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Incest मां के हाथ के छाले

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मां के हाथ के छाले
Part : 13
मैं मां के पीछे पीछे बाथरूम तक गया और मां बैठ गई सीट पर। लेकिन इस बार कोई आवाज मां आई उनके पेशाब करने की। फिर मां बोली : बेटा, ये नल चला तो जरा।
मैं समझ गया के पेशाब तो के बहाना है, शायद मां अपना रस यहां साफ करने आई है।
मैनें नल चलाया, लेकिन पानी उस गड्ढे चिपचिपे रस को शायद हटा ना पाया पूरी तरह से के मां बोली : बेटा ये, सही तरह चला ना।
मैं: हां, मां सही ही चला रहा हूं.
मां : साफ नहीं हो रहा बेटा ये अच्छे से
मैं: क्या मां?
मां : वो पेशाब
मैं थोड़ा हंसते हुए बोला : शायद चिपचिपा होगा मां, इसलिए नहीं हो रहा।
मां समझ गई के मैं जान गया हूं और बोली : बेटा, ये रुमाल से करदे ना, प्लीज।
और इस से पहले के मैं हां करता करने की, मां ने सीट पर बैठे बैठे ही अपनी टांगे खोल दी और बोली : ले कर दे।
मां की खुली टांगों में झांटों वाली चूत आज इतनी गौर से देखने को मिली। पहले भी मिली पर वो उनकी बंद टांगों में, आज तो खुली टांगों में देख मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मैने फट से अपनी लोवर की जेब से रुमाल निकाला और उसे साफ करने लगा के मां सिसकी : आह, आ, कर कर बेटा रुक मत।
मां फिर से इतनी जल्दी गर्म हो जाएगी, मैनें सोचा ना था, खैर अच्छा है हो गई तो। शायद काफी वक्त से चूदि नहीं थी, इसीलिए इतनी जल्दी गर्म होकर फिर बैठ गई।
मैनें थोड़ा तेज तेज साफ किया और रुमाल हटा कर बोला : हो गया मां।
मां : रुक क्यूं गया, अच्छा अच्छा हो गया ...चल चल ल ..ठीक है बेटा, सोते हैं फिर।
मां बैड पर लेट गई और अब आप खुद ही इमेजिन कर सकते हो बैड के एक तरफ मां लेटी हो आपकी तरफ कमर कर के वो भी बिना सलवार के और उनकी टांगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ी हों जिस से के चूत के वो गद्देदार होठों के आपको दर्शन हो रहे हों तो क्या आपका लोड़ा बिना खड़े हुए रह पाएगा। नहीं ना । ठीक ऐसा ही हुआ मेरे साथ भी, मेरा भी लोड़ा फिर एक दफा उनकी फूली हुई गांड़ देख टाइट हो गया, दिल किया के बस अपनी जीभ उनकी मस्त गांड़ में फेर दूं। फिर मैंने लाइट ऑफ की और बैड पर आकर लेट गया। मैं लेटा ही था के मां मेरी तरफ घूमी और बोली : बेटा सोनू
मैं: हां मां?
मां : तेरी सच में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं मस्ती में : मां पहले तो नहीं थी पर एक मिली है अब।
मां : अच्छा, वाह
मैं: हां मां, वो बहुत सुंदर है, उस से दूर जाने को दिल नहीं करता मेरा।
मां : अच्छा जी, कहां रहती है वो?
मैं: मेरे दिल में।
मां और मैं हंसने लगे और मां ने मेरे माथे पर एक हल्का सा हाथ मारते हुए कहा : आए जाए, कहां मिल गई बेटा ऐसी गर्लफ्रेंड तुझे?
मैं : मां, बस मिल गई।
मां : फोटो तो दिखा उसकी
मैं : रुको दिखता हूं।
मैं बेड से उतरा, लाइट ऑन की और अपना फोन उठा कर उसके फ्रंट कैमरा ओपन कर मां के सामने किया और बोला : ये देखो मां
मां पहले सोच में पड़ी फिर बोली : कहां हैं, ये तो कैमरा चालू है।
मैंने बेड पे लेटकर फिर कैमरा अपने हाथों से दूर कर कहा : ये देखो मां, ये मैं और ये मेरी गर्लफ्रेंड
मां और मैं फिर हंसने लगे और मां बोली : चुप बदमाश कहीं का, मैं कब से तेरी गर्लफ्रेंड बन गई।
मैनें फोन साइड में रखा और लाइट बंद कर के बैड पर आ गया और बोला
मैं: मां, आप भूल गई क्या, कल आपने ही तो कहा था 'मैं तेरे दोस्त जैसी ही तो हूं बेटा'
मां : हां तो दोस्त कहा था, गर्लफ्रेंड थोड़ी
मैं: मां, आप गर्ल हो और मेरी फ्रैंड भी तो हुई ना मेरी गर्ल फ्रैंड।
फिर मां मुस्कुराने लगी और बोली : नहीं जी, मैं किसी की गर्लफ्रेंड नहीं हूं।
मैं: मेरी तो हो।
मां : नहीं जी, बॉयफ्रेंड बनाने पर उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मैं: क्या देना पड़ता है मां?
मां : बस बहुत कुछ
मैं: मां आपका भी कोई बॉयफ्रेंड था क्या?
