मां के हाथ के छाले
Part : 17
हम दोनो अब गर्म हुए पड़े थे और एक दूसरे से घुमा फिरा कर बातें कर रहे थे। सीधे मुंह ना तो मां चूदाई चाहती थी और ना ही मैं।
मां की गांड़ देखकर मैं बोला : हां, मेरी बेबी ने कपड़े तो सारे नए ही डाले हैं
मां : मेरे बुद्धू ने पहली बार दिलाएं है तो यही डालूंगी ना बाबा।
मैं: हां बेबी, तुम्हे जब भी और कपड़े चाहिए हों,तुम मेरे साथ शॉपिंग पर चलना।
मां : और मेरे हसबैंड को पता चल गया तो?
मैं: थोड़ी देर पहले कोई बोल रहा था के जवान लड़के डरते हैं और अब मुझे ये शादी शुदा औरत ज्यादा डरी हुई लग रही है।
मां : नहीं नहीं, मैं नहीं डरती।
इतने में कार का हॉर्न बजा और मां : जाओ बुद्धू, मेरे हसबैंड आ गए हैं, बाकी सब बाद में।
मैं: जाता हूं जाता हूं बेबी
मैं कुछ बोलता के पापा ने मैन गेट खड़ खड़ाया और मैं धीरे से मां को एक स्माइल देकर रूम से निकल गया। फिर गेट खोला और पापा बोले : हो गया त्यार बेटा?
मैं: जी पापा।
पापा : और तेरी मम्मी?
मैं: हां बस हो ही गए हैं।
पापा : चलो ठीक है, बस 10 मिनट में मैं भी हो जाता हूं त्यार हाथ मुंह धोकर ,फिर निकलते हैं।
मैं: ठीक है पापा
फिर थोड़ी देर बार त्यार होकर मां और पापा दोनो बाहर आते हैं और घर को लॉक कर हम तीनो गाड़ी लेकर निकल जाते हैं। पापा गाड़ी ड्राइव कर रहे होते हैं, मां उनके साथ वाली सीट पर बैठी होती है और मैं मां के पीछे वाली सीट पर। जहां शादी थी वो होटल हमारे घर से करीब 1 घंटे की दूरी पर था। करीब 10 मिनट चलने के बाद मैं बैठा बैठा बोर होने लगता हैं और सोचता हूं आज मां की उस नई साड़ी में गांड़ देखकर मजा ही आ गया फिर सोचते सोचते मैं मुस्कुराने लगता हैं और मां जैसे ही पीछे मुड़ कर मुझे देखती है आंख मारती है और बोलती है : सुनो बेटा, पानी की बॉटल देना।
मैं उन्हें पानी की बॉटल पकड़ाता हूं और दोबारा छोटी सी स्माइल देता हूं। फिर हम यूंही गाने सुनते सुनते होटल में पहुंच जाते हैं। क्या शानदार सजावट की हुई होती है वहां पर। गाड़ी में से हम सब उतरते हैं और पापा अपने दोस्तों को देखते ही उनकी तरफ दौड़ते हैं और फिर हमारी हाय हैलो करवाते हैं, फिर वो अपनी बातों में लग जाते हैं और मां और मेरे लिए यहाँ पर यूं तो सभी अनजान ही थे इसलिए हम दोनो साथ वहां घूमने लगते हैं। और मां बोलती है : ओए मेरे बुद्धू, मुझे गोलगप्पे खाने हैं।
मैं: चलो फिर मेरी बेबी को हम गोलगप्पे खिला देते हैं।
