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Incest मानव बना दानव

Manav's story is ending soon. What should be the theme of my next story?

  • Restart शीघ्रपत्नी

    Votes: 13 52.0%
  • Restart Hypnotism MFF मराठी

    Votes: 1 4.0%
  • New MFF

    Votes: 5 20.0%
  • New mFmF

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  • New MMF

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Lefty69

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nice update..!!
manav hi mohini se sachha pyaar karta tha lekin mohini ne kabhi usse pyaar nahi kiya..bas usse dhoka diya..ab manav badla toh lega apne bhai aur uske biwi se aur tab jake uska badla pura hoga..uske baad shayad manav ke zindagi me koi usse sachha pyaar karnewala mil jaye..bas woh mohini nahi honi chahiye kyunki woh manav ko deserve nahi karti hai..!!
Aap ne kahani ko sahi socha hai. Pasand aur pyar mein shiddat ka fark hota hai. Mohini logon se darkar pyar nahi kar pai.

Manav Mohini ko Hiresh ki ankhon ke samne lootega aur Hiresh nashe se majboor Maya ki tarah apni beijjati ko chup chap sehta rahega.

Par kya ye hamesha ke liye hoga? Kya Manav ka badla pura hoga? Kya Hiresh dubara hamla karne ki koshish karega?

Manav ka saccha pyar agar Mohini ke lautne ke baad us se milne vala hai to Manav ka saccha pyar kaun hai?

Ye kahani jald hi khatam ho jayegi aur main ise jyada khinchna nahi chahunga. Is liye agli story line ke liye vote kijiye.

Thank you for your continued support and encouragement
 
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chusu

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sahi.................kam shabdo mai sahi baat kahne ki jadugari...... keep posting
 
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Lefty69

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मोहिनी को मानव ने बेड पर फेंक दिया और वह डर कर दोनों भाइयों को देखने लगी।


मोहिनी (हाथ जोड़कर), “मानव!!…
मैं तुम्हारी दोस्त!!…
तुम्हारा पहला प्यार!!…
मैं पतिव्रता हूं!!…
मुझे तुम्हारे आपसी झगड़े में यूं बरबाद ना करो!!…
जी!!…
कुछ कीजिए!!…
मैने आप के लिए सब कुछ छोड़ा!!…
मुझे खुशी नही दे पाए तो दर्द तो ना दीजिए!!…
मैं आप दोनों के पैर पड़ती हुं!!…”



मानव अपने कपड़े उतारते हुए, “भैय्या, आप इसके पति हो। इसे नंगा कर दो। मैं भी तो अपना पहला प्यार आजमाना चाहता हूं।“



हीरेष को अपनी बीवी को बचाने की इच्छा उमड़ रही थी। आखिर मोहिनी ने ही पिछले 13 सालों में पीटकर ही सही पर नशे के लिए पैसे दिए थे। दो हफ्ते में दो बार ढंग का खाना दिया था। हीरेष मानव को रोकने मुड़ा जब उसने मानव के हाथ में एक नशे की गोली देखी।



हीरेष को आज माया की हालत पता चली। कैसे अपने अंदर उमड़ते जज्बातों का गला घोंटते हुए नशा अपने तलप में इंसान की इंसानियत को मार देती है। हीरेष वहशी जानवर की तरह मोहिनी पर लपका और उसने मोहिनी को थप्पड़ मार कर बेड पर गिरा दिया।



नशे को तड़पते हीरेष से पीटने को आदि हो चुकी मोहिनी हीरेष से लड़ते हुए अपनी इज्जत बचाने की कोशिश करने लगी। मानव अपने भाई और भाभी की बेड पर चलती लड़ाई देखते हुए अपनी पैंट उतार कर खड़ा हो गया। मानव का 15 इंच लम्बा और 5 इंच मोटा अजगर मोहिनी की नज़र में आया तो उसे मानो सांप सूंघ गया।


हीरेष ने मौके का फायदा उठाकर मोहिनी के हाथों को अपने हाथों में पकड़ लिया। हीरेष ने मानव का फूला हुआ अनैसर्गिक अंग देखा और उसका गला सुख गया।


हीरेष, “मानव… ये क्या??…”


मानव हंस कर, “भैय्या ये आप की गोलियों का असर है। सांड को गर्मी देने की गोलियों ने अब मुझे सांड की गर्मी दी है। एक रात में 16 से 17 बार चोदकर ही ठंडा पड़ सकता हूं!”


