मां से शारीरिक संबंध बनने के बाद भी मेरा और मां का व्यवहार बहुत ही सामान्य रहा कहीं पर भी कोई ग्लानी अथवा अन्य प्रकार का बदलाव नहीं था ना ही हम द्विअर्थी बातें करते थे और ना ही आते जाते किसी प्रकार की छेड़छाड़।
मां और मैंने, हम दोनों ने मां द्वारा बेटे की शारीरिक भूख शांत करने के प्रेम का हमारे मां बेटे के नैसर्गिक संबंधों, ममता, वात्सल्य और मेरी मातृभक्ति पर कोई पर कोई प्रभाव नहीं डाला था और जैसे मां मुझे खाना खिला दी थी मेरी चिंता करती थी उसी प्रकार से जब मेरे को जब मां को लगता था कि मुझे अपने शरीर की भूख लग रही है तो मां चुपचाप से सामान्य दिनचर्या में ही ऐसी परिस्थिति बना लेती थी कि मैं मां की योनि में लिंग डालकर अपनी योनक्षुधा शांत कर लेता था। मां को तो शायद अपने शरीर की अतिरिक्त आवश्यकता नहीं लगती थी क्योंकि पिताजी हफ्ते में १-२ बार मां को रगड़ ही देते थे जब तक की पिताजी दूसरे शहर में नौकरी करते थे, मैं मां के अपने लिए उपलब्ध शरीर का कुछ अतिरिक्त लाभ ले लेता था और ना भूख होते हुए भी मां के साथ रात में सोते समय, उसका पेटीकोट उठा कर और अपना कच्छा नीचे करके चोदम चुदाई कर लेता था मां ने भी इसे सामान्य खेल ही समझा था और कभी भी मेरे द्वारा अतिरिक्त मांग को मना नहीं किया। शायद मां को कुछ आंनद आता हो या फिर सिर्फ अपने बेटे के लंड को ज्यादा लाड़ प्यार देने की खुशी।
शायद ही कभी मुझे ऐसा लगा हो कि मां भूखी है इसलिए मां की चुदाई करनी है पर जैसे मां को आलिंगन करना उसी प्रकार से कभी कबार जब मां को प्रसन्न करना होता था या मां को अपना भक्ति भाव दिखाना होता था तब भी मैं मां को पेल देता था।
मेरे हॉस्टल जाने से पहले यह कार्यक्रम निर्विघ्न चलता रहा जब तक पिताजी दूसरे शहर में नौकरी करते थे और इतवार को ही घर में रहते थे। मैं हफ्ते में एक दो बार मां की चूत ले लेता था। जब किराया पर रहते थे तो मकान मालकिन चाची की चूत भी सहज उपलब्ध थी पर अपने मकान में आने के बाद सिर्फ मां ही मेरी सैक्स साथी थी। एक बार पिताजी 15 दिन तक लगातार छुट्टी पर घर में थे और इस बीच मां को अपनी चूत मुझे देने का मौका नहीं मिला मेरा लौड़ा कसमसा रहा था शरीर और दिमाग में भी वासना का ज्वार बहुत उछाल मार रहा था किंतु मां से ना कुछ कह पा रहा था और ना ही मां को मौका मिल रहा था मुझे मालूम था कि मां मेरी मनोस्थिति समझ रही है और मुझसे अपनी चूत का भोग प्रस्तुत लगवाने को तत्पर है पर एकांत तो मिलना चाहिए।
जहां चाहा वहां रहा एक दिन जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो रहा था उस समय पापा अपने मित्र से मिलने निकल गए पापा के जाते ही मैंने स्कूल का कार्यक्रम स्थगित कर दिया मां को बोला मां मेरे पेट में दर्द हुआ है मैं स्कूल नहीं जा रहा। मां ने अपनी स्नेहमई मुस्कान दी और बोली स्कूल ड्रेस उतारकर अंदर जाकर लेट जा।
मुझे मां का यह द्वारा मेरी जरूरत को तुरंत समझने की शक्ति और मेरी भूख शांत करने की तत्परता बहुत अच्छी लगी और मेरा लन्ड बहुत टनटनाने लगा थोड़ी देर बाद मां घर का मुख्य दरवाजा बंद करके कमरे में आ गई मां ने वही पतला ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था जिसके अंदर से मां का गुदाज भरा हुआ सांवला सा शरीर बाहर छलका जा रहा था। जैसे कि आपको मालूम है कि मां पैंटी और ब्रा पहनती ही नहीं थी। मां के हाथ में तेल की कटोरी थी, मां बोली राजा बेटा, आजा तेरी नाभि की मालिश कर दूं, पेटदर्द ठीक हो जाएगा।
