मां के हाथ के छाले
Part:6
करीब 5-7 मिनट के बाद फोन कट हो गया और तब तक हम दोनों अपनी मस्ती भुला चुके थे। मैंने फोन साइड में रखा और अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद मैं नहा कर, कपड़े डाल कर बाहर आया तो मां सोफे पर बैठी थी और मुझे देखते ही बोली : सोनू बेटा, बहुत भूख लग रही है, कुछ खाने को बना ले या फिर बाहर से ले आ।
मैं: ठीक है मां , मैं देखता हूं कुछ खाने का।
थोड़ी देर बाद मैं खाना लेकर आया, हमने मिल के कल की तरह खाना खाया। फिर उसके थोड़ी देर बाद मैने उन्हे दवाई दी और ट्यूब लगाई। ट्यूब लगा कर मैं घर से जाने लगा के मां ने आवाज लगाई : कहां जा रहा है सोनू।
मैं : मां वो, पापा ने कहा था ना के कार का ऐसी ठीक करवाना है तो बस वहीं जा रहा हूं
मां : ओ अच्छा, वो....
मैं: क्या हुआ मां, कुछ काम था क्या आपको?
मां : हां बेटा वो कुछ सामान लाना था मार्केट से।
मैं : हां मां बताओ, मैं ला देता हूं
मां : ये मेरे फोन से सीमा आंटी को फोन तो मिला एक बार, मैं उन्हें पूछती हूं उनकी दुकान पर मिलेगी या नहीं
सीमा आंटी मम्मी की सहेली थी और उनका मार्केट में एक जनरल स्टोर था और मां अक्सर वहीं से सामान लाया करती थी। मैंने उनके फोन से सीमा आंटी को कॉल मिलाया और मम्मी बोली : ये फोन मेरे कान पर लगा दे बेटा।
मैंने वैसा ही किया, जब आंटी ने फोन उठाया तो मां बोली : हैलो सीमा, कैसी है?
सीमा आंटी : मैं बढ़िया , तु बता।
मां : मैं भी एक दम मस्त। , अच्छा वो नेहा को भेज दे गी क्या?, मुझे थोड़ा काम करवाना था
सीमा आंटी : यार नेहा तो अपने गांव गई है। अगले हफ्ते तक आएगी।
मां : क्या?...अरे यार,
ऐसा बोलकर मां थोड़ी देर सोचने लगी और फिर बोली : चल कोई बात नहीं, अच्छा सुन मैं ना अभी सोनू को भेजूंगी तेरी दुकान पर, उसे वो क्रीम दे देना।
सीमा : ठीक है और कुछ?
मां : नहीं बस थैंक्यू यार।
सीमा : चल ओके, बाय।
मां : बाय
मां के बाय बोलने पर मैंने फोन उनके कान से हटाया और कट किया के मां बोली : बेटा सीमा आंटी के पास चले जाना और ले आना, बोल दिया है मैनें।
मैं: हां मां वो तो सुना मैनें। और अच्छा ये नेहा से क्या काम था आपको, कुछ अर्जेंट है तो मुझे बतादो, मैं कर दूंगा।
नेहा सीमा आंटी की दुकान पर काम करने वाली लड़की थी।
मां : अर्जेंट तो है बेटा, पर अब नेहा हफ्ते तक आएगी, तब तक शायद ऐसे ही रहना पड़ेगा मुझे।
मैं: अरे मां बताओ कुछ ज्यादा अर्जेंट है तो , मैं हूं ना।
मां कुछ सोची और बोली : चल ठीक है, बता दूंगी, तु जा पहले अपना काम कर के आ और वो सामान लाना मत भूलना।
मैं: ठीक है मां, आप इतना आराम करो मैं आता हूं फिर।
मैं घर से गाड़ी लेकर निकला। मैकेनिक के पास गया। फिर तकरीबन 2 घंटे बाद गाड़ी का ऐसी ठीक हुआ। फिर वहां से मैं सीमा आंटी की दुकान पर गया।
मैं: नमस्ते आंटी।
आंटी : नमस्ते बेटा, आओ बैठो। क्या लोगे चाय या कॉफी?
