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Incest मां का आशिक

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उसने अपने सास ससुर को सलाम किया और चाय का कप दिया। दोनो खुश हो गए और उसे ढेर सारी दुआ दी और ससुर बोले:"
" बेटी आज काफी सारी मेहमान आएंगे, मैंने हलवाई को बोलकर सब इंतजाम करा दिया है , बस शादाब को अच्छे से तैयार करना ताकि मेरे पोता सबसे अलग दिखे !!

शहनाज़ :" जी अब्बू, अभी तो सो रहे हैं आपके नवाबजादे !!

सास;" अरे बेटा वो थका हुआ होगा और बहुत सालों कर बाद घर लौटा हैं तो सुकून की नींद सो रहा होगा।

ससुर:" हां बेटी, अपने घर में अलग ही सुकून मिलता हैं, उठ जाएगा थोड़ी देर बाद अपने आप ही। तुम एक काम करो कि नीचे कमरे में मेरी एक खानदानी पुरानी जैकेट रखी है जिसे मैं आज पहनना चाहता हूं। तुम उसे निकाल देना बेटी!!

शहनाज़:" ठीक हैं, मैं निकाल देती हूं अभी। वो आप पर बहुत ज्यादा सुंदर लगती हैं।

शहनाज़ अंदर कमरे में घुस गई और लाइट का स्विच ऑन किया तो देखा कि कमरे में काफी धूल जमा हो गई थी क्योंकि काफी दिन से उसकी सफाई नहीं हुई थी। कपड़ों का बॉक्स उपर रखा हुआ था और जैसे ही उसने बॉक्स की नीचे उतारना चाहा तो बॉक्स के साथ साथ उसके उपर ढेर सारी धूल अा गिरी। उसने अपने चेहरे को दुपट्टे से साफ किया और बॉक्स का ताला खोलने लगी। ताला खोलकर उसने देखा कि जैकेट पूरी तरह से साफ थी, कहीं कोई दाग धब्बा नहीं बस कुछ सलवटे पड़ गई थी जो कि प्रेस करने का बाद आराम से निकल सकती थी।

वो अपने सास के कमरे में घुस गई और उन्हें जैकेट दिखाई तो ससुर बड़ा खुश हुआ और जैसे ही उसके उपर पड़ी हुई धूल देखी तो पूछा:"

" अरे बेटी तेरे उपर तो पुरी तरह से धूल जम गई है, कितना परेशान किया मैंने तुझे इस जैकेट के चक्कर में ?

शहनाज़:" कोई बात हैं अब्बू, मैं फिर से नहा लूंगी लेकिन आपकी खुशी मेरे लिए अहम हैं।

सास:" अल्लाह तेरे जैसी बहू सबको दे, तू तो हमारे लिए बेटी से भी बढ़कर हैं। आप जल्दी से जाकर नहा ले कहीं कोई दिक्कत ना हो जाए धूल की वजह से।

