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Incest मां और मैं

Smartluñdwala101

Dekhne ke liye msg kare.
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एक लेखक या लेखिका अपनी कहानी को इस तरह से विराम दे दे समझ में नहीं आता, में खुद इस कहानी से अपना जुडाव मह्सूस कर रही थी। यह कहानी ना लग कर एसा लग रहा था जेसे जीवन की घटनाओ का विवरण चल रहा हो, अतह अनुरोध है, कहानी को विराम ना देकर आगे बढ़ाए बाकि आपकी इच्छा।
Vinita me aap se baat karne ka icchuk hu kya aapse baat ho sakti hai
 

Abhishek Kumar98

Well-Known Member
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Congratulations for your new thread regular Bane raho aur complete karna aur pura support milega bhai ok and nice Title
 
मां जब नानी के घर से वापस आई तो
मैंने देखा कि मां का मन ठीक नहीं लग रहा इस पर मैंने झटपट चाय बनाई और आकर मां के बगल में पलंग पर बैठ कर गलबहिया डाली और पूछा कि मां क्या लग रहा है वह बोली कि नानी की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे घबराहट हो रही है

मैंने मां को अपने पर खींच लिया और कहा कि कुछ समय लेट जाओ, मां मेरी गोदी में सिर रखकर पैर फैला कर लेट गई मैंने सिर्फ कच्छा पहना हुआ था फिर मां के सिर के दवाब से आपसे मैंने महसूस किया कि चाची की हरकतों से वीर्य से गिला हुआ मेरा कच्छा मेरी जांघ पर लग रहा है किंतु भाग्यवश वीर्य के ऊपर मां का सिर था बालों के होने की वजह से शायद मां को गीलापन नहीं लगा, मैंने एक हाथ से मां के बालों में उंगलियां फिरानी शुरू की तथा दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा
कुछ पल ऐसे ही बीते फिर मुझे अपनी जांघों पर कुछ ज्यादा गीलापन लगा मैंने गौर से देखा तो पता चला मां के आंसू बह रहे हैं मैंने अपना हाथ मां के गालों पर रखा तो मां सुबक सुबक कर रोने लगी

मां का मन नानी बीमारी के कारण बहुत ही परेशान था इसलिए मैंने अपने दोनों पैर फैलाए और मां को सांत्वना देने के लिए मां से लिपट गया
मां ने मेरी छाती पर अपना सिर रखा हुआ था और मुझे कसकर जकड़ा हुआ था जैसे मां मुझ में सहारा ढूंढ रही हो,
मैंने भी मां को आश्वस्त करने के लिए खूब जोर से आलिंगन बद्ध कर लिया अब मां की की चूचियां मेरे पेट पर तथा मेरा सुस्त पड़ा लंड मां के पेट पर लग रहा था मां का रोना बंद नहीं हो रहा था
मां ने मुझे कसकर अपने आलिंगन में ले लिया था मैंने भी दोनों हाथ मां की पीठ पर रखे और कसकर अपने से लिपटाए रखा हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे किंतु लिंग को कहां ऐसी स्थिति का भान होता है उसे तो स्त्री शरीर की गर्मी मिल जाए तो अपना करतब दिखाने लगता है धीरे-धीरे मेरा लंड जोर पकड़ रहा था जब तक मुझे इसका एहसास हुआ तब तक मेरा लंड मां के पेट में चुभने लगा था

