मां के हाथ के छाले
Part : 16
घर आकर हमने हाथ मुंह धोया फिर खाना खाने बैठ गए। खाना खाते खाते हम एक दूसरे से बातें करने लगे और मां बोली : बेटा, तुझे ज्यादा ही मस्ती नहीं सूझ रही थी वहां।
मैं: मां, इतनी होट गर्लफ्रेंड अगर साथ हो तो मस्ती नहीं सूझेगी तो और क्या सूझेगा।
मां: अच्छा जी, हां उस लड़की के सामने भी तूने मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया था।
मैं: मां, बन जाओ ना आप मेरी गर्लफ्रेंड।
मां : नहीं बेटा, तु मुझे लगता नहीं के किसी गर्लफ्रेंड के नखरे उठा पाएगा । हां कैरिंग तो तु है पर..
मैं: मां, आप बनो तो एक बार, आपके सारे नखरे उठा लूंगा।
मां : हां, मां को ही गर्लफ्रेंड बनाने चला है तु बदमाश।
मैं: मां, अब आप हो ही इतनी अच्छी और खूबसूरत के हर कोई आपको गर्लफ्रेंड बनाना चाहे।
मां : ना बाबा ना, मैं नहीं बनती किसी की भी गर्लफ्रेंड और क्यूं बनाना चाहता है तु, ऐसे अच्छी नहीं लगती क्या मैं तुझे।
मैं: मां, कॉलेज के वक्त करियर में ध्यान दिया और फिर सोचा के जब कमाऊंगा फिर गर्लफ्रेंड बनाऊंगा और अब मेरी ये वर्क फ्रॉम होम जॉब की वजह से बाहर जाना इतना है नहीं, इसलिए बना ही नहीं पाया। और आपके साथ पिछले कुछ दिनों से वक्त बिताकर आपको ही गर्लफ्रेंड बनाने का दिल करने लगा है मेरा।
मां: अच्छा जी। चल अब बातें छोड और सो चल कर...कल तेरे पापा भी आ जाएंगे सुबह।
हमने खाना खत्म किया फिर सोने की तयारी करने लगे। मैं अपने रूम में जाकर कपड़े चेंज कर के आया और मां बोली : तूने मेरा एक काम नहीं किया ना।
मैं: क्या मां?
मां : वो मेरी पेंटी सभी गंदी पड़ी है, धोई नहीं ना अब तक तूने?
मैं: सोरी मां, वो भूल गया मैं।
मां : चल अभी धो दे,उसे
फिर हम बाथरूम में गए और मैंने उनके सामने उनकी 5-6 पेंटी रगड़ रगड़ के धोई और धोते हुए बोला : मां, आपने वो जो मोल में डालकर पैंटी देखी थी वो क्यूं नहीं ली?
मां : बेटा वो मुझे छोटी चाहिए थी, दरअसल छोटी स्ट्रैप वाली का एक फायदा होता है, इसलिए वो ली.
मैं: क्या फायदा होता है मां?
मां : वो बेटा, अगर कभी जल्दी हो पेशाब करने की तो उस छोटी वाली को नीचे से पकड़ के गांड़ के साइड में अड़ा कर मूत लेती हूं, उसे उतारना नहीं पड़ता। पर बड़े वाली को उतार कर ही मूता जाता है।
मैं ये सुनकर हसने लगा और बोला : ऐसा कुछ नहीं होता मां। आप पागल बना रहे हो।
मां : नहीं सच में होता है बेटा।
मैं: मैं नहीं मानता मां।
मां : रुक तुझे दिखाती हूं।
मां ऐसा कहते ही बाथरूम में मेरे पास अपनी साड़ी को ऊपर करके बैठ गई और अपनी गांड़ पर हाथ रख के इशारा करते हुए बोली : देख अगर अभी इसपर पेंटी होती ना , तो मैं उसे ऐसे पकड़ती और गांड़ की दरार से साइड में फसा देती फिर मूत लेती।
मैं मां के ऐसा करने को देखकर लोड़ा खड़ा कर बैठा और बोला : अच्छा है मां।
इतने में मां ने एक सीटी की आवाज निकाली और वहीं मूतने लगी और हसते हस्ते बोली: मुझे आया था पेशाब और ऐसे बैठने से प्रेशर ही बन गया।
मैं भी हसने लगा और बोला : मां, ये पेशाब करते वक्त आपकी सीटी क्यूं बजती है?