मैंने अपना कच्छे का नाडा खोला और सीधा लेट गया मां ने हाथों में तेल लगाया और मेरे पेट पर मालीश शुरू की, 1-2 मिनट में ही मां के हाथ नीचे मेरे लिंग की तरफ जाने लगे तो मां बोली कच्छे में तेल लग जाएगा, इसे उतार दे!! मैंने मां की आज्ञा का पालन किया, चूत मिलने की उम्मीद में मेरा लन्ड टनटनाने लगा।
मां के चेहरे की मुस्कुराहट बढ़ गई और बोली मेरे बेटे को कुछ ज्यादा ही भूख लगी है मैंने आंखें झुका कर मां को अपनी भूख की स्वीकृति दी, मां ने अपने हाथों में तेल लगाया और मेरे लंबे डंडे की मालिश करने लगी मां के हाथों का स्पर्श होते ही मेरे लंड की बांछें खिल गई और वह मां को सलामी देने लगा मैं बोला तुम्हारे कपड़ों में भी तेल लग जाएगा, क्यों नहीं, तुम भी पेटीकोट ब्लाउज उतार देती, मां ने घड़ी की तरफ देखा और बोली, तेरे पिताजी को तो आने में एक घंटा लग जाएगा और मां ने ब्लाउज पेटीकोट उतार दिया बहुत दिनों बाद हम मां बेटा दिन के समय में बिल्कुल नंगे एक दूसरे के सामने थे
मां ने वापिस मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया मां करीब की तो मैंने भी मां की चूचियों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया, मां के शरीर में भूख नहीं थी पर अपने बेटे को शांत करने का उत्साह जरूर था।
मेरे हाथों के मसलने से मां के निप्पल खड़े होने लगे, मैंने कहा,। मां मुझे दूध पीना है, मां मेरे लंड की मालिश करती रही और मैंने दोनों हाथों से मां की चूचियों को रगड़ना शुरू कर दिया, मां के शरीर में भी वासना उठने लगी थी, मां ने बारी-बारी दोनों चूचियां मेरे मुंह में डालनी शुरु कर दी और मालिश छोड़कर मेरे टट्टों को सहलाना शुरु कर दिया मैंने भी अपने हाथ मां की पीठ और नितंबों पर फेरने शुरू कर दिए धीरे-धीरे अपने हाथ में मां की जांघों के बीच में ले आया इस बीच में मां पूरी तरह से मेरे ऊपर आ चुकी थी मां ने कोहनियों के बल लेटकर मेरे तथा अपने शरीर के बीच में कुछ दूरी बनाई हुई थी ताकि मैं उसकी चूचियां अच्छे से चूस सकूं चूचियों को चाटते चाटते मैंने अपना मुंह ऊपर करके मां के होंठों से जोड़ दिया और अपनी जीभ मां के मुंह में डाल दी मां मेरी जीभ को अपने मुंह में चलाने लगी हमारे शरीर की दूरी मिट गई थी अतः मेरा लिंग मां की योनि पर दस्तक देने लगा था मैंने दोनों हाथ मां के नितंबों पर रखते हुए जांघों के अंदर की तरफ दबाव बना लिया मां की नरम जांघें और चूतड़ मेरे को बहुत उत्तेजित कर रहे थे मां ने इशारा समझ कर अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर एडजस्ट किया और एक हाथ से मेरा सुपाड़ा अपनी चूत के अंदर सरका दिया, मेरा लिंग फुफकारने लगा और अंदर जाने का रस्ता मिलते ही अंदर घुसने का प्रयास करने लगा मां की तेल भरी मालिश के कारण मेरा झंडा चिकना तो था ही और मेरे में भूख भी बहुत ज्यादा थी इसलिए मेरा लंड सरसराता हुआ मां की चूत में समा गया। मां ने अपने दोनों हाथ मेरे नितंबों