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Incest "मांगलिक बहन " (Completed)

Sirajali

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Uniq star ji apke chahne wale aapka intjaar kar rahe hai
Uniq star ji waise to mai romantik kahaniyan padhta hoon magar apki pichli kahani maa ka deewana beta padhne ke baad mujhe laga ki aap kahani me romance aur sex dono sahi dalte hai aisee kahaniya dil ko choo jati hai @@@@@@@@@@#######@@@@@@#@@@ apke likhne ka koi jawab nahi ap mere favrate lekhak ban gaye hai @@@@@@@@@@ dhannywaad
 

Sirajali

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Apke agle update ke intjaar me apka fan
 

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कोरोना से ठीक होने के बाद अभी तक कमजोरी, ज़िन्दगी की भागदौड़ और घरेलू जरुरते। इन सबसे उलझा होने के बाद भी समय मिलते ही कहानी लिखता हूं। आपका शुक्रिया भाई। साथ बने रहिए, जल्दी ही कहानी का अपडेट आएगा। ज़िन्दगी में प्यार के बिना कुछ भी नहीं है।
 

Sirajali

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कोरोना से ठीक होने के बाद अभी तक कमजोरी, ज़िन्दगी की भागदौड़ और घरेलू जरुरते। इन सबसे उलझा होने के बाद भी समय मिलते ही कहानी लिखता हूं। आपका शुक्रिया भाई। साथ बने रहिए, जल्दी ही कहानी का अपडेट आएगा। ज़िन्दगी में प्यार के बिना कुछ भी नहीं है।
Uniq star ji apni sehat ka khayal rakhye mai uparwale se duwa karta hoon apki sehat thik rahe @@@@@ apke chahne walon ki duwayen apke sath hai @@@@#@@@@@ dhannywaad
 

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शहनाज़ एक बड़े से पत्थर पर बैठ गई और सोच में डूब गई। देखते ही देखते उसकी आंख लग गई।

अजय शहनाज़ के ऊपर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत में जोरदार धक्के लगा था। हर धक्के पर शहनाज़ का पूरा जिस्म हिल रहा था और शहनाज़ अपनी आंखे मजे से बंद किए हुए नीचे से अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थी। तभी अजय ने एक तगड़ा धक्का लगाया तो दर्द के मारे उसके मुंह से आह निकल पड़ी जिससे शहनाज़ की आंखे खुल गई और और उसे सामने अपना बेटा शादाब खड़ा हुआ नजर आया जिसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे और उसने गुस्से से नाराज को देखा और बिना कुछ बोले अपने पैर पटकते हुए चला गया।

शहनाज़ की डर के मारे आंख खुल गई और उसने देखा कि वो सपना देख रही थी तो उसने सुकून की सांस ली। शहनाज़ का पूरा जिस्म पसीने से भीग गया था और उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी। शहनाज़ को अजय के साथ कुछ किस याद अा गया और उसकी आंखो से आंसू बह पड़े। नहीं नहीं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं किसी भी कीमत पर अपने बेटे को धोखा नहीं दे सकती। मुझे अपने उपर काबू रखना ही होगा। ये ही सब शहनाज़ एक बड़े से पत्थर पर बैठ गई और सोच में डूब गई। देखते ही देखते उसकी आंख लग गई।

अजय शहनाज़ के ऊपर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत में जोरदार धक्के लगा था। हर धक्के पर शहनाज़ का पूरा जिस्म हिल रहा था और शहनाज़ अपनी आंखे मजे से बंद किए हुए नीचे से अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थी। तभी अजय ने एक तगड़ा धक्का लगाया तो दर्द के मारे उसके मुंह से आह निकल पड़ी जिससे शहनाज़ की आंखे खुल गई और और उसे सामने अपना बेटा शादाब खड़ा हुआ नजर आया जिसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे और उसने गुस्से से नाराज को देखा और बिना कुछ बोले अपने पैर पटकते हुए चला गया।

शहनाज़ की डर के मारे आंख खुल गई और उसने देखा कि वो सपना देख रही थी तो उसने सुकून की सांस ली। शहनाज़ का पूरा जिस्म पसीने से भीग गया था और उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी। शहनाज़ को अजय के साथ कुछ किस याद अा गया और उसकी आंखो से आंसू बह पड़े। नहीं नहीं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं किसी भी कीमत पर अपने बेटे को धोखा नहीं दे सकती। मुझे अपने उपर काबू रखना ही होगा। ये ही सब सोचते हुए शहनाज़ वहीं बैठी रही और अपने बेटे को याद करती रही।


वहीं दूसरी तरफ अजय और सौंदर्या दोनों ने मूर्ति के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। सौंदर्या पहले ही अंदर सेक्स करती हुई मूर्तियां देखकर काफी गर्म हो गई थी और काफी देर से लगातार पूरी तरह से साफ दिखने वाली मूर्ति को चुदाई की मुद्रा में देखकर सौंदर्या का बदन और गर्म होता जा रहा था। दोनो भाई बहन एक साथ चल रहे थे और दोनो में से ही कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। शहनाज़ के साथ हुए रोमांस की वजह से अजय का लन्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जिससे उसका पायजामा आगे से उठा हुआ था और सौंदर्या बीच बीच में उसे ही देख रही थी। देखते ही देखते उनका चक्कर पूरा हो गया और शहनाज़ उन्हें दूर दूर तक नहीं दिखाई दी और वो दोनो फिर से दूसरे चक्कर के लिए आगे बढ़ गए। हर चक्कर पर सौंदर्या को अपने बदन में पहले के मुकाबले और ज्यादा गर्मी महसूस हो रही थी क्योंकि उसे अब पूजा का फल मिल रहा था और उसका जिस्म पूरी तरह से तपता जा रहा था। सौंदर्या पर काम देव की कृपा हो रही थी और उसका सौंदर्य हर पल पहले से ज्यादा आकर्षक लग रहा था। उसकी चाल अपने आप ही बदल गई और उसकी गांड़ तराजू के पल्डे की तरह ऊपर नीचे होने लगी। उफ्फ अजय ये देखकर बेचैन सा हो गया और उसका लन्ड अब लग रहा था कि पायजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा। सौंदर्या और अजय अब छठे चक्कर की और बढ़ गए थे और ठीक मूर्ति के पीछे थे और तभी उसके आगे चलती हुई सौंदर्या लड़खड़ा गई और अजय ने तेजी से उसे अपनी बांहों में थाम लिया तो सौंदर्या उससे लिपट गई और बोली:"

