मस्त गरमागरम अपडेट। शानदार।Part - 8
ठंडे फर्श पर लोवर बिछा हम दोनों मां बेटे नंगे लेते थे। मेरा हाथ धीरे धीरे उनकी गांड को मसल रहा था और वो चुपचाप दूसरी तरफ मुंह कर लेती थी। शायद अपने ही बेटे के साथ बिल्कुल नंगी होकर लेटने से वो अंदर ही अंदर शर्म से पानी पानी हो रही थी पर बाहर से तो ऐसे दिखा रही थी के मैं जैसे कोई छोटा बच्चा हूं और वो मेरे साथ अपनी नंगी गांड टीका कर अगर लेटेगी भी तो भी उसे कोई फरक नहीं पड़ेगा।
मां को उस सॉफ्ट सी गांड को हल्के हल्के हाथों से मसल मसल कर मेरा तो लण्ड एकदम सख्त होकर अभी भी अंडरवियर की इलास्टिक में ही फसा हुआ था जिसे मैं चाहता तो बाहर निकाल सकता था पर मैं एकदम से ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहता था के धीरे धीरे बनती बात पर कहीं पानी ना बिखर जाए।
वैसे मजा तो मुझे इस सब में ही बहुत आ रहा था। मन तो ये कर रहा था के ये रात बस खत्म ही ना हो और हम मां बेटे यूंही नंगे लेटे रहें एक दूसरे से लग कर।
करीब 10 मिनट हो गए थे हमें यूंही चुप चाप लेटे हुए के मां बोल पड़ी - सुन चीकू बेटा?
मैं - हां मां?
मां - ये तेरा अंडरवियर का इलास्टिक मेरी कमर पर रगड़ सा रहा है और चुभ रहा है मुझे।
मैं - ओह अच्छा।
दरअसल मां के दोनों चूतड़ों पर टिके मेरे दोनों हाथों के बीच के गैप में मेरा अंडरवेयर मां को ना लगता पर लोड़ा खड़े होने की वजह से हाथों के बराबर होकर वो अंडरवेयर की इलास्टिक के उपर के हिस्से पर लगे दानेदार वार्डिंग वाले ब्रांडिंग स्टिकर के घिसने से शायद मां को एक अजीब सी चुभन सी महसूस हो रही थी जिसकी वजह से मां ने मुझे ऐसा कहा।
मां - हां वो चुभ सा रहा है बार बार मुझे जैसे ही तु अपने हाथ मसलता है मेरे पीछे।
मैं - तो फिर क्या हाथ रहने दूं मैं मां?
मां - नहीं नहीं, मेरा मतलब वो नहीं, मैं तो ये कह रही थी के तु अपना ये अंडरवेयर उतार क्यूं नहीं लेता।
मैं - पर मां.... बिल्कुल नंगा होकर फिर मैं........
मां - क्या ....मैं भी तो देख बिल्कुल नंगी हूं और तु तो ऐसे शर्मा रहा है जैसे मां नहीं कोई और अनजान औरत हो ।
मैं - हां ठीक है।
मैनें जैसे ही ये बोला के मां ने अपना एक हाथ पीछे कर मेरा अंडरवियर का इलास्टिक पकड़ लिया और बोली - चल हल्का सा ऊपर उठ।
मैंने हल्का सा टेढ़े लेटे ही खुदको जमीन से ऊपर की और उठाया के मां ने फट से मेरे घुटनों पर मेरा अंडरवियर सरका दिया। घुटनों तक सरका कर फिर बोली - चल उतार दे अब इसे।
मैनें जैसे ही हाथ टांगों तक ले जाने के किए हल्का सा नीचे की और झुका के मेरी चेस्ट मां की कमर पर पूरी टच सी हुई और उनकी गर्दन से एक महक सी मेरे रोम रोम में पड़ी।
वो बड़ी मादक महक थी मां की गर्दन से आ रही थी जो। मेरे हल्का सा झुकने से मेरे चूतड़ थोड़े पीछे को हो गए तो लोड़ा मां को लगा नहीं था अभी मेरा। पर जैसे ही अंडरवेयर उतार मैं आगे हो फिर से मां से गांड चिपकाने को हुआ के मेरा लोड़ा अब बिल्कुल सीधा था , उसपर कोई बंदिश नहीं थी किसी भी इलास्टिक की।
कोई भी बंदिश ना होने के कारण मेरे खड़े लंड का टोपा सीधा मां की गांड की दरार के उपर वाले हिस्से पर जा कर लगा। एकदम से ऐसा होने से मैं भी सिसक सा गया और उधर मां भी सिसक गई।
पर हम दोनों चुप रहे और मेरे हाथ फिर से मां की गांड को हल्के हल्के से मसलने लगे।
अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे और मैं गांड पर हाथ रख सहलाता हुआ लण्ड के टोपे को उनकी गांड के उपर लगाए तेज सी सांसे ले रहा था के मां के कानों में मेरी उन सांसों की आवाज जैसे ही गई वो बोली - क्या हुआ चीकू बेटा, ठंडी ज्यादा लग रही है क्या, मेरे बच्चे को?
