मां का "दूध छुड़वाने से चुस्वाने" तक का सफर : पार्ट 7
मोसी : देख गोलू बेटा, दीदी अब कोई बच्ची तो हैं नहीं जो किसी खिलौने से या खाने से खुश हो जाए पर हां उन्हे मूवीज देखना पसंद था थिएटर में तेरे पैदा होने से पहले। हम मिलके मूवीज देखने जाया करते थे पर फिर शादी के बाद तो कभी सोचा भी नहीं इस बारे। तुझे तो पता ही है अपने मौसा और पापा के बारे में , वो तो कभी नहीं दिखाने ले गए हमे। बस शादी करली, बच्चा कर लिया और लो जी हो गया।
मैं: ठीक है मोसी, और बताओ ना मां शादी से पहले क्या क्या किया करती थी अपनी पसंद का?
मोसी : ओर और, रुक सोचने दे मुझे।
मोसी यूंही 1-2 मिनट सोचती रही और बोली : हां, वो उन्हे ड्रेसेज डालने का घूमने फिरने का शौंक था, पर शादी के बाद तो वही सलवार कमीज और सूट में फसकर ही रह गई हम दोनों।
मैं: हां, वो तो है।
मोसी : और दीदी पहले तो एक दम पतली हुआ करती थी, तेरे पैदा होने के बाद तो मोटी हो गई हैं और मैं भी मोटी हो गई हूं।
मैं मोसी को पूछ तो मां के बारे में रहा था पर मोसी बता अपने बारे में भी रही थी। पर मैनें ज्यादा उन पर ध्यान ना देते हुए, मां पर ही अपना पूरा फोकस रखा और उनसे और बातें पूछता गया।
मोसी : और तो अभी याद नहीं, जब याद आएगा तब बता दूंगी।
मैं: ठीक है मोसी, थैंक्यू।
मोसी : वैलकम गोलू, और हां, मां को खुश करते करते मोसी को मत भूल जाना।
मैं हसने लगा और बोला : हां मोसी आपको कैसे भूल जाऊंगा। आप तो मेरी मदद कर रही हो इतनी।
मोसी : हां , ठीक है चल रखती हूं, तु ये ट्राई करना और फिर बताना मुझे क्या रहा।
मैं: ओके मोसी जरूर, बाए।
मोसी ने फोन रख दिया और मैं अब मां के बारे में सोचने लगा के मां को ड्रेसेज डालना और मूवीज देखना पसंद है ओर आज तक मुझे ये पता ही नहीं चला। शायद हमे पापा कभी मूवीज दिखाने नहीं ले गए, इसी लिए।
मैं छत से नीचे आया और मां के पास जाकर उनसे कहा : मां, आप रेडी हो जाओ, कहीं जाना है।
मां : कहां जाना है?
मैं: एक सरप्राइज है आपके लिए
मां : सर्प्राइज वो भी मेरे लिए, किस खुशी में?...आज तो मेरा बर्थडे भी नहीं है।
मैं: बस यूंही।
मां : पहले बता फिर रेडी होऊंगी।
मैं: सरप्राइज़ भला कोन बताता है।
मां : हां, पर ये तो बता कहां जाना है, तभी उस हिसाब से कपड़े डालकर आऊंगी ना।
मैं: आप ऐसा समझ लो के पापा ने बुलाया है आपको, किसी फंक्शन पर जाना है उनके साथ।
मां : ओ अच्छा, तो सीधा बोल देता ना पापा का फोन आया था।
मैं: नहीं नहीं, आप ये सब छोड़ो अभी और फटाफट त्यार हो जाओ।
मां : हां ठीक है।
मां ये कहते ही अंदर कमरे में घुस गई और शायद बाथरूम मे जाकर नहाने लगी। मैं भी अपने कमरे में गया और तैयार होने लगा। तैयार होकर बाहर मां के रूम के पास गया और मां को आवाज लगाई : मां, हो गए आप रेडी?
मां रूम के अंदर बने बाथरूम में से बोलो: हां, बेटा, बस आई नहाकर 2 मिनट में।
मैं मां की आवाज सुनकर उनके रूम में घुसा तो देखा सामने बैड पर एक लाल रंग का सलवार सूट और उसके साथ मां के वो फोम वाले पैडिड ब्रा और पैंटी पड़े थे। उफ्फ क्या लग रहे थे वो, उन्हे यूंही बैड पर पड़ा देखकर मेरा मन महक गया तो सोचो अगर मां को उन्हे पहने हुए देख लेता तो लोड़ा पागल ही हो जाता। मैनें बाथरूम का दरवाजा अभी भी बंद देखकर वो ब्रा को उठाया और अपने नाक पर लगाकर उसे सूंघा। आहा क्या खुशबू थी मां के बूब्स की। मन तो किया के लोड़ा बाहर निकाल कर वहीं शुरू हो जाऊं, पर सवाल यहां मिलने वाली मस्त माल जैसी मां का था, तो जल्दबाजी करना अच्छा फैसला ना था। मैनें उसे सूंघकर वहीं बैड पर रखा के बाथरूम के दरवाजा बिल्कुल हल्का सा खुला और मां उसमे से अपना चेहरा बाहर की ओर निकालकर मुझे देखकर बोली : हो गया तु रेडी?
