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Incest मां को अपना बनाया

vision244

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बरसात खत्म हो चुकी है।और ठंड दस्तक देने वाली है सुबह सुबह गुलाबी ठंड पड़ रही है।चारों तरफ हरियाली है गांव में ठंड का मौसम बहुत सुंदर लगता है ऐसी ही सुबह के साथ सूर्य उदय होता है रानीगंज में गांव के लोग जल्दी उठ जाते हैं और अपना अपना काम करने लगते है।

सुनीता भी सुबह जल्दी उठ जाया करती है।अभी सुबह के ६ बजे होंगे।पर सुनीता उठ जाती है और हाथ मुंह धोकर नहाने के लिए बाथरूम में घुस जाती है।सुनीता रात को इतनी तकी हुई थी कि साड़ी ही पहन कर सो गई थी और मैक्सी पहनने की हिम्मत नहीं हुई और इस लिए साड़ी ही पहन कर सो गई।अभी सुनीता के पास एक घंटे से ज्यादा का समय था।क्योंकि अजय इतनी जल्दी नहीं उठने वाला क्योंकि वह रात को घर देर से आया था।और सुधा अगर सो कर उठी तो वो जानती थी कि मम्मी नहा रही है।इसलिए सुनीता निशित हो कर नहाना शुरू करती है

पहले तो सुनीता अपने जिस्म से साड़ी अलग कर देती है और बगल में रख देती है।इस समय सुनीता सिर्फ साया और ब्लाउज में होती है और अगर कोई ऐसे देख ले तो वो सुनीता का दीवाना हो जायेगा और उसको किसी कुतिया की तरह चोदेगा। धीरे धीरे सुनीता अपना ब्लाउज निकलती है और उसको जमीन पे रखने से पहले ब्लाउज के काख वाले हिस्से को देखती है जो कि पूरा सुनीता के पसीने से गीला हो चुका था।फिर सुनीता बाथरूम में दीवार में टांगे शीशे में अपने आप को देखती है और उसकी पलकों से अंशु गिरने लगते है।वो अपने मन में सोचती हैं भगवान ने इतना कातिलाना जिसमें दिया है कि कोई भी दीवाना हो जाए पर विडम्बना देखो ये जिस्म वीरान पड़ा है कितने सालों से कितने साल हो गए सुनीता को मर्द के हाथों का स्पर्श महसूस किए हुए।उसने अपने हाथों से अपने चुचियों पे गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया।और ऐसे ही करते करते वो अपने चुचियों को अपने हाथों से दबा देती।पर फिर भी उसकी आग शांत नहीं हो रही थी उसके चुचियों को तो मर्द का हाथ चाहिए था जो उसे बिना किसी रहम के मसले और दबाए उनपर थप्पड़ की बारिश करें।मानो ऐसा प्रतीत होता था कि सुनीता की चुचियों उस से कह रही हो कि सुनीता करले बगावत और किसी मर्द को फसा ले जो इस निगोडी बुर को किसी सस्ती रण्डी की तरह चोदे पर सुनीता बेचारी खुद बेबस थी समाज के डर से।अपने चुचियों को मलते मसलते उसके पांव जवाब दे देते है और वो वही दीवार के सहारे धीरे धीरे नीचे रखे स्टूल पर अपने मुलायम गांड़ रख कर बैठ जाती है।और फिर धीरे धीरे अपना साया घुटने तक लाती है सुनीता की आँखें अभी भी बंद थी और वो ये सब जैसे किसी नशे में कर रही हो उसपे अपने आप पर कोई कंट्रोल नहीं था।फिर वो अपने एक हाथ को अपने चूचियां से सरकते हुए अपने साया के अन्दर डाल लेती है।और कब उसके हाथ अपने मक्खन जैसी चूत पे चले जाते है उसे खुद पता नहीं चलता और वो हवस की आग में अब अपने बुर को मसलने लगती है। सुनीता अब हवस की आग में इतना जल रही थी कि वो अपने चुचियों और बुर को मसलने लगती है तेजी से।वैसे तो सुनीत किसी मर्द से मिले सालो हो गए और जब तक उसका पति जिंदा था वो उसको याद करती थीं पर अब तो उसको किसी मर्द की तस्वीर तक अपने मन में नहीं आ रही थी बस एक मर्द था अजय जो उसके पास २४ घंटों रहता था और न जाने कैसे अनजाने में ही उसको अजय का खयाल आ जाता है जब वो अपने बुर को मसल रही थी।और अचानक ही अपने होंठों से वो बड़बड़ाने लगती है अजय मेरे राजा चोदो मुझे चोदो अपनी सुनीता को और पेलो अपनी सुनीता को खूब प्यार दो तुम्हारी सुनीता तरस गई थीं मेरे मालिक चोदो अपनी दासी को और फिर अचानक वो उसके हाथ कांपने लगते है और सुनीता का पानी निकल जाता है।और फिर एक मिनिट बाद उसका मन शांत होता है तो वो रोने लगती है कि भगवान ये क्या किया मैने अपनी हवस की आग में इतनी आंधी हो गई की अपने बेटे तक को नहीं छोड़ा।तभी उसके कान में सुधा की आवाज आती है