मां : नहीं नहीं बाबा, हमारे टाइम में कहां ये बॉयफ्रेंड वगेरा होता था, उस टाइम हमें घर से ज्यादा निकलने भी नहीं दिया जाता था।
मैं: तो फिर आपको किसने कहा के उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मां : है मेरी एक सहेली, उसका बॉयफ्रेंड है, उसने बताया था मुझे।
मैं: कोन सी सहेली है मां ?
मां : तु कल ही मिला है उस से , याद कर
मैं: कोन मां?
मां : अरे तेरी आंटी, जिनसे कल तु मार्केट से वो सामान लेकर आया था मेरा
मैं: सच्ची मां?... सच में उनका बॉयफ्रेंड है क्या?
मां : हां, तु कहियो मत किसी से, ये बात बस तुझे बताई है मैने
मैं: नहीं मां, मैं क्यूं कहूंगा भला किसी से कुछ.... अच्छा उनहोने कब बनाया बॉयफ्रेंड?
मां : बस 3-4 महीने ही हुए हैं
मैं: आंटी छुपी रुस्तम निकली
मां : हां , और नहीं तो क्या। मैनें तो बोला था उसे इन चक्करों से दूर रह, कहीं पकड़ी गई तो क्या होगा। पर वो बोली : वो उसकी बहोत केयर करता है और उसे प्यार भी करता है। है तो वो भी लगभग तेरी ही उमर का है
मैं: सच में मां, मेरा उमर का है?
मां : हां, चल अब बाते छोड़ और सो जा, कल सोमवार है तेरी ड्यूटी भी है।
मैं: हां मां,
जॉब को याद करके मैं कब सो गया पता ही नहीं चला
Aab toh maa ke sath setting ho gayi hai, toh aage barho, bhot ho gaye kuch hoa nahi.
 

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मां के हाथ के छाले
Part : 14
अगली सुबह करीब 7 बजे मेरी आंख खुली तो देखा मां साइड में अपनी टांगो को मोड़कर एक हाथ अपनी गांड़ पर रख कर सो रही थी। मैं मन ही मन मुस्कुराया और बैड से उतर कर फ्रैश हुआ, फिर नहा कर घर का लॉक खोला और बाहर से लोक करके नाश्ता लेने चला गया। नाश्ता लेकर आया और अंदर देखा तो मां अब भी सो रही थी। मैनें किचन में जाकर चाय बनाई, फिर चाय और नाश्ते में गोभी के परांठे लेकर मैं मां के रूम में उन्हें जगाने गया। उन्हें 3-4 बार आवाज लगाई तो वो जागी और अंगड़ाई लेते हुए बोली : गुड मॉर्निंग बेटा, उठ गया तु?
मैं: हां, मां मैं तो रेडी भी हो गया हुं।
मां ने घड़ी की तरफ देखा और बोली : अरे 8 बज गए, तूने पहले क्यूं नहीं उठाया मुझे बेटा?
मैं: मां, आप सोते हुए अच्छी लग रही थी, बस इसीलिए सोचा के अभी थोड़ा और सोने देता हूं।
मां सुनके मुस्कुराने लगी और फिर अपनी टांगो पर देखा और अपनी मुड़ी हुई नंगी टांगों और गांड़ से अंदाजा लगा कर बोली: अच्छा जी, सब समझ रहीं हुं, सोती हुई प्यारी लग रही थी या क्या...
मैं हसने लगा और बोला : सच में मां, बिलकुल बच्चों की तरह सो रही थी आप, टांगो को मोड़कर।
मां भी हसने लगी और बोली : बस बेटा, कभी कभार ठंडी लगती है ना जब, तो मैं यूंही सिकुड़ के सो जाती हूं।
मैं: मां, आपको ठंडी लग रही थी तो आपने मुझे जगाया क्यूं नहीं?
मां : मैं भी नींद में ही थी ना बेटा।
हम दोनो हसने लगे और मैं बोला : मैं नाश्ता भी ले आया हूं , आप करलो फिर मेरा जॉब भी स्टार्ट होने वाली है थोड़ी देर में और 10 बजे एक मीटिंग हैं मेरी।
मैं वर्क फ्रोम होम कर रहा था तो अपने रूम में ही बैठ कर काम करता था। फिर मां बोली
मां : हां, बेटा मैं फ्रैश होकर आती हूं।
मैनें सोचा मां ने इस बार मुझे नहीं कहा अपने साथ आने को। और मैनें मां से कहा : मां, आपके छाले केसे हैं अब , दिखाओ तो जरा।
मां ने छाले दिखाए और कहा : अब बस लगता है कल तक बिलकुल ठीक हो जाएंगे। थैंक्स टू यू बेटा, मेरी इतनी मदद करने के लिए।
मैं : अरे इसमें थैंक्स कैसा मां..., अच्छा आपको नल चलाने में मदद तो नहीं चाहीए ना अब?
