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Incest मां के हाथ के छाले

Ek number

Well-Known Member
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173
मां के हाथ के छाले
Part : 20
फिर मां स्कूटी रोक कर हल्का सा ऊपर उठी और मैंने धीरे से उनकी पजामी पीछे से थोड़ी नीचे सरका दी, फिर जैसे ही मैं उनकी पैन्टी पकड़ के सरकाने लगा मां बोली : रुक बेटा, ये मत सरका।
मैं: ऐसे तो फिर ये गंदी हो जाएगी मां।
मां : हां बेटा, मैनें अभी वो कल शादी में डाल कर गई थी ना ब्लैक वाली, वही डाल रखी है, ये वैसे भी रात में उतारनी ही है मुझे तो गंदी हो भी गई तो भी कोई बात नहीं।
मैं: ठीक है मां।
मैनें फिर उसे उतारने के बजाए उसको नीचे से पकड़कर गांड़ की साइड में फसा दिया। मेरे ऐसा करते ही मां ने हल्की सी सिसकी ली और बोली : क्या कर रहा है सोनू बेटा?
मैं: मां वो जैसे आप उस दिन बता रही थी ना बाथरूम में कर के, वही देख रहा था।
मां : अच्छा बेटा, धीरे से करते हैं, नहीं तो नीचे के होंठों से खीच जाती है।
मैं: नीचे के होठ कोन से मां?
मां : और वो चूत वाले, वो भी एक तरह के होठ ही होते हैं।
मैं: अच्छा मां।
मां फिर सीट पर बैठ गई और स्कूटी चलाने लगी। मैनें आसपास फिर नजर दौड़ाई और मौके का फायदा उठाकर लन्ड सीधा उनकी पीछे से नंगी हुई गांड़ में अड़ा दिया। मैनें तो लन्ड सिर्फ उनकी पजामी में ही ढकने के बहाने से डाला था पर वो तो सीधा जाकर उनकी गांड़ की दरार में फिसलने लगा। इस एहसास से हम दोनो बेहद गर्म हो गए और मां सिसकियां भरते भरते स्कूटी बिलकुल धीमे चलाने लगी। हम दोनों अब गर्म होकर आगे पीछे होने लगे और एक दूजे के जिस्म का एहसास करने लगे। मां अपनी गांड़ मेरे लोड़े पर रगड़ती रही और इधर मैं अपना लोड़ा उन पर रगड़ता रहा।
हम इस रगड़ से ही एक दूजे के मजे लेते रहे और फिर मां बोली : बेटा अब घर चलते हैं, तेरे पापा आने वाले होंगे।
मैं: ठीक है मां।
फिर मैंने मां को पीछे बिठाया और हम दोनो घर की ओर निकल पड़े। रास्ते में एक मेडिकल स्टोर पर मां ने मुझे स्कूटी रोकने को कहा और बोली : चल मेरे साथ, एक सामान लेना है मैनें।
मैं: ठीक है चलो।
फिर मां ने उस स्टोर में से दो कोंडोम के पैक उठाए और बोली : देख तो बेटा, कोनसा सही है?
मैं: मां , ये किस लिए?
मां : अरे बेटा वो तुझे नीचे कपड़े पहनने में दिक्कत ना हो ना इसलिए ले रही हूं।
मैं: ठीक है मां
मां : हां, अब बता ना कोनसा लूं?
मैं: आपको कोनसा पसंद है मां?
मां : ये स्ट्राबेरी वाला....
मैं: तो ये ले लो मां
मां : ठीक है।
मां ने एक बड़ा पैक उठाया जैसे अब चूदाई के लिए सभी परबंध कर रही हो। फिर काउंटर पर पे करके हम वहां से निकल गए और मां बहुत खुश लग रही थी। मैं ये सोच रहा था के मां ने कोंडोम तो ले लिए, इसका मतलब अब चूदाई का समय दूर नहीं है।
फिर हम घर पहुंचे और घर पहुंच कर मां ने मुझे वो कोंडोम दिए और बोली : इसे अपने कमरे में रख ले और जब भी डालना हो ना मुझे बता देना, मैं पहना दूंगी।
मैं: ठीक है मां।
