Guri006
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Bhai readers se request hai like and comment jarur kre jisse writer ka hausla badta hai .
Bhai ANOKHA KARWACHAUTH Part 2 bhi likhoअजय ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। धीरे धीरे अपनी रफ्तार से चलती हुई गाड़ी गांव से बाहर निकल गई और सड़क पर आते ही एक तेज रफ्तार के साथ दौड़ पड़ी। गाड़ी में पूरी शांति थी, ऐसा लग रहा था मानो अजय और सौंदर्या दोनो गूंगे हो। दोनों एक दूसरे से बात करना चाह रहे थे लेकिन हिम्मत नही हो रही थी। आखिकार हिम्मत करके अजय ने चुप्पी तोड़ी और बोला:"
" दीदी आप किस टाइम तक फ्री हो जाएगी शाम को ?
सौंदर्या ने एक नजर अपने भाई पर डाली और भावहीन चेहरे के साथ बोली:"
" करीब 5 बज जाएंगे। आप उससे पहले ही अा जाना भाई।
अजय;" आप फिक्र मत कीजिए। मैं आपको बाहर ही मिल जाऊंगा जब आप आओगी।
सौंदर्या ने राहत की सांस ली और कार में एक बार फिर से खामोशी ने अपना डेरा डाल दिया। सौंदर्या ने अजय की तरफ देखा जो भावहीन चेहरे के साथ गाड़ी चला रहा था तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे अपने भाई को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था। आखिर गलती उसकी भी तो हैं। थप्पड़ के बजाय उसे अपने भाई को प्यार से समझाना चाहिए था।
सौंदर्या का कॉलेज अा गया और उसने एक प्यार भरी नजर के साथ अपने भाई को देखा और अंदर चली गई। अजय उसे अंदर जाते हुए देखता रहा और थोड़ी देर बाद ही सौंदर्या आगे मुड़कर आंखो से ओझल हो गई।
अजय ने गाड़ी को शहर की तरफ घुमा दिया और उस जगह पहुंच गया जहां उसने शेरा और उसके गुण्डो को मारा था। उसने आस पास नजर दौड़ाई लेकिन उसे कुछ खास नजर नहीं आया।
पिंकी की लाश यहां से थोड़ी ही दूर मिली थी इसलिए अजय ने सोचा कि घटना स्थल पर एक बार जरूर जाया जाए। अजय ने अपनी कार आगे बढ़ाई और थोड़ी देर बाद वो उस जगह अा गया जहां से पिंकी की लाश मिली थी। चारो और लोगो की भीड़ सड़क से अा जा रही थी और अजय ने काफी देर तक इधर उधर देखा लेकिन उसे कुछ खास नहीं मिला तो उसने अपनी गाड़ी को वापिस लिया और घूमने ही वाला था कि उसे एक बाइक पर बैठे हुए व्यक्ति पर शक हुआ लेकिन अजय ने तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा दिया मानो उसने देखा ही नहीं और गाड़ी को हल्की रफ्तार से आगे बढ़ा दिया। शीशे से उसने धीरे से देखा तो उसके दिमाग़ में हलचल मच गई क्योंकि बाइक भी उसकी तरफ अा रही थी। अजय ने जान बूझकर गाड़ी को सड़क पर बाई तरफ घुमा दिया तो थोड़ी दूर जाने पर बाइक भी उसी दिशा में घूम गई। अब अजय के दिमाग में शक की कोई बात ही नहीं रह गई थी और वो समझ गया था कि बाइक उसका पीछा कर रही है। लेकिन क्यों कर रही हैं और ये बाइक पर कौन आदमी हैं और उसके पीछे यहीं से क्यों लगा जहां पिंकी की हत्या हुई हैं।
कोई तो है जो मुझे ये नहीं जानने देना चाहता हूं कि पिंकी की मौत क्यों और किसने की जबकि मैं तो कोई पुलिस ऑफिसर भी नहीं हु। अजय ने अपने दिमाग पर जोर दिया तो उसे एक बात समझ अा गई कि उसकी दीदी पिंकी को बचाने के लिए ही तो गुण्डो से भिड़ गई थी तो कहीं अब पिंकी के बाद दीदी ही तो उनके निशाने पर नहीं है।
अजय के दिमाग में खतरे की घंटी बज उठी और उसने तुरंत गाड़ी को सौंदर्या के कॉलेज की तरफ दौड़ा दिया। गाड़ी हवा से बातें कर रही थी और थोड़ी देर बाद ही वो कॉलेज के सामने था।
कॉलेज के बाहर पहले से पुलिस की गाडियां देखकर उसके दिमाग को झटका सा लगा और वो तेजी से नीचे उतरा तो देखा कि कॉलेज के प्राचार्य बुरी तरह से डरे हुए थे और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही थी।
ऑफिसर:" आपके स्कूल से दिन में ही एक महिला टीचर का किडनैप हो गया कैसे ? आपके पास तो अपने गार्ड है।
प्राचार्य: मेरे गार्ड बेहोश और जख्मी हालात में मिले हैं। ये तो आपको सोचना चाहिए कि शहर में पुलिस के होते हुए गुण्डो की हिम्मत इतनी कैसे बढ़ गई ?