मां: नहीं बेटा, अब थोड़ा ठीक है , नल मैं धीरे से चला लुंगी और अगर जरूरत पड़ी तो तुझे बुला लूंगी, तो कोनसा दूर कहीं है मुझसे।
मैं: ठीक है मां, आप फ्रैश हो आओ, फिर खाना खाते हैं।
मां फ्रैश होकर आई और फिर हमने खाना खाया, खाना खाकर मैं अपने रूम में जाने लगा के मां बोली : सुन सोनू बेटा।
मैं: हा मां, ये एक सलवार डाल दे, फिर चले जाना।
मैनें फिर उन्हें बिना पैंटी के सलवार डाली क्योंकि पैंटी धोने का काम तो मैनें अभी किया ही नहीं था। सोचा शाम में कर दूंगा फ्री होकर। फिर उन्हें दवाई देकर और ट्यूब लगाकर मैं अपने रूम में चेयर पर जाकर बैठ गया और काम करने लगा।
करीब 2 घंटे बाद पापा का कॉल आया और मैनें थोड़ी देर बात की ओर फिर मां से बात करवाने के लिए उन्हें फोन देकर आया। अब मां का हाथ इतना ठीक था के वो फोन पकड़ सकती थी। फिर थोड़ी देर बाद मेरे रूम में आई और बोली : तेरे पापा परसो सुबह आएंगे और वो बोल रहे हैं के उनके दोस्त की बेटी की शादी है, हम सबको जाना है।
मैं: ठीक है मां
मां चली गई और बाहर सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगी। थोड़ी देर बाद फिर आई और बोली : बेटा, फ्री होकर एक काम कर देना।
मैं: क्या मां?
मां : बेटा, वो मेरे नीचे के बाल काफी बढ़ गए हैं तो प्लीज काट देना, अभी मैं खुद काटने लगी तो कहीं छाले पर ना लग जाए। और वो शादी पर भी जाना है ना तो अगर दूसरी लेडीज के सामने कपड़े बदलने लगी तो अच्छा नहीं लगता ऐसे मुझे।
मैं: मां, आप दूसरी लेडीज के सामने कपड़े क्यूं बदलोगी वहां।
मां : अरे बेटा, शादी वाले घर में इतने मेहमान आए हुए होते हैं के फिर बाथरूम वगैरा में लेडीज का चेंज करना तो इंपॉसिबल सा होता है, इसलिए बाय चांस वहा कोई हाल रूम में बाकी सब लेडीज केसामने करने पड़ जाए तो मै पहले से ही साफ कर के जा रही हूं।
मैं: ओके मां, मैं लंच टाइम में कर दूंगा।
मां : थैंक्यू बेटा, तु अभी काम कर, लंच में कर देना।
मां चली गई और मैं सोचने लगा : वाह सोनू बेटे, अब अच्छे से उनकी साफ चूत देखने का भी मौका मिलेगा, अरे देखने का ही नहीं बल्कि छुने का भी, मजा आ जाएगा। मां की क्लीन चूत दिखने की खुशी में मैनें लंच टाइम से आधे घंटे पहले ही खाना ऑर्डर किया। और वाह रे किस्मत खाना पूरे लंच टाइम स्टार्ट होने पर आया।
फिर मैं लैपटॉप ऑफ करके बाहर गेट से खाना लाया और मां के पास जाकर कहा : खाना मैनें पहले ही ऑर्डर कर दिया था मां, आप बैठे रहो, मैं थाली में डालकर लाता हूं।
फिर मैं थाली में खाना डालकर लाया और हमने खाना 15 मिनट के करीब में खत्म किया और इस से पहले के मां कुछ कहती, मैं बोल पड़ा : चलो मां, आपके वो बाल काट दूं.
मां हंसते हुए : जा मेरे रूम में दराज पर वो लिफाफा पड़ा है एक, उसमे क्रीम है वो लेकर आ और अच्छा एक बात बता
मैं: हां मां, क्या?
मां : बेटा तु क्यूं नहीं काटता अपने नीचे के बाल?
मैं: एक बार काटे थे मां रेजर से, पर फिर डर सा लगता है उस से काटने से।
मां : तो ये मेरी वाली क्रीम से ही काट ले ना तु भी।
मैं: मैनें कभी काटे नहीं मां उस से और मुझे वो यूज करनी भी नहीं आती
मां: अरे मैं हूं ना, मैं बताऊंगी तुझे केसे यूज करते हैं, बेटा महीने में 1 बार काट लिया कर, नहीं तो ज्यादा बढ़ जाएं ना तो इन्फेक्शन , स्मेल और इचिंग होने का भी डर होता है।
मैं: अच्छा, क्या सच में मां?
मां : हां बेटा,चल ऐसा करते हैं मैं तुझे बताती हूं केसे काटते हैं और पहले तु मेरे काट दे बाल,फिर तु अपने काट लेना।
मैं: ठीक है मां
ऐसा कहकर में उनके कमरे से क्रीम लेकर आया। असल में उसे लगाने से बाल खुद ही कुछ मिनट बाद स्किन से हट जाते हैं ये मुझे बाद में पता चला। मैनें समान उठाया और अपने लोवर में से अंडरवियर उतार के मां के बैड पर रख के फिर लोवर डाला और एक्साइटमेंट में वहा से चला गया। फिर मैं मां के पीछे पीछे बाथरूम में गया और बोला : सलवार तो उतारो मां
मां : बेटा पहले मेरा नाड़ा तो खोल दे।
मैनें उनकी कमीज ऊपर उठा कर उनकी गर्दन के पास उन्हें पकड़ाई और नाला खोल कर उनकी चूत एक बार फिर सामने देख कर खुश सा हो गया। फिर उनकी सलवार उतरते ही मां को बिना कुछ कहे उन्हें अपनी बाहों से उठाकर बाथरूम में रखी चौंकी/पीढ़ी पर इस तरह टांगे खोल कर बिठाया जैसे उनके बाल नहीं बल्कि उनकी चूत मारने के लिए अपनी गर्लफ्रेंड को कोई बिठाता है। और मां चौंकते हुए एक मुस्कुराहट के साथ बोली : अरे क्या हो गया तुझे एकदम से।
मैं: कुछ नहीं मां, वो मेरा लंच टाइम ओवर हो जाएगा ना, इसलिए बस थोड़ा जल्दबाजी में हो गया।
मां : हां वो ठीक है, बेटा इतनी जल्दबाजी भी मत करना कहीं मां की चूत ही काट दे।
मां के मुंह से चूत सुनके मैं मुस्कुराया और फिर बोला : क्या काट दे मां।
मां को फिर ध्यान आया के वो क्या बोल गई अचानक और फिर हस्ते हुए कहने लगी : कुछ नहीं
मैं हंसते हुए बोला : अच्छा तो आप भी चूत ही कहती हैं इसे।
मां हंसते हुए : जो नाम है इसका वही कहूंगी ना बेटा।
मां : अब ये पैक खोल इसका, इसमें क्रीम और एक स्पैचूला होगा। वो निकाल..