फिर हम एक ही प्लेट में इकठ्ठे खड़े होकर गोलगप्पे खाते हैं। औरतों को चटपटा खाना बहुत पसंद होता है और मां भी वो सब मसालेदार खाना देखकर खुद को रोक नहीं पाती । फिर उनके साथ साथ घूमने पर मैं भी सब चीजे थोड़ी थोड़ी चखता हूं और मां तो बड़े चाव से मजे ले ले कर सब खाती है।थोड़ी देर तक इधर उधर घूमने के बाद फिर हम पापा को देखने लगे और जाने की तयारी करने लगे लड़की वालों को बधाई देकर के पापा के दोस्त बोले पापा से : अरे रुक जा ना यार, कहां अब इतनी रात में जाएगा। हमने कमरे बुक किए हुए हैं, वहा आराम से सोना, फिर चले जाना कल।
पापा : अरे नहीं नहीं, अभी चले जाएंगे ,कोई परेशानी नहीं है।
फिर इतने में आंटी मां से बोल पड़ी : अरे रुक जाइए ना भाभी, आप पहली बार तो आए हैं हमारे यहां, रुक जाइए।
मां : रुक जाते पर अब हम कपड़े भी नहीं लाए और ऐसे साड़ी में सोना थोड़ा मुश्किल सा होगा।
आंटी : अरे इतनी सी बात, आप चिंता ना करो मैं मेरी एक नाइटी भिजवा देती हूं, आप वो डालकर सो जाइएगा ।
मां पापा को देखने लगी के क्या करना है अब। और उनके इतना कहने पर फिर पापा ने रुकने का मन बना लिया और फिर वो हमें कमरे के पास ले गए और बोले : ये यहां आराम कर लीजिए आप।
फिर 5 मिनट बाद आंटी आई और का को एक नाइटी पकड़ाकर चली गई।पापा अपनी पेंट शर्ट उतार अंडरवियर और बनियान में ही एक तरफ लेट गए। मां पापा के सामने : सुनिए जी, मैं यही रूम में साड़ी चेंज कर रही हूं, बाथरूम में करूंगी तो सारी नीचे गीले फर्श से भीग ना जाए।, ठीक है सोनू, तुम भी उधर मुंह कर लेना
पापा दूसरी ओर मुड़ कर लेट गए और बोले : ठीक है करलो, मैं सो रहा हु, सुबह 6 बजे निकलेंगे, रेडी हो जाना।
मैं पापा के मुड़ते ही मां को स्माइल देकर बिना मुंह दूसरी तरफ किए बोला : ठीक है मां, आप करलो चेंज।
मां भी मेरी स्माइल देख कर मुझे हस्ते हुए एक थप्पड़ दिखाने लगी और अपनी साड़ी खोलकर आंख मारने लगी। मां ने इस कदर अपनी साड़ी अपने होठों को दबाते हुए उतारी जैसे कोई स्ट्रिपर हो, ये सब देख कर मैं खुश होने लगा। फिर मां ने वो नाइटी डाली और बैड में बीच में आ कर लेट गई। फिर हमने आराम किया और अगले दिन सुबह उठकर हम पापा के दोस्त से मिलकर जाने लगे के 2 आदमी उनके गेट पर आए, उनमें से एक अंकल से बोला : साहब वो आपने स्कूटी बेचने के लिए बुलाया था, इन्होंने स्कूटी लेनी है।
अंकल : हां देख लीजिए, ये रही स्कूटी।
जब पापा का ध्यान इस बात से स्कूटी पर गया तो पापा अंकल से बोले : ये स्कूटी किसकी है।
अंकल : अरे गुडिया की थी, वो अब शादी हो गई तो सोचा बेच देंगे , हमारे कोन सा किसी काम की है अब, तो कुछ दिन पहले इस भाई को बोला था बेचने के लिए कोई ग्राहक हो तो बताना।
पापा : यार वैसे मैं भी सोच रहा था के एक स्कूटी घर के लिए ले लूं , तेरी भाभी चला लिया करेगी।
मां : अरे पर मुझे कहां आती है चलानी?
