सौंदर्या तेजी से चलती हुई पीछे के रास्ते से बाहर निकल गई और अजय भी वहां पहुंच चुका था। मास्क गिरने और तेजी से चलने के कारण सौंदर्या की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी। अजय की नजर अपने आप ही उसकी चुचियों पर टिक गई और सौंदर्या को जैसे ही एहसास हुआ कि उसका भाई उसकी चूचियों को ललचाई नज़रों से देख रहा है वो उसे बहुत ज्यादा शर्म अाई और एक पल के लिए तो जैसे उसे यकीन ही नहीं हुआ।
तभी बाहर स्पीकर पर आवाज उभरी:"
" दुल्हन पक्ष की और से किए गए इस शानदार प्रदर्शन के आगे सब बेकार हैं इसलिए आज दुल्हन पक्ष की जीत हुई।
ये आवाज कानो में पड़ते ही सौंदर्या के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई और वो तेजी से साथ खुशी से उछलती हुई आगे बढ़ी और अपने भाई के गले लग गई और बोली:"
" भाई देखो मैं जीत गई। हमने हर दिया हैं दूल्हे पक्ष को आज।
सौंदर्या जैसे ही अजय के गले से लगी तो अजय के हाथ अपने आप ही उसकी नंगी कमर पर कसते चले गए। सौंदर्या के जिस्म से उठती हुई मादक परफ्यूम की खुशबू ने अजय को मदहोश कर दिया और वो उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" हान दीदी सचमुच कमाल कर दिया आपने। क्या गजब का डांस किया आपने बिल्कुल रबड़ की गुड़िया की तरह आपका जिस्म मटक रहा था।
सौंदर्या अपने भाई के मुंह से अपने तारीफ सुनकर और ज्यादा खुश हो गई और उससे पूरी तरह से कसकर लिपट गई जिससे अजय का तना हुआ लंड उसकी जांघो में टकराया और सौंदर्या एक पल के लिए कांप उठी और बोली:'
" भाई ये सब तुम्हारी वजह से हुआ। ना तुम मुझे कपडे और मास्क देते और ना ही डांस होता।
सौंदर्या के कसकर लिपटने की वजह से उसकी ठोस पुष्ट गोल गोल चूचियां अजय में सीने में धंस सी गई और अजय बेचैन सा हो गया और उसकी उंगलियां अपने आप ही सौंदर्या की चिकनी कमर पर फिरने लगी और अजय बोला:"
" फिर मेरे लिए इनाम तो बनता है ना दीदी। क्या मुझे मेरी प्यारी दीदी एक किस देगी ?
सौंदर्या लंड के एहसास से मचल उठी थी और उपर से उसकी कमर पर घूमती हुई अजय की उंगलियां उसे बेचैन कर रही थी और वो अदा के साथ बोली:"
" किस की तो बात ही मत करो तुम। पहले किस करो और फिर तुम्हारा मुंह भी मुझे भी साफ करना पड़ता है बच्चे। जाओ अपना काम करो।
इतना कहकर एक झटके के साथ सौंदर्या उसकी पकड़ से निकल गई और अंदर कमरे में अपने कपड़े बदलने के लिए घुस गई।
कपडे बदलने के बाद सौंदर्या बाहर अा गई और दोनो एक बार फिर से शादी के हॉल में अा गए। राधा और सपना दोनो सीमा के पास बैठी हुई थी जबकि अशोक कुमार की बेचैन निगाहें सौंदर्या को देखते ही थोड़ा शांत हो गई।
धीरे धीरे एक एक करके शादी कि रस्म पूरी होने लगी और देर रात तक फेरे होते रहे। सौंदर्या जब भी नजर उठाती तो अक्सर उसने अशोक को अपनी तरफ देखते हुए पाया और कहीं ना कहीं उसे उसकी निगाहें बेचैन कर रही थी।
सारी की सारी रस्में पूरी होते होते रात के दो बज गए और अब हॉल के अंदर कुछ खास लोग ही बचे हुए थे। अशोक दूल्हे रमेश का खास दोस्त था और एक बहुत ही बड़ी कंपनी का मालिक था।
वो रमेश के बार बार बोलने के बाद शादी में आया हुआ था और उसने सौंदर्या को देखा तो उसके मन में लडू फूट पड़े थे और वो बार बार बस सौंदर्या को ही निहार रहा था।
अजय शादी के कामो में लगा रहा और उसकी सौंदर्या से कोई बात नहीं हुई। अंत में विदाई का समय नजदीक अा गया और माहौल काफी गंभीर नजर आ रहा था।
सीमा के पापा:" बेटी तुमने हमेशा मेरा सिर गर्व से ऊंचा रखा हैं और आगे भी रखोगी।