के नीचे रखकर मुझे अपनी ओर खींचना शुरू किया मैंने भी अपने दोनों हाथों से मां के नितंबों को अपनी ओर खींचना शुरू किया जिससे उसकी चूत मेरे लन्ड को पूरी तरह ढककर मखमली रजाई का एहसास देने लगी, मां का भगप्रदेश पूरे जोर से मेरे ऊपर दबाव बनाने लगा अंदर जाकर मेरे लंड ने कुछ खलबली मचानी शुरू की कुछ मां ने ऊपर से उछल उछल कर उत्तेजना को बढ़ाना शुरू किया उसी स्थिति में लेटे-लेटे मां अपने घुटनों को मोड़कर मेरे नितंबों की तरफ ले आई और अपनी हथेलियों के बल से अपने ऊपर के शरीर को उठाने लगी इससे मां मेरे ऊपर अधलेटी की अवस्था में आ गई थी और मां का पूरा वजन मेरे लन्ड पर आ गया था यह एक अलग ही अनुभूति थी और मेरा लन्ड मां की बच्चेदानी तक ठोकर मार रहा था कुछ देर ऐसे रहने के बाद मां मेरी तरफ मुंह करके मेरे लन्ड के ऊपर बैठ गई और जोर-जोर से अपने शरीर को आगे पीछे करने लगे मैंने भी हाथ बढ़ाकर मां के मम्मों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और नीचे से धक्के मारने लगा।
बहुत दिन से जमा लावा जल्दी ही पिघलने लगा और मेरे लंड ने मां की चूत में पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी और मैं खाली हो गया।
पिचकारी छोड़ने के बाद मेरा लिंग मां की योनि से बाहर निकल आया और मां मेरे साथ ही नीचे लेट गई और अपने हाथों से मेरे पेट तथा छाती पर सहलाने लगी। मां की एक जांघ मेरी जांघ के ऊपर थी और मैंने एक हाथ से मां के मम्मों को छेड़ना शुरू किया और दूसरे से मां के चूतड़ की मालिश करने लगा।
मैंने कहा मां तेरा शरीर कुछ सुखा लग रहा है, मैं मालिश कर देता हूं मां बोली समय कम है, सिर्फ मेरी जांघ और पेट की मालिश कर दे, मैंने तेल की कटोरी उठाई और मां की जांघों पर मालिश करने लगा कुछ देर जांघों मालिश करने के दौरान मेरे लिंग में तनाव आना शुरू हो गया था अब मैंने मां की गहरी आकर्षक नाभि पर तेल लगाना शुरू किया और अपनी अंगुली मां की नाभि में डालकर मां के उत्तेजित करने लगा, मां मदहोशी की सीत्कार वाली आवाजें निकालने लगी, अपने दूसरे हाथ से मैंने मां की टांगों के बीच तेल लगाना शुरू किया और अपनी उंगली मां की योनि में प्रविष्ट करवा दी और धीरे-धीरे उसे योनि के अंदर रगड़ने लगा तो मां गीली होने लगी और जोर-जोर से मेरे छाती को मसलने लगी फिर एक हाथ से मां ने मेरा लिंग पकड़ा और खाल को आगे पीछे करने लगी, मां के हाथ में जादू था मेरा लिंग एकदम तन तना गया और तैयार हो गया अपनी चढ़ाई के लिए।
मैंने मां को बोला आपके पिछवाड़े में तेल नहीं लगा है, एक बार घूम जाओ तो थोड़ा पीठ और पिछवाड़ा भी मालिश कर देता हूं, मां बिना कुछ बोले घूम गई और मैंने कटोरी से तेल लेकर मां के नितंबों पर अच्छे से मालिश की ओर रगड़ने लगा मेरा मां की गांड को बार-बार सहला रहा था और मां कसमसाने लगी थी जब मुझे लगा कि मेरा लिंग तथा मां की योनि पूरी तरह से तैयार है तो मैंने मां को सीधा होने का इशारा किया मां पीठ के बल लेट गई और उसने अपनी टांगें मोड़ कर अपनी छाती पर रख ली जिससे मुझे मां की बालों से ढकी चूत का खुला दर्शन होने लगा, चूत के लबों के बीच में मां का भग्नासा बाहर की तरफ निकला हुआ था और रस छोड़ रहा था। मैंने जो कर उसकी एक