Maa Bete ka scene hona chahiye tha shandar wala .superb story thi anyway..bas ending thodi Orr hoti to maja aa jata.. maa ko khulkar samne laate ek baar.. anyway gud story
Bhai aapki agli kahani ka siddat se intejar rahegaHaha... abhi ruk kr thoda...is story ko pyar dene k lie aapka Dhanyawaad
Awesome update.मां के हाथ के छाले
Part : 19
फिर जब मेरा लंच टाइम हुआ तो मैं उठ कर नीचे से नंगा ही अपने कमरे से बाहर निकला। मां किचन में खड़ी होकर रोटी बनाने की तयारी कर रही थी के मैं मां के पीछे जाकर लग गया और बोला : मां, बहुत तेज भूख लगी है।
मां मेरे एकदम से उनके साथ लगने पर पहले हैरान हुई, फिर पीछे देख कर मुस्कुराई और बोली : अच्छा तु है सोनू, हां बेटा बस बना रही हूं रोटी 5 मिनट रुक।
मैं: ठीक है मां
मां : अच्छा तेरी चोट कैसी है अब?
मैं: जब से टांगे खोल कर बिना उसपर कपड़ा ढके बैठा हूं ना मां, तब से हल्का सा फर्क पड़ने लगा है।
मां : हां, बेटा जब कोई और घर पर ना हो तो तु ऐसे ही रहना, खुला छोड़ने से ये जल्दी ठीक हो जाएगा।
मैं: हां मां।
मां : तु इतना बैठ, मैं 5 मिनट में रोटी बना कर लाई। फिर इकट्ठे खाते है हम।
मैं: ठीक है मां।
फिर मैं सोफे पर जाकर टांगे खोल कर बैठ गया और फोन चलाने लगा। 5-7 मिनट बाद मां खाना लेकर आई और मेरा खड़ा लोड़ा देखकर मुस्कुराई और बोली : अब फिर दर्द शुरू हो गया क्या बेटा?
मैं: नहीं मां वो तो बस...
मां : अच्छा अच्छा ठीक है।
मैं: हां।
फिर हम खाना खाने लगे। खाना खाते खाते मां बोली : बेटा कितने दिन लगेंगे स्कूटी सीखने में?
मैं: यही हफ्ता 10 दिन के करीब।
मां : अच्छा
मैं: बाकी आपके ऊपर है मां, अगर आप सुबह शाम दोनों टाइम सीखो तो और भी जल्दी आ जाएगी। बस प्रैक्टिस की जरूरत है।
मां : हां, शाम को फिर अंधेरे में कैसे चलाऊंगी?
मैं: मां शाम को चलाओगी तो अंधेरे में चलाने की प्रैक्टिस हो जाएगी और सुबह चलाओगी तो दिन की हो जाएगी।
मां : हां ये बात तो ठीक हैं।, अच्छा सुन क्या तू शाम को भी ले जाएगा मुझे स्कूटी सिखाने।
मैं: हां, चल पडूंगा।
मां : ठीक है।
फिर हमने खाना खत्म किया और मैं 15-20 मिनट टीवी देखकर अपने कमरे में काम करने चला गया और शाम तक चुपचाप काम करता रहा। जब पोने 6 बजे, तो मैं उठा और अंगड़ाई सी लेकर 6 बजने का इंतजार करने लगा के कब 6 बजेंगे और कब मैं सिस्टम ऑफ करूं।
इधर 6 बजे और मैं सिस्टम ऑफ करके बाहर निकला के मां ने आवाज लगाई : सोनू, बेटा मैनें चाय बनाई है तेरे लिए, पी ले, फिर मुझे स्कूटी सिखाने ले चलना।
मैं: ठीक है मां।
फिर मैनें चाय पी और चाय पीकर फोन चलाने बैठ गया के कुछ मिनटों बाद
मां बोली : चलें बेटा, फिर तेरे पापा भी आ जाएंगे साडे 7 बजे तक।
मैं: हां, ठीक है, मां क्या आपके पास वो सुबह वाला गुब्बारा और पड़ा है?...है तो देदो उसके बगैर ये लोवर और अंडरवियर डालना थोड़ा मुश्किल सा लग रहा है।
मां हसने लगी और बोली : हां एक आखिरी पड़ा है, रुक ला कर देती हूं।
मां फिर अपने कमरे से कंडोम लाई और बोली : मैं ही पहना देती हूं और फिर निकलते हैं जल्दी से।
में : ठीक है।
फिर मां प्यार से मेरा लोड़ा पकड़ कर कंडोम चढ़ाने लगी, पर वो चढ़ा नहीं।
मां बोली : बेटा ये ऐसे चढ़ेगा नहीं..