" ओह भाई, अच्छा हुआ तुमने पकड़ ही लिया नहीं तो मैं तो गिर ही जाती।

अजय के हाथ उसके चिकने सपाट पेट पर बंधे हुए थे और उसका लन्ड उसकी टांगो के बीच घुस गया था जिससे सौंदर्या बेचैन हो गई थी। अजय ने अपने सिर को अपनी बहन के कंधे पर टिका दिया और बोला:"

" ओह मेरी प्यारी दीदी, मेरे होते हुए तुम्हे कुछ नहीं हो सकता।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर कसमसा उठी और बोली:" मुझे तुम पर पूरा यकीन है भाई। तुम ही मेरी ज़िन्दगी से सारे कष्ट निकाल दोगो। चलो अब जल्दी से आखिरी चक्कर भी पूरा कर लेते है।

अजय:" हान हान क्यों नहीं मेरी प्यारी बहन। आप थक गई होंगी इसलिए ये चक्कर आप मेरी गोद में लगा लिजिए।

इतना कहकर उसने सौंदर्या को अपनी बांहों में उठा लिया और आगे चल पड़ा। सौंदर्या ने भी अपनी बांहे उसके गले में डाल दी और अपने सिर को उसके सीने पर टिका दिया। आखिरी चक्कर भी पूरा हो गया और सौंदर्या ने खुशी में अपने भाई के गाल को चूमना चाहा और अजय उसे उतारने के लिए नीचे की तरफ झुका तो सौंदर्या के होंठ उसके होंठो से जा टकराए और सौंदर्या ने उसके होंठो को चूम लिया। अजय ने उसकी तरफ देखा और सौंदर्या शर्मा गई। अजय ने उसे प्यार से देखा और शहनाज़ को उधर इधर देखने लगा लेकिन शहनाज़ कहीं नजर नहीं आई। दोनो भाई बहन के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई कि इतनी रात गए शहनाज़ कहां चली गई।

काफी बार पूरे मैदान में देखा लेकिन शहनाज़ कहीं नजर नहीं आई। रात के 12 बजने वाले थे और अजय किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा। उसका थोड़ी देर पहले पत्थर की तरह सख्त लंड सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था।

अजय:" दीदी आप एक काम करो, बाहर जाकर गाड़ी में देखो और इधर ही कहीं देखता हूं। अगर शहनाज वहां नहीं मिली तो आप आराम से गाड़ी में ही बैठ जाना और बाहर मत निकलना। फोन पर मुझे बताना सब कुछ ।

इतना कहकर उसने सौंदर्या का हाथ पकड़ा और मंदिर में अंदर की तरफ घुस गया और सौंदर्या तेजी से गाड़ी की तरफ बढ़ गई। अजय मैदान में हर तरफ देख रहा था, पागलों की तरह धुंध रहा था लेकिन शहनाज़ उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी। तभी उसका फोन बज उठा और देखा कि सौंदर्या थी तो उसने उठाया और बोला:"

" क्या हुआ दीदी? शहनाज़ दीदी मिल गई क्या ?

सौंदर्या घबराई हुई सी बोली:" नहीं भाई, तुम जल्दी से कुछ करो और उन्हें धुंध लो। नहीं तो हम किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे।

अजय ने फोन काट दिया और तभी उसकी नज़र मैदान के कोने में खड़े हुए एक पेड़ पर पड़ी जिस पर एक रस्सी लटकी हुई थी। अजय जल्दी से पेड़ पर चढ़ा और रस्सी के सहारे बाहर उतर गया। अजय हैरान हो गया क्योंकि बाहर काफी घना जंगल था।

अजय समझ गया कि शहनाज़ फिर से किसी मुसीबत में फंस गई है और उसे हर हाल में बचाना ही होगा। अजय जंगल में तेजी से आगे बढ़ रहा था और चारो और खड़े हुए बड़े बड़े पेड़ जिनके हवा के चलने से हिलते हुए पत्ते खौफ पैदा कर रहे थे लेकिन अजय खुद खौफ का दूसरा नाम था।

जल्दी ही उसे कुछ पुरानी सी बस्तियां नजर आने लगी और अजय अब सावधानी पूर्वक आगे बढ़ रहा था। दूर दूर तक आदमी तो क्या जानवर का भी नामो निशान नहीं, सिर्फ मिट्टी और लकड़ी के बने हुए घर। बस्ती में पूरी तरह से सन्नाटा।