मैं - हां मां।
मां - मेरे बच्चे अच्छे से चिपक कर लेट ना, फिर नहीं लगेगी।
मां ने ऐसा बोलते ही खुदको थोड़ा पीछे की और किया और अपनी कमर और मेरी चेस्ट बिल्कुल चिपका ली और अपनी गांड को हल्का सा और पीछे की और सरका कर मेरे लंड को पूरी अपनी दरार से होता हुआ टांगों के बीच समा कर एक मादक आवाज में बोली - अब अब थोड़ी कम लग रही है ना मेरे बच्चे।
मैं भी मस्त सा होकर उनकी गर्दन को फिर से एक सांस सी भरकर आंखे बंद कर सिसकता हुआ बोला - हां मेरी प्यारी मां।
मां की गांड थी ही इतनी मोटी के उनके दोनों चूतड़ों की फांकों के बीच से होता हुआ मेरा सख्त लंड अपना टोपा नीचे को करके छुपकर जैसे बैठा था। अब टोपा जैसे ही गांड की दरार से होता हुआ गया के उसने अपना प्री कम छोड़ना शुरू कर दिया और मां की टांगों के बीच में कुछ बूंदे गिरा दी। इसपर मां ने मुझे कुछ नहीं कहा।
अब हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैनें अपने दोनों हाथ उनकी गांड से हटा कर ऊपर की और निकाल लिए और थोड़ा आगे को खिसक कर लोड़ा अच्छे से उनकी टांगों में फसा अपनी साइड की झांटों को उनकी गांड पर रगड़ा और पूरी तरह से चिपक गया। मेरे चिपकते ही मां ने अपना एक हाथ पीछे की और किया और मेरे चूतड़ पर रख मुझे खुदसे और चिपकाने लगी।
हमें ठंडी का तो अब जैसे कोई नामों निशान ही नहीं लग रहा था और दोनों जिस्म की आग में अब तप से रहे थे। ऐसे ही लेटे लेते मैनें हल्का सा खुदको घिसना शुरू कर दिया जिस से मेरा लंड भी मां की टांगों के बीच घिसना शुरू हो गया और मां की एकदम से आह निकल गई।
आह निकलते ही मैं थोड़ा सा रुका और अपने दोनों पैरों को उनके पैरों में फसा जैसे बड़े प्यार से हल्के हल्के झटके देने लगा और वो भी आगे को हल्का हल्का सा झटका ले हिलने लगी। घिसने के बहाने से अब मैं धीरे धीरे मां को झटके देता जा रहा था और मां चुपचाप बस हल्की सी आहें भरती हुई लेटी रही।
झटके देते देते लोड़ा मां की चूत के निचले वाले भाग पर जाकर लगने लगा और प्रीकम और शायद चूत के रस ने इन झटको से एक आवाज निकालनी शुरू कर दी। ठंडी रात में बाहर एक दम शांति थी और अंदर हम दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोल रहे थे तो गीले लण्ड के टोपे और भीगी चूत के भाग के मिलन से एक पच्च पच्च की आवाज सी हमारे कानों में पड़ रही थी।
चाहता तो मैं उसी वक्त मां की चूत में लंड सेट करके चुदाई का कार्यक्रम आरम्भ कर देता पर जो मजा इस सब में आ रहा था वो अलग ही था और मैं इसी में खुश होकर धीरे धीरे मजे ले रहा था और मां को भी धीरे धीरे मजे लेने में शायद आनंद आ रहा था। ना वो एकदम से चुदाई चाह रही थी और ना ही मैं एकदम से बस चुदाई तक पहुंचना चाहता था।
हम चुप रहकर ही फोरप्ले कर मजे लूट रहे थे इस से बड़ी बात और क्या ही हो सकती है।
Kissing & Boobs Sucking
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अत्यंत ही कामुक अपडेट। मजा आ गया।Part - 9
अब बस हम दोनों के घिसने और पच्च पच्च की आवाज बाथरूम में हल्की सी गूंज ही रही थी के मैं इतना ज्यादा एक्साइटेड हो गया के मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मेरा माल मां की टांगों के बीच ही छूट गया।
माल छूटते ही मैं जैसे अचानक से रुक गया और गहरी सांसे भरने लगा। करीब 1-2 मिनट तक सब बिल्कुल शांत हो गया और फिर मां ने लेटे लेटे ही अपना हाथ मेरे चूतड़ों से हटा मेरे बालों में रख सहलाने सी लगी।
वो ऐसे सहला रही थी मेरे बालों को के जैसे कह रही हो ' कोई बात नहीं बेटा, इतनी एक्साइटमेंट में छूट ही जाता है '। वो मेरे बालों को लगातार सहलाती रही और मेरे लंड से माल की आखरी बूंद तक उनकी टांगों के बीच या फिर कहूं उनकी चूत के नीचे छूटती चली गई और मेरे तेज सांसे भी अब थमती चली गई।
सांसे थमते थमते मेरा लंड भी अपना बड़ा आकार खो बैठा और छोटा सा होकर वो गरम गांड पर सो गया। करीब 10 मिनट हम यूंही पड़े रहे और ना मैनें नीचे हाथ डाल कर अपने माल को साफ करने की कोशिश की ना ही मां ने कुछ किया।
माल छूटने पर मेरे मन में एक पल के लिए ये विचार जरूर आया था के ये सब मैनें क्या कर दिया। अपनी ही मां के साथ नंगा होकर माल छोड़ दिया। पर जैसे जैसे सांसे थमी थी और मां के हाथ मुझे सहलाने लगे थे के मेरे मन से ये विचार भी निकल गए और मैं यूंही चुप चाप पड़ा रहा।
करीब 10 मिनट बाद मां बोली - चीकू बेटा?