सुधा-मम्मी जल्दी निकालो मुझे भी नहाना है
सुनीता-हा बेटा निकल रही हु बस हो गया

सुनीता जल्दी जल्दी अपनी कच्छी और ब्रा निकल कर वही कुटी पर तंग देती है और साया बांधकर और मैक्सी डालकर बाथरूम से निकल जाती है।उसके दिमाग में अभी भी वही सब चल रहा था जो उसने अभी बाथरूम में किया था और अपने आप पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।
 

Waseem 0786

🥀ℓιƒє💚ℐЅ 💃ℬᎾℛℐℕᎶ🏃
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💕Be continue update ✍️
 

Satyaultime123

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Nice starting
 

vision244

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भाई लोग कहानी कैसी लगी प्लीज़ बताओ।अगर अच्छी नहीं है तो कहानी बंद कर देता हु।
 

Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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Tum update dete rho kahani achhi ja rhi hai
 

vision244

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सुनीता बाथरूम से निकल कर सीधा अपने कमरे में चली जाती है।और जो कुछ भी उसने किया उसको अपने आप पर बहुत घिन महसूस हो रही थी।वो सोच रही थी कि वो कितनी गिर चुकी है हवस की आग में की अपने बेटे के बारे में ऐसा सोचती हैं। सुनीता को क्या पता कि उसका अपना बेटा उसको एक औरत की तरह प्रेम करता है।उसको अपनी रानी बनाकर रखना चाहता है। यहां तक कि वो उसकी कच्ची को सूंघता है उसमें अपना माल गिरता यह तक कि मूठ मारते वक्त सुनीता को किसी बाजारू रण्डी सोच के पेलता है और सपने में सुनीता को कुतिया रण्डी छीनार करके बुलाता है।सुनीता इन सब बातों से अंजान थी।वो तो अपनी बाथरूम वाली हरकत को सोच कर शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।

अजय अभी तक सो रहा था उसने रात को सविता को फोन करके बताया था कि वो कल दुकान देरी से आएगा और वो सुबह उठकर दुकान खोल दे।सुनीता किचेन में नाश्ता बना रही थी तभी उसे याद आता है कि अजय को उठाना है और वो सीधा अजय के कमरे की तरफ चल देती है और जब वो उसके बिस्तर के पास पहुंचती है तो अचानक उसकी नजर अजय के लन्ड पर जाती है जो कि एकदम कड़क होकर उसको सलामी दे रहा था।कुछ समय के लिए तो सुनीता की सांस रुक जाती है उसने बहुत सालो बाद किसी मर्द का लौड़ा देखा था और वो भी उसको सलामी दे रहा है।और फिर हिम्मत करके उसने धीरे से चद्दर को उठाकर देखा तो उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और फिर कुछ देर के बाद वो वापस किचेन में चली गई।सुनीता की ये हरकत उसकी हवस को और बढ़ा रही थी।पर सुनीता के मन में अजय के लिए कोई गंदे विचार नहीं थे।जो कुछ भी अभी हुआ वो बस अनजाने में हुआ था।वो तो बस उसे उठाने गई थी