स्पैचूला एक चम्मच टाइप सा होता है जिस से क्रीम लगाने के बाद बाल को हटाया जाता है।
मैनें वो पैक खोला और समान निकालकर बोला : मां, अब?
मां : अब बेटा ये क्रीम, मेरे ये बालों पर लगा और थोड़ी सी फैला कर 3-4 मिनट के लिए छोड़ दे।
मैनें उनकी चूत पर धीरे धीरे वो क्रीम लगाई और अपनी उंगली क्रीम लगाने के बहाने से उनकी चूत में भी हल्की सी सरका दी। मां कुछ नहीं बोली। फिर मैनें उस स्पैचूला के साथ उस क्रीम को अच्छे से फैलाया। मां की चूत पर क्रीम लगाते लगाते मेरा लन्ड पूरा कड़क हो चुका था।
फिर मैंने कहा : मां, अब?
मां : बेटा, अब रुकना पड़ेगा, इतना तू भी लगा ले अपने बालों पर।
मैनें मस्ती में होकर बिना कुछ ज्यादा कहे अपना लोवर उतारा और ये पहली बार थे के मां मेरा खड़ा लन्ड देख रही थी। ये देखते ही उनकी आंखो में चमक सी आ गई और मैं नीचे जमीन पर बैठा ही था के मां बोली : अरे बेटा, ठंडा है नीचे, रुक जा
मैं यूंही घुटनो के बल बैठा और बोला : मां, ऐसे बैठ कर तो मेरी टांगे सही खुलेंगी नहीं और क्रीम लगेगी नहीं।
मां : हां बेटा, ये पीढ़ी/चौंकी एक ही है ना बैठने के लिए, चल ऐसा कर, पहले मेरे साफ करदे फिर तु अपने कर लेना। अभी मत लगा क्रीम।
मैं: ठीक है मां
फिर मैं यूंही बैठ कर उनकी खुली टांगो के बीच उस चूत को देखने लग गया और बोला : मां, इस क्रीम को लगाने से क्या चूत एकदम साफ हो जाती है?
मां हंसते हुए : हां, बेटा।
मैं: मां, मैनें आजतक कभी सामने से चूत नहीं देखी थी, आज पहली बार देखी है।
मां : हां, तेरी गर्लफ्रेंड है नहीं कोई तो कहा से देखेगा भला।
मैं: मां, गर्लफ्रेंड तो अब है मेरी ओर मैने उसकी चूत देख भी ली है।
मां और मैं फिर हसने लगे और मां बोली : चुप बदमाश कहीं का, मैं नहीं हूं तेरी कोई गर्लफ्रेंड, समझा ना बुद्धू
मैं: आप मानो या ना मानो, मैं तो मानता हूं।
मां : चुप कर, बुद्धू और एक बात बताऊं तुझे?
मैं: क्या मां?
मां : वैसे तूने असली चूत अभी भी नहीं देखी बेटा।
मैं: वो केसे मां?