सीमा की आंखे भर आई और अपने पापा के गले लग गई। एक एक करके वो भारी मन से सबसे मिली और अंत में वो गाड़ी में बैठ गई। सौंदर्या भी वहीं खड़ी हुई थी और काफी भावुक हो गई थी ये सब देख कर।
तभी सपना और राधा गाड़ी के पास पहुंच गई और सपना अंदर मुंह करके सीमा के कान में कुछ बोली तो सीमा के होंठो पर स्माइल अा गई और उसने सपना को थप्पड़ जैसा इशारा किया तो सपना और राधा खिलखिला कर हंस पड़ी। राधा ने सीमा को अपने हाथ की सात उंगलियां दिखाई और ये इशारा सौंदर्या समझ गई कि ये उसे रात को होने वाली चुदाई के लिए बोल रही है।
सौंदर्या के होंठो पर भी स्माइल अा गई और फिर अंदर ही अंदर ही सीमा के लिए फिक्रमंद भी हुई कि आज रात बेचारी का क्या हाल होने वाला हैं।
सीमा की गाड़ी निकल गई और पीछे पीछे सभी गाडियां चली गई। उसके बाद सभी लोग अपने घर कि तरफ चल पड़े। अजय बुरी तरह से थक गया था इसलिए घर आते ही सो गया। सौंदर्या और कमला भी थके होने के कारण नींद के आगोश में चले गए।
अगले दिन सुबह सभी देर तक सोते रहे और करीब 10 बजे के आस पास कमला की आवाज गाड़ी का हॉर्न सुनकर खुली तो उसने देखा कि 10 बज गए हैं और दिन पूरी तरह से हो गया था और सूरज भी सिर पा धीरे धीरे अा रहा था तो उसे हैरानी हुई कि वो कैसे इतनी देर तक सोती रही। वो उठकर बाथरूम की तरफ जा ही रही थी कि तभी घर की कॉल बैल बज उठी।
कमला आगे बढ़ी और दरवाजा खोल दिया और उसे गेट पर राधा के साथ एक बहुत ही सुन्दर नौजवान दिखाई दिया और अपने घर के बाहर सड़क पर उसने तीन महंगी कारे देखी।
राधा:" चाची जी नमस्ते, ये अशोक कुमार जी हैं और आपसे मिलने के लिए आए हैं।
अशोक कुमार ने आगे बढ़कर कमला के पैर छुए और कमला रास्ते से हट गई और बोली:"
" आइए साहब अंदर अा जाएए आप।
अशोक घर के अंदर घुसते हुए बोला:" साहब मत बोलिए मा जी आप। मैं तो आपके बेटे जैसा हूं।
अशोक कुमार के साथ साथ ही उसके मम्मी पापा और बहन घर के अंदर अा हुए। कमला को समझ नहीं आ रहा था कि ये सब कौन हैं और अचानक से कैसे अा गए। अशोक और मम्मी पापा घर के अंदर पड़े हुए बेड पर बैठ गए और कमला अंदर कमरे में घुस गई और अजय को उठाने लगी।
कमला:" अरे अजय बेटा उठो तो 10 बज गए हैं।
अजय हल्की नींद में बोला:" अरे मम्मी सोने दो ना आप मुझे। नींद अा रही हैं अभी बहुत।
कमला:" देखो सुबह ही मेहमान अा गए हैं घर। जल्दी उठो तुम।है भगवान ये मेरी बेटी के रिश्ते के लिए आए हो।
अजय अपनी मा की बाते सुनकर जल्दी से उठा और अपने आप को एक बार शीशे में देखा और फिर बोला:"
" क्या हुआ मम्मी, कौन आया है ? क्या दीदी के रिश्ते के लिए आए हैं क्या?
कमला:" पता नहीं बेटा, लेकिन कोई बड़े लोग हैं और काफी भले भी लग रहे हैं मुझे तो।
अजय बाहर निकल गया और अशोक को देखते ही उसने उसे प्रणाम किया और अशोक उसे पहचान गया। रात उसे देख कर अशोक को जहां अजय पर गुस्सा अा रहा था वहीं अब जैसे ही उसे पता चला कि वो सौंदर्या का भाई हैं तो उसे प्यार से मुस्करा कर देखा।
अजय आगे बढ़ा और अशोक के मम्मी पापा के पैर छुए और फिर घर से बाहर चला गया। अजय दुकान पर गया और नाश्ते और खाने का सामान खरीदने लगा। वहीं दूसरी तरफ राधा सौंदर्या के कमरे में गई और देखा कि वो सो रही है तो उसे उठा दिया और बोली:"
"पागल लड़की उठ जा जल्दी से, अब मत देख अब तो तेरी किस्मत भी जाग गई है।
सौंदर्या ने नींद से भरी हुई आंखो से राधा की तरफ देखा और अंगड़ाई लेते हुए बोली:
" क्या बकवास कर रहीं हैं तू सुबह सुबह ? ऐसा क्या हो गया ?