मां हसने लगी और बोली : अपनी बीवी से पूछ लेना जब उसकी बजेगी।
मैं: नहीं मैं तो अपनी गर्लफ्रेंड से पूछूंगा।
मां : हा हा।
और मां खड़ी हो गई और इधर उनकी पेंटी धूल चुकी थी। फिर मैंने उनकी सारी पैंटी ड्रायर में डाल कर सुखाई और निकाली ही थी के मां बोली : बेटा, अब रात में ये सुखानी पड़ेगी। ऐसा कर इसे मेरे कमरे में ही डाल दे। पंखा चलता रहेगा ना तो सुख जाएगी।
मैनें सारी पैंटी उठाई और मां के पीछे पीछे उनके कमरे में गया। पैंटी को दीवान बैड की टेक पर एक एक करके रख दिया। फिर बैड पर बैठकर मां से पूछा : मां , अब ट्यूब लगानी है या ठीक है?
मां : नहीं बेटा अब ठीक है
फिर मां ने मेरे सामने ही खुद ब खुद अपनी साडी धीरे धीरे खोली और नाइटी डाल कर बैड पर लेट गई और मैनें मां से पूछा : मां, कल शादी किसकी है वैसे?
मां : तेरे पापा के किसी दोस्त की बेटी की है।
मैं: ठीक है मां, वैसे वो साड़ी आप पर बहुत अच्छी लगेगी।
मां : अच्छा जी। अब तेरी मां है ही इतनी सुंदर ..
वो .ऐसा कहकर हसने लगी।
मैं: मां नहीं गर्लफ्रेंड...
मां : चुप बदमाश, अच्छा सुन पापा को कुछ मत बताना
मैं: किस बारे में?
मां : अरे बुद्धू, यही के वो छालों की वजह से तू मेरे साथ बाथरूम में भी गया, मेरे कपड़े भी बदले और मुझे नहलाया भी।
मैं: मैं तो कहूंगा मां।
मां : अरे तू पागल है क्या?...खुद भी मरेगा, और मुझे भी मरवाएगा।
मैं हस्ते हुए : अगर आप चाहते हो के मैं उन्हें कुछ ना बताऊं तो आपको मेरा एक काम करना पड़ेगा।
मां : क्या?
मैं: मेरी गर्लफ्रेंड बन ना पड़ेगा।
मां हसने लगी और बोली : तु नहीं मानेगा ना ऐसे।
मैं: मैं तो मान गया अब आप भी मान जाओ ना और बन जाओ मेरी गर्लफ्रेंड प्लीज।
मां : नहीं ना।
मैं: अच्छा मां, सिर्फ 2 दिन के लिए?
मां सोचने लगी और बोली : चल ठीक है, बस दो दिन, फिर उसके बाद नहीं।
मैं खुश हो गया बोला : ठीक है, लव यू मां।
मां : अब गर्लफ्रेंड को मां बोल रहा है बुद्धू।
मैं: सोरी सोरी बेबी।
मां : आए हाए बेबी।
मैं हसने लगा और बोला : अच्छा आप बताओ क्या बुलाऊं आपको?
