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Incest मानस और छाया का पंचरत्न योग

Lovely Anand

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पात्र परिचय
छाया : उम्र लगभग 22 वर्ष एक बेहद ही खूबसूरत युवती जिसकी कद काठी 1942 ए लव स्टोरी फिल्म की मनीषा कोइराला जैसी है . छाया तन और मन दोनों से ही बेहद कोमल और खूबसूरत है।

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मानस ( छाया का प्रेमी और सौतेला भाई) :उम्र लगभग 26 वर्ष ग्रामीण परिवेश से पढ़ लिख कर एक बेंगलुरु में नौकरी करता हुआ खूबसूरत कद काठी एवं आकर्षक व्यक्तित्व का धनी युवा.
सीमा ( छाया की पक्की सहेली और मानस की पत्नी) : उम्र लगभग 23 वर्ष कद काठी जैकलीन फर्नांडिस के जैसी बेहद सुंदर और आधुनिक लड़की।



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सोमिल ( छाया का पति): उम्र लगभग 26 वर्ष आकर्षक कद काठी का युवा जो पंजाबी परिवार से है।

माया जी ( छाया की मां) : उम्र लगभग 42 वर्ष सुंदर और सुडौल शरीर। अपने शारीरिक संरचना से अपनी उम्र को छुपाती हुई अधेड़ महिला।
शर्मा जी ( माया जी के प्रेमी जो अब माया जी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं): उम्र लगभग 47 वर्ष। अपना शारीरिक सौष्ठव कायम रखते हुए जीवन का आनंद लेते हुए एक अधेड़ जिनके मन में अभी भी कामवासना और प्रेम जीवंत है.

मानस उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण परिवेश का रहने वाला था। मानस की मां का देहांत कई वर्षों पहले हो चुका था। घरेलू कार्यों में दिक्कत आने की वजह से मानस के पिता (जो कि एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे) माया जी को अपने घर दूसरी पत्नी बनाकर ले आए उनके साथ साथ माया की पुत्री छाया भी मानस के घर आ गई।
इस विवाह से माया और छाया के सर पर छत आ गई तथा मानस के परिवार को घरेलू कार्यों के लिए मदद मिल गई। मानस के पिता और माया में कभी भी शारीरिक संबंध बनने जैसी स्थिति न तो उत्पन्न हुई न हीं मानस के पिता को इसकी दरकार थी।
सीमा मानस के पड़ोस में आती जाती रहती थी. इन दोनों में किशोरावस्था में कुछ कामुक संबंध बने थे परंतु समय के साथ वह दोनों इसे भूल चुके थे।
मानस ने उस समय माया और उनकी पुत्री छाया में कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. उनके आगमन के कुछ ही दिनों पश्चात वह कॉलेज पढ़ाई करने चला गया. एक-दो वर्षों बाद जब वह घर आया तब छाया को देखकर वह उस पर आसक्त हो गया छाया से उसका प्यार बढ़ता गया.
मानस के पिता के देहांत होने के पश्चात घर की जिम्मेदारी संभाल ली। छाया से उसका प्यार परवान चढ़ रहा था उसने छाया को अपनी प्रेमिका के रूप में अपना लिया तथा अपने साथ बेंगलुरु ले आया माया भी साथ साथ बेंगलुरु आ गयी।
एक ही छत के नीचे रहते हुए छाया और मानस का प्रेम उफान पर था। समय के साथ माया को इसका आभास हुआ तब उन्होंने इन दोनों को रोकना चाहा क्योंकि वह दोनों रिश्ते में सौतेले भाई बहन थे।
मानस और छाया के प्रेम की पवित्रता देखकर माया का हृदय पसीज गया। इतने दिनों तक साथ रहने के बावजूद छाया का कौमार्य सुरक्षित था। मानस और छाया ने वचन लिया हुआ था कि जब तक उनका विवाह नहीं होता वो अपना कौमार्य सुरक्षित रखेंगे। उनके प्रेम की पवित्रता देख कर माया ने उन दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर लिया।
अगले 1 वर्ष तक मानस और छाया प्रेमी और प्रेमिका के रूप में रह रहे थे तथा छाया की मां माया भी अत्यंत खुश थी।
माया जी के संबंध धीरे-धीरे शर्मा जी से प्रगाढ़ हो रहे थे जो उनके पड़ोसी थे उन दोनों में आत्मीयता हो चली थी।
एक विवाह समारोह में मानस और छाया एक साथ उपस्थित हुए जहां पर गाँव समाज से आये हुए लोगों ने उनके भाई बहन के रिश्ते को आदर्श रिश्ते के रूप में सर्वविदित कर दिया तथा उन्हें आदर्श भाई-बहन की संज्ञा दी जाने लगी।
इस भाई बहन के रिश्ते को तोड़ पाने की सामर्थ्य माया में नहीं थी। मानस और छाया भी न चाहते हुए इस रिश्ते की कैद में आ चुके थे। उनका विवाह अब संभव नहीं था। ऐसी परिस्थितियों में वह एक दूसरे से दूर हो गए पर उनमें कामुक संबंध ज्यादा दिनों तक नहीं रुक सके ।
उन दोनों का अगाध प्रेम एक बार फिर परवान चढ़ने लगा यह जानते हुए भी की वह दोनों एक नहीं हो सकते।
इसी बीच छाया की मुलाकात सीमा से होती है और वह दोनों पक्की सहेलियां बन जाती है। छाया सीमा से मानस का मिलन करवाती है और उन दोनों का विवाह हो जाता है। सीमा और छाया आपस में पूरी तरह खुली हुई थी सीमा को मानस और छाया के रिश्ते के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है और तीनों एक दूसरे को जी जान से प्यार करते हैं। उनमें कामुक संबंध भी अनूठे तरीके से बनते हैं जिसमे छाया का कौमार्य सुरक्षित रहता है।
छाया की पढ़ाई पूरी हो जाने के पश्चात छाया का विवाह सीमा के पुराने पुरुष मित्र सोमिल से हो जाता है जसने सीमा को वचन दिया रहता है कि वो अपना पहला संभोग उसके साथ ही करेगा।