अजय थोड़ा और आगे बढ़ा तो उसे सामने की तरफ कुछ रोशनी दिखाई दी और वो तेजी से उसी दिशा में बढ़ने लगा। दूर से ही उसे एक बहुत बड़ी सी मूर्ति नजर आने लगी जो मशाल की रोशनी में लाल नजर अा रही थी। अजय थोड़ा और पास गया और एक पेड़ पर चढ़ गया। अजय को अब सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। एक बड़ा सा चबूतरा था जिसके चारों और काफी सारी भीड़ जमा हुई थी। औरतें, मर्द बूढ़े बच्चे सभी। बीच में एक कुर्सी लगी हुई थी और उस पर शायद उनका सरदार बैठा हुआ था। लंबा चौड़ा, बिल्कुल राक्षस जैसा और पूरे शरीर पर भालू की तरह लंबे लंबे बाल।

कुर्सी के ठीक सामने शहनाज पड़ी हुई थी जिसके दोनो हाथ बंधे हुए थे। शहनाज़ को अच्छे से सजाया गया था और उसके गले में एक फूलो की माला पड़ी हुई थी। शहनाज़ की आंखे लगभग पथरा सी गई थी और उसके चहरे पर खौफ के बादल साफ नजर आ रहे थे।

12 बजने में अभी कुछ ही मिनट बाकी थे और सरदार अपनी सीट से खड़ा हुआ तो सभी लोग उसे सलाम करने लगे और उसकी जय जय कार करने लगे।

सरदार:" बस साथियों बस, आज हम सबका इंतजार खत्म हो जाएगा और आज इस मांगलिक लड़की की बलि देती ही मेरी तपस्या पूरी हो जाएगी और मैं दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान बन जाऊंगा और फिर सारी दुनिया पर मेरा राज होगा।

इतना कहकर जमुरा ने चबूतरे में अपना पैर जोर से मारा तो चबूतरा एक तरफ से टूट गया और उसकी ताकत देखकर भीड़ उसकी जय जय कार करने लगी।

भीड़:" सरदार जमुरा की जय हो। सरदार जमुरा जिंदाबाद।

जमुरत:" 12 बजने में सिर्फ कुछ ही मिनट बाकी हैं और अभी तक मेरे गुरुजी क्यों नहीं आए हैं ?

एक मंत्री जंगली:" महाराज आते हो होंगे। वो तो खुद आपको बड़े बनते देखना चाहते हैं। लेकिन सरदार आप अपने गुस्से को काबू में रखना। कहीं बना हुआ खेल खराब ना हो जाए।

सरदार बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था और अजय समझ गया था कि ये गलती से शहनाज़ को मांगलिक समझ कर उसकी बली देना चाहते है। उसे अब सब कुछ समझ में आ गया था आखिर कार क्यों आचार्य तुलसी दास जी ने सौंदर्या की राशि वाली औरत को पहले विधि करने के लिए कहा था। मतलब शहनाज़ तो मांगलिक है नहीं इसलिए उसकी बलि नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन ये तो मूर्ख जंगली हैं इनसे शहनाज़ को कैसे बचाया जाए। अजय ने एक योजना बनाई और पेड़ से नीचे उतर कर उन पर हमला करने के लिए तैयार हो गया।

तभी भीड़ चिल्ला उठी:" गुरु जी अा गए, गुरु जी अा गए।

अजय ने देखा कि एक बूढ़ा जंगली आदमी उनके बीच अा गया था और सभी ने उसे झुक कर सलाम किया और जमुरा ने आगे बढ़कर उनके पैर छुए और बोला:"

" गुरुजी आखिर कार आज वो दिन अा ही गया जिसका हमे बेताबी से इंतजार था। अब बस इसकी बली देकर मैं बेपनाह ताकत का मालिक बन जाऊंगा और पूरी दुनिया पर मेरा राज होगा बस मेरा राज।

गुरु जी आगे बढ़े और उन्होंने शहनाज़ का हाथ पकड़ लिया और अपनी आंखे बंद करके कुछ मंत्र पढ़ने लगे और उनके चहरे पर निराशा और अविश्वास के भाव उभर आए जिन्हे देख कर जमुरा परेशान हो गया aur बोला :"

" क्या हुआ? आप इतने परेशान क्यों हो गए ?

गुरु जी:" तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी जमुरा, ये लड़की तो मांगलिक हैं ही नहीं, उसकी बली नहीं दी जा सकती।

जमुरा को मानो यकीन नहीं हुआ और वो चिल्ला उठा:"

" नहीं ऐसा कुछ नहीं हो सकता, आप फिर से देखिए गुरु जी? मेरी तपस्या ऐसी मिट्टी में नहीं मिल सकती।

गुरुजी:" तुमसे भूल हुई जमुरा, अब तुम्हे कोई ताकत नहीं मिल सकती।

जमुरा:" बुड्ढे ये सब तुम्हारी चाल है। तुझे ज़िंदा नहीं छोडूंगा

जमुरा गुस्से से पागल हो गया और उसने एक जोरदार घुसा गुरुजी को मार दिया तो जमीन पर गिर पड़े और मर गए। भीड़ अपने गुरु का ऐसा अपमान देखकर भड़क उठी और चारो तरफ से जमुरा को घेर लिया। अजय तेजी से अंदर घुसा और शहनाज़ को उठाया और बाहर को तरफ दौड़ पड़ा। जंगली एक रको मार रहे थे और चारो तरफ चींखं पुकार मची हुई थी और शहनाज़ अजय के गले से चिपकी हुई थी। कुछ जंगली अजय के पीछे भाग पड़े और अजय मौका देखकर एक पेड़ के पीछे छुप गया और एक एक करके उसने चारो जंगलियों को मौत के घाट उतार दिया और फिर से जंगल से बाहर की तरफ दौड़ पड़ा।

