मां के हाथ के छाले
Part : 14
अगली सुबह करीब 7 बजे मेरी आंख खुली तो देखा मां साइड में अपनी टांगो को मोड़कर एक हाथ अपनी गांड़ पर रख कर सो रही थी। मैं मन ही मन मुस्कुराया और बैड से उतर कर फ्रैश हुआ, फिर नहा कर घर का लॉक खोला और बाहर से लोक करके नाश्ता लेने चला गया। नाश्ता लेकर आया और अंदर देखा तो मां अब भी सो रही थी। मैनें किचन में जाकर चाय बनाई, फिर चाय और नाश्ते में गोभी के परांठे लेकर मैं मां के रूम में उन्हें जगाने गया। उन्हें 3-4 बार आवाज लगाई तो वो जागी और अंगड़ाई लेते हुए बोली : गुड मॉर्निंग बेटा, उठ गया तु?
मैं: हां, मां मैं तो रेडी भी हो गया हुं।
मां ने घड़ी की तरफ देखा और बोली : अरे 8 बज गए, तूने पहले क्यूं नहीं उठाया मुझे बेटा?
मैं: मां, आप सोते हुए अच्छी लग रही थी, बस इसीलिए सोचा के अभी थोड़ा और सोने देता हूं।
मां सुनके मुस्कुराने लगी और फिर अपनी टांगो पर देखा और अपनी मुड़ी हुई नंगी टांगों और गांड़ से अंदाजा लगा कर बोली: अच्छा जी, सब समझ रहीं हुं, सोती हुई प्यारी लग रही थी या क्या...
मैं हसने लगा और बोला : सच में मां, बिलकुल बच्चों की तरह सो रही थी आप, टांगो को मोड़कर।
मां भी हसने लगी और बोली : बस बेटा, कभी कभार ठंडी लगती है ना जब, तो मैं यूंही सिकुड़ के सो जाती हूं।
मैं: मां, आपको ठंडी लग रही थी तो आपने मुझे जगाया क्यूं नहीं?
मां : मैं भी नींद में ही थी ना बेटा।
हम दोनो हसने लगे और मैं बोला : मैं नाश्ता भी ले आया हूं , आप करलो फिर मेरा जॉब भी स्टार्ट होने वाली है थोड़ी देर में और 10 बजे एक मीटिंग हैं मेरी।
मैं वर्क फ्रोम होम कर रहा था तो अपने रूम में ही बैठ कर काम करता था। फिर मां बोली
मां : हां, बेटा मैं फ्रैश होकर आती हूं।
मैनें सोचा मां ने इस बार मुझे नहीं कहा अपने साथ आने को। और मैनें मां से कहा : मां, आपके छाले केसे हैं अब , दिखाओ तो जरा।
मां ने छाले दिखाए और कहा : अब बस लगता है कल तक बिलकुल ठीक हो जाएंगे। थैंक्स टू यू बेटा, मेरी इतनी मदद करने के लिए।
मैं : अरे इसमें थैंक्स कैसा मां..., अच्छा आपको नल चलाने में मदद तो नहीं चाहीए ना अब?
मां: नहीं बेटा, अब थोड़ा ठीक है , नल मैं धीरे से चला लुंगी और अगर जरूरत पड़ी तो तुझे बुला लूंगी, तो कोनसा दूर कहीं है मुझसे।
मैं: ठीक है मां, आप फ्रैश हो आओ, फिर खाना खाते हैं।
मां फ्रैश होकर आई और फिर हमने खाना खाया, खाना खाकर मैं अपने रूम में जाने लगा के मां बोली : सुन सोनू बेटा।
मैं: हा मां, ये एक सलवार डाल दे, फिर चले जाना।
मैनें फिर उन्हें बिना पैंटी के सलवार डाली क्योंकि पैंटी धोने का काम तो मैनें अभी किया ही नहीं था। सोचा शाम में कर दूंगा फ्री होकर। फिर उन्हें दवाई देकर और ट्यूब लगाकर मैं अपने रूम में चेयर पर जाकर बैठ गया और काम करने लगा।
करीब 2 घंटे बाद पापा का कॉल आया और मैनें थोड़ी देर बात की ओर फिर मां से बात करवाने के लिए उन्हें फोन देकर आया। अब मां का हाथ इतना ठीक था के वो फोन पकड़ सकती थी। फिर थोड़ी देर बाद मेरे रूम में आई और बोली : तेरे पापा परसो सुबह आएंगे और वो बोल रहे हैं के उनके दोस्त की बेटी की शादी है, हम सबको जाना है।
मैं: ठीक है मां
मां चली गई और बाहर सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगी। थोड़ी देर बाद फिर आई और बोली : बेटा, फ्री होकर एक काम कर देना।
मैं: क्या मां?