एक नाटकीय घटनाक्रम में छाया की सुहागरात मानस के साथ ही संपन्न होती है छाया और मानस का पवित्र प्रेम अपने अंजाम तक पहुंच जाता है।
सोमिल भी सीमा से शारीरिक संबंध बना कर अपना वचन पूरा कर लेता है।
माया जी और शर्मा जी दोनों ही कामवासना से ओतप्रोत हो जाते हैं माया ने मानस को और शर्मा जी ने छाया को कभी न कभी किसी न किसी रूप में संभोग के समय याद किया है हालांकि यह बात उनके मन में ही कैद है। छाया और मानस की अद्भुत कामुकता और प्रेम को याद कर उन दोनों ने भी अपने संभोग को आनंददायक बनाने की कोशिश की है।
माया जी एक बार छाया और मानस को लेकर संयोगवश एक महर्षि के पास जाती हैं जो उन्हें बताते हैं कि मानस और छाया को प्रकृति ने प्रदत्त अद्भुत प्रेम और वासना प्रदत्त की है। छाया के भाग्य में पंचरत्न योग होने के कारण उसे अपने जीवन में कुल 5 पुरुषों से संभोग करना होगा। महर्षि उन्हें यह भी बताते हैं की छाया का प्रथम संभोग मानस के साथ ही हुआ है यह बात सुनकर माया आश्चर्य में पड़ जाती है और छाया से इस बात को पूछती है।
छाया बिना किसी बात को छुपाए अपनी मां से सच स्पष्ट रूप से बता देती है। माया को महर्षि की बातों पर विश्वास हो जाता है परंतु छाया महर्षि की बातों को नजरअंदाज कर देती है।
छाया के हनीमून पर मानस और सीमा भी साथ जाते हैं जहां छाया और सीमा दोनों सोमिल और मानस को जी भर कर प्यार करतीं हैं पर सोमिल और मानस एक दूसरे के सामने कभी कामुक गतिविधियां नहीं करते हैं। हनीमून से आने के पश्चात छाया की विदाई हो जाती है और वह मानस के घर से विदा होकर सोमिल के घर आ जाती है।
अब तक छाया की झोली में दो रत्न आ चुके होते हैं पहला मानस और दूसरा सोमिल।
सोमिल और छाया पति पत्नी के रूप में साथ साथ रहने लगते हैं। मानस और सीमा भी छाया को याद करते हुए अपने दिन व्यतीत करते हैं।
मानस और छाया की यह प्रेम कहानी "
छाया - अनचाहे रिश्तो में पनपती कामुकता एवं उभरता प्रेम" नामक थ्रेड में उपलब्ध है.
वर्तमान में मानस अपनी पत्नी सीमा के साथ बेंगलुरु शहर में रहता है माया जी और शर्मा जी भी उसी घर में रहते हैं।
छाया अपने पति सोमिल के साथ अपने ससुराल(बेंगलुरु शहर में ही कुछ दूर पर) में रहती है। छाया के विवाह को पांच 6 महीने बीत चुके हैं उन दोनों को पुनः मिलन का इंतजार है..
अब आगे...
 