हीरेष, “मर जाएगी ये!”


मानव, “सिर्फ कुंवारियां फटने से मरती हैं। अगर ये जवान होती बेटी की मां मर गई तो तुम इसकी लाश ठिकाने लगाना! वरना गोली भूल जाओ और दोनो दफा हो जाओ यहां से!”


मोहिनी, “जी!!…
भाग जाते हैं!!…
किसी गांव में अपना झोपड़ा बना लेंगे! जब काम्या बड़ी हो जाएगी तब उसे लेने आएंगे।
जी!! चलो!!…
क्या सोच रहे हो!!…
जी!!…
जी नहीं!!…
नही!!…
भगवान के लिए अब तो अपनी आंखें खोलो!! नशा छोड़ो!!…
जी!!…
जी!!…
जी नहीं!!…
नही!!…
नही जी नहीं!!…”



हीरेष ने नशे की गोली को देखते हुए मोहिनी के पल्लू को हटाया और ब्लाउज को खोला। मानव ने हंसते हुए अपने लौड़े को हिलाकर खड़ा करते हुए उसे तेल से पोत दिया। मोहिनी ने अपने घुटनों को जोड़ कर अपनी इज्जत बचानी चाही लेकिन हीरेष ने अपनी बीवी की पेटीकोट का नाड़ा तोड़ कर उसे मानव के लिए बस पैंटी में परोस दिया।



मानव को हाथ जोड़कर मिन्नतें करती मोहिनी रोने के सिवा कुछ नहीं कर सकती थी। मानव ने मोहिनी के पैरों को उठाकर अपने कंधों पर फैलाकर रखा और हीरेष ने अपनी पत्नी की इज्जत बचाती lace के पैंटी को उतार दिया।



आज सुबह पार्लर में चिकनी की गई मोहिनी की कसी हुई चूत न चाहते हुए भी यौन रसों से भीग कर अपने प्रेमी के लिए फूल रही थी। मोहिनी ने अपनी इज्जत बचाने की आखरी कोशिश की।



मोहिनी, “मानव मैं मर जाउंगी!!…
मानव मैं कुंवारी हूं!!…
मैं इस से मर जाऊंगी!!…
जी!!…
आप को मेरी कसम, सच बताओ!!…”


हीरेष, “मोहिनी सच बोल रही है मानव। मेरा लौड़ा नशे से कब का बंद हो गया है। शादी से पहले मैने अपने गोटियों में इंजेक्शन लगवा कर अपना बचाकुचा वीर्य निकलवाया। कुंवारी सुहागन होने की शर्म से मोहिनी ने ज्यादा पतिव्रता होने की कोशिश करते हुए हमेशा मेरा साथ दिया। काम्या के लिए हमने डॉक्टरी इलाज से मेरा बॉटल बंद वीर्य इस्तमाल किया। मानव अगर तेरा लौड़ा कुंवारियों का कातिल है तो मोहिनी कल सुबह का सूरज नहीं देख पाएगी। अपनी भाभी नही, बचपन की सहेली नही तो इंसानियत से ही सही। मोहिनी को बक्श दे!”


मानव, “बड़े भैय्या जब आप मां को लूटते थे तब अगर उसका मासिक धर्म शुरू होता तो क्या अपना खड़ा लौड़ा दबा लिया करते थे?”


हीरेष ने सर झुकाकर सच बिन बोले कह दिया।


मानव आह भरते हुए, “ठीक है। मैं मोहिनी को नहीं चोदूंगा! पर इस लौड़े को ठंडा करना होगा। बड़े भइया, या तो अपनी पैंट उतार कर अपनी कोरी गांड़ मुझे दे दो या बगल के कमरे में से कच्ची कली काम्या को खींच कर अपनी मां को जगह लिटा दो!”