मैं: क्यूं मां।
मां : बेटा ये तेरा जब खड़ा होगा ना, तो ही ये गुब्बारा अच्छे से चढ़ता है।
मैं: अच्छा, फिर अब।
मां : रुक मैं इसे थोड़ा सा सहलाती हूं, क्या पता खड़ा हो जाए।
मैं ये सुनते ही खुश हुआ और बोला : ठीक है।
मां ने हल्के हाथों से उसे थोड़ा सा सहलाया और लोड़ा धीरे धीरे खड़ा होने लगा। फिर उसके खड़ा होते ही मां ने उसपर कंडोम चढ़ा दिया और बोली : जा अब अंडरवियर और लोवर डाल ले फिर निकलते हैं।
मैं: ठीक है मां।
फिर मैं अंडरवियर और लोवर डाल के आया और हम दोनों घर से निकले। करीब 10 मिनट बाद वहां पहुंच गए जहां सुबह सीखने गए थे। थोड़ा थोड़ा अंधेरा होने लगा था। फिर मैनें मां से आगे आने के लिए कहा।
मां पीछे सीट से उतरी और मेरे पीछे सरकते ही आगे बैठ गई। फिर धीरे धीरे वो स्कूटी चलाने लगी। 5 मिनट तक यूंही चलाने के बाद एक गड्ढे में उन्होंने स्कूटी बंप मारी और मैं एकदम उनके कमर पर आ लगा और मेरी आह निकल गई।
मां : क्या हुआ बेटा लगी क्या, सोरी सोरी बेटा, वो अचानक से ये गड्ढा दिखा नहीं
मैं: कोई नहीं मां, चलो।
मां : क्या हुआ, लगी क्या?
मैं: हां मां, वो टांगों के बीच खाल में एकदम दर्द सा होने लगा।
मां : बेटा एक काम कर, यहां कोई भी है तो नहीं, तु अपना लोवर नीचे करके उसपर हवा लगने दे।
मैनें आसपास देखा, कोई भी नजर नहीं आया तो मैं बोला : ठीक है मां।
फिर धीरे से हल्का सा अपना लोवर और अंडरवीयर नीचे किया और अपनी गांड़ को टी शर्ट से ढक लिया ताकी पीछे से कुछ नंगा ना दिखे अगर अचानक से कोई आ भी जाए तो। और हल्की सी टांगे खोल कर बैठने से मां की गांड़ पर जा चिपका।
फिर मां बोली : अब चलूं बेटा।
मैं: हां मां, अब धीरे धीरे देख कर चलाना।
मां : ठीक है बेटा।
फिर मां हल्के अंधेरे में वहां स्कूटी चलाती रही और मैं उनसे चिपक कर अपना लन्ड उनकी गांड़ में लगाए मस्त होता रहा। तकरीबन 15 मिनट तक हम दोनो कुछ नहीं बोले, और फिर हल्की हल्की बारिश की बूंदे गिरने लगी। मोनसुन का मौसम था तो बारिश कभी भी थोड़ी बहुत होती ही रहती थी। फिर जैसे ही बूंदे गिरी मां बोली : बेटा बारिश शुरू हो गई, चल घर चलते हैं।
मैं: मां, हल्की हल्की ही बारिश है, आप चलाओ अभी, फिर जहां पर आपको लगे के नहीं चल रही मुझे पकड़ा देना, मैं चला लूंगा।
मां : ठीक है बेटा।
फिर मै बोला : मां, ये गुब्बारा अब मुझसे डाला नहीं जा रहा , मैं इसे उतार कर फेंक रहा हूं।
मां : ठीक है बेटा।
फिर मां हल्की हल्की उस बूंदों में स्कूटी चलाने लगी और मैं मस्ती में होकर बोला : मां,अब ये बारिश मेरे आगे भी हल्की हल्की गिर रही है, मैं आपकी ये कमीज पीछे से थोड़ी ऊपर उठाकर इसमें छुपा लूं क्या अपना?
