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Incest मां और मैं

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मैंने पहले कोई कहानी नहीं लगी लिखी यह पहली बार प्रयास कर रहा हूं और यह सच्ची घटना पर आधारित है
मैं बचपन से ही मां के पास अपने से 1 साल छोटे भाई के साथ रहता था और पिताजी परदेस में नौकरी करते थे। मां बहुत भली तथा दिखने में नमकीन, सलोनी, बहुत सुंदर तो नहीं पर अपनी और ध्यान खींचने में सक्षम स्त्री थी, भरा हुआ शरीर भारी नितम्ब ब्लाउज से बाहर निकलते 40 इंच से भी बड़े उरोज सब को आकर्षित करते थे। मां पास पड़ोस में सबकी सहायता के लिए तत्पर रहती थी इसलिए आस पास के परिवारों में अच्छा मेलजोल था
हम दोनों भाई मां के साथ ही सोते थे यह पुरानी बात है तब ज्यादातर सब लोग साधारण तरीके से रहते थे, घर में पंखा ही होता था कूलर फ्रीज का अता पता भी नहीं था हमारा भी एक निम्न मध्यम मध्यम वर्गीय परिवार था
उन दिनों लोगों का आपस में व्यवहार अच्छा होता था तथा दिखावा कम, कपड़ों वगैरह पर हमारे आसपास लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते थे
दोनों भाइ आपस में तथा पास पड़ोस के लड़कों लड़कियों से खेलते। मां से भी चुहल बाजी गलबहिया करते रहते तथा स्कूल से आकर मां से लिपट कर बैठ जाते थे
खाना खाकर सो जाते थे गर्मी के दिन थे तो फर्श पर ही तीनों लेट जाते थे और याद नहीं ना जाने कब ऐसा हुआ कि मां के चूतड़ों के बीच में अपनी नोनी दबाकर रखने में मजा आया और धीरे-धीरे यह एक आदत ही बन गई। पता नहीं मां को पता चलता था कि नहीं या वह इसे साधारण तरीके से ही लेती थी मां के शरीर पर एक पतला सा पेटिकोट तथा ब्लाउज ही होता था तथा मेरे शरीर पर पतले कपड़े का कच्छा ही होता था। इस प्रकार से यह मजा चलता रहा बाद में छोटे भाई ने भी इसी प्रकार का मां से खेलना शुरू कर दिया और कभी कभी हम दोनों भाई भी बारी-बारी आपस में एक दूसरे के चूतड़ों में अपनी नोनी रगड़कर मज़ा लेते थे
एक बात बताना भूल गया जब हम मकान मालकिन की लड़की मंजू से हम घर घर खेलते थे तो मैं तथा मंजू मम्मी-पापा बनते तथा दोनों के भाई बच्चे बनते थे और हम सोने के समय उसे कसकर अपनी बाहों में लेता था डॉक्टर की एक्टिंग के समय उसकी फ्रॉक उठाकर निप्पल को मसलता तथा कच्छी के अंदर हाथ डालकर नितंबों पर अपनी खड़ी हुई छोटी सी लुल्ली से इंजेक्शन लगाया करता था। बाद में बढ़ कर नितंबों तथा मुत्रद्वार को चाटने रगड़ने का खेल कब शुरू हुआ पता नहीं चला। मेरी लुल्ली बड़ी तो नहीं थी पर उसके गुप्तांगों पर रगड़ना उसको भी और बहुत ही अच्छा लगता था और वो भी मौका ढूंढकर मेरे पास आ जाती थी।
कभी-कभी दोनों के भाई जो बच्चों का अभिनय कर रहे होते थे वह भी अपनी नाटक वाली मां पर चढ़ते थे और उसकी फ्रॉक ऊपर करके सोने की एक्टिंग करते थे पर एक दिन मकान मालकिन ने हमें देख लिया तथा हमें डांट कर अलग कर दिया उस दिन के बाद से मकान मालकिन ने अपनी लड़की को हमारे हिस्से वाले बरामदे की तरफ भी भेजना बंद कर दिया