मैं: हां मां, आप भी हो जाओ।
मां : हां, तु बाहर जा रूम से , वो बाथरूम गिला था इसलिए मैनें सोचा आज रूम में ही चेंज कर लूंगी।
मैं: तो करलो मां।
मां : चल बाहर जा तु, मैं आती हूं।
मैं ओके कहकर बाहर चला आया और बाहर आते ही कटक की आवाज से मां ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और कपड़े डालने लगी। आज पहली बार ही होगा के मां के शरीर का दीवाना होने के बाद मैनें उनके ब्रा पैंटी को देखा हो और यहां तक के सूंघा भी था।
मैं बाहर जाकर सोफे पर बैठ गया और करीब 10 मिनट बाद मां आई और बोली : मैं तो हो गई तैयार, तु पापा से फोन पर पूछ तो सही वो कब आ रहे हैं तैयार होने?
मैं: वो आप चलो तो सही , आ जाएंगे वो भी।
मां : उनके कपड़े तो निकाल कर रख दूं, कोन से डालकर जाएंगे, पूछना तो पड़ेगा ना।
मैं: अरे आप मेरे साथ चलो, फिर पूरी बात बताता हूं आपको पापा की।
मां : क्या?
मैं: आप पहले चलो तो।
फिर मैं ओर मां घर से बाहर निकले और जैसे ही मां बाइक पर बैठने लगी के सामने से दीदी आ गई और मां को बोली: आंटी आप कहीं जा रहे हो क्या?
मां : हां, वो इसके पापा का कॉल आया था, कोई फंक्शन है तो जा रहे हैं, क्या हुआ?
दीदी : कुछ नहीं बस काम था आपसे एक
मां : बोलो।
दीदी : चलो आप हो आओ, जब वापस आओगे तो मुझे फोन कर देना, मैं फिर आ जाऊंगी।
मां : अरे बोलो ना, कुछ जरूरी है तो।
दीदी : नहीं आप हो आइए, मैं चलती हूं।
मां : चलो ठीक है, मैं आकर मिलती हूं तुमसे।
दीदी चली गई और मैं मां को घर से आसपास वाले थिएटर्स को छोड़ कर दूर बने एक थेटर में ले गया और बाहर बाइक रोकी तो मां बोली : ये क्या, यहां पर है फंक्शन?
मैं: अरे मां, ये सर्पाइज था आपके लिए, आपको मूवी दिखाने लाया हूं में, ओर पापा का कोई फंक्शन नहीं है।
मां हैरान होकर : क्या?
मैं: हां मां, मैं तो बस आपके साथ थोड़ा सा बाहर वक्त बिताना चाहता था तो सोचा क्यूं ना मूवी देख ले। वैसे भी आप घर पर ही रहते हो , बाहर भी नहीं निकलते ज्यादा, तो सोचा बस।
मां : हां वो तो ठीक है पर बेटा तेरे पापा?
मैं: अरे मां आप उनकी फिक्र ना करो , उनके घर आने से पहले हम पिक्चर खत्म करके घर पहुंच जाएंगे।
मां : ठीक है, वैसे थैंक्यू गोलू, मैं सच में बहुत सालों बाद कोई मूवी देखने आई हूं सिनेमा में।
मैं: इसमें थैंक्यू कैसा मां, आओ चलो।
फिर हम दोनों अंदर गए और दोपहर का शो होने के कारण कोई हाउसफुल तो कहीं था ।बस यही कोई कॉलेज के लड़के लड़कियां और कुछ कपल्स आए हुए थे। हम ने टिकट ली और हाल में जा बैठे। कॉर्नर की दो सीट छोड़ कर हमे दो सीट मिली। हमारे दोनो बगल में कॉलेज लवर्स बैठे थे ये हमे फिल्म शुरू होने के कुछ मिनटों बाद पता चल गया।
मां बहुत खुश लग रही थी आज और मुझे फिर से उन्होंने थैंक्यू कहा। करीब 5 मिनट बैठने के बाद हाल की लाइट्स डिम हो गई और पिक्चर शुरू हुई। मैं तो बस मां को खुश करने के बहाने से लाया था के इसी बहाने मां से वो दूध पिलाने की बात कर दूंगा और खुशी खुशी में होने के कारण वो हां भर देंगी शायद। पर यहां किस्मत कुछ ज्यादा ही अच्छी थी जिस कारण पिक्चर रोमेंटिक निकली और ये तो मानों सोने पे सुहागा हो गया।