फिर कुछ समय बाद अजय उठाता है और हाथ मुंह धोकर वो किचेन की तरफ जाता है तो सुनीता जो कि मैक्सी पहन के खाना बना रही थी।और गर्मी के वजह से पसीने से भीग चुकी थी उसके काँख के तरफ से मैक्सी पूरी गीली हो चुकी थी और ये देख कर अजय के मुंह में पानी आ गया उसका तो मन कर रहा था कि अभी जाके वो सुनीता को पीछे से पकड़ ले और उसकी गांड़ पे तीन चार चटे बरसा दे और फिर उसके बगल के बाल को अच्छे को सूघे और अपने थूक लगाकर उसको अच्छे से चाट ले और फिर सुनीता की मैक्सी उठाकर उसके अंदर घुस जाए और उसकी कच्ची के ऊपर से उसकी बुर को अच्छे से गीला करके तबियत से चटे और उसकी कच्ची की सुगंध को अपने नथुनों में बसा ले और इसी बीच अगर सुनीता पद दे तो और मजा आ जाएगा और मैक्सी के अंदर उसकी पद को सूंघने का मजा दुगना हो जाएगा और फिर मैक्सी से बाहर निकल कर सुनीता को पीछे से पकड़ कर उसकी चूचियां को अच्छे से मसल दे।और अपना खड़ा लौड़ा मैक्सी के ऊपर से ही उसकी गांड़ के दरार में घिसे और इन सब के बीच उसे सुनीता की आवाज आती है और अजय अपने खयाल से बाहर निकलता है।