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Siraj Patel

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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 

Lovely Anand

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भाग 4

छाया की नयी इच्छा.
(मैं छाया)

सीमा के जन्मदिन के बाद मैं अपने ससुराल आ चुकी थी इस बार मानस भैया के साथ गुजारे गये वक्त ने मेरे जीवन में हलचल मचा दी थी। इस बार उनके साथ किए गए संभोग में मैंने अलग किस्म की कामुकता महसूस की थी। सुहागरात और हनीमून के दौरान मानस भैया के साथ किए गए संभोग से यह बिल्कुल अलग था इसमें आनंद का अतिरेक था। उनके प्यार की तो मैं पिछले चार-पांच वर्षों से आदी थी पर उनका यह कामुक स्वरूप मुझे अत्यधिक प्रिय लग रहा था। मुझे कामुक शब्दों ( जैसे चो..ना, बू..., लं..) का ज्ञान तो था पर वह मेरी जुबान पर कभी नहीं आते थे मैं और मानस कभी-कभी उत्तेजना में राजकुमार और राजकुमारी शब्द का प्रयोग जरूर करते पर इस तरह की कामुक शब्दों का प्रयोग हमने कभी नहीं किया था. वह एक सभ्य और सुसंस्कृत पुरुष थे और मैं उनकी शिष्या। हमारे लिए यह कहीं से उचित नहीं था पर इस बार संभोग के दौरान मुझे इन कामुक शब्दों की अहमियत समझ आ रही थी। निश्चय ही ये शब्द उन्हीं उत्तेजक संभोग को दर्शाते होंगे।

मैने भी उस रात स्वयं को मानस भैया से चु..ते हुए महसूस किया था और इस चु...ई का जी भर कर आनंद लिया था।


कुछ दिनों बाद मुझे फिर वही सुख लेने के लिए इच्छा जागृत हुई। सोमिल के ऑफिस जाने के बाद मैंने मानस भैया को फोन किया "मुझे आपसे मिलना है"

"क्यों क्या हो गया?"

"कुछ नहीं मुझे आपकी याद आ रही है"

"अरे और आज तो ऑफिस भी जाना है"

"कोई बात नहीं आप लंच में मुझे मिल सकते है. मुझे आपसे कुछ बातें करनी है"

"ठीक है 1:00 बजे रेडिएंट होटल में मिलते हैं"

यह होटल हम दोनों के ऑफिस ठीक बीच में पड़ता था मैंने अपनी खूबसूरत ब्लैक स्कर्ट और ऑफिस कोट पहनी अपने बाल संवारे शरीर पर मानस भैया का पसंदीदा परफ्यूम लगाया और चल पड़ी अपनी चु.. चु....ने. (मुझे इन शब्दों को लिखते हुए हंसी आ रही थी) ऑफिस पहुंचने पर सब मुझे घूर रहे थे मैं आज जितनी सुंदर शायद उन्हें पहले कभी नहीं लगी थी। मेरी सहेली पल्लवी ने आखिर टोक ही दिया

"आज मानस से मिलने का प्लान है क्या?" उसे हमारी हकीकत मालूम चल चुकी थी. मैंने मुस्कुरा कर बात टाल दी. ऑफिस में दीवारों के भी कान होते हैं यह बातें कभी भी लीक हो सकती थी।

मैं दोपहर का इंतजार करती रही मेरी रानी भी प्रेम रस बहाते हुए इस मिलन के लिए तैयार हो चुकी थी। मैं समय से 10 मिनट पहले ही होटल पहुंच चुकी थी। मैंने रिसेप्शन पर जाकर शॉर्ट पीरियड के लिए एक कमरा बुक कर लिया और स्वयं डाइनिंग हॉल में आकर मानस का इंतजार करने लगी। मैंने मानस के लिए एक सुंदर गुलदस्ता भी ले लिया था। आज यह पहली बार हो रहा था जब कोई सुंदर नवयुवती स्वयं चु...ने के लिए सारी तैयारी स्वयं कर के आई थी और उसके प्रेमी को इस बात का आभास भी नहीं था। कामुकता और रचनात्मकता का मिलन एक अद्भुत अहसास देता है।

आज क्या होगा यह मुझे नहीं पता था पर मैं पूरी तरह तैयार थी। मानस को आते देखकर मैं खुश ही गयी। वह हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए मेरे पास आये और मेरे हाथों को चूम लिया। इससे ज्यादा डाइनिंग हॉल में करना उनके लिए संभव नहीं था। हमारे होंठ मिलने के लिए फड़फड़ा रहे थे पर हम दोनों ने उन्हें काबू में कर लिया था। गुलदस्ता देख कर वो खुश हो गए और मुझसे पूछा

"छाया क्या बात हो गई?"