अजय का दिल किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा और वो तेजी से आगे आया और एक महिला अध्यापक से पूछा :"
" क्या हुआ हैं यहां ? किसका किडनैप हो गया है ?
मैडम के चेहरे पर खौफ के मारे हवाइयां उड़ी हुई थी और वो डरते हुए बोली:"
" हमारे कॉलेज की एक टीचर सौंदर्या का।
अजय अपनी बहन का नाम सुनते ही परेशान हो गया क्योंकि वो जानता था कि उसकी बहन बहुत बड़े खतरे ने पड़ चुकी है। अजय ने तुरंत पीछे नजर दौड़ाई क्योंकि वो जानता था कि जो बाइक वाला उसका पीछा कर रहा हैं जरूर उसके है गैंग ने उसकी बहन का किडनैप किया है। लेकिन अजय को बाइक वाला दूर दूर तक कहीं नहीं दिखाई दिया।
अजय परेशान हो उठा और तेजी से गाड़ी से बाहर निकला और इधर उधर बाइक वाले को देखने लगा लेकिन उसे वो कहीं नजर नहीं आया। अजय को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ?
अजय तेजी से आते हुए अपनी गाड़ी में बैठा और गाड़ी सीधे रोड की तरफ दौड़ा दी और बाइक की तलाश में जुट गया।
एक बहुत ही वीरान सा खंडर था ये शहर से बाहर की तरफ। मुख्य सड़क से हटकर एक कच्छी मिट्टी की सड़क बस यहां आने के लिए एक मात्र रास्ता थी। बरसात की वजह से सड़क पर जगह जगह पानी भरा हुआ था और कीचड़ बहुत ज्यादा हो गई थी।
इसी सड़क पर एक स्कॉर्पियो मुड़ी और धीरे धीरे खंडर की तरफ बढ़ने लगी। स्कॉर्पियो के पीछे तीन गाडियां और थी जो गुण्डो से पूरी तरह से भरी हुई थी। शेरा ने गाड़ी को खंडर के ठीक सामने रोक दिया और उसके साथ ही सारे गुंडे गाड़ी से बाहर निकल गए।
शेरा ने गाड़ी की डिक्की खोली तो उसमे सौंदर्या बेहोश पड़ी हुई थी। शेरा की आंखों चमक उठी और उसने सौंदर्या के अचेत जिस्म को कंधे पर उठाया और अंदर की तरफ चल पड़ा। एक एक करके सभी गाड़ियों से गुंडे उतर गए थे गाड़ियों को घास और लकड़ियों से ढक दिया गया। अब दूर दूर से गाड़ी नजर नहीं अा रही थी बल्कि घास का एक ढेर नजर आ रहा था।
शेरा सौंदर्या को लिए हुए एक अंदर घुस गया और शेरा को देखते ही सामने बैठे हुए मनोज की आंखे चमक उठी।
मनोज अपनी कुर्सी से उठ गया और एक विजयी मुस्कान के साथ बोला:" शाबाश मेरे शेर, तुम सचमुच शेर हो। मानना पड़ेगा तुम्हारी हिम्मत को क्योंकि आज तुमने जो किया हैं उसके लिए सचमुच शेर का ही दिल चाहिए।
शेरा ने सौंदर्या को एक चारपाई पर पलट दिया और स्माइल करते हुए बोला:" डरता नहीं हूं इसलिए ही तो मेरा नाम शेरा हैं। लीजिए जिसकी आपको तलाश थी आपके सामने पड़ी है।
मनोज ने एक नजर सौंदर्या की तरफ देखा और शेरा के कंधे पर हाथ रखकर उसे शबासी दी और बोला:"
" शेरा मुझे अपने बाद पर सिर्फ तुम पर ही तो सबसे ज्यादा भरोसा है। सच में तुम एक सच्चे वफादार हो।
शेरा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और उसके बाद मनोज ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया तो एक के बाद एक सभी लोग बाहर चले गए। शेरा भी बाहर चला गया जबकि मनोज ने उसे जाने के लिए नहीं बोला था।
मनोज ने सौंदर्या में मुंह में ठूंसा हुआ कपड़ा बाहर निकल लिया और एक बॉटल से थोड़ा सा पानी लेकर सौंदर्या में मुंह पर छिड़क दिया तो सौंदर्या ने एक झटके के साथ अपनी आंख खोल दी और अपने आप को एक बिल्कुल अंजना जगह पर पाया।उसकी नजर अपने सामने बैठे हुए मनोज पर पड़ी तो उसकी समझ में आ गया कि ये सब उसी का किया धरा है।
सौंदर्या:" मनोज ये क्या बदतमीजी हैं ? मुझे इस तरह क्यों उठा कर लाया गया ?