पापा : हां तो इसमें कोई बड़ी बात थोड़ी है, अब घर पर होगी तो सिख लेना, सोनू तुम्हे सीखा देगा।
मां स्कूटी लेने और सीखने की बात से खुश हो गई और बोली : ठीक है जी
अंकल : अरे हां, क्यूं नहीं, तु देख ले सही लगती है तो रख ले।
पापा ने स्कूटी देखी और उन्हें सही लगी फिर पापा ने कहा : चल ठीक है तु ये मुझे ही देदे, बाकी इसके डॉक्यूमेंट और पैसों वगैरा का कर लेंगे फिर,
अंकल : अरे तू ले जा यार, वो देख लेंगे बाद में।
फिर वो दोनो आदमियों को अंकल ने मना कर दिया और मुझसे पापा बोले : सोनू बेटा, ऐसा कर मैं तेरी मम्मी को लेकर गाड़ी से चलता हूं, तू पीछे पीछे स्कूटी लेकर आ जाना।
मैं: ठीक है पापा।
फिर पापा उनसे इजाजत लेकर चले गए। और फिर अंकल ने मुझे एक हेलमेट, गाड़ी के कागज़ और चाबी दी और मैं भी उन्हें नमस्ते करके निकल गया। रास्ते में सोचता रहा के अब मां को स्कूटी सिखाने का मोका मिलेगा और साथ में उनके चूचे दबाने का भी, मजा आ जाएगा।
फिर मैं लगभग 1 सवा 1 घंटे बाद घर पहुंचा , तब तक मां पापा आ चुके थे और चेंज भी कर चुके थे। मां स्कूटी देख के काफी खुश थी। और फिर वो दिन इधर उधर के कामों में कब गुजर गया के पता ही नहीं चला और मां से कोई डबल मीनिंग बात भी नहीं हुई। फिर जब हम तीनो बैठ कर डिनर करने लगे तो पापा बोले : सिख लेना अब तुम स्कूटी, कभी कभार जरूरत पड़ ही जाती है।
मां : जी, आप कल से ही सिखाना शुरू कर दीजिए ना।
पापा : अरे मैं कहां सिखाऊंगा, अपना सोनू है ना, वो सीखा देगा।
मां : सोनू बेटा, सिखाएगा मुझे स्कूटी?
मैं: क्यूं नहीं मां , जरूर।
मां : ओके, मैं सुबह 5 बजे तुझे उठाऊंगी, फिर चलेंगे।
पापा : तुम तो बहोत एक्साइटेड लगती हो स्कूटी सीखने के नाम से।
मां : और नहीं तो क्या।
फिर मैं अपने रूम में जाकर सो गया।
सुबह जब 5 बजे मां ने मुझे हिलाया और आवाज लगाई तो मेरी आंख खुली और मैं: क्या है मां, सोने दो ना।
मां : उठ ना बेटा, स्कूटी सीखने जाना है मुझे।
मैं नींद मे : हां हां।
मां : अरे उठ भी जा मेरे बूद्धू
मैं फिर से नींद में बोला : सोने दो ना प्लीज़।
मां ने फिर मुझे गुदगुदी करते हुए उठाया और मैं इस से अचानक से ही उठ गया और होश में आकर बोला : ओ, अच्छा आप हो मां, मुझे लगा में सपने में हूं।
मां : अब जल्दी चल भी , मुझे स्कूटी सीखा।
मैं: ठीक है मां, 5 मिनट बस हाथ मुंह धोलू, फिर चलते हैं।
मां : ठीक है
फिर 5-7 मिनट बाद मां और मैं घर से बाहर निकले, मां ने एक पजामी और कमीज डाल रखी थी और मैं लोवर और टी शर्ट में था। मैनें स्कूटी गेट से बाहर निकाली और मां को पीछे बिठाकर घर से चल दिया।
मां : बेटे , कहा पर सिखाएगा स्कूटी?