"आपसे मिलने को मन कर रहा था"

"ओहो यह बात है वैसे आज तुम कयामत लग रही हो" मैं शरमा गई. मैंने वेटर को बुलाया और फटाफट कुछ खाने का आर्डर कर दिया। आज संयोग से होटल के डाइनिंग हॉल में और कोई ग्राहक नहीं था। वो मुझे लगातार एक टक देखे जा रहे थे।स्तनों का उभार और बीच का क्लीवेज कुछ ज्यादा ही दिखाई दे रहा था। वो उनके आकर्षण का केंद्र बना हुआ था जिन स्तनों को उन्होंने अपने हाथों से जवान किया था वह आज उनसे मिलने के लिए अपना चेहरा दिखा रहे थे परंतु मेरे टॉप ने उन्हें काबू में रखा हुआ था। राजकुमारी अपना प्रेम रस एक बार फिर छोड़ रही थी। जब तक खाना खत्म होता हमारी सोसाइटी की एक महिला अपने पति के साथ अकस्मात डाइनिंग हॉल में आ गयी। उन्होंने हमें पहचान लिया और पास आकर कहा

"अरे वाह दोनों भाई बहन की जोड़ी एक साथ"

उसनेअपने पति से एक बार फिर हमारा परिचय करवाया। हमारा खाना खत्म हो चुका था। इस भाई-बहन के शब्द ने मेरे मन में एक बार फिर बगावत पैदा कर दी। हमने बिल पे किया। इसके पहले कि मैं मानस से मैं कुछ बोल पाती वो बाथरूम की तरफ चल पड़े और उनके पीछे पीछे में भी।

मैंने मानस से अपनी तैयारी के बारे में कुछ भी नहीं बताया था बाथरूम के दरवाजे पर पहुंचते ही मानस ने मुझे देखा और मुझे जेंट्स बाथरूम की तरफ खींच लिया। मैं हड़बड़ा गई मुझे उनसे यह उम्मीद नहीं थी। उन्होंने मुझे अपने आगोश में लिया और मुझे उठाए हुए अंदर ले आये। इस दौरान वह मेरे होठों को लगातार चूस रहे थे मैं चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रही थी उनकी उत्तेजना मुझे भी उत्तेजित कर चुकी थी। बेसिन के प्लेटफार्म की ठंडक का एहसास जब मेरे नितंबों को हुआ तब मुझे एहसास हुआ कि मैंने पेंटी नहीं पहनी थी। मैंने यह जानबूझकर किया था पर मैं स्वयं भूल चुकी थी।

मानस भैया का राजकुमार जाने कब बाहर आ चुका था। वह मुझे चूम रहे थे और राजकुमार अपनी रानी को तलाश रहा था। रानी के प्रेम रस में उसे तुरंत ही सही जगह तक पहुंचा दिया। मैने मानस भैया के मुख से छाया …..की कामुक आवाज सुनी। इसी आवाज के साथ उनका राजकुमार रानी में प्रविष्ट हो रहा था।आवाज इतनी मादक थी कि मेरी रानी ने अपना मुख स्वतः खोल दिया था।

उनकी कमर हिलने लगी। हमारी नजरें मिलते ही मेरी नजर शर्म से झुक गई।वह अपने होंठ मेरे होंठों से हटा चुके थे। और उन्होंने मेरे कान में कहा क्या सच में हम आदर्श भाई बहन हैं। उनके कमर की रफ्तार बढ़ती जा रही थी। मैंने भी प्रत्युत्तर में जवाब दिया यदि लोगों को लगता है तो ऐसा ही सही।मैने उन्हें चूम लिया और अपनी कमर भी उनकी गति से मिला ली।