इतना कहकर सौंदर्या उठ खड़ी हुई और गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी। मनोज ने उसकी तरफ एक स्माइल दी और बोला:_
" मेरी प्यारी सौंदर्या तुमने और तुम्हारे भाई ने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी, मेरे गुण्डो पर पहली बार किसी ने हाथ उठाया और उन्हें बुरी तरह से मारा अजय ने सिर्फ तुम्हारी वजह से।
सौंदर्या के चेहरे पर गुस्से के भाव बढ़ गए और बोली:" अच्छा तो तुम गांव में शरीफ होने का नाटक करते हो और ये शहर में फैले हुए सारे अपराध की असली वजह तुम हो।
मनोज:" सही समझी तुम सेक्सी सौंदर्या, मेरे आदमी ही सब कुछ करते हैं और पिंकी की मौत भी मेरी वजह से ही हुई हैं क्योंकि उसने मेरी बहन के खिलाफ जाने की कोशिश करी थी।
सौंदर्या की आंखे लाल सुर्ख हो गई और वो गुस्से से अपने शब्दो को चबाते हुए बोली:"
" बस मनोज, अब तुम्हारे पापो का घड़ा भर गया हैं और मैं सारी दुनिया को तुम्हारी करतूत बताउंगी।
मनोज ने उसकी तरफ देखा और जोर जोर से हंसने लगा मानो वो कोई जोक सुना रही हो।
सौंदर्या:" हंस लो अपनी आखिरी हंसी तुम क्योंकि फिर इसके बाद कोई तुम्हे जेल में रोना पड़ेगा।
मनोज:' मर गए मुझे जेल भेजने वाले, जरा पहले यहां से निकल कर तो दिखाओ तुम।
सौंदर्या तेजी से आगे की तरफ बढ़ी और मनोज ने सामने लगे स्विच को दबा दिया तो कमरे का एक मात्र दरवाजा तेजी से बंद हो गया और सौंदर्या के माथे पर परेशानी और डर को रेखाएं उमड़ अाई।
सौंदर्या:" देखो मनोज तुम मुझे जाने दो नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा तुम्हारा।
मनोज थोड़ा सा आगे आया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" मेरे अंजाम की छोड़, अपनी फिक्र करो। दुनिया की कोई ताकत मेरी मर्जी के बिना ये दरवाजा नहीं खोल सकती। मान लो तुम बाहर चली भी गई तो मेरे आदमी भूखे कुत्तों की तरह तुम्हे नोच डालेंगे। ये देखो।
इतना कहकर उसने टीवी ऑन किया तो बाहर खड़े और बेहद डरावनी सूरत के गुंडे नजर आए जिन्हे देखते ही सौंदर्या का पसीना टपक पड़ा।
मनोज:" मान लो तुम गुण्डो से भी बच गई तो यहां से बाहर कैसे निकल पाओगी ? ये एक घणा जंगल हैं और तुम्हे कोई दूर रास्ता नजर नहीं आएगा। बाहर तुम्हे जंगली जानवर खा जाएंगे।
सौंदर्या समझ गई थी कि वो बेहद बुरी तरह से फंस गई है और उसका बचना मुश्किल है लेकिन उसे अपने भाई पर पूरा भरोसा था कि वो उसे जरूर बचा लेगा।
सौंदर्या सोच में डूब गई।
मनोज" किस सोच में डूब गई मेरी जान ? देखो तुम्हे अब सारी ज़िन्दगी यहीं रहना होगा मेरी रखैल बन कर, कहां तो तुम एक लंड के लिए तरस रही थी यहां अब तुम्हे हर रोज लंड मिलेंगे, एक नहीं काफी सारे। मेरे सारे आदमी तुम्हारी साथ बारी बारी से मस्ती करेंगे।
सौंदर्या मनोज की बात पूरी होते ही बेहोश हो गई और मनोज ने उसके उसे उठा कर बेड पर पटक कर और कमरे को बाहर से बंद करने के बाद बाहर अा गया और अपने गुण्डो से बात करने लगा।
अजय को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी बहन को कहां तलाश करे। दोपहर हो गई थी लेकिन उसे अभी तक कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