मैं - जी मां?
मां - तुझे भूख तो नहीं लगी ना बेटे।
मैं - लगी तो है मां पर अब क्या ही कर सकते हैं।
मां - हां मुझे लगा ही था के तुझे भूख लगी होगी, तूने कल दोपहर से ही तो कुछ नहीं खाया था, मैं तो फिर भी तेरे पापा के लिए पैक करते वक्त 2 रोटी खा बैठी थी।
मैं - हां मां।
मां - यहां बंद ना होते तो तेरे लिए खाना और दूध गर्म हो ही जाता और अब तक तो हम खा कर सो भी चुके होते।
मैं - हां मां , सही कहा, खैर अब मजबूरी है क्या करें यहां कुछ खाने का है तो नहीं अब।मां - हां कुछ खाने का तो नहीं है, पर शायद....
मैं - पर शायद क्या मां?
मां - पर शायद पीने का जुगाड हो ही जाए।
मैं - क्या मां?
मां - गर्म दूध ना सही पर दूध तो शायद मिल ही सकता है तेरे लिए।
मैं - वो कहां से मां?
मां - जहां से तु बचपन में पिता था.
मां ने सीधा सीधा मुझे अपने चूचों को चूसने का न्योता दे दिया था। मुझे नहीं मालूम था के मेरी मां इतनी नोटी निकलेगी और बहाने कर कर वो सब कर जाएगी जिसकी कोई सोच भी नहीं सकता था।
पहले गांड पर हाथ फेरना, फिर नंगे होकर साथ लेटना, और तो और गांड को घिसना, और अब चुचे चुदवाना। वाह मां वाह, आप तो किसी लॉटरी की तरह निकली हो मेरी जिंदगी में।
मैं - बचपन में मतलब आपके वहां से.....क्या मां वहीं से।
मां - हां वहीं से, इसमें बुराई ही क्या है भला, मेरा बच्चा ही तो है तु, बचपन में इतना पिलाया है तो अब मजबूरी में थोड़ा सा पीला दूंगी तो क्या ही हो जाएगा।
मैं - हां पर, क्या अब भी वहां से दूध आता होगा?
मां - उम्मम, शायद, वो तो चैक करके पता चलेगा अब।
मैं - हां।
मेरी हां पर मां मेरी ओर घूम गई और अपनी टी शर्ट उतारने लगी। टी शर्ट उतरते वक्त मैनें नीचे देखा तो उनकी चूत के पास मेरा इतना सारा माल लगा था और उनकी मोटी मोटी टांगों से कुछ चिपचिपी बूंदे अभी भी नीचे टपक रही थी। शायद मेरे माल में मां की चूत का रस भी निकल कर मिल गया था जो इतना सारा उनकी टांगों के बीच में फैल गया था।
मां ने टी शर्ट उतारी और इतने मोटे चूचों को देख मैं बोला - मां इनमें तो बहुत सारा दूध होगा शायद।
मां हंसी और होली - हो सकता है।
मैं - हो सकता नहीं होगा ही।
मां - हां अब बाते छोड़ और पी ले अच्छे बच्चे की तरह।
अब मां और मेरी टांगें आपस में जुड़ गई और मैं किसी बच्चे की तरह मां के एक चुचे को हाथ में पकड़ मुंह खोल रुक गया के मां हंसी और बोली - क्या हुआ?