मां : क्या बेटा?
मैं: मेरा लन्ड मां।
मां मेरे मुंह से चूत और गांड़ तो पहले ही सुन चुकी थी, आज लन्ड भी सुन ही लिया और वो हल्का सा और पीछे होकर हस्ते हुए बोली : हां बेटा, छुपा ले कहीं ये बारिश से भीग ना जाए।
मैं भी मस्त होकर लन्ड जैसे ही उनकी कमीज में छुपाने लगा के मां फिर बोली : सुन बेटा रुक..
मैं: क्या हुआ मां?
मां : बेटा वो कमीज मैनें अभी यहां आने से पहले ही चेंज की है। तो उसमे अगर तू छुपाएगा तो वो क्रीम से गंदी हो जाएगी।
मैं: फिर अब मां?
मां : ऐसा कर मैं हल्का सा ऊपर उठती हुं, तु मेरी पजामी को थोड़ा सा नीचे सरका कर उसमे छुपा लेना। वो पजामी तो मुझे वैसे भी धोनी ही है कल सुबह।
दरअसल बारिश का ठंडा मौसम और हम दोनों के ऐसे बैठ कर चलने और मेरे लन्ड के एहसास से मां और मैं दोनों ही मस्त हुए पड़े थे और करने को तो मैं अपने लोवर को भी ऊपर करके ढक लेता पर हम दोनों को तो बस एक बहाना चाहिए था लोड़े का मां की चूत और गांड़ से मिलन करवाने का। उन्हें भी तड़प थी इसे अपने अंदर लेने की ओर मुझे भी चस्का था मां की चूत का। पर ये हमारा रिश्ता था के खुलकर हमे चूदाई करने से रोक रहा था। तो हमने ये बहाने का सहारा लेकर ही ये खेल आगे बढ़ाने का फैसला लिया।
Bhot hi mast update diya bhai. Dhire dhire chudai lana.मां के हाथ के छाले
Part : 20
फिर मां स्कूटी रोक कर हल्का सा ऊपर उठी और मैंने धीरे से उनकी पजामी पीछे से थोड़ी नीचे सरका दी, फिर जैसे ही मैं उनकी पैन्टी पकड़ के सरकाने लगा मां बोली : रुक बेटा, ये मत सरका।
मैं: ऐसे तो फिर ये गंदी हो जाएगी मां।
मां : हां बेटा, मैनें अभी वो कल शादी में डाल कर गई थी ना ब्लैक वाली, वही डाल रखी है, ये वैसे भी रात में उतारनी ही है मुझे तो गंदी हो भी गई तो भी कोई बात नहीं।
मैं: ठीक है मां।
मैनें फिर उसे उतारने के बजाए उसको नीचे से पकड़कर गांड़ की साइड में फसा दिया। मेरे ऐसा करते ही मां ने हल्की सी सिसकी ली और बोली : क्या कर रहा है सोनू बेटा?