हीरेष से डर कर अपनी पैंट कमर में पकड़ ली और चुपके से दरवाजे की ओर जाने लगा।


मोहिनी, “नही!!…
जी नहीं!!…
आप पागल हो गए हैं?…
अपनी नाबालिक बेटी को मरवाओगे?…”


हीरेष, “समझा करो!!… वो नाबालिक है!!… अगर मानव ने उसे चोद कर मार डाला तो वह उम्रकैद के लिए जायेगा! ये सब कुछ हमारा होगा!!”


मोहिनी ने उठकर अपने पति को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर से थप्पड़ जड़ा दिया। नशे की आदत से कमजोर हीरेष एक ओर जमीन पर गिर गया।


मोहिनी, “तुम्हें औरत का बदन चाहिए ना? आ!!…
लूटले मुझे!!…
हां मैं कुंवारी हूं!!…
ले!!…
मार दे मुझे!!…
दे मुझे इस मुसीबत से आज़ादी!!…
बस अपना वादा याद रखना!!…
तू मेरी बेटी से उसके बालिक होने तक दूर रहेगा और उसे अपने बिस्तर में लेने से पहले जाने का मौका देगा!!…”


मानव, “मैंने कई सौ औरतों को इस्तमाल किया है पर हर मां एक जैसी ही होती है! मेरी मां ने भी मुझे नशे से दूर रखने के लिए तेरे पति से जान कर भी नशे की गोलियां खाई। जा!!… बेड पर लेट कर अपनी टांगे खोल! अपनी पहली और आखरी सुहागरात को मनाते हुए तेरी कोई आखरी ख्वाइश?”


मोहिनी, “अगर मुझे मरना ही है तो मुझ पर कोई एहसान मत करना और मेरे पति को मेरी हर हालत दिखनी चाहिए!”


मानव ने मोहिनी के पैरों को अपने कंधों पर रख कर अपने सेब जैसे सुपाड़े से मोहिनी की कुंवारी कली को खोला।


मोहिनी, “जी, आप के नशे ने मेरा प्यार लूट लिया, मेरी जवानी बर्बाद कर दी, मेरे पिता को मुझसे तोड़ा, दो वक्त के खाने को मोहताज कर दिया और अब अपनी जान गंवा कर अपनी बेटी जी जवानी खरीदने पर मजबूर कर दिया। आज जी भर के देख लो की अपनी बीवी की जवानी को कैसे जलाया जाता है!”


मानव ने अपनी भाभी की आंखों में हीरेष के लिए जलती नफरत देखी और खुशी खुशी आगे बढ़ने लगा।


सुपाड़े से मोहिनी की यौन पंखुड़ियां फैलने लगी और वह आहें भरती बेड के सिरहाने को पकड़कर अपनी आखें बंद कर रोने लगी। मानव के सुपाड़े ने गीली पंखुड़ियां को और फैलाया तो वह फैलकर अपने जोड़ में से फटने लगी। खून की पतली लकीर ने गांड़ पर से होते हुए चादर को रंगना शुरू किया और मोहिनी अपना सर हिलाते हुए रोने लगी।


मानव ने अपने हाथों को मोहिनी के बगल में रख कर अपने सीने को मोहिनी के ऊपर बनाए रखा। मानव ने अपने लौड़े पर थोड़ा और जोर दिया और उसके सुपाड़े की नोक ने मोहिनी की जवानी के महीन परदे को चूम लिया।


मोहिनी को पहली बार अपनी जवानी का एहसास हुआ और वह झड़ते हुए घूटी हुई आवाज में चीख पड़ी।


मोहिनी, “आ!!…
आ!!…
आ… ई… ई… ईश!!!…
आह!!!…”
 

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मोहिनी को मानव ने बेड पर फेंक दिया और वह डर कर दोनों भाइयों को देखने लगी।


मोहिनी (हाथ जोड़कर), “मानव!!…
मैं तुम्हारी दोस्त!!…
तुम्हारा पहला प्यार!!…
मैं पतिव्रता हूं!!…
मुझे तुम्हारे आपसी झगड़े में यूं बरबाद ना करो!!…

जी!!…
कुछ कीजिए!!…
मैने आप के लिए सब कुछ छोड़ा!!…
मुझे खुशी नही दे पाए तो दर्द तो ना दीजिए!!…
मैं आप दोनों के पैर पड़ती हुं!!…”