चबूतरे पर खूंखार लड़ाई चल रही थी और जमुरा सब पर भारी पड़ रहा था। देखते ही देखते चारो और लाशे ही लाशे बिछ गई और जमुरा अब अजय के पीछे भागा। दूर दूर तक कोई नजर नहीं अा रहा था और लम्बा चौड़ा राक्षस सा जमुरा तूफान की गति से दौड़ रहा था। अजय मंदिर के पास अा गया और दीवार पर चढ़ ही रहा था कि भूत की तरह से जमुरा प्रकट हो गया और देखते ही देखते उसने अपनी लम्बी तलवार निकाल ली और वार करने के लिए हवा में उठाई तभी पीछे से कुछ तीर आए और जमुरा की पीठ में घुसते चले गए। जमुरा दर्द से तड़प उठा और तलवार उसके हाथ से छूट गई। नीचे खड़े दो जंगलियों के हाथ में फिर से धनुष बाण नजर आए जिनका निशाना अजय और शहनाज़ की तरफ था। इससे पहले कि वो तीर छोड़ पाते जमीन पर दर्द से तड़प रहे जमुरा ने दो चाकू निकाल कर उनकी छाती में फेंक मारे और दोनो जंगली दर्द से तड़पते हुए ढेर हो गए और इसी बीच शहनाज़ अजय की पीठ पर बैठ गई थी और अजय दीवार पर चढ़ गया और जैसे ही जमुरा ने उनकी तरफ चाकू फेंके तो अजय फुर्ती से मंदिर के अंदर कूद गया। जमुरा ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। उसकी दर्द भरी चींखें शांत होती चली गई।

शहनाज़ और अजय मंदिर के अंदर दीवार के पास कूद गए थे और अजय जानता था कि अब वो दोनो पूरी तरह से सुरक्षित है। भागने के कारण दोनो की सांसे बुरी तरह से उखड़ी हुई थी। शहनाज़ बुरी तरह से डरी हुई थी और अजय से चिपकी हुई थी। शहनाज़ डर के मारे अभी तक कांप रही थी और अजय उसकी पीठ थपथपाते हुए उसे तसल्ली देते हुए बोला:"

" बस शहनाज़, अब डरने की कोई बात नहीं, मंदिर के अंदर हम पूरी तरह से सुरक्षित हैं। जब तक मैं हूं तुम्हे कुछ नहीं हो सकता।

अजय की बात सुनकर शहनाज़ ने राहत की सांस ली और अपने आपको संभालते हुए बोली:"

" मुझे लगा था कि आज मेरी बली जरूर चढ़ जाएगी। लेकिन तुमने मुझे एक बार फिर से बचा लिया अजय।

अजय ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और बोला:"

" ऐसे कैसे बली चढ़ जाती तुम्हारी, जब तक मैं जिंदा हूं कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता।

शहनाज़ अजय की बात सुनकर उससे कसकर लिपट गई और बोली:"

" लगता है तुमसे मेरा जरूर कोई ना कोई गहरा रिश्ता हैं, मैं जब भी मुसीबत में होती हूं तुम हमेशा पहुंच जाते हो बचाने के लिए।

अजय ने उसकी पीठ फिर से थपथपा दी और बोला:"

" आपको मैं अपने भाई शादाब से लेकर आया हूं और आप भी बिना जाति धर्म की परवाह किए बिना हमारी इतनी मदद कर रही है। आपको बचाना मेरा शर्म हैं शहनाज़। जरूर कुछ तो जरूर हैं हमारे बीच।

दोनो ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे रहे और फिर अजय को सौंदर्या की याद अाई तो वो बाहर की तरफ चल पड़े। अजय ने शहनाज़ के गले में पड़ी हुई फूलो की माला निकाल दी और शहनाज़ अब बिल्कुल पहले कि तरह खुबसुरत लग रही थी।

जल्दी ही दोनो सौंदर्या के सामने गए तो शहनाज़ को देखते ही उसने सुकून की सांस ली।

सौंदर्या:" ओह शहनाज़ दीदी, अच्छा हुआ आप मिल गई, मैं सच में बहुत परेशान थी। वैसे आप कहां चली गई थी ?

शहनाज़ ने सौंदर्या को सारी बात बताई तो सौंदर्या की आंखो से आंसू निकल पड़े और शहनाज़ को अपनी बांहों में कस लिया। शहनाज़ ने उसके आंसू साफ किए और बोली:"

" रोती क्यों है पगली ? देख तेरे सामने बिल्कुल ठीक तो खड़ी हुई हू मैं सौंदर्या।

सौंदर्या हिचकी लेते हुए बोली:" आप मेरे ऊपर आने वाली हर मुसीबत को झेल रही है। अगर आपकी जगह मैं पहले चक्कर लगाती तो मेरी बली जरूर चढ़ जाती क्योंकि मैं तो मांगलिक भी हूं तो बच नहीं सकती।

अजय और शहनाज़ ने उसकी बात पे गौर किया। सौंदर्या बिल्कुल ठीक बोल रही थी और अगर वो होती तो शायद उसका बचना मुश्किल होता।

अजय:" लेकिन एक बात समझ नहीं आई कि वो जंगली मंदिर के अंदर कैसे घुस गए और तुम उनके हाथ लग गई।

