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शादाब को अपनी अम्मी की फिक्र हुई और वो खड़ा होकर ठीक उसके सामने पहुंच गया और अपनी अम्मी का हाथ पकड़ लिया तो शहनाज़ का रोम रोम कांप उठा। उसके शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई और उसके रोंगटे खड़े हो गए। शादाब ने देखा कि उसकी अम्मी का हाथ तो ठंडा नहीं है फिर तो अम्मी को कांपना नहीं चाहिए।

शादाब ने कहा:" अम्मी आपका हाथ तो एक दम ठीक है, फिर आपको ठंड क्यों लग रही है ?
देखो ना बिल्कुल भी ठंडा नहीं है !!
ऐसा ऐसा कहकर वो अपनी मा के हाथ पर अपनी उंगलियां फिराकर देखने लगा। उफ्फ शहनाज़ को काटो तो खून नहीं, बेशक उसने ऐसे ही अपने सपनों के राजकुमार की कल्पना की थी और शादाब की उंगलियां उसके जिस्म को रोमांचित कर रही थी।
शादाब:" अम्मी मेरी तरफ देखो ना एक बार ? क्या हुआ आप ठीक तो हैं ?
शहनाज ने बड़ी मुश्किल से अपना चेहरा उपर की तरफ उठाया और जैसे ही उसकी नजर अपने बेटे के खुबसुरत चेहरे से होती हुई उसकी आंखो से टकराई तो हया के मारे उसकी पलके अपने आप नीचे गिर गई।
शादाब अपनी अम्मी का चेहरा पहली बार इतने पास से देख रहा था। एक दम खुबसुरत, बिल्कुल किसी परी की तरह, शर्म के मारे उसकी आंखे हल्की सी लाल हो गई थी और उसके सुर्ख लाल होंठ कांप रहे थे और अपने आप ही हल्का हल्का सा खुल रहे थे।
शादाब ऐसे ही अपनी अम्मी को देखता रहा।शहनाज़ ने बीच में हल्की सी अपनी पलके उठाई और देखा कि उसका बेटा फिर से उसके चेहरे को बड़े प्यार से देख रहा था तो उस बड़ी शर्म महसूस हुई और उसके गाल एक दम गुलाबी हो उठे और वो सीधी खड़ी हो गई जिससे उसके और शादाब के बीच की दूरी और कम हो गई और उसे शादाब की गर्म सांसे अपने चेहरे पर महसूस हुई तो शहनाज़ का दिल जोर जोर से धड़कने लगा और पूरा शरीर एक एहसास से और ज्यादा कांपने लगा।
शादाब ने अपनी अम्मी के खूबसूरत चेहरे को अपने इतने पास पाकर खुद पर से काबू खो दिया और एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी अम्मी के गाल पर रख दिया तो शहनाज़ की आंखे इस मस्ताने एहसास से अपने आप बंद हो गई। उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई और होंठ अपने आप उपर की तरफ आते हुए हल्के से खुल गए।

शादाब उसके गाल पर अपने हाथ फिराते हुए बोला:" अम्मी आपके गाल तो एक दम गर्म हैं लेकिन हाथ कांप रहे थे।
शहनाज़ की तो जैसे आवाज ही गुम हो गई थी। उसके जिस्म ने उसका साथ पूरी तरह से छोड़ दिया था। शादाब ने अपनी अम्मी के गालों को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा:"
" अम्मी आपके गाल सचमुच बहुत खूबसूरत हैं, आप दुनिया की सबसे खुबसुरत मा हो।
नारी सुलभ स्वभाव के कारण अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर शहनाज़ अंदर ही अंदर खुश हुई और शादाब के हाथो की छुवन उससे बर्दाश्त नहीं हुई और उसके पैर कांपने लगे तो अपने अपने सिर को शादाब के कंधे पर टिका दिया, अपने बेटे के कंधे पर सिर टिकाते ही उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा।
शादाब के हाथ अपने आप अपनी अम्मी के गाल पर से हट गए और उसकी कमर पर जा लगे और उसकी कमर को सहलाना शुरू कर दिया। शहनाज़ भी एक पल के लिए अपने होश खो बैठी और कसकर अपने बेटे से चिपक गई।

