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Incest "मांगलिक बहन " (Completed)

Incestlala

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सौंदर्या अपने कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगी जबकि अजय अभी तक सोया हुआ था। सौंदर्या के मन में पूरी तरह से उथल पुथल मची हुई थी और एक अनजाना सा भय उसके दिमाग पर छा गया था।

ना चाहते हुए भी उसकी आंखो के आगे बार बार पिंकी का चेहरा घूम रहा था, कितनी मासूम थी वो बेचारी पिंकी, उसने किसी का क्या बिगाड़ा होगा। है भगवान पिंकी को तो मैंने भी बचाने की कोशिश करी थी तो क्या वो अब मुझसे भी बदला ले सकते हैं ?

ये विचार मन में आते ही उसके शरीर में तेज कंपकपी सी दौड़ गई और उसकी आत्मा तक सिहर उठी। नहीं उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। तभी उसके मन में दूसरा विचार अाया कि जो गुंडे बीच बाजार लड़की के कपड़े फाड़ सकते हैं वो कुछ भी कर सकते हैं।

है भगवान मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या जरू। क्या गुण्डो से डरकर घर बैठ जाऊं। नहीं ये तो कायरता होगी और मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। वो इसी उधेड़ बुन में लगी हुई थी कि कॉलेज जाए या नहीं इसी बीच सीमा के पापा घर के अंदर दाखिल हुए।

सौंदर्या ने उन्हें देखते ही नमस्ते करी तो उसके पापा खुश हो गए और बोले:"

" अरे बेटी सौंदर्या मैंने तो ये बताने के लिए अाया था कि आज सीमा ससुराल से मिलने के लिए वापिस अा रही हैं। घर में काम होगा बहुत इसलिए आज कॉलेेज मत जाना तुम, सीमा से भी मिल लेना क्या पता अगली बेचारी कब आएगी घर।

सौंदर्या को जैसे आज सुबह से ही कॉलेज ना जाने के लिए ही सोच रही थी और अब तो उसे बहाना भी मिल गया। उसने तुरंत हामी भर दी।

तभी कमला भी अंदर से अा गई और बोली:" भाई साहब ये तो बहुत खुशी की बात है कि सौंदर्या वापिस अा रही है। सौंदर्या आज नहीं जायेगी कॉलेज।

सौंदर्या:हान मा मैं सीमा से मिल लूंगी, शादी के बाद भी घर में बहुत काम होते हैं।

सीमा के पापा:" अरे सौंदर्या बेटी तेरी चाची बता रही थी कि शादी से पहले दिन तू टंकी से अनाज लेने गई थी और तूने टंकी खुली छोड़ दी और सारा अनाज कमरे में फैल गया। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि क्या सच में तुझसे ऐसा हुआ है ?

सौंदर्या की आंखो के आगे सारी कहानी घूम गई कि सीमा, सपना और राधा की बातो को सुनकर वो बहक गई थी और अनाज की टंकी सच में खुली रह गई थी। वो हल्का सा झेंप गई और बोली:"

" जी चाचा जी, मुझसे गलती तो हुई हैं लेकिन मुझे चाची ने जल्दी जल्दी दूसरे काम के लिए बुला लिया था जिससे ये सब हुआ। आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा।

कमला:" बेटी सौंदर्या मुझे तुम पर पूरा यकीन है। आखिर मेरी बेटी गांव में सबसे ज्यादा समझदार लड़की जो हैं।

सीमा के पापा:" अच्छा बेटी मैं चलता हूं। कुछ और काम भी देखने हैं तुम जल्दी से अा जाना।

इतना कहकर सीमा के पापा चले गए और कमला बोली:"

" अरे देखना ये अजय उठा हैं या नहीं अभी तक ? पता नहीं कितना सोता हैं ये लड़का।

सौंदर्या:" मम्मी भाई शहर से थका हुआ अाया और आते ही शादी के काम में लग गया था शायद इसलिए सो रहा होगा।

कमला:" अच्छा बहुत पक्ष ले रही हैं अपनी लाडले भाई तू, देख 9 बंजने वाले हैं। तू जल्दी से उसे उठा दे मैं तब तक कुछ बना लेती हूं तुम दोनो के लिए।

सौंदर्या अपने भाई को उठाने के लिए उसके कमरे में पहुंच गई और देखा कि अजय आराम से पीठ के बल सोया हुआ पड़ा था। नींद में उसके जिस्म पर से चादर सरक गई और अजय ने उपर के हिस्से में कुछ नहीं पहना हुआ था जिससे उसका सपाट पेट और चौड़ी छाती पूरी तरह से खुले हुए थे। अजय के सांस लेने के कारण उसकी छाती और पेट हल्के से उपर नीचे हो रहे थे जिससे उसके जिस्म में बने हुए सिक्स पैक बहुत खूबसूरत लग रहे थे।

सौंदर्या ये सब देखकर बहुत अच्छा महसूस कर रही थी कि उसका भाई सच में बहुत आकर्षक लगता है। अजय शायद गहरी नींद में सोया था इसलिए उसे बिल्कुल भी नहीं था उसकी बहन उसके पास बैठी हुई है।सौंदर्या ने एक हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और उसी रंग का ब्लाउस पहना था खुले बालो में बेहद खूबसूरत लग रही थी। अजय के पास बैठी सौंदर्या अपने भाई को देखते हुए धीरे धीरे स्माइल कर रही थी और उसके बालो में बेहद प्यार से उंगलियां घुमा रही थी।

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वो ये भी भूल गई थी कि वो अपने भाई को उठाने के लिए हैं और बाहर उसकी मम्मी इंतजार कर रही है उनका। अपनी भाई की चौड़ी और कठोर छाती के साथ साथ सिक्स पैक एब्स देखकर वो मंत्र मुग्ध सी हो गई थी।

तभी उनके कानो में कमला की तेज आवाज पड़ी कि सौंदर्या कहां रह गई तुम और सौंदर्या एकदम से डर के मारे उछल पड़ी और उसका एक हाथ अजय की छाती पर चला गया। छाती पर हाथ पड़ते ही सौंदर्या की आंखे मस्ती से बंद हो गई और उसने अपने भाई की छाती को हल्का सा सहला दिया और उसे ज़िन्दगी में पहली बार इतनी सुखद अनुभूति हुई।

तभी दूसरी बार उसके कानों में अपनी मा की आवाज पड़ी जो काफी नजदीक से अा रही थी। शायद उसकी मम्मी उधर ही अा रही थी इसलिए सौंदर्या डर के मारे खड़ी हो गई और एक चादर जल्दी से अपने भाई के उपर डाल दी और जोर जोर से उसे आवाज लगाने लगी:

:" भाई उठ जाओ। उठो ना देखो कितनी देर हो गई है।

तभी कमला अंदर अा गई और बोली:" लगता है ये अजय बहुत गहरी नींद में हैं। रुक मैं इसका इलाज करती हूं।

इतना कहकर कमला आगे बढ़ी और तेजी से उसके कान में चिल्लाई तो अजय हड़बड़ा कर उठ गया और उसने इधर उधर देखा तो अपनी मा और बहन को देखकर सुकून महसूस किया और बोला:"

" ओह मम्मी, कितनी अच्छी नींद अा रही थी मुझे। आपने उठा दिया ।

कमला: अच्छी नींद के बच्चे 9 बज गए हैं और ये गांव हैं। जल्दी से तैयार हो जा नहाकर, हम दोनों भी भूखे हैं तेरे चक्कर में।

अजय जल्दी से उठा और बाथरूम में घुस गया जबकि सौंदर्या अपनी मम्मी के साथ बाहर आ गई और खाने की टेबल लगाने लगी।

नाश्ता लग गया था और सभी साथ में बैठ कर कर रहे थे। अजय अपनी मा के हाथ के खाने को बहुत पसंद करता था इसलिए बड़े चाव से खा रहा था। सौंदर्या ये सब बहुत ध्यान से देख रही थी और बोली:"

" क्या बात है भाई, शहर से भुखे ही आए हो क्या ? जब भी मौका मिलता है तो खाने पर टूट पड़ते हो। थोड़ा आराम से खाओ।

अजय:" अरे दीदी शहर में कहां मा के हाथ का खाना मिलता है , अब इतने सालो के बाद मौका मिला है तो मन करता हैं बस खाए जाऊ खाए जाऊ।

कमला:" कोई बात नहीं मेरे लाल, तुम जी भर कर खाओ। तेरा जो भी मन किए बता दिया करो मैं बना दूंगी।

अजय:" वाह, मा हो तो ऐसी , मम्मी दीदी तो मेरे खाने पर नजर रखती हैं।

सौंदर्या:" अरे नहीं मेरे भाई। मैं तो चाहती हूं कि तुम खूब खा खाकर शक्तिमान बन जाओ।

ये बोलकर सौंदर्या हंसने लगी तो अजय बोला:"

" आप उसकी चिंता मत करो, वो तो मैं बन ही जाऊंगा। लेकिन आप कॉलेज नहीं गई अभी तक ?

सौंदर्या एक पल के लिए तो कॉलेज जाने के बारे में सोचकर डर गई लेकिन फिर संयम से काम लेते हुए बोली:"

" अरे भाई, आज सीमा वापिस अा रही है ससुराल से, उसके पापा आए थे तो वहां जाना हैं मुझे। तुम भी चलो ना मेरे साथ।

अजय:" अरे दीदी आप ही जाओ। मुझे तो अभी भी नींद लगी हैं बहुत। मैं तो अभी आराम करूंगा अच्छे से।

सौंदर्या:" हान ठीक हैं कुंभकरण महाराज। आप पूरे दिन आराम करो। लेकिन पहले खा तो लो आराम से पेट भर कर। अच्छा मम्मी मैं जा रही हूं।

इतना कहकर सौंदर्या खड़ी हुई और बाहर की तरफ निकल गई जबकि अजय और कमला अपनी बाते करते रहे।

अजय:" मम्मी मैं तो कल से बहुत परेशान हू। सौंदर्या दीदी के आंसू देखकर तो मन किया था कि उस कमीने अशोक की सारी हड्डियां तोड़ डालू।

कमला:" मार पीट से क्या फायदा बेटा। सौंदर्या तो बेचारी बहुत दुखी हैं। इससे छोटी लड़कियां भी शादी के बाद बच्चो की मा बन गई है तो दुख तो उसे होगा ही।

अजय:" मम्मी अगर मांगलिक लड़का नहीं मिला तो क्या सारी ज़िन्दगी दीदी की शादी नहीं हो पाएगी क्या ?

कमला:" बेटे बिना मांगलिक लड़के तो सारी नहीं हो सकती। इसका बस एक ही उपाय हैं कि सौंदर्या की कुंडली से दोष दूर किए जाए। इसलिए मैंने महान ज्योतिष आचार्य तुलसी प्रसाद जी से मिलने का समय मांगा है। शायद वो हमारी कोई मदद कर सके बेटा।

अजय:" मम्मी ये तो बहुत अच्छी बात है, फिर तो अपनी दीदी की भी शादी हो जायेगी।

कमला:" हान बेटा। लड़की की सही उम्र में शादी हो जाए तो ठीक रहता है।

अजय:" मम्मी वैसे लड़की की शादी के लिए कितनी उम्र ठीक होती हैं ?

कमला:" बेटा गांव में तो पहले 18 तक शादी हो जाती थी लेकिन अभी थोड़ा लेट होने लगा है इसलिए 22 या 23 तक हो जानी चाहिए।

अजय:" अच्छा मम्मी एक बात बताओ, आपकी शादी कितनी उम्र में हुई थी ?

कमला:" अरे बेटा उस टाइम की तो बात ही कुछ और थी। मात्र 16 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई थी तेरे पापा से।

अजय:" अच्छा मम्मी। सच में पहले बहुत छोटी उम्र में शादी होती थी। मैंने खाना खा लिया।

अजय खाना खा चुका था इसलिए कमला बर्तन उठाते हुए बोली:" और क्या। पहले तो ऐसा ही होता था। अच्छा मुझे अभी थोड़ा काम है। बाद में बात करती हूं बेटा। तुम चाहो तो फिर से कुंभकर्ण बन सकते हो।

इतना कहकर कमला हंस पड़ी और अजय भी अपनी मम्मी के साथ जोर जोर से हंसने लगा।

दूसरी तरफ सौंदर्या सीमा के घर अा गई थी और देखा कि राधा और सपना पहले से ही मौजूद थीं। सपना उसे देखती ही बोली:

" कैसी हो रूप की रानी? आज बड़ा चमक रही हो?

सौंदर्या अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और बोली:" ठीक हूं मैडम जी। मै वैसे रूप कि रानी नहीं हू। समझी तुम।

राधा:" सच में आज तुम कमाल लग रही हो सौंदर्या। रूप की रानी तो कुछ भी नहीं तुम्हारे आगे।

तभी सीमा की मम्मी अंदर अा गई और उन्हें काम बताने लगी। सारी लड़कियां अपने काम में लग गई और थोड़ी देर बाद ही सारा खाना बन गया था। तभी घर के बाहर गाड़ी रुकने की आवाज अाई और सीमा की मम्मी बोली:"

" लगता है सीमा अा गई।

इतना सुनते ही सारी लड़कियां खुशी से बाहर की तरफ दौड़ पड़ी। सच में सीमा ही थी। अपनी सहेलियों को देखते ही उसके चहेरे पर स्माइल अा गई और वो गाड़ी से उतर कर अंदर अा गई।

सीमा का पति और दूसरे सभी लोग सीमा के पापा ने घर में बाहर की तरफ बने हुए एक कमरे में टिका दिए और उनकी आव भगत में लग गए।

वहीं सीमा अंदर अपने कमरे में बैठ गई और सभी लड़कियों से गले मिल रही थी। सपना ने गले मिलते हुए ही उसकी गांड़ पर साडी के उपर से ही हाथ फिर दिया तो सीमा के मुंह से एक आह निकल पड़ी।

सीमा:" उफ्फ कमीनी क्या करती हैं, दुखता है बहुत।

सपना:" हाय सिर्फ हाथ लगाने से ही दुख रहा है। इसका मतलब रात को तेरे पति ने बहुत अच्छे से तुझे मसला हैं।

ये सुनते ही सीमा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और सौंदर्या के चेहरे पर भी पता नहीं क्यों शर्म की हल्की सी लालिमा दौड़ गई। राधा ये देखते ही मुस्कुरा उठी और बोली:"

" तुझे क्या हुआ सौंदर्या, तुम क्यों शर्मा रही हो ?

इससे पहले कि सौंदर्या कुछ बोलती सीमा की मम्मी की आवाज अाई जो सौंदर्या को बुला रही थी। सौंदर्या एकदम से बाहर निकल गई तो सभी हंस पड़ी।

सीमा की मम्मी ने सौंदर्या को कुछ काम दिया और खुद मोहल्ले में सब को बताने के लिए चली गई कि सीमा अाई हैं।

वहीं दूसरी तरफ सौंदर्या जानती थी कि अंदर सपना और राधा जरूर सीमा से मस्ती करेगी इसलिए मौका मिलते ही वो बराबर वाले कमरे में घुस गई। उपर बने हुए रोशनदान से साफ आवाज बाहर अा रही थी। सौंदर्या जानती थी कि उसे बाहर भी जाना पड़ सकता है लेकिन वो पूरी बात जरूर सुनना चाहती थी इसलिए उसने अपने फोन को निकाल कर रिकॉर्डिंग शुरू कर दिया ताकि अगर बीच में जाना पड़ा तो बाद में सुन सके।

सपना:" तो बोल ना सीमा रानी कैसी रही तेरी सुहागरात ?

राधा:" हाय काफी मजा आएगा होगा तुझे तो 7 इंच के साथ। बोल ना अब शर्मा क्यों रही है?

सौंदर्या फिर से उनकी बाते सुनकर मचल उठी। सच में वो जाने के लिए उत्सुक थी कि सीमा के साथ क्या हुआ।

सीमा:" क्या बताऊं अब। पूरी रात मेरी हालत खराब कर दी। सच कहूं तो ऐसा लग रहा था मानो पहली बार सेक्स कर रही हूं मैं। सच में बहुत दर्द हुआ। लेकिन जब दर्द खत्म हुआ तो मैं मस्ती में सिसक रही थी, उछल रही थी, मैं अपने आपे से बाहर थी। बाहर निकलता तो ऐसे लग रहा था जैसे जिस्म से जान निकल रही हो।

सीमा की बाते सुनकर सौंदर्या अपने एक पैर को दूसरे पर रगड़ने लगीं और आंखे बंद करके सोचने लगी कि सीमा की उस वक़्त क्या हालत रही होगी।

सपना:" साफ साफ बता कैसे कैसे क्या हुआ ? हमे भी तो कुछ पता चले।

सीमा:" अच्छा बताती हू बाबा। तुम ऐसे नहीं मानोगी। मैं कमरे में उनका इंतजार कर रही थी। दिल की धड़कन मेरी भी बढ़ रही थी क्योंकि मैं पहले ही उनका लंड देख चुकी थी। सच में परेशान थी कि 7 इंच का लंड जैसे अंदर घुस पाएगा। फिर धीरे से कमरे का दरवाजा खुला और मैं डर और शर्म के मारे कांप उठी।

सौंदर्या की सांसे तेज होने लगी थी और जिस्म में अजीब सी हलचल मची हुई थी। सौंदर्या ने अपने दोनो हाथो की उंगलियों को एक दूसरे में फंसा लिया और मरोड़ने लगी। उसके कान आवाज पर लगे हुए थे।

राधा:" बोल ना फिर आगे क्या हुआ ? क्यों चुप हो गई



इससे पहले की सीमा कुछ बोलती उसकी मम्मी अंदर अाई और बोली:"

" अरे सौंदर्या हैं क्या यहां ?