मैं - इतने सॉफ्ट हैं ये मां।
मां - हां तो ऐसे ही होते हैं ये।
मैं - अच्छे हैं मां।
मां - अब पिएगा भी या बस यूंही पकड़ कर देखता रहेगा।
मैनें अपना मुंह मां के निपल के पास ले जाकर उसे हल्का सा होंठों पर लगाया ही था के मेरे सोए हुए लण्ङ ने झटके लेने शुरू कर दिए और मैनें जब उपर देखा तो मां आंखे बंद कर अपने होंठों को चबा रही थी।
शायद वो भी एक अरसे के बाद अपने चुचे किसी को चुसवा रही थी।
इधर मैं मुंह में मां के एक चुचे को भर चूसने लगा ही था के लण्ङ फिर से पूरी हरकत में आ गया और अब वो सीधा सीधा मां की चूत पर जाकर बैठ गया।
मां ने मेरे बालों को सहलाना शुरू कर दिया और मैं उनका एक चुचा चूसता चूसता बोला - मां इनमें तो दूध ही नहीं आ रहा।
मां सिसकती भरी आवाज में बोली - चूस तो सही बेटा अच्छे से, आएगा दूध भी।
मैनें चूसना जारी रखा और नीचे लण्ङ मां की चूत पर बैठा खुद को गिला महसूस करने लगा, एक तो मां की टांगें पहले से ही मेरे माल से चिपचिपी थी और अब शायद मां के चुचे चूसने से उनकी चूत और भी पानी छोड़ रही थी।
मैं अब बड़े प्यार से मां के दोनों चुचे एक एक कर चूस रहा था और गर्म हुए जा रहा था । उधर मां की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। चूचों में दे दूध आए या ना आए पर मैनें चूसना जारी रखा।
मां चली तो मेरी पेट की भूख मिटाने थी पर शायद वो अपनी और मेरी जिस्म की भूख मिटा रही थी। करीब 10 मिनट मैं चुपचाप मां के दोनों चूचों को चूसता रहा और फिर चूचों से जैसे ही मुंह हटाकर उपर हो मां का चेहरा देखा तो मां अपनी टी शर्ट को अपने मुंह में दबाए सिसक रही थी।
मैनें चुचे छोड़ मां से कहा - क्या हुआ मां?
मां ये सुनते ही एक दम टी शर्ट की अपने मुंह से निकाल साइड में फेंक कर बोली - क्या क्या कुछ कुछ ....कुछ नहीं।
मैं - मां एक बात कहूं.
मां - हां बोल ना बेटा।
मैं - मां आप मेरी भूख की इतनी चिंता कर रही हो, मुझे भी आपकी भूख की चिंता होने लगी है।
मां - हां पर मैनें शाम में खाया था बेटा।
मैं - हां पर उसको भी तो कितना टाइम हो गया ना।
मां - हां हो तो गया।
मैं - तो आप भी थोड़ा दूध पी लो ना।
मां हंसी और बोली - अरे मैं कैसे पियूंगी अपना ही दूध, मेरा मुंह थोड़ी ना जाएगा वहां तक, तेरा अगर दूध लगा होता तो जरूर फटा फट पी जाती मैं।
इस पर हम दोनों हल्का सा हंसे और मैं मां से बोला - आप अपना खुद नहीं पी सकती पर मैं तो आपको दूध निकाल कर पिला सकता हूं ना।
मां - वो कैसे भला?
मैं - मैं थोड़ा सा दूध चूसूंगा फिर आपके मुंह में डाल दूंगा।
मां हंसते हुए बोली - कैसे डालेगा, कोई चम्मच वगैरा थोड़ी है यहां पर।
मैं - अरे मां, मैं अपने होंठों आपके होंठों पर लगा कर दूध अंदर डाल दूंगा ना।
मां इसपर हल्की सी मुस्कुराई और मादक आवाज में बोली - अच्छा जी, मेरा बच्चा तो बहुत होशियार हो गया है।
मैं - आखिर बच्चा किसका हूं मां।
मां ने मेरा मुंह अपने चुचे पर लगाया और बोली - सिर्फ मेरा... चल चूस फिर दूध और पिला मुझे भी।
मैनें एक बार चुचा चूसा और अपने होंठों को फिर मां के होंठों पास ले जाकर आंखों से मां को इशारा किया के रख रहा हूं अब और अगले ही पल अपने होंठ मां के होंठों पर रख दिए।
उफ्फ क्या रसीले होठ थे मां के इस उम्र में भी। कमसीन औरतें वाक्य में जन्नत होती हैं सेक्स के लिए।
मैनें होंठ उनके होंठों पर लगा हल्का सा जीभ को उनके मुंह में उतार दिया। जानते हम दोनों थे के ना तो उन चूचों से अब दूध निकल रहा है और ना ही हमे भूख है पेट की जो हम ऐसा कर भुजाने चले है। हम तो बस रात का मजा लूट रहे थे एक दूसरे के जिस्म से।
इन दो अपडेट्स ने लंड और चूत में से रस तो टपकाया ही होगा