शादाब को इससे बहुत हौसला मिला और उसने अपनी अम्मी के कान में कहा:"
" अम्मी में बहुत तड़पा हूं आपकी मोहब्बत के लिए, अब कभी मुझे अपने आप से जुदा मत करना।
अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ को उस पर बहुत प्यार आया और वो उसकी कमर को थपथपाते बोली:"
" मैं भी तेरे लिए बहुत तड़पी हूं मेरे लाल, बस अब सब ठीक हो जाएगा। अच्छा छोड़ मुझे अब, रात बहुत हो गई हैं, सोना चाहिए अब।
शादाब अपनी अम्मी को छोड़ना नहीं चाहता था लेकिन पकड़े रखने का कोई बहाना भी नहीं था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपने हाथ हटा लिए और दोनो अलग अलग हो गए।
शहनाज़:" बेटा तुम कमरे में चलो, तब तक मै काम निपटा कर आती हूं।
शादाब:" नहीं अम्मी, मैं भी आपकी मदद करूंगा काम खत्म करने में, आप अकेली नहीं करेगी।
शहनाज़ अपने बेटे की बात सुनकर खुश हुई और मुस्कराते हुए बोली:"
" बेटा आज तुम थके हुए हो इसलिए आराम करो, वैसे ही एक डॉक्टर का बर्तन साफ करना अच्छा नहीं लगेगा।
शादाब:" अम्मी मैं अभी डाक्टर बना नहीं हूं, और एक बेटे का सबसे बड़ा फर्ज़ होता हैं अपने अम्मी का ध्यान रखना और मदद करना, आज मै आपकी बात मान जाता हूं लेकिन कल से सारा काम हम दोनों साथ में करेंगे।
अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ बर्तन उठा कर किचेन में धोने के लिए के गई और शादाब कमरे में चला गया। शादाब पूरे दिन का थका हुआ था लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी, उसे रह रह कर अपनी अम्मी का खुबसुरत चेहरा याद आ रहा था।
अम्मी कैसे कांप रही थी आज खाने के टेबल पर, सच में उसकी अम्मी जितनी खूबसूरत हैं उससे कहीं ज्यादा नाजुक हैं बिल्कुल एक दम छुईमुई की तरफ।
अम्मी अभी भी एक दम फिट हैं पूरी तरह से, इतना पैसा और जमीन जायदाद होने के बाद भी वो घर का सारा काम खुद ही करती है शायद इसलिए।

शादाब ने कहा:" अम्मी आपका हाथ तो एक दम ठीक है, फिर आपको ठंड क्यों लग रही है ?
देखो ना बिल्कुल भी ठंडा नहीं है !!
ऐसा ऐसा कहकर वो अपनी मा के हाथ पर अपनी उंगलियां फिराकर देखने लगा। उफ्फ शहनाज़ को काटो तो खून नहीं, बेशक उसने ऐसे ही अपने सपनों के राजकुमार की कल्पना की थी और शादाब की उंगलियां उसके जिस्म को रोमांचित कर रही थी।
शादाब:" अम्मी मेरी तरफ देखो ना एक बार ? क्या हुआ आप ठीक तो हैं ?
शहनाज ने बड़ी मुश्किल से अपना चेहरा उपर की तरफ उठाया और जैसे ही उसकी नजर अपने बेटे के खुबसुरत चेहरे से होती हुई उसकी आंखो से टकराई तो हया के मारे उसकी पलके अपने आप नीचे गिर गई।
शादाब अपनी अम्मी का चेहरा पहली बार इतने पास से देख रहा था। एक दम खुबसुरत, बिल्कुल किसी परी की तरह, शर्म के मारे उसकी आंखे हल्की सी लाल हो गई थी और उसके सुर्ख लाल होंठ कांप रहे थे और अपने आप ही हल्का हल्का सा खुल रहे थे।
शादाब ऐसे ही अपनी अम्मी को देखता रहा।शहनाज़ ने बीच में हल्की सी अपनी पलके उठाई और देखा कि उसका बेटा फिर से उसके चेहरे को बड़े प्यार से देख रहा था तो उस बड़ी शर्म महसूस हुई और उसके गाल एक दम गुलाबी हो उठे और वो सीधी खड़ी हो गई जिससे उसके और शादाब के बीच की दूरी और कम हो गई और उसे शादाब की गर्म सांसे अपने चेहरे पर महसूस हुई तो शहनाज़ का दिल जोर जोर से धड़कने लगा और पूरा शरीर एक एहसास से और ज्यादा कांपने लगा।
शादाब ने अपनी अम्मी के खूबसूरत चेहरे को अपने इतने पास पाकर खुद पर से काबू खो दिया और एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी अम्मी के गाल पर रख दिया तो शहनाज़ की आंखे इस मस्ताने एहसास से अपने आप बंद हो गई। उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई और होंठ अपने आप उपर की तरफ आते हुए हल्के से खुल गए।