सीमा एक पल के लिए तो डर ही गई लेकिन फिर बोली:"

" नहीं मम्मी वो तो बाहर चली गई थी। बाहर ही देखो।

सौंदर्या बिना आवाज किए कमरे से बाहर निकली और किचेन में घुस गई। सीमा की मम्मी अाई और देखते ही बोली:"

" अरे बेटी मैं तुम्हे अंदर देख रही थी। चलो कोई बात नहीं । तुम सलाद काट लो।

इतना कहकर उसने चाकू सौंदर्या की तरफ बढ़ा दिया। सौंदेया का मूड खराब हो चुका था लेकिन वो जानती थी कि उसकी पास रिकॉर्डिंग होगी।

थोड़ी देर में पहले सभी पुरुष और उसके बाद सभी लड़कीयों ने खाना खाया। खाना खाकर जाते हुए जब सीमा लंगड़ा कर चल रही थी तो सपना बोली:"

" हाय तेरी तो चाल ही बिगाड़ दी है सात इंच ने। कितनी अच्छी किस्मत हैं तेरी।

राधा:" सच में जरूर तूने पुण्य किए होंगे जो ऐसा लंड किस्मत में मिला हैं तुझे।

सीमा:" चुप हो जाओ तुम। बहुत मस्ती करती हो मेरे साथ।

सपना:" मस्ती क्या सीमा, सच कहूं तो मेरे पास एक डिल्डो है 7 इंच का, लेकिन चाल तो मेरी उससे आज तक नहीं बिगड़ी।

सीमा:" पागल लड़की डिल्डो तो सिर्फ प्यास भड़काते हैं, मर्द जब उपर चढकर धक्के मारता हैं उसकी बात ही अलग होती हैं।

राधा:" अरे आज रात के लिए तुम मुझे दे दो ना अपना डिल्डो। मैं तो बहुत तड़प रही हूं।

सपना बाते करते हुए अंदर जा रही थी कि उसकी जेब से कुछ गिरा और सौंदर्या ने देखा कि ये चाबियो का एक गुच्छा था इसलिए इसके दिमाग में एक प्लान आया और तेजी से आगे बढ़ कर उसे उठा लिया।

सौंदर्या हैरान हो गई कि सीमा ऐसी चीज अपने पास रखती हैं। जैसे ही सभी लड़कियां अंदर गई तो सौंदर्या को अपने फोन का ध्यान आया और तेजी से कमरे में घुस गई और देखा कि अभी तक रिकॉर्डिंग चालू थी।

सौंदर्या खुश हुई और फोन को बंद करके अपने पॉकेट में रखा और बाहर निकल गई।

सौंदर्या सीमा की मम्मी से बोली:"

"चाची मुझे घर कुछ काम हैं । मैं अभी आती हूं।

सीमा की मम्मी:" ठीक है बेटी लेकिन जल्दी आना।

सौंदर्या:" ठीक हैं, बस अाई और गई मैं।

सौंदर्या बिजली की गति से बाहर निकल गई और सामने ही सड़क के दूसरी तरफ बने हुए सीमा के घर के पास अा गई। वो जानती थी कि इस समय सभी लोग खेत पर होंगे। उसने एक बार चोर नजरो से इधर उधर देखा और धड़कते दिल के साथ अंदर घुस गई। उसकी सांसे बहुत तेजी से चल रही थी। उसके पूरा जिस्म पसीने से भीग चुका था लेकिन वो तेजी से उपर की तरफ दौड़ी और जल्दी ही सीमा के कमरे के सामने अा गई।

उसने ताले को चाबी से खोला लेकिन ये चाबी नहीं लगी तो उसकी हालत खराब हो गई। वो अच्छे से जानती थी कि अगर पकड़ी गई तो किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेगी।

उसने एक के बाद एक जल्दी करके सारी चाबी से कोशिश करनी शुरू कर दी और जल्दी ही उसकी मेहनत रंग लाई और ताला खुलते ही वो कमरे के अंदर घुस गई।

उसने कांपते हाथो से सीमा की अलमारी को खोला और जल्दी जल्दी सामान देखने लगी। लेकिन उसे कुछ हाथ नहीं लगा। आखिरकार उसने एक बार फिर से ढूंढ़ा और उसके हाथ में एक पैकेट जैसा कुछ अाया और सौंदर्या ने तेजी के साथ उसे खोला और उसकी आंखे खुशी से चमक उठी।

" डिल्डो"

डिल्डो उसने सुना जरूर था लेकिन आज पहली बार देख रही थी। उसने हाथ में लिया तो उसकी लम्बाई उसकी पूरी हथेली से बाहर निकल गई।

सौंदर्या की हालत खराब हो गई। उसने तेजी से पैकेट को लिया और कमरा बंद करते हुए बाहर निकल गई। उसने घर को पहले की तरह बंद किया और सड़क पर अा गई।

तभी उसकी नजर अपने हाथ में पकड़े हुए डिल्डो के पैकेट पर पड़ी जिस पर लंड छपा हुआ था तो सौंदर्या की सिट्टी पित्ती घूम हो गई। लेकिन मेहनत और रिस्क लेकर उसने डिल्डो निकाल तो लिया लेकिन अभी उसे कहां रखे।


उसकी समझ में कुछ नहीं अा रहा था तभी सामने से गांव का एक लड़का आता नजर आया तो सौंदर्या का दिल ऐसे धड़कने लगा मानो उसकी छाती को फाड़ कर बाहर आ जायेगा।

सौंदर्या ने पैकेट को अपने पीछे कर लिया और अपने घर की तरफ चल पड़ी। जैसे जैसे वो आदमी पास आता जा रहा था सौंदर्या की हालत खराब होती जा रही थी। उसे लग रहा था मानो उसकी उसकी सारी इज्जत आज मिट्टी में मिल जाएगी।

वो आदमी सौंदर्या को घूरता हुआ उसके पास से निकाल गया तो सौंदर्या ने तेजी से वो पैकेट आगे कर लिया क्योंकि वो जानती थी कि पीछे से वो आदमी जरूर उसकी गांड़ को घूर रहा होगा।

थोड़ा आगे जाकर सौंदर्या ने पीछे की तरफ देखा तो पाया कि आदमी खड़ा हुआ उसकी गांड़ को ही घूर रहा था। सौंदर्या तेजी से आगे मुड़ी और देखते ही देखते अपने घर के सामने अा गई।

सौंदर्या को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, उसने अजीब मुसीबत गले में डाल ली थी। तभी सड़क पर फिर से उसे वहीं आदमी नजर आया जो शायद फिर से उसे घूरने अाया था। सौंदर्या ने फैसला किया और डिल्डो के पैकेट को अपनी लहंगे में घुसा लिया और घर के अंदर घुस गई।

उसने चैन की सांस ली और अगले ही उसे लगा कि मानो उसने भूत देख लिया हो। उसकी मम्मी खड़ी हुई थी। सौंदर्या को काटो तो खून नहीं

कमला:" क्या हुआ बेटी ? तुझे तो बहुत पसीना आया हैं ?

सौंदर्या:" मम्मी वो मैं वो दौड़ कर अाई हूं । तेजी से इसलिए...


कमला:" क्या हुआ बेटी बोल ना ? डर क्यों रही हैं ?

सौंदर्या को मन कर रहा था कि ये धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए। उससे कोई जवाब नहीं बन रहा था।

कमला: कहीं तेरे पीछे फिर से कुत्ता तो नहीं भाग पड़ा था ?

सौंदर्या की सांस में सांस अाई और बोली:"

" हा हान। मम्मी फिर से कुत्ता मेरे पीछे भाग पड़ा था। बड़ी मुश्किल से बची हू आज।

कमला:" रूक मैं तेरे लिए पानी लाती हूं। बैठ जा आराम से।

सौंदर्या जानती थी कि बैठने से उसके लहंगे में उभार बन सकता है इसलिए कमला के किचेन में घुसते ही वो तेजी से चलती हुई उपर अपने कमरे में घुस गई। उसने जल्दी से पैकेट को बाहर निकाला और अपनी अलमारी में छुपा लिया। वो अलमारी बंद कर रही थी कि अपनी मम्मी की आवाज सुनकर वो गिरते गिरते बची।

" बेटी क्या हुआ? अलमारी में क्या कर रही है तू?

सौंदर्या डर गई कि कहीं उसकी मम्मी ने उसे देख तो नहीं लिया। लेकिन फिर बहाना बनाते हुए बोली:"

" मम्मी सीमा के लिए कोई गिफ्ट देख रही थी। मिला ही नहीं।


कमला:" परेशान मत हो। पैसे दे देना। अपनी पसंद से खरीद लेगी वो। अच्छा लो तुम पहले पानी पियो।

सौंदर्या ने चैन की सांस ली और और अपने कमरे ने बैठ कर पानी पीने लगी।

सौंदर्या:" मम्मी वो आप मुझे पैसे दे दो। मैं अभी बाथरूम से आती हूं।

कमला नीचे की तरफ अाई और सौंदर्या बाथरूम के गेट से वापिस फिर अपने कमरे में घुस गई। उसने पैकेट को ठीक से छुपाया और नीचे अा गई।

कमला ने उसे पैसे दिए और बोली:"

" बेटी मैं भी आऊ क्या तेरे साथ ? क्या पता फिर से कुत्ता मिला जाए।

सौंदर्या:" नहीं मम्मी। आप रहने दो। गर्मी हैं बहुत बाहर। वो तो घर के अंदर चला गया था।

इतना कहकर सौंदर्या तेजी से वापिस

चल पड़ी। उसे चिंता हो रही थी कि अगर सीमा की मम्मी ने सबको बता दिया कि मैं घर गई हूं तो दिक्कत हो जाएगी। वो अपने जिस्म की सारी ताकत समटेकर तेजी से चल रही थी और कुछ ही मिनट में वो सीमा के घर के अंदर घुस गई।

सौंदर्या अंदर डरते हुए घुस गई कि कहीं कोई दिक्कत ना हो जाए लेकिन सभी कुछ था।

सीमा की मम्मी अभी भी बाहर ही काम कर रही थी और अंदर से बाते करने की आवाज अा रही थी। सौंदर्या ने धीरे से मौका देखकर चाभी को निकाला और एक साइड में फेंक दिया और अंदर चली गई।

थोड़ी देर तक उनकी मस्ती भरी बाते चलती रही। उसके बाद धीरे धीरे शाम होने लगी और आखिरकार सीमा के वापिस जाने का समय हो गया। सीमा करीब छह बजे गाड़ी में बैठकर वापिस चली गई।

उसके बाद एक एक करके सभी लड़कियां अपने घर की तरफ लौट गई। सपना और राधा दोनो सपना के घर गई लेकिन वहां अलमारी में डिल्डो ना पाकर दोनो परेशान हो गई। खास तौर से सपना की हालत खराब थी कहीं किसी के घर में हाथ लग गया तो बहुत दिक्कत हो जाएगी।

दूसरी तरफ सौंदर्या अपने घर पहुंच गई। गर्मी ज्यादा होने के कारण उसने अपनी ब्रा निकाल दी और फिर नीचे आकर अपनी मा के साथ काम में लग गई।

सौंदर्या:" मम्मी बाहर कहीं बाहर गया है क्या ? दिख नहीं रहा है।

कमला:" अरे बेटी वो घूमने के लिए गया हुआ हैं। खेत देखने अपने, उसके बाद शाम को वापिस अा जाएगा।

सौंदर्या:" ये तो अच्छा किया भाई ने। मैं भी उसके साथ जाती लेकिन सीमा के यहां चली गई।

कमला:" कोई बात नही, तुम कल चली जाना। अब एक काम करो जल्दी से खाना बनाने में मेरी मदद करो।

सौंदर्या अपनी मा के साथ काम में लग गई और थोड़ी देर बाद ही खाना बन गया। बाहर अब हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था।

अजय खेत देखकर वापिस अा रहा था कि उसे बाथरूम लगी और वो सड़क के किनारे एक खेत में मूतने लगा। तभी उसे खेत के अंदर से कुछ आवाज आती हुई महसूस हुई और अजय सतर्क हो गया।

धीरे धीरे दबे पांव वो आगे बढ़ा और धीरे धीरे अा रही आवाज अब सिसकियों में बदल गई थी। अजय ने देखा कि एक लड़की पूरी तरह से घोड़ी बनी हुई थी और पीछे से कोई उसे चोद रहा था जिससे उसकी मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थी।

अजय ने सेक्सी वीडियो तो बहुत देखी थी लेकिन आज पहली बार सच में सेक्स होते देख रहा था। अजय के लंड में तनाव आने लगा। पीछे से आदमी की गांड़ साफ हिलती हुई दिख रही थी और लड़की की सिसकियां तेज होती जा रही थी। किसी की भी शक्ल वो नहीं देख पा रहा था लेकिन शरीर साफ दिख रहे थे। उसका हाथ अपने आप अपने लंड पर पहुंच गया और पेंट के उपर से ही हिलाने लगा।

तभी आदमी ने तेजी से एक धक्का मारा और लड़की के उपर गिर गया जिससे दोनो आगे को गिर पड़े। इसके साथ दोनो झड़ते चले गए और अजय जानता था कि अब उसका रुकना ठीक नहीं हैं इसलिए बाहर निकल गया और अपने घर की तरफ चल पड़ा।

अजय घर पहुंच गया लेकिन उसके मन में अभी भी वहीं चुदाई वाला दृश्य घूम रहा था और उसके अंदर जबरदस्त हलचल मची हुई थी।

अजय को देखते ही सौंदर्या खुश हो गई और बोली:"

" भाई अा गए खेत से घूमकर तुम ? कैसा लगा ?

अजय:" हान दीदी अा गया। काफी अच्छा लगा, गांव की ताजी साफ हवा। मजा आ गया सच में।

कमला:" अच्छा अभी काफी अंधेरा हो गया है। मुझे तो सीमा के घर जाना हैं थोड़ा काम हैं। सौंदर्या तब तक तुम अपने भाई को खाना खिला देना।

सौंदर्या:" ठीक है मम्मी। चलो भाई तुम जल्दी से फ्रेश होकर अा जाओ। मैं खाना लगा देती हूं।

अजय बाथरूम में घुस गया और थोड़ी देर बाद वापिस अा गया। तब तक खाना लग गया था सौंदर्या वहीं अजय के सामने खड़ी हुई थी। उसने एक गुलाबी रंग का सुंदर सूट पहना हुआ था और उसमें काफी आकर्षक लग रही थी। अजय की नज़रे अपनी बहन पर ही टिकी हुई थी क्योंकि नीचे ब्रा ना होने के कारण उसकी चुचियों का उभार काफी दिख रहा था और सौंदर्या को इसका एहसास नहीं था।

सौंदर्या थोड़ा आगे हुई और स्माइल करती हुई बोली:"

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" भाई देखो मैंने आपकी पसंद का खाना बनाया है। मटर पनीर और रायता भी घर की दही का।

सौंदर्या के थोड़ा आगे होने से उसके उभार पहले से ज्यादा अच्छे से दिख रहे थे और अजय उन्हें देखने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा था।

अजय:" हान दीदी खुशबू तो बहुत अच्छी अा रही है। सच में मजा अा जाएगा आज तो।

सौंदर्या ने अपने भाई को खाना परोसना शुरु कर दिया और अजय खाना खाने लगा।

सौंदर्या:" कैसा बना हैं खाना ? पसंद आया मेरे भाई को ?

अजय:" दीदी बहुत सच में मजा आ गया। आपने बहुत अच्छा खाना बनाया है। दीदी थोड़ा पनीर और दो ना मुझे।

सौंदर्या पनीर देने के लिए थोड़ा सा आगे झुकी और जैसे क़यामत हो गई। सौंदर्या ये भूल गई थी कि उसने ब्रा नहीं पहनी हैं और उसके नीचे झुकते ही उसकी चूचियां आधे से ज्यादा बाहर छलक उठी।

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अपनी बहन की चुचियों के उभार को ऐसे उछलते देखकर अजय मस्त हो गया और उसकी नजरे सीधी वहीं टिक गई।

सौंदर्या को उसकी नज़रों का एहसास हुआ तो उसे अपनी गलती महसूस हुई लेकिन वो आंखे नीची करके पनीर डालती रही और अजय ने जी भर कर अपनी बहन के उभार को निहारा।

जैसे ही सौंदर्या वापिस पीछे हुई तो अजय ने एक आखिरी नजर उसकी चूचियों के उभार पर गड़ाई और खाना खाने में लग गया। सौंदर्या को अब थोड़ी शर्म अा रही थी कि उसे अपने भाई के घर में होते ब्रा नहीं निकालनी चाहिए थी।

अजय खाना खाते हुए बोला:"

" दीदी सच में आपने बहुत ज्यादा स्वादिष्ट खाना बनाया है। जी करता है आपकी उंगलियां चूम लूं। सच में मजा अा गया।

सौंदर्या:" बस बस ज्यादा नौटंकी मत कर। दीदी जब तक ही याद होती हैं तब तक शादी ना हो जाए।

अजय:" तुम्हारी कसम दीदी। सच में खाना अच्छा बना है। और पत्नी के आने से क्या आप मेरी दीदी नहीं रह जाओगे? वैसे वो बाद में आएगी पहले मैं आपकी शादी कर दूंगा।

सौंदर्या:" भाई शादी को छोड़। मुझे तुझसे कुछ जरूरी बात करनी थी।

अजय:" हान बोल मेरी प्यारी बहन। क्या हुआ?

सौंदर्या:" भाई वो लड़की जिसे तुमने गुण्डो से शहर में बचाया था उसे किसी ने मार दिया है।

अजय को एक झटका सा लगा और चौंकते हुए बोला:"

" इसका मतलब गुण्डो ने उसे मार दिया और शायद वो अब मुझसे ढूंढे। उनकी इज्ज़त खराब हुई होगी पिटने के कारण।

सौंदर्या:" तुम्हे भी और भाई तुमसे ज्यादा खतरा तो मुझे हैं क्योंकि मेरे मुंह पर तो मास्क भी नहीं था।

अपनी दीदी की बाते सुनकर अजय को आने वाले खतरे का एहसास हुआ और वो समझ गया कि उसकी दीदी सच में खतरे में पड़ चुकी हैं।

अजय:" दीदी आप फिक्र मत करो। आपके भाई के होते हुए कोई आपको छू भी नहीं सकता है। आज से आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी हैं।

सौंदर्या:" लेकिन भाई तुम कहां कहां मेरे साथ रहोगे ? कोई दूसरा उपाय देखना होगा।

अजय:" जब तक कोई दूसरा उपाय नहीं मिलता मैं हर टाइम आपके साथ रहूंगा। मैं जल्दी ही उन तक पहुंच कर उन्हें पुलिस के हवाले कर दूंगा।
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अजय ने खाना खाया और उसके बाद सौंदर्या बर्तन उठाकर धोने के लिए चली गई। अजय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे उन गुण्डो के बारे में पता लगाए। वो अपने विचारो में डूबा हुआ था और कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा था। वहीं सौंदर्या बर्तन धोने के बाद अपने कमरे में चली गई।
आज बेहद गरम दिन था और दिन में धूप बहुत तेज निकली थी जिसके कारण अभी तक गर्मी महसूस हो रही थी।

सौंदर्या को पसीना अा रहा था इसलिए उसने अपने कमरे में जाकर एसी ऑन किया। रात के समय उसे हल्की और सफेद रंग की सूती नाइटी पहनने की आदत थी इसलिए उसने अपनी ब्रा पेंटी पहनते हुए उपर सफेद रंग की नाइटी पहन ली।

सौंदर्या ने अपनी अलमारी खोली और डिल्डो को देखने लगी। उसने डिल्डो के पैकेट को ठीक से छुपा दिया और उसके होंठो पर मुस्कान तैर गई। वो आज पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी और उसने अपना फोन निकाल कर रिकॉर्डिंग सुनने का फैसला किया और जैसे ही उसने फोन शुरू किया तो लाइट चली गई।

उसका मूड खराब हो गया क्योंकि उसे अभी भी पसीना आया हुआ था। उसने अपना हेड फोन लिया और उपर छत की तरफ चल पड़ी।

छत पर जाकर उसे हवा लगी और कुछ ठंडक का एहसास हुआ तो उसे सुकून मिला। थोड़ी देर में उसका सभी पसीना सूख गया और उसके दिल में फिर से उमंगे जवान होने लगी और उसे फिर से रिकॉर्डिंग सुनने का मन हुआ लेकिन वो जानती थी कि अभी सही समय नहीं हैं इसलिए वो छत पर घूमती रही।

बाहर अभी अभी अंधेरा थोड़ा बढ़ रहा था। नीचे अजय भी गर्मी के कारण परेशान था इसलिए वो भी उपर छत की तरफ आने लगा। अपने कमरे के सामने आते ही उसे ठंडी हवा का एहसास हुआ।उसने अपनी दीदी को ना देखा तो उन्हें आवाज लगाईं

" दीदी कहां हो आप ?