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयाPart - 8
ठंडे फर्श पर लोवर बिछा हम दोनों मां बेटे नंगे लेते थे। मेरा हाथ धीरे धीरे उनकी गांड को मसल रहा था और वो चुपचाप दूसरी तरफ मुंह कर लेती थी। शायद अपने ही बेटे के साथ बिल्कुल नंगी होकर लेटने से वो अंदर ही अंदर शर्म से पानी पानी हो रही थी पर बाहर से तो ऐसे दिखा रही थी के मैं जैसे कोई छोटा बच्चा हूं और वो मेरे साथ अपनी नंगी गांड टीका कर अगर लेटेगी भी तो भी उसे कोई फरक नहीं पड़ेगा।
मां को उस सॉफ्ट सी गांड को हल्के हल्के हाथों से मसल मसल कर मेरा तो लण्ड एकदम सख्त होकर अभी भी अंडरवियर की इलास्टिक में ही फसा हुआ था जिसे मैं चाहता तो बाहर निकाल सकता था पर मैं एकदम से ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहता था के धीरे धीरे बनती बात पर कहीं पानी ना बिखर जाए।
वैसे मजा तो मुझे इस सब में ही बहुत आ रहा था। मन तो ये कर रहा था के ये रात बस खत्म ही ना हो और हम मां बेटे यूंही नंगे लेटे रहें एक दूसरे से लग कर।
करीब 10 मिनट हो गए थे हमें यूंही चुप चाप लेटे हुए के मां बोल पड़ी - सुन चीकू बेटा?
मैं - हां मां?
मां - ये तेरा अंडरवियर का इलास्टिक मेरी कमर पर रगड़ सा रहा है और चुभ रहा है मुझे।
मैं - ओह अच्छा।
दरअसल मां के दोनों चूतड़ों पर टिके मेरे दोनों हाथों के बीच के गैप में मेरा अंडरवेयर मां को ना लगता पर लोड़ा खड़े होने की वजह से हाथों के बराबर होकर वो अंडरवेयर की इलास्टिक के उपर के हिस्से पर लगे दानेदार वार्डिंग वाले ब्रांडिंग स्टिकर के घिसने से शायद मां को एक अजीब सी चुभन सी महसूस हो रही थी जिसकी वजह से मां ने मुझे ऐसा कहा।
मां - हां वो चुभ सा रहा है बार बार मुझे जैसे ही तु अपने हाथ मसलता है मेरे पीछे।
मैं - तो फिर क्या हाथ रहने दूं मैं मां?
मां - नहीं नहीं, मेरा मतलब वो नहीं, मैं तो ये कह रही थी के तु अपना ये अंडरवेयर उतार क्यूं नहीं लेता।
मैं - पर मां.... बिल्कुल नंगा होकर फिर मैं........
मां - क्या ....मैं भी तो देख बिल्कुल नंगी हूं और तु तो ऐसे शर्मा रहा है जैसे मां नहीं कोई और अनजान औरत हो ।
मैं - हां ठीक है।
मैनें जैसे ही ये बोला के मां ने अपना एक हाथ पीछे कर मेरा अंडरवियर का इलास्टिक पकड़ लिया और बोली - चल हल्का सा ऊपर उठ।
मैंने हल्का सा टेढ़े लेटे ही खुदको जमीन से ऊपर की और उठाया के मां ने फट से मेरे घुटनों पर मेरा अंडरवियर सरका दिया। घुटनों तक सरका कर फिर बोली - चल उतार दे अब इसे।
मैनें जैसे ही हाथ टांगों तक ले जाने के किए हल्का सा नीचे की और झुका के मेरी चेस्ट मां की कमर पर पूरी टच सी हुई और उनकी गर्दन से एक महक सी मेरे रोम रोम में पड़ी।
वो बड़ी मादक महक थी मां की गर्दन से आ रही थी जो। मेरे हल्का सा झुकने से मेरे चूतड़ थोड़े पीछे को हो गए तो लोड़ा मां को लगा नहीं था अभी मेरा। पर जैसे ही अंडरवेयर उतार मैं आगे हो फिर से मां से गांड चिपकाने को हुआ के मेरा लोड़ा अब बिल्कुल सीधा था , उसपर कोई बंदिश नहीं थी किसी भी इलास्टिक की।
कोई भी बंदिश ना होने के कारण मेरे खड़े लंड का टोपा सीधा मां की गांड की दरार के उपर वाले हिस्से पर जा कर लगा। एकदम से ऐसा होने से मैं भी सिसक सा गया और उधर मां भी सिसक गई।
पर हम दोनों चुप रहे और मेरे हाथ फिर से मां की गांड को हल्के हल्के से मसलने लगे।
अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे और मैं गांड पर हाथ रख सहलाता हुआ लण्ड के टोपे को उनकी गांड के उपर लगाए तेज सी सांसे ले रहा था के मां के कानों में मेरी उन सांसों की आवाज जैसे ही गई वो बोली - क्या हुआ चीकू बेटा, ठंडी ज्यादा लग रही है क्या, मेरे बच्चे को?
