बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अद्वितीय मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाअजय उसके बिल्कुल करीब अा गया और उसका खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ से अा लगा तो शहनाज़ ने उसकी साड़ी का दूसरा पल्लू पकड़ लिया और जोर से उपर की तरफ उठाने लगा जिससे एक बार फिर से साडी उसकी गांड़ पर से हटने लगी तो शहनाज़ बावली सी हो गई। अजय ने साडी को उसकी जांघो पर से पकड़ा और मंगल यंत्र के घुंघरू जोर से हिला दिए और जैसे ही घुंघरू शहनाज़ की चूत के टकराए तो शहनाज़ सब कुछ भूलकर पलटी और अजय के होंठ चूसने लगी। अजय ने शहनाज़ के होंठो को अपने होंठो में भर लिया जोर जोर से चूसने लगा।
:" अजय कितनी देर बाद निकलना हैं पूजा के लिए ?
जैसे ही सौंदर्या की आवाज उनके कानो में पड़ी तो दोनो ना चाहते हुए भी अलग हो गए और अजय ने जल्दी से शहनाज़ को साडी पहना दी और फिर दोनो बाहर आ गए।
शहनाज़ जैसे ही आगे बढ़ी तो उसके हिलने से मंगल यंत्र हिला और घुंघरू उसकी चूत से टकराए तो उसकी सांसे रुक सी गई। उसने सौंदर्या की तरफ देखा तो सौंदर्या की आंखे भी उसे कुछ बड़ी होती नजर आ रही थी। मतलब उसके जैसा ही हाल सौंदर्या का भी हो रहा था।
दोनो धीरे धीरे चलती हुई बाहर अा गई और अजय आगे निकल गया तो शहनाज़ धीरे से बोली:"
" ज्यादा दिक्कत तो नहीं हो रही है सौंदर्या नीचे कुछ ?
सौंदर्या उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:"
" चलने से बड़ी दिक्कत हो रही है, नीचे घुंघरू उधर इधर छू रहे हैं तो अजीब सा लग रहा है। आप बताओ कैसा लग रहा हैं ?
शहनाज़ ने आह भरी और बोली:"
" क्या बताऊं सौंदर्या, मेरी तो हालत बड़ी खराब हो रही है, जैसे ही घुंघरू नीचे छूते हैं तो ऐसा लगता है मानो जान ही निकल जाएगी मेरी।
सभी लोग पूजा के लिए बाहर अा गए थे और गंगा के किनारे पड़े हुए बड़े बड़े पत्थर बहुत खुबसुरत लग रहे थे। चन्द्रमा पूरी तरह से चमक रहा था और चारो ओर उसकी रोशनी फैली हुई थी। शहनाज़ और सौंदर्या दोनो सिर्फ साडी में लिपटी हुई बेहद खूबसूरत लग रही थी और उनके गोरे चिकने कंधे बेहद कामुक लग रहे थे।
अजय गंगा के ठीक किनारे एक बड़े से पत्थर पर बैठ गया और बोला:"
" आप दोनो सबसे पहले गंगा के पानी में डुबकी लगाकर पूरी तरह से पवित्र हो जाए।
शहनाज़ और सौंदर्या दोनो आगे बढ़ी और धीरे धीरे पानी में उतरती चली गई। ठंडे ठंडे पानी के एहसास से उन्हें बेहद सुकून मिला। अजय उनकी तरफ देखते हुए बोला:"
" अब आप इतने गहराई में चली जाए कि आपकी सिर्फ कंधे और गर्दन ही बाहर नजर आए।
सौंदर्या और शहनाज़ दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और धीरे धीरे नदी में आगे उतरती चली गई। अब दोनो छाती तक पानी में डूब गई थी और अजय ने उन्हें डुबकी लगाने का इशारा किया तो दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और नीचे डुबकी लगा दी। जैसे ही दोनो उपर अाई तो पानी के बहाव के कारण साडी उनके कंधे से हट गई और उनकी गोरी गोरी चूचियों का कटाव साफ नजर आया
दोनो ने अपनी चूचियों की तरफ देखा तो सौंदर्या ने शर्म के मारे अपनी आंखे बंद कर ली और शहनाज़ ने अजय की तरफ देखते हुए उससे पूछा:"
" अब आगे क्या करना होगा अजय ?