फिर थोड़ी देर बाद पापा आ गए। वो हाथ धोकर फ्रेश हुए और टीवी देखने लगे। जब रात का खाना खाने की बारी आई तो हम तीनों ने मिलकर खाना खाया और फिर पापा थोड़ी देर इधर उधर की बाते कर के अपने कमरे में चले गए। उनके जाने पर मैं भी उठा और अपने कमरे में आकर सोचने लगा के अब क्या किया जाए जिस से उनकी चूत मिल सके। फिर ये सब सोचते सोचते मेरा लोड़ा थोड़ा टाइट हो गया। और मां जैसे ही सोने से पहले मेरे कमरे में आई, उस जख्म के बारे में पूछने, तो मैनें नाटक करते हुए कहा : मां अब दर्द सा होने लगा है इसमें। और ये ऊपर जलन हो रही है।
मां : ओ, अच्छा , रुक मैं दवाई लगा देती हूं।
मैं: ठीक है मां।
फिर मां अपने कमरे से दवाई लेकर आई और मेरे कमरे की कुंडी लगाकर उसे मेरे जख्म पर लगाने लगी। दवाई लगाने के बाद मां बोली : बेटा, तेरे पापा घर ही हैं तो तु इसे ढक कर ही सोना।
मैं: ठीक है मां
मां : हां वो गुब्बारे...मेरा मतलब है कोंडोम कहां रखे है जो लाए थे।
मैं हस्ते हुए : मां मुझे पता है वो कोंडोम हैं।
मां : अच्छा जी, बुद्धू अब बड़ा हो गया है।
मां ने फिर मेरे बताने पर मेरी टेबल की ड्रोर में से कोंडोम निकाले और 1 पैकेट निकल कर मुंह से फाड़ने लगी। उसे फाड़ कर मां उसे मेरे लोड़े पर चढ़ाने लगी, पर वो लोड़ा सुखा होने के वजह से नहीं चढ़ रहा था। ना तो मां ने लोड़े पर मूव क्रीम लगाई और ना ही इस बार मैनें उन्हें कहा। जब कोंडोम लोड़े पर नहीं चढ़ा तो मैं बोला : मां ये चिकना नहीं है, शायद इसलिए नहीं चढ़ रहा इसपर।
मां हस्ते हुए : हां, बेटा , शायद, फिर अब?
मैं: मां आप इसपर थोड़ा सा थूक लगा कर चढ़ा के देखो ना।
मां : हां आइडिया अच्छा है, रुक।
मां ने ये बोलते ही अपने मुंह से ढेर सारी थूक लोड़े पर गिराई और उसे हाथों से चारो तरफ लगाने लगीं। मुझे ऐसा लगा जैसे मां मुझे हैंडजोब दे रही हो। मां की मुंह से टपकती थूक और उस थूक से भीगे हाथों का स्पर्श अपने लोड़े पर पाकर मैं तो जन्नत में था। मां ने फिर बिना मेरे कहे ही लोड़े को हिलाना शुरू किया और कोंडोम चढ़ाने लगी। कोंडोम चढ़ा कर भी मां रुकी नहीं और लोड़े को सहलाती रही। मैं बैड पर पीछे की ओर गिरकर लेट गया। अब हम दोनों की नजरे एक दूजे से नहीं मिल रही थी और हम दोनों ही इसका फायदा उठाकर एक दूसरे के मजे ले रहे थे। मां एकदम बोली : बेटा, ये स्ट्राबेरी की खुश्बू आ रही है इसमें से, इस खुश्बू को सूंघकर मेरा तो स्ट्राबेरी खाने का मन कर गया।
मैं लेटे लेटे बोला : तो खा लो ना मां, आपकी ही है ये स्ट्राबेरी।
मां हसने लगी और बोली : क्या.....?
मैं: वो मां, मेरा मतलब ये कोंडोम आप ही ने दिलवाए हैं ना, तो ये स्ट्राबेरी भी आपकी हुई।
मां : हां हां , चल मस्ती मत कर ज्यादा।
मैं इतने वक्त से सब अपने अंदर समाए हुए था के मां के इतना हिलाने पर और ऐसी बातों से बर्दास्त ना हुआ और लोड़े ने एकदम मां के हाथ में ही झटका सा लिया और मैं आह मां बोलकर सारा माल उसी कोंडोम में छोड़ गया।
इसपर मां एकदम हैरान सी हुई और हल्की सी मुस्कान के साथ बोली : लगता है, आज अच्छी नींद आएगी मेरे बेटे को।
मैं बिना कुछ सोचे समझे बोला : थैंक्यू मां।
मां ने कुछ नहीं कहा और उठकर मुझे स्माइल देकर अपने कमरे में चली गई।
Behtreen update
 