मानव अपने कपड़े उतारते हुए, “भैय्या, आप इसके पति हो। इसे नंगा कर दो। मैं भी तो अपना पहला प्यार आजमाना चाहता हूं।“



हीरेष को अपनी बीवी को बचाने की इच्छा उमड़ रही थी। आखिर मोहिनी ने ही पिछले 13 सालों में पीटकर ही सही पर नशे के लिए पैसे दिए थे। दो हफ्ते में दो बार ढंग का खाना दिया था। हीरेष मानव को रोकने मुड़ा जब उसने मानव के हाथ में एक नशे की गोली देखी।



हीरेष को आज माया की हालत पता चली। कैसे अपने अंदर उमड़ते जज्बातों का गला घोंटते हुए नशा अपने तलप में इंसान की इंसानियत को मार देती है। हीरेष वहशी जानवर की तरह मोहिनी पर लपका और उसने मोहिनी को थप्पड़ मार कर बेड पर गिरा दिया।



नशे को तड़पते हीरेष से पीटने को आदि हो चुकी मोहिनी हीरेष से लड़ते हुए अपनी इज्जत बचाने की कोशिश करने लगी। मानव अपने भाई और भाभी की बेड पर चलती लड़ाई देखते हुए अपनी पैंट उतार कर खड़ा हो गया। मानव का 15 इंच लम्बा और 5 इंच मोटा अजगर मोहिनी की नज़र में आया तो उसे मानो सांप सूंघ गया।


हीरेष ने मौके का फायदा उठाकर मोहिनी के हाथों को अपने हाथों में पकड़ लिया। हीरेष ने मानव का फूला हुआ अनैसर्गिक अंग देखा और उसका गला सुख गया।


हीरेष, “मानव… ये क्या??…”


मानव हंस कर, “भैय्या ये आप की गोलियों का असर है। सांड को गर्मी देने की गोलियों ने अब मुझे सांड की गर्मी दी है। एक रात में 16 से 17 बार चोदकर ही ठंडा पड़ सकता हूं!”


हीरेष, “मर जाएगी ये!”


मानव, “सिर्फ कुंवारियां फटने से मरती हैं। अगर ये जवान होती बेटी की मां मर गई तो तुम इसकी लाश ठिकाने लगाना! वरना गोली भूल जाओ और दोनो दफा हो जाओ यहां से!”


मोहिनी, “जी!!…
भाग जाते हैं!!…
किसी गांव में अपना झोपड़ा बना लेंगे! जब काम्या बड़ी हो जाएगी तब उसे लेने आएंगे।
जी!! चलो!!…
क्या सोच रहे हो!!…
जी!!…
जी नहीं!!…
नही!!…
भगवान के लिए अब तो अपनी आंखें खोलो!! नशा छोड़ो!!…
जी!!…
जी!!…
जी नहीं!!…
नही!!…
नही जी नहीं!!…”



हीरेष ने नशे की गोली को देखते हुए मोहिनी के पल्लू को हटाया और ब्लाउज को खोला। मानव ने हंसते हुए अपने लौड़े को हिलाकर खड़ा करते हुए उसे तेल से पोत दिया। मोहिनी ने अपने घुटनों को जोड़ कर अपनी इज्जत बचानी चाही लेकिन हीरेष ने अपनी बीवी की पेटीकोट का नाड़ा तोड़ कर उसे मानव के लिए बस पैंटी में परोस दिया।



मानव को हाथ जोड़कर मिन्नतें करती मोहिनी रोने के सिवा कुछ नहीं कर सकती थी। मानव ने मोहिनी के पैरों को उठाकर अपने कंधों पर फैलाकर रखा और हीरेष ने अपनी पत्नी की इज्जत बचाती lace के पैंटी को उतार दिया।



आज सुबह पार्लर में चिकनी की गई मोहिनी की कसी हुई चूत न चाहते हुए भी यौन रसों से भीग कर अपने प्रेमी के लिए फूल रही थी। मोहिनी ने अपनी इज्जत बचाने की आखरी कोशिश की।



मोहिनी, “मानव मैं मर जाउंगी!!…
मानव मैं कुंवारी हूं!!…
मैं इस से मर जाऊंगी!!…
जी!!…
आप को मेरी कसम, सच बताओ!!…”


