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Incest "मांगलिक बहन " (Completed)

Sanju@

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
Bahut hi sundar aur behtarin story hai story ta happy ending
 

Sanju@

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
Tow akhir kaar yeh kahani khatam ho gayi
Ab tow bahot khush honge chutia readers jo apni bakchodi yaha aaker kerte thai
Are koyi bhi writer sirf ham sabke manoranjan ke likhta h tow use manoranjan ki tarah lo nahi yeh nahi ho sakta gaand jo keede ghuse hote h doosro k girebaan m jhaankne khud k girebaan m nahi dekhte ki kia h
Baherhal Uniq star bhai shukriya aapka kahani poori kerne k liye
 

Sirajali

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Siraj Bhai, aap hi ek story kyun nahi likhte? aur haan...us kahani ki "maa mat chodna"...aur us kahani mein shaadi, suhagraat, gaand chudai...sab likhna..
kehna bahut aasaan hain...kahani aapko isiliye pasand nahi aayi kyunki jis tarah se aap chahate the, us tarah se story end nahi hui...isiliye keh raha hoon..aap hi ek story likh do.
Unlike others, atleast Unique star bhai has completed the story and gave a logical end to it.
mass bhai.... Uniq star bhai.ne pehle kaha thaa ki 3 se 4 update me kahani puri ho jayegi magar yahan to aadhe update me hi kahani puri ho gayee aap ek baar di se keh dijiye ki kahani sahi se puri ho gayee hai ... mein manta hoon ki lekhak ke saport me bahot se log honge .... magar tareef acchi cheezo ki hoti hai buri cheezo ki nahi hoti ...aur ek baat jo readers galat cheez ko bhi sahi kehte hain... wo readers nahi hai wo ghulaam hai ...... Uniq star bhai ki jitni bhi kahaniya hain maine kabhi koi burai nahi ki hamesha tareef hi ki hai ...... magar jab kahani buri hogi to mai tareef nahi kar sakta ............ sach hamesha kadwa hota hai ...... magar jo insaan sach nahi bol sakta meri nazar me wo insaan bekaar hai ..................... dhannywaad shukriya
 

Mass

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mass bhai.... Uniq star bhai.ne pehle kaha thaa ki 3 se 4 update me kahani puri ho jayegi magar yahan to aadhe update me hi kahani puri ho gayee aap ek baar di se keh dijiye ki kahani sahi se puri ho gayee hai ... mein manta hoon ki lekhak ke saport me bahot se log honge .... magar tareef acchi cheezo ki hoti hai buri cheezo ki nahi hoti ...aur ek baat jo readers galat cheez ko bhi sahi kehte hain... wo readers nahi hai wo ghulaam hai ...... Uniq star bhai ki jitni bhi kahaniya hain maine kabhi koi burai nahi ki hamesha tareef hi ki hai ...... magar jab kahani buri hogi to mai tareef nahi kar sakta ............ sach hamesha kadwa hota hai ...... magar jo insaan sach nahi bol sakta meri nazar me wo insaan bekaar hai ..................... dhannywaad shukriya
Bhai, you are missing a basic point....aap ko lagta hain ki "kahani poori nahi hui hain"..magar aap ek baat bhool rahe ho ki kahani ke lekhak aap nahi ho..author jaise chahe, story end kar sakta hain...aapko pasand nahi aaya..woh alag baat hain. Yeh sirf nazariye kaa farak hain..maine isiliye likha ki aapko story pasand nahi aayi kyunki story "jaisa aap chahate the, waisa end nahi hua".
I also look forward to you writing a story though. All the best!!
Btw, maine bhi kahani padhi hain..story lo ek logical conclusion mein end kiya hain...nothing wrong with it.
 

Mass

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mass bhai.... Uniq star bhai.ne pehle kaha thaa ki 3 se 4 update me kahani puri ho jayegi magar yahan to aadhe update me hi kahani puri ho gayee aap ek baar di se keh dijiye ki kahani sahi se puri ho gayee hai ... mein manta hoon ki lekhak ke saport me bahot se log honge .... magar tareef acchi cheezo ki hoti hai buri cheezo ki nahi hoti ...aur ek baat jo readers galat cheez ko bhi sahi kehte hain... wo readers nahi hai wo ghulaam hai ...... Uniq star bhai ki jitni bhi kahaniya hain maine kabhi koi burai nahi ki hamesha tareef hi ki hai ...... magar jab kahani buri hogi to mai tareef nahi kar sakta ............ sach hamesha kadwa hota hai ...... magar jo insaan sach nahi bol sakta meri nazar me wo insaan bekaar hai ..................... dhannywaad shukriya
Aapko lagta hain kya..ki itni negative comments ke baad (even though the story is very good), writer will give "3-4 more updates" to this story? Yes, he wrote it (even I too know it)..but he thought to end it here only with a single update. I do not find any issue with it.
 