Ek number

Well-Known Member
8,240
17,660
173
मां के हाथ के छाले
Part : 21
फिर मां के जाते ही मैं जैसे होश में आया और अंडरवियर और लोवर डाल कर सोचने लगा। फिर एक डायरी और पैन उठाया और उसपर कुछ लिख कर काफी देर फिर सोच में डूबा रहा और फिर सो गया।
सुबह कानों में मां की आवाज पड़ी : उठ जा सोनू बेटा, टाइम तो देख, सोता ही रहेगा क्या अब पूरा दिन..
मैंने हल्की सी आंख खोली और मां को सामने देख फिर धीरे धीरे आंखे खोली और बोला : क्या हुआ मां, सोने दो ना, 6 बजे चलेंगे स्कूटी सीखने।
मां : हां क्यूं नहीं बेटा, जरा टाइम तो देख घड़ी में।
मैनें टाइम देखा तो 9 बज चुके थे , टाइम देखते ही मैं एकदम से उठा और बोला : ये क्या मां, 9 बज गए, मैं 9 बजे तक सोता रहा।
मां : और नहीं तो क्या, सुबह स्कूटी सीखने जाना था तब भी तुझे उठाया पर तू था के उठने का नाम ही नहीं लिया।
मैं: क्या सच में मां।
मां : हां, लगता है ज्यादा ही अच्छी नींद आई तुझे कल रात।
मैं सोचने लगा कल रात के बारे में और याद आया के मां ने तो मेरा माल छुड़वा दिया था कल रात, क्या इसलिए ही ऐसी मस्त नींद आई। और अभी हैंड जोब से ऐसी नींद आई है तो सोचो चूदाई से कितनी मस्त आएगी। में हल्का सा मुस्कुराने लगा और मां मुझे देखकर बोली : लगता है बुद्धू को कल रात की नींद याद आ गई।
मैं: हां मां, कल सच में मस्त नींद आई।
मां : हां , तेरा जख्म ठीक है अब?
मैं: हां , शायद।
मां : दिखा तो सही।
मैं: मां कुंडी तो लगा दो , कहीं पापा ना आ जाएं।
मां : वो जल्दी चले गए हैं, अब तीन चार दिन बाद ही आएंगे।
मैं ये सुनकर खुश हुआ और खुदसे बोला : अब रात में बनाए प्लान को सफल करने का वक्त आ गया है।
मैं: चलो अच्छा है मां.
मां हस्ते हुए : अच्छा जी, इसमें अच्छा क्या है।
मैं: मेरा मतलब अब मैं बिना लोवर के 3-4 दिन रह सकता हूं और ये जख्म भी जल्दी ठीक हो जाएगा ना इस से।
मां : हां हां , ये तो है।
मां ने फिर धीरे से मेरा लोवर उतारा और फिर अंडर वियर जैसे ही उतारा के खड़ा लोड़ा देख कर हस्ते हुए बोली : ये खड़ा ही रहता है क्या?
मैं भी हस्ते हुए बोला : नहीं नहीं मां, वो सुबह सुबह तो बस...
मां : हां, बेटा लगता है अब तेरी शादी करनी पड़ेगी जल्दी ही।
मैं: क्यूं मां शादी क्यूं?
मां लोड़े की ओर इशारा करते हुए : इसका ध्यान रखने के लिए भी तो कोई चाहिए ना बेटा।
मैं: आप हो ना मां।
मां : अच्छा जी मैं कैसे रखूंगी इसका ध्यान?
मैं: मां, जैसे कल रात को रखा था।
मां : चुप बदमाश, वैसा खयाल तो तू खुद भी रख सकता है।