अजय ने गाड़ी को सड़क के किनारे रोक दिया और सोच में डूब गया कि आखिर उसकी दीदी का किडनैप क्यों और किसने किया तो उसके आगे सिर्फ एक ही वजह उभरी। वहीं पिंकी वाली और वो समझ गया कि ये दोनो काम जरूर एक ही आदमी के है।
अजय ने अपने दिमाग को उधर इधर दौड़ाया तो उसे एक उम्मीद की किरण नजर आईं। उसे सामने सड़क पर सीसीटीवी कैमर लगा नजर अाया जिसमे वो उस बाइक का नंबर पता कर सकता था जो उसका पीछा कर रही थी।
अजय ने सावधानी से उसकी डिटेल निकाली तो बाइक सवार उसे जाना पहचाना सा लगा मानो अजय उसे बहुत अच्छे से जानता हो। अजय ने बाइक का नंबर नोट किया और बार बार वो उस आदमी की फोटो देखने लगा जो बाइक पर बैठा हुआ था।
अजय ने उस आदमी की पेंट की जेब पर ध्यान दिया तो उसकी जेब से कुछ बाहर की तरफ निकला हुआ था। अजय ने वीडियो को स्टार्ट किया तो थोड़ा आगे जाकर मोड़ पर उसकी जेब से कुछ गिरा और अजय ने बिना देर किए कार को उस दिशा में दौड़ा दिया और जल्दी ही वो उस जगह पहुंच गया और उसे सड़क पर अपना अज्जु भाई का मास्क दिखाई दिया।
अजय को आंखे चमक उठी और उसने वो मास्क उठा लिया और वो समझ गया कि ये सब इस मास्क की वजह से हुआ है क्योंकि गुण्डो को पता चल गया होगा कि मैंने ही उनके लोगो को मारा था इसलिए उन्होंने मेरी बहन को उठा लिया। अजय एक बात तो साफ समझ गया था कि उसकी दीदी बहुत बड़े खतरे में पड़ गई है।
अजय ने बहुत ध्यान से फिर से वीडियो को देखा और उस आदमी के बारे में सोचने लगा कि ये कौन हो सकता हैं। अजय अपनी सोच में डूबा हुआ था कि उसका फोन बज उठा ।
उसकी मम्मी का फोन था। अजय अपनी मम्मी को अभी कुछ भी बताकर उन्हें परेशान नहीं करना चाहता था।
कमला: अरे बेटा, अजय शाम को थोड़ा जल्दी अा जाना, रामू आज काम पर नहीं आया है इसलिए घास तुम्हे ही लाना होगा। आज फिर से शहर गया है वो किसी काम से।
अजय:" ठीक है मम्मी। आप फिक्र मत कीजिए। मैं जल्दी अा जाऊंगा।
इतना कहकर उसने फोन काट दिया। अचानक अजय के दिमाग में एक विस्फोट सा हुआ और उसने फिर से वीडियो देखी तो उसकी आंख हैरत से खुलती चली गई और उसे सारी कहानी समझ में आ गई।
शाम हो गई थी और अजय ने गांव से थोड़ी दूर ही अपनी कार को एक पेड़ की साइड में छुपा है और खुद एक पेड़ के पीछे छुपकर किसी का इंतजार करने लगा। थोड़ी ही देर हुई थी कि एक बाइक उसे सामने से आती हुई नजर आईं और जैसे ही बाइक उसके पास आई उसने जंप लगा दी और बाइक सवार सड़क पर गिर पड़ा और अजय ने उसे बिना कोई मौका दिए हुए उस पर हमला कर दिया।
रामू तड़प उठा। हान ये रामू ही तो था। उसके घर का नौकर। अजय ने उसे पकड़ लिया और उसकी गर्दन की एक नस दबाई तो तो वो बेहोश होता चला गया।
Awesome updateअजय ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। धीरे धीरे अपनी रफ्तार से चलती हुई गाड़ी गांव से बाहर निकल गई और सड़क पर आते ही एक तेज रफ्तार के साथ दौड़ पड़ी। गाड़ी में पूरी शांति थी, ऐसा लग रहा था मानो अजय और सौंदर्या दोनो गूंगे हो। दोनों एक दूसरे से बात करना चाह रहे थे लेकिन हिम्मत नही हो रही थी। आखिकार हिम्मत करके अजय ने चुप्पी तोड़ी और बोला:"
" दीदी आप किस टाइम तक फ्री हो जाएगी शाम को ?