मां : बेटा, असली चूत तो इन झांटों के पीछे छुपी है, जब से साफ होंगी ना फिर देखना असली चूत तो
फिर मां हसने लगी और बोली : चल अब, इसे साफ कर दे और देख ले असली चूत, तु भी क्या याद रखेगा। तूने मेरी इतनी मदद की है 2-3 दिन से, तो तुझे एक असली चूत के दर्शन तो करवा ही सकती हूं मैं।
मैं खुश होकर उनकी वो क्रीम चूत पर से हटा कर हैरान हो गया ।इतनी गुलाबी और फुली चूत, वाह , असल चूत तो बालों को हटा कर ही देखने पर दिखती है ये मुझे उस दिन पता चला।
मैं उस पर से उंगली फेरने लगा के मां बोली : क्या कर रहा है पागल। चल जल्दी से अब तु भी साफ करले फिर तेरा लंच ब्रेक भी ओवर होने वाला है।
ऐसा बोलते ही मां उस पीढ़ी से उठी और मुझे वहां बैठने का बोलकर मेरे पास घुटनों के बल बैठ गई और मेरे खड़े लन्ड को देखने लगी और बोली : क्रीम लगा इस पर बेटा।
मैनें उस पर क्रीम लगा के बाकी क्रीम साइड पर रखी ही थी के मां चीख पड़ी : कॉकरोच कॉकरोच
एक कॉकरोच उनके पैर के पास से हमारी ओर आ रहा थे के मां एक दम डर के मारे चीखती हुई मेरे ऊपर आ बैठी और चीखी : आहहहह मर गई।
हुआ यूं कि मां की चूत उसी वक्त साफ की थी और मेरे लोड़े पर क्रीम लगी होने के कारण वो बिलकुल चिकना हो रखा था और जैसे ही मां मेरे ऊपर बैठी , लोड़ा सीधा मां की चूत में घुस गया और मां चीख पड़ी। मेरे लन्ड पर पहली बार कोई चूत बैठी थी वो भी मेरी मां की , ये महसूस करते ही मेरी आखें बंद हुई और मां फिर से सिसकी लेते बोली : आह, उई मां
हम दोनो इस वक्त शांत थे के मेरे लैपटॉप से मीटिंग के कॉल की आवाज आने लगी और मां एकदम से होश में आते हुए लन्ड पर से उठी और हम दोनों ने ना तो नजरे मिलाई और ना ही कुछ कहा। मैं मन ही मन अपने मैनेजर को गाली देने लगा के भोंसड़ी वाले ने बनता काम बिगाड़ दिया। फिर 5 मिनट की शांति के बाद मैनें अपने बाल साफ करके पानी से धो कर लोवर डाला तो मां बोली : बेटा, ये सलवार भी डाल देना।
मैं सलवार डालने लगा के मां की साफ चूत और गांड़ की निचली साइड की दरार पर मेरे लन्ड से लगी क्रीम देख कर बोला : मां ये क्रीम ....और नीचे इशारा किया
मां : ये धो दे बेटा।
मैनें फिर पानी से उनकी चूत और वो दरार साफ की और सलवार उनको डालकर अपने रूम में चला गया।
Mast, yeh laptop ne klpd kar di..
 

sahilgarg6065

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मां के हाथ के छाले
Part : 16
घर आकर हमने हाथ मुंह धोया फिर खाना खाने बैठ गए। खाना खाते खाते हम एक दूसरे से बातें करने लगे और मां बोली : बेटा, तुझे ज्यादा ही मस्ती नहीं सूझ रही थी वहां।
मैं: मां, इतनी होट गर्लफ्रेंड अगर साथ हो तो मस्ती नहीं सूझेगी तो और क्या सूझेगा।
मां: अच्छा जी, हां उस लड़की के सामने भी तूने मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया था।
मैं: मां, बन जाओ ना आप मेरी गर्लफ्रेंड।
मां : नहीं बेटा, तु मुझे लगता नहीं के किसी गर्लफ्रेंड के नखरे उठा पाएगा । हां कैरिंग तो तु है पर..
मैं: मां, आप बनो तो एक बार, आपके सारे नखरे उठा लूंगा।
मां : हां, मां को ही गर्लफ्रेंड बनाने चला है तु बदमाश।
मैं: मां, अब आप हो ही इतनी अच्छी और खूबसूरत के हर कोई आपको गर्लफ्रेंड बनाना चाहे।
मां : ना बाबा ना, मैं नहीं बनती किसी की भी गर्लफ्रेंड और क्यूं बनाना चाहता है तु, ऐसे अच्छी नहीं लगती क्या मैं तुझे।
मैं: मां, कॉलेज के वक्त करियर में ध्यान दिया और फिर सोचा के जब कमाऊंगा फिर गर्लफ्रेंड बनाऊंगा और अब मेरी ये वर्क फ्रॉम होम जॉब की वजह से बाहर जाना इतना है नहीं, इसलिए बना ही नहीं पाया। और आपके साथ पिछले कुछ दिनों से वक्त बिताकर आपको ही गर्लफ्रेंड बनाने का दिल करने लगा है मेरा।
मां: अच्छा जी। चल अब बातें छोड और सो चल कर...कल तेरे पापा भी आ जाएंगे सुबह।
हमने खाना खत्म किया फिर सोने की तयारी करने लगे। मैं अपने रूम में जाकर कपड़े चेंज कर के आया और मां बोली : तूने मेरा एक काम नहीं किया ना।
मैं: क्या मां?
मां : वो मेरी पेंटी सभी गंदी पड़ी है, धोई नहीं ना अब तक तूने?
मैं: सोरी मां, वो भूल गया मैं।
मां : चल अभी धो दे,उसे
फिर हम बाथरूम में गए और मैंने उनके सामने उनकी 5-6 पेंटी रगड़ रगड़ के धोई और धोते हुए बोला : मां, आपने वो जो मोल में डालकर पैंटी देखी थी वो क्यूं नहीं ली?
मां : बेटा वो मुझे छोटी चाहिए थी, दरअसल छोटी स्ट्रैप वाली का एक फायदा होता है, इसलिए वो ली.
मैं: क्या फायदा होता है मां?