मां : तेरा जो दिल करे बुला ले बेटा। मैं तो तुझे बुद्धू ही बुलाऊंगी।
मैं: ओके बेबी
मां हसने लगी : हा हा , बेबी बेबी, वाह , बुद्धू।
फिर मां बोली : चल सो जा अब।
मैं: मां, मुझे अपनी गर्लफ्रेंड को हग करके सोना है।
मां : नहीं बेटा।
मैं : जानु प्लीज।
मां हस्ते हुए : ठीक है बुद्धू, लाइट तो बंद कर पहले।
फिर मैंने मस्ती में लाइट बंद की और बैड पर जाकर लेट गया के मां सरक कर मेरे हल्का सा नजदीक आई और बोली : अब करले हग बेटा।
मां मेरे तरफ अपनी कमर करके सरकी और मैं भी अंधेरे में जैसे ही आगे सरका के मां के एकदम साथ लग गया और मां की उस नाइटी में कैद गांड़ का एहसास करके लोड़ा खड़ा करने लगा। मां को भी शायद लोड़ा महसूस हुआ होगा। फिर मां चुपचाप पड़ी रही। और मैं तकरीबन 10 मिनट तक यूंही लेटा रहा और सोचता रहा के कैसे मां को चोदने का पूछूं। जब मुझे कुछ ना सुझा तो मैं यूंही पड़ा रहा और सोने की कोशिश करने लगा। पर नींद थी के आ ही नहीं रही थी तो करीब 30 मिनट बाद जब वो हल्के हल्के खराटे लेने लगी तो मैंने सोचा : अब ट्राई करते हैं देखी जाएगी जो होगा।
फिर मैं हल्के से थोड़ा पीछे हुआ और अपना लोड़ा जो पहले ही टाइट हो रखा था लोवर और अंडरवियर नीचे करके बाहर निकाला और फिर धीरे से उनकी एक टांग थोड़ी सी ऊपर उठाई और वो नाइटी के ऊपर से ही अपना लोड़ा उनकी दोनो टांगो के बीच रख दिया और उस वक्त इतना नशा सवार था के मैं खुद को ऐसा करने से रोक ना पाया। फिर पहले की तरह हग की पोजीशन में लेट कर लोड़ा उनकी दोनों टांगो के बीच डालकर आगे पीछे होने लगा।फिर बैड पर पड़ी पैंटी उठाकर अपने मुंह में डाल ली। एक तो उनकी गर्म गद्देदार टांगों के बीच की वो गांड़ में फसा लन्ड और ऊपर से उनकी वो खुशबूदार पैंटी का एहसास पाकर मैं तो जन्नत में पहुंच गया। 10 मिनट की दौड़ के बाद मैं एकदम इतना झड़ा के खुदको कुछ सेकंड्स के लिए भी रोक ना पाया और सारा माल उनकी टांगो के बीच घुसी नाइटी पर ही छोड़ दिया। फिर जैसे ही होश आया मन ही मन बोला : शुक्र है भगवान का जो मां उठी नहीं और ये नाइटी अब कैसे साफ करूं। फिर सोचते सोचते कब आंख लगी पता ही नहीं चला।
सुबह जैसे ही आंख खुली तो मां बगल में थी ही नहीं। फिर रात का याद आया और मैं सोचने लगा के कहीं मां को उस नाइटी का कुछ पता तो नहीं चल गया। फिर बाहर निकल कर गया तो मां किचन में थी।
मैंने कहा : गुड मॉर्निंग मां, आप आज जल्दी उठ गए।
मां : नहीं बेटा, मैं जल्दी नहीं तु लेट उठा है।
मैनें टाइम देखा और बोला : ओ, हां।
मां : रात में लेट सोया था क्या?
मैं: नहीं तो मां
मां : अच्छा, मुझे लगा शायद..
मैं: नहीं तो
मां : अच्छा सुन, सुबह मेरी नाइटी...