मैंने मां को सुविधा देने के लिए कंधों से पकड़ा और उसे ऊपर की और खींच लिया इससे मेरी स्थिति और विकट हो गई क्योंकि अब मेरा लोड़ा मां के जांघों के बीच में आ गया था वह उसकी चूचियां मेरी छाती में गढ़ने लगी थी और हमारे गाल एक दूसरे को छू रहे थे हम दोनों पूरी तरह से आलिंगनबद्ध थे
मैंने एक हाथ मां के पल्लू को साइड करके उसकी पीठ पर रखा तथा दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर, आलिंगनबद्ध होने के कारण मेरे दोनों हाथों का दबाव उसकी पीठ तथा गांड पर पड़ रहा था जिससे मेरा लोड़ा और भी ज्यादा उसके शरीर पर फड़कने लगा था उसकी चूचियां मेरी छाती में ज्यादा घुसने लगी थी।
मेरे लौड़े में खून का दौरा बढ़ रहा थि अभी कुछ देर पहले ही चाची के पंजों ने मेरा वीर्यपत किया था किंतु मां से इस लिपटा लिपटी ने मेरे लोड़े में बहुत ज्यादा ताकत भर दी थी उसी मुद्रा में मैंने मां के गाल पर चुंबन ले लिया
मां का रोना कुछ कम हो गया था पर उसका मन भरा हुआ था मेरे चुंबन के जवाब उसने भी मेरे गाल का चुंबन ले लिया
मां मुझमें अपना सहारा ढूंढ रही थी अब मेरे हाथों ने अगली हरकत की और मां को मैंने पीठ के बल लिटा दिया मां अपनी घरेलू ड्रेस यानी बिना पेंटी के पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज में थी फिर मैंने साइड के बल लेटकर अपना एक हाथ मां के सिर में फिराने लगा दूसरा हाथ उसके पेट पर फिराने लगा तथा अपना एक पैर मोड़कर मां की दोनों जांघों के ऊपर रख दिया इसे मेरा लंड मां की जांघ पर रगड़ खाने लगा
मैंने धीरे से अपना हाथ ऊपर करते हुए मां के ब्लाउज के ऊपर रख दिया और जोर से दबाने लगा इस तरह से करते करते मैं मम्मी को मुंह को लगातार चूमने लगा, मां भी बहुत निढाल होकर अपने आप को हवाले कर रही थी।
मां का ब्लाउज बहुत ढीला था मां के मम्मी बहुत बड़े हैं और ढीले ब्लाउज में से मां की चूचियां और निप्पल बहुत साफ दिख रहे थे फिर भी मैंने हाथ चलाते चलाते ब्लाउज के दो हुक खोल दिए और मां की छाती पर मुंह रख कर रगड़ने लगा मां ने मुझे ऊपर खींचा और मेरी पपिया लेनी शुरू कर दी शायद पिताजी के बहुत दिन से ना आने के कारण तथा तनावग्रस्त होने के कारण मां को कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बहुत गर्म हो रही थी
इस हिलने डुलने के बीच में मां का पेटीकोट उसकी जांघों के ऊपर चढ़ आया था मैंने एक हाथ उसकी नंगी जांघों पर घुमाने लगा और घूमाते घूमाते मेरे हाथ से मां के पेटीकोट को उसकी जांघों बहुत ऊपर करके उसके पेट के गिर्द इकट्ठा कर दिया।
अब स्थिति समझिए मेरा एक हाथ मां की नंगी जांघों को मसल रहा है और दूसरा हाथ मां के ब्लाउज के अंदर मम्मी के निप्पल को मसल रहा है दे रहा है हमारे हौंठ मिले हुए थे और मेरा कच्चे में लिपटा लंड मां की नंगी चूत को में घुसने का प्रयास कर रहा था
मैंने अपने दोनों हाथ मां के कंधों पर रखे और उसके होठो को चूसने लगा मां ने सहयोग देना शुरू कर दिया और अपने हाथ मेरी पीठ तथा नितंब पर फिराने लगी
मैंने अपनी जीभ मां के मुंह में डाली तो मां उसे चूसने लगी मां को चूसते हुए मेरी निगाह मां के आंसुओं पर पड़ी और मैं अपनी जीभ से मां के आंसू चाटने लगा और धीरे धीरे नीचे आने लगा गाल चाटे और मां की कान की लौ को चुभलाया और फिर घुटनों के बल होकर मां की चूचियां पीने लगा
मां के निप्पल सख्त हो गए थे और उसकी घुंडिया पर मेरी जीभ अलग से सेंसेशन बना रही थी अब मां भी सिसकियां लेने लगी थी मुझे बहुत सनसनी महसूस हुई और मैं सीधा होकर मां के ऊपर पूरी तरह से लेट गया मेरा कच्छे में ढका लंड मां की नंगी चूत के ऊपर झटके खा रहा था पता नहीं कैसे मां ने हाथ कच्छे के अंदर डाल कर मेरा लंड अपनी चूत से स्पर्श करवा दिया
मैंने अभी तक चूत नहीं मारी थी केवल हस्तमैथुन ही किया था फिर भी लंड बुद्धि से मेरा लौड़ा मां की योनि में घुसने लगा मैं मां की चूत को आधार बनाकर भुजंग आसन करने लगा तो मेरा लौड़ा मां की चूत के अंदर घुस गया मां ने अपने हाथ मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए और अपने पैरों की कैंची बनाकर मेरे पैरों को कस लिया मैं स्थिर अवस्था में रहा क्योंकि मुझे बहुत अनुभव नहीं था