हीरेष, “मोहिनी सच बोल रही है मानव। मेरा लौड़ा नशे से कब का बंद हो गया है। शादी से पहले मैने अपने गोटियों में इंजेक्शन लगवा कर अपना बचाकुचा वीर्य निकलवाया। कुंवारी सुहागन होने की शर्म से मोहिनी ने ज्यादा पतिव्रता होने की कोशिश करते हुए हमेशा मेरा साथ दिया। काम्या के लिए हमने डॉक्टरी इलाज से मेरा बॉटल बंद वीर्य इस्तमाल किया। मानव अगर तेरा लौड़ा कुंवारियों का कातिल है तो मोहिनी कल सुबह का सूरज नहीं देख पाएगी। अपनी भाभी नही, बचपन की सहेली नही तो इंसानियत से ही सही। मोहिनी को बक्श दे!”


मानव, “बड़े भैय्या जब आप मां को लूटते थे तब अगर उसका मासिक धर्म शुरू होता तो क्या अपना खड़ा लौड़ा दबा लिया करते थे?”


हीरेष ने सर झुकाकर सच बिन बोले कह दिया।


मानव आह भरते हुए, “ठीक है। मैं मोहिनी को नहीं चोदूंगा! पर इस लौड़े को ठंडा करना होगा। बड़े भइया, या तो अपनी पैंट उतार कर अपनी कोरी गांड़ मुझे दे दो या बगल के कमरे में से कच्ची कली काम्या को खींच कर अपनी मां को जगह लिटा दो!”


हीरेष से डर कर अपनी पैंट कमर में पकड़ ली और चुपके से दरवाजे की ओर जाने लगा।


मोहिनी, “नही!!…
जी नहीं!!…
आप पागल हो गए हैं?…
अपनी नाबालिक बेटी को मरवाओगे?…”


हीरेष, “समझा करो!!… वो नाबालिक है!!… अगर मानव ने उसे चोद कर मार डाला तो वह उम्रकैद के लिए जायेगा! ये सब कुछ हमारा होगा!!”


मोहिनी ने उठकर अपने पति को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर से थप्पड़ जड़ा दिया। नशे की आदत से कमजोर हीरेष एक ओर जमीन पर गिर गया।


मोहिनी, “तुम्हें औरत का बदन चाहिए ना? आ!!…
लूटले मुझे!!…
हां मैं कुंवारी हूं!!…
ले!!…
मार दे मुझे!!…
दे मुझे इस मुसीबत से आज़ादी!!…
बस अपना वादा याद रखना!!…
तू मेरी बेटी से उसके बालिक होने तक दूर रहेगा और उसे अपने बिस्तर में लेने से पहले जाने का मौका देगा!!…”


मानव, “मैंने कई सौ औरतों को इस्तमाल किया है पर हर मां एक जैसी ही होती है! मेरी मां ने भी मुझे नशे से दूर रखने के लिए तेरे पति से जान कर भी नशे की गोलियां खाई। जा!!… बेड पर लेट कर अपनी टांगे खोल! अपनी पहली और आखरी सुहागरात को मनाते हुए तेरी कोई आखरी ख्वाइश?”


मोहिनी, “अगर मुझे मरना ही है तो मुझ पर कोई एहसान मत करना और मेरे पति को मेरी हर हालत दिखनी चाहिए!”


मानव ने मोहिनी के पैरों को अपने कंधों पर रख कर अपने सेब जैसे सुपाड़े से मोहिनी की कुंवारी कली को खोला।


मोहिनी, “जी, आप के नशे ने मेरा प्यार लूट लिया, मेरी जवानी बर्बाद कर दी, मेरे पिता को मुझसे तोड़ा, दो वक्त के खाने को मोहताज कर दिया और अब अपनी जान गंवा कर अपनी बेटी जी जवानी खरीदने पर मजबूर कर दिया। आज जी भर के देख लो की अपनी बीवी की जवानी को कैसे जलाया जाता है!”