मैं: तो आप दूसरे वाला ख्याल रख दो इसका।
मां : दूसरे वाला कोन सा।
मैं: जैसा मै नहीं रख सकता वैसा।
मां : कैसा?
मैं: मैं तो सिर्फ हाथों से इसका ख्याल रख सकता हूं पर आप तो हाथों के अलावा भी रख सकते हो ना।
मां मुस्कुराते हुए : अच्छा जी, ज्यादा ही मस्ती सूझ रही है मेरे बुद्धू को।
मैं अब और घूम फिरा कर इस चूत लन्ड के मिलन का खेल नहीं खेलना चाहता था तो मैं अब सीधा मुद्दे की बात कर रहा था। और इतनी मस्ती चढ़ी थी मुझपर के अब और बर्दास्त करना मेरे बस में ना था। दरअसल मैं रात में मां की उस हरकत के बारे में सोचता रहा और मां के जाने के करीब एक घंटे बाद मैनें एक कागज पैन उठाया और एक शायरी लिख डाली और मन बना लिया के पापा जिस दिन भी कहीं बाहर जाएंगे समझ लो उस दिन मां को ये शायरी सुनाऊंगा और ज्यादा बातें ना करते हुए सीधा चूदाई का इन्विटेशन दे दूंगा।
और वो वक्त आ गया था के ये इन्विटेशन मां को दिया जाए।
मैं: मां मैनें रात में आपके लिए एक शायरी लिखी है, सुनाऊं?
मां : वाह मेरा बेटा कब से शायर हो गया?
मैं: जब से इसे आप से प्यार हुआ है, बोलो सुनाऊं?
मां : हां सुना।
मैं:
""
मेरे हाथों से भीगी पजामी को उतरवाना,
फिर अकेले में झांटे साफ़ करवाना,
ये तड़प नहीं तो क्या था।
फिर मेरे संग शॉपिंग पर जाना,
मुझसे अपने लिए ब्रा चूज करवाना,
ये तड़प नहीं तो क्या था।।
साड़ी उठा कर अपनी नई पैंटी दिखाना,
खुद भी तड़पना, मुझे भी तड़पाना।
अब खत्म करते हैं ये तड़प का खेल,
मिलकर कराते हैं इस लन्ड चूत का मेल।।
अब मान भी जाओ के बड़ा हो गया है आपका बुद्धू,
कमसेकम इसे थोड़ा सा तो पीला दो अपना दूदू।
अब ये लन्ड और जुदाई ना सह पाएगा,
तुम्हे चोदने से पहले तुम्हारा बेटा तुम्हारी चूत को खाएगा।।
भूल जाओ पापा का डर,
मान लो मुझे अपना वर।
चलो चलकर सुहागरात मनाते हैं,
एक दूजे को अपना अपना रसपान कराते हैं।।
बोलो क्या अब भी नखरे दिखाओगी,
या अभी घोड़ी बनकर मुझसे चुदना चाहोगी।।
यूं थोड़े थोड़े मजे लेकर,क्या तुम खुश रह पाओगी,
अरे मुंह में लेकर तो देखो मेरी जान, स्ट्राबेरी भी भूल जाओगी।
जिस फ्लेवर के कोंडोम से कहोगी, उसे चढ़ाकर ही तुम्हे पेलूंगा,
जब जब तुम्हारा करेगा दिल, तब तब चूदाई का खेल मैं खेलूंगा।
कभी किचन तो कभी बैडरूम में तुम्हारी सिसकियां गूंजेगी,
चूदाई करते वक्त तुम देखना ये चूचियां कितना झूमेंगी।।
अंत में मैं बस इतना कहना चाहूंगा...
अब किस पल की तु इंतजार करे,
आजा मेरी जान, जम के हम प्यार करें।।
""""""