छत पर से सौंदर्या की आवाज अाई :"

" भाई नीचे गर्मी थी तो मैं छत पर अा गई। तुम भी उपर आओ ना देखो कितनी अच्छी हवा चल रही है यहां छत पर !!

अजय उपर की तरफ चल पड़ा और देखा कि उपर छत पर सच में दूर दूर से खुली हवा लग रही थी और देखते ही देखते हवा में ठंडक थोड़ी बढ़ गई।

अजय:" दीदी सच में यहां तो बहुत अच्छी हवा चल रही है। ऐसी हवा में शहर में कहां नसीब होती हैं ? आप उधर कहां हो ?

सौंदर्या बिल्कुल अजय के सामने आ गई और बोली:

:" हान भाई ये बात तो हैं। गांव के तो अपने अलग ही मजे हैं। बिल्कुल शुद्ध खाना और ताजी सब्जियां हवा।

अजय ने जैसे ही अपनी दीदी को नाइटी में देखा तो उसे अपनी दीदी बहुत प्यारी लगी। सच में सफेद रंग की इस नाइटी में सौंदर्या बहुत खूबसूरत लग रही थी। धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा रहा लेकिन बिल्कुल पास से अभी भी सब कुछ साफ दिख रहा था। नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर पूरी तरह से कसी हुई थी।

अजय अपने दीदी के जिस्म के एक एक कटाव को ध्यान से देख रहा था तो सौंदर्या को शर्म महसूस हुई और बोली:"

" भाई क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ?

अजय: देख रहा हूं मेरी दीदी कितनी खूबसूरत है। वैसे दीदी आप इस नाइटी में बिल्कुल कमाल लग रही हो।

सौंदर्या:" भाई क्या फायदा इस खूबसूरती का जब इसकी किसी को कद्र ही नहीं हो।

इतना कहते हुए सौंदर्या हल्की सी उदास हो गई तो अजय उसके बिल्कुल पास पहुंच गया और बोला:'

" दीदी आप इस तरह उदास मत हुआ कीजिए। आपका भाई हैं ना आपकी कद्र करने के लिए।

सौंदर्या ने अपनी भाई की बात सुनकर एक बार उसे देखा और थोड़ी तेजी से बोली:"

" ऐसे कुछ भी बोल देते हो तुम अज्जु भाई। पागल लड़के बहन की खूबसूरती की कद्र भाई नहीं उसके पति करते है।

सौंदर्या की बात सुनकर अजय को अपनी कहीं हुई बात का मतलब समझ में आया तो उसे एहसास हुआ कि उसने क्या बोल दिया हैं और वो बोला:"

" दीदी मेरा मतलब वो नहीं था, मैं ये कहना चाह रहा था कि आपका भाई आपका बहुत ख्याल करेगा और जल्दी ही आपकी कुंडली से दोष भी दूर हो जाएंगे।

सौंदर्या दोष दूर वाली बात सुनकर खुश हुई और उसने अपने भाई का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" क्या सच मैं भाई ? लेकिन ये सब कैसे हो सकता है ? सभी पंडित तो मना करके चले जाते है कि इसका कुछ नहीं हो सकता।

अजय:" मम्मी बता रही थी कि उन्होंने आचार्य तुलसी दास से मिलने के लिए समय मांगा है। और जहां तक मैंने सुना हैं उनके पास हर समस्या का समाधान होता हैं।

अजय की बाते सुनकर सौंदर्या को एक सुकून मिला और बोली:"

" सच में भाई अगर ऐसा हो जाए तो मा भी कितनी खुश होगी। बेचारी मेरी वजह से कितनी परेशान होती है।

अजय:" दीदी मा से ज्यादा खुश तो आप हो जाएगी क्योंकि आपको आपकी खूबसूरती की कद्र करने वाला भी मिला जाएगा फिर कोई।

सौंदर्या के होंठो पर एक पल के लिए मुस्कान तैर गई और अगले ही पल शरमाते हुए बोली:"

" बस बस। ज्यादा मजे मत लो मेरे तुम अज्जु भाई। ज्यादा मत सोचो तुम।

अजय: " दीदी आप जब स्माइल करती है तो कितनी प्यारी लगती है। सच में दीदी।

सौंदर्या:" क्या बात है भाई, आज अपनी बहन की बड़ी तारीफ कर रहे हो तुम।

अजय:" तो इसमें बुराई क्या है, मेरी दीदी सच में हैं भी तो तारीफ ये काबिल।

तभी बहुत जोर से आसमान में बिजली कड़की और सौंदर्या डर के मारे उछल कर अजय के गले लग गई तो अजय ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:"

" क्या हुआ मेरी दीदी बस इस बिजली से डर गई ? कहां तो आप गुण्डो से लड़ पड़ती हो और अभी बिजली से डर गई।

सौंदर्या कांपती हुई बोली:" भाई मुझे बिजली से बहुत डर लगता हैं सच में।

देखते ही देखते रिमझिम बारिश शुरू हो गई और अजय बोला:"

" दीदी बारिश शुरू हो गई है। छोड़ो मुझे नहीं तो हम दोनों भीग जायेगे।

सौंदर्या ने अजय को छोड़ दिया और जैसे ही उससे अलग हुई तो फिर से तेजी से एक बिजली कड़क उठी और सौंदर्या फिर से अपने भाई से कसकर लिपट गई और बोली:"

" भाई देखो कितनी जोर से कड़क रही हैं। डर लगता है मुझे बहुत मेरे भाई।

बारिश तेज दोनो के कारण दोनो पूरी तरह से भीग गए और अजय बोला:"

" दीदी देखो ना इस बिजली के चक्कर में हम पूरी तरह से भीग गए हैं।

सौंदर्या:" भाई जब भीग ही तो नहा लेते हैं अब बारिश में। वैसे भी सीजन की पहली बारिश में मुझे नहाना बहुत पसंद है।

अजय:" अच्छा दीदी। अगर बीच में बिजली कड़क उठी तो फिर क्या होगा?

सौंदर्या ने उसे हल्का सा घूरा और बोली:" तो फिर से अपने भाई से चिपक जाऊंगी। तुम बचा लोगो मुझे।

इतना कहकर सौंदर्या छत के बीच में अा गई और आंखे बंद कर के खड़ी हो गई और नहाने लगी। नाइटी पूरी तरह से गीली होकर उसके जिस्म से चिपक गई थी और उसके जिस्म की बनावट पूरी तरह से साफ साफ नजर आ रही थी।अजय ने पहली बार अपनी बहन को इस मादक रूप में देखा और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। उसके चिकने कंधे, सफेद रंग की ब्रा में कैद उसकी भरी भरी, गोल गोल ठोस चूचियां, बहुत ही सुन्दर सा पेट और चिकनी जांघों को देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। तभी सौंदर्या के गालों पर पानी की एक बूंद अा गिरी और सौंदर्या ने अपने होंठो को खोलते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और उस बूंद को चाट लिया। अजय अपनी बहन की इस हरकत पर पूरी तरह से फिदा हो गया और उसे प्तागी नहीं चला कि कब वो बारिश में नहा रही सौंदर्या के पास बिल्कुल पास पहुंच गया।

बारिश में भीग चुकी नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर ना होने के बराबर हो गई थी। बारिश की बूंदे सौंदर्या के जिस्म को और जला रही थी जिससे सौंदर्या पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और अपने सिर के पीछे बांध दिए। अजय पर उसकी ये हरकत एक ज़ुल्म के समान हुई क्योंकि इससे उसकी चूचियां पूरी तरह से तन कर बिल्कुल अजय के सामने आ गई।



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अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देखते ही अजय की धड़कन पूरी तरह से बढ़ गई और उसके जिस्म में हलचल सी मच गई। वो धीरे धीरे क़दमों से चलता हुआ बिल्कुल सौंदर्या के करीब हो गया और उसकी चूचियों को गौर से देखने लगा।

तभी सौंदर्या ने अपनी आंखे खोल दी और अजय की हालत खराब हो गई लेकिन सौंदर्या को उसकी इस हरकत का एहसास नहीं हुआ और बोली:"

" ओह भाई तुम भी नहा लो अच्छे से। गांव की बारिश में देखो कितना मजा आ रहा है।

अजय ने अपनी आंखे सौंदर्या की आंखो में डाल दी और बोला:"

" सच में दीदी। बहुत अच्छा लग रहा है। बचपन में भी हम दोनों ऐसे ही साथ नहाते थे छत पर।

सौंदर्या:" हान भाई। मुझे सब कुछ याद हैं।

सौंदर्या अपने दोनो हाथ पीछे ले गई और अपने बालो को खोलने लगी ताकि खुल कर बारिश का मजा ले सके। लेकिन जल्दी के चक्कर में उसकी क्लिप बालो में फंस गई और उसके उसे दर्द का एहसास हुआ तो उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी।

सौंदर्या:" उफ्फ भाई। मेरी क्लिप बालो में फंस गई है। निकाल दो ना, आह कितना दर्द कर रही है।

अजय अपनी बहन के पीछे पहुंच गया और उसके बालो में फसी हुई क्लिप को निकालने लगा। अजय अपनी हाथ से क्लिप निकाल रहा था और उसकी नजरे अपनी बहन के दूध से गोरे चिट्टे कंधो पर टिकी हुई थी जिसे देखकर अजय के लंड में भी तनाव अा रहा था।

सौंदर्या:" आह क्या हुआ भाई? निकल नहीं रही हैं क्या ?

अजय ने हल्की सी ताकत लगाई तो उसके बाल खींच गए और उसे दर्द का एहसास हुआ तो सौंदर्या बोली:"

" आह भाई। थोड़ा आराम से करो ना, दर्द होता है।

अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से फंस गई है। थोड़ी दिक्कत हो होगी ही।

सौंदर्या:" अच्छा रुक में थोड़ी मदद करती हूं ।

सौंदर्या थोड़ी पीछे को हुई और उसने अपनी गर्दन को पीछे की तरफ झुका दिया ताकि उसे निकालने में आसानी हो। गर्दन पीछे की तरफ झुकते ही सौंदर्या की चूचियां अपने आप उपर उठती चली गई।

पीछे होने से सौंदर्या अजय से जा लगी और उसकी कमर अजय की छाती से मिल गई। अजय को अनोखे सुख की अनुभूति हुई और उसने क्लिप पर अपनी नजरे टिका दी और खोलने लगा।

सौंदर्या:" आह भाई। लगता है खुल जाएगा।

क्लिप अजय के हाथ में थी और कभी भी खोल सकता था। अजय ने एक आखिरी बार अपनी बहन के कंधे को देखने का सोचा और कंधे पर नजर पड़ते ही उसे सौंदर्या की मस्त मस्त गोल चूचियां आधे से ज्यादा उपर की तरफ उठी नजर आईं तो उन्हें देखने के लिए वो थोड़ा सा और आगे की तरफ झुक गया और उसकी जांघें सौंदर्या के पिछवाड़े से मिल गई। अजय ने सौंदर्या के कुछ बाल पकड़े और उन्हें क्लिप में फिर से फंसा दिया।

सौंदर्या की कमर अजय की छाती से चिपक जाने से सौंदर्या को पहली बाद मर्द की छुवन का एहसास हुआ तो उसके जिस्म के तार झनझना उठे और बोली:"

" निकाल ना भाई, क्या कर रहा है इतनी देर से ?

अजय थोड़ा सा आगे को हुआ और उसकी जांघें अब पूरी तरह से सौंदर्या की टांगो में पीछे से चिपक गई और अजय अब बिल्कुल अपने पंजो पर खड़े होते हुए जितना हो सकता था आगे कि तरफ झुक गया जिससे उसे सौंदर्या की चूचियां पूरी नजर आ रही थी। बस निप्पल ही अंदर कैद थे और पूरी चूचियां बाहर।

अजय ने चूचियों को देखते हुए बालो को खोलना शुरू कर दिया। सौंदर्या के गर्म जिस्म की आंच पाकर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा जिसका एहसास अब सौंदर्या को हो रहा था। अजय की सांसे तेज हो गई थी और सीधे सौंदर्या की गर्दन पर पड़कर उसकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिससे उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी और उसकी चुचियों में कम्पन होने लगा और उसके जिस्म में चिंगारी सी उठने लगी और सौंदर्या मचलते हुए बोली:"

" आह भाई, तुम भी ना बस, एक क्लिप नहीं खुल रही तुमसे, इतने बड़े हो गए हो।

अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से आपके बाल फंसे हुए हैं, थोड़ा जोर लगाता हूं तो आपको दर्द होता है।

सौंदर्या:" आह लगा दे जोर, लेकिन थोड़ा ध्यान से करना, कहीं मेरे बाल ही ना फाड़ दो।

अजय ने अपने एक हाथ को सौंदर्या के कंधे पर रखकर उसकी गर्दन को पीछे की तरफ किया तो सौंदर्या अपने पंजों के बल खड़ी हो गई और जिससे उसकी कमर उसकी छाती में घुस सी गई और अजय थोड़ा आगे को हुआ और तेजी से जोर से क्लिप को बाहर खींचा तो उसका पूरी तरह से खड़ा हो चुका लंड सौंदर्या की गांड़ में टकराया।

क्लिप के साथ कुछ बाल भी खींच गए और सौंदर्या को अपने पिछवाड़े में कुछ बहुत सख्त सा टकराता महसूस हुआ और सौंदर्या के मुंह से एक आह निकल गई। ये आह बालो में हुए दर्द की वजह से कम और पीछे लंड टकराने की वज़ह से ज्यादा निकली थी। झटके की वजह से क्लिप निकल गई लेकिन हाथ से छूट कर वहीं गिर पड़ी छत पर।

सौंदर्या पलटी और उसने थोड़ा नाराजगी से अजय के सीने में कुछ घुस्से जमा दिए और शिकायती लहजे में बोली:"

" अज्जु भाई, पूरे ज़ालिम हो तुम, हर काम ताकत से नही होता, थोड़ा दिमाग भी लगाया करो। आज तो तुम मेरी जान ही निकाल देते। चलो लाओ मेरी क्लिप दो जल्दी।

अजय ने अपने हाथ में देखा तो क्लिप नहीं थीं। सौंदर्या ने उधर उधर देखा तो पाया कि क्लिप वहीं निकल कर गिर गई है तो वो क्लिप झुकाने के लिए जैसे ही नीचे झकी तो उसकी चूचियां काबू से बाहर होकर उछल पड़ी मानो अपनी आजादी चाहती हो।

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अजय अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देख कर सम्मोहित सा हो गया और उसकी नजर एक बार फिर से अपनी बहन की चुचियों के उभार पर ठहर गई। सौंदर्या ने क्लिप को पकड़ना चाहा लेकिन छत पर बह रहे पानी के साथ वो थोड़ी आगे पहुंच गई और ठीक अजय के सामने पहुंच गई जिसका लंड अब पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया था। सौंदर्या ने तेजी से आगे होते हुए उसे पकड़ लिया और क्लिप हाथ में लेकर सौंदर्या जैसे ही उपर उठी तो उसका माथा अपने भाई के तम्बू से टकराया और उसके मुंह से फिर से आह निकल पड़ी। लंड पर अपनी बहन का माथा लगते ही अजय की नजरे उसकी चुचियों से हट गई और सौंदर्या ने एक बार खड़ी होते हुए उपर की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके माथे पर क्या लगा था तो उसकी आंखे शर्म से झुक गई। हे भगवान उफ्फ ये क्या हो गया।

सौंदर्या तेजी से पलटी और नीचे की तरफ भागती हुई चली गई। वहीं अजय को जैसे कुछ समझ ही नहीं आया। उफ्फ ये मुझसे क्या पाप हो गया, पता नहीं दीदी अब मेरे बारे में क्या सोचेगी।

अजय भी अपनी बहन के पीछे पीछे ही नीचे की तरफ अा गया। नीचे लाइट अा गई थी और सौंदर्या तेजी से चलती हुई अपने कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने का सोचने लगी। उसने अपनी अलमारी को खोलना चाहा लेकिन वो नहीं खुल पाई क्योंकि उसका लॉक बुरी तरह से फंस गया था।

सौंदर्या को लगा कि अजय उसकी मदद कर सकता है लेकिन वो अपने भाई की नजरो का सामना कैसे कर पाएगी। छत पर जो हुआ उसके बाद अभी तक उसकी सांसे उखड़ी हुई थी और उसके जिस्म के रोम रोम में एक अजीब सी मस्ती छाई हुई थी।

सौंदर्या को जब कोई उपाय समझ नही आया तो उसने बेड के नीचे रखे हुए संदूक से अपने कपड़े निकालने की सोची लेकिन संदूक तो भारी था। मतलब उसे दोनो ही हालत में अजय की मदद लेनी होगी लेकिन अगर अलमारी नहीं खुल पाई तो आज रात के उसके प्लान का क्या होगा क्योंकि डिल्डो तो अलमारी में ही बंद हैं। डिल्डो के बारे में सोचते ही उसके मन में मस्ती भरी तरंगे उठने लगी और वो बिना कुछ समझे बाहर की तरफ अाई तो उसकी नजर अजय पर पड़ गई। अजय को देखते ही उसकी हालत फिर से खराब हो गई गर्दन अपने आप शर्म से नीचे झुक गई। लेकिन सौंदर्या शर्मीली जरूर थी पर हिम्मत की कोई कमी नहीं थी। उसने अपनी नजरे नीचे ही रखी और बोली:"

" भाई मेरे सारे कपड़े भीग गए हैं और मम्मी अा गई तो मुझे डांट पड़ेगी। क्या तुम मेरा संदूक निकाल सकते हो ? भारी हैं वो मुझसे बाहर नहीं अा रहा।

अजय अपनी बहन की बात सुनकर थोड़ा अच्छा महसूस किया और बोला:'

" ठीक है दीदी। मैं निकाल देता हूं इसमें कौन सी बड़ी बात हैं।

अजय उसके कमरे में घुस गया और बेड के नीचे रखे हुए संदूक को अपनी तरफ़ खींचने लगा लेकिन संदूक खड़ा हो गया था जिससे पुरा बेड हिल रहा था और सब कुछ उल्टा पुल्टा होने का खतरा था इसलिए सौंदर्या बोली:"