मानव ने अपनी भाभी की आंखों में हीरेष के लिए जलती नफरत देखी और खुशी खुशी आगे बढ़ने लगा।


सुपाड़े से मोहिनी की यौन पंखुड़ियां फैलने लगी और वह आहें भरती बेड के सिरहाने को पकड़कर अपनी आखें बंद कर रोने लगी। मानव के सुपाड़े ने गीली पंखुड़ियां को और फैलाया तो वह फैलकर अपने जोड़ में से फटने लगी। खून की पतली लकीर ने गांड़ पर से होते हुए चादर को रंगना शुरू किया और मोहिनी अपना सर हिलाते हुए रोने लगी।


मानव ने अपने हाथों को मोहिनी के बगल में रख कर अपने सीने को मोहिनी के ऊपर बनाए रखा। मानव ने अपने लौड़े पर थोड़ा और जोर दिया और उसके सुपाड़े की नोक ने मोहिनी की जवानी के महीन परदे को चूम लिया।


मोहिनी को पहली बार अपनी जवानी का एहसास हुआ और वह झड़ते हुए घूटी हुई आवाज में चीख पड़ी।


मोहिनी, “आ!!…
आ!!…
आ… ई… ई… ईश!!!…
आह!!!…”
nice update..!!
bhai mohini agar kunwari hai toh woh kamya ka maa kaise ho sakti hai..matlab kamya ko kya surrogacy se paida kiya gaya hai..!! aur yeh mohini apne pati ke bare me itna jankar bhi pati pati kar rahi hai..ab dekhte hai manav harish ko kaisi saja deta hai..!!
 

Lefty69

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nice update..!!
bhai mohini agar kunwari hai toh woh kamya ka maa kaise ho sakti hai..matlab kamya ko kya surrogacy se paida kiya gaya hai..!! aur yeh mohini apne pati ke bare me itna jankar bhi pati pati kar rahi hai..ab dekhte hai manav harish ko kaisi saja deta hai..!!
Hiresh ke laude ne Maya ke samne hi dum todna shuru kar diya tha. Hiresh ne apni shadi se pehle Solanki se injection se apna viry nikalkar store karvaya tha.

Mohini samaj se darne vali ladki hai aur apne kunvare rehne se apna pativrata hona jyada karti hai.

Jab Hiresh apni mardangi sabit karne ke liye baap banana chahta tha tab use sperm bank se apna viry nikalkar doctor se Kamya ko banvaya (test tube baby). Kamya paida hote hue operation kiya gaya aur Mohini kunvari maa bani.

Hiresh ab jaan raha hai ki nashe ki vajah se apnon ko khona kya hota hai. Ab Manav use usi tarah jalil karega jaise usne Maya ko kiya tha.
 
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bahuth badiya jabardast update hai bhai aur bahuth Shukriya
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मोहिनी को मानव ने बेड पर फेंक दिया और वह डर कर दोनों भाइयों को देखने लगी।


मोहिनी (हाथ जोड़कर), “मानव!!…
मैं तुम्हारी दोस्त!!…
तुम्हारा पहला प्यार!!…
मैं पतिव्रता हूं!!…
मुझे तुम्हारे आपसी झगड़े में यूं बरबाद ना करो!!…

जी!!…
कुछ कीजिए!!…
मैने आप के लिए सब कुछ छोड़ा!!…
मुझे खुशी नही दे पाए तो दर्द तो ना दीजिए!!…
मैं आप दोनों के पैर पड़ती हुं!!…”



मानव अपने कपड़े उतारते हुए, “भैय्या, आप इसके पति हो। इसे नंगा कर दो। मैं भी तो अपना पहला प्यार आजमाना चाहता हूं।“



हीरेष को अपनी बीवी को बचाने की इच्छा उमड़ रही थी। आखिर मोहिनी ने ही पिछले 13 सालों में पीटकर ही सही पर नशे के लिए पैसे दिए थे। दो हफ्ते में दो बार ढंग का खाना दिया था। हीरेष मानव को रोकने मुड़ा जब उसने मानव के हाथ में एक नशे की गोली देखी।



हीरेष को आज माया की हालत पता चली। कैसे अपने अंदर उमड़ते जज्बातों का गला घोंटते हुए नशा अपने तलप में इंसान की इंसानियत को मार देती है। हीरेष वहशी जानवर की तरह मोहिनी पर लपका और उसने मोहिनी को थप्पड़ मार कर बेड पर गिरा दिया।