Sirajali

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Bhai, you are missing a basic point....aap ko lagta hain ki "kahani poori nahi hui hain"..magar aap ek baat bhool rahe ho ki kahani ke lekhak aap nahi ho..author jaise chahe, story end kar sakta hain...aapko pasand nahi aaya..woh alag baat hain. Yeh sirf nazariye kaa farak hain..maine isiliye likha ki aapko story pasand nahi aayi kyunki story "jaisa aap chahate the, waisa end nahi hua".
I also look forward to you writing a story though. All the best!!
Btw, maine bhi kahani padhi hain..story lo ek logical conclusion mein end kiya hain...nothing wrong with it.
mass bhai ...... aap theek keh rahe hain kahani ka lekhak main nahi hoon aur ek lekhak chahe to kahani ki gand maar de aur agar chahe to kahani ko majedaar bana de............ abhi tak main.... uniq star bhai.... ko best lekhak samjhta hoon aur aage bhi samjhta rahunga .... sirf is kahani ko chod kar ............ dhannywaad shukriya
 
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Unique star

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कहानी पूरी तरह से समाप्त हो गई है इसलिए आपस में बहस मत कीजिए। अपने तरह से अपनी कहानी लिखने के लिए सभी स्वतंत्र है।।

किसी को भी मेरी वजह से दुख पहुंचा हो तो माफी चाहता हूं। लेकिन ये कहानी मेरी तरफ से समाप्त हो गई है। सिराज भाई आपने मेरा पूरा सहयोग दिया हैं और मुझे दुख हैं कि मैं आपकी इच्छा पूरी नहीं कर सका। आप आगे अपनी तरह से ये कहानी बढ़ा सकते है मेरी तरफ से कोई आपत्ति नहीं होगी।
 

Tiger 786

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गाड़ी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रही थी और सुबह हो गई तो सभी को भूख लगने लगी तो अजय ने गाड़ी को एक ढाबे के बाहर रोक दिया और खाना लेने चला गया।जाने से पहले उसने शाहनाज को इशारा किया कि सौंदर्या को एक बार समझाए। शाहनाज ने इसे प्यार से आवाज लगाई तो सौंदर्या भी उठ गई थी लेकिन पूरी तरह से खामोश थी। अपने भाई को न पाकर उसने शाहनाज की तरफ देखा तो शहनाज बोली:"

" खाने के लिए कुछ लेने गया है। आता ही होगा।

सौंदर्या:" ना आए तो ही बेहतर हैं। मुझे उसकी शक्ल से भी नफरत हो गई है।

शाहनाज: ऐसा नहीं बोलते। सगा भाई हैं वो तुम्हारा।

सौंदर्या:" मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं, मर गया है वो मेरे लिए।

शाहनाज:" सौंदर्या गलती इंसान से ही होती हैं और अजय भी तो इंसान ही है। देखो ना उसने तुम्हारे लिए इतना सब कुछ किया है और आज सिर्फ उसकी वजह से ही तुम्हे मंगला से मुक्ति मिली।

सौंदर्या:* बस बस इससे अच्छा तो मांगलिक ही ठीक थी। और आपका उसका इतना पक्ष इसलिए ले रही हो क्योंकि आप के उसके साथ गलत संबंध है।

शाहनाज को समझ नही आया कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर के लिए खामोश रही और फिर बोली:"

" जो कुछ हुआ वो पूजा विधि और हालात के चलते हुआ। मैं तो अब हमेशा के लिए अपने बेटे के साथ फिर से अमेरिका चली जाऊंगी लेकिन तुम्हे अपने भाई के साथ जिंदगी भर साथ रहना होगा इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाना कि जिंदगी भर पछतावा हो तुम्हे।

इतना कहकर शहनाज़ चुप हो गई। अजय भी आ गया था और दोनो के लाख समझाने के बाद भी सौंदर्य ने खाना नही खाया तो उन दोनो में भी नही खाया और थोड़ी देर के बाद आखरिकर वो घर पहुंच ही गए।

अजय और शहनाज़ बुरी तरह से डर गए थे कि अगर सौंदर्या ने अपना मुंह खोल दिया तो क्या होगा। कमला दौड़ती हुई आई और सभी की आरती उतारने लगी। शादाब भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश था। सौंदर्या बिलकुल खामोश थी तो कमला बोली कि इसे क्या हुआ ?

