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Incest "मांगलिक बहन " (Completed)

Unique star

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
 
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Raja jani

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
Ye end to samgh nh aaya is se accha to incomplete rehne dete ek kasak jaise
 

Sirajali

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
isse accha to kahani ko bich me hi chod dete ya koi aur ant nahi samajh nahi aaya aur aapne meri request bhi nahi maani maine request ki thi ki ek baar shadab aur shahnaaj ki gand chudai karwa dena aapne wo bhi nahi karwai ...... kahani ka ant bilkul bekaar hai kam se kam shaadi se lekar shuhaag raat tak to kahani chalne dete ... magar aapne aisa nahi kiya ... aapka man nahi thaa ki kahani kisi theek lage ................. .. abhi kahani me kam se kam do update aur mil sakte to accha hota ...... saundrya aur ajay ki suhaag raat ho jaati ...... shadab aur shahnaaj ki gand chudai ho jaati ...... magar aapne aisa nahi kiya .........
 

Sirajali

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
bakwaas .. .. kahani ki maa chud gayee ........
 

Sirajali

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
bhai .... aapki saari kahaniyon me ye kahani aapke naam se bilkul nahi milti ........ aapne ye bhi nahi likha ki shadab aur shahnaaj ek dusre ko kaise face karte hain ...... aapne saundrya aur ajay ki suhaag raat bhi nahi karwai ....... aapne shadab aur shahnaaj ko akele me bhi nahi milwaya........ aapne kaha thaa ki kahani 3 se 4 update me khatam ho jayegi magar aapne to aadhe update me hi khatam kar di ..... di tod diya ...
 

Mass

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Unique star bhai, ignore all the negative comments that users have posted recently and in the last few days. You have written and completed the story with what you had in your mind (& also considering all the negative trash that people have posted for this story). So, well done for that.
Problem is, people give many "outrageous ideas" as to how they want the story to be...but kisi ke G mein dum nahin hain ki woh aisi story likhe..but expect others to write story "as per their likes and fantasies".
Hope you are not disappointed and disheartened for the response of this story. It happens.
Looking forward to you starting a brand new good story (in addition to Tattoo story).
You are one of the few writers who start and fully complete the story, unlike many in this forum who start but then it remains incomplete. Really appreciate for that.

All the best and look forward to the next story!!
Stay well and stay safe!!
 

Mass

Well-Known Member
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bakwaas .. .. kahani ki maa chud gayee ........
Siraj Bhai, aap hi ek story kyun nahi likhte? aur haan...us kahani ki "maa mat chodna"...aur us kahani mein shaadi, suhagraat, gaand chudai...sab likhna..
kehna bahut aasaan hain...kahani aapko isiliye pasand nahi aayi kyunki jis tarah se aap chahate the, us tarah se story end nahi hui...isiliye keh raha hoon..aap hi ek story likh do.
Unlike others, atleast Unique star bhai has completed the story and gave a logical end to it.
 
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Naik

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
Tow akhir kaar yeh kahani khatam ho gayi
Ab tow bahot khush honge chutia readers jo apni bakchodi yaha aaker kerte thai
Are koyi bhi writer sirf ham sabke manoranjan ke likhta h tow use manoranjan ki tarah lo nahi yeh nahi ho sakta gaand jo keede ghuse hote h doosro k girebaan m jhaankne khud k girebaan m nahi dekhte ki kia h
Baherhal Uniq star bhai shukriya aapka kahani poori kerne k liye
 
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