लोड़े के अंदर जाते ही मां ने नीचे से अपने नितंबों को हिलाना शुरू किया जिससे चूत और लंड के बीच में घर्षण पैदा होने लगा अब मुझे समझ आया और मैंने फच फचा फच करते हुए अपना लौड़ा अपने जन्म कुंड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया मेरे दोनों हाथ मां के कंधों पर तो आप डाल रहे थे और मेरा लौड़ा मां की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह चल रहा था कुछ ही मिनटों में मुझे बहुत तनाव आया और मैं वीर्यपात करने लगा
मां नहीं झड़ी थी उसने मुझे कसकर जकड़ लिया और गहरी उत्तेजक सांसें भरने लगी मां की जकड़न और बढ़ी और अचानक से ठंडी पड़ गई हम उसी तरह कुछ देर लेटे रहे।
अचानक मां तथा मेरे को होश आया कि यह क्या हो गया है किंतु इसकी भूमिका तो कहीं वर्षों से बन रही थी और हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन रहे थे अतः यह सब स्वाभाविक ही लगा,
मां ने अपने कपड़े ठीक किए और करवट लेकर लेट गई मैं स्पून बन कर मां से लिपट गया एक हाथ मां के पेट पर रखा और लिपटकर उसके गालों से अपने गाल सटा दिए देखा तो मां की आंखों में आंसू थे मैंने धीरे से मां के आंसू पोंछे और कहा मां मैं तेरा प्यारा बेटा हूं और तुझे किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दूंगा
मां करवट लेकर मेरे से आलिंगन बंद हो गई और मेरी छाती पर सिर रखकर बोली हां मेरे राजा बेटे मुझे पता है
फिर मां तनाव मुक्त होकर नींद के आगोश में चली गई और मैंने मां को चद्दर औढ़ा कर अपनी पढ़ाई में लग गया।
मां की वात्सल्य से भरी योनि और बेटे का आदरपूर्ण लिंग हो, ब
 
