दुनिया में अधिकतर लोग ऐसे होते हैं जो अपनी सेक्स को कुंठा को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। इस कहानी में 178 पेज तक कोई सेक्स नही हुआ था और उसके बाद ही सेक्स हुआ हैं। अधिकतर लोगों का एक से ज्यादा से सेक्स संबंध बनना आम बात हैं तो स्टोरी में ये सब क्यों नही हो सकता है ? किरदार तो लेखक के हाथ की कठपुतली होते हैं फिर सेक्स स्टोरी में सेक्स तो होगा ही।
औरत हो या मर्द किसी उम्र मे बहक जाए फर्क नहीं पड़ता। बस ज्यादातर लोग धर्म में अंधे होकर उड़ते तीर पकड़ रहे हैं जो कहानी के साथ साथ उनकी अपनी जिंदगी के लिए भी घातक है। ओखली और मूसल का कोई धर्म नहीं होता। अब ये कहानी खत्म होने वाली है और अगली कहानी में धर्म तो दूर की बात मैं जाति भी बीच में नही लेकर आऊंगा। सिर्फ मस्ती के लिए पढ़िए, अगर किसी को दिक्कत हैं तो आप कहानी छोड़ दीजिए।
धन्यवाद।