राधा:" हाय मेरी बन्नो, अशोक कुमार जो रात मिला था शादी में अपने मा बाप को लेकर अा गया है तेरा हाथ मांगने के लिए। लगता है अब तेरी सारी अंगड़ाई खत्म हो जाएगी।
सौंदर्या को जैसे उसकी बात पर यकीन ही नहीं हुआ और उसने धीरे से बाहर कि तरफ देखा तो उसे यकीन हो गया और उसकी चेहरा शर्म से लाल पड़ गया।
राधा:" अब शर्मा मत, जा जल्दी से नहाकर अा जा, मैं चाय बना देती हूं और तुझे लेकर जाना होगा उनके बीच।
सौंदर्या धीरे से बाथरूम में घुस गई और जल्दी ही नहाकर अा गई और बिल्कुल एक ताजे खुले हुए गुलाब की तरह लग रही थी। उसने एक पीले रंग का सुंदर सा सूट पहना और अपने बालो को कंघा किया और उसके बाद अपनी मा के पास रसोई में चली गई जो कि चाई बना चुकी थी।
अजय दुंकान से सामान लेकर अा गया था और बाहर अशोक के पास बैठा हुआ था जो बार बार उधर इधर अपनी नजरे दौड़ा रहा था। तभी कमला सौंदर्या के साथ अाई जिसके हाथ में चाय की ट्रे थी और वो शर्माती हुई मंद मंद मुस्कुराती हुई आगे बढ़ गई। सौंदर्या को देखते ही अशोक की बहन और उसके मा बाप की आंखे खुली की खुली रह गई। सच में ऐसी अद्भुत सुन्दरता उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी।
अशोक की बहन ने उसके हाथ से ट्रे ले ली और सौंदर्या को बैठने का इशारा किया और सौंदर्या उसके पास धीरे से बैठ गई।
अशोक की मम्मी:" देखो कमला बहन हम बिल्कुल साफ बोलने वाले हैं और सीधी बात हमे आपकी लड़की बेहद पसंद हैं। आप ये लड़की हमारी झोली में डाल दीजिए।
अशोक की मम्मी ने चाय पीते हुए ये बात कही और कमला को सुनकर सुकून मिला और सौंदर्या को भी राहत मिली कि उससे ज्यादा पूछताछ नहीं हुई नहीं तो आज कल तो लड़के वाले हर तरह के सवाल जवाब करते हैं।
अशोक के पापा:" देखिए कमला बहन भगवान कि दया से घर में सब कुछ हैं, किसी चीज की कमी नहीं हैं बस मेरे बेटे के लिए एक बहु की कमी थी और वो भी आज पूरी हो गई। अपनी बेटी हमे दे दीजिए आप।
इतना कहते हुए उन्होंने अपने दोनो हाथ कमला और अजय के आगे जोड़ दिए। कमला तो खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी। घर बैठे बैठे ही इतना बढ़िया रिश्ता मिलना सच में बड़ी किस्मत की बात थी।
कमला: जी भाई साहब हाथ मत जोड़िए आप। हर मा की इच्छा होती है कि उसकी बेटी को एक अच्छा वर और प्यार करने वाला परिवार मिले। सच में आपकी बाते दिल को छू रही हैं। मेरी बेटी आज से आपकी हुए।
अशोक की मम्मी ने इतना सुनते ही बैग से मिठाई निकाली और कमला के साथ साथ सभी का मुंह मीठा कराया। अशोक के पापा अशोक से बोले:"
" अरे बेटा गाड़ी में पंडित जी बैठे हुए है। आज ही कुंडली भी मिला जाएगी और अच्छा मुहूर्त देखकर सगाई और फिर एक महीने के अंदर ही शादी कर लेंगे।
अशोक उठकर बाहर की तरफ चला गया जबकि पंडित और कुंडली मिलान की बाते सुनकर अनजाने भय से कमला और सौंदर्या दोनो परेशान हो गईं। कमला का दिल तेजी से धड़कने लगा और वो मन ही मन भगवान को याद करने लगी। वहीं सौंदर्या को हल्का पसीना अा गया और उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि वो क्या करे।
अशोक की मम्मी:" कमला बहन आप सौंदर्या की कुंडली के आइए। आज की ये रस्म पूरी हो जाए तो अच्छा रहेगा।