जब हम थोड़ा बड़े हो गए फिर हमने ध्यान दिया कि जब कभी पिताजी घर आते तो रात को मां हमारे साथ से उठकर पिताजी की चारपाई पर चली जाती थी
हमारा घर एक ही कमरे वाला था और रात को अंधेरे में तो कुछ मालूम नहीं पड़ता था परंतु कभी-कभी दोपहर में ही माता पिता के खेल को देखने का मौका मिलता था और उनके कसमसाहटों तथा चुम्मीऔं को सुनकर हम दोनों भाइयों की लुल्ली खड़ी हो जाती थी और रात को भी तो अंधेरे में हम दोनों भाई बकायदा एक दूसरे से आनंद लेते थे और जब पिताजी वापस परदेस चले जाते थे तो मां के साथ चिपक कर सोने का और रगड़ने का प्रयास करते थे अब तक मेरी लुल्ली भी बड़ी हो गई थी तथा में उससे बकायदा खेलने लग गया था संभवत मां को भी मेरी खड़ी लुल्ली तथा रगड़ने का एहसास होता होगा किंतु वह कभी भी मुझे अपने से लिपटने से मना नहीं करती थी। लिपटे हुए ही मां के नर्म से पेट पर हाथ फेरना नाभि को मसलना तथा कभी-कभी ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को छेड़ना बहुत ही भाता था।
कभी-कभी मां के पैर दबाना पिंडलियों और जांघों तक मालिश करना या मां के पेट में दर्द होने के टाइम पर पीठ की मालिश करना मेरा नियम बन गया था इस काम में मुझे तो आनंद आता ही था संभवत मां को भी बहुत ही अच्छा लगता होगा तभी वह गाहे-बगाहे मालिश की फरमाइश कर देती थी
जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ने लगा तब तक पिताजी परदेस की नौकरी नौकरी में भी सुबह जल्दी जाकर रात को देर से आने का था और वो घर में इतवार को ही रहते थे अतः घर गृहस्ती के सारे काम मां तथा मेरे को ही करने होते थे छोटा भाई बहुत ज्यादा जिम्मेवारी नहीं लेता था और हम दोनों भाइयों का आपसी खेल भी बंद हो गया था, वह अपने दोस्तों में व्यस्त हो गया था उसने एक लड़की से दोस्ती कर ली थी तथा योन आनंद भी ले लिया था किंतु मुझे ऐसा मौका अभी तक नहीं मिल पाया था
भाई को शक था कि मां मेरे ऊपर बहुत मेहरबान है इसलिए कभी-कभी हो मुझसे मां के बारे में पूछता की क्या तुमने मां के साथ कुछ किया है तो मैं मैंने एक बार कह दिया कि हां कल मालिश करते करते मैंने मां की योनि में अंगुली डाली थी तथा उसको भी मसला है तो उसने बोला कि अपना लन्ड क्यों नहीं डाल दिया पर हम दोनों समझते थे कि बिना मां के आमंत्रण के ऐसा कुछ करने में खतरा है। जो कुछ मिल रहा है वह भी बंद हो सकता है मार पड़ने का ज्यादा बड़ा डर था
मां के साथ मेरे संबंध प्रगाढ़ होते गए और बड़ा होने के बावजूद भी जब भी मौका मिलता मैं मां के साथ बिस्तर में या जमीन पर सो जाता तथा कसकर आलिंगनबद्ध करना गालों पर पप्पी लेना पेट पर अच्छे से हाथ फेरना तथा मां के नितंबों पर अपना लिंग रगड़ना जारी रखे हुए था
अभी भी मां दोपहर को ब्लाउज तथा पेटीकोट ही पहनती थी और मैंने भी दोपहर को सोने के समय कच्छा उतार कर सिर्फ पजामें में ही मां के साथ लेटता था अब तक मुझे यकीन हो गया था कि मां मेरे लिंग को अपने नितंबों पर लगाना तथा गुदाद्वार से रगड़ना पसंद करती है क्योंकि मेरा लिंग अभी 7 इंच से बड़ा हो गया था और स्पूनिंग करते हुए मेरे हाथ उसके नंगे पेट तथा ब्लाउज में कसी चुचियों को अच्छे से दबाते थे कभी-कभी मां मेरी तरफ करवट लेकर अपने माम्मों को मेरी छाती से दबाकर और मेरे लिंग को अपनी योनि से सटाकर भी लेट जाती थी
इसी प्रकार से एक बार जब मां आलिंगन के बाद पीठ के बल लेटी तो मैं मैथुन मुद्रा में उसके ऊपर लेटने लगा तो मां ने मुझे मना कर दिया और वापस साइड में लेट गई, उसके बाद मुझे कई बार मां के साथ संभोग करते हुए स्वपनदोष होना शुरू हो गया था।
Mast update diya bhai aapne.
 