सौंदर्या ने एक नजर अपने भाई पर डाली और भावहीन चेहरे के साथ बोली:"
" करीब 5 बज जाएंगे। आप उससे पहले ही अा जाना भाई।
अजय;" आप फिक्र मत कीजिए। मैं आपको बाहर ही मिल जाऊंगा जब आप आओगी।
सौंदर्या ने राहत की सांस ली और कार में एक बार फिर से खामोशी ने अपना डेरा डाल दिया। सौंदर्या ने अजय की तरफ देखा जो भावहीन चेहरे के साथ गाड़ी चला रहा था तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे अपने भाई को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था। आखिर गलती उसकी भी तो हैं। थप्पड़ के बजाय उसे अपने भाई को प्यार से समझाना चाहिए था।
सौंदर्या का कॉलेज अा गया और उसने एक प्यार भरी नजर के साथ अपने भाई को देखा और अंदर चली गई। अजय उसे अंदर जाते हुए देखता रहा और थोड़ी देर बाद ही सौंदर्या आगे मुड़कर आंखो से ओझल हो गई।
अजय ने गाड़ी को शहर की तरफ घुमा दिया और उस जगह पहुंच गया जहां उसने शेरा और उसके गुण्डो को मारा था। उसने आस पास नजर दौड़ाई लेकिन उसे कुछ खास नजर नहीं आया।
पिंकी की लाश यहां से थोड़ी ही दूर मिली थी इसलिए अजय ने सोचा कि घटना स्थल पर एक बार जरूर जाया जाए। अजय ने अपनी कार आगे बढ़ाई और थोड़ी देर बाद वो उस जगह अा गया जहां से पिंकी की लाश मिली थी। चारो और लोगो की भीड़ सड़क से अा जा रही थी और अजय ने काफी देर तक इधर उधर देखा लेकिन उसे कुछ खास नहीं मिला तो उसने अपनी गाड़ी को वापिस लिया और घूमने ही वाला था कि उसे एक बाइक पर बैठे हुए व्यक्ति पर शक हुआ लेकिन अजय ने तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा दिया मानो उसने देखा ही नहीं और गाड़ी को हल्की रफ्तार से आगे बढ़ा दिया। शीशे से उसने धीरे से देखा तो उसके दिमाग़ में हलचल मच गई क्योंकि बाइक भी उसकी तरफ अा रही थी। अजय ने जान बूझकर गाड़ी को सड़क पर बाई तरफ घुमा दिया तो थोड़ी दूर जाने पर बाइक भी उसी दिशा में घूम गई। अब अजय के दिमाग में शक की कोई बात ही नहीं रह गई थी और वो समझ गया था कि बाइक उसका पीछा कर रही है। लेकिन क्यों कर रही हैं और ये बाइक पर कौन आदमी हैं और उसके पीछे यहीं से क्यों लगा जहां पिंकी की हत्या हुई हैं।
कोई तो है जो मुझे ये नहीं जानने देना चाहता हूं कि पिंकी की मौत क्यों और किसने की जबकि मैं तो कोई पुलिस ऑफिसर भी नहीं हु। अजय ने अपने दिमाग पर जोर दिया तो उसे एक बात समझ अा गई कि उसकी दीदी पिंकी को बचाने के लिए ही तो गुण्डो से भिड़ गई थी तो कहीं अब पिंकी के बाद दीदी ही तो उनके निशाने पर नहीं है।
अजय के दिमाग में खतरे की घंटी बज उठी और उसने तुरंत गाड़ी को सौंदर्या के कॉलेज की तरफ दौड़ा दिया। गाड़ी हवा से बातें कर रही थी और थोड़ी देर बाद ही वो कॉलेज के सामने था।
कॉलेज के बाहर पहले से पुलिस की गाडियां देखकर उसके दिमाग को झटका सा लगा और वो तेजी से नीचे उतरा तो देखा कि कॉलेज के प्राचार्य बुरी तरह से डरे हुए थे और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही थी।
ऑफिसर:" आपके स्कूल से दिन में ही एक महिला टीचर का किडनैप हो गया कैसे ? आपके पास तो अपने गार्ड है।
प्राचार्य: मेरे गार्ड बेहोश और जख्मी हालात में मिले हैं। ये तो आपको सोचना चाहिए कि शहर में पुलिस के होते हुए गुण्डो की हिम्मत इतनी कैसे बढ़ गई ?