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सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने माँ को देखा, माँ और मैं बिल्कुल नंग धड़ंग लेते हुए थे, माँ की खुली हुई आंखे मेरे औजार को देख रही थी और चेहरे पर एक संतुष्ट मुस्कान थी | कल से अब तक हम दो बार कर चुके थे और मेरे लिए तो चूत लेने का पहला ही अनुभव था, माँ बहुत अनुभवी स्त्री है उसने बड़े सहज भाव से हमारा संभोग करा दिया, ना कुछ बोला, ना कुछ बुलवाया इतने सहज भाव से किया, जैसे लंड चूत का लेना देना माँ बेटे की रिश्ते की बड़ी ही नैसर्गिक क्रिया हो , अभी भी माँ बिल्कुल आराम से नंगी लेटी हुई थी और मैं उसके सलोने साँवले नमकीन गठीले शरीर, 40 साइज़ के पुष्ट उरोजों, गहरी नाभि वाला भरा पूरा पेट जिसके साइड मै दो टीयर बने थे, मांसल जांघे जिन पर मांसपेशिया छलक रही थी को बड़े प्यार से देख रहा था, मैंने झुककर माँ की नाभी की चुम्मी ली और अपनी जीभ से माँ की नाभि को चूसने लगा माँ मेरी पीठ सहला रही थी मैंने अपने हाथ माँ के मम्मो पर रगड़ने शुरू किए और धीरे से अपना लंड माँ की टांगों पर घिसने लगा, माँ को भी फिर से मस्ती चढ़ रही थी , उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, अब मेरी जीभ माँ के पेट को चाट रही थी और माँ के हाथ मेरे कंधों ओर पीठ को मसल रहे थे, एक बार फिर मैं माँ के ऊपर चढ़ गया ओर माँ के लिप्स को किस करने लगा, माँ ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी जिससे मुझे माँ का मुख रस पीने को मिला, मेरा लंड बहुत झटके खाने लगा ओर माँ के खजाने पर दस्तक देने लगा मेरा प्रीकम माँ की जांघों पर लग रहा था ओर मैंने पाया की माँ की बुर का रस भी निकालना शुरू हो गया था, मैं अपना एक हाथ माँ के भग प्रदेश में लाया ओर भगनसे को छेड़ने लगा माँ भी अपने हाथ से मेरे शिश्न को मरोड़ने लगी जो अब फूलता जा रहा था ओर एक गर्मा गर्म सलाख के तरह हो गया था।
माँ बोली तू कितना भूखा है रे, कल से दो बार ले चुका है ओर अभी फिर से तैयार है, मैं बोला जिसकी सलोनी सुन्दर माँ ने उसे 18 साल मे पहली बार अपनी थाली परोसी हो वो कैसे सब्र रख सकता है ओर माँ तू तो मेरा केला कई बार देख चुकी है ओर मैं भी तेरे सब अंगों को कई बार छु चुका हूं फिर भी तूने इतनी देर लगाई अपने बेटे को अपना भोग देने में?
माँ बोली, मेरे राजू बेटा मैं भी तेरे डंडे को लगभग रोज ही कच्छे के अंदर हिलते जुलते देखती रहती थी, सोया जागा सख्त लंबा हरएक अवस्था में इसको मैंने बहुत देखा है तू क्या सोचता है कि मां को जब तु आलिंगन करता है तब गले लगाने के बहाने अपना मक्खन सना चाकू मां की पावरोटी में लगाता है तब क्या मुझे पता नहीं चलता था या तुम मेरा पेट मसलते-मसलते अपना पानी निकाल देता था तब मुझे पता नहीं चलता था।
अभी कल शाम को ही तेरा मक्खन कच्छे पर लगा था और मेरे सिर पर लग गया था तू सोचता है कि मां बुद्धू है मां को पता ही नहीं।