मैने मां को रास्ते के बारे में बताया जो आगे जाकर बंद था और आगे एक खाली मैदान में संडे को लोग क्रिकेट खेलने आया करते थे। पहली बार जब आप स्कूटी चला रहे हों तो खाली मैदान से ज्यादा अच्छी जगह कोई नहीं होती।
मां ने ये खाली मैदान का सुनकर बोला : ठीक है बेटा।
फिर करीब 10 मिनट बाद हम उस मैदान में पहुंचे और मां उतर के मेरे पास आकर खड़ी हो गई और मैं उन्हें स्कूटी के ब्रेक, रेस और बाकी चीजों के बारे में बताने लगा। सब कुछ उन्हें बताकर अब मां की बारी थी स्कूटी पर बैठकर उसे चलाने की। फिर मैं पीछे सीट पर सरका और बोला : आओ मां, अब आप बैठो और चला कर देखो।
मां स्कूटी पर बैठी और उसे स्टार्ट करके चलाने लगी के बोली: बेटा, मैं गिर तो नहीं जाऊंगी ना, प्लीज पकड़ के रखना।
मैं: अरे घबराओ मत मां, मैं हूं ना।
मां: ठीक है बेटा।
फिर मां बिल्कुल धीरे धीरे चलाने लगी और एकदम झटके से उन्होंने ब्रेक लगाई के मैं थोड़ा आगे सरक गया फिसला और मां से चिपककर बोला : क्या हुआ मां, धीरे से ब्रेक लगाते हैं।
मां : सोरी सारी वो तेज दब गया।
मैं: कोई बात नहीं, चलो अब।
अभी लगभग सुबह के पौने 6 ही बजे थे। और हमारे आसपास कोई भी नहीं था। दरअसल मानसून का मौसम था तो अभी भी आसमान में बादल छाए थे और हलका हल्का सा अंधेरा था। मां बिल्कुल टाइट पजामी डाल मेरे आगे बैठी थी और मैं चिपक कर उनसे बैठा था के मां बोली : बेटा, तु ये हैंडल पकड़ ना और रेस का दुबारा बता, मुझसे सही चल नहीं रही।
मैने अपने दोनो हाथ आगे कर उनके स्कूटी के हैंडल पर रखे हाथों पर रखे और अपने चेहरे को उनकी गर्दन के बेहद पास लेजाकर बोला : शुरू शुरू में किसी से नहीं अच्छी तरह चलती मां, आ जाएगी धीरे धीरे आपको भी।
ये पहली बार था के मैं मां के चेहरे के इतना करीब था। उनके सोफट हाथों की वो गर्माहट और उनकी उस खुश्बू को पाकर मैं खुश सा हो गया। एक शादी शुदा औरत के जिस्म की खुशबू वाकए में बेहद मन मोह लेने वाली होती है। और ठीक यही हुआ मेरे साथ भी।
करीब 1 घंटे तक मां ने स्कूटी चलाई और इस बीच मैं उनकी गांड़ का एहसास और कमर से चिपके रहने के एहसास से ही मजे लेते रहा और मां कुछ नहीं बोली, बस स्कूटी सीखने में ही एक्साइटेड रही। फिर मैं बोला : मां, अब आपको थोड़ी थोड़ी चलानी आ गई है। अब ऐसा करते हैं के मैं उतरता हूं फिर आप चलाना।
मां : नहीं बेटा, ऐसे गिर जाऊंगी मैं।
मैं: अरे कुछ नहीं होगा, मैं हूं ना।
फिर मां मेरे से थोड़ा दूर गई धीरे से स्कूटी चलाकर और मैनें फिर उन्हें आवाज लगाई : सुनो मां, अब ब्रेक का अच्छा से इस्तेमाल करना, ठीक है।
मां : हां, ठीक हैं।
मैं: अब आप वहां से मेरे पास आओ और बिल्कुल पास आने से पहले हल्के हल्के ब्रेक लगाना शुरू कर देना रेस को छोड़कर।
मां : ठीक है बेटा।