फिर मां ये सुनते ही मुझे बेड पर धकेल के टूट पड़ी और किस करने लगी। मैं भी उनका साथ देने लगा और उनकी साडी में गांड़ को सहलाने लगा और आगे तो आप सबको पता ही है के क्या हुआ।। :)
फिर शुरू हुआ हमारा चूदाई का खेल,
जिसमे शामिल था हमारे जिस्मों का मेल।
जब भी मौका मिलता ये चूदाई का खेल हम खेला करते,
कभी घोड़ी बनाकर तो कभी लन्ड पर बिठाकर उन्हें पेला करते।।
चूत के साथ साथ उस मस्त गांड़ का भी मैनें स्वाद चखा,
कभी कभार पूरी रात उनकी चूत में लन्ड डालकर रखा।।।
शुक्रिया उन छालों का जिनकी बदौलत हमने उस चूत का रुख किया,
और खुदके साथ साथ मां को भी चूदाई का वो सुख दिया।।

❤️Thankyou ❤️
❤️THE END ❤️
Hope you guys like it
This was my first complete original story
& If anyone wants to talk, can message me
BYE BYE
TATA
Fantastic kavita likhi hai
Nice the end
 

Mr.007

Black dick
782
1,223
124
मां के हाथ के छाले
Part : 21
फिर मां के जाते ही मैं जैसे होश में आया और अंडरवियर और लोवर डाल कर सोचने लगा। फिर एक डायरी और पैन उठाया और उसपर कुछ लिख कर काफी देर फिर सोच में डूबा रहा और फिर सो गया।
सुबह कानों में मां की आवाज पड़ी : उठ जा सोनू बेटा, टाइम तो देख, सोता ही रहेगा क्या अब पूरा दिन..
मैंने हल्की सी आंख खोली और मां को सामने देख फिर धीरे धीरे आंखे खोली और बोला : क्या हुआ मां, सोने दो ना, 6 बजे चलेंगे स्कूटी सीखने।
मां : हां क्यूं नहीं बेटा, जरा टाइम तो देख घड़ी में।
मैनें टाइम देखा तो 9 बज चुके थे , टाइम देखते ही मैं एकदम से उठा और बोला : ये क्या मां, 9 बज गए, मैं 9 बजे तक सोता रहा।
मां : और नहीं तो क्या, सुबह स्कूटी सीखने जाना था तब भी तुझे उठाया पर तू था के उठने का नाम ही नहीं लिया।
मैं: क्या सच में मां।
मां : हां, लगता है ज्यादा ही अच्छी नींद आई तुझे कल रात।
मैं सोचने लगा कल रात के बारे में और याद आया के मां ने तो मेरा माल छुड़वा दिया था कल रात, क्या इसलिए ही ऐसी मस्त नींद आई। और अभी हैंड जोब से ऐसी नींद आई है तो सोचो चूदाई से कितनी मस्त आएगी। में हल्का सा मुस्कुराने लगा और मां मुझे देखकर बोली : लगता है बुद्धू को कल रात की नींद याद आ गई।
मैं: हां मां, कल सच में मस्त नींद आई।
मां : हां , तेरा जख्म ठीक है अब?
मैं: हां , शायद।
मां : दिखा तो सही।
मैं: मां कुंडी तो लगा दो , कहीं पापा ना आ जाएं।
मां : वो जल्दी चले गए हैं, अब तीन चार दिन बाद ही आएंगे।
मैं ये सुनकर खुश हुआ और खुदसे बोला : अब रात में बनाए प्लान को सफल करने का वक्त आ गया है।
मैं: चलो अच्छा है मां.
मां हस्ते हुए : अच्छा जी, इसमें अच्छा क्या है।
मैं: मेरा मतलब अब मैं बिना लोवर के 3-4 दिन रह सकता हूं और ये जख्म भी जल्दी ठीक हो जाएगा ना इस से।
मां : हां हां , ये तो है।
मां ने फिर धीरे से मेरा लोवर उतारा और फिर अंडर वियर जैसे ही उतारा के खड़ा लोड़ा देख कर हस्ते हुए बोली : ये खड़ा ही रहता है क्या?
मैं भी हस्ते हुए बोला : नहीं नहीं मां, वो सुबह सुबह तो बस...
मां : हां, बेटा लगता है अब तेरी शादी करनी पड़ेगी जल्दी ही।
मैं: क्यूं मां शादी क्यूं?
मां लोड़े की ओर इशारा करते हुए : इसका ध्यान रखने के लिए भी तो कोई चाहिए ना बेटा।
मैं: आप हो ना मां।
मां : अच्छा जी मैं कैसे रखूंगी इसका ध्यान?
मैं: मां, जैसे कल रात को रखा था।
मां : चुप बदमाश, वैसा खयाल तो तू खुद भी रख सकता है।
मैं: तो आप दूसरे वाला ख्याल रख दो इसका।
मां : दूसरे वाला कोन सा।
मैं: जैसा मै नहीं रख सकता वैसा।
मां : कैसा?