शाहनाज:" वो पूजा का असर हैं अभी शायद। कुछ दिन में ठीक हो जायेगी।

उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सौंदर्या को कमला ने खुद अपने हाथ से खाना खिलाया। धीरे धीरे रात गहराने लगी और जैसे ही 12 बजे तो कमला ने सौंदर्या, अजय और शहनाज़ तीनो को एक कमरे में इकट्ठा किया और बोली:"


" बेटा तुम्हारे जाने के बाद आचार्य जी ये खत देकर गए थे। बोल रहे थे कि अब मैं कभी वापिस नहीं आऊंगा। ये खत मांगलिक दोष से निवारण के बाद सौंदर्या ही अपने हाथो से पढ़ेगी। सिर्फ तुम तीनो को ही बस पता होगा कि इसमें क्या लिखा हैं। इसलिए मैं चलती हु।

तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे और कमला बाहर निकल गई। सौंदर्या ने कांपते हाथो से खत को खोला और पढ़ने लगी

" प्यारी बेटी सौंदर्या। जब तुम ये खत पढ़ रही होगी तो मांगलिक दोष से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी। तुम्हारे इस दोष निवारण के लिए अजय और शहनाज़ का बहुत बड़ा योगदान हैं जिसे तुम अपनी जान देकर भी नही उतार पाओगी। वहां पर तुम तीनो के बीच जो भी संबंध बने वो सब मंगल प्रभाव के चलते बने ताकि तुम्हारी पूजा सफल न हो सके लेकिन फिर भी तुम कामयाब रहे तो इसके लिए अजय और शहनाज़ दोनो ही जिम्मेदार है। इस खत को पढ़ने के बाद इस कमरे से बाहर निकलते ही पूजा विधि में वहां जो भी हुआ तुम सब भूल जाओगे और तुम्हे चाह कर भी कुछ भी याद नही रहेगा। तुम्हे अपने भाई से बेहतर जीवन साथी कहीं नहीं मिल सकता इसलिए तुम्हारी उससे शादी होकर रहेगी। तुम्हारे मंगल दोष से मुक्त होते ही मुझे भी जीवन से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तुम लोगो को जो राह मैने दिखाई वो धर्म संगत नहीं थी लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। सदा खुश रहना।


ये सब सुनकर तीनो की आंखे भर आई क्योंकि आचार्य जी अब इस दुनिया में नही रहे थे। तीनो ही एक दूसरे से लिपट कर रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। आखिर कर वो कमरे से बाहर आ गए और सब कुछ एक सपने की तरह भूल गए।

अजय और सौंदर्या दोनो की शादी हो गई क्योंकि कमला ने खत को पढ़ने के बाद अपन सहमति दे दी थी। शादाब भी अपनी मां शाहनाज के साथ वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा।


समाप्त।
Itni khubsuraat storie ka jaldbaazi main ant hona acha to nahi laga par writer saheb ko jo thik laga
Bohot hi ummdha storie👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻❤❤❤❤
 

Sirajali

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कहानी पूरी तरह से समाप्त हो गई है इसलिए आपस में बहस मत कीजिए। अपने तरह से अपनी कहानी लिखने के लिए सभी स्वतंत्र है।।

किसी को भी मेरी वजह से दुख पहुंचा हो तो माफी चाहता हूं। लेकिन ये कहानी मेरी तरफ से समाप्त हो गई है। सिराज भाई आपने मेरा पूरा सहयोग दिया हैं और मुझे दुख हैं कि मैं आपकी इच्छा पूरी नहीं कर सका। आप आगे अपनी तरह से ये कहानी बढ़ा सकते है मेरी तरफ से कोई आपत्ति नहीं होगी।
Uniq star bhai.... Maine ye nahi kaha hai ki main ye kahani apne hisaab se puri karunga.....main ye kehna chahta honn ki aapne kahani me saundrya aur ajay ki shaadi karwa di magar kaise ye nahi bataya .... shadab aur shahnaaj ki jab shaadi huee thi to sab se chupa kar huee thi magar apne saundrya aur ajay ki shaadi ka koi varnan nahi kiya .... main aapke likhne par sawal nahi uthaa raha hoon main jaanta hoon aap ek shaandaar lekhak hain ..... mere liye aapki kahani likhna to door ki baat hai sochna bhi bekaar hai .......... main to aapke kadmo ke dhool ke barabar hoon ......... aap ek mahaan lekhak the ek mahaaan lekhak hain aur ek mahaan lekhak raheinge ......................... .main aapni galti ke liye aapse maafi maagta hoon ho sake to mujhe maaf kardijiye.........
 
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