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मैंने उसकी साड़ी खोली और ब्लाउज पेटीकोट में उसको नीचे चटाई पर लिटा दिया
सरसों का तेल हल्का सा गर्म करके लाया उस के तलवों की मालिश की हथेलियों की बारिश की फिर पिंडलियों की मालिश करने से देखा तो उस की रंगत थोड़ी वापस आ रही थी और वह मुस्कुराने लगी थी
मैंने कहा कुछ फायदा मिला मेरी प्यारी चाची को तो वो बोली मेरा मीठा सा भतीजा चाची को खुश कर रहा है और ठीक करने की कोशिश कर रहा है तो चाची क्यों ठीक नहीं होगी
मैंने कहा अच्छा ऐसी बात है तो आज पूरा ही ठीक कर दूंगा और कोशिश करूंगा कि तुम्हारा मिर्गी का रोग की जड़ भी खत्म हो जाए।
पहले मैं कई बार उससे कह चुका था कि पति का लिंग ना मिलने की वजह से उसकी योनि सूखी-सूखी होगी और मन में कुंठा आ रही होगी और जब ठरक पूरी तरह से मन और दिमाग में भर जाए तो मिर्गी का दौरा पड़ता है।
मैंने उसे एक दो बार बैंगन या मोमबत्ती प्रयोग करने के बारे में कहा था पर वह मानी नहीं या मेरे सामने उसने स्वीकार नहीं किया था किंतु जैसे वह नहाते हुए मुझे अपना नंगा बदन दिखाती थी और सारा दिन पल्लू नीचे गिरा कर अपनी चूचियां दिखाती थी इससे मुझे आमंत्रण तो लगता ही था और आज उसका मन चुदाने का लग भी रहा था
घर में मेरे और उसके अलावा कोई नहीं था अतः आज मैंने चाची को स्वस्थ करने का जिम्मा उठाने का निश्चय किया।
मैंने चाची को बोला कि पूरा ठीक करने के लिए तुम्हारे पैरों में ऊपर तक, पेट तथा पीठ पर भी मालिश करनी पड़ेगी तब उसमें जान आ जाएगी
चाची ने मुस्कुराकर पलके झुकाई और कहां मेरा राजा बेटा जो करेगा वह ठीक ही करेगा मैं बहुत खुश हुआ और मैंने चाची को ठीक करना शुरू कर दिया:::::::::
Bhot hi mast update hai bhai. Likhte raho.
 

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मां जब नानी के घर से वापस आई तो
मैंने देखा कि मां का मन ठीक नहीं लग रहा इस पर मैंने झटपट चाय बनाई और आकर मां के बगल में पलंग पर बैठ कर गलबहिया डाली और पूछा कि मां क्या लग रहा है वह बोली कि नानी की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे घबराहट हो रही है

मैंने मां को अपने पर खींच लिया और कहा कि कुछ समय लेट जाओ, मां मेरी गोदी में सिर रखकर पैर फैला कर लेट गई मैंने सिर्फ कच्छा पहना हुआ था फिर मां के सिर के दवाब से आपसे मैंने महसूस किया कि चाची की हरकतों से वीर्य से गिला हुआ मेरा कच्छा मेरी जांघ पर लग रहा है किंतु भाग्यवश वीर्य के ऊपर मां का सिर था बालों के होने की वजह से शायद मां को गीलापन नहीं लगा, मैंने एक हाथ से मां के बालों में उंगलियां फिरानी शुरू की तथा दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा
कुछ पल ऐसे ही बीते फिर मुझे अपनी जांघों पर कुछ ज्यादा गीलापन लगा मैंने गौर से देखा तो पता चला मां के आंसू बह रहे हैं मैंने अपना हाथ मां के गालों पर रखा तो मां सुबक सुबक कर रोने लगी

मां का मन नानी बीमारी के कारण बहुत ही परेशान था इसलिए मैंने अपने दोनों पैर फैलाए और मां को सांत्वना देने के लिए मां से लिपट गया
मां ने मेरी छाती पर अपना सिर रखा हुआ था और मुझे कसकर जकड़ा हुआ था जैसे मां मुझ में सहारा ढूंढ रही हो,
मैंने भी मां को आश्वस्त करने के लिए खूब जोर से आलिंगन बद्ध कर लिया अब मां की की चूचियां मेरे पेट पर तथा मेरा सुस्त पड़ा लंड मां के पेट पर लग रहा था मां का रोना बंद नहीं हो रहा था
मां ने मुझे कसकर अपने आलिंगन में ले लिया था मैंने भी दोनों हाथ मां की पीठ पर रखे और कसकर अपने से लिपटाए रखा हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे किंतु लिंग को कहां ऐसी स्थिति का भान होता है उसे तो स्त्री शरीर की गर्मी मिल जाए तो अपना करतब दिखाने लगता है धीरे-धीरे मेरा लंड जोर पकड़ रहा था जब तक मुझे इसका एहसास हुआ तब तक मेरा लंड मां के पेट में चुभने लगा था