मां : बेटा, वो मेरे नीचे के बाल काफी बढ़ गए हैं तो प्लीज काट देना, अभी मैं खुद काटने लगी तो कहीं छाले पर ना लग जाए। और वो शादी पर भी जाना है ना तो अगर दूसरी लेडीज के सामने कपड़े बदलने लगी तो अच्छा नहीं लगता ऐसे मुझे।
मैं: मां, आप दूसरी लेडीज के सामने कपड़े क्यूं बदलोगी वहां।
मां : अरे बेटा, शादी वाले घर में इतने मेहमान आए हुए होते हैं के फिर बाथरूम वगैरा में लेडीज का चेंज करना तो इंपॉसिबल सा होता है, इसलिए बाय चांस वहा कोई हाल रूम में बाकी सब लेडीज केसामने करने पड़ जाए तो मै पहले से ही साफ कर के जा रही हूं।
मैं: ओके मां, मैं लंच टाइम में कर दूंगा।
मां : थैंक्यू बेटा, तु अभी काम कर, लंच में कर देना।
मां चली गई और मैं सोचने लगा : वाह सोनू बेटे, अब अच्छे से उनकी साफ चूत देखने का भी मौका मिलेगा, अरे देखने का ही नहीं बल्कि छुने का भी, मजा आ जाएगा। मां की क्लीन चूत दिखने की खुशी में मैनें लंच टाइम से आधे घंटे पहले ही खाना ऑर्डर किया। और वाह रे किस्मत खाना पूरे लंच टाइम स्टार्ट होने पर आया।
फिर मैं लैपटॉप ऑफ करके बाहर गेट से खाना लाया और मां के पास जाकर कहा : खाना मैनें पहले ही ऑर्डर कर दिया था मां, आप बैठे रहो, मैं थाली में डालकर लाता हूं।
फिर मैं थाली में खाना डालकर लाया और हमने खाना 15 मिनट के करीब में खत्म किया और इस से पहले के मां कुछ कहती, मैं बोल पड़ा : चलो मां, आपके वो बाल काट दूं.
मां हंसते हुए : जा मेरे रूम में दराज पर वो लिफाफा पड़ा है एक, उसमे क्रीम है वो लेकर आ और अच्छा एक बात बता
मैं: हां मां, क्या?
मां : बेटा तु क्यूं नहीं काटता अपने नीचे के बाल?
मैं: एक बार काटे थे मां रेजर से, पर फिर डर सा लगता है उस से काटने से।
मां : तो ये मेरी वाली क्रीम से ही काट ले ना तु भी।
मैं: मैनें कभी काटे नहीं मां उस से और मुझे वो यूज करनी भी नहीं आती
मां: अरे मैं हूं ना, मैं बताऊंगी तुझे केसे यूज करते हैं, बेटा महीने में 1 बार काट लिया कर, नहीं तो ज्यादा बढ़ जाएं ना तो इन्फेक्शन , स्मेल और इचिंग होने का भी डर होता है।
मैं: अच्छा, क्या सच में मां?