अजय:" आप दोनो दो डुबकी और लगाए।
सौंदर्या और शहनाज़ ने दो दो डुबकी और लगाई और फिर सौंदर्या ने अपनी गीली हो गई साडी को पानी के अंदर ही अपने जिस्म पर ठीक से बांध लिया। शहनाज़ ने साडी बांधने का प्रयास किया लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाई तो सौंदर्या उसकी मदद करने के लिए आगे बढ़ी तो अजय एकदम से चिल्ला उठा:"
" पीछे हट जाओ, ऐसी गलती मत करना तुम, मंगल यंत्र पहनने के बाद तुम शहनाज़ को नहीं छू सकती। रुको मैं शहनाज़ की मदद करता हूं।
सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो एकदम से पीछे हट गई। अजय के जिस्म पर भी अब सिर्फ एक पतली सी चादर लिपटी हुई थी क्योंकि उसने भी पूजा के लिए शुद्ध वस्त्र धारण कर लिए थे। अजय पानी में उतर गया और शहनाज़ के करीब पहुंच गया तो शहनाज़ फिर से मचल उठी कि अजय उसे फिर से छुएगा और इस बार तो अपनी सगी बहन के बिल्कुल सामने। अजय शहनाज़ के ठीक पीछे खड़ा हो गया और और उसने पानी में हाथ घुसा कर साडी को पकड़ने लगा। साडी पानी के बहाव के चलते अंदर ही इधर उधर तैर रही थी और उसके हाथ सीधे शहनाज़ की नंगी गांड़ से जा टकराये तो शहनाज़ मचल उठी और उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ उभर आए। अजय साडी ढूंढने के बहाने उसकी गांड़ को हल्के हल्के सहलाने लगा और शहनाज़ के चेहरे के भाव बनने बिगड़ने लगे तो सौंदर्या ये सब देखकर हैरान हो गई। उफ्फ ये अजय नीचे कुछ गडबड तो नहीं कर रहा है शहनाज़ के साथ ये सोचकर सौंदर्या उत्तेजित होने लगी।
अजय आगे को झुक और हाथ आगे बढ़ा कर पानी में बहते हुए साडी के पल्लू को पकड़ लिया। अजय के आगे झुकने के कारण भीग चुकी चादर उसके जिस्म से सरक गई और जैसे ने वो शहनाज़ को साडी बांधने के लिए आगे को हुआ तो उसका बिल्कुल नंगा पूरी तरह से खड़ा हुआ सख्त लंड शहनाज़ की गांड़ से जा टकराया और शहनाज़ के मुंह से ना चाहते हुए भी एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
सौंदर्या को कुछ समझ नहीं आया कि नीचे हो क्या रहा हैं लेकिन शहनाज़ की इस आह से वो हैरान हो गई और बोली:"
" क्या हुआ शहनाज़ सब ठीक हो हैं ना ?
शहनाज़ को अपनी गलती का एहसास हुआ और थोड़ी सी आगे को हुई और खुद को संभाल कर बोली:"
" आह, सौंदर्या सब ठीक है, पता नहीं कुछ बहता हुआ नीचे पैरो से टकरा गया था जिससे मैं डर गई थी। अजय क्या हुआ तुमसे एक साडी नहीं बंध पा रही है !!
अजय ने साडी का पल्लू उसकी गांड़ पर टिका दिया और बांधने लगा। जैसे ही उसकी गांड़ से घूमते हुए उसके हाथ शहनाज़ की चूत के पास आए तो अजय ने मंगल यंत्र को जोर से झटका दिया तो घुंघरू उसकी चूत की क्लिट से टकराए तो शहनाज़ ने का पूरा जिस्म कांप उठा और उसने अपने नीचे वाले होंठ को दांतों से दबा दिया। सौंदर्या उसके चेहरे के भाव देखकर समझ रही थी कि अजय के हाथो के छूने से शायद शहनाज़ मचल रही है या मंगल यंत्र के कारण ये सब हो रहा है। अजय ने ज्यादा देर करना सही नहीं समझा क्योंकि उन्हें पूजा की बाकी विधि भी करनी थी तो उसने साडी पहना दी और फिर सभी बाहर निकल गए।