मां : वो बेटा, अगर कभी जल्दी हो पेशाब करने की तो उस छोटी वाली को नीचे से पकड़ के गांड़ के साइड में अड़ा कर मूत लेती हूं, उसे उतारना नहीं पड़ता। पर बड़े वाली को उतार कर ही मूता जाता है।
मैं ये सुनकर हसने लगा और बोला : ऐसा कुछ नहीं होता मां। आप पागल बना रहे हो।
मां : नहीं सच में होता है बेटा।
मैं: मैं नहीं मानता मां।
मां : रुक तुझे दिखाती हूं।
मां ऐसा कहते ही बाथरूम में मेरे पास अपनी साड़ी को ऊपर करके बैठ गई और अपनी गांड़ पर हाथ रख के इशारा करते हुए बोली : देख अगर अभी इसपर पेंटी होती ना , तो मैं उसे ऐसे पकड़ती और गांड़ की दरार से साइड में फसा देती फिर मूत लेती।
मैं मां के ऐसा करने को देखकर लोड़ा खड़ा कर बैठा और बोला : अच्छा है मां।
इतने में मां ने एक सीटी की आवाज निकाली और वहीं मूतने लगी और हसते हस्ते बोली: मुझे आया था पेशाब और ऐसे बैठने से प्रेशर ही बन गया।
मैं भी हसने लगा और बोला : मां, ये पेशाब करते वक्त आपकी सीटी क्यूं बजती है?
मां हसने लगी और बोली : अपनी बीवी से पूछ लेना जब उसकी बजेगी।
मैं: नहीं मैं तो अपनी गर्लफ्रेंड से पूछूंगा।
मां : हा हा।
और मां खड़ी हो गई और इधर उनकी पेंटी धूल चुकी थी। फिर मैंने उनकी सारी पैंटी ड्रायर में डाल कर सुखाई और निकाली ही थी के मां बोली : बेटा, अब रात में ये सुखानी पड़ेगी। ऐसा कर इसे मेरे कमरे में ही डाल दे। पंखा चलता रहेगा ना तो सुख जाएगी।
मैनें सारी पैंटी उठाई और मां के पीछे पीछे उनके कमरे में गया। पैंटी को दीवान बैड की टेक पर एक एक करके रख दिया। फिर बैड पर बैठकर मां से पूछा : मां , अब ट्यूब लगानी है या ठीक है?
मां : नहीं बेटा अब ठीक है
फिर मां ने मेरे सामने ही खुद ब खुद अपनी साडी धीरे धीरे खोली और नाइटी डाल कर बैड पर लेट गई और मैनें मां से पूछा : मां, कल शादी किसकी है वैसे?
मां : तेरे पापा के किसी दोस्त की बेटी की है।
मैं: ठीक है मां, वैसे वो साड़ी आप पर बहुत अच्छी लगेगी।
मां : अच्छा जी। अब तेरी मां है ही इतनी सुंदर ..
वो .ऐसा कहकर हसने लगी।
मैं: मां नहीं गर्लफ्रेंड...
मां : चुप बदमाश, अच्छा सुन पापा को कुछ मत बताना
मैं: किस बारे में?
मां : अरे बुद्धू, यही के वो छालों की वजह से तू मेरे साथ बाथरूम में भी गया, मेरे कपड़े भी बदले और मुझे नहलाया भी।
मैं: मैं तो कहूंगा मां।
मां : अरे तू पागल है क्या?...खुद भी मरेगा, और मुझे भी मरवाएगा।
मैं हस्ते हुए : अगर आप चाहते हो के मैं उन्हें कुछ ना बताऊं तो आपको मेरा एक काम करना पड़ेगा।
मां : क्या?
मैं: मेरी गर्लफ्रेंड बन ना पड़ेगा।
मां हसने लगी और बोली : तु नहीं मानेगा ना ऐसे।
मैं: मैं तो मान गया अब आप भी मान जाओ ना और बन जाओ मेरी गर्लफ्रेंड प्लीज।
मां : नहीं ना।
मैं: अच्छा मां, सिर्फ 2 दिन के लिए?
मां सोचने लगी और बोली : चल ठीक है, बस दो दिन, फिर उसके बाद नहीं।
मैं खुश हो गया बोला : ठीक है, लव यू मां।
मां : अब गर्लफ्रेंड को मां बोल रहा है बुद्धू।
मैं: सोरी सोरी बेबी।
मां : आए हाए बेबी।
मैं हसने लगा और बोला : अच्छा आप बताओ क्या बुलाऊं आपको?