मैं - हां मां।
मां - मेरे बच्चे अच्छे से चिपक कर लेट ना, फिर नहीं लगेगी।
मां ने ऐसा बोलते ही खुदको थोड़ा पीछे की और किया और अपनी कमर और मेरी चेस्ट बिल्कुल चिपका ली और अपनी गांड को हल्का सा और पीछे की और सरका कर मेरे लंड को पूरी अपनी दरार से होता हुआ टांगों के बीच समा कर एक मादक आवाज में बोली - अब अब थोड़ी कम लग रही है ना मेरे बच्चे।
मैं भी मस्त सा होकर उनकी गर्दन को फिर से एक सांस सी भरकर आंखे बंद कर सिसकता हुआ बोला - हां मेरी प्यारी मां।
मां की गांड थी ही इतनी मोटी के उनके दोनों चूतड़ों की फांकों के बीच से होता हुआ मेरा सख्त लंड अपना टोपा नीचे को करके छुपकर जैसे बैठा था। अब टोपा जैसे ही गांड की दरार से होता हुआ गया के उसने अपना प्री कम छोड़ना शुरू कर दिया और मां की टांगों के बीच में कुछ बूंदे गिरा दी। इसपर मां ने मुझे कुछ नहीं कहा।
अब हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैनें अपने दोनों हाथ उनकी गांड से हटा कर ऊपर की और निकाल लिए और थोड़ा आगे को खिसक कर लोड़ा अच्छे से उनकी टांगों में फसा अपनी साइड की झांटों को उनकी गांड पर रगड़ा और पूरी तरह से चिपक गया। मेरे चिपकते ही मां ने अपना एक हाथ पीछे की और किया और मेरे चूतड़ पर रख मुझे खुदसे और चिपकाने लगी।
हमें ठंडी का तो अब जैसे कोई नामों निशान ही नहीं लग रहा था और दोनों जिस्म की आग में अब तप से रहे थे। ऐसे ही लेटे लेते मैनें हल्का सा खुदको घिसना शुरू कर दिया जिस से मेरा लंड भी मां की टांगों के बीच घिसना शुरू हो गया और मां की एकदम से आह निकल गई।
आह निकलते ही मैं थोड़ा सा रुका और अपने दोनों पैरों को उनके पैरों में फसा जैसे बड़े प्यार से हल्के हल्के झटके देने लगा और वो भी आगे को हल्का हल्का सा झटका ले हिलने लगी। घिसने के बहाने से अब मैं धीरे धीरे मां को झटके देता जा रहा था और मां चुपचाप बस हल्की सी आहें भरती हुई लेटी रही।
झटके देते देते लोड़ा मां की चूत के निचले वाले भाग पर जाकर लगने लगा और प्रीकम और शायद चूत के रस ने इन झटको से एक आवाज निकालनी शुरू कर दी। ठंडी रात में बाहर एक दम शांति थी और अंदर हम दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोल रहे थे तो गीले लण्ड के टोपे और भीगी चूत के भाग के मिलन से एक पच्च पच्च की आवाज सी हमारे कानों में पड़ रही थी।
चाहता तो मैं उसी वक्त मां की चूत में लंड सेट करके चुदाई का कार्यक्रम आरम्भ कर देता पर जो मजा इस सब में आ रहा था वो अलग ही था और मैं इसी में खुश होकर धीरे धीरे मजे ले रहा था और मां को भी धीरे धीरे मजे लेने में शायद आनंद आ रहा था। ना वो एकदम से चुदाई चाह रही थी और ना ही मैं एकदम से बस चुदाई तक पहुंचना चाहता था।
हम चुप रहकर ही फोरप्ले कर मजे लूट रहे थे इस से बड़ी बात और क्या ही हो सकती है।
Kissing & Boobs Sucking
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बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गयाPart - 9
अब बस हम दोनों के घिसने और पच्च पच्च की आवाज बाथरूम में हल्की सी गूंज ही रही थी के मैं इतना ज्यादा एक्साइटेड हो गया के मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मेरा माल मां की टांगों के बीच ही छूट गया।
माल छूटते ही मैं जैसे अचानक से रुक गया और गहरी सांसे भरने लगा। करीब 1-2 मिनट तक सब बिल्कुल शांत हो गया और फिर मां ने लेटे लेटे ही अपना हाथ मेरे चूतड़ों से हटा मेरे बालों में रख सहलाने सी लगी।
वो ऐसे सहला रही थी मेरे बालों को के जैसे कह रही हो ' कोई बात नहीं बेटा, इतनी एक्साइटमेंट में छूट ही जाता है '। वो मेरे बालों को लगातार सहलाती रही और मेरे लंड से माल की आखरी बूंद तक उनकी टांगों के बीच या फिर कहूं उनकी चूत के नीचे छूटती चली गई और मेरे तेज सांसे भी अब थमती चली गई।
सांसे थमते थमते मेरा लंड भी अपना बड़ा आकार खो बैठा और छोटा सा होकर वो गरम गांड पर सो गया। करीब 10 मिनट हम यूंही पड़े रहे और ना मैनें नीचे हाथ डाल कर अपने माल को साफ करने की कोशिश की ना ही मां ने कुछ किया।
माल छूटने पर मेरे मन में एक पल के लिए ये विचार जरूर आया था के ये सब मैनें क्या कर दिया। अपनी ही मां के साथ नंगा होकर माल छोड़ दिया। पर जैसे जैसे सांसे थमी थी और मां के हाथ मुझे सहलाने लगे थे के मेरे मन से ये विचार भी निकल गए और मैं यूंही चुप चाप पड़ा रहा।
करीब 10 मिनट बाद मां बोली - चीकू बेटा?
