गये अकेली लड़कियाँ तक टाउन से यहाँ आती है क्या हर्ज़ है? मैने कोई आपत्ति नही जताई...मैं तो अपनी ज़िंदगी में खुश था...सब्ज़िया राशन खरीदके वो घर लाती और हम माँ-बेटे एकदम इतमीनान से ज़िंदगी गुज़ारते

धीरे धीरे टीवी भी खरीद लिया और साथ में एक होम थियेटर सेट भी...कभी कभी गंदी गंदी फ़िल्मो वाली सीडी भी बेझीजक ले आता तो माँ टोकती...पर मैं कहता साथ देखेंगे तो वो शरमा जाती..जब घर पहुचता तो माँ खुले बाल को कंघी करते हुए टीवी पे लाउड वॉल्यूम में गाना सुन रही मुझे मिलती...आजकल माँ मेरे साथ ज़्यादा से ज़्यादा घुलने लगी थी...

एक दिन टीवी पे मस्त फिल्म आ रही थी....जो कि बी-ग्रेड मूवी थी उसमें पति को शराब पिलाके उसके दोस्त उसे बेहोश कर देते है उसके बाद उसी कमरे में मौज़ूद बीवी के साथ ज़बरदस्ती करने लग जाते है...वो विरोध करती है तो उसे उसके पति के नशे में धुत्त दोस्त धमकाने लगते है कि वो उसे चोदेन्गे भी साथ में उसका वीडियो भी बनाएँगे...ये सुन औरत डर जाती है वो दुल्हनो के जैसी लाल साड़ी वाले कपड़ों में होती है मैं वॉल्यूम थोड़ा कम किया इस बीच देखा कि माँ फिल्म मे ऐसे सीन्स को लेके कोई आपत्ति नही कर रही जब मैने टोका तो उसने फटाक से कहा तुझे बुरा लग रहा है ये सब देखके तो बंद कर दे मैने कहा नही नही...मैने उसके कंधे पे हाथ रखा...हम फिल्म देखने लगे..लड़की की चीखें पूरे कमरे में गूँज़ रही थी उसकी साड़ी और ब्लाउस फाड़ दी जाती है उस पर पाँचो के पाँच टूट पड़ते है

उसकी ज़बरन चुदाई शुरू हो जाती है...हर एक गुंडा उस पर चढ़ता है उसकी पेटिकोट के नाडे को जो कि नाभि के उपर हाथ डालता गुंडा खोल देता है उसके बाद सीन में बस उसकी पैंटी के उपर हाथ दिखाए जाते है उसके बाद सीन गुन्डो पे फिल्माया जाता है फिर उनके हाथो में उसके नीले रंग की पैंटी होती है जिसे सूंघते हुए वो लोग ठहाका लगाए उसे बेबस देखने लगते है....औरत रो रही है अब उसे गले और बगलो से ऐसा दिखाया जा रहा है कि वो नंगी उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो रहा है साथ में उस पर चढ़ा उससे लिपटा गुंडा भी पसीने पसीने और गुलाबी आँखो में दिखाया जाता है बस सीन में उसके आगे पीछे होने के सीन होते है उसके हाथो की चूड़िया टूटते और उसके कलाईयों को मरोदते दिखाया जाता है...लड़की बेदर्दी से चीख रही है उसके माथे के सिंदूर और बिंदी को पोंछ दिया गया है...उसके बाल बिस्तर पे बिखरे हुए है बस उसकी छातियो और गले पे हाथ फिरता और उसकी नाभि को दबोचते गुंडे लोगो को दिखाया जाता है

उसके बाद उसका हिलना डुलना रुक जाता है...वो बस सिसक रही होती है...सूबक रही होती है पाँचो गुंडे अपने अपने कपड़े पहनते हुए हान्फते हान्फ्ते दिख रहे होते है फिर वो कमरे से निकल जाते है तो सोफे पे उसके नशे में चूर गहरी नींद में सो रहे हज़्बेंड को देखके हंसते ठहाका लगाते चले जाते है....

"उफ्फ कैसे कैसे सीन्स बना लेते है ये लोग इन औरतो को शरम नही आती".....माँ की आँखो को जब देखा तो वो गुलाबी हो चुकी थी....मैने टीवी ऑफ किया और माँ के एकदम करीब सॅट गया...."अर्रे माँ छोड़ ना ये तो नौटंकी है आक्टिंग के लिए इस फील्ड में लड़किया कोई भी हद तक जा सकती है"..........

"ह्म तू सही कहता है ऐसा लगता है जैसे रंडियो को ही कास्ट करते है यह लोग"......