मैं: मां वो जैसे आप उस दिन बता रही थी ना बाथरूम में कर के, वही देख रहा था।
मां : अच्छा बेटा, धीरे से करते हैं, नहीं तो नीचे के होंठों से खीच जाती है।
मैं: नीचे के होठ कोन से मां?
मां : और वो चूत वाले, वो भी एक तरह के होठ ही होते हैं।
मैं: अच्छा मां।
मां फिर सीट पर बैठ गई और स्कूटी चलाने लगी। मैनें आसपास फिर नजर दौड़ाई और मौके का फायदा उठाकर लन्ड सीधा उनकी पीछे से नंगी हुई गांड़ में अड़ा दिया। मैनें तो लन्ड सिर्फ उनकी पजामी में ही ढकने के बहाने से डाला था पर वो तो सीधा जाकर उनकी गांड़ की दरार में फिसलने लगा। इस एहसास से हम दोनो बेहद गर्म हो गए और मां सिसकियां भरते भरते स्कूटी बिलकुल धीमे चलाने लगी। हम दोनों अब गर्म होकर आगे पीछे होने लगे और एक दूजे के जिस्म का एहसास करने लगे। मां अपनी गांड़ मेरे लोड़े पर रगड़ती रही और इधर मैं अपना लोड़ा उन पर रगड़ता रहा।
हम इस रगड़ से ही एक दूजे के मजे लेते रहे और फिर मां बोली : बेटा अब घर चलते हैं, तेरे पापा आने वाले होंगे।
मैं: ठीक है मां।
फिर मैंने मां को पीछे बिठाया और हम दोनो घर की ओर निकल पड़े। रास्ते में एक मेडिकल स्टोर पर मां ने मुझे स्कूटी रोकने को कहा और बोली : चल मेरे साथ, एक सामान लेना है मैनें।
मैं: ठीक है चलो।
फिर मां ने उस स्टोर में से दो कोंडोम के पैक उठाए और बोली : देख तो बेटा, कोनसा सही है?
मैं: मां , ये किस लिए?
मां : अरे बेटा वो तुझे नीचे कपड़े पहनने में दिक्कत ना हो ना इसलिए ले रही हूं।
मैं: ठीक है मां
मां : हां, अब बता ना कोनसा लूं?
मैं: आपको कोनसा पसंद है मां?
मां : ये स्ट्राबेरी वाला....
मैं: तो ये ले लो मां
मां : ठीक है।
मां ने एक बड़ा पैक उठाया जैसे अब चूदाई के लिए सभी परबंध कर रही हो। फिर काउंटर पर पे करके हम वहां से निकल गए और मां बहुत खुश लग रही थी। मैं ये सोच रहा था के मां ने कोंडोम तो ले लिए, इसका मतलब अब चूदाई का समय दूर नहीं है।
फिर हम घर पहुंचे और घर पहुंच कर मां ने मुझे वो कोंडोम दिए और बोली : इसे अपने कमरे में रख ले और जब भी डालना हो ना मुझे बता देना, मैं पहना दूंगी।
मैं: ठीक है मां।
फिर थोड़ी देर बाद पापा आ गए। वो हाथ धोकर फ्रेश हुए और टीवी देखने लगे। जब रात का खाना खाने की बारी आई तो हम तीनों ने मिलकर खाना खाया और फिर पापा थोड़ी देर इधर उधर की बाते कर के अपने कमरे में चले गए। उनके जाने पर मैं भी उठा और अपने कमरे में आकर सोचने लगा के अब क्या किया जाए जिस से उनकी चूत मिल सके। फिर ये सब सोचते सोचते मेरा लोड़ा थोड़ा टाइट हो गया। और मां जैसे ही सोने से पहले मेरे कमरे में आई, उस जख्म के बारे में पूछने, तो मैनें नाटक करते हुए कहा : मां अब दर्द सा होने लगा है इसमें। और ये ऊपर जलन हो रही है।