अपनी सास की बात सुनकर शहनाज़ उपर की तरफ चल पड़ी और अपने कपड़े लेकर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। शहनाज़ ने अपना सूट सलवार उतार दिया और अब सिर्फ ब्रा पेंटी में अा गई और उसका दूध सा गोरा जिस्म पुरी तरह से चमक उठा। उसके काले घने लहराते हुए बाल, उसका परियो जैसा गोल सुंदर मुखड़ा, गोल मटोल गाल हल्की लाला रंग की कुदरती रंगत लिए और उसके लाल सुर्ख होंठ जो एक दम पतले और रसीले लग रहे थे। उसकी खूबसूरत लम्बी सुराहीदार गर्दन, उसके गोरे चिट्टे कंधे। शहनाज़ की नजर एक बार फिर से अपनी काले रंग की ब्रा के कैद चूचियों पर पड़ गई तो उसकी आंख लाल होने लगी। उसकी आधे से ज्यादा चूची बाहर झांक रही थी और पूरी तरह से तन कर खड़ी हुई थी, निप्पल इतने सख्त हो चुके थे कि ब्रा के ऊपर से ही उनका आकार साफ नजर आ रहा था। हिम्मत करके उसने अपनी आंखे बंद कर ली और अपने हाथ कमर पर ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया तो उसकी चूचियां ऐसे उछल कर बाहर आई मानो अंदर उनका दम घुट रहा था। उसकी बड़ी बड़ी गोल गोल चूचियां, एक दम कठोर, उठी हुई तनी हुए, निप्पल हल्के गहरे रंग की रंगत लिए हुए किसी किशमिश के दाने की तरफ अपना मुंह उठाए हुए। अभी वो मात्र 36 साल की थी और खुद का बहुत ख्याल रखती थी जिस कारण उसकी चूचियां हल्की सी भी झुकी हुई नहीं थी बल्कि उसकी चूचियों की कठोरता देखकर तो आज कल की लड़कियां भी जल जाए। उसका दूध सा गोरा पेट एक दम अंदर की तरफ घुसा हुआ, चर्बी का कोई नामो निशान तक नहीं और उसकी गहरी नाभि उसके पेट की सुंदरता में चार चांद लगा रही थी। उसने बंद आंखो के साथ ही अपनी पेंटी को भी अपनी टांगो को फैला कर बाहर निकल दिया और उसके मुंह से अपने आप ही एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
उसकी एक दम गोरी, केले के तने के जैसी चिकनी जांघें, पतली नाजुक कमर और उसके ठीक नीचे उसकी उभरी हुई भारी भरकम गांड़ अपना आकार दिखाते हुए बिल्कुल नंगी थीं। उसकी गांड़ बाहर की तरफ निकली हुई और तरबूज के आकार की मोटी मोटी पटे। जांघो के बीच उगे हुए बाल उसकी चूत को ढके हुए थे। उसने अपने टांगो को थोड़ा सा खोलते हुए बालो को हल्का का हाथ से हटाया तो उसकी चूत चमक उठी। एक दम पतली सी, नाजुक सी गुलाबी रंग की झिर्री हल्की सी बाहर की तरफ निकली हुई, चूत एक दम अंदर की तरफ सिकुड़ी हुई जिसका दरवाजा पिछले 18 साल में पूरी तरह से बंद हो गया था जिस कारण रात उसे उंगली हल्की सी अंदर घुसाते हुए दर्द हुआ था। चूत के गुलाबी रंग के होंठ एक दूसरे से पूरी तरह से चिपके हुए उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे।

शहनाज़ ने एक बार हाथ से अपनी चूत को सहलाया तो उसका जिस्म मस्ती से भर उठा और वो फिर से कांपने लगी। तभी उसे मनचलों की बात याद आ गई कि कितनी बड़ी उभरी हुई गांड़ हैं तो उसके हाथ अपने आप उसकी गांड़ की तरफ बढ़ गए। उसने मस्ती से बंद हुई अपनी आंखो के साथ एक हाथ से अपनी गांड़ को छुआ तो उसके जिस्म ने एक झटका सा खाया और उसकी सिसकियां निकलने लगीं। आवेश में आकर वो अपनी गांड़ को हाथो में भरने लगी लेकिन उसके छोटे हाथो में उसकी उभरी हुई तगड़ी गांड़ कहां समाने वाली थी, उसे आज एहसास हो गया कि उसकी गांड़ सचमुच बहुत बड़ी और उभरी हुई है जिसे हाथों में भर कर मसलना हर किसी के बस की बात नहीं। उसे अपने बेटे के बड़े बड़े हाथ याद आए तो उसकी चूचियां खुशी के मारे हिलने लगी और चूत ने सारे बंधन तोड़ते हुए एक बार फिर से अपना रस बहा दिया और वहीं बाथरूम में सिसकते हुए झड़ गई। उसके पैर कमजोर पड़ते गए और वो फर्श पर ही टिक गई। उफ्फ ये कैसा मादक एहसास था, उसे तो इतना मजा कभी नहीं आया था इससे पहले। आज पहली बार उसने अपनी गांड़ को खुद अपने हाथ से सहलाया था तो सचुमुच कितना मजा आया था, उफ्फ जब उसका बेटा पूरी तरह से उसकी गांड़ को अपने हाथो में पूरी भर कर मसलेगा तो कितना मजा आयेगा ये सोच कर वो मुस्कुरा उठी।

" उफ्फ ये मेरा बेटा भी ना, पता नहीं इतना खूबसूरत क्यों हैं, मैं एक मा होकर खुद को नहीं रोक पाती हू। वो बिल्कुल मेरे सपनो के शहजादे जैसा हैं !!
Super hot aur bahut bahut kamuk story! bahut hi shandaar aur behad hi exciting writings!
 

Niqabi Ninja

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Excellent,superb and mind blowing story writings!
 