चुम्मी ले ली, पिताजी कई दिनों से घर में ही थे और लगभग रोज ही मां की चूत मार रहे थे इसलिए मां पूरी तरह से संतुष्ट थी पर मेरे चुम्मी लेते ही मां ने झनझनाहट महसूस की और अपने पैरों को मेरी गर्दन के कस दिया जिससे मेरा मुंह मां की चूत के ऊपर कस गया और मैंने जीभ निकालकर मां की चूत को चाटने लगा मेरी खुरदुरी जीभ की रगड़ से मां की बालों से ढकी चूत के लबों तथा उससे बाहर निकला हुआ भग्नासा पर लगी तो मां को बहुत ही आनंद आने लगा और मां कसमसाने लगी पहली बार मां के मुंह से खुलकर सीत्कार निकल रही थी और मां ने अपने पैरों का दवाब मेरी गर्दन पर बढ़ा दिया था मुझे लग रहा था कि मां सख्लित ना हो जाए पर मेरी मां बहुत ही खेली और जिम्मेदार स्त्री थी उसको पता था कि मेरे ल़ड को शांत किए बिना सख्लित हो गई, झड़ गई, तो मेरे ऊपर दबाव बना रहेगा और दोबारा पता नहीं कब मौका मिलेगा हमें चोदम चुदाई के खेल में इसलिए मां ने मेरी जीभ का आनंद तब तक लिया जब तक वह अपने आप को काबू में रख सकी उसके बाद मां ने अपने पैरों की पकड़ ढीली की और मेरे कंधे पर हाथ रखकर मेरे को ऊपर आने का इशारा किया मैंने अपनी कमर सीधी की और अपना लंड अंदर ठेल दिया पूरी गहराई में मेरा लिंग पूरी तरह से फंस गया। मेरा लिंग एक ही झटके में गहराई तक मां की चूत में फंस गया और मैंने ताबड़तोड़ धक्के मारने शुरू कर दिए आज मुझ में बहुत ही जोश आ रहा था जिसे मां ने भी महसूस किया और बोली सहज से बेटा तेरी मां की अपनी चीज है, कोई जल्दी नहीं है, आराम से पेल संतुष्ट हो। कहकर मां ने मेरे पीठ और नितंबों को सहलाना शुरु कर दिया मैंने भी अपने एक हाथ से मां के निप्पल की घुंड़िया मरोड़नी शुरू कर दी और अपनी स्पीड को कम करके लंबे-लंबे धक्के मारने लगा एक बार मैंने बाहर खींचा तो लंड फ्ब्लॉक से बाहर आ गया मां ने तुरंत अपने हाथ से लंड को पकड़ा और योनि में लगा दिया मेरे दोनों हाथ मां के मम्मों पर थे मां के इशारे से लंड मां की योनि में चला गया और मैंने फिर से धक्के मारने शुरू कर दिए अब चूत ठोकते ठोकते फुद्दी मारते मारते मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैंने अपने शरीर का रक्त अपने लंड की तरफ दोड़ता महसूस किया उधर मां भी तेजी से सांसे लेने लगी थी कुछ देर में मां भी गहरी सांसे लेने लगी थी और मेरे में समाने की कोशिश कर रही थी, अब मेरी उत्तेजना काबू से बाहर निकल गई थी और मैंने जैसे लंबी लंबी पिचकारिया अपनी जन्मस्थली में भरनी शुरू कर दी कुछ ही देर में दोनों का ज्वार शांत हो गया मां की निगाह घड़ी पर पड़ी और बोली तेरे पापा वापस आने वाले हैं। हम दोनों ने झटपट से अलग होकर अपने अपने कपड़े पहने मैंने वापिस स्कूल की ड्रेस पहन ली थी इसलिए मैं मां से बोला कि मैं स्कूल के लिए निकल जाता हूं आधी छुट्टी के बाद की कक्षा मैं पहुंच जाऊंगा मां ने सिर हिलाकर हां बोला और मैं मां की पप्पी ले कर बस्ता उठा कर घर से बाहर निकल गया और मां ने अपने को समेटकर घर का बचा हुआ काम करना शुरू कर दिया
अगले अपडेट में मां की एक बड़ी चुदाई का विवरण विस्तार में लिखूंगा जिसमे पहली बार मां ने मेरा लिंग अपने मुंह में डालकर चूसा था तथा मैंने जीभ से मां की चूत को सख्लित कर दिया था