कुछ ही देर में उन्होंने मुझे प्लेटफॉर्म से नीचे उतारा।अब मैं अपने दोनों हाथ प्लेटफॉर्म पर रखकर अपनी कमर को पीछे कर चुकी थी। मेरे दोनों नितम्ब खुली हवा में मानस भैया को निमंत्रण दे रहे थे। मेरी कमर झुकी हुई थी और स्तन लटके हुए थे। मैं पूरे कपड़ों में सुसज्जित थी। पर मेरी स्कर्ट के ऊपर उठते ही राजकुमारी होठों से लार टपकाते अपने राजकुमार का इंतजार कर रही थी. मैंने जानबूझकर अपना चेहरा मानस भैया से दूर कर लिया. मुझे उनसे उसी चु***यी की उम्मीद थी जो मैं सोच कर आई थी. मानस भैया ने मेरे मन की बात पढ़ ली थी उन्होंने अपने राजकुमार को रानी में प्रवेश कराया और तेजी से उसे आगे पीछे करने लगे. बीच-बीच में वह मेरे नितंबों को सहलाते कभी जोर से दबा देते मुझे पता था कि मेरे नितंबों पर दाग पड़ रहे होंगे पर उत्तेजना में मैं सब कुछ भूल कर अपनी चु...ई का आनंद ले रही थी. उनकी कमर की रफ्तार काफी तेज थी. राजकुमार पूरी गहराइयों तक उतर कर गर्भाशय को चुमने की कोशिश कर रहा था. मेरा चेहरा लाल हो चुका था इस अद्भुत आनंद की अनुभूति मुझे पहले कभी नहीं हुई थी.

मानस भैया के हाथ अचानक मेरे स्तनों पर आए और उनकी उंगलियों का तेज दबाव मेरे निप्पल ऊपर महसूस हुआ. मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं कांपते हुए स्खलित होने लगी. मानस भैया ने मेरा स्खलन पहचान लिया था वह मेरी नस नस से परिचित थे. इन्होंने अपनी कमर की गति और बढ़ा दी. उनके मुख से मेरी प्यारी ब**न…...मेरी प्यारी छाया….की अत्यंत कामुक कराह मेरे कानों को महसूस हो रही थी. मानस भैया के राजकुमार का अंदर उछलते हुए वीर्य प्रवाह करना मुझे महसूस हो रहा था. आज मैंने पहली बार स्खलित होते समय उनकी आवाज सुनी थी. तूफान के थमने के बाद मानस भैया ने अपनी जेब से रुमाल निकाली और मेरी राजकुमारी के मुख पर रखते हुए अपने राजकुमार को बाहर निकाल लिया मैं भी उठ खड़ी हुई और अपनी जांघों के दबाव रुमाल को रानी के मुख पर व्यवस्थित किए रखा मानस भैया मुझे एक बार फिर चूम रहे थे. और मेरे बाल ठीक कर रहे थे. मेरे कपड़ों में कई सिलवटें आ चुकी थी.

मानस भैया ने कहा मेरी एक मीटिंग है मुझे जाना होगा मेरी प्यास बुझ चुकी थी मैंने उन्हें विदा कर दिया. होटल का कमरा मेरी राह देख रहा था मेरे कपड़ों में सलवटे थी मैं होटल के कमरे में जाकर आराम करने लगी. मैंने अपने कपड़े प्रेस कर वही टांग दिए थे होटल के सुंदर बिस्तर पर नग्न होकर लेटे रहने से मेरी कामुकता एक बार फिर जाग गयी. मैं मानस को तो फोन नहीं कर सकती थी पर मेरे पति को भी इस तरह सजे धजे कमरे में सेक्स करना पसंद था. मैंने उन्हें फोन कर दिया वह एक-दो घंटे बाद होटल में आ गए और हमने जी भर कर सेक्स का आनंद लिया. मेरी रानी आज खुश थी उसने अपने करण अर्जुन दोनों से मुलाकात कर ली थी औऱ दोनो को जी भरकर प्यार किया था.

मैं थकी हुई थी पर खुश थी. सोमिल के साथ आते समय मैं अपनी खुशकिस्मती पर भगवान के प्रति कृतज्ञ हो रही थी और मानस भैया और सोमिल की खुशी के लिए प्रार्थना कर रही थी. हम घर पहुंच चुके थे. अपने कपड़े उतारते समय मैंने मानस भैया का रुमाल अपनी जेब में पाया जो हमारे प्रेमरस से तृप्त था. मैंने उसे सहेज कर अपनी अलमारी में रख लिया यह एक अद्भुत मिलन की निशानी बन चुका था.
 
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