"आज भी हम एक ही कमरे में सो रहे थे, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। कल की वजह से मैं परेशान था, क्योंकि माँ मुझे बहुत भरोसा करती है और मैंने झूठ बोला कि मैंने सभी टेस्ट में अच्छा किया।
माँ मुझसे पूछती है, 'जग रहे हो?' मैं कहता हूँ, 'हाँ'। फिर माँ पूछती है, 'दर्द हो रहा है क्या?' मैं कहता हूँ, 'नहीं'। फिर माँ कहती है, 'सो जाओ, फिर कल सुबह स्कूल जाना है'।"
सुबह हम दोनों तैयार होकर पीटीएम जाते हैं। वहाँ मेरी क्लास टीचर माँ को मेरे रिजल्ट के बारे में बताती है, जिससे सुनकर माँ के होश उड़ जाते हैं। माँ वहाँ मुझे कुछ नहीं बोलती। माँ ये सब सुनकर एकदम गुस्सा हो जाती है। फिर टीचर बोलती है, "इन पर आपको और ध्यान देना होगा।" इसके बाद माँ मुझे घर के पास छोड़कर ऑफिस चली जाती है। जब हम स्कूल से घर आ रहे थे, माँ पूरे रास्ते मुझे कुछ नहीं बोली। हम दोनों गाड़ी में एकदम शांत थे। फिर माँ घर में आकर सोचने लगती है कि मैं माँ को शाम में क्या बोलूँगा।
शाम को माँ लेट आती है, फिर खाना बनाती है। पर मेरे से उन्होंने बात तक नहीं की। अब हम शांत होकर खाना खा लेते हैं। तब मैं माँ के कमरे की तरफ जा रहा होता हूँ। तो माँ एक गुस्से वाली आवाज़ में कहती है, "अपने कमरे की तरफ जाओ।" मैं शांति से अपने कमरे की तरफ चला जाता हूँ। सुबह ये यही सब था जो माँ ने मुझे बोला था। अब माँ मेरे कमरे में दूध लेकर आती है, मैं उसे पी लेता हूँ। माँ गुस्से में मुझसे पूछती है, "दर्द हो रहा है क्या?" मैं माँ के डर की वजह से मना कर देता हूँ। अब माँ गुस्से में कहती है, "अब भी झूठ ही बोल रहे होगे।" मैं डर की वजह से कह देता हूँ, "नहीं।" पर माँ माँ होती है, वो नीचे बैठकर मेरे पैंट को खुद उतारकर मेरे लंड को पकड़कर हिलाने लगती है। पर डर और गलती की वजह से मुझे ये सब सूझ ही नहीं रहा था। मेरा लंड बिलकुल भी हरकत नहीं करता। और माँ और गुस्सा हुआ जा रही थी। और मैं ये सब देखकर ma वहीं बैठे-बैठे रोने लगता हूँ।
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माँ ये सब देखकर बिस्तर पर बैठ जाती है और अपनी बाँहों में भर लेती है। मुझे शांत करने लगती है। मैं रोते-रोते कहने लगता हूँ कि, "मॉम, मैं आपको आज के बाद झूठ नहीं बोलूँगा। मैं डर गया था कि आप मुझ पर गुस्सा करोगी, इसलिए मैंने झूठ बोला था।" माँ ये सब सुनकर कहती है, "पहले तो तुम चुप हो जाओ।" पर मैं चुप होने में 5 मिनट लगाता हूँ। इसके बाद माँ कहती है कि, "क्या मैंने कभी तुम्हें मारा है?" मैं कहता हूँ, "नहीं माँ।" फिर माँ कहती है, "तुम झूठ बोलना सीख गए और तुम्हारे इतने कम नंबर क्यूँ?" फिर मैं माँ को सब बताता हूँ, जब से ये दर्द शुरू था मेरा किसी भी चीज़ पर ध्यान नहीं था। फिर माँ मेरी बात समझ जाती है क्योंकि मैं पढ़ाई में पहले से अच्छा था। फिर माँ मुझे सही से शांत करवाती है और कहती है, "अब जब भी दर्द हो हल्के से हल्के में यहीं हूँ। तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और चाहे तो एक्स्ट्रा ट्यूशन लगवा लो।" फिर माँ खुशी वाला माहौल बनाती है, फिर हम कुछ देर आज हँस कर बातें करते हैं जिससे मेरी आज की सारी टेंशन चली जाती है। और मैं खुश हो जाता हूँ।
अब माँ मेरे को छेड़ते हुए पूछती है, "दर्द हो रहा है?" मैं अब बिना डरे बोलता हूँ, "है।" अब माँ मेरे बिस्तर पर मेरे lund को पकड़कर चूसने लगती है।
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जिससे मुझे मज़ा आने लगता है। अब माँ अपनी नाईटी ढीली कर देती है जिससे दोनों चूचे दिखने लगते हैं। अब मैं माँ को bistar पर आकर बैठने को कहता हूँ जिससे माँ के चूचे चूस सकूँ। पर जब मैं आज चूचे चूस रहा था तो माँ मेरे सर पर हाथ फेर रही थी और कह रही थी, "और चूस मेरे बच्चे।" अब मैं उसे और उत्तेजित होकर चूस रहा था।
माँ मेरे लंड हाथों से हिलाए जा रही थी। अब मैं धीरे से अपने चरम सीमा पर पहुँच तक़रीबन 1 घंटे बाद मैं झड़ गया।
अब मैं माँ को अपने साथ ही सोने के लिए कहता हूँ। माँ मान जाती है। मेरे कमरे का बेड सिंगल है जिसमें अगर दो लोगों को सोना हो तो चिपक के सोना होगा। अब मैं और माँ मेरे बिस्तर पर चिपक के सो रहे थे। अब मेरे लंड फिर धीरे-धीरे माँ के चिपकने की वजह से कड़ा हो गया। अब माँ और मैं बिस्तर पर बातें कर रहे हैं। माँ माँ से चिपक कर पूछ रहा था कि, "माँ, मेरा लंड कैसा है?" तो माँ बोलती है, "तेरे लंड तो तेरे पापा से भी बड़ा और मोटा भी है। अगर कोई लड़की इसको देखेगी तो इसकी दीवानी बन जाएगी।" माँ के मुँह से सुनकर मेरा लंड और टाइट हो रहा था। अब माँ को कहता हूँ, "माँ, आपने दूसरी शादी क्यूँ नहीं की?"