मां : हां बेटा,चल ऐसा करते हैं मैं तुझे बताती हूं केसे काटते हैं और पहले तु मेरे काट दे बाल,फिर तु अपने काट लेना।
मैं: ठीक है मां
ऐसा कहकर में उनके कमरे से क्रीम लेकर आया। असल में उसे लगाने से बाल खुद ही कुछ मिनट बाद स्किन से हट जाते हैं ये मुझे बाद में पता चला। मैनें समान उठाया और अपने लोवर में से अंडरवियर उतार के मां के बैड पर रख के फिर लोवर डाला और एक्साइटमेंट में वहा से चला गया। फिर मैं मां के पीछे पीछे बाथरूम में गया और बोला : सलवार तो उतारो मां
मां : बेटा पहले मेरा नाड़ा तो खोल दे।
मैनें उनकी कमीज ऊपर उठा कर उनकी गर्दन के पास उन्हें पकड़ाई और नाला खोल कर उनकी चूत एक बार फिर सामने देख कर खुश सा हो गया। फिर उनकी सलवार उतरते ही मां को बिना कुछ कहे उन्हें अपनी बाहों से उठाकर बाथरूम में रखी चौंकी/पीढ़ी पर इस तरह टांगे खोल कर बिठाया जैसे उनके बाल नहीं बल्कि उनकी चूत मारने के लिए अपनी गर्लफ्रेंड को कोई बिठाता है। और मां चौंकते हुए एक मुस्कुराहट के साथ बोली : अरे क्या हो गया तुझे एकदम से।
मैं: कुछ नहीं मां, वो मेरा लंच टाइम ओवर हो जाएगा ना, इसलिए बस थोड़ा जल्दबाजी में हो गया।
मां : हां वो ठीक है, बेटा इतनी जल्दबाजी भी मत करना कहीं मां की चूत ही काट दे।
मां के मुंह से चूत सुनके मैं मुस्कुराया और फिर बोला : क्या काट दे मां।
मां को फिर ध्यान आया के वो क्या बोल गई अचानक और फिर हस्ते हुए कहने लगी : कुछ नहीं
मैं हंसते हुए बोला : अच्छा तो आप भी चूत ही कहती हैं इसे।
मां हंसते हुए : जो नाम है इसका वही कहूंगी ना बेटा।
मां : अब ये पैक खोल इसका, इसमें क्रीम और एक स्पैचूला होगा। वो निकाल..
स्पैचूला एक चम्मच टाइप सा होता है जिस से क्रीम लगाने के बाद बाल को हटाया जाता है।
मैनें वो पैक खोला और समान निकालकर बोला : मां, अब?
मां : अब बेटा ये क्रीम, मेरे ये बालों पर लगा और थोड़ी सी फैला कर 3-4 मिनट के लिए छोड़ दे।
मैनें उनकी चूत पर धीरे धीरे वो क्रीम लगाई और अपनी उंगली क्रीम लगाने के बहाने से उनकी चूत में भी हल्की सी सरका दी। मां कुछ नहीं बोली। फिर मैनें उस स्पैचूला के साथ उस क्रीम को अच्छे से फैलाया। मां की चूत पर क्रीम लगाते लगाते मेरा लन्ड पूरा कड़क हो चुका था।
फिर मैंने कहा : मां, अब?
मां : बेटा, अब रुकना पड़ेगा, इतना तू भी लगा ले अपने बालों पर।
मैनें मस्ती में होकर बिना कुछ ज्यादा कहे अपना लोवर उतारा और ये पहली बार थे के मां मेरा खड़ा लन्ड देख रही थी। ये देखते ही उनकी आंखो में चमक सी आ गई और मैं नीचे जमीन पर बैठा ही था के मां बोली : अरे बेटा, ठंडा है नीचे, रुक जा
मैं यूंही घुटनो के बल बैठा और बोला : मां, ऐसे बैठ कर तो मेरी टांगे सही खुलेंगी नहीं और क्रीम लगेगी नहीं।
मां : हां बेटा, ये पीढ़ी/चौंकी एक ही है ना बैठने के लिए, चल ऐसा कर, पहले मेरे साफ करदे फिर तु अपने कर लेना। अभी मत लगा क्रीम।
मैं: ठीक है मां
फिर मैं यूंही बैठ कर उनकी खुली टांगो के बीच उस चूत को देखने लग गया और बोला : मां, इस क्रीम को लगाने से क्या चूत एकदम साफ हो जाती है?