सुनीता- अरे बेटा उठ गया
अजय: हा मम्मी उठ गया हु बस जल्दी से नाश्ता दे दो दुकान पे जाना है
सुनीता: मैने भी तुझे जान के नहीं उठाया और तुझे सोने दिया मुझे लगा तू थक गया था इसलिए
अजय और सुनीता कुछ देर बात किए और फिर अजय नाश्ता करके दुकान की तरफ निकल गया सुनीता और सुधा नहीं नाश्ता करके और फिर कुछ देर बात करके सुधा अपने कमरे में चली जाती है और लैपटॉप पे पिक्चर देखने लगती है सुधा ने ग्रेजुएशन किया हुआ था और वो लैपटॉप अच्छे से चला लेती थीं लैपटॉप अजय ने उसे दिलवाया था।सुनीता भी दोपहर का खाना बना कर अपने कमरे में आराम करने चली जाती हैं।अभी बीस से पच्चीस मिनट हुए होंगे सुनीता को सोते की तभी फोन की घंटी बजती है और सुनीता फोन की तरफ देखती है तो उसपे शोभा का नाम लिखकर आ रहा था।सुनीता फोन उठती है
सुनीता:हेलो
शोभा:हेलो दीदी कैसी हो।
सुनीता:ठीक हु तू अपना बता और मेरी प्यारी गुड़िया कैसी है।
शोभा:कौन गुड़िया दीदी
सुनीता:अरे कलमुंही मेरी दिव्या कैसी है उसका खयाल रखा कर समझी मेरी लाडली हैं
शोभा:मेरा तो खयाल ही नहीं आपको और वो जिसकी आप बात कर रही है न बिल्कुल बिगड़ गई है दिन रात बस फोन पे पता नहीं क्या देखती है।
सुनीता:कोई नहीं अभी बच्ची है उमर है उसकी अभी ये सब करने की।
शोभा:क्या दीदी बच्ची नहीं पूरी जवान हों गई चुचियों एकदम दबाने लायक है और गांड़ तो पूछो मत कातिलाना है
सुनीता:शर्म कर बेटी है तेरी लगता है तेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही है
शोभा अचानक से नम हो जाती है और उसकी आवाज में दर्द होता है
शोभा:क्या करूं दीदी ये जवानी बहुत दर्द देती है।
सुनीता: समझती हु पगली पर हम क्या कर सकते है ये समाज हम जैसी औरतों को जीने नहीं देता वही हाल तो मेरा है दिन रात तो तड़पती रहतीं हु बस मन करता है कोई आए और सारी गर्मी निकल दे कुतिया की तरह पेले कोई पर हमारे नसीब में कहा मेरी बहन
शोभा:सही कहती हो आप अब प्यार के साथ कोई ऐसा हो जो ऐसा चोदे कि दो दिन तक चल न पाऊं
सुनीता:हा ऐसा ही है पर आज कल किसी पर भरोसा भी तो नहीं कर सकते और बेइज्जती का डर भी तो लगा रहता है हम कुछ नहीं कर सकते शोभा हमें इसी आग में जलना होगा
शोभा:दीदी एक बात कहूं गुस्सा तो नहीं करोगी
सुनीता:अरे बोल मैं कहा गुस्सा करती हु
शोभा:नहीं पहले आप कसम खाओ
सुनीता:चल टिक है बोल
शोभा:दीदी मेरे नजर में एक इंसान है जो हम दोनों की प्यास बुझा सकता है पर उसका नाम सुनते ही आप गुस्सा मत होना
सुनीता:साफ साफ बोल कहना क्या चाहती है।
शोभा:दीदी मैं अजय की बात कर रही हु
सुनीता:होश में तो है तू वो बेटा है मेरा शोभा
शोभा:एकदम होश में हु दीदी सोचो जरा वो एकदम जवान गबरू और सेहतमंद और जवानी से भरपूर वो तो किसी के भी चूत से पानी निकल दे पानी क्या वो मूत तक निकल दे
सुनीता:शोभा तू हवस के आग में कुछ भी बोल रही है होश में तो है न तू
शोभा:दीदी मैं क्या गलत कह रही हु वो जवान है और अब तो बड़ा भी हो गया हम दोनों को तो वो खिलौने की तरह खेलेगा और क्या खराबी है जब घर में मर्द है तो बाहर क्यों जाना दीदी घर की बात घर में रहेगी और चुदाई का सुख अलग से बदनामी का भी कोई डर नहीं दीदी सच बोलूं तो अजय अगर मेरा बेटा होता तो कब का उसको अपने जिस्म का मालिक बना देती अच्छा दीदी फोन रखती हु दिव्या आ गई आपको बाद में फोन करती हूं और फिर शोभा ने फोन कट कर दिया।
सुनीता भी फोन काटने के बाद शोभा की बात सोचने लगी और अपने मन में बोली शोभा से मिलकर बात करना पड़ेगा और फिर वो सो गई।
 

vision244

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Update de diya hai
 

sbaakva

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सुनीता बाथरूम से निकल कर सीधा अपने कमरे में चली जाती है।और जो कुछ भी उसने किया उसको अपने आप पर बहुत घिन महसूस हो रही थी।वो सोच रही थी कि वो कितनी गिर चुकी है हवस की आग में की अपने बेटे के बारे में ऐसा सोचती हैं। सुनीता को क्या पता कि उसका अपना बेटा उसको एक औरत की तरह प्रेम करता है।उसको अपनी रानी बनाकर रखना चाहता है। यहां तक कि वो उसकी कच्ची को सूंघता है उसमें अपना माल गिरता यह तक कि मूठ मारते वक्त सुनीता को किसी बाजारू रण्डी सोच के पेलता है और सपने में सुनीता को कुतिया रण्डी छीनार करके बुलाता है।सुनीता इन सब बातों से अंजान थी।वो तो अपनी बाथरूम वाली हरकत को सोच कर शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।