माँ कहती है अब मेरी उम्र हो गयी है। और मैं बूढ़ी हो गयी हूँ पता नहीं कोई मुझसे शादी करता है कि नहीं।
मैं :- आप कहाँ अभी बूढ़ी हुई हो आप अभी भी जवान हो।
माँ ये सुनकर शर्मा जाती है।
अब मेरा खड़ा ल** माँ से चिपक रहा था। मैं ल** को माँ के पैरों पर रगड़ रहा था। फिर माँ कहती है फिर से शुरू हो गया। मैं कहता हूँ माँ तुम बहुत सुन्दर हो क्या करूँ। माँ ये सुनकर और शर्मा जाती है।
माँ कहती है ये बेड बहुत छोटा है चलो मेरे कमरे में चलते हैं। पर मैं माँ को मना कर देता हूँ क्योंकि आज मेरे पास बढ़िया अवसर था। अब मैं माँ के चेहरे और करीब आ जाता हूँ और हम दोनों एक दूसरे के बहुत ही ज्यादा करीब थे हम दोनों के एक दूसरे की साँसे साफ़ महसूस हो रही थी। अब मेरी दिल की धड़कन और तेज होती जा रही थी। फिर माँ एकदम से कहती है कि कोई मदद चाहिए क्या। फिर मैं अपने खड़े ल** की तरफ इशारा करता हूँ। अब माँ लेटे लेटे ही अपने हाथों से मेरे खड़े ल** को हिलाने लगती है पर मेरे दिमाग में और कुछ चल रहा था। अब मैं माँ के चूचे चूसने लगता हूँ
उनके खुले शरीर को चूमने लगता हूँ क्योंकि माँ ने ऊपर के कपड़े बिना पहने हुए ही सोई थी। मेरे माँ का गोरा बदन मुझे और उत्तेजित कर रहा था। अब मैं माँ के बदन को चूम ही रहा था तो मुझे माँ के सिसकियों की आवाज सुनाई दी। मुझे ये सुनकर और मज़ा आ रहा था कि माँ भी कामुक हो रही है। अब अपने काम को धीरे-धीरे शुरू कर रहा था। माँ और मेरा चेहरा आस पास ही था। अब मैं माँ के सुन्दर चेहरे को चूमना चाहता था और उनके रसीले होंठ पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं धीरे से माँ की गर्दन पर चूमने लगता हूँ। माँ और उत्तेजित हो जाती है। पर उतनी ही देर में मुझसे कहती है कि तुम दूध चूसो ये सब क्या कर रहे हो माँ ये सब दबे स्वर में कह रही थी उनका भी मन था करने का पर वह जान बूझकर मना कर रही थी। फिर मैं माँ के चूचे चूसता हूँ और माँ मेरे ल** को हिलाती रहती है। और मैं जैसे अपने चरम सुख पर था वैसे ही माँ को बता देता हूँ अब माँ उठकर मेरे ल** को चूसने लगती है। माँ के गरम मुँह मेरा गरम ल** और भी मज़ा आ रहा था। अब मैं कुछ देर में माँ के मुँह में झड़ देता हूँ। अब माँ बाथरूम से आकर मेरे कमरे में मेरे साथ सो जाती है। फिर हम दोनों इस काम क्रिया के बाद सो जाते हैं। अब मेरी नींद प्यास की वजह से खुल जाती है देखता हूँ माँ उल्टा मुँह करके सो रही है। मैं पानी पीने के बाद उससे और चिपक जाता हूँ। और उनके उभरे हुए गा** पर अपना ल** रगड़ता हूँ।
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माँ शायद गहरी नींद में ही थी।
मुझे माँ के चूतड़ों पर रगड़ते वक्त मज़ा आ रहा था। अब मैं ऐसा तकरीबन पौन घंटे से कर रहा था और मैं झड़ जाता हूँ और मेरा झाड़ा हुआ माँ की maxi par gira deta hu.
मैं उसे साफ करने की भी कोशिश नहीं करता हूँ। और माँ से चिपक कर सो जाता हूँ। जैसे कोई बंदर अपनी माँ से।