मां हंसते हुए : हां, बेटा।
मैं: मां, मैनें आजतक कभी सामने से चूत नहीं देखी थी, आज पहली बार देखी है।
मां : हां, तेरी गर्लफ्रेंड है नहीं कोई तो कहा से देखेगा भला।
मैं: मां, गर्लफ्रेंड तो अब है मेरी ओर मैने उसकी चूत देख भी ली है।
मां और मैं फिर हसने लगे और मां बोली : चुप बदमाश कहीं का, मैं नहीं हूं तेरी कोई गर्लफ्रेंड, समझा ना बुद्धू
मैं: आप मानो या ना मानो, मैं तो मानता हूं।
मां : चुप कर, बुद्धू और एक बात बताऊं तुझे?
मैं: क्या मां?
मां : वैसे तूने असली चूत अभी भी नहीं देखी बेटा।
मैं: वो केसे मां?
मां : बेटा, असली चूत तो इन झांटों के पीछे छुपी है, जब से साफ होंगी ना फिर देखना असली चूत तो
फिर मां हसने लगी और बोली : चल अब, इसे साफ कर दे और देख ले असली चूत, तु भी क्या याद रखेगा। तूने मेरी इतनी मदद की है 2-3 दिन से, तो तुझे एक असली चूत के दर्शन तो करवा ही सकती हूं मैं।
मैं खुश होकर उनकी वो क्रीम चूत पर से हटा कर हैरान हो गया ।इतनी गुलाबी और फुली चूत, वाह , असल चूत तो बालों को हटा कर ही देखने पर दिखती है ये मुझे उस दिन पता चला।
मैं उस पर से उंगली फेरने लगा के मां बोली : क्या कर रहा है पागल। चल जल्दी से अब तु भी साफ करले फिर तेरा लंच ब्रेक भी ओवर होने वाला है।
ऐसा बोलते ही मां उस पीढ़ी से उठी और मुझे वहां बैठने का बोलकर मेरे पास घुटनों के बल बैठ गई और मेरे खड़े लन्ड को देखने लगी और बोली : क्रीम लगा इस पर बेटा।
मैनें उस पर क्रीम लगा के बाकी क्रीम साइड पर रखी ही थी के मां चीख पड़ी : कॉकरोच कॉकरोच
एक कॉकरोच उनके पैर के पास से हमारी ओर आ रहा थे के मां एक दम डर के मारे चीखती हुई मेरे ऊपर आ बैठी और चीखी : आहहहह मर गई।
हुआ यूं कि मां की चूत उसी वक्त साफ की थी और मेरे लोड़े पर क्रीम लगी होने के कारण वो बिलकुल चिकना हो रखा था और जैसे ही मां मेरे ऊपर बैठी , लोड़ा सीधा मां की चूत में घुस गया और मां चीख पड़ी। मेरे लन्ड पर पहली बार कोई चूत बैठी थी वो भी मेरी मां की , ये महसूस करते ही मेरी आखें बंद हुई और मां फिर से सिसकी लेते बोली : आह, उई मां
हम दोनो इस वक्त शांत थे के मेरे लैपटॉप से मीटिंग के कॉल की आवाज आने लगी और मां एकदम से होश में आते हुए लन्ड पर से उठी और हम दोनों ने ना तो नजरे मिलाई और ना ही कुछ कहा। मैं मन ही मन अपने मैनेजर को गाली देने लगा के भोंसड़ी वाले ने बनता काम बिगाड़ दिया। फिर 5 मिनट की शांति के बाद मैनें अपने बाल साफ करके पानी से धो कर लोवर डाला तो मां बोली : बेटा, ये सलवार भी डाल देना।
मैं सलवार डालने लगा के मां की साफ चूत और गांड़ की निचली साइड की दरार पर मेरे लन्ड से लगी क्रीम देख कर बोला : मां ये क्रीम ....और नीचे इशारा किया
मां : ये धो दे बेटा।
मैनें फिर पानी से उनकी चूत और वो दरार साफ की और सलवार उनको डालकर अपने रूम में चला गया।