" भाई बस वहीं सीधा कर दो, कहीं बेड ही ना खींच जाए, मैं निकाल लुगी अंदर से ही।

अजय ने अपनी दीदी की बात मानते हुए संदूक को वहीं सीधा कर दिया और खड़ा हो गया तो सौंदर्या नीचे फर्श पर अपने घुटनों के बल झुक गई और अंदर झांकने लगी। सौंदर्या के झुकने से उसकी गांड़ पूरी तरह से उसकी गीली नाइटी में चिपक गई और पूरी तरह से खुल कर बाहर की तरफ उठ गई।

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सौंदर्या थोड़ा आगे को हुई और बेड के नीचे झांकने लगी। नाइटी उसके कंधो से हल्की सी खिसक गई और उसके दूधिया गोरे कंधे संगमरमर की तरह चमक उठे और उसके खुले हुए बाल उसकी कमर पर फैल गए। अजय ये नजारा देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। उसे आज समझ में आ रहा था कि उसकी बहन क्या चीज हैं। उसकी उठी हुई मोटी मोटी गांड़, बाहर की तरफ निकली हुई बिल्कुल जानलेवा, एकदम किसी स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह या उससे भी कहीं बेहतर।

सौंदर्या संदूक को खोलने की कोशिश करने लगी जिससे उसका जिस्म इधर उधर लहराने लगा और तो पूरी तरह से अपने होश खो चुका था और उसका एक हाथ अपने लंड पर अपने आप ही पहुंच गया।

सौंदर्या के हाथ ठीक से संदूक तक नहीं पहुंच पा रहे थे जिससे वो थोड़ा ज्यादा आगे को हुई और उसकी नाइटी बेड के साथ फंस गई और सौंदर्या की। कमर पर खिसक गई जिसका नतीजा ये हुआ कि पीछे से सौंदर्या की गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई।


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अपनी बहन के मात्र सफेद रंग की पतली से पेंटी में कैद गोरे गोरे गांड़ के पटो को देखते ही अजय के मुंह से एक आह निकल पड़ी। सौंदर्या इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसकी नाइटी गांड़ पर से खिसक गई है। वो संदूक को खोल चुकी थी और अपने कपड़े निकाल रही थी जिससे उसकी गांड़ बार बार इधर उधर उछल रही थी। अजय का मन कर रहा था कि वो आगे बढ़ कर गांड़ को अपने दोनो हाथो में थाम कर रगड़ रगड़ कर मसल डाले। लेकिन अपनी सगी बहन पर हाथ डालने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी।


सौंदर्या ने अपने कपड़े निकाल लिए और संदूक बंद करने के लिए जैसे ही हल्की सी आगे हो हुई तो उसकी गांड़ थोड़ा और अच्छे से खुल गई और अजय अपने होशो हवास खो बैठा और बिल्कुल सौंदर्या की गांड़ के पास बैठ गया और अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लिया और सहलाने लगा। सौंदर्या ने संदूक को बंद किया और धीरे धीरे पीछे को हटने लगी। अजय सौंदर्या की गांड़ को देखते हुए पूरी तरह से मदहोश होकर पागल हो गया था और सौंदर्या के पीछे हटने से उसकी गांड़ लंड के करीब होती जा रही थी लेकिन मदहोश अजय ये सब होते देख कर तेजी से अपना लंड सहला रहा था। सौंदर्या जैसे ही एक झटके से पीछे हुई तो बेड में फंसी हुई नाइटी पीछे उसकी गान्ड पर अा गई लेकिन उसकी गांड़ अपने भाई के लंड से जोर से टकराई।

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सौंदर्या के मुंह से फिर से दर्द भरी आह निकल पड़ी और अजय ने तेजी से अपने लंड को पैंट के अंदर किया और सौंदर्या बाहर निकल गई। सौंदर्या के चेहरे का रंग एक बार फिर से उड़ गया था और उसने एक तिरछी नजर अजय की पेंट में बने हुए उभार पर डाली तो उसे समझ में आ गया कि उसकी गांड़ पर क्या टकराया था। हाय राम, कितना बड़ा उभार बना हुआ है इसकी पेंट में,इंसान है या घोड़ा ये मेरा भाई भी।

सौंदर्या के जिस्म में रोमांचक लहर दौड़ रही थी। लंड को देखते ही उसे फिर से डिल्डो याद अा गया लेकिन वो तो अलमारी में बंद हैं और आज उससे अलमारी तो नहीं खुल सकती।

उसने जोश में आकर एक फैसला लिया और अजय से बोली:"

" भाई तुम मेरी ये अलमारी भी खोल दो, मुझसे तो नहीं खुल रही हैं ये।

अजय बिना किसी बोले अलमारी के पास पहुंच गया और उसे खोलने लगा लेकिन उससे नहीं खुल रही थी। सौंदर्या तिरछी नजरों से बार बार उसके पेंट में बने हुए उभार को देख रही थी। उसे समझ में नहीं अा रहा था कि इतना बड़ा उभार क्या सच में लंड का हो सकता हैं।

अजय से अलमारी नहीं खुल रही थी तो वो बोला:"

" दीदी कल दिन में खोल दू क्या ? अभी तो नहीं खुल रही है।

सौंदर्या उदास सी हो गई और बोली:" भाई प्लीज़ आज ही खोल दो ना आप, इतनी ताकत हैं मेरे भाई के अंदर।

अजय ने थोड़ा अच्छे से अलमारी को पकड़ा और खोलने की कोशिश करते हुए बोला:"

" उफ्फ कितनी टाइट हैं,ऐसा क्या है दीदी इस अलमारी में जो आपको अभी चाहिए ?

सौंदर्या एक पल के लिए तो सकपका सी गई क्योंकि उसे तो अलमारी से डिल्डो चाहिए था लेकिन अपने भाई से कैसे बोल सकती हैं। फिर स्माइल करते हुए बोली:"

" भाई मेरे कुछ प्रोजेक्ट हैं जो आज रात मुझे देखने हैं, कल मुझे उसकी क्लास लेनी होगी।

अजय ने अलमारी के लॉक को अच्छे से पकड़ा और उसे पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचा तो एक जोरदार झटके के साथ अलमारी खुल गई और सारा सामान बेड पर गिर पड़ा। पैकेट से बाहर निकल कर डिल्डो गिरा और अजय की आंखो के ठीक सामने। सौंदर्या को काटो तो खून नहीं, उसके चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़ गया।

अजय ने आगे बढ़कर डिल्डो को हाथ में उठा लिया और एक बार अपनी बहन की तरफ देखा जो सूखे पत्ते की कांप रही थी। अजय की नजरो का सामना करते ही सौंदर्या बेहोश हो गई और नीचे हवा में गिरने लगीं लेकिन अजय ने अपनी मजबूत बांहों में थाम लिया और बेड पर लिटा दिया। तभी बाहर दरवाजा खुला और वो समझ गया कि उसकी मम्मी वापिस लौट अाई हैं। उसने तेजी से सारा सामान अलमारी में भरा और डिल्डो को भी वापिस अलमारी में रख दिया और एक नजर अपने बहन के चेहरे पर डालकर अपने कमरे में घुस गया।

कमला नीचे अा गई और वो भी बारिश में काफी भीग गई थी इसलिए नीचे कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने लगीं।

अजय को अपनी आंखो पर यकीन नहीं हो रहा था। उसकी सीधी साधी सी दिखने वाली संस्कारी दीदी के पास डिल्डो भी होगा ये उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी।

अपनी मा की तरफ से बेफिक्र होकर वो फिर से अपनी बहन के कमरे में घुस गया। सौंदर्या अभी तक बिस्तर पर ऐसे ही बेहोश पड़ी हुई थी। अजय ने एक नजर अपनी बहन पर डाली और उसके मन में एक विचार अाया। उसने अलमारी को खोला और डिल्डो बाहर निकाल लिया।

अलमारी खुलने की आवाज से सौंदर्या की आंखे खुल गई लेकिन अपने भाई के हाथ में डिल्डो देखकर उसने आंखे बंद रखने में ही भलाई समझी। अजय डिल्डो को अपनी नाक के पास लाया और सूंघने लगा।

सौंदर्या बिस्तर पर पड़ी पड़ी ही फिर से कांप उठी क्योंकि वो समझ गई थी कि उसका भाई डिल्डो इसलिए सूंघ रहा है कि वो उसकी चूत के रस की गंध महसूस कर सके। सौंदर्या के बदन में फिर से उत्तेजना दौड़ने लगी लेकिन उसने अपनी आंखो को बंद ही रखा और धीरे धीरे उसे बीच बीच में देख रही थी।


अजय को डिल्डो से उठती हुई खुशबू मदहोश कर रही थी इसलिए उसने अपनी आंखे बंद कर ली और जोर जोर से उसे सूंघने लगा। अजय ने मस्ती में अपना एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और उपर से ही सहलाने लगा। सौंदर्या ये सब देखते ही मचल उठी और अपने जांघो को आपस में रगड़ना शुरू कर दिया। तभी अजय के दिमाग में एक विचार आया कि उसकी बहन तो बेहोश हैं तो डिल्डो से क्यों खुशबू सूंघना, क्यों ना सीधे अपनी बहन की पेंटी से ही सूंघ लू। सौंदर्या को कुछ पता भी नही चलेगा और उसके मजे हो जाएंगे। ये विचार मन में आते ही उसने एक बार सौंदर्या की तरफ देखा और सौंदर्या फिर से अपनी आंखे बंद कर ली। अजय धीरे धीरे अपनी बहन के पास बैठ गया और उसे प्यार से आवाज लगाई

" सौंदर्या दीदी। मेरी प्यारी दीदी उठ जाओ आप।

लेकिन सौंदर्या ने शर्म के मारे कोई जवाब नहीं दिया तो अजय समझ गया कि उसकी बहन अभी तक बेहोश ही हैं तो उसने धीरे से सौंदर्या की नाइटी ऊपर की तरफ सरका दी और सौंदर्या की हालत पूरी तरह से खराब हो गई। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि उसका भाई क्या करने जा रहा है और वो कुछ बोल पाने की स्थिति में भी नहीं थी इसलिए चुप लेती रही।

नाइटी के उपर जाते ही अजय ने एक नजर अपनी बहन की दूध की गोरी, केले के तने के समान चिकनी जांघों पर डाली और अगले ही पल उसकी जांघो के बीच में अपना मुंह घुसा दिया। सौंदर्या का समूचा वजूद कांप उठा और उसकी सांसे तेजी से चलने लगी। अजय ने अपने मुंह को आगे किया और सीधे उसकी जांघो के जोड़ पर पेंटी के उपर से सूंघने लगा। अपनी भाई की गर्म गर्म सांसे अपनी पेंटी के ऊपर पड़ते ही सौंदर्या के मुंह से आह निकलते निकलते बची। उसने अपने एक हाथ से बेड शीट को दबोच लिया और दूसरे से अपने मुंह को कस कर बंद कर लिया।


सौंदर्या की पेंटी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीगी हुई थी और अजय ने अपनी नाक को पेंटी के उपर टिका दिया और सूंघने लगा। सौंदर्या की टांगे अपने आप ही थोड़ी सी खुल गई। तभी सीढ़ियों से कमला के आने की आहट हुई और अजय फुर्ती से उठा और उसने सौंदर्या की नाइटी को ठीक किया और उसके ऊपर एक चादर डाल कर वहीं बेड पर बैठ गया और मोबाइल में वीडियो देखने लगा।

कमला अंदर अा गई और बोली:"

" अरे मैं तुम दोनों को नीचे देख रही थी और तुम दोनों यहां हो।

अजय:" मम्मी मैं उपर ही अा गया खाना खाकर और दीदी से बात करने लगा। ये बात करते करते ही सो गई।

कमला:" ओह बेचारी, थक गई होंगी, दिन भर काम किया इसने आज सीमा की मम्मी बता रही थी मुझे। अरे ये बेड शीट गीली क्यों हो रही है?

बेड पर बैठते ही कमला को शीट के गीले होने का एहसास हुआ। सौंदर्या समझ गई कि अब उसे बोलना ही पड़ेगा क्योंकि उसकी चादर के नीचे डिल्डो भी पड़ा हुआ था। भाई की नजरो में तो वो गिर ही गई और मा की नजरो में बचना चाहती थी इसलिए सौंदर्या के धीरे से अपनी आंखे खोल दी और बोली:"

" मम्मी आप कब अाई ? वो मैं छत पर भीग गई थी इसलिए गीली हो गई।

कमला ने एक झटके के साथ चादर को हटा दिया और बोली:"

" पागल लड़की गीले कपड़ों के साथ सोएगी तो बीमार पड़ जाएगी।

चादर के हटते ही डिल्डो बाहर अा गया लेकिन इससे पहले कि कमला की नजर पड़ती अजय ने उसे अपनी टांग के नीचे दबा लिया और सौंदर्या ने राहत की सांस ली।

कमला:" चलो जल्दी दे खड़ी होकर अपने कपड़े बदल लो और फिर आराम से सो जाना।

इतना बोलकर कमला उठी और चादर लेकर बाहर की तरफ निकल गई। सौंदर्या ने अजय की देखा और अजय ने बिना कुछ कहे डिल्डो को अपनी दीदी के हाथ में थमा दिया।


सौंदर्या का मुंह शर्म से लाल हो गया और बोली:"

" भाई मुझे क्यों दे रहे हो? मैं क्या करू इसका ?

अजय:" अब दीदी आपका हैं तो आपको ही दूंगा। आप खुद समझो क्या करना है।

सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसके मुंह से क्या निकल गया। वो फिर से हड़बड़ा गई और बोली:"

" भाई मेरा वो मतलब नहीं था। भाई मैं सच कहती हूं ये मेरा नहीं है। मेरा यकीन करो।

अजय:" दीदी मुझसे इससे कोई मतलब नहीं है। आप अपने तरीके से अपनी ज़िन्दगी जियो। लेकिन आगे से इसे संभाल कर रखना, मा ने देख लिया तो आपको बहुत दिक्कत होगी।

इतना कहकर अजय बाहर निकल गया और पीछे हताश, उदास सी खड़ी सौंदर्या उसे आवाज देती रह गई।
 
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Luffy

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अजय ने खाना खाया और उसके बाद सौंदर्या बर्तन उठाकर धोने के लिए चली गई। अजय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे उन गुण्डो के बारे में पता लगाए। वो अपने विचारो में डूबा हुआ था और कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा था। वहीं सौंदर्या बर्तन धोने के बाद अपने कमरे में चली गई।
आज बेहद गरम दिन था और दिन में धूप बहुत तेज निकली थी जिसके कारण अभी तक गर्मी महसूस हो रही थी।

सौंदर्या को पसीना अा रहा था इसलिए उसने अपने कमरे में जाकर एसी ऑन किया। रात के समय उसे हल्की और सफेद रंग की सूती नाइटी पहनने की आदत थी इसलिए उसने अपनी ब्रा पेंटी पहनते हुए उपर सफेद रंग की नाइटी पहन ली।

सौंदर्या ने अपनी अलमारी खोली और डिल्डो को देखने लगी। उसने डिल्डो के पैकेट को ठीक से छुपा दिया और उसके होंठो पर मुस्कान तैर गई। वो आज पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी और उसने अपना फोन निकाल कर रिकॉर्डिंग सुनने का फैसला किया और जैसे ही उसने फोन शुरू किया तो लाइट चली गई।

उसका मूड खराब हो गया क्योंकि उसे अभी भी पसीना आया हुआ था। उसने अपना हेड फोन लिया और उपर छत की तरफ चल पड़ी।

छत पर जाकर उसे हवा लगी और कुछ ठंडक का एहसास हुआ तो उसे सुकून मिला। थोड़ी देर में उसका सभी पसीना सूख गया और उसके दिल में फिर से उमंगे जवान होने लगी और उसे फिर से रिकॉर्डिंग सुनने का मन हुआ लेकिन वो जानती थी कि अभी सही समय नहीं हैं इसलिए वो छत पर घूमती रही।

बाहर अभी अभी अंधेरा थोड़ा बढ़ रहा था। नीचे अजय भी गर्मी के कारण परेशान था इसलिए वो भी उपर छत की तरफ आने लगा। अपने कमरे के सामने आते ही उसे ठंडी हवा का एहसास हुआ।उसने अपनी दीदी को ना देखा तो उन्हें आवाज लगाईं

" दीदी कहां हो आप ?

छत पर से सौंदर्या की आवाज अाई :"

" भाई नीचे गर्मी थी तो मैं छत पर अा गई। तुम भी उपर आओ ना देखो कितनी अच्छी हवा चल रही है यहां छत पर !!

अजय उपर की तरफ चल पड़ा और देखा कि उपर छत पर सच में दूर दूर से खुली हवा लग रही थी और देखते ही देखते हवा में ठंडक थोड़ी बढ़ गई।

अजय:" दीदी सच में यहां तो बहुत अच्छी हवा चल रही है। ऐसी हवा में शहर में कहां नसीब होती हैं ? आप उधर कहां हो ?

सौंदर्या बिल्कुल अजय के सामने आ गई और बोली:

:" हान भाई ये बात तो हैं। गांव के तो अपने अलग ही मजे हैं। बिल्कुल शुद्ध खाना और ताजी सब्जियां हवा।

अजय ने जैसे ही अपनी दीदी को नाइटी में देखा तो उसे अपनी दीदी बहुत प्यारी लगी। सच में सफेद रंग की इस नाइटी में सौंदर्या बहुत खूबसूरत लग रही थी। धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा रहा लेकिन बिल्कुल पास से अभी भी सब कुछ साफ दिख रहा था। नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर पूरी तरह से कसी हुई थी।

अजय अपने दीदी के जिस्म के एक एक कटाव को ध्यान से देख रहा था तो सौंदर्या को शर्म महसूस हुई और बोली:"

" भाई क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ?