Baklolbazz

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खैर आज अपनी चूत को साफ करने का फैसला लिया और बाथरूम में रखी ट्यूब उठा कर क्रीम को अपनी झांटों पर लगा दिया। थोड़ी देर के बाद उसने एक जग में पानी लिया और अपने सिर पर डालने लगी। पानी की बूंदे उसके जिस्म पर बहुत खूबसूरत लग रही थीं। वो खूब अच्छे से रगड़ रगड़ कर नहाई और पानी के साथ ही उसकी चूत के बाल बहते चले गए। उसकी चूत एक दम खिलकर सामने अा गई और चमक उठी। एक दम बिल्कुल छोटी सी,प्यारी की गुड़िया की तरह।

वो उठी और टॉवेल से अपने जिस्म को साफ किया और अपनी पेंटी पहनने लगीं। उसके बाद उसने अपनी ब्रा को अपनी चूचियो पर टिका कर पीछे की तरफ हाथ ले गई और ब्रा का हुक लगाने लगी। बड़ी मुश्किल से उसने अपनी ब्रा का हुक लगाते हुए अपनी चूचियों को जबरदस्ती कैद किया और सूट सलवार पहन कर बाहर आ गई।

शहनाज़ के बालो से पानी की टपकती हुई बूंदे और पीठ पर खुले हुए काले लहराते हुए बाल उसे दुनिया की सबसे कामुक औरत बना रहे थे। वो एकदम किसी ताजे गुलाब की तरह खिली हुई लग रही थी जिसकी खुसबू पूरे घर में फैल रही थी।

शादाब उठ गया था और बाहर गैलरी में ही कसरत कर रहा था, पसीने के कारण उसका जिस्म पूरी तरह से भीगा हुआ और सिर्फ अंडर वियर में था, उसकी मोटी तगड़ी भुजाएं, चौड़े कंधे, और एक दम चौड़ी छाती बिल्कुल काले घने बालों से घिरी हुई उसके कसरत करने के कारण उपर नीचे हो रही थी। शहनाज़ जैसे ही बाथरूम से निकली उसकी नजर अपने बेटे पर पड़ी तो एक बार फिर से उसकी आंखे फैलती चली गई, सबसे ज्यादा आकर्षित किया उसके बेटे की चौड़ी छाती पर घने बालों ने जो उसकी कमजोरी थे लेकिन उसके पति की छाती एक दम सपाट थी। उफ्फ ये तो बिल्कुल मेरे सपने के शहजादे जैसा ही है, सब कुछ मेरी पसंद का, वहीं चौड़ी छाती, मजबूत भुजाएं, सुंदर ललाट, मुझे ऐसा ही तो पति चाहिए था। शहनाज़ नजरे गड़ाए अपने बेटे को देख रही थी और आंहे भर रही थी। तभी शादाब को अपनी अम्मी की मौजूदगी का एहसास हुआ तो उसकी निगाह अपनी अम्मी पर टिक गई तो उसे अम्मी की नजरो का एहसास हुआ तो शहनाज एकदम से सकपका सी गई।

शादाब की आंखे अपनी अम्मी के सुंदर मुखड़े पर एक बार फिर से ठहर सी गई और वो उसे बिना पलके झपकाए देखता रहा। जैसे ही शहनाज़ को अपने बेटे की आंखो का एहसास हुआ तो दोनो की आंखे एक पल के लिए टकराई और शहनाज की आंखे हया के मारे झुक गई। वो आंखे नीचे किए ही धीरे धीरे आगे बढ़ती गई और अपने कमरे में घुस गई। शहनाज़ का दिल अब तक बुरी तरह से धड़क रहा था और आंखे फिर से लाल सुर्ख हो गई थी। उसे समझ नहीं अा रहा था कुछ भी, पता नहीं मैं क्यों अपने बेटे की और खींची चली जा रही हूं। उसकी वो प्यारी आंखे, खूबसूरत चेहरा, चौड़े कंधे और एकदम काले घने बालों से घिरी हुई चौड़ी छाती लगता हैं जैसे मेरे सपनो का शहजादा सपनो के निकल कर जमीन पर अा गया है।