मैंने मां को सुविधा देने के लिए कंधों से पकड़ा और उसे ऊपर की और खींच लिया इससे मेरी स्थिति और विकट हो गई क्योंकि अब मेरा लोड़ा मां के जांघों के बीच में आ गया था वह उसकी चूचियां मेरी छाती में गढ़ने लगी थी और हमारे गाल एक दूसरे को छू रहे थे हम दोनों पूरी तरह से आलिंगनबद्ध थे
मैंने एक हाथ मां के पल्लू को साइड करके उसकी पीठ पर रखा तथा दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर, आलिंगनबद्ध होने के कारण मेरे दोनों हाथों का दबाव उसकी पीठ तथा गांड पर पड़ रहा था जिससे मेरा लोड़ा और भी ज्यादा उसके शरीर पर फड़कने लगा था उसकी चूचियां मेरी छाती में ज्यादा घुसने लगी थी।
मेरे लौड़े में खून का दौरा बढ़ रहा थि अभी कुछ देर पहले ही चाची के पंजों ने मेरा वीर्यपत किया था किंतु मां से इस लिपटा लिपटी ने मेरे लोड़े में बहुत ज्यादा ताकत भर दी थी उसी मुद्रा में मैंने मां के गाल पर चुंबन ले लिया
मां का रोना कुछ कम हो गया था पर उसका मन भरा हुआ था मेरे चुंबन के जवाब उसने भी मेरे गाल का चुंबन ले लिया
मां मुझमें अपना सहारा ढूंढ रही थी अब मेरे हाथों ने अगली हरकत की और मां को मैंने पीठ के बल लिटा दिया मां अपनी घरेलू ड्रेस यानी बिना पेंटी के पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज में थी फिर मैंने साइड के बल लेटकर अपना एक हाथ मां के सिर में फिराने लगा दूसरा हाथ उसके पेट पर फिराने लगा तथा अपना एक पैर मोड़कर मां की दोनों जांघों के ऊपर रख दिया इसे मेरा लंड मां की जांघ पर रगड़ खाने लगा
मैंने धीरे से अपना हाथ ऊपर करते हुए मां के ब्लाउज के ऊपर रख दिया और जोर से दबाने लगा इस तरह से करते करते मैं मम्मी को मुंह को लगातार चूमने लगा, मां भी बहुत निढाल होकर अपने आप को हवाले कर रही थी।
मां का ब्लाउज बहुत ढीला था मां के मम्मी बहुत बड़े हैं और ढीले ब्लाउज में से मां की चूचियां और निप्पल बहुत साफ दिख रहे थे फिर भी मैंने हाथ चलाते चलाते ब्लाउज के दो हुक खोल दिए और मां की छाती पर मुंह रख कर रगड़ने लगा मां ने मुझे ऊपर खींचा और मेरी पपिया लेनी शुरू कर दी शायद पिताजी के बहुत दिन से ना आने के कारण तथा तनावग्रस्त होने के कारण मां को कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बहुत गर्म हो रही थी
इस हिलने डुलने के बीच में मां का पेटीकोट उसकी जांघों के ऊपर चढ़ आया था मैंने एक हाथ उसकी नंगी जांघों पर घुमाने लगा और घूमाते घूमाते मेरे हाथ से मां के पेटीकोट को उसकी जांघों बहुत ऊपर करके उसके पेट के गिर्द इकट्ठा कर दिया।
अब स्थिति समझिए मेरा एक हाथ मां की नंगी जांघों को मसल रहा है और दूसरा हाथ मां के ब्लाउज के अंदर मम्मी के निप्पल को मसल रहा है दे रहा है हमारे हौंठ मिले हुए थे और मेरा कच्चे में लिपटा लंड मां की नंगी चूत को में घुसने का प्रयास कर रहा था
मैंने अपने दोनों हाथ मां के कंधों पर रखे और उसके होठो को चूसने लगा मां ने सहयोग देना शुरू कर दिया और अपने हाथ मेरी पीठ तथा नितंब पर फिराने लगी
मैंने अपनी जीभ मां के मुंह में डाली तो मां उसे चूसने लगी मां को चूसते हुए मेरी निगाह मां के आंसुओं पर पड़ी और मैं अपनी जीभ से मां के आंसू चाटने लगा और धीरे धीरे नीचे आने लगा गाल चाटे और मां की कान की लौ को चुभलाया और फिर घुटनों के बल होकर मां की चूचियां पीने लगा
मां के निप्पल सख्त हो गए थे और उसकी घुंडिया पर मेरी जीभ अलग से सेंसेशन बना रही थी अब मां भी सिसकियां लेने लगी थी मुझे बहुत सनसनी महसूस हुई और मैं सीधा होकर मां के ऊपर पूरी तरह से लेट गया मेरा कच्छे में ढका लंड मां की नंगी चूत के ऊपर झटके खा रहा था पता नहीं कैसे मां ने हाथ कच्छे के अंदर डाल कर मेरा लंड अपनी चूत से स्पर्श करवा दिया
मैंने अभी तक चूत नहीं मारी थी केवल हस्तमैथुन ही किया था फिर भी लंड बुद्धि से मेरा लौड़ा मां की योनि में घुसने लगा मैं मां की चूत को आधार बनाकर भुजंग आसन करने लगा तो मेरा लौड़ा मां की चूत के अंदर घुस गया मां ने अपने हाथ मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए और अपने पैरों की कैंची बनाकर मेरे पैरों को कस लिया मैं स्थिर अवस्था में रहा क्योंकि मुझे बहुत अनुभव नहीं था