शहनाज़:" मैं पत्थर पर बैठी हुई कुछ सोच रही थी कि मेरे कानों में बच्चे के रोने की आवाज पड़ी। मैं उस दिशा में बढ़ गई लेकिन कोई नजर नहीं आया और बच्चा जोर जोर से बचाने के लिए बोल रहा था। आवाज दीवार की तरफ से अा रही थी और मैं देखने के लिए जैसे ही दीवार पर चढ़ी तो एक फंदा मेरे गले में गिरा और मैं उनके हाथ लग गई।

अजय:" ओह, अब मुझे समझ में सब अा गया। चलो अब चलते हैं और हरिद्वार आने का समय अा गया है।

इतना कहकर अजय ने गाड़ी निकाल ली और दोनो उसमे बैठ गई और गाड़ी सड़क पर दौड़ पड़ी। सौंदर्या सीट पर थोड़ी देर बाद ही सो गई और शहनाज़ ने भी अपनी आंखे बंद कर ली। बस अजय ही जाग रहा था और बीच बीच में वो मुड़कर मुड़कर शहनाज़ को देख रहा था।

पूरी रात गाड़ी चलती रही और अगले दिन सुबह 10 वो हरिद्वार पहुंच गए। अजय ने होटल लिया और उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सो गए। अजय एक पंडित जी से मिलने चला गया और पंडित जी ने अजय को गंगा के किनारे एक बहुत ही बड़ा क्षेत्र किराए पर दिलवा दिया।

अजय अाया तो शहनाज़ और सौंदर्या दोनो उठ गई थी और अजय बोला:" जल्दी से तैयार हो जाओ, आज रात से पूजा की बाकी विधियां आरंभ हो जाएगी। इसके लिए मैंने गंगा नदी के किनारे एक सुंदर सा घर और उसके आस पास का काफी क्षेत्र बुक कर किया हैं ताकि बिना किसी दिक्कत के हम लोग आगे की पूजा विधि कर सके।

सौंदर्या और शहनाज़ दोनो तैयार होने लगी और जल्दी ही एक बार फिर से गाड़ी गंगा नदी की तरफ चल पड़ी। थोड़ी ही बाद की वोह उतर गए और सामने ही एक बड़ा खूबसूरत घर बना हुआ था। सौंदर्या और शहनाज़ दोनो उसे देखते ही खुश हो गई। चारो और हरे हरे पेड़ पौधे, चारो तरफ से आती हुई खुली हवा, सामने ही थोड़ी दूरी पर कल कल करती हुई गंगा नदी के जल की आवाज। सामने बने हुए गंगा नदी के खूबसूरत घाट। कुल मिलाकर अदभुत।


शहनाज़:" जगह तो बहुत अच्छी हैं सौंदर्या, मुझे पसंद अाई।

सौंदर्या:" हान जी, बिल्कुल सब कुछ कितना अच्छा लग रहा है। मैं तो शादी के बाद हनीमून मनाने यहीं आऊंगी।

शहनाज़ उसकी बात पर हंस पड़ी और उसे अपने बेटे की याद अा गई। उसने मन ही मन फैसला किया कि वो भी थोड़े दिन अपने बेटे के साथ यहीं घूमने आएगी। शहनाज़ काफी अच्छा महसूस कर रही थी क्योंकि ठंडी हवा अपना जादू बिखेर रही थी। जल्दी ही नहा कर अा गई और उसने एक काले रंग की आधी बाजू की ढीली सी गोल टी शर्ट पहनी हुई थी जिसमें वो बेहद खूबसूरत लग रही थी। शहनाज़ ने अपना मेक अप किट निकाला और अपने होंठो पर लाल सुर्ख लिपिस्टिक लगा ली। कुल मिलाकर वो बेहद आकर्षक या कह कीजिए कि कामुक लग रही थी। शहनाज़ अपनी घड़ी पहन ही रही थी कि तभी बाहर से अजय की आवाज आई:"

" खाना लग गया है, शहनाज़ और सौंदर्या दोनो अा जाओ। नहीं तो पूजा के लिए देर हो जाएगी।

शहनाज़ ने जल्दी से अपनी घड़ी पहन ली बाहर की तरफ अा गई। अजय उसे देखते ही रह गया। सचमुच बेहद शहनाज़ बेहद खूबसूरत लग रही थी। अजय उसे लगातार देख रहा था।

शहनाज़:" ऐसे क्या देख रहे हो ? क्या सब ठीक हो तुम ?

अजय:" देख रहा हूं कि आप कितनी सुंदर हो। सच में मेरी बात मानो तो आपको फिर से शादी कर लेनी चाहिए।

शहनाज़ उसे देखते ही मुस्करा उठी और बोली:"

" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे, कुछ भी बोल देते हो।

अजय:" नहीं शहनाज़ सच कह रहा हूं, ऐसा लग रहा है मानो कल रात कामदेव की कृपया सौंदर्या से ज्यादा तुम पर हो गई है।

इससे पहले की बात आगे बढ़ती सौंदर्या अा गई और टेबल पर बैठ गई और शहनाज़ को देखते ही बोली:"

" सच में आप बेहद खूबसूरत लग रही है, आप हमेशा ऐसे ही हंसती रहे।

शहनाज़ कुर्सी पर बैठ गई और उसे सौंदर्या को स्माइल दी। सभी लोग खाना खाने लगे। सौंदर्या ने थोड़ा ही खाना खाया और बोली;"