जीभ से सख्लित होने का तथा लंड चूसकर वीर्य पीने का मां का पहला अनुभव था और इसमें मां को बहुत आनंद आया था
मां और मैंने, हम दोनों ने मां द्वारा बेटे की शारीरिक भूख शांत करने के प्रेम का हमारे मां बेटे के नैसर्गिक संबंधों, ममता, वात्सल्य और मेरी मातृभक्ति पर कोई पर कोई प्रभाव नहीं डाला था और जैसे मां मुझे खाना खिला दी थी मेरी चिंता करती थी उसी प्रकार से जब मेरे को जब मां को लगता था कि मुझे अपने शरीर की भूख लग रही है तो मां चुपचाप से सामान्य दिनचर्या में ही ऐसी परिस्थिति बना लेती थी कि मैं मां की योनि में लिंग डालकर अपनी योनक्षुधा शांत कर लेता था। मां को तो शायद अपने शरीर की अतिरिक्त आवश्यकता नहीं लगती थी क्योंकि पिताजी हफ्ते में १-२ बार मां को रगड़ ही देते थे जब तक की पिताजी दूसरे शहर में नौकरी करते थे, मैं मां के अपने लिए उपलब्ध शरीर का कुछ अतिरिक्त लाभ ले लेता था और ना भूख होते हुए भी मां के साथ रात में सोते समय, उसका पेटीकोट उठा कर और अपना कच्छा नीचे करके चोदम चुदाई कर लेता था मां ने भी इसे सामान्य खेल ही समझा था और कभी भी मेरे द्वारा अतिरिक्त मांग को मना नहीं किया। शायद मां को कुछ आंनद आता हो या फिर सिर्फ अपने बेटे के लंड को ज्यादा लाड़ प्यार देने की खुशी।
शायद ही कभी मुझे ऐसा लगा हो कि मां भूखी है इसलिए मां की चुदाई करनी है पर जैसे मां को आलिंगन करना उसी प्रकार से कभी कबार जब मां को प्रसन्न करना होता था या मां को अपना भक्ति भाव दिखाना होता था तब भी मैं मां को पेल देता था।
मेरे हॉस्टल जाने से पहले यह कार्यक्रम निर्विघ्न चलता रहा जब तक पिताजी दूसरे शहर में नौकरी करते थे और इतवार को ही घर में रहते थे। मैं हफ्ते में एक दो बार मां की चूत ले लेता था। जब किराया पर रहते थे तो मकान मालकिन चाची की चूत भी सहज उपलब्ध थी पर अपने मकान में आने के बाद सिर्फ मां ही मेरी सैक्स साथी थी। एक बार पिताजी 15 दिन तक लगातार छुट्टी पर घर में थे और इस बीच मां को अपनी चूत मुझे देने का मौका नहीं मिला मेरा लौड़ा कसमसा रहा था शरीर और दिमाग में भी वासना का ज्वार बहुत उछाल मार रहा था किंतु मां से ना कुछ कह पा रहा था और ना ही मां को मौका मिल रहा था मुझे मालूम था कि मां मेरी मनोस्थिति समझ रही है और मुझसे अपनी चूत का भोग प्रस्तुत लगवाने को तत्पर है पर एकांत तो मिलना चाहिए।
जहां चाहा वहां रहा एक दिन जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो रहा था उस समय पापा अपने मित्र से मिलने निकल गए पापा के जाते ही मैंने स्कूल का कार्यक्रम स्थगित कर दिया मां को बोला मां मेरे पेट में दर्द हुआ है मैं स्कूल नहीं जा रहा। मां ने अपनी स्नेहमई मुस्कान दी और बोली स्कूल ड्रेस उतारकर अंदर जाकर लेट जा।
मुझे मां का यह द्वारा मेरी जरूरत को तुरंत समझने की शक्ति और मेरी भूख शांत करने की तत्परता बहुत अच्छी लगी और मेरा लन्ड बहुत टनटनाने लगा थोड़ी देर बाद मां घर का मुख्य दरवाजा बंद करके कमरे में आ गई मां ने वही पतला ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था जिसके अंदर से मां का गुदाज भरा हुआ सांवला सा शरीर बाहर छलका जा रहा था। जैसे कि आपको मालूम है कि मां पैंटी और ब्रा पहनती ही नहीं थी। मां के हाथ में तेल की कटोरी थी, मां बोली राजा बेटा, आजा तेरी नाभि की मालिश कर दूं, पेटदर्द ठीक हो जाएगा।