नशे को तड़पते हीरेष से पीटने को आदि हो चुकी मोहिनी हीरेष से लड़ते हुए अपनी इज्जत बचाने की कोशिश करने लगी। मानव अपने भाई और भाभी की बेड पर चलती लड़ाई देखते हुए अपनी पैंट उतार कर खड़ा हो गया। मानव का 15 इंच लम्बा और 5 इंच मोटा अजगर मोहिनी की नज़र में आया तो उसे मानो सांप सूंघ गया।


हीरेष ने मौके का फायदा उठाकर मोहिनी के हाथों को अपने हाथों में पकड़ लिया। हीरेष ने मानव का फूला हुआ अनैसर्गिक अंग देखा और उसका गला सुख गया।


हीरेष, “मानव… ये क्या??…”


मानव हंस कर, “भैय्या ये आप की गोलियों का असर है। सांड को गर्मी देने की गोलियों ने अब मुझे सांड की गर्मी दी है। एक रात में 16 से 17 बार चोदकर ही ठंडा पड़ सकता हूं!”


हीरेष, “मर जाएगी ये!”


मानव, “सिर्फ कुंवारियां फटने से मरती हैं। अगर ये जवान होती बेटी की मां मर गई तो तुम इसकी लाश ठिकाने लगाना! वरना गोली भूल जाओ और दोनो दफा हो जाओ यहां से!”


मोहिनी, “जी!!…
भाग जाते हैं!!…
किसी गांव में अपना झोपड़ा बना लेंगे! जब काम्या बड़ी हो जाएगी तब उसे लेने आएंगे।
जी!! चलो!!…
क्या सोच रहे हो!!…
जी!!…
जी नहीं!!…
नही!!…
भगवान के लिए अब तो अपनी आंखें खोलो!! नशा छोड़ो!!…
जी!!…
जी!!…
जी नहीं!!…
नही!!…
नही जी नहीं!!…”



हीरेष ने नशे की गोली को देखते हुए मोहिनी के पल्लू को हटाया और ब्लाउज को खोला। मानव ने हंसते हुए अपने लौड़े को हिलाकर खड़ा करते हुए उसे तेल से पोत दिया। मोहिनी ने अपने घुटनों को जोड़ कर अपनी इज्जत बचानी चाही लेकिन हीरेष ने अपनी बीवी की पेटीकोट का नाड़ा तोड़ कर उसे मानव के लिए बस पैंटी में परोस दिया।



मानव को हाथ जोड़कर मिन्नतें करती मोहिनी रोने के सिवा कुछ नहीं कर सकती थी। मानव ने मोहिनी के पैरों को उठाकर अपने कंधों पर फैलाकर रखा और हीरेष ने अपनी पत्नी की इज्जत बचाती lace के पैंटी को उतार दिया।



आज सुबह पार्लर में चिकनी की गई मोहिनी की कसी हुई चूत न चाहते हुए भी यौन रसों से भीग कर अपने प्रेमी के लिए फूल रही थी। मोहिनी ने अपनी इज्जत बचाने की आखरी कोशिश की।



मोहिनी, “मानव मैं मर जाउंगी!!…
मानव मैं कुंवारी हूं!!…
मैं इस से मर जाऊंगी!!…
जी!!…
आप को मेरी कसम, सच बताओ!!…”


हीरेष, “मोहिनी सच बोल रही है मानव। मेरा लौड़ा नशे से कब का बंद हो गया है। शादी से पहले मैने अपने गोटियों में इंजेक्शन लगवा कर अपना बचाकुचा वीर्य निकलवाया। कुंवारी सुहागन होने की शर्म से मोहिनी ने ज्यादा पतिव्रता होने की कोशिश करते हुए हमेशा मेरा साथ दिया। काम्या के लिए हमने डॉक्टरी इलाज से मेरा बॉटल बंद वीर्य इस्तमाल किया। मानव अगर तेरा लौड़ा कुंवारियों का कातिल है तो मोहिनी कल सुबह का सूरज नहीं देख पाएगी। अपनी भाभी नही, बचपन की सहेली नही तो इंसानियत से ही सही। मोहिनी को बक्श दे!”


मानव, “बड़े भैय्या जब आप मां को लूटते थे तब अगर उसका मासिक धर्म शुरू होता तो क्या अपना खड़ा लौड़ा दबा लिया करते थे?”