" भाई मुझे कॉलेज का कुछ काम होगा। आप लोग खाओ। मैंने खा लिया।

शहनाज़:" अरे सौंदर्या ऐसे नहीं जाते, पहले खाना तो खा लो अच्छे से तुम ।

सौंदर्या:" पेटभर खा लिया मैंने, अभी जरूरी काम हैं कॉलेज का आप लोग खाओ।

इतना कहकर वो चली गई और दोनो खाना खाने लगे। शहनाज़ चावल खा रही थी और अजय मौका देख कर उसकी खूबसूरती का जलवा देख रहा था। शहनाज़ पानी लेने के लिए आगे को झुकी और उसकी चूचियों का उभार सामने बैठे अजय को नजर आया तो उसकी आंखे चमक उठी। शहनाज़ पानी लेकर फिर से पीछे हो गई और पीने लगी। आगे होने की वजह से उसकी टी शर्ट खीच गई थी और उसकी चुचियों का उभार साफ़ नजर आ रहा था और अजय उसे ही बीच बीच में देख रहा था। शहनाज़ ने उसे देखा और बोली:"

" कहां इधर उधर झांक रहे हो तुम? खाना खाओ आराम से।

इतना कहकर उसने मुंह नीचा किया और मंद मंद मुस्काने हुए खाना खाने लगी।

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अजय शहनाज़ की इस अदा पर मर मिटा। शहनाज़ अपना मुंह नीचे किए हुए थी और अजय बिल्कुल तसल्ली से उसकी चूचियां देख रहा था। कितना खूबसूरत लग रहा था शहनाज़ की चूचियों का उभार। शहनाज़ ने मुंह उपर किया तो अजय की नजरो का एहसास हुआ और स्माइल करते हुए बोली'"

" सुधर जाओ तुम, उधर इधर क्या देख रहे हो। आराम से खाना खाओ।

अजय ने प्लेट में ध्यान दिया और खाने लगा। शहनाज़ की खूबसूरती एक बार फ़िर से अजय से दिमाग और दिल पर हावी होती जा रही थी। दोनो ने खाना खाया और उसके बाद अजय ने दोनो को आगे की पूजा विधि के बारे में बताया:"

" अब यहां तीन दिन की पूजा विधि होगी और हो सकता है कि अभी पहले से ज्यादा मुश्किल आए लेकिन हमें सभी बाधाओं को पार करना ही होगा। ध्यान से मेरी सुनना क्योंकि कोई भी विधि ठीक से नहीं हुई तो सारी मेहनत खराब हो जाएगी।

अजय रुका और दोनो उसकी तरफ देखने लगी। अजय ने फिर से बोलना शुरू किया:"

" आज के बाद आप दोनो पूजा के लिए सिर्फ शुद्ध कपड़े धारण करोगी। मेरे द्वारा दिए गए कपड़ों के अलावा आपके जिस्म पर कोई और कपड़ा नहीं होगा। आज से आप दोनो के लिए हर समय मंगल यंत्र पहनना जरूरी हो जाएगा क्योंकि जाते जाते मंगल ग्रह अपना पूरा असर दिखा सकता है और मंगल यंत्र के चलते उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। दूसरी बात मंगल यंत्र आप खुद अपने हाथ से नहीं पहन सकते। शहनाज़ के मंगल यंत्र पहनने के बाद सौंदर्या तुम्हारे शरीर को हाथ भी नहीं लगा पाएगी। इसलिए जरूरी होगा कि पहले शहनाज़ सौंदर्या को मंगल यंत्र पहना दे। मंगल यंत्र को गोलाई में लपेट कर कमर से लेकर नाभि तक बांधना होगा। आप समझ गई ना शहनाज़ ?

शहनाज़ ने हान में सिर हिलाया और अजय उसे मंगल यंत्र दिया और कमरे से बाहर निकल गया।सौंदर्या ने साडी ली और अंदर बाथरूम में घुस गई और उसने अपने कांपते हाथो से अपनी ब्रा पेंटी उतार दी और साडी को अपने जिस्म पर लपेट लिया। सौंदर्या शर्मा गई क्योंकि उसका आधे से ज्यादा जिस्म नंगा चमक रहा था। शहनाज़ ने डिब्बे से मंगल यंत्र बाहर निकाल लिया था। ये एक सोने की बनी हुई चेन के जैसा था जिसने पीछे कमर से लेकर नाभि पर बांधने के लिए काला धागा लगा हुआ था और नीचे दो सोने की पाइप जैसी लाइन निकली हुई थी। बांधने पर नाभि के ठीक नीचे जांघो के बीच घुंघरू उपर से नीचे तक एक सोने की तार पर छोटे अंगूर के आकार के घुंघरू लगे हुए थे। शहनाज़ ये सब देखकर हैरान थी क्योंकि वो नहीं जानती थी बांधने पर क्या होगा।

सौंदर्या सिर्फ साडी में देखते ही शहनाज़ मुस्कुरा उठी और बोली'"

" काफी हॉट लग रही हो ऐसे सौंदर्या। आओ मैं तुम्हे मंगल यंत्र बांध देती हूं।

सौंदर्या कांपती हुई धीरे धीरे आगे बढ़ी और शहनाज़ ने उसकी साडी के अंदर हाथ डालकर उसके पेट को छुआ तो सौंदर्या मचल सी गई। शहनाज़ खुद काफी गर्म हो गई थी और हिम्मत करके शहनाज़ ने मंगल यंत्र को उसकी कमर पर टिकाया और घुमाते हुए उसकी नाभि पर ले अाई। सौंदर्या शहनाज़ के हाथो की छुवण से मचल रही थी। शहनाज़ ने मंगल यंत्र को उसकी दोनो जांघो के बीच से निकाला और उपर पेट पर बांध दिया तो सौंदर्या और शहनाज़ दोनो के मुंह से आह निकल पड़ी। दो सोने के धागों में बीच उसकी चूत फंस सी गई थी। यंत्र पर लगे घुंघरू उसकी चूत के होंठो को छू रहे थे।