अजय अभी तक सो रहा था उसने रात को सविता को फोन करके बताया था कि वो कल दुकान देरी से आएगा और वो सुबह उठकर दुकान खोल दे।सुनीता किचेन में नाश्ता बना रही थी तभी उसे याद आता है कि अजय को उठाना है और वो सीधा अजय के कमरे की तरफ चल देती है और जब वो उसके बिस्तर के पास पहुंचती है तो अचानक उसकी नजर अजय के लन्ड पर जाती है जो कि एकदम कड़क होकर उसको सलामी दे रहा था।कुछ समय के लिए तो सुनीता की सांस रुक जाती है उसने बहुत सालो बाद किसी मर्द का लौड़ा देखा था और वो भी उसको सलामी दे रहा है।और फिर हिम्मत करके उसने धीरे से चद्दर को उठाकर देखा तो उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और फिर कुछ देर के बाद वो वापस किचेन में चली गई।सुनीता की ये हरकत उसकी हवस को और बढ़ा रही थी।पर सुनीता के मन में अजय के लिए कोई गंदे विचार नहीं थे।जो कुछ भी अभी हुआ वो बस अनजाने में हुआ था।वो तो बस उसे उठाने गई थी

फिर कुछ समय बाद अजय उठाता है और हाथ मुंह धोकर वो किचेन की तरफ जाता है तो सुनीता जो कि मैक्सी पहन के खाना बना रही थी।और गर्मी के वजह से पसीने से भीग चुकी थी उसके काँख के तरफ से मैक्सी पूरी गीली हो चुकी थी और ये देख कर अजय के मुंह में पानी आ गया उसका तो मन कर रहा था कि अभी जाके वो सुनीता को पीछे से पकड़ ले और उसकी गांड़ पे तीन चार चटे बरसा दे और फिर उसके बगल के बाल को अच्छे को सूघे और अपने थूक लगाकर उसको अच्छे से चाट ले और फिर सुनीता की मैक्सी उठाकर उसके अंदर घुस जाए और उसकी कच्ची के ऊपर से उसकी बुर को अच्छे से गीला करके तबियत से चटे और उसकी कच्ची की सुगंध को अपने नथुनों में बसा ले और इसी बीच अगर सुनीता पद दे तो और मजा आ जाएगा और मैक्सी के अंदर उसकी पद को सूंघने का मजा दुगना हो जाएगा और फिर मैक्सी से बाहर निकल कर सुनीता को पीछे से पकड़ कर उसकी चूचियां को अच्छे से मसल दे।और अपना खड़ा लौड़ा मैक्सी के ऊपर से ही उसकी गांड़ के दरार में घिसे और इन सब के बीच उसे सुनीता की आवाज आती है और अजय अपने खयाल से बाहर निकलता है।