मैं: नहीं नहीं आंटी, कुछ नहीं , थैंक्यू। मैं बस वो मां ने कुछ सामान मंगवाया था तो वो लेने आया था।
आंटी : अभी लाती हूं बेटा।
सीमा आंटी ने दूसरे काउंटर के नीचे से एक लिफाफा निकाला ब्राउन कलर का और मुझे देकर बोली : ये लो बेटा।
मैं: ओके आंटी, थैंक्यू।
आंटी : ओके बेटा।
फिर मैं वहां से गाड़ी लेकर निकला और सोचा दुपहर हो ही गई है, कुछ खाने का ले चलता हूं, फिर कहां दोबारा दोबारा आता रहूंगा। फिर मैंने रोटी सभी पैक करवाई और गाड़ी में रखा और जब चलने लगा तो सोचा मां ने कोनसी क्रीम मंगवाई होगी? सोचा एक बार लिफाफा खोल के देखता हूं। जब लिफाफा खोला तो उसमें वीट हेयर रिमूवल क्रीम थी, जिस से औरतें अपने बाल हटाया करती थी। फिर मैं मुस्कुराया और खुद से बोला : अच्छा तो मां इस काम की बात कर रही थी, शायद उनकी वो झांटे उन्हे अब बेचैन कर रही है, तभी नेहा को उन्हे कटवाने के लिए बुला रही थी। फिर सोचा इस मौके का पूरा फायदा उठाया जाए और अनजान बनकर मां को यह काम भी मेरे हाथों से करने के लिए मनाया जाए।
फिर मैं तकरीबन दो बजे घर पहुंचा। गेट खोला, अंदर जाके मां को देखने लगा तो मां अपने कमरे में सोई हुई थी। उनकी गांड़ बाहर को निकली थी। ये देख के मुझे सुबह वाला सीन याद आ गया और दिल किया की एक बाद मां ये चाटने के लिए दे अगर तो दिन बन जाए। फिर मैंने अपने हल्के हाथ उनकी गांड़ पर रखे और धीरे से हिलाते हुए मां को आवाज लगाने लगा और उनकी गर्म और नर्म गांड़ का एहसास लेने लगा। मेरे 3-4 बार आवाज लगाने से मां उठ गई और अंगड़ाई लेकर मुड़ते हुए बोला : आ गया मेरा बुद्धू बेटा।
मैं: हां मां।
मां : हो क्या वो ऐसी ठीक।
मैं: हां मां और मैं सीमा आंटी से सामान भी ले आया हूं आपका।
मां : थैंक्यू बेटा।
मैं: मैं खाना भी लाया हूं, आप आ जाओ बाहर, इतना मैं खाना परोसता हूं।
मां : ठीक है बेटा, अच्छा सुन वो, दरअसल तु था नहीं घर पर और मुझे पेशाब लगी थी तेज से तो मैं जब बाथरूम में करने गई तो मुझसे....
मैं: क्या हुआ मां
मां : वो बेटा, ये छाले अभी पूरे ठीक नहीं हुए तो....
मैं: तो क्या मां?
मां : तो मुझसे अच्छे से पैंटी नीचे नहीं हुई और थोड़ा पेशाब इसी में हो गया।
मैं हसने लगा और बोला : अरे कोई बात नहीं मां। और सॉरी मुझे आने में देर हो गई, इसलिए शायद ये हो गया।
मां : बेटा वो...
मैं: क्या मां, शरमाओ नहीं, एक साथ बोल दो जो कुछ भी है
मां : वो ना, ये पैंटी भी अब बदलनी पड़ेगी और बेटा धोनी भी पड़ेगी, मेरी बाकी सारी पैंटी मैली पड़ी है, सन्डे को धोने का होता है तो वो इसलिए कोई धुली नहीं।
मैं: अरे कोई बात नहीं मां, सब हो जाएगा, आप टेंशन मत लो, आओ खाना खाते हैं पहले।