सौंदर्या ने एक बार शहनाज़ की तरफ देखा तो शहनाज़ बोली:"

" ज्यादा टाईट तो नहीं बंधा हैं ना सौंदर्या ये मंगल यंत्र।

सौंदर्या ने इंकार में गर्दन हिला दी तो शहनाज़ बोली:"

" जल्दी से अपने सभी काम निपटा लो। फिर पूजा के लिए बाहर गंगा किनारे जाना होगा।

इतना कहकर वो बाहर निकल गई और दूसरे कमरे में अा गई जहां अजय उसका ही इंतजार कर रहा था। शहनाज़ उसे देखते ही कांप उठी क्योंकि आगे जो होने वाला था उस सोचकर ही उसके रोंगटे खड़े हो गए।

अजय:" मंगल यंत्र ठीक से बांध दिया ना आपने ? कोई दिक्कत तो नहीं अाई ?

शहनाज़:" हान कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब एक समस्या हो गई। मुझे तो साडी ही बांधनी नहीं आती तो अब क्या होगा ?

अजय:" तुम चिंता मत करो, मैं बांध दूंगा और तुम सीख भी लेना ताकि आगे दिक्कत ना आए।

अजय की बात सुनकर शहनाज़ बेचैन हो गई क्योंकि उसे पहले अपने ब्रा और पैंटी निकालने थे। मतलब अजय उसके बिल्कुल नंगे जिस्म को छूते हुए साडी बांधने वाला है। ये सोचकर ही शहनाज़ के जिस्म में सनसनी सी दौड़ गई। उसने साडी उठाई और अंदर की तरफ जाने लगी। शहनाज़ ने कांपते हुए हाथो से अपनी ब्रा को उतार दिया तो उसकी मस्त मस्त गोल चूचियां बाहर को छलक पड़ी। शहनाज़ ने दोनो पर प्यार से अपना हाथ फिराया मानो उन्हें समझा रही हो कि ज्यादा उछलना अच्छी बात नहीं होती।

शहनाज़ ने फिर अपने हाथो को नीचे सरका दिया और अपनी पेंटी भी उतार दी। पेंटी चूत वाले हिस्से पर से हल्की सी भीग गई थी। शहनाज़ ने अपनी चूत को अपनी जांघो के बीच में कस लिया और सिसक उठी। उसने पास पड़ी हुई साडी को उठाया और लपेटने लगी लेकिन काफी कोशिश के बाद भी पहन नहीं पाई। अब क्या होगा, उफ्फ अजय मेरी साडी बांधने वाला है, ये सोचकर वो बेचैन हो गई। थक हार कर उसने अजय को आवाज लगाई

"' अजय मुझसे साडी नहीं बंध पा रही, क्या करू ?

अजय उसकी बात सुनकर मन ही मन खुश हो गया क्योंकि वो तो कबसे से उसके बदन को छूने के लिए मरा जा रहा था। अजय प्यार से बोला:"

" लपेटकर बाहर अा जाओ जैसे ही लपेट सकती हो।

शहनाज़ ने साडी के दोनो पल्लू लिए और दुपट्टे की तरह अपने अपनी छाती और गांड़ पर लपेट लिया और कांपते हुए बाहर की तरफ चल पड़ी। शहनाज़ की आंखे लाल सुर्ख हो गई और और जिस्म पूरी तरह से तप रहा था मानो बुखार हो गया हो।

शहनाज़ ने कांपते हाथो से गेट खोला और उत्तेंजना से लगभग लड़खड़ाती हुई बाहर अा गई जिससे उसके एक कंधे पर से साडी सरक गई और शहनाज़ की आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही थी। शहनाज़ के होंठ कांप रहे थे और शर्म के मारे उसकी निगाह झुक गई।


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अजय शहनाज़ की गोल गोल चूचियां, उसकी गहरी नाभि, उसके कांपते रसीले होंठों को देखकर मदहोश हो गया और उसकी तरफ बढ़ गया। अजय शहनाज़ के पास जाकर खड़ा हो गया और उसका एक चक्कर लगाया। शहनाज़ की चिकनी नंगी कमर देखते ही अजय तड़प उठा। शहनाज़ को आज अजय पूरी तरह से मदहोश करना चाहता था कि ताकि वो खुद ही उसकी तरफ खींची चली आए। उसने शहनाज़ के पीछे खड़े होकर ही अपनी टी शर्ट और बनियान उतार दिया और उपर से पूरी तरह से नंगा हो गया। अजय जान बूझकर शहनाज़ के सामने अा गया और बोला:"

:" बहुत सुंदर लग रही हो शहनाज़, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सुंदर। अगर इतनी शर्माओगी तो आगे पूजा किस तरह करोगी। एक बार मेरी तरफ देखो पहले तुम।

शहनाज़ ने हिम्मत करके अपना चेहरा उठाया और उसकी नजर अजय की मजबूत चौड़ी छाती पर पड़ी तो शहनाज़ मचल उठी।

" पहले साड़ी पहना दू या मंगल यंत्र? बाद में मंगल यंत्र पहनाया तो साडी खराब हो सकती हैं।


मंगल यंत्र का नाम सुनते ही शहनाज़ की चूत में चिंगारी सी दौड़ गई। हाय मेरी खुदा, उफ्फ क्या होगा अब।

शहनाज़ ने कुछ जवाब नहीं दिया और अजय ने बिना देरी किए मंगल यंत्र को उठा लिया और उसे बाहर निकालने लगा। शहनाज़ को ऐसा लग रहा था कि अजय मंगल यंत्र नहीं बल्कि अपना लंड निकाल रहा हो। जैसे ही उसने डिब्बे से यंत्र बाहर निकाला तो शहनाज़ ने पूरी जोर से अपनी जांघों को कस लिया।

अजय थोड़ा आगे बढ़ा और शहनाज़ के पीछे जाकर खड़ा हो गया और धीरे से उसके कान में बोला:"

" मंगल यंत्र बंधवाने के लिए तैयार हो ना शहनाज़ ?