अजय: देख रहा हूं मेरी दीदी कितनी खूबसूरत है। वैसे दीदी आप इस नाइटी में बिल्कुल कमाल लग रही हो।

सौंदर्या:" भाई क्या फायदा इस खूबसूरती का जब इसकी किसी को कद्र ही नहीं हो।

इतना कहते हुए सौंदर्या हल्की सी उदास हो गई तो अजय उसके बिल्कुल पास पहुंच गया और बोला:'

" दीदी आप इस तरह उदास मत हुआ कीजिए। आपका भाई हैं ना आपकी कद्र करने के लिए।

सौंदर्या ने अपनी भाई की बात सुनकर एक बार उसे देखा और थोड़ी तेजी से बोली:"

" ऐसे कुछ भी बोल देते हो तुम अज्जु भाई। पागल लड़के बहन की खूबसूरती की कद्र भाई नहीं उसके पति करते है।

सौंदर्या की बात सुनकर अजय को अपनी कहीं हुई बात का मतलब समझ में आया तो उसे एहसास हुआ कि उसने क्या बोल दिया हैं और वो बोला:"

" दीदी मेरा मतलब वो नहीं था, मैं ये कहना चाह रहा था कि आपका भाई आपका बहुत ख्याल करेगा और जल्दी ही आपकी कुंडली से दोष भी दूर हो जाएंगे।

सौंदर्या दोष दूर वाली बात सुनकर खुश हुई और उसने अपने भाई का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" क्या सच मैं भाई ? लेकिन ये सब कैसे हो सकता है ? सभी पंडित तो मना करके चले जाते है कि इसका कुछ नहीं हो सकता।

अजय:" मम्मी बता रही थी कि उन्होंने आचार्य तुलसी दास से मिलने के लिए समय मांगा है। और जहां तक मैंने सुना हैं उनके पास हर समस्या का समाधान होता हैं।

अजय की बाते सुनकर सौंदर्या को एक सुकून मिला और बोली:"

" सच में भाई अगर ऐसा हो जाए तो मा भी कितनी खुश होगी। बेचारी मेरी वजह से कितनी परेशान होती है।

अजय:" दीदी मा से ज्यादा खुश तो आप हो जाएगी क्योंकि आपको आपकी खूबसूरती की कद्र करने वाला भी मिला जाएगा फिर कोई।

सौंदर्या के होंठो पर एक पल के लिए मुस्कान तैर गई और अगले ही पल शरमाते हुए बोली:"

" बस बस। ज्यादा मजे मत लो मेरे तुम अज्जु भाई। ज्यादा मत सोचो तुम।

अजय: " दीदी आप जब स्माइल करती है तो कितनी प्यारी लगती है। सच में दीदी।

सौंदर्या:" क्या बात है भाई, आज अपनी बहन की बड़ी तारीफ कर रहे हो तुम।

अजय:" तो इसमें बुराई क्या है, मेरी दीदी सच में हैं भी तो तारीफ ये काबिल।

तभी बहुत जोर से आसमान में बिजली कड़की और सौंदर्या डर के मारे उछल कर अजय के गले लग गई तो अजय ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:"

" क्या हुआ मेरी दीदी बस इस बिजली से डर गई ? कहां तो आप गुण्डो से लड़ पड़ती हो और अभी बिजली से डर गई।

सौंदर्या कांपती हुई बोली:" भाई मुझे बिजली से बहुत डर लगता हैं सच में।

देखते ही देखते रिमझिम बारिश शुरू हो गई और अजय बोला:"

" दीदी बारिश शुरू हो गई है। छोड़ो मुझे नहीं तो हम दोनों भीग जायेगे।

सौंदर्या ने अजय को छोड़ दिया और जैसे ही उससे अलग हुई तो फिर से तेजी से एक बिजली कड़क उठी और सौंदर्या फिर से अपने भाई से कसकर लिपट गई और बोली:"

" भाई देखो कितनी जोर से कड़क रही हैं। डर लगता है मुझे बहुत मेरे भाई।

बारिश तेज दोनो के कारण दोनो पूरी तरह से भीग गए और अजय बोला:"

" दीदी देखो ना इस बिजली के चक्कर में हम पूरी तरह से भीग गए हैं।

सौंदर्या:" भाई जब भीग ही तो नहा लेते हैं अब बारिश में। वैसे भी सीजन की पहली बारिश में मुझे नहाना बहुत पसंद है।

अजय:" अच्छा दीदी। अगर बीच में बिजली कड़क उठी तो फिर क्या होगा?

सौंदर्या ने उसे हल्का सा घूरा और बोली:" तो फिर से अपने भाई से चिपक जाऊंगी। तुम बचा लोगो मुझे।

इतना कहकर सौंदर्या छत के बीच में अा गई और आंखे बंद कर के खड़ी हो गई और नहाने लगी। नाइटी पूरी तरह से गीली होकर उसके जिस्म से चिपक गई थी और उसके जिस्म की बनावट पूरी तरह से साफ साफ नजर आ रही थी।अजय ने पहली बार अपनी बहन को इस मादक रूप में देखा और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। उसके चिकने कंधे, सफेद रंग की ब्रा में कैद उसकी भरी भरी, गोल गोल ठोस चूचियां, बहुत ही सुन्दर सा पेट और चिकनी जांघों को देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। तभी सौंदर्या के गालों पर पानी की एक बूंद अा गिरी और सौंदर्या ने अपने होंठो को खोलते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और उस बूंद को चाट लिया। अजय अपनी बहन की इस हरकत पर पूरी तरह से फिदा हो गया और उसे प्तागी नहीं चला कि कब वो बारिश में नहा रही सौंदर्या के पास बिल्कुल पास पहुंच गया।

बारिश में भीग चुकी नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर ना होने के बराबर हो गई थी। बारिश की बूंदे सौंदर्या के जिस्म को और जला रही थी जिससे सौंदर्या पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और अपने सिर के पीछे बांध दिए। अजय पर उसकी ये हरकत एक ज़ुल्म के समान हुई क्योंकि इससे उसकी चूचियां पूरी तरह से तन कर बिल्कुल अजय के सामने आ गई।



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Nice update
 

aalu

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Anokhe bhaiya aaj toh bijili saundarya pe kam hum pe gira diya aapne,, mausam kee pehli fuhar, ne dono bhai-behno kee zindagi hi badla diye hain, aaj kuchh aisa ho gaya.. jo itne saalo mein in dono ne kabhi socha bhi na hoga.. Jis bahan ko wo hamesha izzat hi karta tha... aaj wasna kee najro se dekhne ko aatur ho gaya, shayad halat aise the,, ya saundarya kee sundarta jo usse kheench layee...

Aur saundarya bhi kya kare, itne barso se mard ke sparsh se anjan,,, achanak se itne ghatnaye ek saath ho jaane ke karan kuchh pratikriya dene layak na rahi... Kahan toh wo dono, us anjan khooni se khud ko bachane ke liye chintit the, lekin halat ne kuchh naye hi sawal khare kar diya unke man mein...

Baarish se le ke kamre tak ke safar mein har wo mumkin ghatna hui jisse ajay.. saundarya ke jism ke prati aashakt ho gaya hain.. kahna usne aaj suhagrat ke kisse with dildo ka socha tha,, lekin ab bechari sharm ke maare, usse chhone se bhi katra rahi hain... Jo ankahi deewar thee unke beech aaj wo hil gayee, hain, agar aaj unki mata shree nahin aati... toh beshak ajay kuchh aur doori tay kar leta saundarya ke najdeek jaane ke,, wasna waise bhi sochne-samajhne ke shakti khamt kar deti hain,,, kahan wo chhat waale ghatnakram se vichlit tha apni behen ka samna karne se,, aur kahna usse bhi aur aage badh gaay..

Aaj saundarya ne bhi jaan liya kee uska bhai, uske jism pe mohit ho chuka hain,, shayad aaj kuchh anchacha bhi ghatit ho jata...

khair a marvelous one, left us high and dry... Loved it...
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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अजय ने खाना खाया और उसके बाद सौंदर्या बर्तन उठाकर धोने के लिए चली गई। अजय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे उन गुण्डो के बारे में पता लगाए। वो अपने विचारो में डूबा हुआ था और कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा था। वहीं सौंदर्या बर्तन धोने के बाद अपने कमरे में चली गई।
आज बेहद गरम दिन था और दिन में धूप बहुत तेज निकली थी जिसके कारण अभी तक गर्मी महसूस हो रही थी।

सौंदर्या को पसीना अा रहा था इसलिए उसने अपने कमरे में जाकर एसी ऑन किया। रात के समय उसे हल्की और सफेद रंग की सूती नाइटी पहनने की आदत थी इसलिए उसने अपनी ब्रा पेंटी पहनते हुए उपर सफेद रंग की नाइटी पहन ली।

सौंदर्या ने अपनी अलमारी खोली और डिल्डो को देखने लगी। उसने डिल्डो के पैकेट को ठीक से छुपा दिया और उसके होंठो पर मुस्कान तैर गई। वो आज पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी और उसने अपना फोन निकाल कर रिकॉर्डिंग सुनने का फैसला किया और जैसे ही उसने फोन शुरू किया तो लाइट चली गई।

उसका मूड खराब हो गया क्योंकि उसे अभी भी पसीना आया हुआ था। उसने अपना हेड फोन लिया और उपर छत की तरफ चल पड़ी।

छत पर जाकर उसे हवा लगी और कुछ ठंडक का एहसास हुआ तो उसे सुकून मिला। थोड़ी देर में उसका सभी पसीना सूख गया और उसके दिल में फिर से उमंगे जवान होने लगी और उसे फिर से रिकॉर्डिंग सुनने का मन हुआ लेकिन वो जानती थी कि अभी सही समय नहीं हैं इसलिए वो छत पर घूमती रही।

बाहर अभी अभी अंधेरा थोड़ा बढ़ रहा था। नीचे अजय भी गर्मी के कारण परेशान था इसलिए वो भी उपर छत की तरफ आने लगा। अपने कमरे के सामने आते ही उसे ठंडी हवा का एहसास हुआ।उसने अपनी दीदी को ना देखा तो उन्हें आवाज लगाईं

" दीदी कहां हो आप ?

छत पर से सौंदर्या की आवाज अाई :"

" भाई नीचे गर्मी थी तो मैं छत पर अा गई। तुम भी उपर आओ ना देखो कितनी अच्छी हवा चल रही है यहां छत पर !!

अजय उपर की तरफ चल पड़ा और देखा कि उपर छत पर सच में दूर दूर से खुली हवा लग रही थी और देखते ही देखते हवा में ठंडक थोड़ी बढ़ गई।

अजय:" दीदी सच में यहां तो बहुत अच्छी हवा चल रही है। ऐसी हवा में शहर में कहां नसीब होती हैं ? आप उधर कहां हो ?

सौंदर्या बिल्कुल अजय के सामने आ गई और बोली:

:" हान भाई ये बात तो हैं। गांव के तो अपने अलग ही मजे हैं। बिल्कुल शुद्ध खाना और ताजी सब्जियां हवा।

अजय ने जैसे ही अपनी दीदी को नाइटी में देखा तो उसे अपनी दीदी बहुत प्यारी लगी। सच में सफेद रंग की इस नाइटी में सौंदर्या बहुत खूबसूरत लग रही थी। धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा रहा लेकिन बिल्कुल पास से अभी भी सब कुछ साफ दिख रहा था। नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर पूरी तरह से कसी हुई थी।

अजय अपने दीदी के जिस्म के एक एक कटाव को ध्यान से देख रहा था तो सौंदर्या को शर्म महसूस हुई और बोली:"

" भाई क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ?

अजय: देख रहा हूं मेरी दीदी कितनी खूबसूरत है। वैसे दीदी आप इस नाइटी में बिल्कुल कमाल लग रही हो।

सौंदर्या:" भाई क्या फायदा इस खूबसूरती का जब इसकी किसी को कद्र ही नहीं हो।

इतना कहते हुए सौंदर्या हल्की सी उदास हो गई तो अजय उसके बिल्कुल पास पहुंच गया और बोला:'

" दीदी आप इस तरह उदास मत हुआ कीजिए। आपका भाई हैं ना आपकी कद्र करने के लिए।

सौंदर्या ने अपनी भाई की बात सुनकर एक बार उसे देखा और थोड़ी तेजी से बोली:"

" ऐसे कुछ भी बोल देते हो तुम अज्जु भाई। पागल लड़के बहन की खूबसूरती की कद्र भाई नहीं उसके पति करते है।

सौंदर्या की बात सुनकर अजय को अपनी कहीं हुई बात का मतलब समझ में आया तो उसे एहसास हुआ कि उसने क्या बोल दिया हैं और वो बोला:"

" दीदी मेरा मतलब वो नहीं था, मैं ये कहना चाह रहा था कि आपका भाई आपका बहुत ख्याल करेगा और जल्दी ही आपकी कुंडली से दोष भी दूर हो जाएंगे।

सौंदर्या दोष दूर वाली बात सुनकर खुश हुई और उसने अपने भाई का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" क्या सच मैं भाई ? लेकिन ये सब कैसे हो सकता है ? सभी पंडित तो मना करके चले जाते है कि इसका कुछ नहीं हो सकता।

अजय:" मम्मी बता रही थी कि उन्होंने आचार्य तुलसी दास से मिलने के लिए समय मांगा है। और जहां तक मैंने सुना हैं उनके पास हर समस्या का समाधान होता हैं।

अजय की बाते सुनकर सौंदर्या को एक सुकून मिला और बोली:"

" सच में भाई अगर ऐसा हो जाए तो मा भी कितनी खुश होगी। बेचारी मेरी वजह से कितनी परेशान होती है।

अजय:" दीदी मा से ज्यादा खुश तो आप हो जाएगी क्योंकि आपको आपकी खूबसूरती की कद्र करने वाला भी मिला जाएगा फिर कोई।

सौंदर्या के होंठो पर एक पल के लिए मुस्कान तैर गई और अगले ही पल शरमाते हुए बोली:"

" बस बस। ज्यादा मजे मत लो मेरे तुम अज्जु भाई। ज्यादा मत सोचो तुम।

अजय: " दीदी आप जब स्माइल करती है तो कितनी प्यारी लगती है। सच में दीदी।

सौंदर्या:" क्या बात है भाई, आज अपनी बहन की बड़ी तारीफ कर रहे हो तुम।

अजय:" तो इसमें बुराई क्या है, मेरी दीदी सच में हैं भी तो तारीफ ये काबिल।

तभी बहुत जोर से आसमान में बिजली कड़की और सौंदर्या डर के मारे उछल कर अजय के गले लग गई तो अजय ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:"

" क्या हुआ मेरी दीदी बस इस बिजली से डर गई ? कहां तो आप गुण्डो से लड़ पड़ती हो और अभी बिजली से डर गई।

सौंदर्या कांपती हुई बोली:" भाई मुझे बिजली से बहुत डर लगता हैं सच में।

देखते ही देखते रिमझिम बारिश शुरू हो गई और अजय बोला:"

" दीदी बारिश शुरू हो गई है। छोड़ो मुझे नहीं तो हम दोनों भीग जायेगे।

सौंदर्या ने अजय को छोड़ दिया और जैसे ही उससे अलग हुई तो फिर से तेजी से एक बिजली कड़क उठी और सौंदर्या फिर से अपने भाई से कसकर लिपट गई और बोली:"

" भाई देखो कितनी जोर से कड़क रही हैं। डर लगता है मुझे बहुत मेरे भाई।

बारिश तेज दोनो के कारण दोनो पूरी तरह से भीग गए और अजय बोला:"

" दीदी देखो ना इस बिजली के चक्कर में हम पूरी तरह से भीग गए हैं।

सौंदर्या:" भाई जब भीग ही तो नहा लेते हैं अब बारिश में। वैसे भी सीजन की पहली बारिश में मुझे नहाना बहुत पसंद है।

अजय:" अच्छा दीदी। अगर बीच में बिजली कड़क उठी तो फिर क्या होगा?

सौंदर्या ने उसे हल्का सा घूरा और बोली:" तो फिर से अपने भाई से चिपक जाऊंगी। तुम बचा लोगो मुझे।

इतना कहकर सौंदर्या छत के बीच में अा गई और आंखे बंद कर के खड़ी हो गई और नहाने लगी। नाइटी पूरी तरह से गीली होकर उसके जिस्म से चिपक गई थी और उसके जिस्म की बनावट पूरी तरह से साफ साफ नजर आ रही थी।अजय ने पहली बार अपनी बहन को इस मादक रूप में देखा और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। उसके चिकने कंधे, सफेद रंग की ब्रा में कैद उसकी भरी भरी, गोल गोल ठोस चूचियां, बहुत ही सुन्दर सा पेट और चिकनी जांघों को देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। तभी सौंदर्या के गालों पर पानी की एक बूंद अा गिरी और सौंदर्या ने अपने होंठो को खोलते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और उस बूंद को चाट लिया। अजय अपनी बहन की इस हरकत पर पूरी तरह से फिदा हो गया और उसे प्तागी नहीं चला कि कब वो बारिश में नहा रही सौंदर्या के पास बिल्कुल पास पहुंच गया।

बारिश में भीग चुकी नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर ना होने के बराबर हो गई थी। बारिश की बूंदे सौंदर्या के जिस्म को और जला रही थी जिससे सौंदर्या पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और अपने सिर के पीछे बांध दिए। अजय पर उसकी ये हरकत एक ज़ुल्म के समान हुई क्योंकि इससे उसकी चूचियां पूरी तरह से तन कर बिल्कुल अजय के सामने आ गई।



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अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देखते ही अजय की धड़कन पूरी तरह से बढ़ गई और उसके जिस्म में हलचल सी मच गई। वो धीरे धीरे क़दमों से चलता हुआ बिल्कुल सौंदर्या के करीब हो गया और उसकी चूचियों को गौर से देखने लगा।

तभी सौंदर्या ने अपनी आंखे खोल दी और अजय की हालत खराब हो गई लेकिन सौंदर्या को उसकी इस हरकत का एहसास नहीं हुआ और बोली:"

" ओह भाई तुम भी नहा लो अच्छे से। गांव की बारिश में देखो कितना मजा आ रहा है।

अजय ने अपनी आंखे सौंदर्या की आंखो में डाल दी और बोला:"

" सच में दीदी। बहुत अच्छा लग रहा है। बचपन में भी हम दोनों ऐसे ही साथ नहाते थे छत पर।

सौंदर्या:" हान भाई। मुझे सब कुछ याद हैं।

सौंदर्या अपने दोनो हाथ पीछे ले गई और अपने बालो को खोलने लगी ताकि खुल कर बारिश का मजा ले सके। लेकिन जल्दी के चक्कर में उसकी क्लिप बालो में फंस गई और उसके उसे दर्द का एहसास हुआ तो उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी।

सौंदर्या:" उफ्फ भाई। मेरी क्लिप बालो में फंस गई है। निकाल दो ना, आह कितना दर्द कर रही है।

अजय अपनी बहन के पीछे पहुंच गया और उसके बालो में फसी हुई क्लिप को निकालने लगा। अजय अपनी हाथ से क्लिप निकाल रहा था और उसकी नजरे अपनी बहन के दूध से गोरे चिट्टे कंधो पर टिकी हुई थी जिसे देखकर अजय के लंड में भी तनाव अा रहा था।

सौंदर्या:" आह क्या हुआ भाई? निकल नहीं रही हैं क्या ?