अजय का लंड खड़ा हुआ था इसलिए वो पीछे आराम से चल रहा था। भीग जाने के कारण शहनाज़ और सौंदर्या दोनो के जिस्म के कटाव साफ साफ़ नजर आ रहे थे। सौंदर्या बिल्कुल कुंवारी लड़की की तरह लग रही थी और उसकी गांड़ और चूचियां सब कुछ अभी बिल्कुल अनछुआ था और काफी कामुक लग रहा था। वहीं शहनाज़ का जिस्म उसके मुकाबले थोड़ा भारी था, उसकी गांड़ सौंदर्या से थोड़ी ज्यादा मोटी और गोल गोल होकर बाहर को निकल रही थीं। चूचियां बिल्कुल छोटे पपीते के आकार की थी। भीगने के बाद भी उसकी चूचियां तनी कर अपनी कठोरता दिखा रही थी। अजय को शहनाज़ सौंदर्या से कहीं अधिक कामुक लग रही थी और उसकी नजर उसकी मटकती हुई गांड़ पर टिकी हुई थी। मंगल यंत्र के घुंघरू उसकी चूत को ना छुए इसलिए वो अपनी टांगो को ज्यादा खोल कर चल रही थी जिससे उसकी गांड़ आधे से ज्यादा साडी से बाहर थी और अजय का लन्ड नीचे बैठने के बजाय उछल उछल पड़ रहा था।
तीनो चलते हुए घाट पर वापिस अा गए और अजय ने दोनो को बैठने का इशारा किया। सौंदर्या और शहनाज़ दोनो पूजा की मुद्रा में बैठ गई। अजय ने कुछ मंत्र पढ़े और दोनो के हाथ में गंगा जल दिया तो दोनो ने उसे पी लिया
अजय:" शहनाज़ पर पूजा के दौरान मुसीबत अा सकती है और उससे बचने के लिए मुझे शहनाज़ के जिस्म पर कुछ मंत्र सिद्ध करके निशान बनाने होंगे ताकि वो आने वाली मुश्किलों से बच सके।
सौंदर्या ध्यान रखें कि तुम्हारी नज़र इन निशान पर नहीं पड़नी चाहिए नहीं तो कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए तुम अपनी आंखे बंद कर लो।
उसकी बात सुनकर सौंदर्या ने तुरंत अपनी आंखें बंद कर ली और अजय अपनी जगह से खड़ा हुआ तो लंड के दबाव के कारण उसकी चादर खुलकर नीचे गिर गई और उसके खड़े हुए लंड ने एक जोरदार झटका खाया और पूरी तरह से नंगा होकर शहनाज़ की आंखो के सामने अा गया
अजय के लंबे मोटे तगड़े लंड को देखकर शहनाज़ की आंखे खुली की खुली रह गई। उफ्फ ये क्या मुसीबत हैं। अजय के लन्ड के आगे उसके मोटे तगड़े गुलाबी सुपाड़े को देखकर शहनाज़ मदहोश हो गई। हाय अजय का भी गुलाबी सुपाड़ा, उफ़ कितना सुंदर और चिकना लग रहा है। लंड देखकर शहनाज़ की चूत पूरी तरह से भीग गई थी। शहनाज़ को ऐसे अपने लंड को घूरते हुए देखकर अजय ने अपनी चादर उठाई और फिर से अपने जिस्म पर लपेट लिया और शहनाज़ के सामने बैठ गया। उसने साडी को शहनाज़ की जांघ पर से हटा दिया और निशान बनाने लगा। शहनाज़ की मोटी चिकनी जांघो को वो निशान के बहाने हल्का हल्का सहला रहा था और देखते ही देखते उसने एक निशान बना दिया। अजय ने शहनाज़ को इशारे से कुछ समझाया और उसके दोनो कंधे पकड़ लिए और उसे पीछे की तरफ झुका दिया और शहनाज़ की टांगे ऊपर उठ गई तो अजय ने हाथ बढ़ा कर उसकी टांगो को खोल कर पूरा फैला दिया तो मंगल यंत्र का एक घुंघरू उसकी चूत के मुंह पर आ गया और अजय ने एक झटके के साथ उसकी टांगो को बंद किया तो घुंघरू शहनाज़ की गीली चूत में घुस गया। शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपनी जांघो को पूरी ताकत से कस लिया।
अजय ने शहनाज़ की आंखो में देखा तो उसे उसकी वासना से भरी हुई लाल सुर्ख आंखे नजर आईं और अजय ने शहनाज़ के हाथ पर कुछ लिख दिया और शहनाज़ ने पढ़कर सहमति में अपनी गर्दन हिला दी।
अजय वापिस अपनी जगह पर जाकर बैठ गया और सौंदर्या को आंखे खोलने के लिए कहा तो उसने अपनी आंखे खोल दी और अजय फिर काफी देर तक मंत्र पढ़ता रहा। शहनाज़ की चूत में आग सी लग गई और उसके हिलने से मंगल यंत्र हिलता और घुंघरू उसकी चूत को अंदर से सहला देता।
