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Romance मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर

Mosi ka Number lagaya jaaye ya nahi?


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shilvant

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sunoanuj

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Yeh story kya shuru ho gayi ?
 

Underground Life

Your Cute Smile Make Me Melt Like Ice
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मां का दूध छुड़वाने से चुस्वाने तक का सफर : पार्ट 13

मैं किचन की और दौड़ा और पानी की बॉटल उठाकर एक ही सांस में खत्म कर गया और मिर्ची से हाफने लगा के मां किचन के गेट पर खड़ी होकर हस्ती हुई बोली : अब मजा आया बच्चू, मुझे पता था तु, ऐसे कहने से तो मानेगा नही, तो बचपन वाला तरीका ही अपनाना पड़ा।
मुझे पानी पीकर थोड़ी सी राहत पहोची और मैं मां से : मां , आपने गलत किया ये, कोई अपने बेटे को इतनी मिर्ची खिलाता है क्या?...मेरा मुंह जला दिया आपने।
मां: और जो मेरा इस जिद्द से खून जला रहा है तु, उसका क्या।
मैं: रुको अभी बताता हूं आपको।
मां फट से बाहर की ओर भाग कर गैलरी में चली गई और यहां वहा भागने के बाद मां थक कर बोली : बस कर गोलू अब,शांत बैठ जा। सुबह तूने मुझे दौड़ाया और अब मैनें तुझे। हिसाब बराबर।
मैं: ऐसे कैसे मां।
फिर हम दोनो अंदर की ओर गए और सोफे पर बैठकर मां हसने लगी और बोली : कैसी रही गोलू बेटा।
मैं: क्यूं किया आपने ऐसा?
मां : तेरी जिद्द छुड़ाने के लिए।
मैं: ये भी कोई तरीका है मां। आपने तो दीदी को बताने वाला नुस्खा मुझपर ही आजमा दिया।
मां : हां सॉरी सॉरी, वो बस मजाक में हो गया, शायद ज्यादा मिर्ची लगा दी थी मैनें।
मैं: और नहीं तो क्या मां, मेरा मुंह जल गया।
मां ने मुझे पानी दिया और फिर से सॉरी बोलके बोली : वो बस तेरी दीदी को बताने के चक्कर में मेरे मन में आया के तुझपर भी आजमा ही लूं, इतने सालो बाद।
मैं: हां , तो दीदी को आपने क्या अपने पर लगाकर बता दिया क्या?
मां : ओर नहीं तो क्या, करना पड़ा।
मैं हस्ते हुए : क्यूं?
मां: उसे जानना था के मिर्ची कैसे और कितनी लगानी है और मैं जब उसे रूम में ले गई और उस से बोला के कमीज ऊपर करो , मैं बता देती हूं तो...
मैं एक्साइटेड होकर : तो क्या मां?
मां : तो शर्मा गई और मुझसे बोलने लगी के आप अपने पर लगा के बता दो।
मैं: ओर आपने लगा कर मेरे मुंह में दे दिया, वाह मां।
मां : चुप बदमाश, ये तो बस मैनें सोचा के इसी बहाने तेरी भी मुराद पूरी हो जाएगी।
मैं: पर हुई कहां मां?
मां : बस हो गई,अब कभी दुबारा जिद्द की ना तो ऐसे ही मिर्ची लगा कर तेरे मुंह में दे दूंगी।
मां के मुंह से ये सुनकर ऐसा लगा के मानों वो अपनी चूत देने की बाते कर रही हो और मैं भी मजे में बोल गया : दे दो मां, आपकी मुझे।
मां : क्या?
मैं: मेरा मतलब मुंह में दे देना मेरे, अपना वो।(मां के बूब्स की ओर इशारा करते हुए)।
मां : चुप कर, और सुन
मैं: हां बोलो।
मां : वो अपना रुमाल निकाल ले, मैं कपड़े बदल कर आती हूं।
मैं: हां, आओ इधर।
मां भी मस्ती से उठी और मेरी तरफ अपनी गांड़ करके खड़ी हो गई।
मैंने हल्के से उनकी गांड़ पर हाथ रखा और बोला : मां हल्का सा झुको ना।
मां हल्का सा नीचे झुकी और मैनें जैसे ही वो रुमाल बाहर निकालने के लिए खींचा के वो मानो अटक सा गया हो उनके छेद में।
मैं: मां ये शायद अटक गया है।
मां : क्या?, पागल है क्या तु?
मैं: मां सच में, आप खुद निकाल के देख लो।
मां ने अपना हाथ आगे से घुमाते हुए नीचे डाला और रुमाल निकालने लगी के उनकी छेद में जैसे वो फसा बेटा था और बोली : हे भगवान ये क्या है अब?
मैं: मां शायद ये आपकी.....
मां : क्या ...बोल जल्दी से तेरे पापा के आने का भी वक्त हो रहा है।
मैं: शायद ये आपकी छेद में फस गया है।
मां : क्या....
मैं: हां मां, जैसे वो वैक्यूम टाइप बन जाता है ना, तो शायद उसकी वजह से।
मां : तो अब कैसे निकलेगा ये?
मैं: अपने आप ही निकल जाएगा शायद या फिर आपको.........
मां : मुझको क्या.....
मैं: आपको थोड़ा सा जोर लगाना पड़ेगा।
मां : ये क्या क्या हो रहा है, पहले सुबह हाल में कुछ हो गया ...फिर ये सब।
मैं: देखो ट्राई करके मां।
मां ने हल्का सा अपनी गांड़ का जोर लगाया पर शायद कपड़ा उनकी छेद में चिपक सा गया किसी तरह और फिर एकदम मां ने तेजी से आह के साथ जोर लगाया और हल्की से पट की आवाज के साथ उनका कपड़ा बाहर आ गया।
मुझे ये सब देख कर ऐसा लगा जैसे कोई कुटिया जब कुत्ते का लन्ड फसा लेती है और फिर वो लन्ड निकलने का नाम नहीं लेता, ठीक उसी तरह मां ने मेरा रुमाल लन्ड समझ कर अपनी गांड़ में तो नहीं फसा लिया। मैनें जैसे ही रुमाल निकाला के मां का छेद एक दम चिपचिपाहट से भरा हुआ था जिसे देखकर मैंने मां से कहा : मां, ये गिला और चिपचिपा हुआ पड़ा है शायद इसलिए ही फस गया था इसमें रुमाल।
मां : हां वो मैं पेशाब करने गई थी जब तेरी दीदी आई थी तो इस कपड़े पर वो रिस कर आ गया होगा।
मैं: हां शायद।
वो रुमाल अब मेरे हाथ में था और मां ने घूम कर मेरे हाथ से रुमाल पकड़ा और बोली : तुम लड़कों का एक फायदा तो है पैंट डालने का रुमाल रख सकते हो साथ में, तेरा ये रुमाल ने आज दो बार मुझे बचा लिया।
मां रुमाल को अपने हाथ में ऊपर चेहरे की ओर उठाकर उसकी ओर देखते हुए बोली : थैंक्यू मेरे गोलू के रुमाल।
मां फिर मुझसे बोली :, मैं इसे बाहर रख देती हूं बाद में धो दूंगी , गंदा हो गया है।
मैं: ठीक है मां।
मां वो रुमाल लेकर गई और एक साफ रुमाल लाकर मुझे देते बोली : ले ये रख ले।
मैंने जैसे ही मां के हाथ से रुमाल लिया के गेट की बैल बजी और मां : हे भगवान, अब कोन आ गया।
मैं: मां, पापा होंगे शायद।
मां : हां, जा तु गेट खोल।
One of the best story
 