शहनाज़ ने हान में अपनी गर्दन हिला दी और अजय ने अपने हाथ आगे करते हुए उसकी कमर को थाम लिया तो शहनाज़ सिसक उठी। अजय ने प्यार से उसकी कमर पर हाथ फिराया और बोला:"

" ओह माय गॉड, तुम्हारी कमर कितनी चिकनी और मुलायम हैं, ना ज्यादा मोटी ना पतली, एक दम मस्त।

शहनाज़ अपनी तारीफ सुनकर पूरी तरह से बहक गई और उसकी चूत पूरी गीले हो गई। अजय ने मंगल यंत्र को उसकी कमर पर टिका दिया तो शहनाज़ का रोम रोम मस्ती में भर गया। अजय की उंगलियां उसकी कमर पर घूमती हुई उसकी नाभि पर अा गई तो शहनाज़ ने उत्तेजना से अपने होंठो को दांतो तले भींच लिया। अजय ने मंगल यंत्र के सोने के धागोर्को पकड़ा और शहनाज़ की दोनो नंगी जांघो को जैसे ही छुआ तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी चूत से बहकर रस ने उसकी जांघो को भिगो दिया। अजय समझ गया कि शहनाज़ पूरी तरह से बहक गई है तो उसने शहनाज़ की जांघो को उंगलियों से हल्का सा छुआ और बोला:"

" शहनाज़ अपनी दोनो नंगी टांगो को थोड़ा सा और खोल लो।

अजय ने जान बूझकर नंगी शब्द का इस्तेमाल किया और शहनाज़ ने अपनी टांगो को खोल दिया और अजय ने उसकी दोनो जांघो के बीच से मंगल यंत्र के धागे निकाले और उपर उसकी कमर पर अच्छे से जोर से खींच कर बांध दिया।


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धागो के बंधते ही शहनाज़ की चूत उनके बीच में पूरी तरह से कसकर फंस गई और अंगूर के जैसे घुंघरू उसकी चूत के मुंह से जा टकराए तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसके बदन ने तेज झटका खाया और शहनाज़ जोर से सिसक उठी। झटके के कारण साडी उसके जिस्म से हटकर नीचे गिरने लगी तो शहनाज़ ने तेजी से अपनी साडी को पकड़ लिया लेकिन जब तक साडी उसके घुटनो में पहुंच गई थी।

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शहनाज़ की मोटी मोटी गोल गोल गांड़ पूरी तरह से नंगी होकर उसकी आंखो के सामने अा गई। अजय के लंड ने जोरदार झटका खाया और पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया। शहनाज़ ने जल्दी से साडी को उपर किया और फिर से उल्टी सीधी तरह लपेटने लगी तो अजय ने बीच में उसके हाथ को पकड़ लिया और बोला:"

" लाओ मैं पहना देता हूं, कहीं फिर से ना खुल जाए और तुम्हारी गांड़ फिर से नंगी हो जाए शहनाज़।

अजय के मुंह से गांड़ सुनकर शहनाज़ पागल सी हो गईं। अजय ने साडी के पल्लू को लिया और उसकी कमर में लपेट दिया और उसे गोल गोल घुमाने लगा। शहनाज़ के दोनो कंधे और चूचियां पूरी तरह से नंगी थी। शहनाज़ के खुले हुए बाल उसकी छाती को अा गए और उसकी चूचियों को पूरी तरह से ढक लिया था।


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शहनाज़ की गांड़ पर साडी लिपट गई थी और वो दोनो आंखे बंद किए हुए खड़ी थी। अजय थोड़ा सा निराश हुआ लेकिन वो जानता था कि उसे क्या करना है जिससे शहनाज़ के दोनो खूबसूरत गोल गोल कबूतर उसकी आंखो में सामने होंगे।

अजय उसके बिल्कुल करीब अा गया और उसका खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ से अा लगा तो शहनाज़ ने उसकी साड़ी का दूसरा पल्लू पकड़ लिया और जोर से उपर की तरफ उठाने लगा जिससे एक बार फिर से साडी उसकी गांड़ पर से हटने लगी तो शहनाज़ बावली सी हो गई। अजय ने साडी को उसकी जांघो पर से पकड़ा और मंगल यंत्र के घुंघरू जोर से हिला दिए और जैसे ही घुंघरू शहनाज़ की चूत के टकराए तो शहनाज़ सब कुछ भूलकर पलटी और अजय के होंठ चूसने लगी। अजय ने शहनाज़ के होंठो को अपने होंठो में भर लिया जोर जोर से चूसने लगा।

:" अजय कितनी देर बाद निकलना हैं पूजा के लिए ?

जैसे ही सौंदर्या की आवाज उनके कानो में पड़ी तो दोनो ना चाहते हुए भी अलग हो गए और अजय ने जल्दी से शहनाज़ को साडी पहना दी और फिर दोनो बाहर आ गए।
बहुत ही सुंदर लाजवाब मनमोहक और अद्वितीय अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Rajizexy

❤ Raji❤️
Supreme
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Vah kya chudai ki hai bade lund se.very erotic
 
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