अजय ने हल्की सी ताकत लगाई तो उसके बाल खींच गए और उसे दर्द का एहसास हुआ तो सौंदर्या बोली:"

" आह भाई। थोड़ा आराम से करो ना, दर्द होता है।

अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से फंस गई है। थोड़ी दिक्कत हो होगी ही।

सौंदर्या:" अच्छा रुक में थोड़ी मदद करती हूं ।

सौंदर्या थोड़ी पीछे को हुई और उसने अपनी गर्दन को पीछे की तरफ झुका दिया ताकि उसे निकालने में आसानी हो। गर्दन पीछे की तरफ झुकते ही सौंदर्या की चूचियां अपने आप उपर उठती चली गई।

पीछे होने से सौंदर्या अजय से जा लगी और उसकी कमर अजय की छाती से मिल गई। अजय को अनोखे सुख की अनुभूति हुई और उसने क्लिप पर अपनी नजरे टिका दी और खोलने लगा।

सौंदर्या:" आह भाई। लगता है खुल जाएगा।

क्लिप अजय के हाथ में थी और कभी भी खोल सकता था। अजय ने एक आखिरी बार अपनी बहन के कंधे को देखने का सोचा और कंधे पर नजर पड़ते ही उसे सौंदर्या की मस्त मस्त गोल चूचियां आधे से ज्यादा उपर की तरफ उठी नजर आईं तो उन्हें देखने के लिए वो थोड़ा सा और आगे की तरफ झुक गया और उसकी जांघें सौंदर्या के पिछवाड़े से मिल गई। अजय ने सौंदर्या के कुछ बाल पकड़े और उन्हें क्लिप में फिर से फंसा दिया।

सौंदर्या की कमर अजय की छाती से चिपक जाने से सौंदर्या को पहली बाद मर्द की छुवन का एहसास हुआ तो उसके जिस्म के तार झनझना उठे और बोली:"

" निकाल ना भाई, क्या कर रहा है इतनी देर से ?

अजय थोड़ा सा आगे को हुआ और उसकी जांघें अब पूरी तरह से सौंदर्या की टांगो में पीछे से चिपक गई और अजय अब बिल्कुल अपने पंजो पर खड़े होते हुए जितना हो सकता था आगे कि तरफ झुक गया जिससे उसे सौंदर्या की चूचियां पूरी नजर आ रही थी। बस निप्पल ही अंदर कैद थे और पूरी चूचियां बाहर।

अजय ने चूचियों को देखते हुए बालो को खोलना शुरू कर दिया। सौंदर्या के गर्म जिस्म की आंच पाकर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा जिसका एहसास अब सौंदर्या को हो रहा था। अजय की सांसे तेज हो गई थी और सीधे सौंदर्या की गर्दन पर पड़कर उसकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिससे उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी और उसकी चुचियों में कम्पन होने लगा और उसके जिस्म में चिंगारी सी उठने लगी और सौंदर्या मचलते हुए बोली:"

" आह भाई, तुम भी ना बस, एक क्लिप नहीं खुल रही तुमसे, इतने बड़े हो गए हो।

अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से आपके बाल फंसे हुए हैं, थोड़ा जोर लगाता हूं तो आपको दर्द होता है।

सौंदर्या:" आह लगा दे जोर, लेकिन थोड़ा ध्यान से करना, कहीं मेरे बाल ही ना फाड़ दो।

अजय ने अपने एक हाथ को सौंदर्या के कंधे पर रखकर उसकी गर्दन को पीछे की तरफ किया तो सौंदर्या अपने पंजों के बल खड़ी हो गई और जिससे उसकी कमर उसकी छाती में घुस सी गई और अजय थोड़ा आगे को हुआ और तेजी से जोर से क्लिप को बाहर खींचा तो उसका पूरी तरह से खड़ा हो चुका लंड सौंदर्या की गांड़ में टकराया।

क्लिप के साथ कुछ बाल भी खींच गए और सौंदर्या को अपने पिछवाड़े में कुछ बहुत सख्त सा टकराता महसूस हुआ और सौंदर्या के मुंह से एक आह निकल गई। ये आह बालो में हुए दर्द की वजह से कम और पीछे लंड टकराने की वज़ह से ज्यादा निकली थी। झटके की वजह से क्लिप निकल गई लेकिन हाथ से छूट कर वहीं गिर पड़ी छत पर।

सौंदर्या पलटी और उसने थोड़ा नाराजगी से अजय के सीने में कुछ घुस्से जमा दिए और शिकायती लहजे में बोली:"

" अज्जु भाई, पूरे ज़ालिम हो तुम, हर काम ताकत से नही होता, थोड़ा दिमाग भी लगाया करो। आज तो तुम मेरी जान ही निकाल देते। चलो लाओ मेरी क्लिप दो जल्दी।

अजय ने अपने हाथ में देखा तो क्लिप नहीं थीं। सौंदर्या ने उधर उधर देखा तो पाया कि क्लिप वहीं निकल कर गिर गई है तो वो क्लिप झुकाने के लिए जैसे ही नीचे झकी तो उसकी चूचियां काबू से बाहर होकर उछल पड़ी मानो अपनी आजादी चाहती हो।

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अजय अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देख कर सम्मोहित सा हो गया और उसकी नजर एक बार फिर से अपनी बहन की चुचियों के उभार पर ठहर गई। सौंदर्या ने क्लिप को पकड़ना चाहा लेकिन छत पर बह रहे पानी के साथ वो थोड़ी आगे पहुंच गई और ठीक अजय के सामने पहुंच गई जिसका लंड अब पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया था। सौंदर्या ने तेजी से आगे होते हुए उसे पकड़ लिया और क्लिप हाथ में लेकर सौंदर्या जैसे ही उपर उठी तो उसका माथा अपने भाई के तम्बू से टकराया और उसके मुंह से फिर से आह निकल पड़ी। लंड पर अपनी बहन का माथा लगते ही अजय की नजरे उसकी चुचियों से हट गई और सौंदर्या ने एक बार खड़ी होते हुए उपर की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके माथे पर क्या लगा था तो उसकी आंखे शर्म से झुक गई। हे भगवान उफ्फ ये क्या हो गया।

सौंदर्या तेजी से पलटी और नीचे की तरफ भागती हुई चली गई। वहीं अजय को जैसे कुछ समझ ही नहीं आया। उफ्फ ये मुझसे क्या पाप हो गया, पता नहीं दीदी अब मेरे बारे में क्या सोचेगी।

अजय भी अपनी बहन के पीछे पीछे ही नीचे की तरफ अा गया। नीचे लाइट अा गई थी और सौंदर्या तेजी से चलती हुई अपने कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने का सोचने लगी। उसने अपनी अलमारी को खोलना चाहा लेकिन वो नहीं खुल पाई क्योंकि उसका लॉक बुरी तरह से फंस गया था।

सौंदर्या को लगा कि अजय उसकी मदद कर सकता है लेकिन वो अपने भाई की नजरो का सामना कैसे कर पाएगी। छत पर जो हुआ उसके बाद अभी तक उसकी सांसे उखड़ी हुई थी और उसके जिस्म के रोम रोम में एक अजीब सी मस्ती छाई हुई थी।

सौंदर्या को जब कोई उपाय समझ नही आया तो उसने बेड के नीचे रखे हुए संदूक से अपने कपड़े निकालने की सोची लेकिन संदूक तो भारी था। मतलब उसे दोनो ही हालत में अजय की मदद लेनी होगी लेकिन अगर अलमारी नहीं खुल पाई तो आज रात के उसके प्लान का क्या होगा क्योंकि डिल्डो तो अलमारी में ही बंद हैं। डिल्डो के बारे में सोचते ही उसके मन में मस्ती भरी तरंगे उठने लगी और वो बिना कुछ समझे बाहर की तरफ अाई तो उसकी नजर अजय पर पड़ गई। अजय को देखते ही उसकी हालत फिर से खराब हो गई गर्दन अपने आप शर्म से नीचे झुक गई। लेकिन सौंदर्या शर्मीली जरूर थी पर हिम्मत की कोई कमी नहीं थी। उसने अपनी नजरे नीचे ही रखी और बोली:"

" भाई मेरे सारे कपड़े भीग गए हैं और मम्मी अा गई तो मुझे डांट पड़ेगी। क्या तुम मेरा संदूक निकाल सकते हो ? भारी हैं वो मुझसे बाहर नहीं अा रहा।

अजय अपनी बहन की बात सुनकर थोड़ा अच्छा महसूस किया और बोला:'

" ठीक है दीदी। मैं निकाल देता हूं इसमें कौन सी बड़ी बात हैं।

अजय उसके कमरे में घुस गया और बेड के नीचे रखे हुए संदूक को अपनी तरफ़ खींचने लगा लेकिन संदूक खड़ा हो गया था जिससे पुरा बेड हिल रहा था और सब कुछ उल्टा पुल्टा होने का खतरा था इसलिए सौंदर्या बोली:"

" भाई बस वहीं सीधा कर दो, कहीं बेड ही ना खींच जाए, मैं निकाल लुगी अंदर से ही।

अजय ने अपनी दीदी की बात मानते हुए संदूक को वहीं सीधा कर दिया और खड़ा हो गया तो सौंदर्या नीचे फर्श पर अपने घुटनों के बल झुक गई और अंदर झांकने लगी। सौंदर्या के झुकने से उसकी गांड़ पूरी तरह से उसकी गीली नाइटी में चिपक गई और पूरी तरह से खुल कर बाहर की तरफ उठ गई।

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सौंदर्या थोड़ा आगे को हुई और बेड के नीचे झांकने लगी। नाइटी उसके कंधो से हल्की सी खिसक गई और उसके दूधिया गोरे कंधे संगमरमर की तरह चमक उठे और उसके खुले हुए बाल उसकी कमर पर फैल गए। अजय ये नजारा देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। उसे आज समझ में आ रहा था कि उसकी बहन क्या चीज हैं। उसकी उठी हुई मोटी मोटी गांड़, बाहर की तरफ निकली हुई बिल्कुल जानलेवा, एकदम किसी स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह या उससे भी कहीं बेहतर।

सौंदर्या संदूक को खोलने की कोशिश करने लगी जिससे उसका जिस्म इधर उधर लहराने लगा और तो पूरी तरह से अपने होश खो चुका था और उसका एक हाथ अपने लंड पर अपने आप ही पहुंच गया।

सौंदर्या के हाथ ठीक से संदूक तक नहीं पहुंच पा रहे थे जिससे वो थोड़ा ज्यादा आगे को हुई और उसकी नाइटी बेड के साथ फंस गई और सौंदर्या की। कमर पर खिसक गई जिसका नतीजा ये हुआ कि पीछे से सौंदर्या की गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई।


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अपनी बहन के मात्र सफेद रंग की पतली से पेंटी में कैद गोरे गोरे गांड़ के पटो को देखते ही अजय के मुंह से एक आह निकल पड़ी। सौंदर्या इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसकी नाइटी गांड़ पर से खिसक गई है। वो संदूक को खोल चुकी थी और अपने कपड़े निकाल रही थी जिससे उसकी गांड़ बार बार इधर उधर उछल रही थी। अजय का मन कर रहा था कि वो आगे बढ़ कर गांड़ को अपने दोनो हाथो में थाम कर रगड़ रगड़ कर मसल डाले। लेकिन अपनी सगी बहन पर हाथ डालने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी।


सौंदर्या ने अपने कपड़े निकाल लिए और संदूक बंद करने के लिए जैसे ही हल्की सी आगे हो हुई तो उसकी गांड़ थोड़ा और अच्छे से खुल गई और अजय अपने होशो हवास खो बैठा और बिल्कुल सौंदर्या की गांड़ के पास बैठ गया और अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लिया और सहलाने लगा। सौंदर्या ने संदूक को बंद किया और धीरे धीरे पीछे को हटने लगी। अजय सौंदर्या की गांड़ को देखते हुए पूरी तरह से मदहोश होकर पागल हो गया था और सौंदर्या के पीछे हटने से उसकी गांड़ लंड के करीब होती जा रही थी लेकिन मदहोश अजय ये सब होते देख कर तेजी से अपना लंड सहला रहा था। सौंदर्या जैसे ही एक झटके से पीछे हुई तो बेड में फंसी हुई नाइटी पीछे उसकी गान्ड पर अा गई लेकिन उसकी गांड़ अपने भाई के लंड से जोर से टकराई।

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सौंदर्या के मुंह से फिर से दर्द भरी आह निकल पड़ी और अजय ने तेजी से अपने लंड को पैंट के अंदर किया और सौंदर्या बाहर निकल गई। सौंदर्या के चेहरे का रंग एक बार फिर से उड़ गया था और उसने एक तिरछी नजर अजय की पेंट में बने हुए उभार पर डाली तो उसे समझ में आ गया कि उसकी गांड़ पर क्या टकराया था। हाय राम, कितना बड़ा उभार बना हुआ है इसकी पेंट में,इंसान है या घोड़ा ये मेरा भाई भी।

सौंदर्या के जिस्म में रोमांचक लहर दौड़ रही थी। लंड को देखते ही उसे फिर से डिल्डो याद अा गया लेकिन वो तो अलमारी में बंद हैं और आज उससे अलमारी तो नहीं खुल सकती।

उसने जोश में आकर एक फैसला लिया और अजय से बोली:"

" भाई तुम मेरी ये अलमारी भी खोल दो, मुझसे तो नहीं खुल रही हैं ये।

अजय बिना किसी बोले अलमारी के पास पहुंच गया और उसे खोलने लगा लेकिन उससे नहीं खुल रही थी। सौंदर्या तिरछी नजरों से बार बार उसके पेंट में बने हुए उभार को देख रही थी। उसे समझ में नहीं अा रहा था कि इतना बड़ा उभार क्या सच में लंड का हो सकता हैं।

अजय से अलमारी नहीं खुल रही थी तो वो बोला:"

" दीदी कल दिन में खोल दू क्या ? अभी तो नहीं खुल रही है।

सौंदर्या उदास सी हो गई और बोली:" भाई प्लीज़ आज ही खोल दो ना आप, इतनी ताकत हैं मेरे भाई के अंदर।

अजय ने थोड़ा अच्छे से अलमारी को पकड़ा और खोलने की कोशिश करते हुए बोला:"

" उफ्फ कितनी टाइट हैं,ऐसा क्या है दीदी इस अलमारी में जो आपको अभी चाहिए ?

सौंदर्या एक पल के लिए तो सकपका सी गई क्योंकि उसे तो अलमारी से डिल्डो चाहिए था लेकिन अपने भाई से कैसे बोल सकती हैं। फिर स्माइल करते हुए बोली:"

" भाई मेरे कुछ प्रोजेक्ट हैं जो आज रात मुझे देखने हैं, कल मुझे उसकी क्लास लेनी होगी।

अजय ने अलमारी के लॉक को अच्छे से पकड़ा और उसे पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचा तो एक जोरदार झटके के साथ अलमारी खुल गई और सारा सामान बेड पर गिर पड़ा। पैकेट से बाहर निकल कर डिल्डो गिरा और अजय की आंखो के ठीक सामने। सौंदर्या को काटो तो खून नहीं, उसके चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़ गया।

अजय ने आगे बढ़कर डिल्डो को हाथ में उठा लिया और एक बार अपनी बहन की तरफ देखा जो सूखे पत्ते की कांप रही थी। अजय की नजरो का सामना करते ही सौंदर्या बेहोश हो गई और नीचे हवा में गिरने लगीं लेकिन अजय ने अपनी मजबूत बांहों में थाम लिया और बेड पर लिटा दिया। तभी बाहर दरवाजा खुला और वो समझ गया कि उसकी मम्मी वापिस लौट अाई हैं। उसने तेजी से सारा सामान अलमारी में भरा और डिल्डो को भी वापिस अलमारी में रख दिया और एक नजर अपने बहन के चेहरे पर डालकर अपने कमरे में घुस गया।

कमला नीचे अा गई और वो भी बारिश में काफी भीग गई थी इसलिए नीचे कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने लगीं।

अजय को अपनी आंखो पर यकीन नहीं हो रहा था। उसकी सीधी साधी सी दिखने वाली संस्कारी दीदी के पास डिल्डो भी होगा ये उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी।

अपनी मा की तरफ से बेफिक्र होकर वो फिर से अपनी बहन के कमरे में घुस गया। सौंदर्या अभी तक बिस्तर पर ऐसे ही बेहोश पड़ी हुई थी। अजय ने एक नजर अपनी बहन पर डाली और उसके मन में एक विचार अाया। उसने अलमारी को खोला और डिल्डो बाहर निकाल लिया।

अलमारी खुलने की आवाज से सौंदर्या की आंखे खुल गई लेकिन अपने भाई के हाथ में डिल्डो देखकर उसने आंखे बंद रखने में ही भलाई समझी। अजय डिल्डो को अपनी नाक के पास लाया और सूंघने लगा।

सौंदर्या बिस्तर पर पड़ी पड़ी ही फिर से कांप उठी क्योंकि वो समझ गई थी कि उसका भाई डिल्डो इसलिए सूंघ रहा है कि वो उसकी चूत के रस की गंध महसूस कर सके। सौंदर्या के बदन में फिर से उत्तेजना दौड़ने लगी लेकिन उसने अपनी आंखो को बंद ही रखा और धीरे धीरे उसे बीच बीच में देख रही थी।


अजय को डिल्डो से उठती हुई खुशबू मदहोश कर रही थी इसलिए उसने अपनी आंखे बंद कर ली और जोर जोर से उसे सूंघने लगा। अजय ने मस्ती में अपना एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और उपर से ही सहलाने लगा। सौंदर्या ये सब देखते ही मचल उठी और अपने जांघो को आपस में रगड़ना शुरू कर दिया। तभी अजय के दिमाग में एक विचार आया कि उसकी बहन तो बेहोश हैं तो डिल्डो से क्यों खुशबू सूंघना, क्यों ना सीधे अपनी बहन की पेंटी से ही सूंघ लू। सौंदर्या को कुछ पता भी नही चलेगा और उसके मजे हो जाएंगे। ये विचार मन में आते ही उसने एक बार सौंदर्या की तरफ देखा और सौंदर्या फिर से अपनी आंखे बंद कर ली। अजय धीरे धीरे अपनी बहन के पास बैठ गया और उसे प्यार से आवाज लगाई

" सौंदर्या दीदी। मेरी प्यारी दीदी उठ जाओ आप।

लेकिन सौंदर्या ने शर्म के मारे कोई जवाब नहीं दिया तो अजय समझ गया कि उसकी बहन अभी तक बेहोश ही हैं तो उसने धीरे से सौंदर्या की नाइटी ऊपर की तरफ सरका दी और सौंदर्या की हालत पूरी तरह से खराब हो गई। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि उसका भाई क्या करने जा रहा है और वो कुछ बोल पाने की स्थिति में भी नहीं थी इसलिए चुप लेती रही।

नाइटी के उपर जाते ही अजय ने एक नजर अपनी बहन की दूध की गोरी, केले के तने के समान चिकनी जांघों पर डाली और अगले ही पल उसकी जांघो के बीच में अपना मुंह घुसा दिया। सौंदर्या का समूचा वजूद कांप उठा और उसकी सांसे तेजी से चलने लगी। अजय ने अपने मुंह को आगे किया और सीधे उसकी जांघो के जोड़ पर पेंटी के उपर से सूंघने लगा। अपनी भाई की गर्म गर्म सांसे अपनी पेंटी के ऊपर पड़ते ही सौंदर्या के मुंह से आह निकलते निकलते बची। उसने अपने एक हाथ से बेड शीट को दबोच लिया और दूसरे से अपने मुंह को कस कर बंद कर लिया।


सौंदर्या की पेंटी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीगी हुई थी और अजय ने अपनी नाक को पेंटी के उपर टिका दिया और सूंघने लगा। सौंदर्या की टांगे अपने आप ही थोड़ी सी खुल गई। तभी सीढ़ियों से कमला के आने की आहट हुई और अजय फुर्ती से उठा और उसने सौंदर्या की नाइटी को ठीक किया और उसके ऊपर एक चादर डाल कर वहीं बेड पर बैठ गया और मोबाइल में वीडियो देखने लगा।

कमला अंदर अा गई और बोली:"

" अरे मैं तुम दोनों को नीचे देख रही थी और तुम दोनों यहां हो।

अजय:" मम्मी मैं उपर ही अा गया खाना खाकर और दीदी से बात करने लगा। ये बात करते करते ही सो गई।

कमला:" ओह बेचारी, थक गई होंगी, दिन भर काम किया इसने आज सीमा की मम्मी बता रही थी मुझे। अरे ये बेड शीट गीली क्यों हो रही है?