कमला ना चाहते हुए भी उठ गई और घर के अंदर की तरफ चल पड़ी। उसने सौंदर्या की कुंडली को देखा और उसे हाथ में लेते ही कांप उठी और डर के मारे उसका पसीना छूट गया। उसे ऐसा लग रहा था मानो उसने भूत देख लिया हो।
भारी क़दमों से चलती हुई वो बाहर की तरफ अाई और देखा कि पंडित जी अा चुके थे और कमला ने उदास मन से अपनी बेटी की कुंडली उनकी तरफ बढ़ा दी। पंडित जी ने कुंडली हाथ में लेने के बाद अपना चश्मा ठीक किया और कुंडली को ध्यान से देखने लगे। अशोक के होंठो पर मुस्कान थी। उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि सौंदर्या उसकी बन जाएगी।
कुंडली पढ़ रहे पंडित जी के आंखे हैरानी से फैल गई। उन्होंने फिर से अपना चश्मा ठीक किया और एक बार फिर से पढ़ा। ये सब देख कर कमला और सौंदर्या की सिट्टी पित्ती गुम हो गई।
पंडित:' माफ कीजिए आप सभी मुझे। लेकिन लड़की की कुंडली से साफ महसूस हो रहा था कि ये मांगलिक हैं और इसकी शादी अशोक से करना ठीक नहीं होगा।
अशोक को जैसे बिजली का झटका सा लगा और वो पंडित जी से बोला:_
" एक बार फिर से देख लीजिए आप। कहीं कोई गलती से नहीं हो गई आपसे ।
पंडित जी अपनी जगह ठीक थे लेकिन फिर भी मन रखने के लिए दोबारा देखा और बोले:"
" अशोक बेटे मैं सच कह रहा हूं ये देवी सच में मांगलिक ही है।
सौंदर्या का मन किया कि वो रो पड़े। उसके चेहरे बिल्कुल रोने जैसा हो गया और कमला की हालत उससे भी ज्यादा खराब थी। अजय अपनी मा और बहन का ऐसा हाल देखकर परेशान हो गया।
अशोक के पापा:" आप इतने बड़े और माने हुए पंडित हैं,आखिर कोई तो उपाय होगा जिससे इनकी शादी हो सकें।
पंडित:' क्षमा प्रार्थी हूं आपसे। लेकिन अगर कोई उपाय होता तो मैं आपको पहले ही बता देता, ये लड़की जिसकी भी संगिनी बनेगी उसके साथ कोई ना कोई अनहोनी जरूर होगी।
इतना सुनते ही सौंदर्या बेहोश हो गई। कमला और अजय उसकी तरफ झपटे और उसके हाथ पैर रगड़ने लगे।
अशोक को काटो तो खून नहीं। उसके मम्मी पापा को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। अशोक बोला:"
" पापा अब वो पहले वाला जमाना नहीं रहा और मैं ये कुंडली जैसी बातों में यकीन नहीं करता। आप और मा अपनी आज्ञा दीजिए, मैं अपनी सौंदर्या से शादी करना चाहता हूं।
कमला और अजय को जैसे उसकी बात सुनकर यकीन नहीं हुआ और अशोक की मा एक झटके के साथ खड़ी हो गई और बोली:"
" तुम अभी बच्चे हो अशोक, बुरा भला कुछ नहीं समझते। हम क्या तुम्हारा बुरा चाहते हैं ? तुम्हारे लिए हमने एक दम हान कर दी बिना कुछ भी सोचे समझे। लेकिन अब तुम्हे मेरी बात माननी ही होगी। अच्छा कमला बहन आप मुझे माफ़ करना। हम चलते है अब।
इतना कहकर वो खड़ी हो गई और बिना पीछे की तरफ देखे बाहर निकल गई। अशोक के पापा भी उसके पीछे ही निकल गए और अशोक कुमार कमला के पास पहुंच गया। सौंदर्या को होश अा गया था लेकिन उसकी दोनो आंखें अभी ही बंद थी।
अशोक ने अपने दोनो हाथ कमला के आगे जोड़ दिए और भारी गले से बोला:"
" मुझे माफ़ करना आप। मैं ये सब बाते नहीं मानता हूं लेकिन मैं अपने मा बाप का दिल नहीं दुखा सकता। इसलिए मैं चलता हूं।
उसके बाद अशोक ने एक आखिरी नजर सौंदर्या के चेहरे पर डाली और बाहर की तरफ निकल गया। सौंदर्या ने अपनी आंखे बंद ही रखी और उसके आंखो से आंसू कि बूंदे टपक पड़ी।