मैं हैरान होकर : वो ये मां वो मैं वो
मां : क्या वो ये वो कर रहा है, नींद में है क्या अभी भी, मै कह रही थी के मेरी नाइटी मैनें बाथरूम में रखी है ,उसे जरा उठाकर वाशिंग मशीन में रख देना।
ऐसा कहते ही मां मुस्कुराई और फिर बोली : आजकल इन जवान लड़कों को शादी शुदा गर्लफ्रेंड भी बनानी है और फिर ईनको डर भी लगता है जैसे शादी शुदा खा जाएगी उन्हें कुछ प्यार भरे काम करने से।
मां के ये कहने पर मैं समझ गया के मां सैट है और लोड़ा लेने के लिए त्यार है। बस अब एक मोका और ये चूत इस लोड़े की सैर करेगी। फिर मैं भी मुस्कुराया और बोला : मां, ये जवान लड़के डरते नहीं हैं बस एक सिग्नल का इंतजार करते हैं और सिग्नल मिलते ही अपनी मशीन लेकर खुदाई शुरू कर देते हैं।
मां : अच्छा जी, देखते है इन जवान लड़कों की भी खुदाई ...ये कितनी जमीन को खोद पाते हैं।
मैं: हां मां, वक्त आने पर देख लेना। खुदाई भी होगी और जमीन से पानी भी निकलेगा।
हमारी इन डबल मीनिंग बातों से हम दोनों हसने लगे और गर्म होने लगे। फिर मां किचन में काम लग गई और मैं वहां से निकला और अपने रूम में जाकर नहा धोकर फ्रैश हुआ और बाहर आया तो पापा आ गए थे। उन्हें नमसते किया। मेरे पापा एक लोको पायलेट थे तो कभी कभार 3-4 दिनों के लिए भी बाहर चले जाया करते थे।
फिर मां ने खुद ही आज नाश्ता बनाया और पापा और मैनें मिलकर नाश्ता किया और थोड़ी बात उस दौरान बातें हुईं और मैं मस्ती में बोला : पापा, आपको एक बात बतानी थी मां के बारे में।
मां ये सुनते ही किचन से मेरी तरफ देखने लगी
पापा : हां बताओ।
मैं: वो पापा जिस दिन आप गए उस दिन ना मां के हाथ पर गर्म तेल गिर गया था और उनके हाथों में छाले पड़ गए थे।
पापा मां को देखते ही किचन में घुसे और हाथ देखते हुए बोले : तुमने फोन पर बताया ही नहीं मुझे।
मां : अरे वो बस आप यूंही परेशान हो जाते तो..
पापा : अरे बताना तो चाइए था ना, दिखाओ तो..अब तो ठीक लग रहे हैं हाथ, ध्यान रखा करो अपना
मैं: हां पापा, फिर 3-4 दिन से मैं ही ध्यान रख रहा हूं इनका। ये खुद तो ध्यान रखती नहीं हैं अपना।
मां मुझे देखने लगी और घबराने लगी के कहीं मैं वो वाली बातें कुछ बोल ना दूं।
मैं फिर बोला : पापा हमने एक आंटी रखी थी 3-4 दिन के लिए, खाना भी उन्ही ने बनाया। मां के कपड़े चेंज करने में और बाथरूम जाने वेगेरा में दिक्कत ना हो इसलिए मैंने उन्हें बुलाया था। मम्मी की सहेली की जान पहचान की आंटी थीं वो।
मां ये सुनकर थोड़ा ठीक हुई और मुझे पापा के पीछे से हस्ते हुए थप्पड़ दिखा कर इशारा करने लगी।
पापा : चलो अच्छा किया बेटा ये तो तुमने।
मां भी बोली : हां जी, सोनू ना होता तो मैं आपको फोन तक ना कर पाती इन छालों की वजह से और थैंक्यू उन दीदी का भी जो हमारी 3-4 दिन मदद करने के लिए मान गई
फिर पापा नाश्ता कर के अपने रूम में गए और मां मेरे पास आकर मुझे एक हल्का सा प्यार भरा थप्पड़ मार कर बोली : पागल, मैं कितना डर गई थी पता है तुझे।
मैं: मेरी बेबी, मेरी होते हुए डर गई थी।
मां : चुप कर बुद्धू। चल काम कर जा कर अपना।
फिर मैं उठा और अपना ऑफिस का काम करने लगा और आज पापा पूरा दिन घर पर ही थे। फिर शाम हो गई और मैं काम खतम कर रूम से आया तो पापा बोले : होगया काम खत्म बेटा?