बेड पर बैठते ही कमला को शीट के गीले होने का एहसास हुआ। सौंदर्या समझ गई कि अब उसे बोलना ही पड़ेगा क्योंकि उसकी चादर के नीचे डिल्डो भी पड़ा हुआ था। भाई की नजरो में तो वो गिर ही गई और मा की नजरो में बचना चाहती थी इसलिए सौंदर्या के धीरे से अपनी आंखे खोल दी और बोली:"

" मम्मी आप कब अाई ? वो मैं छत पर भीग गई थी इसलिए गीली हो गई।

कमला ने एक झटके के साथ चादर को हटा दिया और बोली:"

" पागल लड़की गीले कपड़ों के साथ सोएगी तो बीमार पड़ जाएगी।

चादर के हटते ही डिल्डो बाहर अा गया लेकिन इससे पहले कि कमला की नजर पड़ती अजय ने उसे अपनी टांग के नीचे दबा लिया और सौंदर्या ने राहत की सांस ली।

कमला:" चलो जल्दी दे खड़ी होकर अपने कपड़े बदल लो और फिर आराम से सो जाना।

इतना बोलकर कमला उठी और चादर लेकर बाहर की तरफ निकल गई। सौंदर्या ने अजय की देखा और अजय ने बिना कुछ कहे डिल्डो को अपनी दीदी के हाथ में थमा दिया।


सौंदर्या का मुंह शर्म से लाल हो गया और बोली:"

" भाई मुझे क्यों दे रहे हो? मैं क्या करू इसका ?

अजय:" अब दीदी आपका हैं तो आपको ही दूंगा। आप खुद समझो क्या करना है।

सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसके मुंह से क्या निकल गया। वो फिर से हड़बड़ा गई और बोली:"

" भाई मेरा वो मतलब नहीं था। भाई मैं सच कहती हूं ये मेरा नहीं है। मेरा यकीन करो।

अजय:" दीदी मुझसे इससे कोई मतलब नहीं है। आप अपने तरीके से अपनी ज़िन्दगी जियो। लेकिन आगे से इसे संभाल कर रखना, मा ने देख लिया तो आपको बहुत दिक्कत होगी।

इतना कहकर अजय बाहर निकल गया और पीछे हताश, उदास सी खड़ी सौंदर्या उसे आवाज देती रह गई।
वाह वाह कया बात है भाई कमाल का अपडेट किया है आपने। पढकर अरमान जाग उठे।।।😁😁😁😁
 

Soku74

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अजय ने खाना खाया और उसके बाद सौंदर्या बर्तन उठाकर धोने के लिए चली गई। अजय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे उन गुण्डो के बारे में पता लगाए। वो अपने विचारो में डूबा हुआ था और कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा था। वहीं सौंदर्या बर्तन धोने के बाद अपने कमरे में चली गई।
आज बेहद गरम दिन था और दिन में धूप बहुत तेज निकली थी जिसके कारण अभी तक गर्मी महसूस हो रही थी।

सौंदर्या को पसीना अा रहा था इसलिए उसने अपने कमरे में जाकर एसी ऑन किया। रात के समय उसे हल्की और सफेद रंग की सूती नाइटी पहनने की आदत थी इसलिए उसने अपनी ब्रा पेंटी पहनते हुए उपर सफेद रंग की नाइटी पहन ली।

सौंदर्या ने अपनी अलमारी खोली और डिल्डो को देखने लगी। उसने डिल्डो के पैकेट को ठीक से छुपा दिया और उसके होंठो पर मुस्कान तैर गई। वो आज पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी और उसने अपना फोन निकाल कर रिकॉर्डिंग सुनने का फैसला किया और जैसे ही उसने फोन शुरू किया तो लाइट चली गई।

उसका मूड खराब हो गया क्योंकि उसे अभी भी पसीना आया हुआ था। उसने अपना हेड फोन लिया और उपर छत की तरफ चल पड़ी।

छत पर जाकर उसे हवा लगी और कुछ ठंडक का एहसास हुआ तो उसे सुकून मिला। थोड़ी देर में उसका सभी पसीना सूख गया और उसके दिल में फिर से उमंगे जवान होने लगी और उसे फिर से रिकॉर्डिंग सुनने का मन हुआ लेकिन वो जानती थी कि अभी सही समय नहीं हैं इसलिए वो छत पर घूमती रही।

बाहर अभी अभी अंधेरा थोड़ा बढ़ रहा था। नीचे अजय भी गर्मी के कारण परेशान था इसलिए वो भी उपर छत की तरफ आने लगा। अपने कमरे के सामने आते ही उसे ठंडी हवा का एहसास हुआ।उसने अपनी दीदी को ना देखा तो उन्हें आवाज लगाईं

" दीदी कहां हो आप ?

छत पर से सौंदर्या की आवाज अाई :"

" भाई नीचे गर्मी थी तो मैं छत पर अा गई। तुम भी उपर आओ ना देखो कितनी अच्छी हवा चल रही है यहां छत पर !!

अजय उपर की तरफ चल पड़ा और देखा कि उपर छत पर सच में दूर दूर से खुली हवा लग रही थी और देखते ही देखते हवा में ठंडक थोड़ी बढ़ गई।

अजय:" दीदी सच में यहां तो बहुत अच्छी हवा चल रही है। ऐसी हवा में शहर में कहां नसीब होती हैं ? आप उधर कहां हो ?

सौंदर्या बिल्कुल अजय के सामने आ गई और बोली:

:" हान भाई ये बात तो हैं। गांव के तो अपने अलग ही मजे हैं। बिल्कुल शुद्ध खाना और ताजी सब्जियां हवा।

अजय ने जैसे ही अपनी दीदी को नाइटी में देखा तो उसे अपनी दीदी बहुत प्यारी लगी। सच में सफेद रंग की इस नाइटी में सौंदर्या बहुत खूबसूरत लग रही थी। धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा रहा लेकिन बिल्कुल पास से अभी भी सब कुछ साफ दिख रहा था। नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर पूरी तरह से कसी हुई थी।

अजय अपने दीदी के जिस्म के एक एक कटाव को ध्यान से देख रहा था तो सौंदर्या को शर्म महसूस हुई और बोली:"

" भाई क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ?

अजय: देख रहा हूं मेरी दीदी कितनी खूबसूरत है। वैसे दीदी आप इस नाइटी में बिल्कुल कमाल लग रही हो।

सौंदर्या:" भाई क्या फायदा इस खूबसूरती का जब इसकी किसी को कद्र ही नहीं हो।

इतना कहते हुए सौंदर्या हल्की सी उदास हो गई तो अजय उसके बिल्कुल पास पहुंच गया और बोला:'

" दीदी आप इस तरह उदास मत हुआ कीजिए। आपका भाई हैं ना आपकी कद्र करने के लिए।

सौंदर्या ने अपनी भाई की बात सुनकर एक बार उसे देखा और थोड़ी तेजी से बोली:"

" ऐसे कुछ भी बोल देते हो तुम अज्जु भाई। पागल लड़के बहन की खूबसूरती की कद्र भाई नहीं उसके पति करते है।

सौंदर्या की बात सुनकर अजय को अपनी कहीं हुई बात का मतलब समझ में आया तो उसे एहसास हुआ कि उसने क्या बोल दिया हैं और वो बोला:"

" दीदी मेरा मतलब वो नहीं था, मैं ये कहना चाह रहा था कि आपका भाई आपका बहुत ख्याल करेगा और जल्दी ही आपकी कुंडली से दोष भी दूर हो जाएंगे।

सौंदर्या दोष दूर वाली बात सुनकर खुश हुई और उसने अपने भाई का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" क्या सच मैं भाई ? लेकिन ये सब कैसे हो सकता है ? सभी पंडित तो मना करके चले जाते है कि इसका कुछ नहीं हो सकता।

अजय:" मम्मी बता रही थी कि उन्होंने आचार्य तुलसी दास से मिलने के लिए समय मांगा है। और जहां तक मैंने सुना हैं उनके पास हर समस्या का समाधान होता हैं।

अजय की बाते सुनकर सौंदर्या को एक सुकून मिला और बोली:"

" सच में भाई अगर ऐसा हो जाए तो मा भी कितनी खुश होगी। बेचारी मेरी वजह से कितनी परेशान होती है।

अजय:" दीदी मा से ज्यादा खुश तो आप हो जाएगी क्योंकि आपको आपकी खूबसूरती की कद्र करने वाला भी मिला जाएगा फिर कोई।

सौंदर्या के होंठो पर एक पल के लिए मुस्कान तैर गई और अगले ही पल शरमाते हुए बोली:"

" बस बस। ज्यादा मजे मत लो मेरे तुम अज्जु भाई। ज्यादा मत सोचो तुम।

अजय: " दीदी आप जब स्माइल करती है तो कितनी प्यारी लगती है। सच में दीदी।

सौंदर्या:" क्या बात है भाई, आज अपनी बहन की बड़ी तारीफ कर रहे हो तुम।

अजय:" तो इसमें बुराई क्या है, मेरी दीदी सच में हैं भी तो तारीफ ये काबिल।

तभी बहुत जोर से आसमान में बिजली कड़की और सौंदर्या डर के मारे उछल कर अजय के गले लग गई तो अजय ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:"

" क्या हुआ मेरी दीदी बस इस बिजली से डर गई ? कहां तो आप गुण्डो से लड़ पड़ती हो और अभी बिजली से डर गई।

सौंदर्या कांपती हुई बोली:" भाई मुझे बिजली से बहुत डर लगता हैं सच में।

देखते ही देखते रिमझिम बारिश शुरू हो गई और अजय बोला:"

" दीदी बारिश शुरू हो गई है। छोड़ो मुझे नहीं तो हम दोनों भीग जायेगे।

सौंदर्या ने अजय को छोड़ दिया और जैसे ही उससे अलग हुई तो फिर से तेजी से एक बिजली कड़क उठी और सौंदर्या फिर से अपने भाई से कसकर लिपट गई और बोली:"

" भाई देखो कितनी जोर से कड़क रही हैं। डर लगता है मुझे बहुत मेरे भाई।

बारिश तेज दोनो के कारण दोनो पूरी तरह से भीग गए और अजय बोला:"

" दीदी देखो ना इस बिजली के चक्कर में हम पूरी तरह से भीग गए हैं।

सौंदर्या:" भाई जब भीग ही तो नहा लेते हैं अब बारिश में। वैसे भी सीजन की पहली बारिश में मुझे नहाना बहुत पसंद है।

अजय:" अच्छा दीदी। अगर बीच में बिजली कड़क उठी तो फिर क्या होगा?

सौंदर्या ने उसे हल्का सा घूरा और बोली:" तो फिर से अपने भाई से चिपक जाऊंगी। तुम बचा लोगो मुझे।

इतना कहकर सौंदर्या छत के बीच में अा गई और आंखे बंद कर के खड़ी हो गई और नहाने लगी। नाइटी पूरी तरह से गीली होकर उसके जिस्म से चिपक गई थी और उसके जिस्म की बनावट पूरी तरह से साफ साफ नजर आ रही थी।अजय ने पहली बार अपनी बहन को इस मादक रूप में देखा और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। उसके चिकने कंधे, सफेद रंग की ब्रा में कैद उसकी भरी भरी, गोल गोल ठोस चूचियां, बहुत ही सुन्दर सा पेट और चिकनी जांघों को देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। तभी सौंदर्या के गालों पर पानी की एक बूंद अा गिरी और सौंदर्या ने अपने होंठो को खोलते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और उस बूंद को चाट लिया। अजय अपनी बहन की इस हरकत पर पूरी तरह से फिदा हो गया और उसे प्तागी नहीं चला कि कब वो बारिश में नहा रही सौंदर्या के पास बिल्कुल पास पहुंच गया।

बारिश में भीग चुकी नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर ना होने के बराबर हो गई थी। बारिश की बूंदे सौंदर्या के जिस्म को और जला रही थी जिससे सौंदर्या पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और अपने सिर के पीछे बांध दिए। अजय पर उसकी ये हरकत एक ज़ुल्म के समान हुई क्योंकि इससे उसकी चूचियां पूरी तरह से तन कर बिल्कुल अजय के सामने आ गई।



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अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देखते ही अजय की धड़कन पूरी तरह से बढ़ गई और उसके जिस्म में हलचल सी मच गई। वो धीरे धीरे क़दमों से चलता हुआ बिल्कुल सौंदर्या के करीब हो गया और उसकी चूचियों को गौर से देखने लगा।

तभी सौंदर्या ने अपनी आंखे खोल दी और अजय की हालत खराब हो गई लेकिन सौंदर्या को उसकी इस हरकत का एहसास नहीं हुआ और बोली:"

" ओह भाई तुम भी नहा लो अच्छे से। गांव की बारिश में देखो कितना मजा आ रहा है।

अजय ने अपनी आंखे सौंदर्या की आंखो में डाल दी और बोला:"

" सच में दीदी। बहुत अच्छा लग रहा है। बचपन में भी हम दोनों ऐसे ही साथ नहाते थे छत पर।

सौंदर्या:" हान भाई। मुझे सब कुछ याद हैं।

सौंदर्या अपने दोनो हाथ पीछे ले गई और अपने बालो को खोलने लगी ताकि खुल कर बारिश का मजा ले सके। लेकिन जल्दी के चक्कर में उसकी क्लिप बालो में फंस गई और उसके उसे दर्द का एहसास हुआ तो उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी।

सौंदर्या:" उफ्फ भाई। मेरी क्लिप बालो में फंस गई है। निकाल दो ना, आह कितना दर्द कर रही है।

अजय अपनी बहन के पीछे पहुंच गया और उसके बालो में फसी हुई क्लिप को निकालने लगा। अजय अपनी हाथ से क्लिप निकाल रहा था और उसकी नजरे अपनी बहन के दूध से गोरे चिट्टे कंधो पर टिकी हुई थी जिसे देखकर अजय के लंड में भी तनाव अा रहा था।

सौंदर्या:" आह क्या हुआ भाई? निकल नहीं रही हैं क्या ?

अजय ने हल्की सी ताकत लगाई तो उसके बाल खींच गए और उसे दर्द का एहसास हुआ तो सौंदर्या बोली:"

" आह भाई। थोड़ा आराम से करो ना, दर्द होता है।

अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से फंस गई है। थोड़ी दिक्कत हो होगी ही।

सौंदर्या:" अच्छा रुक में थोड़ी मदद करती हूं ।

सौंदर्या थोड़ी पीछे को हुई और उसने अपनी गर्दन को पीछे की तरफ झुका दिया ताकि उसे निकालने में आसानी हो। गर्दन पीछे की तरफ झुकते ही सौंदर्या की चूचियां अपने आप उपर उठती चली गई।

पीछे होने से सौंदर्या अजय से जा लगी और उसकी कमर अजय की छाती से मिल गई। अजय को अनोखे सुख की अनुभूति हुई और उसने क्लिप पर अपनी नजरे टिका दी और खोलने लगा।

सौंदर्या:" आह भाई। लगता है खुल जाएगा।

क्लिप अजय के हाथ में थी और कभी भी खोल सकता था। अजय ने एक आखिरी बार अपनी बहन के कंधे को देखने का सोचा और कंधे पर नजर पड़ते ही उसे सौंदर्या की मस्त मस्त गोल चूचियां आधे से ज्यादा उपर की तरफ उठी नजर आईं तो उन्हें देखने के लिए वो थोड़ा सा और आगे की तरफ झुक गया और उसकी जांघें सौंदर्या के पिछवाड़े से मिल गई। अजय ने सौंदर्या के कुछ बाल पकड़े और उन्हें क्लिप में फिर से फंसा दिया।

सौंदर्या की कमर अजय की छाती से चिपक जाने से सौंदर्या को पहली बाद मर्द की छुवन का एहसास हुआ तो उसके जिस्म के तार झनझना उठे और बोली:"

" निकाल ना भाई, क्या कर रहा है इतनी देर से ?

