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Incest मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात

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Ek alag hi mother - son incest relationship ka concept banaya hai aapne . Cold ke bahane apni sexual desire pure kar rahe hai dono.
Outstanding concept & too hot story.
 

Joy Gupta

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🌺 Part - 9 🌺




अब बस हम दोनों के घिसने और पच्च पच्च की आवाज बाथरूम में हल्की सी गूंज ही रही थी के मैं इतना ज्यादा एक्साइटेड हो गया के मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मेरा माल मां की टांगों के बीच ही छूट गया।

माल छूटते ही मैं जैसे अचानक से रुक गया और गहरी सांसे भरने लगा। करीब 1-2 मिनट तक सब बिल्कुल शांत हो गया और फिर मां ने लेटे लेटे ही अपना हाथ मेरे चूतड़ों से हटा मेरे बालों में रख सहलाने सी लगी।

वो ऐसे सहला रही थी मेरे बालों को के जैसे कह रही हो ' कोई बात नहीं बेटा, इतनी एक्साइटमेंट में छूट ही जाता है '। वो मेरे बालों को लगातार सहलाती रही और मेरे लंड से माल की आखरी बूंद तक उनकी टांगों के बीच या फिर कहूं उनकी चूत के नीचे छूटती चली गई और मेरे तेज सांसे भी अब थमती चली गई।

सांसे थमते थमते मेरा लंड भी अपना बड़ा आकार खो बैठा और छोटा सा होकर वो गरम गांड पर सो गया। करीब 10 मिनट हम यूंही पड़े रहे और ना मैनें नीचे हाथ डाल कर अपने माल को साफ करने की कोशिश की ना ही मां ने कुछ किया।

माल छूटने पर मेरे मन में एक पल के लिए ये विचार जरूर आया था के ये सब मैनें क्या कर दिया। अपनी ही मां के साथ नंगा होकर माल छोड़ दिया। पर जैसे जैसे सांसे थमी थी और मां के हाथ मुझे सहलाने लगे थे के मेरे मन से ये विचार भी निकल गए और मैं यूंही चुप चाप पड़ा रहा।

करीब 10 मिनट बाद मां बोली - चीकू बेटा?
मैं - जी मां?
मां - तुझे भूख तो नहीं लगी ना बेटे।
मैं - लगी तो है मां पर अब क्या ही कर सकते हैं।
मां - हां मुझे लगा ही था के तुझे भूख लगी होगी, तूने कल दोपहर से ही तो कुछ नहीं खाया था, मैं तो फिर भी तेरे पापा के लिए पैक करते वक्त 2 रोटी खा बैठी थी।

मैं - हां मां।
मां - यहां बंद ना होते तो तेरे लिए खाना और दूध गर्म हो ही जाता और अब तक तो हम खा कर सो भी चुके होते।
मैं - हां मां , सही कहा, खैर अब मजबूरी है क्या करें यहां कुछ खाने का है तो नहीं अब।मां - हां कुछ खाने का तो नहीं है, पर शायद....
मैं - पर शायद क्या मां?

मां - पर शायद पीने का जुगाड हो ही जाए।
मैं - क्या मां?
मां - गर्म दूध ना सही पर दूध तो शायद मिल ही सकता है तेरे लिए।
मैं - वो कहां से मां?
मां - जहां से तु बचपन में पिता था.

मां ने सीधा सीधा मुझे अपने चूचों को चूसने का न्योता दे दिया था। मुझे नहीं मालूम था के मेरी मां इतनी नोटी निकलेगी और बहाने कर कर वो सब कर जाएगी जिसकी कोई सोच भी नहीं सकता था।
पहले गांड पर हाथ फेरना, फिर नंगे होकर साथ लेटना, और तो और गांड को घिसना, और अब चुचे चुदवाना। वाह मां वाह, आप तो किसी लॉटरी की तरह निकली हो मेरी जिंदगी में।

मैं - बचपन में मतलब आपके वहां से.....क्या मां वहीं से।
मां - हां वहीं से, इसमें बुराई ही क्या है भला, मेरा बच्चा ही तो है तु, बचपन में इतना पिलाया है तो अब मजबूरी में थोड़ा सा पीला दूंगी तो क्या ही हो जाएगा।

मैं - हां पर, क्या अब भी वहां से दूध आता होगा?
मां - उम्मम, शायद, वो तो चैक करके पता चलेगा अब।
मैं - हां।

मेरी हां पर मां मेरी ओर घूम गई और अपनी टी शर्ट उतारने लगी। टी शर्ट उतरते वक्त मैनें नीचे देखा तो उनकी चूत के पास मेरा इतना सारा माल लगा था और उनकी मोटी मोटी टांगों से कुछ चिपचिपी बूंदे अभी भी नीचे टपक रही थी। शायद मेरे माल में मां की चूत का रस भी निकल कर मिल गया था जो इतना सारा उनकी टांगों के बीच में फैल गया था।

मां ने टी शर्ट उतारी और इतने मोटे चूचों को देख मैं बोला - मां इनमें तो बहुत सारा दूध होगा शायद।
मां हंसी और होली - हो सकता है।
मैं - हो सकता नहीं होगा ही।
मां - हां अब बाते छोड़ और पी ले अच्छे बच्चे की तरह।