मां : ओ, अच्छा , रुक मैं दवाई लगा देती हूं।
मैं: ठीक है मां।
फिर मां अपने कमरे से दवाई लेकर आई और मेरे कमरे की कुंडी लगाकर उसे मेरे जख्म पर लगाने लगी। दवाई लगाने के बाद मां बोली : बेटा, तेरे पापा घर ही हैं तो तु इसे ढक कर ही सोना।
मैं: ठीक है मां
मां : हां वो गुब्बारे...मेरा मतलब है कोंडोम कहां रखे है जो लाए थे।
मैं हस्ते हुए : मां मुझे पता है वो कोंडोम हैं।
मां : अच्छा जी, बुद्धू अब बड़ा हो गया है।
मां ने फिर मेरे बताने पर मेरी टेबल की ड्रोर में से कोंडोम निकाले और 1 पैकेट निकल कर मुंह से फाड़ने लगी। उसे फाड़ कर मां उसे मेरे लोड़े पर चढ़ाने लगी, पर वो लोड़ा सुखा होने के वजह से नहीं चढ़ रहा था। ना तो मां ने लोड़े पर मूव क्रीम लगाई और ना ही इस बार मैनें उन्हें कहा। जब कोंडोम लोड़े पर नहीं चढ़ा तो मैं बोला : मां ये चिकना नहीं है, शायद इसलिए नहीं चढ़ रहा इसपर।
मां हस्ते हुए : हां, बेटा , शायद, फिर अब?
मैं: मां आप इसपर थोड़ा सा थूक लगा कर चढ़ा के देखो ना।
मां : हां आइडिया अच्छा है, रुक।
मां ने ये बोलते ही अपने मुंह से ढेर सारी थूक लोड़े पर गिराई और उसे हाथों से चारो तरफ लगाने लगीं। मुझे ऐसा लगा जैसे मां मुझे हैंडजोब दे रही हो। मां की मुंह से टपकती थूक और उस थूक से भीगे हाथों का स्पर्श अपने लोड़े पर पाकर मैं तो जन्नत में था। मां ने फिर बिना मेरे कहे ही लोड़े को हिलाना शुरू किया और कोंडोम चढ़ाने लगी। कोंडोम चढ़ा कर भी मां रुकी नहीं और लोड़े को सहलाती रही। मैं बैड पर पीछे की ओर गिरकर लेट गया। अब हम दोनों की नजरे एक दूजे से नहीं मिल रही थी और हम दोनों ही इसका फायदा उठाकर एक दूसरे के मजे ले रहे थे। मां एकदम बोली : बेटा, ये स्ट्राबेरी की खुश्बू आ रही है इसमें से, इस खुश्बू को सूंघकर मेरा तो स्ट्राबेरी खाने का मन कर गया।
मैं लेटे लेटे बोला : तो खा लो ना मां, आपकी ही है ये स्ट्राबेरी।
मां हसने लगी और बोली : क्या.....?
मैं: वो मां, मेरा मतलब ये कोंडोम आप ही ने दिलवाए हैं ना, तो ये स्ट्राबेरी भी आपकी हुई।
मां : हां हां , चल मस्ती मत कर ज्यादा।
मैं इतने वक्त से सब अपने अंदर समाए हुए था के मां के इतना हिलाने पर और ऐसी बातों से बर्दास्त ना हुआ और लोड़े ने एकदम मां के हाथ में ही झटका सा लिया और मैं आह मां बोलकर सारा माल उसी कोंडोम में छोड़ गया।
इसपर मां एकदम हैरान सी हुई और हल्की सी मुस्कान के साथ बोली : लगता है, आज अच्छी नींद आएगी मेरे बेटे को।
मैं बिना कुछ सोचे समझे बोला : थैंक्यू मां।
मां ने कुछ नहीं कहा और उठकर मुझे स्माइल देकर अपने कमरे में चली गई।