बेटा तू मेरी चूत से निकला है और मैंने ही तुझे अपने मोटे मोटे मम्मू का दूध पिला कर बड़ा किया है तेरी हर एक हरकत जो तू करता है या सोचता है मुझे पता है मुझे यह भी पता है कि पहले छोटा भी मेरी चूत लेने के चक्कर में था पर उसका पड़ोस वाली पिंकी से टांका फिट हो गया तो वह मैं कच्चे कच्चे आमीऔं को दबाकर तथा उसकी नाज़ुक चूत में अपना लौड़ा डाल कर अपने को बहुत खुश समझता है उसकी इस हरकत को भी मेरा आशीर्वाद है।
जब बेटे की शादी होती है तो मां अपने मन में कितना खुश होती है थी बेटों के लोगों एक प्यारी सी चूत मिल गई है पर बेटा नई चूत के चक्कर में बचपन से मां की जिस चूत को पाने का ख्वाब देखता है उसको धिक्कार देता है बहुत ही कम भाग्यवान बच्चे होते हैं जिनको मां और बीवी दोनों की चूत का मर्दन करने का मौका मिलता है मुझे पता है बेटा तू बहुत कर्तव्यनिष्ठ है इसलिए तुझे दोनों कम से कम दो चूतों का रस मिलेगा आज तेरा उद्घाटन हुआ है अब तू जी भरकर मन लगाकर मां की सेवा कर तथा मां को खुश कर इसके बदले में मां तेरी दिली तमन्ना को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी
मैं बोला मां मुझे बहुत सालों से तुम्हारी असंतुष्टि का पता था पापा कभी-कभी तो आते हैं और उसमें भी हर बार पता नहीं उनको आपकी चूत लेने का मौका मिलता है या नहीं और वह भी पता नहीं मुट्ठ मार कर गुजारा करते हैं या वहां पर उन्होंने किसी चूत का इंतजाम किया हुआ है पर तुम दोनों का जीवन हमारे लिए बहुत कष्टप्रद रहा है। मां हंसी और बोली बेटा तेरे पापा से मुझे कोई शिकायत नहीं है वह जब भी आते हैं, जब भी मौका मिलता है मेरी कसकर बजाते हैं और बार-बार लेते हैं अपने लिए भी अपनी पूरी कसर कर लेते हैं कोटा पूरा करके ही जाते हैं । कोकशास्त्र का कोई भी आसन उन्होंने छोड़ा होगा क्या?
क्या मुझे पता नहीं है जब तेरे पापा मुझे चोद रहे होते हैं तब तुम दोनों भाईयों में जो जो भी हमारी आवाज सुन रहा होता है या ह्अंधेरे में हमारी छाया को देख रहा होता है उसका हाथ कैसे तेजी से अपने लंड पर चल रहा होता था। मां हूं तेरी सब पता है मुझे मुझे पटाने की कोशिश मत कर।
मैं बोला अगर तुम संतुष्ट हो तो इस पतले से पेटिकोट और झीने ब्लाउज मैं सारा दिन अपने भारी भारी चूतड़ दिखा कर और अपने दूध भरे मोटे मोटे मम्मे कलश दिखा कर मुझे क्यों बेचैन करती रहती थी।
मां ने मेरी पप्पी ली, बेटा, मेरे राजू बेटा मेला प्याला बेटा, कहकर मां ने मेरे लन की पप्पी भी ली और मेरे को अपने मम्मों पर झुकाकर बोली तुझे कहां बेचैन करती थी तुझे तो प्यार करती थी, मैं सोचती थी कि पिंकी को तू पटा लेगा और उसकी ले लेगा पर तू बुद्धू पढ़ाई में ही लगा रहा और तेरा भाई पिंकी के मर्तबान में रखा शहद चाट गया और तू मेरे हिलते माम्मौं तथा थिरकते नितंबों के पीछे ही अपना लंड हिलाता घुमता रह गया। मां ने मेरा लंड हाथ से मुठिआने लगी जिससे मेरे ऊपरी त्वचा सुपाड़े से ऊपर नीचे आने लगी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मां की चूत भट्टी की तरह तपने लगी थी मैंने मैंने मां के पैर उसकी छातियों पर रखकर उसकी आंखों में