मैंने अपना कच्छे का नाडा खोला और सीधा लेट गया मां ने हाथों में तेल लगाया और मेरे पेट पर मालीश शुरू की, 1-2 मिनट में ही मां के हाथ नीचे मेरे लिंग की तरफ जाने लगे तो मां बोली कच्छे में तेल लग जाएगा, इसे उतार दे!! मैंने मां की आज्ञा का पालन किया, चूत मिलने की उम्मीद में मेरा लन्ड टनटनाने लगा।
मां के चेहरे की मुस्कुराहट बढ़ गई और बोली मेरे बेटे को कुछ ज्यादा ही भूख लगी है मैंने आंखें झुका कर मां को अपनी भूख की स्वीकृति दी, मां ने अपने हाथों में तेल लगाया और मेरे लंबे डंडे की मालिश करने लगी मां के हाथों का स्पर्श होते ही मेरे लंड की बांछें खिल गई और वह मां को सलामी देने लगा मैं बोला तुम्हारे कपड़ों में भी तेल लग जाएगा, क्यों नहीं, तुम भी पेटीकोट ब्लाउज उतार देती, मां ने घड़ी की तरफ देखा और बोली, तेरे पिताजी को तो आने में एक घंटा लग जाएगा और मां ने ब्लाउज पेटीकोट उतार दिया बहुत दिनों बाद हम मां बेटा दिन के समय में बिल्कुल नंगे एक दूसरे के सामने थे
मां ने वापिस मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया मां करीब की तो मैंने भी मां की चूचियों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया, मां के शरीर में भूख नहीं थी पर अपने बेटे को शांत करने का उत्साह जरूर था।
मेरे हाथों के मसलने से मां के निप्पल खड़े होने लगे, मैंने कहा,। मां मुझे दूध पीना है, मां मेरे लंड की मालिश करती रही और मैंने दोनों हाथों से मां की चूचियों को रगड़ना शुरू कर दिया, मां के शरीर में भी वासना उठने लगी थी, मां ने बारी-बारी दोनों चूचियां मेरे मुंह में डालनी शुरु कर दी और मालिश छोड़कर मेरे टट्टों को सहलाना शुरु कर दिया मैंने भी अपने हाथ मां की पीठ और नितंबों पर फेरने शुरू कर दिए धीरे-धीरे अपने हाथ में मां की जांघों के बीच में ले आया इस बीच में मां पूरी तरह से मेरे ऊपर आ चुकी थी मां ने कोहनियों के बल लेटकर मेरे तथा अपने शरीर के बीच में कुछ दूरी बनाई हुई थी ताकि मैं उसकी चूचियां अच्छे से चूस सकूं चूचियों को चाटते चाटते मैंने अपना मुंह ऊपर करके मां के होंठों से जोड़ दिया और अपनी जीभ मां के मुंह में डाल दी मां मेरी जीभ को अपने मुंह में चलाने लगी हमारे शरीर की दूरी मिट गई थी अतः मेरा लिंग मां की योनि पर दस्तक देने लगा था मैंने दोनों हाथ मां के नितंबों पर रखते हुए जांघों के अंदर की तरफ दबाव बना लिया मां की नरम जांघें और चूतड़ मेरे को बहुत उत्तेजित कर रहे थे मां ने इशारा समझ कर अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर एडजस्ट किया और एक हाथ से मेरा सुपाड़ा अपनी चूत के अंदर सरका दिया, मेरा लिंग फुफकारने लगा और अंदर जाने का रस्ता मिलते ही अंदर घुसने का प्रयास करने लगा मां की तेल भरी मालिश के कारण मेरा झंडा चिकना तो था ही और मेरे में भूख भी बहुत ज्यादा थी इसलिए मेरा लंड सरसराता हुआ मां की चूत में समा गया। मां ने अपने दोनों हाथ मेरे नितंबों के नीचे रखकर मुझे अपनी ओर खींचना शुरू किया मैंने भी अपने दोनों हाथों से मां के नितंबों को अपनी ओर खींचना