अजय थोड़ा सा आगे को हुआ और उसकी जांघें अब पूरी तरह से सौंदर्या की टांगो में पीछे से चिपक गई और अजय अब बिल्कुल अपने पंजो पर खड़े होते हुए जितना हो सकता था आगे कि तरफ झुक गया जिससे उसे सौंदर्या की चूचियां पूरी नजर आ रही थी। बस निप्पल ही अंदर कैद थे और पूरी चूचियां बाहर।

अजय ने चूचियों को देखते हुए बालो को खोलना शुरू कर दिया। सौंदर्या के गर्म जिस्म की आंच पाकर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा जिसका एहसास अब सौंदर्या को हो रहा था। अजय की सांसे तेज हो गई थी और सीधे सौंदर्या की गर्दन पर पड़कर उसकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिससे उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी और उसकी चुचियों में कम्पन होने लगा और उसके जिस्म में चिंगारी सी उठने लगी और सौंदर्या मचलते हुए बोली:"

" आह भाई, तुम भी ना बस, एक क्लिप नहीं खुल रही तुमसे, इतने बड़े हो गए हो।

अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से आपके बाल फंसे हुए हैं, थोड़ा जोर लगाता हूं तो आपको दर्द होता है।

सौंदर्या:" आह लगा दे जोर, लेकिन थोड़ा ध्यान से करना, कहीं मेरे बाल ही ना फाड़ दो।

अजय ने अपने एक हाथ को सौंदर्या के कंधे पर रखकर उसकी गर्दन को पीछे की तरफ किया तो सौंदर्या अपने पंजों के बल खड़ी हो गई और जिससे उसकी कमर उसकी छाती में घुस सी गई और अजय थोड़ा आगे को हुआ और तेजी से जोर से क्लिप को बाहर खींचा तो उसका पूरी तरह से खड़ा हो चुका लंड सौंदर्या की गांड़ में टकराया।

क्लिप के साथ कुछ बाल भी खींच गए और सौंदर्या को अपने पिछवाड़े में कुछ बहुत सख्त सा टकराता महसूस हुआ और सौंदर्या के मुंह से एक आह निकल गई। ये आह बालो में हुए दर्द की वजह से कम और पीछे लंड टकराने की वज़ह से ज्यादा निकली थी। झटके की वजह से क्लिप निकल गई लेकिन हाथ से छूट कर वहीं गिर पड़ी छत पर।

सौंदर्या पलटी और उसने थोड़ा नाराजगी से अजय के सीने में कुछ घुस्से जमा दिए और शिकायती लहजे में बोली:"

" अज्जु भाई, पूरे ज़ालिम हो तुम, हर काम ताकत से नही होता, थोड़ा दिमाग भी लगाया करो। आज तो तुम मेरी जान ही निकाल देते। चलो लाओ मेरी क्लिप दो जल्दी।

अजय ने अपने हाथ में देखा तो क्लिप नहीं थीं। सौंदर्या ने उधर उधर देखा तो पाया कि क्लिप वहीं निकल कर गिर गई है तो वो क्लिप झुकाने के लिए जैसे ही नीचे झकी तो उसकी चूचियां काबू से बाहर होकर उछल पड़ी मानो अपनी आजादी चाहती हो।

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अजय अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देख कर सम्मोहित सा हो गया और उसकी नजर एक बार फिर से अपनी बहन की चुचियों के उभार पर ठहर गई। सौंदर्या ने क्लिप को पकड़ना चाहा लेकिन छत पर बह रहे पानी के साथ वो थोड़ी आगे पहुंच गई और ठीक अजय के सामने पहुंच गई जिसका लंड अब पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया था। सौंदर्या ने तेजी से आगे होते हुए उसे पकड़ लिया और क्लिप हाथ में लेकर सौंदर्या जैसे ही उपर उठी तो उसका माथा अपने भाई के तम्बू से टकराया और उसके मुंह से फिर से आह निकल पड़ी। लंड पर अपनी बहन का माथा लगते ही अजय की नजरे उसकी चुचियों से हट गई और सौंदर्या ने एक बार खड़ी होते हुए उपर की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके माथे पर क्या लगा था तो उसकी आंखे शर्म से झुक गई। हे भगवान उफ्फ ये क्या हो गया।

सौंदर्या तेजी से पलटी और नीचे की तरफ भागती हुई चली गई। वहीं अजय को जैसे कुछ समझ ही नहीं आया। उफ्फ ये मुझसे क्या पाप हो गया, पता नहीं दीदी अब मेरे बारे में क्या सोचेगी।

अजय भी अपनी बहन के पीछे पीछे ही नीचे की तरफ अा गया। नीचे लाइट अा गई थी और सौंदर्या तेजी से चलती हुई अपने कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने का सोचने लगी। उसने अपनी अलमारी को खोलना चाहा लेकिन वो नहीं खुल पाई क्योंकि उसका लॉक बुरी तरह से फंस गया था।

सौंदर्या को लगा कि अजय उसकी मदद कर सकता है लेकिन वो अपने भाई की नजरो का सामना कैसे कर पाएगी। छत पर जो हुआ उसके बाद अभी तक उसकी सांसे उखड़ी हुई थी और उसके जिस्म के रोम रोम में एक अजीब सी मस्ती छाई हुई थी।

सौंदर्या को जब कोई उपाय समझ नही आया तो उसने बेड के नीचे रखे हुए संदूक से अपने कपड़े निकालने की सोची लेकिन संदूक तो भारी था। मतलब उसे दोनो ही हालत में अजय की मदद लेनी होगी लेकिन अगर अलमारी नहीं खुल पाई तो आज रात के उसके प्लान का क्या होगा क्योंकि डिल्डो तो अलमारी में ही बंद हैं। डिल्डो के बारे में सोचते ही उसके मन में मस्ती भरी तरंगे उठने लगी और वो बिना कुछ समझे बाहर की तरफ अाई तो उसकी नजर अजय पर पड़ गई। अजय को देखते ही उसकी हालत फिर से खराब हो गई गर्दन अपने आप शर्म से नीचे झुक गई। लेकिन सौंदर्या शर्मीली जरूर थी पर हिम्मत की कोई कमी नहीं थी। उसने अपनी नजरे नीचे ही रखी और बोली:"

" भाई मेरे सारे कपड़े भीग गए हैं और मम्मी अा गई तो मुझे डांट पड़ेगी। क्या तुम मेरा संदूक निकाल सकते हो ? भारी हैं वो मुझसे बाहर नहीं अा रहा।

अजय अपनी बहन की बात सुनकर थोड़ा अच्छा महसूस किया और बोला:'

" ठीक है दीदी। मैं निकाल देता हूं इसमें कौन सी बड़ी बात हैं।

अजय उसके कमरे में घुस गया और बेड के नीचे रखे हुए संदूक को अपनी तरफ़ खींचने लगा लेकिन संदूक खड़ा हो गया था जिससे पुरा बेड हिल रहा था और सब कुछ उल्टा पुल्टा होने का खतरा था इसलिए सौंदर्या बोली:"

" भाई बस वहीं सीधा कर दो, कहीं बेड ही ना खींच जाए, मैं निकाल लुगी अंदर से ही।

अजय ने अपनी दीदी की बात मानते हुए संदूक को वहीं सीधा कर दिया और खड़ा हो गया तो सौंदर्या नीचे फर्श पर अपने घुटनों के बल झुक गई और अंदर झांकने लगी। सौंदर्या के झुकने से उसकी गांड़ पूरी तरह से उसकी गीली नाइटी में चिपक गई और पूरी तरह से खुल कर बाहर की तरफ उठ गई।

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सौंदर्या थोड़ा आगे को हुई और बेड के नीचे झांकने लगी। नाइटी उसके कंधो से हल्की सी खिसक गई और उसके दूधिया गोरे कंधे संगमरमर की तरह चमक उठे और उसके खुले हुए बाल उसकी कमर पर फैल गए। अजय ये नजारा देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। उसे आज समझ में आ रहा था कि उसकी बहन क्या चीज हैं। उसकी उठी हुई मोटी मोटी गांड़, बाहर की तरफ निकली हुई बिल्कुल जानलेवा, एकदम किसी स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह या उससे भी कहीं बेहतर।

सौंदर्या संदूक को खोलने की कोशिश करने लगी जिससे उसका जिस्म इधर उधर लहराने लगा और तो पूरी तरह से अपने होश खो चुका था और उसका एक हाथ अपने लंड पर अपने आप ही पहुंच गया।

सौंदर्या के हाथ ठीक से संदूक तक नहीं पहुंच पा रहे थे जिससे वो थोड़ा ज्यादा आगे को हुई और उसकी नाइटी बेड के साथ फंस गई और सौंदर्या की। कमर पर खिसक गई जिसका नतीजा ये हुआ कि पीछे से सौंदर्या की गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई।


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अपनी बहन के मात्र सफेद रंग की पतली से पेंटी में कैद गोरे गोरे गांड़ के पटो को देखते ही अजय के मुंह से एक आह निकल पड़ी। सौंदर्या इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसकी नाइटी गांड़ पर से खिसक गई है। वो संदूक को खोल चुकी थी और अपने कपड़े निकाल रही थी जिससे उसकी गांड़ बार बार इधर उधर उछल रही थी। अजय का मन कर रहा था कि वो आगे बढ़ कर गांड़ को अपने दोनो हाथो में थाम कर रगड़ रगड़ कर मसल डाले। लेकिन अपनी सगी बहन पर हाथ डालने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी।


सौंदर्या ने अपने कपड़े निकाल लिए और संदूक बंद करने के लिए जैसे ही हल्की सी आगे हो हुई तो उसकी गांड़ थोड़ा और अच्छे से खुल गई और अजय अपने होशो हवास खो बैठा और बिल्कुल सौंदर्या की गांड़ के पास बैठ गया और अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लिया और सहलाने लगा। सौंदर्या ने संदूक को बंद किया और धीरे धीरे पीछे को हटने लगी। अजय सौंदर्या की गांड़ को देखते हुए पूरी तरह से मदहोश होकर पागल हो गया था और सौंदर्या के पीछे हटने से उसकी गांड़ लंड के करीब होती जा रही थी लेकिन मदहोश अजय ये सब होते देख कर तेजी से अपना लंड सहला रहा था। सौंदर्या जैसे ही एक झटके से पीछे हुई तो बेड में फंसी हुई नाइटी पीछे उसकी गान्ड पर अा गई लेकिन उसकी गांड़ अपने भाई के लंड से जोर से टकराई।

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सौंदर्या के मुंह से फिर से दर्द भरी आह निकल पड़ी और अजय ने तेजी से अपने लंड को पैंट के अंदर किया और सौंदर्या बाहर निकल गई। सौंदर्या के चेहरे का रंग एक बार फिर से उड़ गया था और उसने एक तिरछी नजर अजय की पेंट में बने हुए उभार पर डाली तो उसे समझ में आ गया कि उसकी गांड़ पर क्या टकराया था। हाय राम, कितना बड़ा उभार बना हुआ है इसकी पेंट में,इंसान है या घोड़ा ये मेरा भाई भी।

सौंदर्या के जिस्म में रोमांचक लहर दौड़ रही थी। लंड को देखते ही उसे फिर से डिल्डो याद अा गया लेकिन वो तो अलमारी में बंद हैं और आज उससे अलमारी तो नहीं खुल सकती।

उसने जोश में आकर एक फैसला लिया और अजय से बोली:"

" भाई तुम मेरी ये अलमारी भी खोल दो, मुझसे तो नहीं खुल रही हैं ये।

अजय बिना किसी बोले अलमारी के पास पहुंच गया और उसे खोलने लगा लेकिन उससे नहीं खुल रही थी। सौंदर्या तिरछी नजरों से बार बार उसके पेंट में बने हुए उभार को देख रही थी। उसे समझ में नहीं अा रहा था कि इतना बड़ा उभार क्या सच में लंड का हो सकता हैं।

अजय से अलमारी नहीं खुल रही थी तो वो बोला:"

" दीदी कल दिन में खोल दू क्या ? अभी तो नहीं खुल रही है।

सौंदर्या उदास सी हो गई और बोली:" भाई प्लीज़ आज ही खोल दो ना आप, इतनी ताकत हैं मेरे भाई के अंदर।

अजय ने थोड़ा अच्छे से अलमारी को पकड़ा और खोलने की कोशिश करते हुए बोला:"

" उफ्फ कितनी टाइट हैं,ऐसा क्या है दीदी इस अलमारी में जो आपको अभी चाहिए ?

सौंदर्या एक पल के लिए तो सकपका सी गई क्योंकि उसे तो अलमारी से डिल्डो चाहिए था लेकिन अपने भाई से कैसे बोल सकती हैं। फिर स्माइल करते हुए बोली:"

" भाई मेरे कुछ प्रोजेक्ट हैं जो आज रात मुझे देखने हैं, कल मुझे उसकी क्लास लेनी होगी।

अजय ने अलमारी के लॉक को अच्छे से पकड़ा और उसे पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचा तो एक जोरदार झटके के साथ अलमारी खुल गई और सारा सामान बेड पर गिर पड़ा। पैकेट से बाहर निकल कर डिल्डो गिरा और अजय की आंखो के ठीक सामने। सौंदर्या को काटो तो खून नहीं, उसके चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़ गया।

अजय ने आगे बढ़कर डिल्डो को हाथ में उठा लिया और एक बार अपनी बहन की तरफ देखा जो सूखे पत्ते की कांप रही थी। अजय की नजरो का सामना करते ही सौंदर्या बेहोश हो गई और नीचे हवा में गिरने लगीं लेकिन अजय ने अपनी मजबूत बांहों में थाम लिया और बेड पर लिटा दिया। तभी बाहर दरवाजा खुला और वो समझ गया कि उसकी मम्मी वापिस लौट अाई हैं। उसने तेजी से सारा सामान अलमारी में भरा और डिल्डो को भी वापिस अलमारी में रख दिया और एक नजर अपने बहन के चेहरे पर डालकर अपने कमरे में घुस गया।

कमला नीचे अा गई और वो भी बारिश में काफी भीग गई थी इसलिए नीचे कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने लगीं।

अजय को अपनी आंखो पर यकीन नहीं हो रहा था। उसकी सीधी साधी सी दिखने वाली संस्कारी दीदी के पास डिल्डो भी होगा ये उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी।

अपनी मा की तरफ से बेफिक्र होकर वो फिर से अपनी बहन के कमरे में घुस गया। सौंदर्या अभी तक बिस्तर पर ऐसे ही बेहोश पड़ी हुई थी। अजय ने एक नजर अपनी बहन पर डाली और उसके मन में एक विचार अाया। उसने अलमारी को खोला और डिल्डो बाहर निकाल लिया।

अलमारी खुलने की आवाज से सौंदर्या की आंखे खुल गई लेकिन अपने भाई के हाथ में डिल्डो देखकर उसने आंखे बंद रखने में ही भलाई समझी। अजय डिल्डो को अपनी नाक के पास लाया और सूंघने लगा।

सौंदर्या बिस्तर पर पड़ी पड़ी ही फिर से कांप उठी क्योंकि वो समझ गई थी कि उसका भाई डिल्डो इसलिए सूंघ रहा है कि वो उसकी चूत के रस की गंध महसूस कर सके। सौंदर्या के बदन में फिर से उत्तेजना दौड़ने लगी लेकिन उसने अपनी आंखो को बंद ही रखा और धीरे धीरे उसे बीच बीच में देख रही थी।


अजय को डिल्डो से उठती हुई खुशबू मदहोश कर रही थी इसलिए उसने अपनी आंखे बंद कर ली और जोर जोर से उसे सूंघने लगा। अजय ने मस्ती में अपना एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और उपर से ही सहलाने लगा। सौंदर्या ये सब देखते ही मचल उठी और अपने जांघो को आपस में रगड़ना शुरू कर दिया। तभी अजय के दिमाग में एक विचार आया कि उसकी बहन तो बेहोश हैं तो डिल्डो से क्यों खुशबू सूंघना, क्यों ना सीधे अपनी बहन की पेंटी से ही सूंघ लू। सौंदर्या को कुछ पता भी नही चलेगा और उसके मजे हो जाएंगे। ये विचार मन में आते ही उसने एक बार सौंदर्या की तरफ देखा और सौंदर्या फिर से अपनी आंखे बंद कर ली। अजय धीरे धीरे अपनी बहन के पास बैठ गया और उसे प्यार से आवाज लगाई

" सौंदर्या दीदी। मेरी प्यारी दीदी उठ जाओ आप।

लेकिन सौंदर्या ने शर्म के मारे कोई जवाब नहीं दिया तो अजय समझ गया कि उसकी बहन अभी तक बेहोश ही हैं तो उसने धीरे से सौंदर्या की नाइटी ऊपर की तरफ सरका दी और सौंदर्या की हालत पूरी तरह से खराब हो गई। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि उसका भाई क्या करने जा रहा है और वो कुछ बोल पाने की स्थिति में भी नहीं थी इसलिए चुप लेती रही।

नाइटी के उपर जाते ही अजय ने एक नजर अपनी बहन की दूध की गोरी, केले के तने के समान चिकनी जांघों पर डाली और अगले ही पल उसकी जांघो के बीच में अपना मुंह घुसा दिया। सौंदर्या का समूचा वजूद कांप उठा और उसकी सांसे तेजी से चलने लगी। अजय ने अपने मुंह को आगे किया और सीधे उसकी जांघो के जोड़ पर पेंटी के उपर से सूंघने लगा। अपनी भाई की गर्म गर्म सांसे अपनी पेंटी के ऊपर पड़ते ही सौंदर्या के मुंह से आह निकलते निकलते बची। उसने अपने एक हाथ से बेड शीट को दबोच लिया और दूसरे से अपने मुंह को कस कर बंद कर लिया।


सौंदर्या की पेंटी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीगी हुई थी और अजय ने अपनी नाक को पेंटी के उपर टिका दिया और सूंघने लगा। सौंदर्या की टांगे अपने आप ही थोड़ी सी खुल गई। तभी सीढ़ियों से कमला के आने की आहट हुई और अजय फुर्ती से उठा और उसने सौंदर्या की नाइटी को ठीक किया और उसके ऊपर एक चादर डाल कर वहीं बेड पर बैठ गया और मोबाइल में वीडियो देखने लगा।

कमला अंदर अा गई और बोली:"

" अरे मैं तुम दोनों को नीचे देख रही थी और तुम दोनों यहां हो।

अजय:" मम्मी मैं उपर ही अा गया खाना खाकर और दीदी से बात करने लगा। ये बात करते करते ही सो गई।

कमला:" ओह बेचारी, थक गई होंगी, दिन भर काम किया इसने आज सीमा की मम्मी बता रही थी मुझे। अरे ये बेड शीट गीली क्यों हो रही है?

बेड पर बैठते ही कमला को शीट के गीले होने का एहसास हुआ। सौंदर्या समझ गई कि अब उसे बोलना ही पड़ेगा क्योंकि उसकी चादर के नीचे डिल्डो भी पड़ा हुआ था। भाई की नजरो में तो वो गिर ही गई और मा की नजरो में बचना चाहती थी इसलिए सौंदर्या के धीरे से अपनी आंखे खोल दी और बोली:"

" मम्मी आप कब अाई ? वो मैं छत पर भीग गई थी इसलिए गीली हो गई।

कमला ने एक झटके के साथ चादर को हटा दिया और बोली:"

" पागल लड़की गीले कपड़ों के साथ सोएगी तो बीमार पड़ जाएगी।

चादर के हटते ही डिल्डो बाहर अा गया लेकिन इससे पहले कि कमला की नजर पड़ती अजय ने उसे अपनी टांग के नीचे दबा लिया और सौंदर्या ने राहत की सांस ली।

कमला:" चलो जल्दी दे खड़ी होकर अपने कपड़े बदल लो और फिर आराम से सो जाना।

इतना बोलकर कमला उठी और चादर लेकर बाहर की तरफ निकल गई। सौंदर्या ने अजय की देखा और अजय ने बिना कुछ कहे डिल्डो को अपनी दीदी के हाथ में थमा दिया।


सौंदर्या का मुंह शर्म से लाल हो गया और बोली:"

" भाई मुझे क्यों दे रहे हो? मैं क्या करू इसका ?

अजय:" अब दीदी आपका हैं तो आपको ही दूंगा। आप खुद समझो क्या करना है।

सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसके मुंह से क्या निकल गया। वो फिर से हड़बड़ा गई और बोली:"

" भाई मेरा वो मतलब नहीं था। भाई मैं सच कहती हूं ये मेरा नहीं है। मेरा यकीन करो।

अजय:" दीदी मुझसे इससे कोई मतलब नहीं है। आप अपने तरीके से अपनी ज़िन्दगी जियो। लेकिन आगे से इसे संभाल कर रखना, मा ने देख लिया तो आपको बहुत दिक्कत होगी।

इतना कहकर अजय बाहर निकल गया और पीछे हताश, उदास सी खड़ी सौंदर्या उसे आवाज देती रह गई।
Masssttt update.
 
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Aidenhunt

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Excellent update
 
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