मैं: जी पापा
पापा : अच्छा वो कार का ऐसी ठीक करवाया तूने के नहीं।
मैं: हां पापा करवा दिया है।
पापा : चलो ठीक है बेटा। 8 बजे निकलते हैं फिर .. त्यार हो जाना और अपनी मम्मी को जाकर कह दे के 8 बजे तक रेडी हो जाए। ये औरतें ही वक्त लगाती हैं तैयार होने में।
फिर मैं और पापा हसने लगे और पापा : मैं गाड़ी लेकर जा रहा हूं, थोड़ा सामान पड़ा है स्टेशन पे, वो भी लेकर जाना है साथ में।
मैं: ठीक है पापा।
फिर पापा चले गए और मैं मम्मी के कमरे में गया और मुझे देख कर मां बोली : आ गया बुद्धू, शैतान हो गया है तु।
मैं: सुनो बेबी, आपके हसबैंड कह कर गएं है के 8 बजे तक रेडी हो जाना, निकलना है शादी के लिए।
मां हसने लगी : वाह बेबी, आपके हसबैंड, ज्यादा ही मस्ती नहीं सूझ रही तुझे।
मैं: हा हा।
फिर मैं घर से निकलकर सलून चला गया। सोचा अब मां की चूत मिलने का मोका नजदीक ही है तो किस्स करने में कहीं उन्हें मेरी दाढ़ी ना चुभे इसलिए मैं क्लीन शेव करवाकर आता हुं। और शादी में भी जाना था तो हेयर कट भी करवा लूं इसी बहाने।
तकरीबन सवा 7 बजे मैं घर आया। अपने रूम में जाकर नहाकर कपड़े डाले। फिर त्यार होकर अपने कमरे से निकला और मां के कमरे में उन्हें देखने गया तो मां भी त्यार ही थी। उस गोल्डन ब्लाउज और रैड साडी में मां मस्त लग रही थी। उन्हें देखते ही मैं बोला : मां, ये साडी में मस्त लग रही हो आप।
मां बोली : बुद्धू, तेरे पापा नहीं आए अभी।
मैं मां की इस बात को पहले तो समझा नहीं और बोला : क्या?
मां : अरे बुद्धू...मेरे हसबैंड नहीं आए अभी।
मैं बोला : ओ अच्छा बेबी, वैसे ये साडी मेरी बेबी पर बहुत जच रही है इसमें एकदम मस्त लग रही है मेरी बेबी।
मां : मस्त तो लगेगी ही, आखिर शॉपिंग पर लेकर कोन गया था मुझे।
मैं: आहा, क्या मेरी बेबी ने आज सब कपड़े नए डाले हैं?
हम दोनो मां बेटे इस वक्त मस्ती में खो ही रहे थे बिना पापा की फिक्र किए। और अब चूदाई का समा बेहद करीब था। हम दोनो बातों में तो पूरे खुल ही चुके थे।
मां : हां सब कुछ नया डाला है।
मैं: बेबी मुझे कैसे पता चलेगा, मुझे तो दिख ही नही रहे सब कपड़े।
मां : इसमें कोन सी बड़ी बात है, अभी दिखा देती हूं अपने बुद्धू को मैं।
इतना कहते ही मां ने अपनी साडी दोनो साइड से ऊपर उठाई और अपनी न्यू ब्लैक पैंटी से ढकी चूत दिखाई। मैं देखते ही बोला : बेबी आगे से नहीं, पीछे से दिखाओ ना..मुझे मेरी बेबी की गांड़ ज्यादा पसंद है।
मां गांड़ सुनते ही बोली : आए हाए, मेरी बुद्धू को अगर गांड़ पसंद है तो वो ही दिखा देती हूं।
फिर घूमी और अपनी गांड़ दिखाते हुए बोली : देख ले बुद्धू।