देखा और निशाना लगाकर अपना लनड पूरा-पूरा अपनी प्यारी मांसल मां की चूत में घुसा दिया मां कसमसाई सिसकारियां ली और नीचे से अपनी गांड को हिलाने लगी मैंने भी अपनी रेलगाड़ी ऊपर से शुरू कर दी, कल से अब तक तीसरी बार कर रहा था और उससे पहले चाची के साथ एक बार वीर्यपात करवा चुका था इस नाते मेरा लौड़ा बहुत संतुष्ट अवस्था में मां की हरी- भरी चूत का बाजा बजा रहा था मैंने धक्के मारते मारते अपने दोनों हाथ मां के कंधे से हटाकर उसके मम्मों पर रख दिए और कुछ देर बड़े-बड़े शॉट मारे फिर अपना हाथ मां की पीठ के नीचे से निकाल कर उसके मम्मों को अपनी छाती में जकड़ लिया मां ने पैर सिधे किए और मैं मां की टांगों के बीच में सीधा लेट कर अपना मस्त डंडा मां की गहरी सुरंग में डालने लगा फच फच फच आवाज आ रही थी जब मेरा लन्ड मां की चूत से मिलता तब धप धप की आवाज आती थी मां ने अपने दोनों हाथ से मेरे नितंब आने लगी और मैं भी अपने दोनों हाथों को नीचे लाकर मां के नितंबों को जकड़ कर जोर जोर से धक्के लगाने लगा इतने में मां का शरीर एंठने लगा और मेरे शरीर में भी रक्त का प्रवाह इकट्ठा होकर मेरे लंड की तरफ दौड़ने लगा हम दोनों एक दूसरे में समाने का प्रयास कर रहे थे ।
मां ने तो अपनी गांड इस तरह से ऊपर की कि लंड के नीचे अंडकोष की मां की चूत में समा जाएं और मैंने मां के नितंबों को इतनी जोर से दबाया कि हमारे बीच में हवा लायक भी जगह नहीं बची थी कुछ सेकंड इस तरह रहने के बाद हम दोनों झर झड़ाने लगे और गहरी सांसे लेते हुए मां ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और मैं भी मां के ऊपर निष्चेष्ट लेट गया बाहर से हल्की सी धूप कूलर की खिड़की के ऊपर से बिस्तर पर आने लगी थी बाहर मकान मालकिन चाची और उसके पति की कुछ आवाज भी हमारे कानों में आ रही थी लगता था बहुत देर हो गई है पर हमारे में उठने की हिम्मत नहीं थी मैं चार बार वीर्य बात करके बहुत ही शांत महसूस कर रहा था पर मां को शायद पापा का भारी भरकम लन 5-6 बार लेने की शायद आदत होगी तभी उसे कोई थकावट नहीं लग रही थी उसने मेरा कंधा थपथपाना और बोली चल उठ कुछ खा लेते हैं
मैंने कहा मां क्या खाना है अपने शहद ही पिला दे
मां कहती हट पगले मेरे शहद और तेरे मक्खन से क्या हमारा पेट भरेगा
खाना खा और थोड़ी पढ़ाई कर ले, सारा ध्यान मां को चोदने में लगा देगा तो पढ़ेगा कब ध्यान से पढ़ाई कर अच्छे नंबर ला ताकी तेरी अच्छी नौकरी लगे और एक बड़ा सा मकान मिले जिसमें एक कमरे में मैं तेरे पापा हैं दूसरे में तेरी चूत वाली बीवी और एक अलग कमरा जिसमें रात को पापा की नजर बचाकर मैं आऊंगी और अपनी बीवी की नजर बचाकर तुम आना और मां बेटे अच्छे से अपना मिलन करेंगे
मैं बोला अगर मेरी बीवी समझदार हुई तो हम तीनों इकट्ठे भी एक दूसरे को सुख दे पाएंगे
वह तो बाद की बात है, अरे तेरी बीवी को तो आने दे और उसे पढ़ ले और उससे पहले खाना खा ले यह कहकर मां उठी अपना पेटिकोट और ब्लाउज पहना, मेरे नंगे बदन पर चद्दर डाली तथा दरवाजा खोलकर किचन की तरफ चल दी