उसने अपने आपको संयत किया और प्रेस लगा दी ताकि अपने ससुर की जैकेट पर प्रेस कर सके। वो अपने काम में लग गई और थोड़ी देर बाद ही सारे कपड़े प्रेस हो चुके थे। शादाब भी कसरत करने के बाद नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया और नहाने लगा, जैसे ही उसने अपने लंड को साबुन लगाया तो लंड के सुपाड़े में एक हल्की सी दर्द भरी टीस उठी, उसने अपने लंड को धीरे धीरे पानी से साफ किया और नहाकर बाथरूम से बाहर निकल गया। शहनाज़ ने सारे काम खतम करने के बाद अपने बेटे के लिए कपडे निकाल दिए और उसके कमरे में रख अाई ताकि वो तैयार हो सके। शादाब नहाकर अपने कमरे में अा चुका था और अपने कपड़े पहनने लगा। थोड़ी देर बाद वो तैयार हो गया। शादाब ने एक सफेद शर्ट और काले रंग का कोट पेंट पहना हुआ था। उसने अपने जिस्म पर एक परफ्यूम लगाया जिसकी महक उसके पूरे जिस्म में फैल रही थी।

दूसरी तरफ शहनाज भी तैयार होने लगी और उसने एक बहुत ही सुन्दर सफेद रंग की ड्रेस पहन ली जिसमें वो एक दम परी की तरफ खूबसूरत लग रही थी। आंखो में गहरा काला काजल और होंठो पर लाल रंग की लिपस्टिक उसे और सुंदर बना रहे थे। उसने खुद को एक बार शीशे में देखा और अपने आपको देख कर वो शर्मा गई जिससे उसके गाल एक दम गुलाबी हो उठे।

वो जानती थी कि उसका बेटा रात से भूखा हैं इसलिए वो एक गर्म दूध का ग्लास और कुछ ड्राई फ्रूट लेकर अपने बेटे के रूम की तरफ चल पड़ी। शादाब एक दम किसी फिल्मी हीरो की तरह लग रहा था जिसे देखकर शहनाज का दिल फिर से धड़क उठा। दूसरी तरफ शादाब को लगा जैसे उसकी अम्मी नहीं बल्कि आसमान से उतर कोई परी सामने अा गई है। वो पलके गड़ाए अपनी अम्मी को देखता रहा तो शहनाज की हालत खराब होने लगीं और उसने अपने बेटे से पूछा:"
" क्या हुआ बेटा? ऐसे क्यों देख रहे हो अपनी अम्मी को ?

शादाब जैसे किसी दूसरी दुनिया से बाहर आया और बोला:"

" देख रहा हूं कि मेरी अम्मी कितनी खूबसूरत हैं, अल्लाह ने आपको बनाने में कितनी मेहनत की हैं।

शहनाज अपने बेटे के मुंह से अपनी इतनी तारीफ सुनकर शर्मा गई और उसके गाल फिर से गुलाबी होने लगे और बोली:"

" चुप कर शैतान, कुछ भी बोलता हैं, इतनी भी खूबसूरत नहीं हूं मैं।

शादाब अपनी अम्मी के थोड़ा करीब अा गया तो शहनाज के जिस्म में हलचल सी हो गई और उसके हाथ में पकड़ी हुई ट्रे हिलने लगी तो उसने ट्रे को टेबल पर रख दिया और सीधी खड़ी हो गई। अब तक शादाब उसके पास अा चुका था और उसका एक हाथ पकड़कर बोला:

"अम्मी आप सच में बहुत खूबसूरत हैं, मैंने अपनी ज़िंदगी में आज तक आपसे हसीन कोई नहीं देखी।

शादाब ने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा उसके जिस्म ने उसका साथ छोड़ दिया और उसे लगने लगा कि वो शर्म के मारे गिर ना जाए इसलिए उसने जोर से अपने बेटे का हाथ थाम लिया और मुंह नीचे किए हुए बोली:

" क्यों मजाक करता हैं बेटा, अब इतनी भी खूबसूरत नहीं हूं मैं, क्यों अपनी मा की झूठी तारीफ करता हैं।

शादाब ने अपना दूसरा हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मा के चेहरे को उसकी ठोड़ी से पकड़ कर उपर की तरफ उठाया तो शहनाज़ ने एक बार हिम्मत करके अपने बेटे की आंखो में झांका और उसकी नजरे फिर से शर्म से झुक गई और उसके होंठो पर हल्की सी मुस्कान थिरक उठी। शादाब ने आगे बढ़कर अपनी अम्मी का एक गाल चूम लिया तो शहनाज का पूरा जिस्म लरज उठा और उसने हाथ में पकड़े हुए अपने बेटे के हाथ को हल्का सा जोर से दबा दिया। शादाब ने जोश में आकर फिर से एक बार अपनी अम्मी का गाल चूम लिया तो एक कामुक एहसास से शहनाज की आंखे मस्ती से खुल गई।
 

Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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Amazing update
 
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Behtareen shuruat...abb intezar hai maa bete ke bich masti bharey kamuk aur natkhat baatin aur harkaton ka..plz update soon.
 