अब मां और मेरी टांगें आपस में जुड़ गई और मैं किसी बच्चे की तरह मां के एक चुचे को हाथ में पकड़ मुंह खोल रुक गया के मां हंसी और बोली - क्या हुआ?
मैं - इतने सॉफ्ट हैं ये मां।
मां - हां तो ऐसे ही होते हैं ये।
मैं - अच्छे हैं मां।

मां - अब पिएगा भी या बस यूंही पकड़ कर देखता रहेगा।
मैनें अपना मुंह मां के निपल के पास ले जाकर उसे हल्का सा होंठों पर लगाया ही था के मेरे सोए हुए लण्ङ ने झटके लेने शुरू कर दिए और मैनें जब उपर देखा तो मां आंखे बंद कर अपने होंठों को चबा रही थी।

शायद वो भी एक अरसे के बाद अपने चुचे किसी को चुसवा रही थी।

इधर मैं मुंह में मां के एक चुचे को भर चूसने लगा ही था के लण्ङ फिर से पूरी हरकत में आ गया और अब वो सीधा सीधा मां की चूत पर जाकर बैठ गया।

मां ने मेरे बालों को सहलाना शुरू कर दिया और मैं उनका एक चुचा चूसता चूसता बोला - मां इनमें तो दूध ही नहीं आ रहा।
मां सिसकती भरी आवाज में बोली - चूस तो सही बेटा अच्छे से, आएगा दूध भी।

मैनें चूसना जारी रखा और नीचे लण्ङ मां की चूत पर बैठा खुद को गिला महसूस करने लगा, एक तो मां की टांगें पहले से ही मेरे माल से चिपचिपी थी और अब शायद मां के चुचे चूसने से उनकी चूत और भी पानी छोड़ रही थी।

मैं अब बड़े प्यार से मां के दोनों चुचे एक एक कर चूस रहा था और गर्म हुए जा रहा था । उधर मां की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। चूचों में दे दूध आए या ना आए पर मैनें चूसना जारी रखा।

मां चली तो मेरी पेट की भूख मिटाने थी पर शायद वो अपनी और मेरी जिस्म की भूख मिटा रही थी। करीब 10 मिनट मैं चुपचाप मां के दोनों चूचों को चूसता रहा और फिर चूचों से जैसे ही मुंह हटाकर उपर हो मां का चेहरा देखा तो मां अपनी टी शर्ट को अपने मुंह में दबाए सिसक रही थी।

मैनें चुचे छोड़ मां से कहा - क्या हुआ मां?
मां ये सुनते ही एक दम टी शर्ट की अपने मुंह से निकाल साइड में फेंक कर बोली - क्या क्या कुछ कुछ ....कुछ नहीं।
मैं - मां एक बात कहूं.
मां - हां बोल ना बेटा।

मैं - मां आप मेरी भूख की इतनी चिंता कर रही हो, मुझे भी आपकी भूख की चिंता होने लगी है।
मां - हां पर मैनें शाम में खाया था बेटा।
मैं - हां पर उसको भी तो कितना टाइम हो गया ना।
मां - हां हो तो गया।
मैं - तो आप भी थोड़ा दूध पी लो ना।

मां हंसी और बोली - अरे मैं कैसे पियूंगी अपना ही दूध, मेरा मुंह थोड़ी ना जाएगा वहां तक, तेरा अगर दूध लगा होता तो जरूर फटा फट पी जाती मैं।

इस पर हम दोनों हल्का सा हंसे और मैं मां से बोला - आप अपना खुद नहीं पी सकती पर मैं तो आपको दूध निकाल कर पिला सकता हूं ना।
मां - वो कैसे भला?

मैं - मैं थोड़ा सा दूध चूसूंगा फिर आपके मुंह में डाल दूंगा।
मां हंसते हुए बोली - कैसे डालेगा, कोई चम्मच वगैरा थोड़ी है यहां पर।
मैं - अरे मां, मैं अपने होंठों आपके होंठों पर लगा कर दूध अंदर डाल दूंगा ना।

मां इसपर हल्की सी मुस्कुराई और मादक आवाज में बोली - अच्छा जी, मेरा बच्चा तो बहुत होशियार हो गया है।
मैं - आखिर बच्चा किसका हूं मां।
मां ने मेरा मुंह अपने चुचे पर लगाया और बोली - सिर्फ मेरा... चल चूस फिर दूध और पिला मुझे भी।

मैनें एक बार चुचा चूसा और अपने होंठों को फिर मां के होंठों पास ले जाकर आंखों से मां को इशारा किया के रख रहा हूं अब और अगले ही पल अपने होंठ मां के होंठों पर रख दिए।
उफ्फ क्या रसीले होठ थे मां के इस उम्र में भी। कमसीन औरतें वाक्य में जन्नत होती हैं सेक्स के लिए।

मैनें होंठ उनके होंठों पर लगा हल्का सा जीभ को उनके मुंह में उतार दिया। जानते हम दोनों थे के ना तो उन चूचों से अब दूध निकल रहा है और ना ही हमे भूख है पेट की जो हम ऐसा कर भुजाने चले है। हम तो बस रात का मजा लूट रहे थे एक दूसरे के जिस्म से।






🌺🤞
इन दो अपडेट्स ने लंड और चूत में से रस तो टपकाया ही होगा

🤞🌺
wafting update.....................................
 
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mack371985

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Cooldude1986

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