रात के बारह बज गए थे और अजय ने बोला:"
" बस आज की पूजा विधि संपन्न हुई और रात काफी हो गई है तो अब हमें सोना चाहिए।
उसके बाद सभी लोग वापिस लौट पड़े। शहनाज़ पूरी तरह से तड़प रही थी और कुछ भी करके अपनी प्यास बुझाना चाहती थी। अजय के लंड उसकी आग को और ज्यादा भड़का दिया था। सौंदर्या का कमरा सबसे पहले था इसलिए वो अपने कमरे में घुस गई। उसके बाद शहनाज़ का कमरा था और शहनाज़ जैसे ही अपने कमरे के गेट पर पहुंची तो उसने जान बूझकर अपनी साडी को ठीक करने लगी। साडी अपने आप नीचे सरक गई और जैसे ही उसकी चूचियों पर से सरक रही थी शहनाज़ ने उसे पकड़ लिया और एक सेक्सी स्माइल के साथ प्यासी नजरो से अजय की तरफ देखा।
शहनाज़ की चूचियों के सिर्फ निप्पल ही बस ढके हुए थे और अजय ये सब देखकर तड़प उठा और उसके लंड ने एक जोरदार झटका खाया जिसे देखकर शहनाज़ का पूरा जिस्म वासना की भट्टी में जल उठा और वो पलट कर गेट खोलने लगी। शहनाज़ के तिरछा खड़े होने से उसकी चूचियां फिर से नजर अाई और शहनाज़ ने अंदर घुसने से पहले अजय को प्यासी तिरछी से देखा और सेक्सी स्माइल दी।
अजय ने भी शहनाज़ को कामुक अंदाज में स्माइल दी और आगे बढ़ गया। शहनाज़ कमरे के अंदर घुस गई और उसकी सांसे बहुत तेजी से चल रही थी। उसके पूरे जिस्म पर पसीना आया था। शहनाज़ के चलने से उसकी चूत में घुसा हुआ घुंघरू शहनाज़ पर कयामत ढा रहा था। उत्तेजना से भरी और शहनाज़ जैसे तैसे अपने कमरे में पहुंच गई। वो बेड पर लेट गई तो उसकी आंखो के आगे अजय का लंड घूम गया। उफ्फ कैसा तगड़ा लंड था, बिल्कुल उसके बेटे के जैसा, लेकिन इसका सुपाड़ा कितना ज्यादा चिकना और गुलाबी हैं ये सोचकर अपने आप शहनाज़ की जीभ उसके होंठो को चाटने लगीं। शहनाज़ बेड पर पड़ी हुई मचल रही थी और अपनी जांघो को एक दूसरे से मसल रही थी कि शायद उसकी चूत में घुसे हुए घुंघरू का असर कम हो जाए। लेकिन उसके हिलने से घुंघरू और ज्यादा हिल रहा था और शहनाज़ की चूत किसी छोटी से नदी में बदल गई थी जिसमे से रह रह कर पानी टपक रहा था। शहनाज़ की जांघें भी उसके चूत से निकलते रस से भीग गई थी।
करीब रात का एक बज गया तभी उसके दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो शहनाज़ ने के सफेद सी बेहद हल्की पारदर्शी चादर अपने जिस्म पर लपेट ली और बाहर निकल गई। बाहर अजय खड़ा हुआ था और उसने सीधे शहनाज़ का हाथ पकड़ लिया और दोनो फिर से घाट की तरफ चल पड़े।
शहनाज़:" सौंदर्या सो गई क्या ?
अजय:" उसके सोने के बाद ही मैं बाहर आया हूं क्योंकि इस पूजा विधि में वो नहीं हो सकती क्योंकि वो मांगलिक है।
शहनाज़ ने अपनी गर्दन हिला दी और वो ये सोच सोच कर मचल रही थी कि दोनो के जिस्म पर नाम मात्र कपडे और दूर दूर तक कोई नहीं, पता नहीं आगे विधि में क्या क्या होगा। अजय तेज तेज चल रहा था जिससे घुंघरू शहनाज़ की चूत में तेजी से जादू दिखा रहा था और शहनाज़ चलते हुए कभी अपने होंठो पर जीभ फेर रही थी तो कभी दांतो से अपने होंठ चबा रही थी।
वो दोनो घाट पर पहुंच गए और अजय शहनाज़ को आगे की पूजा और विधि के बारे में सब समझाने लगा। शहनाज़ सब समझ गई कि आज पूजा पूरी होते होते वो पागल सी हो जाएगी।
आधी रात के बाद निर्जन घाट पर अकेले में अजय और शहनाज के बिच कौनसी पुजा होने वाली हैं