अजय का दिल किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा और वो तेजी से आगे आया और एक महिला अध्यापक से पूछा :"
" क्या हुआ हैं यहां ? किसका किडनैप हो गया है ?
मैडम के चेहरे पर खौफ के मारे हवाइयां उड़ी हुई थी और वो डरते हुए बोली:"
" हमारे कॉलेज की एक टीचर सौंदर्या का।
अजय अपनी बहन का नाम सुनते ही परेशान हो गया क्योंकि वो जानता था कि उसकी बहन बहुत बड़े खतरे ने पड़ चुकी है। अजय ने तुरंत पीछे नजर दौड़ाई क्योंकि वो जानता था कि जो बाइक वाला उसका पीछा कर रहा हैं जरूर उसके है गैंग ने उसकी बहन का किडनैप किया है। लेकिन अजय को बाइक वाला दूर दूर तक कहीं नहीं दिखाई दिया।
अजय परेशान हो उठा और तेजी से गाड़ी से बाहर निकला और इधर उधर बाइक वाले को देखने लगा लेकिन उसे वो कहीं नजर नहीं आया। अजय को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ?
अजय तेजी से आते हुए अपनी गाड़ी में बैठा और गाड़ी सीधे रोड की तरफ दौड़ा दी और बाइक की तलाश में जुट गया।
एक बहुत ही वीरान सा खंडर था ये शहर से बाहर की तरफ। मुख्य सड़क से हटकर एक कच्छी मिट्टी की सड़क बस यहां आने के लिए एक मात्र रास्ता थी। बरसात की वजह से सड़क पर जगह जगह पानी भरा हुआ था और कीचड़ बहुत ज्यादा हो गई थी।
इसी सड़क पर एक स्कॉर्पियो मुड़ी और धीरे धीरे खंडर की तरफ बढ़ने लगी। स्कॉर्पियो के पीछे तीन गाडियां और थी जो गुण्डो से पूरी तरह से भरी हुई थी। शेरा ने गाड़ी को खंडर के ठीक सामने रोक दिया और उसके साथ ही सारे गुंडे गाड़ी से बाहर निकल गए।
शेरा ने गाड़ी की डिक्की खोली तो उसमे सौंदर्या बेहोश पड़ी हुई थी। शेरा की आंखों चमक उठी और उसने सौंदर्या के अचेत जिस्म को कंधे पर उठाया और अंदर की तरफ चल पड़ा। एक एक करके सभी गाड़ियों से गुंडे उतर गए थे गाड़ियों को घास और लकड़ियों से ढक दिया गया। अब दूर दूर से गाड़ी नजर नहीं अा रही थी बल्कि घास का एक ढेर नजर आ रहा था।
शेरा सौंदर्या को लिए हुए एक अंदर घुस गया और शेरा को देखते ही सामने बैठे हुए मनोज की आंखे चमक उठी।
मनोज अपनी कुर्सी से उठ गया और एक विजयी मुस्कान के साथ बोला:" शाबाश मेरे शेर, तुम सचमुच शेर हो। मानना पड़ेगा तुम्हारी हिम्मत को क्योंकि आज तुमने जो किया हैं उसके लिए सचमुच शेर का ही दिल चाहिए।
शेरा ने सौंदर्या को एक चारपाई पर पलट दिया और स्माइल करते हुए बोला:" डरता नहीं हूं इसलिए ही तो मेरा नाम शेरा हैं। लीजिए जिसकी आपको तलाश थी आपके सामने पड़ी है।
मनोज ने एक नजर सौंदर्या की तरफ देखा और शेरा के कंधे पर हाथ रखकर उसे शबासी दी और बोला:"
" शेरा मुझे अपने बाद पर सिर्फ तुम पर ही तो सबसे ज्यादा भरोसा है। सच में तुम एक सच्चे वफादार हो।
शेरा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और उसके बाद मनोज ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया तो एक के बाद एक सभी लोग बाहर चले गए। शेरा भी बाहर चला गया जबकि मनोज ने उसे जाने के लिए नहीं बोला था।
मनोज ने सौंदर्या में मुंह में ठूंसा हुआ कपड़ा बाहर निकल लिया और एक बॉटल से थोड़ा सा पानी लेकर सौंदर्या में मुंह पर छिड़क दिया तो सौंदर्या ने एक झटके के साथ अपनी आंख खोल दी और अपने आप को एक बिल्कुल अंजना जगह पर पाया।उसकी नजर अपने सामने बैठे हुए मनोज पर पड़ी तो उसकी समझ में आ गया कि ये सब उसी का किया धरा है।
सौंदर्या:" मनोज ये क्या बदतमीजी हैं ? मुझे इस तरह क्यों उठा कर लाया गया ?
