मां के हाथ के छाले
Part : 18
फिर 2 मिनट बाद मां दवाई लेकर रूम में आई और बोली : इसे लगा देती हूं, जलन कम हो जाएगी तुझे।
मैं: ठीक है मां।
फिर मां ने मेरा लोड़ा अपनी उंगलियों से पकड़ कर थोड़ा सा ऊपर उठाया और खुली टांगों के बीच क्रीम लगाने लगी।
मैं: आ आ आह, मां।
मां : दर्द हो रहा है क्या बेटा?
मैं: हां मां
मां : कहां पर हो रहा है मुझे बता।
मैं मां की लन्ड पर रखी उंगलियों पर हाथ लगाकर बोला : यहां पर।
मां लन्ड को ऊपर नीचे करके देखने लगी के कहीं चोट तो नहीं है कोई और फिर बोली : बेटा बता, इस पर तो कोई चोट का निशान भी नहीं दिख रहा, क्या करूं पूरे पर क्रीम लगा दूं क्या?
मैं: नहीं मां ये तो अंदरूनी दर्द हो रहा है, इस क्रीम से कैसे ठीक होगा
मां : फिर मूव वाली क्रीम रखी है, वो लगा दूं बेटा?
मैं: हां मां, मूव वाली लगा दो।
मां उठी और अपने कमरे से मूव क्रीम लेकर आई और लोड़े पर लगाने लगी। मां के क्रीम लगाते लगाते लोड़ा पूरा टाइट खड़ा हो गया , पर मां ने एक शब्द भी नहीं बोला उस बारे में।
फिर मैंने कहा : मां, क्या आप इसे अंडरवियर के अंदर कर दोगी? मैं हाथ लगाऊंगा तो सारी क्रीम मेरी उंगलियों पर लग जाएगी, आपकी उंगलियों पर तो पहले से ही लगी हुई हैं।
मां : हां बेटा, मैं कर देती हूं।
मां ने एक हाथ से लन्ड पकड़ा और दूसरे से अंडर वियर ऊपर की ओर थोड़ा सा उठाया और बोली : बेटा इस से तो तेरा सारा अंडर वियर और लोवर गंदा हो जाएगा।
मैं: हां मां, फिर अब?
मां : बेटा अगर मैं अकेली घर पर होती तो तू ऐसे ही रह लेता बिना लोवर और अंडरवियर के, पर अब तेरे पापा भी घर हैं तो तुझे ढकना तो पड़ेगा ही ये।
मैं: हां मां, आप ही बताओ फिर क्या करूं?
मां सोचने लगी और बोली : एक आइडिया है।
मैं: क्या मां?
मां : अगर तू इसपर गुब्बारा डाल ले और इसे अंडरवियर में डाल ले फिर कपड़े गंदे नहीं होंगे और क्रीम भी सही लगी रहेगी।
मैं: हां मां, पर अब गुब्बारा कहां से लाऊं?
मां : बेटा मेरे पास एक चीज है, गुब्बारा तो नहीं पर तेरे इस काम आ सकता है जरूर
मैं: क्या है मां?
मां : रुक मैं अपने रूम से लेकर आती हूं।
मां अपने रूम से कुछ लेकर आई और बोली : अब तेरा काम हो जाएगा, देख।
मां के हाथ में कोंडोम का एक पैकेट था , मुझे दिखाते हुए बोली : इसे डाल ले , काम चल जाएगा।
मैं: ये क्या है मां?
मां : बेटा ये गुब्बारा ही है, बस तु डाल ले ज्यादा कुछ पूछ मत।
मैं: ठीक है मां, आप फूला कर तो दो इसे पहले, फिर डालूंगा ना।
मां हसने लगी और बोली : बेटा ये फूलता नहीं है सिर्फ चढ़ता है।
मां ने वो पैकेट अपने मुंह से फाड़ा और उसमें से मैंगो फ्लेवर का डॉटेड कोंडोम निकला, मां हस्ते हस्ते उसे मेरे खड़े लोड़े पर चढ़ाने लगी और क्रीम लगी होने के कारण कोंडोम एक दम आसानी से चढ़ गया और मां बोली : ले बन गया तेरा काम, तु जबतक इसे डाल सके, डाल ले, फिर जब तेरे पापा चले जाएंगे तो भले उतार देना और यूंही उसे हवा लगने के लिए खुला छोड़ देना।
मैं: ठीक है मां, पर...
मां : पर क्या?
मैं: पर ये इस गुब्बारे से पर ये इतनी सारी डोट्स क्यूं बनी हुई है और ये फ्रूटी जैसी खुश्बू क्या इसमें से आ रही है?
मां हस्ते हस्ते बोली: बेटा ये, डोटेड है और मैंगो फ्लेवर है इसलिए तुझे शायद फ्रूटी जैसी खुश्बू आ रही है।
फिर मां ने मेरा अंडरवियर और लोवर ऊपर किया और बोली : अब कैसा लग रहा है?