अगली आपबीती कहानी जल्दी ही ......
चाची के बारे में......
कभी-कभी मातृत्व की ताकत प्राकृतिक नियमों से अधिक होती है।
 

Lutgaya

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कहो, मेरे अज़ीज़ पाठको, संस्मरण
कैसे लग रहे हैं
शानदार लग रहे हैं भाई
 

Lutgaya

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मैंने मौसी को आलिंगन में ले लिया और जोर जोर से चूमने लगा
मौसी भी मेरे से कसकर लिपट गई और मेरे चुंबन का जवाब मेरे मुंह को चूम कर इस तरह से दे रही थी जैसे हम जनम-जनम के प्यासे प्रेमी मिल रहे हो
हम दोनों ही बड़बड़ा रहे थे मेरी प्यारी सुषमा, मेरी प्यारी मौसी, मेरी मां, बहुत तरसाया है तूने मुझे, मेरी मौसी, तेरे लिए कितना तरसा हूं, तेरे लिए कितना तड़पा हूं, तड़प- तड़प कर मेरे इस नाग ने तेरे बिल में घुसने के लिए कितने आंसू बहाए हैं
मेरी सुषमा मेरी मौसी, आहा हा हम्म, आजा मौसी, अपने बेटे को शांत कर,
उधर मौसी मेरे लाल, मेरे लाडले, तेरी लुल्ली को मैंने बचपन में कितनी बार नहलाया है, तेरी बढ़ती जवानी, तेरा हथियार, मेरी कितनी रातों की नींद उड़ा चुका है, आजा मेरे बेटे, आजा, मेरे बेटे, कर दे मौसी को शांत, मौसी बहुत प्यासी है, इस मिले हुए मौके पर मौसी के साथ यादगार बना, मौसी की योनि तेरे डंडे को बहुत याद करती है, बहुत तड़पती है मेरी गुफा, इस शेर को अपने अंदर आराम देने के लिए, और मत तड़पा मेरे बेटे, कर दे शांत, पेल दे अपना डंडा, लूट ले मेरी इज्जत, अपनी मर्दानगी से जोर-जोर से निचोड़ दे, तोड़ दे मेरा बदन अपनी फौलादी बाहों से, आजा मेरे बेटे,
मैं भी होश में नहीं था, हां , मेरी मां, आजा मेरी मां, ले ले अपने बेटे का खड़ा हुआ लौड़ा, अपनी योनि में, यह मेरा लौड़ा तेरी योनि के लिए बहुत प्यासा है, यह तेरी योनि में बारिश करना चाहता है, ले - ले इस को, पूरी तरह से शांत करूंगा मां तुझे, यह कहते हुए मैं अपने हाथों से मौसी के मम्मे निचोड़ने लगा
मौसी अपने दोनों हाथों से मेरा अंडकोष और लिंग जोर-जोर से दबाने लगी
मौसी ने मेरी उत्तेजना बढ़ाने के लिए बोलना शुरू किया आज उसी तरह से करते हैं जैसे तेरे मम्मी पापा घर में कर रहे होंगे
मैं बोला मम्मी पापा को चुदाई* करते हुए साफ-साफ कभी भी नहीं देख पाया हूं अंधेरे में उनकी छाया ही दिखती है और बहुत कामुक आवाजें आती हैं
मासी बोली मैंने तो दिन में भी जिज्जी और जीजा को चुदाई** करते देखा है। जब उनकी नई नई शादी हुई थी, दोनों मौका मिलते ही दिन में भी धक्का पेल कर लेते थे 1 बार जब दीदी मायके आई हुई थी और मैं स्कूल से जल्दी वापस आई तो मैंने देखा कि मम्मी तो रसोई में है और जीजी कमरे में जीजा का मोटा लौड़ा चूस रही है मैंने पहली बार नंगे लंड को देखा था
तेरे पापा का लोड़ा तब से मेरे दिमाग में बस गया था और मैं कुतूहल से उनकी यौन क्रिया को देखने लगी
मौसी बड़े जोश में मम्मी पापा की चुदाई* का किस्सा बताने जा रही थी पर मैं बोला मौसी मेरा लंड बहुत फंनफना रहा है तुम चुदाई* का किस्सा बताओगी तो सारा माल बाहर ही निकल जाएगा
एक बार झटपट से अपनी प्यास बुझा लेते हैं उसके बाद तसल्ली से उत्तेजक ढंग से चुदाई करेंगे ताकि हमारी मन की सारी इच्छाएं पूरी हो जाए अभी तो मेरा लिंग बिल्कुल फटने के आसार पर है यह कहते-कहते मैंने अपना हाथ मौसी की योनि पर लगाया तो मौसी की योनि में बहुत ज्यादा रस टपकता हुआ पाया।
मौसी भी चुदने के लिए झड़ने की सीमा पर ही पहुंची हुई थी शायद कई सालों की मेरे से चुदने की अनबुझी प्यास और अभी चुदाई*** की इच्छा पूरी होते दिखने की संभावना से ही हम दोनों इतने उत्तेजित हो गए थे कि आलिंगन से ही झडने के करीब पहुंच गए थे हमारे नंगे बदन एक दूसरे को रगड़ रहे थे मौसी पीठ के बल बिस्तर पर लेट गई और टांगें खोलकर घुटने अपनी छाती की तरफ मोड़ लिए और बहुत ही कामुक अंदाज में मुस्कुराते हुए इशारा किया।
मैंने आगे बढ़ कर लिंग को अपने हाथ में पकड़ कर मौसी की चूत* की तरफ बढ़ाया मौसी ने भी हाथ आगे करके मेरे लिंग के सुपाड़े को योनि के मुहाने पर रास्ता दिखा दिया
हम दोनों के रस बहे जा रहे थे पिंकी और पप्पू के मिले-जुले रस की पूरी चिकनाई के कारण हमें एक दूसरे में समाने में कोई दिक्कत नहीं हुई
मेरा पप्पू एक ही झटके में पिंकी की आखरी दीवार तक पहुंच गया