इतना कहकर सौंदर्या उठ खड़ी हुई और गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी। मनोज ने उसकी तरफ एक स्माइल दी और बोला:_
" मेरी प्यारी सौंदर्या तुमने और तुम्हारे भाई ने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी, मेरे गुण्डो पर पहली बार किसी ने हाथ उठाया और उन्हें बुरी तरह से मारा अजय ने सिर्फ तुम्हारी वजह से।
सौंदर्या के चेहरे पर गुस्से के भाव बढ़ गए और बोली:" अच्छा तो तुम गांव में शरीफ होने का नाटक करते हो और ये शहर में फैले हुए सारे अपराध की असली वजह तुम हो।
मनोज:" सही समझी तुम सेक्सी सौंदर्या, मेरे आदमी ही सब कुछ करते हैं और पिंकी की मौत भी मेरी वजह से ही हुई हैं क्योंकि उसने मेरी बहन के खिलाफ जाने की कोशिश करी थी।
सौंदर्या की आंखे लाल सुर्ख हो गई और वो गुस्से से अपने शब्दो को चबाते हुए बोली:"
" बस मनोज, अब तुम्हारे पापो का घड़ा भर गया हैं और मैं सारी दुनिया को तुम्हारी करतूत बताउंगी।
मनोज ने उसकी तरफ देखा और जोर जोर से हंसने लगा मानो वो कोई जोक सुना रही हो।
सौंदर्या:" हंस लो अपनी आखिरी हंसी तुम क्योंकि फिर इसके बाद कोई तुम्हे जेल में रोना पड़ेगा।
मनोज:' मर गए मुझे जेल भेजने वाले, जरा पहले यहां से निकल कर तो दिखाओ तुम।
सौंदर्या तेजी से आगे की तरफ बढ़ी और मनोज ने सामने लगे स्विच को दबा दिया तो कमरे का एक मात्र दरवाजा तेजी से बंद हो गया और सौंदर्या के माथे पर परेशानी और डर को रेखाएं उमड़ अाई।
सौंदर्या:" देखो मनोज तुम मुझे जाने दो नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा तुम्हारा।
मनोज थोड़ा सा आगे आया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" मेरे अंजाम की छोड़, अपनी फिक्र करो। दुनिया की कोई ताकत मेरी मर्जी के बिना ये दरवाजा नहीं खोल सकती। मान लो तुम बाहर चली भी गई तो मेरे आदमी भूखे कुत्तों की तरह तुम्हे नोच डालेंगे। ये देखो।
इतना कहकर उसने टीवी ऑन किया तो बाहर खड़े और बेहद डरावनी सूरत के गुंडे नजर आए जिन्हे देखते ही सौंदर्या का पसीना टपक पड़ा।
मनोज:" मान लो तुम गुण्डो से भी बच गई तो यहां से बाहर कैसे निकल पाओगी ? ये एक घणा जंगल हैं और तुम्हे कोई दूर रास्ता नजर नहीं आएगा। बाहर तुम्हे जंगली जानवर खा जाएंगे।
सौंदर्या समझ गई थी कि वो बेहद बुरी तरह से फंस गई है और उसका बचना मुश्किल है लेकिन उसे अपने भाई पर पूरा भरोसा था कि वो उसे जरूर बचा लेगा।
सौंदर्या सोच में डूब गई।
मनोज" किस सोच में डूब गई मेरी जान ? देखो तुम्हे अब सारी ज़िन्दगी यहीं रहना होगा मेरी रखैल बन कर, कहां तो तुम एक लंड के लिए तरस रही थी यहां अब तुम्हे हर रोज लंड मिलेंगे, एक नहीं काफी सारे। मेरे सारे आदमी तुम्हारी साथ बारी बारी से मस्ती करेंगे।
सौंदर्या मनोज की बात पूरी होते ही बेहोश हो गई और मनोज ने उसके उसे उठा कर बेड पर पटक कर और कमरे को बाहर से बंद करने के बाद बाहर अा गया और अपने गुण्डो से बात करने लगा।