सुनीता- अरे बेटा उठ गया
अजय: हा मम्मी उठ गया हु बस जल्दी से नाश्ता दे दो दुकान पे जाना है
सुनीता: मैने भी तुझे जान के नहीं उठाया और तुझे सोने दिया मुझे लगा तू थक गया था इसलिए
अजय और सुनीता कुछ देर बात किए और फिर अजय नाश्ता करके दुकान की तरफ निकल गया सुनीता और सुधा नहीं नाश्ता करके और फिर कुछ देर बात करके सुधा अपने कमरे में चली जाती है और लैपटॉप पे पिक्चर देखने लगती है सुधा ने ग्रेजुएशन किया हुआ था और वो लैपटॉप अच्छे से चला लेती थीं लैपटॉप अजय ने उसे दिलवाया था।सुनीता भी दोपहर का खाना बना कर अपने कमरे में आराम करने चली जाती हैं।अभी बीस से पच्चीस मिनट हुए होंगे सुनीता को सोते की तभी फोन की घंटी बजती है और सुनीता फोन की तरफ देखती है तो उसपे शोभा का नाम लिखकर आ रहा था।सुनीता फोन उठती है
सुनीता:हेलो
शोभा:हेलो दीदी कैसी हो।
सुनीता:ठीक हु तू अपना बता और मेरी प्यारी गुड़िया कैसी है।
शोभा:कौन गुड़िया दीदी
सुनीता:अरे कलमुंही मेरी दिव्या कैसी है उसका खयाल रखा कर समझी मेरी लाडली हैं
शोभा:मेरा तो खयाल ही नहीं आपको और वो जिसकी आप बात कर रही है न बिल्कुल बिगड़ गई है दिन रात बस फोन पे पता नहीं क्या देखती है।
सुनीता:कोई नहीं अभी बच्ची है उमर है उसकी अभी ये सब करने की।
शोभा:क्या दीदी बच्ची नहीं पूरी जवान हों गई चुचियों एकदम दबाने लायक है और गांड़ तो पूछो मत कातिलाना है
सुनीता:शर्म कर बेटी है तेरी लगता है तेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही है
शोभा अचानक से नम हो जाती है और उसकी आवाज में दर्द होता है
शोभा:क्या करूं दीदी ये जवानी बहुत दर्द देती है।
सुनीता: समझती हु पगली पर हम क्या कर सकते है ये समाज हम जैसी औरतों को जीने नहीं देता वही हाल तो मेरा है दिन रात तो तड़पती रहतीं हु बस मन करता है कोई आए और सारी गर्मी निकल दे कुतिया की तरह पेले कोई पर हमारे नसीब में कहा मेरी बहन
शोभा:सही कहती हो आप अब प्यार के साथ कोई ऐसा हो जो ऐसा चोदे कि दो दिन तक चल न पाऊं
सुनीता:हा ऐसा ही है पर आज कल किसी पर भरोसा भी तो नहीं कर सकते और बेइज्जती का डर भी तो लगा रहता है हम कुछ नहीं कर सकते शोभा हमें इसी आग में जलना होगा
शोभा:दीदी एक बात कहूं गुस्सा तो नहीं करोगी
सुनीता:अरे बोल मैं कहा गुस्सा करती हु
शोभा:नहीं पहले आप कसम खाओ
सुनीता:चल टिक है बोल
शोभा:दीदी मेरे नजर में एक इंसान है जो हम दोनों की प्यास बुझा सकता है पर उसका नाम सुनते ही आप गुस्सा मत होना
सुनीता:साफ साफ बोल कहना क्या चाहती है।
शोभा:दीदी मैं अजय की बात कर रही हु
सुनीता:होश में तो है तू वो बेटा है मेरा शोभा
शोभा:एकदम होश में हु दीदी सोचो जरा वो एकदम जवान गबरू और सेहतमंद और जवानी से भरपूर वो तो किसी के भी चूत से पानी निकल दे पानी क्या वो मूत तक निकल दे
सुनीता:शोभा तू हवस के आग में कुछ भी बोल रही है होश में तो है न तू
शोभा:दीदी मैं क्या गलत कह रही हु वो जवान है और अब तो बड़ा भी हो गया हम दोनों को तो वो खिलौने की तरह खेलेगा और क्या खराबी है जब घर में मर्द है तो बाहर क्यों जाना दीदी घर की बात घर में रहेगी और चुदाई का सुख अलग से बदनामी का भी कोई डर नहीं दीदी सच बोलूं तो अजय अगर मेरा बेटा होता तो कब का उसको अपने जिस्म का मालिक बना देती अच्छा दीदी फोन रखती हु दिव्या आ गई आपको बाद में फोन करती हूं और फिर शोभा ने फोन कट कर दिया।
सुनीता भी फोन काटने के बाद शोभा की बात सोचने लगी और अपने मन में बोली शोभा से मिलकर बात करना पड़ेगा और फिर वो सो गई।
awesome start bro.plz story me gifs bhi add kariye to padhne me bht maza aaega.plz
 
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