The Pervert

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Sizzling, thrilling and absolutely stunning update!
 

Baklolbazz

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शादाब अपनी अम्मी के गाल पकड़ कर बोला:"

"अम्मी आप सच में बहुत खूबसूरत हैं, आपकी अम्मी के गाल एक दम मिलते हैं बिल्कुल एक जैसे।

अपने बेटे की बात सुनकर वो पूरी तरह शर्मा गई और हाथ से बेशर्मी कर बोली:

"आपकी कोई अम्मी से ऐसी बात करती है!

ऐसा अकेला वो कमरा से बाहर निकल गया। अपने कमरे के अपार्टमेंट में अपनी सांसें लेने लगी। पता नहीं मुझे क्या हो जाता है। जब भी मैं अपने बेटों के पास जाता हूं। उफ अपने लाइक ही वो मुझे कॉल करते हैं तो घर का रोम रोम बनाने के लिए ही बन जाएं। और वो भी तो मेरी पत्नी कर थी मानो मैं अपनी मां नहीं।" वो अपने गाल को हिलाने लगी मानो मुंह से हल्की गर्म सांसें एक साथ हो उसके हाथ पर रही थी उसकी उंगली जो कि उसके बेटे की जीभ से निकली सी उंगली बहुत ही फिर से उचाकर देखने वालों में अपने मुंहों पर लग गई। उसका अलैहिस्सान एक बार से अकड़ गया और अपने तांगो को एक और फिर से रांगाना शुरू कर दिया। उसके बेटे की आवाज उसे पसंद आई।

"अम्मी आपको दादाजी बुला रहे हैं, उनके जैकेट दे दो।"

जैसे और बड़ी मुश्किल से खोदे गए सामान पर चढ़े हुए सामान की जैकेट नीचे की तरफ चल पड़े। शुक्र ने कहा कि उनके बेटे ने उन्हें अपने कमरे से ही आवाज दी और अंदर नहीं आए। अगर उनके बेटे ने उन्हें ये सब देखा तो क्या सोचा! वह
रात को उनके बेटे ने उस प्लास्टिक की फिल्म देखी। कर रहे थे और दुनिया की हर मां की तरह वो भी अपने बेटों की खूबसूरती में फूली नहीं समाई।

शादाब:'' अच्छे दादा जी मैं सब काम देखता हूँ। कोई कमी तो नहीं है.

वह बाहर निकल गया और काम में लगे लोगों से मिला और हलवाई से बात की, सजावट का काम देखा और कारीगरी बनाने लगा। दिन के 10 बज गए और दलितों का आना शुरू हो गया। पहली बार उसकी दुकान में रेशमा आई को मुंह पर नकाब लगा था तो वह शादाब को नहीं बल्कि उसके स्वभाव को देख कर लाल बालों वाले चार्ज से घर में चोरी हो गई थी। वो अपनी माँ को बाप से मिली और वहाँ प्लास्टर से मिली और गले में लगा लिया।

शमा: "भाभी आप कैसी हो? शादाब बहुत पुरानी है, उसे देखा नहीं!!"

बिल्डर:'' मैं ठीक हूं बाज़ी, सदाबहार हैं, बाहर काम में लगा होगा, मैं आपके लिए पानी लाता हूं।

'पिछला पानी लेकर आया और रेशमा की तरफ का शीशा लग गया तो रेशमा पानी पीकर बोली;'

'

इतनी चिल्लाई वो बाहर की तरफ आई और एक छोटे से बच्चे को बुलाया कर कहा:..

"बाहर से शादाब को बुला लाओ, बोली उसकी जगह शमा आई है।"

लड़का बाहर है तो शादाब खुशी के मारे दौड़ता हुआ घर के अंदर घुस गया और अपनी बेटी के पास आ गया जो अब नकाब निकल गया था।

शमा: "बेटे ने मुझे बहुत याद किया था,

त्यों

बहुत फिक्र हुई थी, बेटा तो बड़ा मशहूर हुआ था।

"अच्छा नहीं लगा और उसे जलन महसूस हो रही थी। उसका खूबसूरत चेहरा लाल हो गया और ऊपर की तरफ चला गया।

शमा ने आगे बढ़कर शादाब का गला पकड़ लिया और बोली:"

"बेटा मुझे बहुत खुशी हुई तुझसे मिलकर, कुछ दिन के लिए मेरे साथ शहर में!!
 
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