अजय को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी बहन को कहां तलाश करे। दोपहर हो गई थी लेकिन उसे अभी तक कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
अजय ने गाड़ी को सड़क के किनारे रोक दिया और सोच में डूब गया कि आखिर उसकी दीदी का किडनैप क्यों और किसने किया तो उसके आगे सिर्फ एक ही वजह उभरी। वहीं पिंकी वाली और वो समझ गया कि ये दोनो काम जरूर एक ही आदमी के है।
अजय ने अपने दिमाग को उधर इधर दौड़ाया तो उसे एक उम्मीद की किरण नजर आईं। उसे सामने सड़क पर सीसीटीवी कैमर लगा नजर अाया जिसमे वो उस बाइक का नंबर पता कर सकता था जो उसका पीछा कर रही थी।
अजय ने सावधानी से उसकी डिटेल निकाली तो बाइक सवार उसे जाना पहचाना सा लगा मानो अजय उसे बहुत अच्छे से जानता हो। अजय ने बाइक का नंबर नोट किया और बार बार वो उस आदमी की फोटो देखने लगा जो बाइक पर बैठा हुआ था।
अजय ने उस आदमी की पेंट की जेब पर ध्यान दिया तो उसकी जेब से कुछ बाहर की तरफ निकला हुआ था। अजय ने वीडियो को स्टार्ट किया तो थोड़ा आगे जाकर मोड़ पर उसकी जेब से कुछ गिरा और अजय ने बिना देर किए कार को उस दिशा में दौड़ा दिया और जल्दी ही वो उस जगह पहुंच गया और उसे सड़क पर अपना अज्जु भाई का मास्क दिखाई दिया।
अजय को आंखे चमक उठी और उसने वो मास्क उठा लिया और वो समझ गया कि ये सब इस मास्क की वजह से हुआ है क्योंकि गुण्डो को पता चल गया होगा कि मैंने ही उनके लोगो को मारा था इसलिए उन्होंने मेरी बहन को उठा लिया। अजय एक बात तो साफ समझ गया था कि उसकी दीदी बहुत बड़े खतरे में पड़ गई है।
अजय ने बहुत ध्यान से फिर से वीडियो को देखा और उस आदमी के बारे में सोचने लगा कि ये कौन हो सकता हैं। अजय अपनी सोच में डूबा हुआ था कि उसका फोन बज उठा ।
उसकी मम्मी का फोन था। अजय अपनी मम्मी को अभी कुछ भी बताकर उन्हें परेशान नहीं करना चाहता था।
कमला: अरे बेटा, अजय शाम को थोड़ा जल्दी अा जाना, रामू आज काम पर नहीं आया है इसलिए घास तुम्हे ही लाना होगा। आज फिर से शहर गया है वो किसी काम से।
अजय:" ठीक है मम्मी। आप फिक्र मत कीजिए। मैं जल्दी अा जाऊंगा।
इतना कहकर उसने फोन काट दिया। अचानक अजय के दिमाग में एक विस्फोट सा हुआ और उसने फिर से वीडियो देखी तो उसकी आंख हैरत से खुलती चली गई और उसे सारी कहानी समझ में आ गई।
शाम हो गई थी और अजय ने गांव से थोड़ी दूर ही अपनी कार को एक पेड़ की साइड में छुपा है और खुद एक पेड़ के पीछे छुपकर किसी का इंतजार करने लगा। थोड़ी ही देर हुई थी कि एक बाइक उसे सामने से आती हुई नजर आईं और जैसे ही बाइक उसके पास आई उसने जंप लगा दी और बाइक सवार सड़क पर गिर पड़ा और अजय ने उसे बिना कोई मौका दिए हुए उस पर हमला कर दिया।
रामू तड़प उठा। हान ये रामू ही तो था। उसके घर का नौकर। अजय ने उसे पकड़ लिया और उसकी गर्दन की एक नस दबाई तो तो वो बेहोश होता चला गया।