मां : तेरा जो दिल करे बुला ले बेटा। मैं तो तुझे बुद्धू ही बुलाऊंगी।
मैं: ओके बेबी
मां हसने लगी : हा हा , बेबी बेबी, वाह , बुद्धू।
फिर मां बोली : चल सो जा अब।
मैं: मां, मुझे अपनी गर्लफ्रेंड को हग करके सोना है।
मां : नहीं बेटा।
मैं : जानु प्लीज।
मां हस्ते हुए : ठीक है बुद्धू, लाइट तो बंद कर पहले।
फिर मैंने मस्ती में लाइट बंद की और बैड पर जाकर लेट गया के मां सरक कर मेरे हल्का सा नजदीक आई और बोली : अब करले हग बेटा।
मां मेरे तरफ अपनी कमर करके सरकी और मैं भी अंधेरे में जैसे ही आगे सरका के मां के एकदम साथ लग गया और मां की उस नाइटी में कैद गांड़ का एहसास करके लोड़ा खड़ा करने लगा। मां को भी शायद लोड़ा महसूस हुआ होगा। फिर मां चुपचाप पड़ी रही। और मैं तकरीबन 10 मिनट तक यूंही लेटा रहा और सोचता रहा के कैसे मां को चोदने का पूछूं। जब मुझे कुछ ना सुझा तो मैं यूंही पड़ा रहा और सोने की कोशिश करने लगा। पर नींद थी के आ ही नहीं रही थी तो करीब 30 मिनट बाद जब वो हल्के हल्के खराटे लेने लगी तो मैंने सोचा : अब ट्राई करते हैं देखी जाएगी जो होगा।
फिर मैं हल्के से थोड़ा पीछे हुआ और अपना लोड़ा जो पहले ही टाइट हो रखा था लोवर और अंडरवियर नीचे करके बाहर निकाला और फिर धीरे से उनकी एक टांग थोड़ी सी ऊपर उठाई और वो नाइटी के ऊपर से ही अपना लोड़ा उनकी दोनो टांगो के बीच रख दिया और उस वक्त इतना नशा सवार था के मैं खुद को ऐसा करने से रोक ना पाया। फिर पहले की तरह हग की पोजीशन में लेट कर लोड़ा उनकी दोनों टांगो के बीच डालकर आगे पीछे होने लगा।फिर बैड पर पड़ी पैंटी उठाकर अपने मुंह में डाल ली। एक तो उनकी गर्म गद्देदार टांगों के बीच की वो गांड़ में फसा लन्ड और ऊपर से उनकी वो खुशबूदार पैंटी का एहसास पाकर मैं तो जन्नत में पहुंच गया। 10 मिनट की दौड़ के बाद मैं एकदम इतना झड़ा के खुदको कुछ सेकंड्स के लिए भी रोक ना पाया और सारा माल उनकी टांगो के बीच घुसी नाइटी पर ही छोड़ दिया। फिर जैसे ही होश आया मन ही मन बोला : शुक्र है भगवान का जो मां उठी नहीं और ये नाइटी अब कैसे साफ करूं। फिर सोचते सोचते कब आंख लगी पता ही नहीं चला।
सुबह जैसे ही आंख खुली तो मां बगल में थी ही नहीं। फिर रात का याद आया और मैं सोचने लगा के कहीं मां को उस नाइटी का कुछ पता तो नहीं चल गया। फिर बाहर निकल कर गया तो मां किचन में थी।
मैंने कहा : गुड मॉर्निंग मां, आप आज जल्दी उठ गए।
मां : नहीं बेटा, मैं जल्दी नहीं तु लेट उठा है।
मैनें टाइम देखा और बोला : ओ, हां।
मां : रात में लेट सोया था क्या?
मैं: नहीं तो मां
मां : अच्छा, मुझे लगा शायद..
मैं: नहीं तो
मां : अच्छा सुन, सुबह मेरी नाइटी...
मैं हैरान होकर : वो ये मां वो मैं वो
मां : क्या वो ये वो कर रहा है, नींद में है क्या अभी भी, मै कह रही थी के मेरी नाइटी मैनें बाथरूम में रखी है ,उसे जरा उठाकर वाशिंग मशीन में रख देना।
ऐसा कहते ही मां मुस्कुराई और फिर बोली : आजकल इन जवान लड़कों को शादी शुदा गर्लफ्रेंड भी बनानी है और फिर ईनको डर भी लगता है जैसे शादी शुदा खा जाएगी उन्हें कुछ प्यार भरे काम करने से।
मां के ये कहने पर मैं समझ गया के मां सैट है और लोड़ा लेने के लिए त्यार है। बस अब एक मोका और ये चूत इस लोड़े की सैर करेगी। फिर मैं भी मुस्कुराया और बोला : मां, ये जवान लड़के डरते नहीं हैं बस एक सिग्नल का इंतजार करते हैं और सिग्नल मिलते ही अपनी मशीन लेकर खुदाई शुरू कर देते हैं।
मां : अच्छा जी, देखते है इन जवान लड़कों की भी खुदाई ...ये कितनी जमीन को खोद पाते हैं।
मैं: हां मां, वक्त आने पर देख लेना। खुदाई भी होगी और जमीन से पानी भी निकलेगा।
हमारी इन डबल मीनिंग बातों से हम दोनों हसने लगे और गर्म होने लगे। फिर मां किचन में काम लग गई और मैं वहां से निकला और अपने रूम में जाकर नहा धोकर फ्रैश हुआ और बाहर आया तो पापा आ गए थे। उन्हें नमसते किया। मेरे पापा एक लोको पायलेट थे तो कभी कभार 3-4 दिनों के लिए भी बाहर चले जाया करते थे।
फिर मां ने खुद ही आज नाश्ता बनाया और पापा और मैनें मिलकर नाश्ता किया और थोड़ी बात उस दौरान बातें हुईं और मैं मस्ती में बोला : पापा, आपको एक बात बतानी थी मां के बारे में।
मां ये सुनते ही किचन से मेरी तरफ देखने लगी
पापा : हां बताओ।
मैं: वो पापा जिस दिन आप गए उस दिन ना मां के हाथ पर गर्म तेल गिर गया था और उनके हाथों में छाले पड़ गए थे।
पापा मां को देखते ही किचन में घुसे और हाथ देखते हुए बोले : तुमने फोन पर बताया ही नहीं मुझे।
मां : अरे वो बस आप यूंही परेशान हो जाते तो..