मैं: मैं तो सिर्फ हाथों से इसका ख्याल रख सकता हूं पर आप तो हाथों के अलावा भी रख सकते हो ना।
मां मुस्कुराते हुए : अच्छा जी, ज्यादा ही मस्ती सूझ रही है मेरे बुद्धू को।
मैं अब और घूम फिरा कर इस चूत लन्ड के मिलन का खेल नहीं खेलना चाहता था तो मैं अब सीधा मुद्दे की बात कर रहा था। और इतनी मस्ती चढ़ी थी मुझपर के अब और बर्दास्त करना मेरे बस में ना था। दरअसल मैं रात में मां की उस हरकत के बारे में सोचता रहा और मां के जाने के करीब एक घंटे बाद मैनें एक कागज पैन उठाया और एक शायरी लिख डाली और मन बना लिया के पापा जिस दिन भी कहीं बाहर जाएंगे समझ लो उस दिन मां को ये शायरी सुनाऊंगा और ज्यादा बातें ना करते हुए सीधा चूदाई का इन्विटेशन दे दूंगा।
और वो वक्त आ गया था के ये इन्विटेशन मां को दिया जाए।
मैं: मां मैनें रात में आपके लिए एक शायरी लिखी है, सुनाऊं?
मां : वाह मेरा बेटा कब से शायर हो गया?
मैं: जब से इसे आप से प्यार हुआ है, बोलो सुनाऊं?
मां : हां सुना।
मैं:
""
मेरे हाथों से भीगी पजामी को उतरवाना,
फिर अकेले में झांटे साफ़ करवाना,
ये तड़प नहीं तो क्या था।
फिर मेरे संग शॉपिंग पर जाना,
मुझसे अपने लिए ब्रा चूज करवाना,
ये तड़प नहीं तो क्या था।।
साड़ी उठा कर अपनी नई पैंटी दिखाना,
खुद भी तड़पना, मुझे भी तड़पाना।
अब खत्म करते हैं ये तड़प का खेल,
मिलकर कराते हैं इस लन्ड चूत का मेल।।
अब मान भी जाओ के बड़ा हो गया है आपका बुद्धू,
कमसेकम इसे थोड़ा सा तो पीला दो अपना दूदू।
अब ये लन्ड और जुदाई ना सह पाएगा,
तुम्हे चोदने से पहले तुम्हारा बेटा तुम्हारी चूत को खाएगा।।
भूल जाओ पापा का डर,
मान लो मुझे अपना वर।
चलो चलकर सुहागरात मनाते हैं,
एक दूजे को अपना अपना रसपान कराते हैं।।
बोलो क्या अब भी नखरे दिखाओगी,
या अभी घोड़ी बनकर मुझसे चुदना चाहोगी।।
यूं थोड़े थोड़े मजे लेकर,क्या तुम खुश रह पाओगी,
अरे मुंह में लेकर तो देखो मेरी जान, स्ट्राबेरी भी भूल जाओगी।
जिस फ्लेवर के कोंडोम से कहोगी, उसे चढ़ाकर ही तुम्हे पेलूंगा,
जब जब तुम्हारा करेगा दिल, तब तब चूदाई का खेल मैं खेलूंगा।
कभी किचन तो कभी बैडरूम में तुम्हारी सिसकियां गूंजेगी,
चूदाई करते वक्त तुम देखना ये चूचियां कितना झूमेंगी।।
अंत में मैं बस इतना कहना चाहूंगा...
अब किस पल की तु इंतजार करे,
आजा मेरी जान, जम के हम प्यार करें।।
""""""

फिर मां ये सुनते ही मुझे बेड पर धकेल के टूट पड़ी और किस करने लगी। मैं भी उनका साथ देने लगा और उनकी साडी में गांड़ को सहलाने लगा और आगे तो आप सबको पता ही है के क्या हुआ।। :)
फिर शुरू हुआ हमारा चूदाई का खेल,
जिसमे शामिल था हमारे जिस्मों का मेल।
जब भी मौका मिलता ये चूदाई का खेल हम खेला करते,
कभी घोड़ी बनाकर तो कभी लन्ड पर बिठाकर उन्हें पेला करते।।
चूत के साथ साथ उस मस्त गांड़ का भी मैनें स्वाद चखा,
कभी कभार पूरी रात उनकी चूत में लन्ड डालकर रखा।।।
शुक्रिया उन छालों का जिनकी बदौलत हमने उस चूत का रुख किया,
और खुदके साथ साथ मां को भी चूदाई का वो सुख दिया।।

❤️Thankyou ❤️
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Hope you guys like it
This was my first complete original story
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BYE BYE
TATA
Love you Bhai and congratulations for story complition bas ek dukh huva hame maa bete ki chudai kaise or kaha kaha huvi ye nahi jaan paye par waiting for your next story
 
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