"और नही तो क्या तू फिगर देख कितना बेढंगा है इसके पिछवाड़े को देख इसकी छातियो को देख"......मेरे ऐसा कहने से माँ शर्मा गयी...

"तू भी ना बहुत अकेलेपन का फ़ायदा उठाने लगा है"..........

"अर्रे माँ मैं तो बस मज़ाक कर रहा हूँ देखा तूने समीर और आंटी को कैसे एकदुसरे के साथ प्रेमी जोड़ा की तरह रहते है".......

."ह्म ये तो है".......फिर माँ मेरे साथ लेटते हुए मुझे सोफीया आंटी के साथ जो वार्तालाप किया वो बताने लगी मैं सुनके हैरान चलो ये तो अच्छा ही हुआ कि माँ ने हमारे रिश्तो के बीच के इस फ़ासले को ख़तम ही कर दिया था अब समीर और सोफीया आंटी की शादी में माँ को भी ले जा सकता था

अगले दिन समीर का कॉल आया था मैने उससे खूब बात की उसे मेरी फिकर लगी हुई थी....उससे बात चीत ख़तम करने के बाद मैं घर लौटा तो पाया आज मैं जल्दी घर आ गया था माँ खाना बना रही थी...मैं माँ को नोटीस कर रहा था उसके बदन को निहार रहा था आजकल वो नाइटी पहनने लगी थी आज उसने हरी रंग की मेरी दिलाई हुई नाइटी पहनी थी....उसके चूतड़ काफ़ी उभरे हुए लग रहे थे...चलो अच्छा है माँ को यहाँ आके खाना पीना लगने लगा था...

मैने पीछे से माँ को फिर पकड़ा इस बार उनके पेट पे अपने हाथ फँसाए और उसे हल्का सा दबाया तो मेरे चिपकने से हंस पड़ी..."चल आज तुझे मार्केट घुमा लाता हूँ कैसी फीका फीका चेहरा लिए रहती है"......

."हां अब तू मुझे सोफीया की तरह तय्यार करना चाहता है"......

."क्यूँ कौन बेटा अपनी माँ को तय्यार नही देखना चाहता चल तो सही सारा दिन चूल्हा रसोईघर में खड़ी रहती है अब बस भी कर तेरे दिन आ गये अब ये बाबूजी का दिन नही कि 24 घंटे उनकी सेवा में लगी रहे".......

"अच्छा ठीक है पहले तू छोड़ तो"........

"नही मैं नही छोड़ूँगा"....

"प्ल्ज़्ज़ ना"......माँ ने नज़ाकत से कहा

तो मैने मुस्कुरा कर अपने होंठ आगे बढ़ाए तो माँ ने मेरे होंठ पे होंठ रखके एक हल्का चुंबन दिया...हम दोनो एकदुसरे से अलग हुए फिर मैं बिस्तर पे जाके लेट गया...फिर माँ तय्यार हुई और हम बाहर गये
 

Siraj Patel

The name is enough
Staff member
Sr. Moderator
136,225
113,033
354
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

As you all know, in previous week we announced USC and also opened Rules and Queries thread after some time. Before all this, chit-chat thread already opened in Hindi section.

Well, Just want to inform that it is a Short story contest, in this you can post post story under any prefix. with minimum 700 words and maximum 7000 words . That is why, i want to invite you so that you can portray your thoughts using your words into a story which whole xforum would watch. This is a great step for you and for your stories cause USC's stories are read by every reader of Xforum. You are one of the best writers of Xforum, and your story is also going very well. That is why We whole heatedly request you to write a short story For USC. We know that you do not have time to spare but even after that we also know that you are capable of doing everything and bound to no limits.

And the readers who does not want to write they can also participate for the "Best Readers Award" .. You just have to give your reviews on the Posted stories in USC

"Winning Writer's will be awarded with Cash prizes and another awards "and along with that they get a chance to sticky their thread in their section so their thread remains on the top. That is why This is a fantastic chance for you all to make a great image on the mind of all reader and stretch your reach to the mark. This is a golden chance for all of you to portrait your thoughts into words to show us here in USC. So, bring it on and show us all your ideas, show it to the world.

Entry thread will be opened on 7th February, meaning you can start submission of your stories from 7th of feb and that will be opened till 25th of feb. During this you can post your story, so it is better for you to start writing your story in the given time.

And one more thing! Story is to be posted in one post only, cause this is a short story contest that means we can only hope for short stories. So you are not permitted to post your story in many post/parts. If you have any query regarding this, you can contact any staff member.



To chat or ask any doubt on a story, Use this thread — Chit Chat Thread

To Give review on USC's stories, Use this thread — Review Thread

To Chit Chat regarding the contest, Use this thread— Rules & Queries Thread

To post your story, use this thread — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
Top