मौसी उत्तेजना में कसमसा रही थी कामुक सिसकारियां ले रही थी वाह, मेरे बेटे, कर ले मौसी को अपने वश में, पेल दे मौसी को, शाबाश, और जोर जोर से, घुस जा बेटा, घुसा दे अपना, वाह, क्या हथियार है, भर दिया तूने तो मेरे को , मेरी पिंकी तेरे पप्पू से पूरी तरह भर गई है , शाबाश बेटा शाबाश, मां समझते हुए मां समझ के मौसी को पेल बेटा......
मैं :। तू सच में मेरी मां है, मेरा पप्पू- यह मेरा हथियार मेरी मां की खुशी के लिए सब कुछ करेगा, ले मेरी मां, यह हथियार गया तेरे अंदर, ले शाबाश मेरी मां और ले संभाल, तेरे लिए ही है, मां को पूरी तरह से खुश करना ही मेरे इस भारी डंडे का काम है, ले मेरी मां, मेरी प्यारी सुषमा मौसी, ले कहते हुए मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए, कमर पीछे करके लिंग पूरी तरह से बाहर निकाला और दुबारा झटके से पूरी गहराई में चूत के अंदर ठोक दिया, मौसी बहुत कसमसा रही थी और तड़फड़ा रही थी, तड़प रही थी, मौसी ने दोनों हाथ मेरे नितंबों पर रखकर, मुझे कसकर अपने अंदर लेने का प्रयास कर रही थी
मैंने भी मौसी की के कंधों को दबाकर अपने सीने से लगा हुआ था और कमर उचका कर धक्के मार रहा था
मौसी भी उसी ताल में कमर ऊपर नीचे करके मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी और अपनी चूत में मेरे लंड को स्वीकार कर रही थी
मौसी की सांसे तेज होती जा रही थी और मुझे भी उत्तेजना का तेज दौरा चढ़ा हुआ था
हर एक शाॅट में हम तेजी से एक दूसरे को अपने अंदर समेट कर एकाकार होने का प्रयास कर रहे थे
ले मेरी मां, मेरी मौसी,
याह याह मेरे बेटा, मेरे प्यारे बेटे, शाबाश बेटा, ठोक दे
हम दोनों बहुत ज्यादा जोर से बोले थे तो अचानक मुझे ख्याल आया कि हमारी आवाज बाहर काउंटर पर ना चली जाए तो मैंने अपने होंठ मौसी के होठों से जोड़ दिए और तेजी से धक्के मारने लगा
होंठ जुड़े होने के कारण हम दोनों की आवाज बंद हो गई पर हमारी जांघों के आपस में टकराने की आवाज आ रहे थे की आवाज आवाज आ रही थी बहुत तेजी से धक्के मारते मारते अचानक मौसी ने मुझे अपने से पूरी तरह से एकाकार लिया और नीचे से थाप देनी बंद कर दी
मौसी की योनि में लिंग के आसपास कस गई मैं समझ गया कि मौसी झड़ने वाली है मैंने उसी तरह से धक्कों की स्पीड बनाए रखी और कुछ देर में मौसी ने गहरी सांस लेते हुए अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया
मैंने अभी भी मैंने अपनी गति बनाए रखी और कुछ धक्कों के बाद मुझे भी महसूस हुआ कि मेरा सारा खून मेरे लिंग की तरफ बह रहा है और मेरा लिंग मौसी की मौसी के झड़ने से निकले हुए रस के बावजूद भी योनि में फंसकर जा रहा था तो मैंने भी कसकर मौसी को पकड़ लिया धक्के मारने बंद कर दिए और अपना पूरा जोर पप्पू पिंकी लंड चूत के मिलन स्थल पर लगा दिया
एकदम से मेरा लिंग फैलने सिकुड़ने लगा और उसके बाद मेरे लिंग ने मौसी की योनि में जब झमाझम बारिश कर दी
मासी को लिंग की बारिश से एक सिहरन हो उठी और उसने अपने दोनों पैर मेरे नितंबों के आसपास लपेट दिए अभी तक मेरा लिंग बारिश ही करता जा रहा था मौसी ने हाथ नीचे करके योनि के ऊपर ही लोड़े को पकड़ा और उसको दबा दबा कर निचोड़ने लगी
जितनी संतुष्टि मुझे पहली बार मां की चुदाई* करने में मिली थी, मां को चोदते समय पहली बार मुझे ऐसा ही महसूस हुआ था वही एहसास मौसी के झड़ने के समय भी हुआ
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने पहली बार चुदाई** की हो जबकि मैं मां और मकान मालकिन चाची को ना जाने कितनी बार चोद चुका था
जब हमारी सांसे दुरुस्त हुई एक दूसरे को आलिंगन मुक्त किया और अच्छे से चूमने लगे फिर मैंने मैंने नीचे देखा कि मेरे वीर्य और मौसी के कामरस से चादर पूरी तरह गीली हो गई थी
हम दोनों उठकर बाथरूम में गए और लिंग और योनि के अच्छे से सफाई की और चादर के जिस हिस्से पर वीर्य लगा हुआ था हमारा काम रस लगा हुआ था उस हिस्से को भी हमने हल्के से धो दिया अगर वापस बिस्तर पर लेट गए
Sangya भाई एकदम साधारण शब्द चुनकर कहानी लिखी है ना कोई असामान्य लण्ड का साईज, ना ही कोई फर्जी गाली गलौज और ना ही दो घण्टे तक चलने वाली लम्बी चुदाई।
सच लगने वाली कल्पनाशीलता
 
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