लोड़े के अंदर जाते ही मां ने नीचे से अपने नितंबों को हिलाना शुरू किया जिससे चूत और लंड के बीच में घर्षण पैदा होने लगा अब मुझे समझ आया और मैंने फच फचा फच करते हुए अपना लौड़ा अपने जन्म कुंड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया मेरे दोनों हाथ मां के कंधों पर तो आप डाल रहे थे और मेरा लौड़ा मां की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह चल रहा था कुछ ही मिनटों में मुझे बहुत तनाव आया और मैं वीर्यपात करने लगा
मां नहीं झड़ी थी उसने मुझे कसकर जकड़ लिया और गहरी उत्तेजक सांसें भरने लगी मां की जकड़न और बढ़ी और अचानक से ठंडी पड़ गई हम उसी तरह कुछ देर लेटे रहे।
अचानक मां तथा मेरे को होश आया कि यह क्या हो गया है किंतु इसकी भूमिका तो कहीं वर्षों से बन रही थी और हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन रहे थे अतः यह सब स्वाभाविक ही लगा,
मां ने अपने कपड़े ठीक किए और करवट लेकर लेट गई मैं स्पून बन कर मां से लिपट गया एक हाथ मां के पेट पर रखा और लिपटकर उसके गालों से अपने गाल सटा दिए देखा तो मां की आंखों में आंसू थे मैंने धीरे से मां के आंसू पोंछे और कहा मां मैं तेरा प्यारा बेटा हूं और तुझे किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दूंगा
मां करवट लेकर मेरे से आलिंगन बंद हो गई और मेरी छाती पर सिर रखकर बोली हां मेरे राजा बेटे मुझे पता है
फिर मां तनाव मुक्त होकर नींद के आगोश में चली गई और मैंने मां को चद्दर औढ़ा कर अपनी पढ़ाई में लग गया।
Bhot hi behtareen update diya bhai aapne.
 

ToorJatt7565

Active Member
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भाई, मैं संभोग के दौरान तीसरे की उपस्थिति सहज नहीं मानता, एक बार बम्बई रंडीखाने में दो कमसिन लड़कियों के साथ प्रयोग करने का प्रयास किया था पर मैं सहज नहीं हो पाया था
मां चाची या किसी दूसरी सगी संबंधी को एक दूसरे के सामने अपनी उपस्थिति में नंगा करने का विचार आते ही उत्पल दत्त स्टाइल में खुद को कहता हूं
"छि:, रामप्रसाद जिन चूतों को मारते हो उन्हीं में कम्पीटीशन"
गलत लगता है,
प्रत्येक चूत की स्वामिनी एक अलग व्यक्तित्व होती है इसलिए 2 नंगी चूत आमने-सामने ना हो तो बढ़िया है
बाकी अपनी अपनी पसंद है
I also appreciate you Bro
Mujhe bhi do aurton ko ek saath nanga karne me maza nhi lagta
Woh to randi khana sa lagta
Isi liye aap aise hi is kahani ko rakhiye.
 