हीरेष ने सर झुकाकर सच बिन बोले कह दिया।


मानव आह भरते हुए, “ठीक है। मैं मोहिनी को नहीं चोदूंगा! पर इस लौड़े को ठंडा करना होगा। बड़े भइया, या तो अपनी पैंट उतार कर अपनी कोरी गांड़ मुझे दे दो या बगल के कमरे में से कच्ची कली काम्या को खींच कर अपनी मां को जगह लिटा दो!”


हीरेष से डर कर अपनी पैंट कमर में पकड़ ली और चुपके से दरवाजे की ओर जाने लगा।


मोहिनी, “नही!!…
जी नहीं!!…
आप पागल हो गए हैं?…
अपनी नाबालिक बेटी को मरवाओगे?…”


हीरेष, “समझा करो!!… वो नाबालिक है!!… अगर मानव ने उसे चोद कर मार डाला तो वह उम्रकैद के लिए जायेगा! ये सब कुछ हमारा होगा!!”


मोहिनी ने उठकर अपने पति को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर से थप्पड़ जड़ा दिया। नशे की आदत से कमजोर हीरेष एक ओर जमीन पर गिर गया।


मोहिनी, “तुम्हें औरत का बदन चाहिए ना? आ!!…
लूटले मुझे!!…
हां मैं कुंवारी हूं!!…
ले!!…
मार दे मुझे!!…
दे मुझे इस मुसीबत से आज़ादी!!…
बस अपना वादा याद रखना!!…
तू मेरी बेटी से उसके बालिक होने तक दूर रहेगा और उसे अपने बिस्तर में लेने से पहले जाने का मौका देगा!!…”


मानव, “मैंने कई सौ औरतों को इस्तमाल किया है पर हर मां एक जैसी ही होती है! मेरी मां ने भी मुझे नशे से दूर रखने के लिए तेरे पति से जान कर भी नशे की गोलियां खाई। जा!!… बेड पर लेट कर अपनी टांगे खोल! अपनी पहली और आखरी सुहागरात को मनाते हुए तेरी कोई आखरी ख्वाइश?”


मोहिनी, “अगर मुझे मरना ही है तो मुझ पर कोई एहसान मत करना और मेरे पति को मेरी हर हालत दिखनी चाहिए!”


मानव ने मोहिनी के पैरों को अपने कंधों पर रख कर अपने सेब जैसे सुपाड़े से मोहिनी की कुंवारी कली को खोला।


मोहिनी, “जी, आप के नशे ने मेरा प्यार लूट लिया, मेरी जवानी बर्बाद कर दी, मेरे पिता को मुझसे तोड़ा, दो वक्त के खाने को मोहताज कर दिया और अब अपनी जान गंवा कर अपनी बेटी जी जवानी खरीदने पर मजबूर कर दिया। आज जी भर के देख लो की अपनी बीवी की जवानी को कैसे जलाया जाता है!”


मानव ने अपनी भाभी की आंखों में हीरेष के लिए जलती नफरत देखी और खुशी खुशी आगे बढ़ने लगा।


सुपाड़े से मोहिनी की यौन पंखुड़ियां फैलने लगी और वह आहें भरती बेड के सिरहाने को पकड़कर अपनी आखें बंद कर रोने लगी। मानव के सुपाड़े ने गीली पंखुड़ियां को और फैलाया तो वह फैलकर अपने जोड़ में से फटने लगी। खून की पतली लकीर ने गांड़ पर से होते हुए चादर को रंगना शुरू किया और मोहिनी अपना सर हिलाते हुए रोने लगी।


मानव ने अपने हाथों को मोहिनी के बगल में रख कर अपने सीने को मोहिनी के ऊपर बनाए रखा। मानव ने अपने लौड़े पर थोड़ा और जोर दिया और उसके सुपाड़े की नोक ने मोहिनी की जवानी के महीन परदे को चूम लिया।


मोहिनी को पहली बार अपनी जवानी का एहसास हुआ और वह झड़ते हुए घूटी हुई आवाज में चीख पड़ी।


मोहिनी, “आ!!…
आ!!…
आ… ई… ई… ईश!!!…
आह!!!…
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