मैं - जी मां?
मां - तुझे भूख तो नहीं लगी ना बेटे।
मैं - लगी तो है मां पर अब क्या ही कर सकते हैं।
मां - हां मुझे लगा ही था के तुझे भूख लगी होगी, तूने कल दोपहर से ही तो कुछ नहीं खाया था, मैं तो फिर भी तेरे पापा के लिए पैक करते वक्त 2 रोटी खा बैठी थी।
मैं - हां मां।
मां - यहां बंद ना होते तो तेरे लिए खाना और दूध गर्म हो ही जाता और अब तक तो हम खा कर सो भी चुके होते।
मैं - हां मां , सही कहा, खैर अब मजबूरी है क्या करें यहां कुछ खाने का है तो नहीं अब।मां - हां कुछ खाने का तो नहीं है, पर शायद....
मैं - पर शायद क्या मां?
मां - पर शायद पीने का जुगाड हो ही जाए।
मैं - क्या मां?
मां - गर्म दूध ना सही पर दूध तो शायद मिल ही सकता है तेरे लिए।
मैं - वो कहां से मां?
मां - जहां से तु बचपन में पिता था.
मां ने सीधा सीधा मुझे अपने चूचों को चूसने का न्योता दे दिया था। मुझे नहीं मालूम था के मेरी मां इतनी नोटी निकलेगी और बहाने कर कर वो सब कर जाएगी जिसकी कोई सोच भी नहीं सकता था।
पहले गांड पर हाथ फेरना, फिर नंगे होकर साथ लेटना, और तो और गांड को घिसना, और अब चुचे चुदवाना। वाह मां वाह, आप तो किसी लॉटरी की तरह निकली हो मेरी जिंदगी में।
मैं - बचपन में मतलब आपके वहां से.....क्या मां वहीं से।
मां - हां वहीं से, इसमें बुराई ही क्या है भला, मेरा बच्चा ही तो है तु, बचपन में इतना पिलाया है तो अब मजबूरी में थोड़ा सा पीला दूंगी तो क्या ही हो जाएगा।
मैं - हां पर, क्या अब भी वहां से दूध आता होगा?
मां - उम्मम, शायद, वो तो चैक करके पता चलेगा अब।
मैं - हां।
मेरी हां पर मां मेरी ओर घूम गई और अपनी टी शर्ट उतारने लगी। टी शर्ट उतरते वक्त मैनें नीचे देखा तो उनकी चूत के पास मेरा इतना सारा माल लगा था और उनकी मोटी मोटी टांगों से कुछ चिपचिपी बूंदे अभी भी नीचे टपक रही थी। शायद मेरे माल में मां की चूत का रस भी निकल कर मिल गया था जो इतना सारा उनकी टांगों के बीच में फैल गया था।
मां ने टी शर्ट उतारी और इतने मोटे चूचों को देख मैं बोला - मां इनमें तो बहुत सारा दूध होगा शायद।
मां हंसी और होली - हो सकता है।
मैं - हो सकता नहीं होगा ही।
मां - हां अब बाते छोड़ और पी ले अच्छे बच्चे की तरह।
अब मां और मेरी टांगें आपस में जुड़ गई और मैं किसी बच्चे की तरह मां के एक चुचे को हाथ में पकड़ मुंह खोल रुक गया के मां हंसी और बोली - क्या हुआ?