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Update
 

sam ge

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Main Apne 50 message pure karne ke kareeb hun isliye message kar diya
 

sam ge

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मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 54 : 2
कुछ खास शब्द, एक शायरी के अंदाज में गोलू की मां द्वारा पेश है:


नाम है मेरा शीला,
कर देती हूं सबका अंडरवियर मैं गीला।
गोलू मेरा इकलौता बेटा है,
जो बिना थूक लगाए मेरी लेता है।
ना होना तुम कभी भी उदास,
बुला लूंगी मैं तुम्हे अपने पास।
अपने मोटे चूचों को तुम्हारे मुंह में मैं डालूंगी,
उदासी दूर कर तुम्हारा पानी मैं निकालूंगी।
गोलू ने मेरे चूचों का दर्द तो मिटाया,
और इधर मेरी चूत को भी अच्छे से सहलाया।
मैंने भी उसकी खातिरदारी में कोई कसर न छोड़ी,
जब जब उसने कहा, बन गई मैं उसके लिए घोड़ी।
कभी वो किचन, तो कभी सोफे पर मुझे पेलता था,
मैं जब जब कहती थी, तब तब वो सेक्स का खेल खेलता था।
थी मैं भी बड़ी नटखट,
चूस लेती थी लोड़ा उसका फटफट।
उसके पापा का भी मुझे कोई डर ना था,
रंडीखाना वो बन गया, अब हमारा घर ना था।
मेरी चूत से रिसते अमृत रस को वो पिता था,
मस्ती से वो अब अपनी जिंदगी जीता था।
मेरी गांड़ की दरार में वो अपनी जीभ ऐसी घुमाता था,
के पूछो मत बाबा, कितना ही मुझे मजा आता था।
उसके लन्ड को पकड़ मैं किसी आइसक्रीम की तरह चूसती थी,
दूसरी ओर मेरी गांड़ के छेद में उसकी उंगली सांप की तरह घुसती थी।
मैं तो चाहती हूं के ये मुझे रात रात भर सोने ना दे,
मेरी इतनी ले , इतनी ले के कभी सैक्स की भूखी होने ना दे।
मैं तो गोलू को अपनी बहन निशा की भी दिला दूंगी,
उसे अपनी रण्डी बना, खुद गोलू की रण्डी बन खूब मजा लूंगी।
गोलू को चूत के साथ साथ अपनी गांड़ भी दूंगी,
और किसी बिच्च की तरह, इसका लन्ड अन्दर दबा लूंगी।
आखिर में यही कहूंगी के गोलू मुझे यूंही पेले,
और मेरी जब चाहे, जहां चाहें, सलवार खोल लेले।
उफ्फ गोलू तु कितना क्यूट है,
मेरी चूत मांगे तेरा वो बनाना फ्रूट है।
अब से तेरे नाम का सिंदूर मैं भरा करूंगी,
और सिर्फ और सिर्फ तुझे ही चूत दिया करूंगी।
Bhai sach mein yaar Teri shayari khatarnak
 
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