शादाब उसके गाल पर अपने हाथ फिराते हुए बोला:" अम्मी आपके गाल तो एक दम गर्म हैं लेकिन हाथ कांप रहे थे।
शहनाज़ की तो जैसे आवाज ही गुम हो गई थी। उसके जिस्म ने उसका साथ पूरी तरह से छोड़ दिया था। शादाब ने अपनी अम्मी के गालों को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा:"
" अम्मी आपके गाल सचमुच बहुत खूबसूरत हैं, आप दुनिया की सबसे खुबसुरत मा हो।
नारी सुलभ स्वभाव के कारण अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर शहनाज़ अंदर ही अंदर खुश हुई और शादाब के हाथो की छुवन उससे बर्दाश्त नहीं हुई और उसके पैर कांपने लगे तो अपने अपने सिर को शादाब के कंधे पर टिका दिया, अपने बेटे के कंधे पर सिर टिकाते ही उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा।
शादाब के हाथ अपने आप अपनी अम्मी के गाल पर से हट गए और उसकी कमर पर जा लगे और उसकी कमर को सहलाना शुरू कर दिया। शहनाज़ भी एक पल के लिए अपने होश खो बैठी और कसकर अपने बेटे से चिपक गई।

शादाब को इससे बहुत हौसला मिला और उसने अपनी अम्मी के कान में कहा:"
" अम्मी में बहुत तड़पा हूं आपकी मोहब्बत के लिए, अब कभी मुझे अपने आप से जुदा मत करना।
अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ को उस पर बहुत प्यार आया और वो उसकी कमर को थपथपाते बोली:"
" मैं भी तेरे लिए बहुत तड़पी हूं मेरे लाल, बस अब सब ठीक हो जाएगा। अच्छा छोड़ मुझे अब, रात बहुत हो गई हैं, सोना चाहिए अब।
शादाब अपनी अम्मी को छोड़ना नहीं चाहता था लेकिन पकड़े रखने का कोई बहाना भी नहीं था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपने हाथ हटा लिए और दोनो अलग अलग हो गए।
शहनाज़:" बेटा तुम कमरे में चलो, तब तक मै काम निपटा कर आती हूं।
शादाब:" नहीं अम्मी, मैं भी आपकी मदद करूंगा काम खत्म करने में, आप अकेली नहीं करेगी।
शहनाज़ अपने बेटे की बात सुनकर खुश हुई और मुस्कराते हुए बोली:"
" बेटा आज तुम थके हुए हो इसलिए आराम करो, वैसे ही एक डॉक्टर का बर्तन साफ करना अच्छा नहीं लगेगा।
शादाब:" अम्मी मैं अभी डाक्टर बना नहीं हूं, और एक बेटे का सबसे बड़ा फर्ज़ होता हैं अपने अम्मी का ध्यान रखना और मदद करना, आज मै आपकी बात मान जाता हूं लेकिन कल से सारा काम हम दोनों साथ में करेंगे।
अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ बर्तन उठा कर किचेन में धोने के लिए के गई और शादाब कमरे में चला गया। शादाब पूरे दिन का थका हुआ था लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी, उसे रह रह कर अपनी अम्मी का खुबसुरत चेहरा याद आ रहा था।
अम्मी कैसे कांप रही थी आज खाने के टेबल पर, सच में उसकी अम्मी जितनी खूबसूरत हैं उससे कहीं ज्यादा नाजुक हैं बिल्कुल एक दम छुईमुई की तरफ।
अम्मी अभी भी एक दम फिट हैं पूरी तरह से, इतना पैसा और जमीन जायदाद होने के बाद भी वो घर का सारा काम खुद ही करती है शायद इसलिए।
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