मैं - इतने सॉफ्ट हैं ये मां।
मां - हां तो ऐसे ही होते हैं ये।
मैं - अच्छे हैं मां।
मां - अब पिएगा भी या बस यूंही पकड़ कर देखता रहेगा।
मैनें अपना मुंह मां के निपल के पास ले जाकर उसे हल्का सा होंठों पर लगाया ही था के मेरे सोए हुए लण्ङ ने झटके लेने शुरू कर दिए और मैनें जब उपर देखा तो मां आंखे बंद कर अपने होंठों को चबा रही थी।
शायद वो भी एक अरसे के बाद अपने चुचे किसी को चुसवा रही थी।
इधर मैं मुंह में मां के एक चुचे को भर चूसने लगा ही था के लण्ङ फिर से पूरी हरकत में आ गया और अब वो सीधा सीधा मां की चूत पर जाकर बैठ गया।
मां ने मेरे बालों को सहलाना शुरू कर दिया और मैं उनका एक चुचा चूसता चूसता बोला - मां इनमें तो दूध ही नहीं आ रहा।
मां सिसकती भरी आवाज में बोली - चूस तो सही बेटा अच्छे से, आएगा दूध भी।
मैनें चूसना जारी रखा और नीचे लण्ङ मां की चूत पर बैठा खुद को गिला महसूस करने लगा, एक तो मां की टांगें पहले से ही मेरे माल से चिपचिपी थी और अब शायद मां के चुचे चूसने से उनकी चूत और भी पानी छोड़ रही थी।
मैं अब बड़े प्यार से मां के दोनों चुचे एक एक कर चूस रहा था और गर्म हुए जा रहा था । उधर मां की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। चूचों में दे दूध आए या ना आए पर मैनें चूसना जारी रखा।
मां चली तो मेरी पेट की भूख मिटाने थी पर शायद वो अपनी और मेरी जिस्म की भूख मिटा रही थी। करीब 10 मिनट मैं चुपचाप मां के दोनों चूचों को चूसता रहा और फिर चूचों से जैसे ही मुंह हटाकर उपर हो मां का चेहरा देखा तो मां अपनी टी शर्ट को अपने मुंह में दबाए सिसक रही थी।
मैनें चुचे छोड़ मां से कहा - क्या हुआ मां?
मां ये सुनते ही एक दम टी शर्ट की अपने मुंह से निकाल साइड में फेंक कर बोली - क्या क्या कुछ कुछ ....कुछ नहीं।
मैं - मां एक बात कहूं.
मां - हां बोल ना बेटा।
मैं - मां आप मेरी भूख की इतनी चिंता कर रही हो, मुझे भी आपकी भूख की चिंता होने लगी है।
मां - हां पर मैनें शाम में खाया था बेटा।
मैं - हां पर उसको भी तो कितना टाइम हो गया ना।
मां - हां हो तो गया।
मैं - तो आप भी थोड़ा दूध पी लो ना।
मां हंसी और बोली - अरे मैं कैसे पियूंगी अपना ही दूध, मेरा मुंह थोड़ी ना जाएगा वहां तक, तेरा अगर दूध लगा होता तो जरूर फटा फट पी जाती मैं।
इस पर हम दोनों हल्का सा हंसे और मैं मां से बोला - आप अपना खुद नहीं पी सकती पर मैं तो आपको दूध निकाल कर पिला सकता हूं ना।
मां - वो कैसे भला?
मैं - मैं थोड़ा सा दूध चूसूंगा फिर आपके मुंह में डाल दूंगा।
मां हंसते हुए बोली - कैसे डालेगा, कोई चम्मच वगैरा थोड़ी है यहां पर।
मैं - अरे मां, मैं अपने होंठों आपके होंठों पर लगा कर दूध अंदर डाल दूंगा ना।
मां इसपर हल्की सी मुस्कुराई और मादक आवाज में बोली - अच्छा जी, मेरा बच्चा तो बहुत होशियार हो गया है।
मैं - आखिर बच्चा किसका हूं मां।
मां ने मेरा मुंह अपने चुचे पर लगाया और बोली - सिर्फ मेरा... चल चूस फिर दूध और पिला मुझे भी।
मैनें एक बार चुचा चूसा और अपने होंठों को फिर मां के होंठों पास ले जाकर आंखों से मां को इशारा किया के रख रहा हूं अब और अगले ही पल अपने होंठ मां के होंठों पर रख दिए।
उफ्फ क्या रसीले होठ थे मां के इस उम्र में भी। कमसीन औरतें वाक्य में जन्नत होती हैं सेक्स के लिए।
मैनें होंठ उनके होंठों पर लगा हल्का सा जीभ को उनके मुंह में उतार दिया। जानते हम दोनों थे के ना तो उन चूचों से अब दूध निकल रहा है और ना ही हमे भूख है पेट की जो हम ऐसा कर भुजाने चले है। हम तो बस रात का मजा लूट रहे थे एक दूसरे के जिस्म से।
इन दो अपडेट्स ने लंड और चूत में से रस तो टपकाया ही होगा