Siraj Patel

The name is enough
Staff member
Sr. Moderator
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words tak ho sakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. . Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writers ko Awards k alawa Cash prizes bhi milenge jinki jaankaari rules thread mein dedi gayi hai, Total 7000 Rupees k prizes iss baar USC k liye diye jaa rahe hain, sahi Suna aapne total 7000 Rupees k cash prizes aap jeet shaktey hain issliye derr matt kijiye or apni kahani likhna suru kijiye.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 28th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.


Rules Check karne ke liye is thread ka use karein — Rules & Queries Thread

Contest ke regarding Chit Chat karne ke liye is thread ka use karein — Chit Chat Thread



Prizes
Position Benifits
Winner 3000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3000 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Indu use

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भैय्या जी,
अब तो अगला वाला अपडेट डाल दो, बहुत इंतजार करवा रहे हो
मेरे सैंया जी का जोश आपकी कहानी पढ़ने से बहुत बढ़ जाता है

इंतजार में
आपकी भाभी
Hii bhabhi
 

ashik awara

Member
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मैंने उसकी साड़ी खोली और ब्लाउज पेटीकोट में उसको नीचे चटाई पर लिटा दिया
सरसों का तेल हल्का सा गर्म करके लाया उस के तलवों की मालिश की हथेलियों की बारिश की फिर पिंडलियों की मालिश करने से देखा तो उस की रंगत थोड़ी वापस आ रही थी और वह मुस्कुराने लगी थी
मैंने कहा कुछ फायदा मिला मेरी प्यारी चाची को तो वो बोली मेरा मीठा सा भतीजा चाची को खुश कर रहा है और ठीक करने की कोशिश कर रहा है तो चाची क्यों ठीक नहीं होगी
मैंने कहा अच्छा ऐसी बात है तो आज पूरा ही ठीक कर दूंगा और कोशिश करूंगा कि तुम्हारा मिर्गी का रोग की जड़ भी खत्म हो जाए।
पहले मैं कई बार उससे कह चुका था कि पति का लिंग ना मिलने की वजह से उसकी योनि सूखी-सूखी होगी और मन में कुंठा आ रही होगी और जब ठरक पूरी तरह से मन और दिमाग में भर जाए तो मिर्गी का दौरा पड़ता है।
मैंने उसे एक दो बार बैंगन या मोमबत्ती प्रयोग करने के बारे में कहा था पर वह मानी नहीं या मेरे सामने उसने स्वीकार नहीं किया था किंतु जैसे वह नहाते हुए मुझे अपना नंगा बदन दिखाती थी और सारा दिन पल्लू नीचे गिरा कर अपनी चूचियां दिखाती थी इससे मुझे आमंत्रण तो लगता ही था और आज उसका मन चुदाने का लग भी रहा था
घर में मेरे और उसके अलावा कोई नहीं था अतः आज मैंने चाची को स्वस्थ करने का जिम्मा उठाने का निश्चय किया।
मैंने चाची को बोला कि पूरा ठीक करने के लिए तुम्हारे पैरों में ऊपर तक, पेट तथा पीठ पर भी मालिश करनी पड़ेगी तब उसमें जान आ जाएगी
चाची ने मुस्कुराकर पलके झुकाई और कहां मेरा राजा बेटा जो करेगा वह ठीक ही करेगा मैं बहुत खुश हुआ और मैंने चाची को ठीक करना शुरू कर दिया:::::::::
दोस्त आपकी कहानी देखि और अपने फोल्डर में सेव की हे . अब आराम से समय मिलने पर पढूंगा पर सेव करते हुए जितना पढने में आया आपकी कहानी बेहद दिलचस्प हे और आपने जिस तरह से लगातार लगभग हर पेज पर अपडेट दिया हे और ज्यादातर अपडेट भी छोटे मोटे न होकर पूरी तरह उपन्यास की तरह हें और आपकी कहानी लिखने का तरीका और भाषा काफी अच्छी हे , हिदी में कुछ ही लेखक इस तरह विस्तार में कहानी लिखते हें मेने कहानी के साथ आपके कहे गए कथन भी साथ में सेव किये हें बहुत दिन बाद एक अच्छी कहानी देखने को मिली आपका आभार और धन्यवाद
 
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