शुरू किया जिससे उसकी चूत मेरे लन्ड को पूरी तरह ढककर मखमली रजाई का एहसास देने लगी, मां का भगप्रदेश पूरे जोर से मेरे ऊपर दबाव बनाने लगा अंदर जाकर मेरे लंड ने कुछ खलबली मचानी शुरू की कुछ मां ने ऊपर से उछल उछल कर उत्तेजना को बढ़ाना शुरू किया उसी स्थिति में लेटे-लेटे मां अपने घुटनों को मोड़कर मेरे नितंबों की तरफ ले आई और अपनी हथेलियों के बल से अपने ऊपर के शरीर को उठाने लगी इससे मां मेरे ऊपर अधलेटी की अवस्था में आ गई थी और मां का पूरा वजन मेरे लन्ड पर आ गया था यह एक अलग ही अनुभूति थी और मेरा लन्ड मां की बच्चेदानी तक ठोकर मार रहा था कुछ देर ऐसे रहने के बाद मां मेरी तरफ मुंह करके मेरे लन्ड के ऊपर बैठ गई और जोर-जोर से अपने शरीर को आगे पीछे करने लगे मैंने भी हाथ बढ़ाकर मां के मम्मों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और नीचे से धक्के मारने लगा।
बहुत दिन से जमा लावा जल्दी ही पिघलने लगा और मेरे लंड ने मां की चूत में पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी और मैं खाली हो गया।
पिचकारी छोड़ने के बाद मेरा लिंग मां की योनि से बाहर निकल आया और मां मेरे साथ ही नीचे लेट गई और अपने हाथों से मेरे पेट तथा छाती पर सहलाने लगी। मां की एक जांघ मेरी जांघ के ऊपर थी और मैंने एक हाथ से मां के मम्मों को छेड़ना शुरू किया और दूसरे से मां के चूतड़ की मालिश करने लगा।
मैंने कहा मां तेरा शरीर कुछ सुखा लग रहा है, मैं मालिश कर देता हूं मां बोली समय कम है, सिर्फ मेरी जांघ और पेट की मालिश कर दे, मैंने तेल की कटोरी उठाई और मां की जांघों पर मालिश करने लगा कुछ देर जांघों मालिश करने के दौरान मेरे लिंग में तनाव आना शुरू हो गया था अब मैंने मां की गहरी आकर्षक नाभि पर तेल लगाना शुरू किया और अपनी अंगुली मां की नाभि में डालकर मां के उत्तेजित करने लगा, मां मदहोशी की सीत्कार वाली आवाजें निकालने लगी, अपने दूसरे हाथ से मैंने मां की टांगों के बीच तेल लगाना शुरू किया और अपनी उंगली मां की योनि में प्रविष्ट करवा दी और धीरे-धीरे उसे योनि के अंदर रगड़ने लगा तो मां गीली होने लगी और जोर-जोर से मेरे छाती को मसलने लगी फिर एक हाथ से मां ने मेरा लिंग पकड़ा और खाल को आगे पीछे करने लगी, मां के हाथ में जादू था मेरा लिंग एकदम तन तना गया और तैयार हो गया अपनी चढ़ाई के लिए।
मैंने मां को बोला आपके पिछवाड़े में तेल नहीं लगा है, एक बार घूम जाओ तो थोड़ा पीठ और पिछवाड़ा भी मालिश कर देता हूं, मां बिना कुछ बोले घूम गई और मैंने कटोरी से तेल लेकर मां के नितंबों पर अच्छे से मालिश की ओर रगड़ने लगा मेरा मां की गांड को बार-बार सहला रहा था और मां कसमसाने लगी थी जब मुझे लगा कि मेरा लिंग तथा मां की योनि पूरी तरह से तैयार है तो मैंने मां को सीधा होने का इशारा किया मां पीठ के बल लेट गई और उसने अपनी टांगें मोड़ कर अपनी छाती पर रख ली जिससे मुझे मां की बालों से ढकी चूत का खुला दर्शन होने लगा, चूत के लबों के बीच में मां का भग्नासा बाहर की तरफ निकला हुआ था और रस छोड़ रहा था। मैंने जो कर उसकी एक चुम्मी ले ली, पिताजी कई दिनों से घर में ही थे और लगभग रोज ही मां की चूत मार रहे थे इसलिए मां पूरी तरह से