मैं: अब ठीक लग रहा है मां।
मां : तेरे पापा भी उठने वाले हैं, मैं नाश्ता बनाती हूं, तु उनसे स्कूटी के ठुकने के बारे में कुछ मत बताना।
मैं: ठीक है मां, थैंक्यू।
मां : अरे थैंक्यू क्या, गलती भी तो मेरी ही थी।
ऐसा कह कर मां चली गई और मैं खड़े लन्ड पर कोंडोम चढ़ा कर बैठा अपने कमरे में दर्द के नाटक को भूल मुस्कुराने लगा। फिर मै यूंही 10-15 मिनट तक बैठा रहा और गाने सुनने लगा के खड़ा लन्ड बैठ जाए और मैं पापा के सामने जा सकूं
फिर थोड़ी देर बाद जब लन्ड बैठ गया तो मैं भी नाश्ता करने गया और हम तीनों ने मिलकर नाश्ता किया। फिर मैं अपने ऑफिस के काम में लग गया और करीब 11 बजे पापा चले गए। पापा के जाने पर मां मेरे कमरे में आई और मुझे देखने लगी, मैं एक ऑडियो कॉल पर था अपने ऑफिस की टीम के साथ तो मां मेरे पीछे खड़ी होकर मेरे बालों साथ खेलने लगी और हसने लगी।
मैंने 2-3 मिनट बाद कॉल कट किया और मां से बोला : क्या हुआ मां?
मां : कुछ भी तो नहीं.
मां फिर बोली : अच्छा सुन, वो तेरे पापा ना चले गए हैं।
मैं: ठीक है मां।
मां : ठीक है नहीं, मेरा मतलब है के तेरे पापा चले गए हैं और तूझे अगर परेशानी हो रही हो इस गुब्बारे में तो उतार देना जब तक कोई नहीं आता घर।
मैं: हां मां, थोड़ा अजीब तो लग रहा है कब से।
मां : हां तो उतार दे ना, रुक तु काम के चक्कर में उतरेगा तो है नहीं, मैं खुद ही उतार देती हूं।
मां ने मेरी चेयर पकड़ के पीछे की तरफ घुमाई और बोली : थोड़ा सा ऊपर उठ, मैं लोवर खीचती हूं.
मैं उठा नहीं और सोच कर 1 मिनट बाद बोला : मां, आपको कुछ याद आया इस इंसीडैंस से?
मां : नहीं तो , क्या?
में हस्ते हुए : मां, आपको याद हैं जब मैनें आपकी टांगे अपने कंधे पर रख के आपको थोड़ा ऊपर उठाके पैंटी और सलवार उतारने में आपकी हैल्प की थी।
मां भी हसने लगी और बोली : हां हां, वो कैसे भूल सकती हूं, देख ले सोनू आज मैं तेरी की हुई मदद तुझे वापस कर रही हूं।
मैं हसने लगा : हां मां।
मां फिर बोली : चल अब थोड़ा सा ऊपर को उठ, मेरा मतलब अपनी गांड़ उठा।
ऐसा बोलकर मां और मैं दोनों हसने लगे और मैंने अपने हाथ कुर्सी की साइड में रख कर अपने आप को हल्का सा ऊपर उठाया और इतने में मां ने मेरा लोवर और अंडरवियर थोड़ा सा आगे सरका लिया। लोवर और अंडरवियर नीचे से तो आगे सरक गया पर ऊपर से वो मां को देख फिर खड़े हुए लोड़े पर अटक गया।
मां ने फिर अपने हाथ से लोवर और अंडरवियर मोड़ कर नीचे किया और लोड़े को देखने लगी और बोली : बेटा अब दर्द तो नहीं हो रहा।
मैं: हल्का हल्का हो रहा है मां और ये जो छिल गया है नीचे ,यहां टांगे आपस में जुड़ने से ज्यादा हो रहा है।
मां : हां, बेटा, ठीक हो जाएगा, मैं ये भी उतार देती हूं, तु इसे थोड़ी देर खुला छोड़ दे, जल्दी ठीक हो जाएगा।
मां ने कोंडोम धीरे धीरे उतारा और वो पूरा क्रीम से और मेरे लोड़े से टपकी कुछ बूंदे से गंदा हो गया था। उसे उतार कर मां बोली : मै इसे डस्टबिन में फैंक देती हूं, तु इसे खुला छोड़ दे और काम कर ले ऑफिस का। और मुझसे कुछ भी काम हो तो आवाज लगा लेना।
मैं: ठीक है मां
मां फिर किचन में काम करने चली गई और मैं अपनी टांगों को थोड़ा खोल कर बैठ कर ऑफिस का काम करने लगा।