फिर मां वहा से सीधा चलाते हुए मेरे पास आई और एकदम ब्रेक ना मारते हुए सीधा मैरी टांगों के बीच ठोक दी।
मैं एकदम इस से चीख पड़ा : आह
और सामने से ठूकने से मैनें एकदम उसकी ब्रेक लगाई। मां एकदम घबरा गई और बोली : सोरी सोरी, गलती से ब्रेक लगा ही नहीं।
मैं थोड़ा दर्द वाली आवाज में : कोई बात नहीं मां, शुरू शुरू में होता है ऐसा।
फिर मां : तुझे ज्यादा तेज लगी क्या?...दिखा तो जरा।
मैंने स्कूटी की तरफ देखा और फिर जमीन पर बैठ कर बोला: हां शायद ये स्कूटी के नंबर प्लेट से थोड़ी सी स्किन छील गई है।
मां : दिखा मुझे।
मैं: मां यहां कहां दिखाऊं आपको, कोई देख लेगा।
मां : सोरी बेटा, मेरी वजह से, चल घर चलते हैं।
मैनें स्कूटी उठाई और मां को पीछे बिठा कर घर की ओर निकल गया। रास्ते में मां बोली : सोरी बेटा, गलती से हो गया।
मैं: अरे कोई बात नहीं, हो जाता है कभी कभार।
मां : अच्छा सुन, पापा से तो नहीं कहेगा ना, अगर उन्हें पता चला के पहले दिन ही मैनें कांड कर दिया तो कहीं फिर सीखने ही ना दें।
मैं: अरे आप चिंता मत करो, मैं कुछ नहीं कहूंगा उन्हें।
मां : थैंक्यू बेटा। मैं घर चलकर तुझे इसपर दवाई लगा देती हूं।
फिर हम घर पहुंचे करीब पोने 7 बजे, मैंने स्कूटी अंदर लगाई और अपने रूम की ओर टांगों को थोड़ा एक दूजे से हटाकर चलने लगा। मां पीछे पीछे ये देख रही थी और वो भी मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे तक आ गई। पापा अभी भी सो ही रहे थे।
फिर मां मेरे कमरे में आकर बोली : दिखा बेटा, कहां चोट लगी है, दवाई लगा देती हूं मैं।
फिर मैं बैड के पास खड़ा था और मां नीचे बैठ गई। मां जैसे ही नीचे बैठी उनके मोटे मोटे चूचों के बीच बनी क्लीवेज मुझे नजर आने लगी और मैं उसे देखकर और मां को इस तरफ नीचे मेरी टांगों के पास बैठा देखकर मन में बोला : कहीं मां मुझे ब्लोजॉब देने की तयारी में तो नहीं।
फिर मां बोली: दिखा बेटा कहां चोट लगी है।
मैं भी बिना कोई आना कानी किए एक्साइटमेंट में एकदम अपना लोवर नीचे कर दिया और अंडरवियर की ओर कहते बोला : मां इसके भी नीचे लगी है।
मां : हां तो उतार इसे भी।
ऐसा कहते ही मैंने अंडरवर उतार दिया और मां ने आज दूसरी बार मेरा लोड़ा देखा। एक जब शेव किया था तब और एक आज। मां लोड़ा देखकर मुस्कुराई और बोली : इस पर लगी है।
मैं: नहीं मां, इसके नीचे ये।
मैनें टांगे थोड़ी सी खोली और उसके बीच नीचे से थोड़ी सी स्किन छील गई थी , जिसे देखकर मां बोली : अरे , ये तो छील गया है। दर्द हो रहा होगा ना।
मैं: हां मां।
मां : रुक मैं वो छाले वाली ऑइंटमेंट है ना, वो लेकर आती हु।
मैं: ठीक है मां
मां फिर कमरे से बाहर जाने लगी और उनकी टाइट पजामी में कैद वो गांड़ देखके मैं खुदसे बोला : पहला थैंक्यू उन छालों का और दूसरा इस छीली हुई स्किन का। जो काम छालों ने छोड़ दिया, वो ये छीली हुई स्किन पूरा करेगी।