संतुष्ट थी पर मेरे चुम्मी लेते ही मां ने झनझनाहट महसूस की और अपने पैरों को मेरी गर्दन के कस दिया जिससे मेरा मुंह मां की चूत के ऊपर कस गया और मैंने जीभ निकालकर मां की चूत को चाटने लगा मेरी खुरदुरी जीभ की रगड़ से मां की बालों से ढकी चूत के लबों तथा उससे बाहर निकला हुआ भग्नासा पर लगी तो मां को बहुत ही आनंद आने लगा और मां कसमसाने लगी पहली बार मां के मुंह से खुलकर सीत्कार निकल रही थी और मां ने अपने पैरों का दवाब मेरी गर्दन पर बढ़ा दिया था मुझे लग रहा था कि मां सख्लित ना हो जाए पर मेरी मां बहुत ही खेली और जिम्मेदार स्त्री थी उसको पता था कि मेरे ल़ड को शांत किए बिना सख्लित हो गई, झड़ गई, तो मेरे ऊपर दबाव बना रहेगा और दोबारा पता नहीं कब मौका मिलेगा हमें चोदम चुदाई के खेल में इसलिए मां ने मेरी जीभ का आनंद तब तक लिया जब तक वह अपने आप को काबू में रख सकी उसके बाद मां ने अपने पैरों की पकड़ ढीली की और मेरे कंधे पर हाथ रखकर मेरे को ऊपर आने का इशारा किया मैंने अपनी कमर सीधी की और अपना लंड अंदर ठेल दिया पूरी गहराई में मेरा लिंग पूरी तरह से फंस गया। मेरा लिंग एक ही झटके में गहराई तक मां की चूत में फंस गया और मैंने ताबड़तोड़ धक्के मारने शुरू कर दिए आज मुझ में बहुत ही जोश आ रहा था जिसे मां ने भी महसूस किया और बोली सहज से बेटा तेरी मां की अपनी चीज है, कोई जल्दी नहीं है, आराम से पेल संतुष्ट हो। कहकर मां ने मेरे पीठ और नितंबों को सहलाना शुरु कर दिया मैंने भी अपने एक हाथ से मां के निप्पल की घुंड़िया मरोड़नी शुरू कर दी और अपनी स्पीड को कम करके लंबे-लंबे धक्के मारने लगा एक बार मैंने बाहर खींचा तो लंड फ्ब्लॉक से बाहर आ गया मां ने तुरंत अपने हाथ से लंड को पकड़ा और योनि में लगा दिया मेरे दोनों हाथ मां के मम्मों पर थे मां के इशारे से लंड मां की योनि में चला गया और मैंने फिर से धक्के मारने शुरू कर दिए अब चूत ठोकते ठोकते फुद्दी मारते मारते मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैंने अपने शरीर का रक्त अपने लंड की तरफ दोड़ता महसूस किया उधर मां भी तेजी से सांसे लेने लगी थी कुछ देर में मां भी गहरी सांसे लेने लगी थी और मेरे में समाने की कोशिश कर रही थी, अब मेरी उत्तेजना काबू से बाहर निकल गई थी और मैंने जैसे लंबी लंबी पिचकारिया अपनी जन्मस्थली में भरनी शुरू कर दी कुछ ही देर में दोनों का ज्वार शांत हो गया मां की निगाह घड़ी पर पड़ी और बोली तेरे पापा वापस आने वाले हैं। हम दोनों ने झटपट से अलग होकर अपने अपने कपड़े पहने मैंने वापिस स्कूल की ड्रेस पहन ली थी इसलिए मैं मां से बोला कि मैं स्कूल के लिए निकल जाता हूं आधी छुट्टी के बाद की कक्षा मैं पहुंच जाऊंगा मां ने सिर हिलाकर हां बोला और मैं मां की पप्पी ले कर बस्ता उठा कर घर से बाहर निकल गया और मां ने अपने को समेटकर घर का बचा हुआ काम करना शुरू कर दिया
अगले अपडेट में मां की एक बड़ी चुदाई का विवरण विस्तार में लिखूंगा जिसमे पहली बार मां ने मेरा लिंग अपने मुंह में डालकर चूसा था तथा मैंने जीभ से मां की चूत को सख्लित कर दिया था
जीभ से सख्लित होने का तथा लंड चूसकर वीर्य पीने का मां का पहला अनुभव था और इसमें मां को बहुत आनंद आया था