पापा : अरे बताना तो चाइए था ना, दिखाओ तो..अब तो ठीक लग रहे हैं हाथ, ध्यान रखा करो अपना
मैं: हां पापा, फिर 3-4 दिन से मैं ही ध्यान रख रहा हूं इनका। ये खुद तो ध्यान रखती नहीं हैं अपना।
मां मुझे देखने लगी और घबराने लगी के कहीं मैं वो वाली बातें कुछ बोल ना दूं।
मैं फिर बोला : पापा हमने एक आंटी रखी थी 3-4 दिन के लिए, खाना भी उन्ही ने बनाया। मां के कपड़े चेंज करने में और बाथरूम जाने वेगेरा में दिक्कत ना हो इसलिए मैंने उन्हें बुलाया था। मम्मी की सहेली की जान पहचान की आंटी थीं वो।
मां ये सुनकर थोड़ा ठीक हुई और मुझे पापा के पीछे से हस्ते हुए थप्पड़ दिखा कर इशारा करने लगी।
पापा : चलो अच्छा किया बेटा ये तो तुमने।
मां भी बोली : हां जी, सोनू ना होता तो मैं आपको फोन तक ना कर पाती इन छालों की वजह से और थैंक्यू उन दीदी का भी जो हमारी 3-4 दिन मदद करने के लिए मान गई
फिर पापा नाश्ता कर के अपने रूम में गए और मां मेरे पास आकर मुझे एक हल्का सा प्यार भरा थप्पड़ मार कर बोली : पागल, मैं कितना डर गई थी पता है तुझे।
मैं: मेरी बेबी, मेरी होते हुए डर गई थी।
मां : चुप कर बुद्धू। चल काम कर जा कर अपना।
फिर मैं उठा और अपना ऑफिस का काम करने लगा और आज पापा पूरा दिन घर पर ही थे। फिर शाम हो गई और मैं काम खतम कर रूम से आया तो पापा बोले : होगया काम खत्म बेटा?
मैं: जी पापा
पापा : अच्छा वो कार का ऐसी ठीक करवाया तूने के नहीं।
मैं: हां पापा करवा दिया है।
पापा : चलो ठीक है बेटा। 8 बजे निकलते हैं फिर .. त्यार हो जाना और अपनी मम्मी को जाकर कह दे के 8 बजे तक रेडी हो जाए। ये औरतें ही वक्त लगाती हैं तैयार होने में।
फिर मैं और पापा हसने लगे और पापा : मैं गाड़ी लेकर जा रहा हूं, थोड़ा सामान पड़ा है स्टेशन पे, वो भी लेकर जाना है साथ में।
मैं: ठीक है पापा।
फिर पापा चले गए और मैं मम्मी के कमरे में गया और मुझे देख कर मां बोली : आ गया बुद्धू, शैतान हो गया है तु।
मैं: सुनो बेबी, आपके हसबैंड कह कर गएं है के 8 बजे तक रेडी हो जाना, निकलना है शादी के लिए।
मां हसने लगी : वाह बेबी, आपके हसबैंड, ज्यादा ही मस्ती नहीं सूझ रही तुझे।
मैं: हा हा।

फिर मैं घर से निकलकर सलून चला गया। सोचा अब मां की चूत मिलने का मोका नजदीक ही है तो किस्स करने में कहीं उन्हें मेरी दाढ़ी ना चुभे इसलिए मैं क्लीन शेव करवाकर आता हुं। और शादी में भी जाना था तो हेयर कट भी करवा लूं इसी बहाने।
तकरीबन सवा 7 बजे मैं घर आया। अपने रूम में जाकर नहाकर कपड़े डाले। फिर त्यार होकर अपने कमरे से निकला और मां के कमरे में उन्हें देखने गया तो मां भी त्यार ही थी। उस गोल्डन ब्लाउज और रैड साडी में मां मस्त लग रही थी। उन्हें देखते ही मैं बोला : मां, ये साडी में मस्त लग रही हो आप।
मां बोली : बुद्धू, तेरे पापा नहीं आए अभी।
मैं मां की इस बात को पहले तो समझा नहीं और बोला : क्या?
मां : अरे बुद्धू...मेरे हसबैंड नहीं आए अभी।
मैं बोला : ओ अच्छा बेबी, वैसे ये साडी मेरी बेबी पर बहुत जच रही है इसमें एकदम मस्त लग रही है मेरी बेबी।
मां : मस्त तो लगेगी ही, आखिर शॉपिंग पर लेकर कोन गया था मुझे।
मैं: आहा, क्या मेरी बेबी ने आज सब कपड़े नए डाले हैं?
हम दोनो मां बेटे इस वक्त मस्ती में खो ही रहे थे बिना पापा की फिक्र किए। और अब चूदाई का समा बेहद करीब था। हम दोनो बातों में तो पूरे खुल ही चुके थे।
मां : हां सब कुछ नया डाला है।
मैं: बेबी मुझे कैसे पता चलेगा, मुझे तो दिख ही नही रहे सब कपड़े।
मां : इसमें कोन सी बड़ी बात है, अभी दिखा देती हूं अपने बुद्धू को मैं।
इतना कहते ही मां ने अपनी साडी दोनो साइड से ऊपर उठाई और अपनी न्यू ब्लैक पैंटी से ढकी चूत दिखाई। मैं देखते ही बोला : बेबी आगे से नहीं, पीछे से दिखाओ ना..मुझे मेरी बेबी की गांड़ ज्यादा पसंद है।
मां गांड़ सुनते ही बोली : आए हाए, मेरी बुद्धू को अगर गांड़ पसंद है तो वो ही दिखा देती हूं।
फिर घूमी और अपनी गांड़ दिखाते हुए बोली : देख ले बुद्धू।
 
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